इकॉनमी को ताकत देगी स्वदेशी जहाज निर्माण इंडस्ट्री
भारत एक ऐसा देश है जहां 4000 वर्षों की समृद्ध समुद्री परंपरा रही है। यह समुद्री परंपरा तटीय इलाकों में रहने वाली आबादी की मानसिकता में गहरे पैठी हुई है और इन समाजों के रीति-रिवाजों में व्यक्त होती रहती है। सिंधु घाटी की सभ्यता 3000 ईसा पूर्व में नावों और जहाजों का इस्तेमाल करने के लिए जानी जाती थी। नाव बनाने की यह कला देश पर मुगलों के हमले के बाद कमजोर पड़ने लगी और उसके बाद औपनिवेशिक शासन शुरू हो जाने की वजह से यह दोबारा कभी जोर नहीं पकड़ सकी। भारत जैसे देश में जो मूलतः प्रायद्वीपीय चरित्र का रहा है, जहां 7516.5 किलोमीटर लंबा तट और 1197 द्वीप हैं, जहाज निर्माण क्षमता देश के आर्थिक विकास, बाजार की मांग और मानव संसाधन क्षमता से तालमेल बनाए नहीं रख सकी। हमारी आर्थिक संभावनाओं का ठीक से दोहन हो सके और राष्ट्रीय सुरक्षा पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पडे, यह सुनिश्चित करने के लिए इस पर ध्यान देना जरूरी है।
भारतीय जहाज निर्माण उद्योग मुख्यतः 27 शिपयार्ड पर केंद्रित है जिनमें 8 प्राइवेट सेक्टर के हैं औऱ 19 पब्लिक सेक्टर के। जहाज निर्माण एक जटिल प्रक्रिया है। इसमें कई तरह के कारक होते हैं। जहाज का निर्माण किसी ड्राई डॉक में इसका ढांचा बनाने या किसी आउटफिटिंग बेसिन में विभिन्न उपकरण या सिस्टम लगाते हुए ही शुरू हो जाता है। इसमें 300-400 प्रकार के कच्चा माल और उपकरण लगते हैं जो जहाज के प्रकार के हिसाब से बदलते हैं। जहां तक कीमतों की बात है तो कच्चा माल और उपकरणों की कीमत जहाज पर आने वाली कुल लागत का 60-70 फीसदी तक हो जाती है। जहाज निर्माता को ये कच्चे माल और उपकरण विभिन्न उद्योगों से खरीदना होता है। स्वाभाविक ही कोई शिपयार्ड सहायक और लघु उद्योगों के फलने फूलने का बड़ा आधार हो जाता है।
भारत में व्यावसायिक जहाज निर्माण से जुड़े सहायक उद्योग उपेक्षित हैं क्योंकि जहाज निर्माण उद्योग का विस्तार ज्यादा नहीं हुआ है और इसीलिए इसकी जरूरतों का दायरा भी कम ही है। लिहाजा, इसका स्वदेशीकरण किफायती नहीं हो पाता है। लेकिन रक्षा जहाजों के लिए कच्चा माल मुहैया कराने वाले सहायक उद्योग अपेक्षाकृत अच्छी हालत में हैं। कई ऐसे भारतीय वेंडर हैं जो रक्षा जहाज से जुडे उपकरण बनाते हैं। इसका कारण यह है कि भारतीय नौसेना स्वदेशीकरण पर जोर दे रही है औऱ सहायक उद्योगों को सपोर्ट कर रही है। इसलिए कमर्शल शिपबिल्डर्स इन सहायक इंडस्ट्रीज का फायदा उठा सकते हैं। सहायक उद्योग कम मूल्य पर क्वालिटी सामान की आपूर्ति तभी कर सकते हैं जब उन्हें सपोर्ट मिलेगा, तभी जहाज निर्माण पर कुल लागत में कमी आ सकेगी।
