लाख की चूड़ियाँ
वस्तु-विनिमय अर्थात् वस्तुओं का आदान-प्रदान करना। पहले लोग एक वस्तु देकर दूसरे से दूसरी वस्तु ले लत थे जैसे बदलू चूड़ियाँ लोगों को देकर पैसे न लेकर आवश्यकता का सामान ले लिया करता था। यही वस्तु-विनिमय पद्धति थी। वर्तमान में विनिमय की प्रचलित पद्धति मुद्रा है अर्थात् धन देकर वस्तु खरीदना।
बाज़ार में बिकने वाले सामानों की डिज़ाइनों में हमेशा परिवर्तन होता रहता है। आप इन परिवर्तनों को किस प्रकार देखते हैं? आपस में चर्चा कीजिए।
बाज़ार में बिकने वाले सामानों के डिज़ाइनों में हमेशा परिवर्तन होता रहता है क्योंकि एक ही डिज़ाइन की वस्तु का प्रयोग करते-करते लोग ऊब जाते हैं। कुछ नयापन लाने व रुचि के अनुसार परिवर्तन करने से वस्तुओं का रूप सौंदर्य बदलता रहता है। हम इन परिवर्तनों को केवल फैशन के रूप में ही देखते हैं।
इसी प्रकार की चर्चा आप कक्षा मे कर सकते हैं।
बचपन में लेखक अपने मामा के गाँव चाव से क्यों जाता था और बदलूो काे ‘बदलू मामा’ न कहकर ‘बदलू काका’ क्यों कहता था?
बचपन में जब लेखक गरमी की छुट्टियों में अपने मामा के घर रहने जाता तो उस ‘बदलू काका’ से लाख की रंग-बिरंगी गोलियाँ लेने का चाव होता था। मुद्रा विनिमय लेख ये गोलियां इतनी सुंदर होती थी कि कोई भी बच्चा इनकी और आकर्षित हुए बिना नहीं रह सकता था।
वह बदलू को ‘बदलू मामा’ न कहकर ‘बदलू काका’ इसलिए कहता था क्योंकि गाँव के सारे बच्चे उस ‘बदलू काका’ के नाम से पुकारते थे।
हमारे खान-पान, रहन-सहन और कपड़ों में भी बदलाव आ रहा है। इस बदलाव के पक्ष-विपक्ष में बातचीत कीजिए और बातचीत के आधार पर लेख तैयार कीजिए।
वर्तमान में दिन-प्रतिदिन आधुनिकता बढ़ती जा रही है। और इसका विशेष प्रभाव पड़ रहा है हमारे खान-पान, रहन-सहन और पहनावे पर। इस आधार पर मैंने बहुत लोगों से बातचीत की। कुछ ने इसके पक्ष में व कुछ ने इसके विपक्ष में अपने विचार रखे अर्थात् कुछ इस बदलाव को सही कहते हैं और कुछ सही नहीं मानते।
लेकिन मैंने सभी के विचारों से यह निष्कर्ष निकाला कि बदलाव भी जीवन का एक विशेष पहलू है। कुछ बड़े-बुजुर्ग आधुनिकता को जल्दी से अपना लेते हैं; रूढ़िवादी विचारों को त्यागने या उनमें बदलाव लाने में वे संकोच नहीं करते। ऐस लोग युवाओं के भी प्रिय हो जाते हैं व समया नुसार उनका मार्ग-दर्शन भी कर सकते हैं लेकिन दूसरी ओर वे बड़े-बुजुर्ग भी हैं जिन्हें समाज में होता बदलाव अच्छा नहीं लगता। वे अपने प्राचीन विचारों के साथ ही जीना चाहते हैं। एेसे में उनका बात-बात पर नवीन वर्ग के विचारों के साथ मतभेद होता है। ऐसा होने पर बच्चे भी उन्हें उतना सम्मान नहीं दे पाते जितना उन्हें देना चाहिए।
