यूएस इक्विटी ईटीएफ में निवेश की छिपी हुई लागत
यह ज्ञान, से प्राप्त हुआ व्यवहार वित्त प्रयोग यह दिखाते हुए कि बहुत अधिक जानकारी “मायोपिक लॉस एवेर्शन” की ओर ले जाती है, निवेशकों को यह विश्वास दिला सकती है कि उन्हें “इसे सेट करना चाहिए और इसे भूल जाना चाहिए”। हालांकि, विशेषज्ञ जोर देते हैं कि आपको पता होना चाहिए कि आपके पास क्या है, और यहां तक कि यदि आप उसी एक्सपोजर को बनाए रखना चाहते हैं, तो आपको यह देखने के लिए जांच करनी चाहिए कि ऐसा करने का कोई सस्ता तरीका है या नहीं।
तेजी से विकसित हो रहे निवेश कोष उद्योग में अक्सर ऐसा हो सकता है। सबसे पहले, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड आमतौर पर अपने म्यूचुअल फंड समकक्षों की तुलना में बहुत कम फीस देते हैं, और यह आंशिक रूप से बताता है कि वे क्यों बाजार हिस्सेदारी हासिल करना जारी रखें. लेकिन ईटीएफ बाजार के भीतर भी, मूल्य प्रतिस्पर्धा भयंकर रही है, इसलिए यह जाँचने योग्य है कि क्या आपके पास पहले से मौजूद ईटीएफ का कम शुल्क वाला संस्करण लॉन्च किया गया है।
फिर, फीस को देखने के बाद, निर्णय तेजी से जटिल हो जाते हैं, विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं, और अतिरिक्त विचार हैं यदि आप यूएस इक्विटी फंड के विदेशी निवेशक हैं।
सबसे पहले, आपको उसी एक्सपोजर के साथ दूसरे फंड में जाने की लागत पर विचार करना चाहिए।
विचार करने के लिए ट्रेडिंग फीस होगी। यदि आपके मूल निवेश की कीमत में काफी वृद्धि हुई है, तो भुगतान करने के लिए समानांतर महत्वपूर्ण पूंजीगत लाभ कर हो सकता है।
निवेशकों आपको अपनी ट्रेडिंग योजना में क्या शामिल करना चाहिए को भी सोच-समझकर अपना मनचाहा फंड चुनने की सलाह लेनी चाहिए।
“जब निवेशक धन के बारे में सोच रहे हैं, तो उन्हें अपने वांछित एक्सपोजर पर काम करने के बाद कई कारकों के बारे में सोचना चाहिए। इनमें करेंसी, फीस, ट्रेडिंग स्प्रेड और टैक्स संबंधी विचार शामिल हैं,” iShares Emea निवेश और उत्पाद रणनीति के प्रमुख ब्रेट पायबस ने कहा।
वह बताते हैं कि इन सभी लागतों को संतुलित करना एक जटिल कार्य हो सकता है और एक निवेशक को देने के लिए कोई एक आकार-फिट-सभी सलाह नहीं है क्योंकि यह उनकी व्यक्तिगत परिस्थितियों पर निर्भर करता है।
हालांकि, पायबस ने कहा कि टैक्स कुछ ऐसा था जिसे निवेशक अक्सर अनदेखा कर देते थे।
पायबस ने कहा, “अतीत में हमने जो व्यवहार देखा है, वह यह है कि लोग सबसे बड़े और सबसे अधिक तरल उत्पाद की तलाश करते हैं और कर जटिलताओं को नजरअंदाज करते हैं, लेकिन जिन ग्राहकों से हम आज बात करते हैं, वे समझते हैं कि हमने एक ही एक्सपोजर के साथ अलग-अलग ईटीएफ क्यों विकसित किए हैं।”
निवेशकों के लिए अमेरिकी इक्विटी के संपर्क में आने के इरादे से, लाभांश पर कर रोकना एक महत्वपूर्ण कारक है।