भारत में जहाज निर्माण की संभावनाओं और एक मजबूत जहाज निर्माण उद्योग के आर्थिक फायदों को देखते हुए अगर एक उपयुक्त पॉलिसी फ्रेमवर्क और संस्थागत सपोर्ट सिस्टम बना दिया जाए तो एक समर्थ जहाज निर्माता देश के रूप में उभरने की भारत की कोशिशों को बल मिलेगा। उपकरणों और कल-पुर्जों के आयात, निर्माण, विस्तार और आधुनिकीकरण आदि पर टैक्स में छूट जैसे प्रोत्साहनों पर विचार किया जा सकता है। ध्यान रहे, सबसिडी स्कीम को कम से कम दस वर्षों तक जारी रखने की जरूरत होगी ताकि भारतीय जहाज निर्माण दुनिया में अपना मजबूत स्थान बना ले। इसके साथ ही शिपयार्ड के आसपास जहाज निर्माण के सहायक उद्योगों का जाल भी बिछा देने की जरूरत है। यह भारतीय शिपयार्ड्स को सबसे सस्ती कीमतों पर कच्चा माल हासिल करने में मदद करेगा।
आज की तारीख में इंडस्ट्री को केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से कई तरह के चेक्स औऱ क्लियरेंस का सामना करना पड़ता है। इन सभी क्लियरेंस को सिंगल विंडो सिस्टम के तहत लाए जाने की जरूरत है। इनमें पर्यावरण, भूमि आबंटन और इसका विकास, बिजली, पानी से लेकर सुरक्षा क्लियरेंस तक सब शामिल होना चाहिए। एक स्पेशलाइज्ड फाइनेंसिंग इंस्टिट्यूशन / मरीन फाइनेंस स्कीम शुरू करना भी जहाज निर्माण इंडस्ट्री को मजबूती देगा। इतना ही नहीं, शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री की टेक्नॉलजी को अपग्रेड करने के लिए प्रमुख शिपबिल्डिंग कंपनियों / शिपयार्ड्स के साथ जॉइंट वेंचर्स शुरू करने का काम तेजी से आगे बढाया जाना चाहिए।
देश में अन्य उद्योगों के मुकाबले जहाज निर्माण उद्योग की कुछ खास विशेषताएं हैं जो इसे औरों से अलग करती हैं। यह इस मायने में अनूठा है कि ऑटो इंडस्ट्री की तरह इसमें पहले बनाने और फिर बेचने की प्रक्रिया नहीं अपनाई जाती। इसमें पहले बेचा जाता है और तब बनाया जाता है। इतना ही नहीं, शिपयार्ड् को ऑर्डर तभी मिलते हैं जब ये क्वालिटी शिप्स समय पर डेलिवर करने के मामले में विश्वसनीय हों। और विश्वसनीय वे तभी हो सकते हैं जब वैश्विक प्रतिद्वंद्विता के बीच लगातार काम करते रहें, सफलतापूर्वक जहाज डेलिवर करते रहें। ध्यान में रखना जरूरी है कि इसे दुनिया के सबसे अच्छे यार्डों के मुकाबले ग्लोबली कॉम्पिटिटिव भी रहना होगा। दुर्भाग्यवश, शिपयार्ड्स को विदेशी यार्डों के मुकाबले भारी करों, शुल्कों और वित्तीय खर्चों का सामना करना पडता है। अन्य मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री के विपरीत इसमें प्रोडक्ट डेलिवर होने में बरसों लग जाते हैं जिससे बेहद खर्चीला फाइनेंस लंबे समय तक रखना पड़ता है। इससे इंडस्ट्री की प्रतिद्वंद्विता में टिके रहने की क्षमता प्रभावित होती है।
जहाज निर्माण इंडस्ट्री देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर तभी बना सकती है जब वह बड़े पैमाने पर जहाजों का निर्माण करे और कच्चा माल देश से ही हासिल करे। जाहिर है, इसके लिए अनुकूल आर्थिक इकोसिस्टम होना जरूरी है। ऊपर दिए गए सुझाव तो केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा अमल में लाए ही जाने चाहिए, इसके अलावा शिपयार्ड्स को भी अपनी पूरी क्षमता से कार्य करते हुए क्वालिटी शिप्स समय पर डेलिवर करना होगा, तभी और ऑर्डर्स आएंगे। भारतीय शिपबिल्डिंग इंडस्ट्री को राष्ट्र निर्माण में अहम योगदान देने लायक बनाने के लिए निश्चय ही सबको मिलजुलकर कोशिश करनी होगी।