छुट्टियों में मुझे अपनी बड़ी बहन के घर जाना सबसे अच्छा लगता है। मैं अपनी दीदी से बेहद प्यार करता हूँ। अपने घर में तो यही दिनचर्या होती है कि सुबह उठो, तैयार होकर विद्यालय जाओ, घर आकर खाना खाओ, फिर थोड़ी दर सो जाओ। शाम को एक घंटा टी.वी. देखो मुद्रा विनिमय लेख या खेलकर पड़ने बैठो। रात को पिताजी के आते ही खाना खाकर थोड़ी दर टहलो और फिर सो जाओ। दीदी के घर तो सुबह आराम से उठो। फिर थोड़ी दर टी.वी. देखो और नहा धोकर तैयार हो जाओ। मनपसंद नाश्ता करने के बाद आसपास के दोस्तों के साथ मजे करो। दोपहर को खाना खाओ और टी.मुद्रा विनिमय लेख वी. देखो, सो जाओ या मनपसंद कंप्यूटर गेम खेलो। मुझे तो इंटरनेट पर नई-नई जानकारियाँ प्राप्त करना भी बहुत अच्छा लगता है। साथ ही मेरी दीदी भी मुझ इसमें काफी मदद करती हैं। शाम को जीजा जी के साथ घूमने जाना तो मुझे बेहद पसंद है। वे रोज मुझे नई-नई जगह ले जाते हैं व अच्छी-अच्छी चीजें खिलाते हैं। रात को गर्मागर्म खाना खाओ और टहलने के बाद सो जाओ। न कोई पढ़ाई की चिंता न माता-पिताजी की रोक-टोक इसीलिए तो सबसे अच्छा लगता है मुझे दीदी का घर।
मशीनी युग में अनेक परिवर्तन आए दिन होते रहते हैं। आप अपने आस-पास से इस प्रकार के किसी परिवर्तन का उदाहरण चुनिए और उसके बारे में लिखिए।
मशीनी युग के कारण बड़े से बड़े व छोटे से छोटे उद्योगों में अपार परिवर्तन आए हैं। हमारे घर के पास एक घर में ही लकड़ी का फर्नीचर बनता था। कितने ही कारीगर दिन-रात लकड़ियाँ चीर-चीर कर फर्नीचर बनाया करते थे। पिछले कुछ वर्षो में मैंने देखा कि कारीगर तो निरंतर कम होते जा रहे हैं लेकिन फर्नीचर और भी सुंदर बनने लगा है। मुझे उत्सुकता हुई कि एक बार अंदर जाकर देखकर आऊँ कि फर्नीचर कैसे बनता है। जब मैं उस लकड़ी के कारखाने में गया तो देखा कि लकड़ी काटने, साफ करने व उसे आकार देने का सभी कार्य मशीनें बखूबी कर रही थीं। मुझे देखकर बहुत अच्छा लगा कि काम कितनी जल्दी और सफाई से होता है लेकिन जब एक बढ़ई लकड़ी का सामान बनाने वाला) ने मुझे यह बताया कि एक समय था कि इस कारखाने में बीस लोग काम करते थे लेकिन अब केवल पाँच ही पूरा काम निबटा लेते हैं तो मुझ अफसोस हुआ कि मशीनों के कारण कितने लोग बेरोजगार भी हो जाते हैं। तभी मैने यह सोचा कि मशीनी युग परिवर्तन के साथ-साथ परेशानियाँ भी ला रहा है।
विनिमय विपत्र क्या है? विनिमय विपत्र के लक्षण बताइए।
विनिमय विपत्र क्या है? विनिमय विपत्र के लक्षण बताइए।
विनिमय विपत्र क्या है? विनिमय विपत्र के लक्षण बताइए। चेक और विनिमय विपत्र में अन्तर कीजिए।
विनिमय-पत्र से आशय – भारतीय विनिमय-साध्य लेख पत्र अधिनियम, 1881 की धारा 5 के अनुसार, “विनिमय-पत्र एक लिखित लेख-पत्र है, जिसमें लेखक अपने हस्ताक्षर करता है तथा व्यक्ति के बिना शर्त यह आदेश देता है कि वह किसी व्यक्ति विशेष की उसमें लिखित निश्चित रकम का भुगतान कर दे।” दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि विनिमय-बिल वह लिखित आदेश होता है, जिसमें ऋणदाता (Debtor) ऋणी (Creditor) को एक निश्चित धनराशि स्वयं उसे अथवा उसके आदेशित किसी व्यक्ति (वाहक) को भुगतान करने की आज्ञा देता है।
विनिमय विपत्र की विशेषताएं/लक्षण
विनिमय विपत्र की निम्नलिखित विशेषताएं हैं-