जब एक अमेरिकी कंपनी एक गैर-अमेरिकी नागरिक को लाभांश का भुगतान करती है, तो 30 प्रतिशत कर की दर लागू होती है, हालांकि कई विदेशी न्यायालयों में एक संधि है जो इसे 15 प्रतिशत तक आधा कर देती है, रोजर वाइज, लॉ फर्म विल्की फर्र और गैलाघेर में टैक्स पार्टनर, व्याख्या की। टैक्स यूएस ईटीएफ और म्यूचुअल फंड द्वारा वितरण पर लागू होता है।
लाभांश कर का बोझ यह समझाने में मदद करता है कि लक्समबर्ग-अधिवासित यूसिट्स ईटीएफ की तुलना में कहीं अधिक आयरलैंड-अधिवासित यूसिट्स ईटीएफ – कर संधि से आयरलैंड को लाभ क्यों हैं, जिन्हें पूरी राशि का भुगतान करना पड़ता है।
वाइज ने कहा, “अमेरिकी ईटीएफ या म्युचुअल फंड अनिवार्य रूप से गैर-अमेरिकी निवेशक के लिए कर-कुशल नहीं हैं।”
बहरहाल, जिन निवेशकों ने वास्तव में सेट-इट-एंड-भूल-इट सलाह ली है, वे अभी भी अमेरिकी इक्विटी ईटीएफ के यूएस-अधिवासित संस्करणों के मालिक हो सकते हैं, जो उनके विदेशी-अधिवासित समकक्षों से पहले के हैं। यह स्वामित्व ध्यान से सोचने वाली दूसरी बात है। उदाहरण के लिए, जब आप आयरलैंड-अधिवासित Ucits ETF में जाकर बचत कर सकते हैं, तब भी जब आप अपनी मूल होल्डिंग बेचते हैं तो आपको पूंजीगत लाभ कर का सामना करना पड़ेगा।
साथ ही, जब एक निवेशक गैर-अमेरिकी-अधिवासित फंड में निवेश करके कर-वार बेहतर हो सकता है, तो वे तरलता और फीस के मामले में हार सकते हैं।
वाइज ने बताया कि उच्च तरलता वाले फंड का स्प्रेड कम हो सकता है, जिससे ट्रेडों की लागत कम हो सकती है। लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितना व्यापार करना चाहते हैं – अधिकांश स्व-निर्देशित खुदरा निवेशकों के लिए, जो अपेक्षाकृत कम मात्रा में व्यापार कर रहे हैं, तरलता अपेक्षाकृत महत्वहीन कारक हो सकती है।
कर संबंधी विचारों को संतुलित करते समय, आपके मध्यस्थ से संबंधित और जटिलताएं होती हैं, उदाहरण के लिए यदि आपके पास पेंशन योजना या बीमाकर्ता के माध्यम से यूएस इक्विटी एक्सपोजर है।
पेंशन योजनाएँ और अन्य संस्थाएँ जैसे सॉवरेन वेल्थ फ़ंड अपनी स्वयं की कर स्थिति पर निर्भर होंगी और यूएस विदहोल्डिंग टैक्स का भुगतान करने से बचने में सक्षम हो सकती हैं, लेकिन सभी संस्थानों के पास यह स्थिति नहीं है।
“सभी संस्थान और देश कर मुक्त नहीं हैं। सभी पेंशन फंडों में समझौते नहीं हो सकते हैं और कई निजी बैंक, उदाहरण के लिए, निश्चित रूप से कर को रोकने के लिए उत्तरदायी हो सकते हैं, ”डीडब्ल्यूएस के लिए पूंजी बाजार के वैश्विक प्रमुख केशव शास्त्री ने कहा, एक परिसंपत्ति प्रबंधक।
यूएस और यूरोप में स्थित निवेशकों के लिए, स्थानीय रूप से सूचीबद्ध ईटीएफ अच्छी तरह से स्थापित हैं जो निवेशकों को दुनिया भर में निवेश करने की क्षमता प्रदान करते हैं। एशिया और लैटिन अमेरिका के कुछ बाजारों में निवेशकों के लिए, यह हो सकता है कि Ucits ETF को अपने घरेलू बाजारों से दूर कुछ एक्सपोजर, जैसे कि अमेरिकी इक्विटी, के लिए कर-कुशल है।