कैप्टन सरफराज खान, नौसेना अधिकारी, भारतीय नौसेना
( उपरोक्त विचार व्यक्तिगत हैं, रक्षा मंत्रालय या भारतीय नौसेना के आधिकारिक विचार इसमें नहीं झलकते)
1विन बुकमेकर की विस्तृत समीक्षा । विशेषताएं, पेशेवरों और खिलाड़ियों से प्रतिक्रिया
2016 में, 1विन बुकमेकर जुआ व्यवसाय में सबसे आगे है और तब से अग्रणी पदों में से एक है । इस सट्टेबाज की लोकप्रियता तेजी से अंतरराष्ट्रीय जुए में फैल गई । सट्टेबाज की मुख्य दिशा खेल सट्टेबाजी है, लेकिन ऑनलाइन खेल के मैदान भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं ।
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1विन बुकमेकर: गेम सेक्शन की विशेषताएं
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बीसी 1विन में लाइव सट्टेबाजी अनुभाग
लाइव सट्टेबाजी अनुभाग का प्रतिनिधित्व खेल और एस्पोर्ट्स प्रतियोगिताओं पर कई घटनाओं द्वारा किया जाता है । खिलाड़ी बाजारों के बीच स्विच करने की सुविधा पर ध्यान देते हैं – इसलिए शर्त लगाने वाला खिलाड़ी जल्दी से उस घटना को ढूंढ सकता है जिसकी उसे जरूरत है और शर्त है । खेल और कुछ खेलों पर कई कार्यक्रम हैं । रिकॉर्ड औसत है । ज्यादातर मामलों में, बाधाएं हैं, लेकिन समय-समय पर कोई मिनट दांव नहीं हैं । एक लाइव इवेंट में मार्जिन का औसत 9 होता है%
1विन में लाइन अवलोकन
समीक्षाओं में सट्टेबाज के खिलाड़ी उच्च और मध्यम बाधाओं के साथ लाइन के अक्षांश पर ध्यान देते हैं । सबसे लोकप्रिय फुटबॉल सट्टेबाजी है, आमतौर पर 150 से अधिक बाजार हैं ।
जल्दी से 1 जीत शर्त कैसे लगाएं?
घटनाओं पर दांव लगाने या 1विन बुकमेकर के साथ कैसीनो में खेलने के लिए, आपको आसानी से सामाजिक नेटवर्क या फोन नंबर के माध्यम से पंजीकरण करना होगा । इसके अलावा साइट पर खिलाड़ी आईओएस और एंड्रॉइड के लिए एप्लिकेशन के लिंक ढूंढ पाएंगे, जो फोन और कंप्यूटर दोनों पर इंस्टॉल किए जा सकते हैं ।
हॉकी, फुटबॉल, मुक्केबाजी, एमएमए, बास्केटबॉल, टेनिस और अन्य: अनुप्रयोगों में खेल विषयों में 1000 से अधिक खेल आयोजनों तक निरंतर पहुंच है ।
एक सट्टेबाज के पास दस्तावेजों की मदद से पहचान सत्यापित करने का अधिकार है, और कभी-कभी वीडियोकांफ्रेंसिंग के रूप में भी । ऐसी प्रक्रिया से इनकार करने से खाते को ब्लॉक करने का खतरा होता है । https://1wmstr.com/
क्या 1विन दस्तावेजों की जांच कर सकता है?
वास्तव में, सट्टेबाजी किसी भी समय सट्टेबाजी खिलाड़ी से दस्तावेजों का अनुरोध कर सकती है । इसके अलावा, यह ध्यान देने योग्य है कि यदि खिलाड़ी को अनुचित खेल पर संदेह है, तो सट्टेबाज उसे वीडियो सत्यापन के लिए आमंत्रित कर सकता है । इस कार्रवाई से इनकार करने पर गेम खाते को अवरुद्ध करना पड़ता है । सत्यापन अवधि 14 दिनों तक है ।
आप साइट पर और क्या पा सकते हैं?
