अब उदाहरण के जरिए इसको समझते हैं. मान लीजिए एक ही सेक्टर की दो कंपनियां एक्स और वाई हैं और इनमें से निवेश के लिए किस कंपनी को चुनें इसके लिए आप पेग रेश्यो निकालना चाहते हैं. एक्स का पीई 15 और वाई का 18 है. यहां पर पीई रेश्यो के आधार पर एक्स की वैल्यूएशन वाई के मुकाबले ज्यादा आकर्षक लग रही है क्यों कि ये वाई के पीई के मुकाबले कम है. अब पेग रेश्यो देखते हैं. तो एक्स का अर्निंग ग्रोथ रेट 12 का है और वाई का 19 है.
Stock Market Tips: निवेश से पहले इन ‘Ratio’ के बारे में जानना जरूरी, सही शेयर चुनने में मिलेगी मदद
कुछ खास रेशियो के जरिए स्टॉक चुनने में मदद मिल सकती है. (Image- Pixabay)
Stock Market Tips: स्टॉक मार्केट में जब आप सीधे निवेश करते हैं तो सबसे पहला काम होता है, बेहतर स्टॉक को चुनना. स्टॉक चुनते समय बहुत सावधानियां बरतनी होती हैं ताकि आपको शानदार मुनाफा हासिल हो सके. कभी-कभी आपने खबरों में पढ़ा होगा कि इस कंपनी का शेयर महंगा है तो इसे लेना सही नहीं है. ऐसे में आपके मन में जरूर सवाल उठता होगा कि कोई शेयर सस्ता है या महंगा, इसका पता कैसे चलता है कि किसी स्टॉक का भाव सही या नही. इसका कैलकुलेशन खास फाइनेंशियल रेश्यो से पता चलता है. इसके अलावा शेयर बाजार में पीई क्या है? शेयर बाजार में पीई क्या है? इन रेशियो से कंपनी की सेहत का भी अंदाजा लगता है. आइए इन कुछ खास रेशियो के बारे में जानते हैं जिनसे स्टॉक चुनने में मदद मिल सकती है.
Price to Earnings (P/E) Ratio
प्राइस टू अर्निंग्स रेशियो किसी कंपनी के मौजूदा शेयर भाव और प्रति शेयर आय (EPS) का अनुपात है. इससे किसी कंपनी के शेयर भाव के ओवरवैल्यूड या अंडरवैल्यूड का पता चलता है. इसे मल्टीपल शेयर बाजार में पीई क्या है? जैसे कि 15x, 20x, 23x के रूप में लिखते हैं और इसके जरिए एक ही इंडस्ट्री की दो कंपनियों के बीच में तुलना की जा सकती है तो एक ही कंपनी के ऐतिहासिक रिकॉर्ड को परखा जा सकता है. इसके अधिक होने का मतलब है कि भविष्य में ग्रोथ को लेकर अधिक उम्मीदें हैं या यह ओवरवैल्यूड है, वहीं दूसरी तरफ इसके कम होने का मतलब है कि कंपनी की ग्रोथ को लेकर अधिक उम्मीदें नहीं है या यह आउटपरफॉर्म कर सकती है यानी कि अंडरवैल्यूड है.
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Return on Equity (R/E) Ratio
यह किसी कंपनी की वित्तीय सेहत को मापने का एक पैमाना है जिसे नेट इनकम को कुल इक्विटी से डिवाइड करके निकालते हैं. इससे किसी कंपनी के शेयरों में निवेश पर रिटर्न का पता चलता है यानी कि यह निवेशकों को एक आइडिया देता है कि इसमें निवेश पर पूंजी कितनी बढ़ सकती है. यह कंपनी की प्रॉफिबिलिटी का मानक है कि कंपनी कितने बेहतर तरीके से प्रॉफिट जेनेरेट कर रही है.