“हम हमेशा कहते हैं कि निवेशकों को पता होना चाहिए कि उनके पास क्या है। और ईटीएफ निवेशकों के लिए, इसका मतलब ईटीएफ के अधिवास को देखना भी है,” पायबस ने कहा।
15 साल पुराने घुटनों के दर्द में इस नुस्खे से 15 दिनों में मिला आराम
राजधानी दिल्ली के रहने वाले 65 साल के अशोक कुमार अग्रवाल का 15 साल पुराना घुटने का दर्द उनके लिए काल बन गया था आपको अपनी ट्रेडिंग योजना में क्या शामिल करना चाहिए उठना बैठना, चलना फिरना अंसभव सा हो गया था । वहीं डॉक्टर्स ने भी उन्हें आराम करने को कह दिया, दोबारा पहले जैसे होना के लिए ऑपरेशन तक की सलाह देदी लेकिन हकीम सुलेमान खान साहब के घरेलू नुस्खों ने उन्हें 15 दिनों में दोबारा चलना फिरना सीखा दिया।ऐसा हम नहीं ऐसा खुद अशोक कुमार जी दावा करते हैं। https://bit.ly/3pdaygZ
पेशे से वकील और एस्ट्रोलॉजर अशोक कुमार अग्रवाल पिछले 15 सालों से घुटनों के दर्द से परेशान थे। ये दर्द एक वक्त इतना बढ़ गया कि वो बिस्तर पर रहने लगे। कोर्ट कचहरी जाना भी छूट गया। इलाज के लिए हर संभव कोशिश की लेकिन उन्हें आराम नहीं मिला। अब ऑपरेशन तक की नौबत आ गई थी। डॉक्टर ने घुटने बदलवाने की सलाह दे दी। ये सुन कर ही अशोक जी धबरा गए। अशोक जी कभी भी सर्जरी नहीं करवाना चाहते थे।लेकिन इसके अलावा उनके पास कोई ऑपश्न भी नहीं बचा था। बुढ़ापे में वो किसी पर निर्भर नहीं रहना चाहते थे।फिर इलाज के रूप में उन्हें मिला हकीम सुलेमान खान साहब का घरेलू नुस्खा। अशोक जी जहां इतने पढ़े लिखे, उनका ये यकीन करना मुश्किल हो रहा था कि कोई यूनानी और घरेलू इलाज से कैसे ठीक हो सकता है? https://bit.ly/3uH48KE
अशोक जी ने हकीम सुलेमान खान द्वारा सुझाया वो गोंद सियाह लेना शुरू किया, और 15 दिनों बाद जो हुआ उसपर अशोक कुमार यकीन ही नहीं कर पा रहे थे। घुटनों के दर्द में इतना आराम उन्होंने बीमार होने के बाद पहली बार महसूस किया। यूनानी इलाज को लेकर जो संकोच था वो खत्म तो हुआ ही उनका यकीन इस इलाज पर और भी पुख्ता हो गया। अब अशोक जी ने चलने-फिरने की क्षमता को इस तरह से हासिल किया कि कई लोग इसे एक “चमत्कार” मानते हैं। अब वह पहले से ज़्यादा फुर्तीली हो गये हैं। अशोक जी ने सोचा क्यों ना बाकी रोग में भी इलाज किया जाए, और फिर हकीम जी के नुस्खों से ही उन्होंने अपने पेट का भी इलाज कर लिया। अब वो सिर से पांव तक फिट हैं। https://bit.ly/3pdaygZ
बुढ़ापे में भी अशोक जी की हड्डियों में मजबूती बरकरार है। सीढ़ियों पर बिना रुके उसी अंदाज में चलते हैं जैसे वो 30 की उम्र में चलते थे। घुटनों में वो ताकत लौट आई है जिसकी उम्मीद अशोक जी खो चुके थे। अशोक जी के रिलेटिव्स भी अब हकीम सुलेमान खान के घरेलू इलाज के कायल हो चुक हैं। कोर्ट परिसर मे भी यही चर्चा रहती है कि कौन सी ज़ड़ी बूटी ने अशोक जी को इतना फिट कर दिया। वहीं अशोक जी सभी नुस्खों को ज्यादा से ज्यादा लोगों में पहुंचा रहे हैं, इतना ही नहीं उन्होंने अब आर्थिक रुप से कमजोर और जरूरतमंदों को भी दवाई और नुस्खें पहुचाना शुरू कर दिया है। अशोक जी कहते है कि उनके लिए यह आपको अपनी ट्रेडिंग योजना में क्या शामिल करना चाहिए बहुत सुखद एहसास है कि वो लोगों की सेवा कर रहे हैं।