– 10,000 से अधिक मनोरंजन के साथ कैसीनो-रूले, कार्ड और बोर्ड गेम, स्लॉट और बहुत कुछ ।
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– 1विन निवेश, जहां बीसी खिलाड़ियों को सट्टेबाजी व्यवसाय में एक निवेश परियोजना में भाग लेने की पेशकश करता है (मासिक लाभ 33% तक) ।
– प्रदाता इवोप्ले से 25 गेम । आप परीक्षण के लिए डेमो मोड का उपयोग कर सकते हैं, जिसके बाद आप पैसे पर दांव लगाना शुरू कर देंगे ।
– वीस्पोर्ट-फुटबॉल, बास्केटबॉल, डॉग रेसिंग और अधिक जैसे खेल विषयों में आभासी प्रतियोगिताएं ।
– दैनिक और साप्ताहिक टूर्नामेंट के साथ लीडरबोर्ड, जहां सबसे सक्रिय बीसी उपयोगकर्ताओं द्वारा पुरस्कार जीते जाते हैं
मुख्य वर्गों के अलावा, साइट प्रचार और बोनस, एक संबद्ध कार्यक्रम, संदर्भ सामग्री और साइट नियमों के साथ अनुभाग प्रस्तुत करती है ।
Study के मुताबिक कोविड महामारी ने किशोरों के दिमाग को समय से पहले कर दिया बूढ़ा
वाशिंगटन: महामारी से जुड़े तनावों ने किशोरों के दिमाग की उम्र को बढ़ा दिया और भविष्य में इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. एक नए अध्ययन में कहा गया है कि इन तनावों के चलते किशोर उम्र के बच्चों से उनकी चंचलता और चपलता छिन गई तथा उन्होंने वयस्क लोगों की तरह ज्यादा सोचना शुरू कर दिया.
ओपन साइंस जर्नल में प्रकाशित किया गया:
अध्ययन में नए निष्कर्षों के हवाले से बताया गया है कि किशोरों पर महामारी के न्यूरोलॉजिकल और मानसिक स्वास्थ्य प्रभाव और भी बदतर हो सकते हैं. इन्हें बायोलॉजिकल साइकेट्री: ग्लोबल ओपन साइंस जर्नल में प्रकाशित किया गया है.
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, अमेरिका के अध्ययन के अनुसार, अकेले 2020 में वयस्कों में चिंता और अवसाद की रिपोर्ट में पिछले वर्षों की तुलना में 25 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है. इस संबंध में शोध पत्र के प्रथम लेखक, इयान गोटलिब ने कहा कि हम पहले से ही वैश्विक शोध से जानते हैं कि महामारी ने युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है, लेकिन हमें नहीं पता था कि क्या असर डाला है या महामारी ने उनके दिमाग को भौतिक रूप से कितना प्रभावित किया.
कोर्टेक्स में टिश्यू पतले हो जाते हैं:
गोटलिब ने कहा कि जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, मस्तिष्क की संरचना में परिवर्तन स्वाभाविक रूप से होते हैं. यौवन और शुरुआती किशोरावस्था के दौरान, बच्चों के शरीर, हिप्पोकैम्पस और एमिग्डाला (मस्तिष्क के क्षेत्र जो क्रमशः कुछ यादों तक पहुंच को नियंत्रित करते हैं और भावनाओं को व्यवस्थित करने में मदद करते हैं) दोनों में वृद्धि का अनुभव करते हैं. उसी समय, कोर्टेक्स में टिश्यू पतले हो जाते हैं. महामारी से पहले और उसके दौरान लिए गए 163 बच्चों के एक समूह के एमआरआई स्कैन की तुलना करके, गोटलिब के अध्ययन से पता चला कि लॉकडाउन के अनुभव के कारण किशोरों में विकास की यह प्रक्रिया तेज हो गई.
पारिवारिक शिथिलता या ऐसे ही कोई अन्य कारक हों:
उन्होंने कहा कि अब तक मस्तिष्क की आयु में इस प्रकार के त्वरित परिवर्तन केवल उन बच्चों में प्रकट हुए हैं जिन्होंने लंबे समय तक विपरीत हालात का सामना किया चाहे वह हिंसा, उपेक्षा, पारिवारिक शिथिलता या ऐसे ही कोई अन्य कारक हों. गोटलिब ने कहा कि इन अनुभवों को जीवन में बाद में खराब मानसिक स्वास्थ्य परिणामों से जोड़ा जाता है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि स्टैनफोर्ड टीम ने जो मस्तिष्क संरचना में बदलाव देखे हैं, वे मानसिक स्वास्थ्य में बदलाव से जुड़े हैं. उन्होंने कहा कि यह भी स्पष्ट नहीं है कि परिवर्तन स्थायी हैं. गोटलिब स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में स्टैनफोर्ड न्यूरोडेवलपमेंट, अफेक्ट और साइकोपैथोलॉजी (एसएनएपी) प्रयोगशाला के निदेशक भी हैं.