इसका इस्तेमाल किसी कंपनी की बाजार पूंजी को इसके बुक वैल्यू से तुलना करने के लिए की जाती है. इसका मान कंपनी के मौजूदा शेयर भाव को प्रति शेयर के बुक वैल्यू से डिवाइड करके निकाला जाता है. बुक वैल्यू का मतलब बैलेंस शीट में दर्ज वैल्यू है. इसका इस्तेमाल आमतौर पर लांग टर्म निवेशकों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है. इसकी वैल्यू एक से कम होने पर एक से कम होने को बेहतर माना जाता है लेकिन वैल्यू इंवेस्टर्स 3 तक भी बेहतर मानते हैं. यह रेशियो कम होने का मतलब शेयर डिस्काउंट पर है.
PE रेशियो क्या होता है? (PE Ratio meaning in Hindi) :
PE रेशियो एक अनुपात है जो की किसी भी कंपनी के 1 शेयर का दाम और उस शेयर पर कंपनी की कमाई मतलब की EPS की तुलना करता है। इसका उपयोग किसी भी कंपनी मे निवेश करने से पहले किया जाता है। अगर कोई कंपनी हर शेयर पर 10 रुपए कमा रही है और उसके उस 1 शेयर का price 100 रुपए है, तो उस कंपनी का PE Ratio क्या होगा?
उस कंपनी का PE Ratio होगा 10. नहीं समजे कैसे ? कोई बात नहीं नीचे हमने इसका फॉर्मूला उदाहरण के साथ दिया है, उस पर से आप जरूर समज जाएंगे।
PE Ratio का फॉर्मूला क्या है? (PE Ratio Formula in Hindi) :
जहा पर Market Price of a Share का मतलब है, कंपनी के एक शेयर का शेयर बाजार में दाम और Earning Per Share का मतलब है, उस प्रत्येक शेयर पर कंपनी की कमाई।
इसके आलावा PE ratio का एक और Formula भी है, वह है,
PE ratio का उपयोग किस लिए और कैसे किया जाता है ?
जब भी हम किसी कंपनी की क़ीमत का मूल्यांकन करना चाहते है, तो सबसे पहले जिस अनुपात या ratio के बारे में पता लगाना चाहिए वह है, PE ratio. यह ratio से हमें पता चलता है, की हम 1 रुपए की कमाई के लिए कितने रुपए दे रहे है।
PE Ratio को उदाहरण से समजे:
जैसे अगर किसी कंपनी का PE 15x है, तो हम ऐसा समझ सकते है, की हम हर साल 1 रुपए की कमाई वाले शेयर के लिए 15 रुपए दे रहे है।
यानी हम उस शेयर से 15 साल में 15 रुपए कमा लेंगे और तब हमें हमारे निवेश पर 100 % का रिटर्न मिलेगा।
दुनिया के सबसे सफल निवेशक Warren Buffett का कहना है, की अगर किसी शेयर का PE ratio 15 से ज्यादा है, तो उसे महंगा कह सकते है और अगर उसका PE ratio 15 से कम है, तो उसे सस्ता कह सकते है।
52 वीक के हाई पर पहुंचा YES Bank का शेयर, बंपर उछाल के पीछे क्या है वजह?
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 10 दिसंबर 2022,
- (अपडेटेड 10 दिसंबर 2022, 12:59 PM IST)
प्राइवेट सेक्टर (Private Sector) के बैंक यस बैंक के शेयरों (Yes Bank Stock) में शुक्रवार को जोरदार तेजी नजर आई. ये स्टॉक बीते दिन अपने 52 वीक के हाई लेवल (52 Week High) पर पहुंच गया. यस बैंक के शेयरों में 15 फीसदी से अधिक की उछाल दर्ज की गई और इसने 20.50 रुपये का इंट्राडे हाई बनाया, जो इसका अब 52 वीक का हाई लेवल भी हो गया है. शुक्रवार को यस बैंक का स्टॉक 17.70 रुपये पर ओपन हुआ और 20.50 रुपये पर पहुंचा. लेकिन अपने इंट्राडे हाई से ये टूटकर 19.85 रुपये पर क्लोज हुआ.