यहाँ देखिये उन्होंने हकीम साहब को धन्यवाद करते हुए क्या कहा
गोंद सियाह क्या है?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोंद सियाह कैसे मिलता है और यह देखने में कैसा होता है । यह पौधा आपको अपनी ट्रेडिंग योजना में क्या शामिल करना चाहिए तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्य है । इसके कालस्कंध (संस्कृत) ग्राम, तेंदू (हिंदी) । यह समस्त भारतवर्ष में पाया जाता हैं । यह आपको अपनी ट्रेडिंग योजना में क्या शामिल करना चाहिए एक मध्यप्रमाण का वृक्ष है जो अनेक शाखाओं प्रशाखाओं से युक्त होता है । गोंद सियाह, पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है वह सूखने पर काला और ठोस हो जाता है उसे गोंदिया कहते हैं, गोंद सियाह देखने में काले रंग का होता है । वह बहुत ही पौष्टिक होता है उसमे उस पेड़ के ही औषधीय गुण पाए जाते हैं गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द, शरीर की कई बीमारियों को हम से दूर रखता है ।
हकीम आपको अपनी ट्रेडिंग योजना में क्या शामिल करना चाहिए जी की यूनानी दवाओं ने दिल्ली के अशोक जी को दिया नया जीवन
राजधानी दिल्ली के शास्त्री नगर के रहने वाले अशोक भाटिया और उनकी पत्नी कृष्णा पिछले कई वर्षों से शरीर के दर्द और सर्वाइकल से पीड़ित थे । शरीर में होने वाले दर्द ने उनकी ज़िन्दगी की गति धीमी कर दी थी। सर्वाइकल होने के कारण उनको दिन – रात चक्कर और खराब मन के साथ अपना दिनचर्या बिताना पड़ रहा था। वह समय उनके लिए काटना काफी तकलीफदेह साबित हो रहा था। उस दौरान उन्होंने हर डॉक्टर,फ़िज़ियोथेरेपिस्ट के चक्कर काटे लेकिन हर जगह से सिर्फ निराशा ही हाथ लगी लेकिन फिर उन्हें हकीम सुलेमान के घरेलू नुस्खों के बारे में पता लगा जिसने उनको नया जीवन दान दे दिया। यह दावा हम नहीं बल्कि खुद यह दंपत्ति कर रहा है।
अशोक जी की पत्नी कृष्णा भाटिया जो की पेशे से गृहिणी हैं ,वह पिछले कई सालों से सर्वाइकल और जॉइंट पेन से जूझ रही थी। उन्होंने अपनी ओर से हर वो मुमकिन कोशिश करके देख ली थी जिससे उनको आराम मिल सके लेकिन उनके हाथ निराशा के बगैर और कुछ नहीं लगा। उन्होंने कई सालों तक अंग्रेजी दवाईयों का सेवन भी किया जो केवल टेम्पररी समय तक के लिए ही राहत देने योग्य हो पाती थी। फिर उन्हें टीवी प्रोग्राम के ज़रिये हकीम सुलेमान के घरेलू नुस्खों के बारे में खबर हुई जिसने उनके शरीर के दर्द और सर्वाइकल को खत्म कर उनके जीवन को फिर से सुखदेह बना दिया। अंग्रेजी दवाओं के दौर में घरेलू नुस्खों पर विश्वास करना आसान नहीं है लेकिन हकीम जी के नुस्खे और इस दंपत्ति के विश्वास ने उनको उनकी समस्याओं से राहत दिलाने में असरदार तरीके से काम किया।