उनका दिमाग समय से पहले बूढ़ा हो रहा है:
उन्होंने कहा कि क्या उनकी कालानुक्रमिक आयु अंततः उनके 'मस्तिष्क की आयु' तक पहुंच जाएगी? यदि उनका मस्तिष्क स्थायी रूप से उनकी कालानुक्रमिक आयु से अधिक पुराना है, तो यह स्पष्ट नहीं है कि भविष्य में परिणाम क्या होंगे. 70 या 80 वर्षीय एक व्यक्ति के लिए, आप मस्तिष्क में परिवर्तन के आधार पर कुछ संज्ञानात्मक और स्मृति समस्याओं की अपेक्षा करेंगे, लेकिन 16 वर्षीय व्यक्ति के लिए इसका क्या अर्थ है यदि उनका दिमाग समय से पहले बूढ़ा हो रहा है? गोटलिब ने समझाया कि मूल रूप से उनका अध्ययन मस्तिष्क संरचना पर कोविड-19 के प्रभाव को देखने के लिए डिज़ाइन नहीं किया गया था.
महामारी से पहले 16 साल के बच्चों के दिमाग के समान:
महामारी से पहले, उनकी प्रयोगशाला स्वाभाविक और समय मूल्य ने यौवन के दौरान अवसाद पर एक दीर्घकालिक अध्ययन में भाग लेने के लिए सैन फ्रांसिस्को खाड़ी क्षेत्र के आसपास के बच्चों और किशोरों के एक समूह को भर्ती किया था - लेकिन जब महामारी आई, तो वह नियमित रूप से निर्धारित एमआरआई स्कैन नहीं कर सके. गोटलिब ने कहा कि यह तकनीक तभी काम करती है जब आप मानते हैं कि 16 साल के बच्चों का दिमाग कॉर्टिकल मोटाई और हिप्पोकैम्पस और एमिग्डाला वॉल्यूम के संबंध में महामारी से पहले 16 साल के बच्चों के दिमाग के समान है. उन्होंने बताया कि हमारे डेटा को देखने के बाद, हमने महसूस किया कि ऐसा नहीं हैं.
पीढ़ी के लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं:
महामारी से पहले मूल्यांकन किए गए किशोरों की तुलना में, महामारी खत्म होने के बाद मूल्यांकन किए गए किशोरों में न केवल अधिक गंभीर आंतरिक मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं थीं, बल्कि कॉर्टिकल मोटाई, बड़ा हिप्पोकैम्पस और एमिग्डाला भी कम हो गया था और दिमाग की उम्र भी बढ़ गई थी. अमेरिका के कनेक्टिकट विश्वविद्यालय के सह-लेखक जोनास मिलर ने कहा, इन निष्कर्षों के बाद के जीवन में किशोरों की एक पूरी पीढ़ी के लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं.
जोखिम व्यवहार की बढ़ी हुई दरों से जुड़ी हुई:
मिलर ने कहा कि किशोरावस्था पहले से ही मस्तिष्क में तेजी से बदलाव की अवधि है, और यह पहले से ही मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं, अवसाद और जोखिम व्यवहार की बढ़ी हुई दरों से जुड़ी हुयी है. अध्ययन में कहा गया है कि जिन बच्चों ने महामारी का अनुभव किया है, अगर उनके दिमाग में तेजी से विकास होता है, तो वैज्ञानिकों को इस पीढ़ी से जुड़े भविष्य के किसी भी शोध में विकास की असामान्य दर को ध्यान में रखना होगा. सोर्स-भाषा
स्वाभाविक और समय मूल्य
* शनि ग्रह अगले वर्ष 17 जनवरी 2023 को खुद की राशि कुंभ राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं. यह शनि की मूल त्रिकोण राशि होने के कारण शश योग बन रहा है. करीब 30 साल बाद ऐसी घटना घट रही है जिससे शश महापुरुष राजयोग का निर्माण हो रहा है. इस राजयोग के चलते 5 राशियों की किस्मत बदलने वाली है.