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बिजनेस टुडे में छपी खबर के अनुसार, IDBI Capital के कैपिटल के प्रमुख एके प्रभाकर ने कहा- 'पब्लिक सेक्टर के बैंकों के स्टॉक में आई तेजी का असर यस बैंक के शेयरों पर भी हो सकता है. इसके अलावा स्टॉक में तेजी की एक वजह दो पीई फंडों की डील भी हो सकती है.'
बैंक के अनुसार, निजी इक्विटी की बड़ी कंपनियों कार्लाइल और एडवेंट को यस बैंक में 9.99 प्रतिशत तक के शेयर के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मंजूरी मिल गई है. इस साल जुलाई में दो पीई फंडों ने यस बैंक में 8,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश की इच्छा जाहिर की थी. ये नियामक के मंजूरी के अधीन था. 5 प्रतिशत से अधिक के मालिकाना हक के लिए नियामक की मंजूरी की आवश्यकता होती है.
क्या यस बैंक के शेयर खरीदने चाहिए?
Tips2trades की पवित्रा शेट्टी ने कहा- 'निफ्टी बैंक में मजबूत तेजी के कारण यस बैंक सहित अधिकांश बैंकिंग शेयरों में तेज उछाल देखने को मिला. यस बैंक के शेयर 19.8 रुपये पर पहुंचे हैं. इस वक्त निवेशकों को मौजूदा स्तर पर मुनाफा बुक करना चाहिए. अगर खरीदारी करनी है, तो 21-21.8 रुपये के टार्गेट प्राइस के लिए 15.8-16 रुपये के आसपास की गिरावट का इंतजार करना चाहिए.'
क्या होता है PEG Ratio? किसी कंपनी में निवेश करें या नहीं, ऐसे पा सकते हैं जानकारी
आइए जानते हैं कि प्राइस अर्निंग टू ग्रोथ रेश्यो यानि पेग रेश्यो क्या होता है और इसकी मदद से आप कैसे निवेश के लिए मजबूत फंडामेंटल वाली बढ़िया कंपनी निवेश के लिए चुन सकते हैं. दरअसल पेग रेश्यो के जरिए हम इस बात का अंदाजा लगाते हैं कि निवेश के लिए कंपनी का भाव ओवर वैल्युड है, अंडर वैल्युड है या फेयरली वैल्युड है. फेयरली वैल्युड मतलब वैल्युएशन के लिहाज से शेयर निवेश के लिए ठीक है. अंडर वैल्युड का मतलब ये है कि शेयर की वैल्युएशन सस्ती है और इसमें अभी तेजी आने की काफी संभावना है. ओवरवैल्युड मतलब मौजूदा भाव पर शेयर महंगा है और आगे इसमें गिरावट देखने को मिल सकती है.
कितने पेग रेश्यो पर कंपनी में निवेश सही
अब जरा ये भी जान लेते हैं कि कितने पेग रेश्यो पर कंपनी में निवेश करना सही माना जाता है. अगर किसी कंपनी का पेग रेश्यो 1 है तो उसे फेयरली वैल्युड कहा जाता है. अगर पेग रेश्यो 1 से कम है तो इसे अंडरवैल्युड कहते हैं. अगर पेग रेश्यो 1 से ज्यादा रहता है तो ऐसे शेयर को ओवरवैल्युड शेयर कहते हैं. अब ये भी जान लेते हैं कि आखिर पेग रेश्यो को कैलकुलेट कैसे करते हैं. तो इसका तरीका भी बेहद आसान है. इसके लिए पहले कंपनी की पीई निकालते हैं. इसके लिए कंपनी के मौजूदा शेयर भाव को कंपनी की प्रति शेयर आय यानि ईपीएस से भाग देकर निकालते हैं.