हकीम जी ने अशोक भाटिया और उनकी पत्नी की समस्या को ध्यान में रखते हुए उन्हें गोंद सियाह का सेवन करने का सुझाव दिया। जैसे कि हम सब जानते हैं कि यूनानी दवाई असर दिखाने में समय लेती हैं लेकिन समस्या का समाधान जड़ से करती हैं। गोंद सियाह अशोक भाटिया और उनकी पत्नी कृष्णा भाटिया के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है। जो दर्द उनका पिछा छोड़ने का नाम नहीं ले रहा था वो अब उस दर्द से मुक्त हो चुके हैं। उन्होंने अब डायबिटीज़ के लिए भी हकीम जी के घरेलु नुस्खों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है जिसकी वजह से अब उनकी यह समस्या भी कंट्रोल में रहने लगी है। अब वह फिरसे अपने आपको स्वस्थ और फुर्तीला महसूस कर पा रहे हैं। इसका सारा श्रेय वे हकीम जी को देते हैं।
पिछा छोड़ने का नाम नहीं ले रहा था वो अब उस दर्द से मुक्त हो चुके हैं। उन्होंने अब डायबिटीज़ के लिए भी हकीम जी के घरेलु नुस्खों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है जिसकी वजह से अब उनकी यह समस्या भी कंट्रोल में रहने लगी है। अब वह फिरसे अपने आपको स्वस्थ और फुर्तीला महसूस कर पा रहे हैं। इसका सारा श्रेय वे हकीम जी को देते हैं।
उनका दिनचर्या अब बेहतर तरीके से गुज़र रहा है। उनका शरीर अब बेहतरीन तरीके से काम कर रहा है। अशोक जी और उनकी पत्नी हकीम जी के नुस्खों से इतना प्रभावित हो चुके हैं कि अब वो अपने घर परिवार ,दोस्तों ,रिलेटिव्स को फिट रहने के लिए भी घरेलू नुस्खों का ही सुझाव देते हैं। ये दंपत्ति भी अब हकीम जी के नक़्शे कदम पर चल रहे हैं ,उन्होंने भी अब समाज सेवा के रूप में आर्थिक रुप से कमजोर और जरूरतमंदों को दवाई और नुस्खें पहुँचाना शुरू कर दिया है।
यहाँ देखिये उन्होंने हकीम साहब को धन्यवाद करते हुए क्या कहा
गोंद सियाह क्या है?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोंद सियाह कैसे मिलता है और यह देखने में कैसा होता है। यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्य है। इसके कालस्कंध (संस्कृत) ग्राम, तेंदू (हिंदी)। यह समस्त भारतवर्ष में पाया आपको अपनी ट्रेडिंग योजना में क्या शामिल करना चाहिए जाता हैं। यह एक मध्यप्रमाण का वृक्ष है जो अनेक शाखाओं प्रशाखाओं से युक्त होता है। गोंद सियाह, पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है वह सूखने पर काला और ठोस हो जाता है उसे गोंदिया कहते हैं, गोंद सियाह देखने में काले रंग का होता है। वह बहुत ही पौष्टिक होता है उसमे उस पेड़ के ही औषधीय गुण पाए जाते हैं गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द, शरीर की कई बीमारियों को हम से दूर रखता है ।
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