* मेष राशि : मेष राशि में इस समय राहु का गोचर है और अगले साल बृहस्पति का गोचर होगा. शनि मेष राशि के एकादश भाव में गोचर करेंगे. ऐसे में धन संपत्ति को लेकर आपकी किस्मत चमक जाएगी. इससे नौकरी, करियर और व्यापार में उन्नति मिलेगी. आय में वृद्धि होगी.
* वृषभ : शनि आपकी राशि के दशम भाव में गोचर करेंगे जिससे कार्यस्थल पर आपको प्रगति देखने को मिलेगी. शनि आपकी दशम और नवम भाव के स्वामी भी है. ऐसे में आपको भाग्य का साथ भी मिलेगा और सभी तरह के अटके कार्य पूर्ण भी होंगे. आपकी राशि के स्वामी शुक्र है जिसकी शनि से बनती है. ऐसे में आपको अच्छा लाभ मिलेगा.
* कन्या राशि : शनि आपकी राशि के छठे भाव में गोचर करेगा तब आपको शश योग का लाभ मिलेगा. इसे आपके सभी शत्रु परास्त होंगे. रोग से भी छुटकारा मिलेगा. आप में साहस और पराक्रम बढ़ेगे. सभी कार्यों से बाधाएं हटेंगी. कानूनी मामलों में विजय होंगे. नौकरी या व्यापार में भी सफलता मिलेगी.
* मकर : शनि आपकी राशि के दूसरे भाव में गोचर करेंगे. ऐसे में शश योग के कारण आपके खर्चों पर लगाम लगेगी. धन की आवक बढ़ेगी. आमदनी अर्जित करने में आप सफल होंगे. बचत भी होगी. पारिवारिक जीवन में आपने मधुरता और सामंजस्यता बढ़ा ली तो किस्मत का भरपूर साथ मिलेगा. शनि के मंदिर कार्य न करें.
* कुंभ राशि : आपकी राशि के लग्न भाव में शनि का गोचर होगा जो आपके स्वभाव के साथ ही आपकी किस्मत भी बदल देगा. आपको पूराने रोग से मुक्ति मिलेगी. पैतृक संपत्ति का निपटारा होगा. जीवनसाथी का साथ मिलेगा. साझेदारी के व्यापार में लाभ होगा.
* उल्लेखनीय है कि 17 जनवरी 2023 से धनु को शनि की साढ़ेसाती से मुक्ति मिलेगी. कुंभ और मकर को साढ़ेसाती से राहत मिलेगी.
मीन पर साढ़ेसाती लगेगी. मिथुन और तुला को ढैया से मुक्ति मिलेगी. कर्क और वृश्चिक पर शनि की ढैया शुरू होगी.
Astro nirmal
Parliament Winter Session: ‘अमृत काल’ में विश्व के भविष्य की दिशा तय करने में भारत की अहम भूमिका: पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि देश की आजादी के ‘अमृत काल’ का समय ना सिर्फ नए विकसित भारत के निर्माण का कालखंड होगा बल्कि इस दौरान यह राष्ट्र विश्व के भविष्य की दिशा तय करने पर भी बहुत अहम भूमिका निभाएगा।
संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्यसभा के सभापति के रूप में उच्च सदन के संचालन की जिम्मेदारी संभालने पर प्रधानमंत्री ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को शुभकामनाएं दी और कहा कि वह ऐसे समय में यह जिम्मेदारी संभाल रहे हैं जब देश दो महत्वपूर्ण अवसरों का साक्षी बना है।
उन्होंने कहा, ‘‘अभी कुछ ही दिन पहले दुनिया ने भारत को जी-20 समूह की मेजबानी का दायित्व सौंपा है। साथ ही, ये समय अमृतकाल के आरंभ का समय है। ये अमृतकाल एक नए विकसित भारत के स्वाभाविक और समय मूल्य निर्माण का कालखंड तो होगा ही, साथ ही भारत इस दौरान विश्व के भविष्य की दिशा तय करने पर भी बहुत अहम भूमिका निभाएगा।’’
उन्होंने कहा कि इस यात्रा में भारतीय लोकतंत्र, संसद और संसदीय व्यवस्थाओं की भी एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री ने भारत की आजादी के 75 वर्ष से 100 वर्ष के सफर को ‘‘अमृत काल’’ का नाम दिया है। धनखड की किसान पृष्ठभूमि और सैनिक स्कूल से आरंभिक शिक्षा का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सदन का सौभाग्य है कि उनके जीवन में जवान और किसान, दोनों समाहित है तथा उनके जैसा ‘‘जमीन से जुड़ा नेतृत्व’’ उच्च सदन को मिला है।