1. लिखित प्रपत्र- विनिमय-प्रपत्र भी प्रतिज्ञा पत्र के समान होता है; यह प्रपत्र लिखित होता है और इस प्रपत्र की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ये हाथ में लिखा हुआ भी मुद्रा विनिमय लेख हो सकता है।
2. मूल्यवान प्रतिफल – विनिमय विपत्र में स्पष्टता के साथ लिखा होना चाहिए कि विनिमय विपत्र को स्वीकार करने वाले को विनिमय विपित्र की स्वीकृति के स्थान पर मूल्य की के प्राप्ति हो चुकी है।
3. प्रापक एक निश्चित व्यक्ति होना चाहिए- यदि कोई विनिमय विपत्र वाहक नहीं है तो प्रापक एक निर्धारित व्यक्ति होना चाहिए। यदि किसी विनिमय विपत्र पर प्रापक का नाम नहीं लिखा गया तो उस विनिमय विपत्र का धारक उस पर अपना नाम स्वयं भुगतान प्राप्त करने का अधिकारी बन सकता है।
4. विनिमय-विपत्र की सुपुर्दगी- विनिमय विपत्र के लेखक के द्वारा यह अनिवार्य हो जाता है कि वह उसे ऋणी के पास भेज दे और ऋणी उस विपत्र पर अपनी स्वीकृति देने के बाद उसकी सुपुर्दगी लेखक को कर देता है।
5. निश्चित धनराशि- विनिमय विपत्र में भुगतान की धनराशि निश्चित होनी चाहिए और इसे अंकों और शब्दों दोनों ही रूपों से अंकित करना चाहिए ।
6. आहर्ता के हस्ताक्षर – विनिमय विपत्र पर लेखक के हस्ताक्षर होना आवश्यक है क्योंकि उसके हस्ताक्षर के बिना विनिमय-विपत्र अवैध घोषित कर दिया जाता है। यदि ऋणी ऐसे विनिमय विपत्र को स्वीकार करता है जिस पर लेखक के हस्ताक्षर नहीं है, तो उसे भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं ठहरा सकते हैं।
7. भुगतान का शर्तरहित आदेश- विनिमय-विपत्र में लिखी हुई धनराशि का भुगतान शर्तरहित आदेश होता है। यदि विनिमय-विपत्र में भुगतान का आदेश किसी घटना के घटित होने पर आधारित है तो विनिमय विपत्र अवैध घोषित नहीं किया जा सकता है।
8. भुगतान का समय एवं स्थान – विनिमय विपत्र में भुगतान की तिथि, समय और – स्थान निर्धारित होना चाहिए। विनिमय विपत्र में निर्धारित की गयी तिथि के बाद वर्णित समयावधि और तीन दिन अनुग्रह दिवस के व्यतीत हो जाने पर धनराशि का भुगतान किया जाता है।
9. भुगतान की मुद्रा- विनिमय विपत्र में लिखी हुई धनराशि का भुगतान देश में प्रचलित मुद्रा के आधार पर ही किया जाता है।
10. आवश्यक मुद्रांक – भारतीय मुद्रांक अधिनियम के अनुसार विनिमय-विपत्र पर – आवश्यक मुद्रांक लगाना आवश्यक है। आवश्यक मुद्रांक न लगा होने पर उसे अवैध घोषित कर दिया जाता है।
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लाख की चूड़ियाँ
वस्तु-विनिमय अर्थात् वस्तुओं का आदान-प्रदान करना। पहले लोग एक वस्तु देकर दूसरे से दूसरी वस्तु ले लत थे जैसे बदलू चूड़ियाँ लोगों को देकर पैसे न लेकर आवश्यकता का सामान ले लिया करता था। यही वस्तु-विनिमय पद्धति थी। वर्तमान में विनिमय की प्रचलित पद्धति मुद्रा है अर्थात् धन देकर वस्तु खरीदना।
बचपन में लेखक अपने मामा के गाँव चाव से क्यों जाता था और बदलूो काे ‘बदलू मामा’ न कहकर ‘बदलू काका’ क्यों कहता था?