देश का उप राष्ट्रपति बनने के बाद धनखड़ ने संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन बुधवार को पहली बार राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन किया। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं। इस अवसर पर धनखड़ का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री ने विश्वास जताया कि उनके मार्गदर्शन में राज्यसभा अपनी विरासत को न केवल आगे बढ़ाएगी बल्कि उसे नयी ऊंचाई भी देगी। उन्होंने कहा, ‘‘इस कालखंड में देश अपने दायित्व को समझ रहा है। मुझे खुशी है कि इस महत्वपूर्ण कालखंड में उच्च सदन को आपके जैसा सक्षम और प्रभावी नेतृत्व मिला है।
आपके मार्गदर्शन में सभी सदस्य अपने कर्तव्यों का प्रभावी पालन करेंगे। यह सदन देश के संकल्पों को पूरा करने का प्रभावी मंच बनेगा।’’ प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति के रूप में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की वंचित समाज की पृष्ठभूमि और वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की जनजातीय पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुए कहा कि धनखड़ किसान के बेटे हैं और आज वह उच्च सदन में देश के गांव, गरीब और किसान की ऊर्जा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि धनखड़ का जीवन इस बात का प्रमाण है कि सफलता साधनों से ही नहीं बल्कि साधना से मिलती है।
उन्होंने कहा, ‘‘गांव, गरीब, किसान के लिए आपने जो किया वह सामाजिक जीवन में रहे हर व्यक्ति के लिए एक उदाहरण है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘किठाणा के लाल की उपलब्धियां देख आज देश की खुशी का ठिकाना नहीं है।’’ प्रधानमंत्री ने अधिवक्ता के रूप में धनखड़ की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए उन्हें विश्वास दिलाया कि राज्यसभा में उन्हें अदालत की कमी महसूस नहीं होगी क्योंकि इस सदन में बड़ी संख्या में ऐसे सदस्य है जो इस पेशे से जुड़े हुए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इस सदन में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो आप को उच्चतम न्यायालय में मिलते थे। वह मूड और मिजाज भी आपको अदालत की याद दिलाता रहेगा।’’ उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक निर्णयों को और भी परिष्कृत तरीके से आगे बढ़ाने की राज्यसभा की जिम्मेदारी है, इसलिए ‘‘आपके जैसा जमीन से जुड़ा नेतृत्व सदन को मिला है तो यह सदन के लिए सौभाग्य है’’। राज्यसभा को देश की महान लोकतांत्रिक विरासत का महत्वपूर्ण संवाहक करार देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस सदन ने कई प्रधानमंत्री और उत्कृष्ट नेता भी दिए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए इस गरिमा को बनाए रखने के लिए एक मजबूत स्वाभाविक और समय मूल्य जिम्मेदारी हम सभी के ऊपर है। मुझे विश्वास है आपके मार्गदर्शन में यह विरासत और गरिमा आगे बढ़ेगी तथा लोकतांत्रिक विमर्श को और अधिक ताकत दी जाएगी।’’
प्रधानमंत्री ने राज्यसभा के पूर्व सभापति व उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू के कार्यकाल का उल्लेख करते हुए कहा कि उनके शब्दों का चयन व तुकबंदी सदन को हमेशा प्रसन्न रखते थे। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है आपका जो हाजिर जवाबी का स्वभाव है, वह इस कमी को कभी खिलने नहीं देगा। आप वह लाभ भी सदन को देते रहेंगे।’’ प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर सशस्त्र सेना झंडा दिवस पर सशस्त्र बलों को बधाई भी दी।
इससे पहले, संसद भवन परिसर पहुंचने पर राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी, संसदीय कार्य राज्य मंत्रियों अर्जुन राम मेघवाल और वी मुरलीधरन ने धनखड़ का स्वागत किया। धनखड़ ने राष्ट्रपति महात्मा गांधी और संविधान निर्माता बाबा साहेब आंबेडकर की प्रतिमाओं पर पुष्पांजलि अर्पित की।
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