बचपन में जब लेखक गरमी की छुट्टियों में अपने मामा के घर रहने जाता तो उस ‘बदलू काका’ से लाख की रंग-बिरंगी गोलियाँ लेने का चाव होता था। ये गोलियां इतनी सुंदर होती थी कि कोई भी बच्चा इनकी और आकर्षित हुए बिना नहीं रह सकता था।
वह बदलू को ‘बदलू मामा’ न कहकर ‘बदलू काका’ इसलिए कहता था क्योंकि गाँव के सारे बच्चे उस ‘बदलू काका’ मुद्रा विनिमय लेख के नाम से पुकारते थे।
बाज़ार में बिकने वाले सामानों की डिज़ाइनों में हमेशा परिवर्तन होता रहता है। आप इन परिवर्तनों को किस प्रकार देखते हैं? आपस में चर्चा कीजिए।
बाज़ार में बिकने वाले सामानों के डिज़ाइनों में हमेशा परिवर्तन होता रहता है क्योंकि एक ही डिज़ाइन की वस्तु का प्रयोग करते-करते लोग ऊब जाते हैं। कुछ नयापन लाने व मुद्रा विनिमय लेख रुचि के अनुसार परिवर्तन करने से वस्तुओं का रूप सौंदर्य बदलता रहता है। हम इन परिवर्तनों को केवल फैशन के रूप में ही देखते हैं।
इसी प्रकार की चर्चा आप कक्षा मे कर सकते हैं।
छुट्टियों में मुझे अपनी बड़ी बहन के घर जाना सबसे अच्छा लगता है। मैं अपनी दीदी से बेहद प्यार करता हूँ। अपने घर में तो यही दिनचर्या होती है कि सुबह उठो, तैयार होकर विद्यालय जाओ, घर आकर खाना खाओ, फिर थोड़ी दर सो जाओ। शाम को एक घंटा टी.वी. देखो या खेलकर पड़ने बैठो। रात को पिताजी के आते ही खाना खाकर थोड़ी दर टहलो और फिर सो जाओ। दीदी के घर तो सुबह आराम से उठो। फिर थोड़ी दर टी.वी. देखो और नहा धोकर तैयार हो जाओ। मनपसंद नाश्ता करने के बाद आसपास के दोस्तों के साथ मजे करो। दोपहर को खाना खाओ और टी.वी. देखो, सो जाओ या मनपसंद कंप्यूटर गेम खेलो। मुझे तो इंटरनेट पर नई-नई जानकारियाँ प्राप्त करना भी बहुत अच्छा लगता है। साथ ही मेरी दीदी भी मुझ इसमें मुद्रा विनिमय लेख काफी मदद करती हैं। शाम को जीजा जी के साथ घूमने जाना तो मुझे बेहद पसंद है। वे रोज मुझे नई-नई जगह ले जाते हैं व अच्छी-अच्छी चीजें खिलाते हैं। रात को गर्मागर्म खाना खाओ और टहलने के बाद सो जाओ। न कोई पढ़ाई की चिंता न माता-पिताजी की रोक-टोक इसीलिए तो सबसे अच्छा लगता है मुझे दीदी का घर।
हमारे खान-पान, रहन-सहन और कपड़ों में भी बदलाव आ रहा है। इस बदलाव के पक्ष-विपक्ष में बातचीत कीजिए और बातचीत के आधार पर लेख तैयार कीजिए।
वर्तमान में दिन-प्रतिदिन आधुनिकता बढ़ती जा रही है। और इसका विशेष प्रभाव पड़ रहा है हमारे खान-पान, रहन-सहन और पहनावे पर। इस आधार पर मैंने बहुत लोगों से बातचीत की। कुछ ने इसके पक्ष में व कुछ ने इसके विपक्ष में अपने विचार रखे अर्थात् कुछ इस बदलाव को सही कहते हैं और कुछ सही नहीं मानते।
लेकिन मैंने सभी के विचारों से यह निष्कर्ष निकाला कि बदलाव भी जीवन का एक विशेष पहलू है। कुछ बड़े-बुजुर्ग आधुनिकता को जल्दी से अपना लेते हैं; रूढ़िवादी विचारों को त्यागने या मुद्रा विनिमय लेख उनमें बदलाव लाने में वे संकोच नहीं करते। ऐस लोग युवाओं के भी प्रिय हो जाते हैं व समया नुसार उनका मार्ग-दर्शन भी कर सकते हैं लेकिन दूसरी ओर वे बड़े-बुजुर्ग भी हैं जिन्हें समाज में होता बदलाव अच्छा नहीं लगता। वे अपने प्राचीन विचारों के साथ ही जीना चाहते हैं। एेसे में उनका बात-बात पर नवीन वर्ग के विचारों के साथ मतभेद होता है। ऐसा होने पर बच्चे भी उन्हें उतना सम्मान नहीं दे पाते जितना उन्हें देना चाहिए।
मशीनी युग में अनेक परिवर्तन आए दिन होते रहते हैं। आप अपने आस-पास से इस प्रकार के किसी परिवर्तन का उदाहरण चुनिए और उसके बारे में लिखिए।
मशीनी युग के कारण बड़े से बड़े व छोटे से छोटे उद्योगों में अपार परिवर्तन आए हैं। हमारे घर के पास एक घर में ही लकड़ी का फर्नीचर बनता था। कितने ही कारीगर दिन-रात लकड़ियाँ चीर-चीर कर फर्नीचर बनाया करते थे। पिछले कुछ वर्षो में मैंने देखा कि कारीगर तो निरंतर कम होते जा रहे हैं लेकिन फर्नीचर और भी सुंदर बनने लगा है। मुझे उत्सुकता हुई कि एक बार अंदर जाकर देखकर आऊँ कि फर्नीचर कैसे बनता है। जब मैं उस लकड़ी के कारखाने में गया तो देखा कि लकड़ी काटने, साफ करने व उसे आकार देने का सभी कार्य मशीनें बखूबी कर रही थीं। मुझे देखकर बहुत अच्छा लगा कि काम कितनी जल्दी और सफाई से होता है लेकिन जब एक बढ़ई लकड़ी का सामान बनाने वाला) ने मुझे यह बताया कि एक समय था कि इस कारखाने में बीस लोग काम करते थे लेकिन अब केवल पाँच ही पूरा काम निबटा लेते हैं तो मुझ अफसोस हुआ कि मशीनों के कारण कितने लोग बेरोजगार भी हो जाते हैं। तभी मैने यह सोचा कि मशीनी युग परिवर्तन के साथ-साथ परेशानियाँ भी ला रहा है।
Forex Reserve: विदेशी मुद्रा भंडार 2.67 अरब डॉलर घटकर 593.279 अरब डॉलर रहा, जानिए क्यों हुआ ऐसा
Forex Reserve Decreased: 6 मई को देश का विदेशी मुद्रा भंडार 596 अरब डॉलर था जो वर्ष 2022-23 के लगभग 10 महीने के अनुमानित आयात के बराबर था. वहीं 13 मई को विदेशी मुद्रा भंडार मुद्रा विनिमय लेख घटकर 593.279 अरब डॉलर रहा.
By: ABP Live | Updated at : 20 May 2022 09:51 PM (IST)
विदेशी मुद्रा भंडार (प्रतीकात्मक तस्वीर)
Forex Reserve Decreased: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 13 मई को खत्म हफ्ते में 2.676 अरब डॉलर घटकर 593.279 अरब डॉलर रह गया. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को अपने आंकड़ों में यह जानकारी दी. इससे पूर्व के हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 1.774 अरब डॉलर घटकर 595.954 अरब डॉलर रह गया था.
आरबीआई के बुलेटिन में मिली जानकारी
रिजर्व बैंक के मई बुलेटिन में अर्थव्यवस्था की स्थिति पर प्रकाशित एक लेख के अनुसार, 6 मई को देश का विदेशी मुद्रा भंडार 596 अरब डॉलर था जो वर्ष 2022-23 के लगभग 10 महीने के लिए अनुमानित आयात के बराबर था.
फॉरेन करेंसी ऐसेट्स में आई कमी
समीक्षाधीन सप्ताह में विदे्शी मुद्रा भंडार में आई गिरावट का कारण विदेशी मुद्रा आस्तियों में आई कमी है जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण घटक होता है. आंकड़ों के अनुसार विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 1.302 अरब डॉलर घटकर 529.554 अरब डॉलर रह गयीं. डॉलर में अभिव्यक्त विदेशी मुद्रा भंडार में रखे जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियों में यूरो, पौंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में मूल्यवृद्धि अथवा मूल्यह्रास के प्रभावों को शामिल किया जाता है.
सोने के भंडार का मूल्य भी घटा
आंकड़ों के मुताबिक 13 मई को खत्म हुए हफ्ते में स्वर्ण भंडार का मूल्य भी 1.169 अरब डॉलर घटकर 40.57 अरब डॉलर रह गया. समीक्षाधीन सप्ताह में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 16.5 करोड़ डॉलर घटकर 18.204 अरब डॉलर रह गया. आईएमएफ में रखे देश का मुद्रा भंडार 3.9 करोड़ डॉलर घटकर 4.951 अरब डॉलर रह गया.
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Published at : 20 May 2022 09:49 PM (IST) Tags: Rupee dollar forex reserve Forex Currency हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
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