PE= Current Market Price/EPS
अब कंपनी की पीई को कंपनी की अर्निंग ग्रोथ रेट से डिवाइड करने पर जो आंकड़ा आएगा उसे पेग रेश्यो कहते हैं. सटीक पेग रेश्यो निकालने के लिए अर्निंग ग्रोथ रेट के कम से कम 5 साल या उससे ज्यादा के आंकड़े लेने चाहिए. इससे इस बात का सही अंदाजा लग सके कि आने वाले समय में कंपनी का शेयर कैसा प्रदर्शन कर सकता है.
Good P/E Ratio: पीई रेशियो क्या होता है, शेयर मार्केट में क्यों जरूरी है पीई रेशियो?
By इंडिया रिव्यूज डेस्क On Sep 13, 2021 3,527 0
Share Market में पैसा निवेश करना एक रिस्क वाला काम है. इस बात को हम सभी जानते हैं. लेकिन हम सभी ये भी जानते हैं कि काफी सारे लोग शेयर मार्केट से करोड़ों रुपये कमा चुके हैं. इसी के चलते लोग शेयर मार्केट में निवेश करने की चाह रखते हैं. कई समझदार लोगों के मुंह से आपने p/e ratio के बारे में भी सुना होगा. उन्होने कहा होगा कि किसी भी शेयर को खरीदने से पहले उसका p/e ratio देखो.शेयर बाजार में पीई क्या है?
अगर अभी तक आप p/e ratio के बारे में नहीं जानते हैं और शेयर मार्केट में निवेश करने वाले हैं तो आपको p/e ratio क्या है? इस बारे में जरूर जानना चाहिए.
पीई रेशियो क्या है? | What is P/E Ratio?
पीई रेशियो एक ऐसा अनुपात होता है जिसका इस्तेमाल शेयर से आय का अनुपात निकालने के लिए किया जाता है. कोई शेयर सस्ता है या महंगा ये बात पीई रेशियो के जरिये ही पता लगाई जाती है. शेयर से होने वाली आय को शेयर बाजार की डिक्शनरी में ईपीएस यानि Earning Per Share कहा जाता है. पीई रेशियो को निकालने के लिए शेयर की कीमत को एक शेयर से की हुई कमाई से भाग दिया जाता है.
जैसे किसी शेयर की कीमत 100 रुपये है. उस शेयर से 10 रुपये की कमाई हुई. उस शेयर का पीई रेशियो 100/10=10 होगा. इस तरह पीई रेशियो 10 हुआ. हम किसी भी शेयर की कीमत और उसकी आय का पता करके पीई रेशिओ के बारे में पता कर सकते हैं.
P/E Ratio के प्रकार | Types of P/E Ratio
पीई शेयर बाजार में पीई क्या है? रेशियो दो तरह के होते हैं. 1) ट्रेलिंग 2) फॉरवर्ड प्राइस टू अर्निंग
1) ट्रेलिंग पीई रेशियो | Trailing P/E Ratio
ट्रेलिंग पीई रेशिओ का संबंध कंपनी के पिछले कुछ सालों के प्रदर्शन पर आधारित होता है. इसमें पिछले वर्ष के कुल ईपीएस आय द्वारा हाल के स्टॉक मूल्य को विभाजित करके ट्रेलिंग मूल्य निकाला जाता है. इसे सबसे विश्वसनीय और फेमस पीई मेट्रिक माना जाता है क्योंकि ये कंपनी के मुनाफे के रियल डाटा को यूज करता है. अधिकतर निवेशक इसी तरीके का इस्तेमाल करके पीई रेशियो का पता लगाते हैं और निवेश करते हैं. लेकिन निवेशकों को ये याद रखना चाहिए कि कंपनी के पिछले कुछ सालों का प्रदर्शन उसके भविष्य की गारंटी नहीं है.
2) फॉरवर्ड प्राइस टू अर्निंग | Forward Price to Earning
पीई रेशिओ निकालने का दूसरा सबसे फेमस तरीका फॉरवर्ड प्राइस टू अर्निंग है. ये ट्रेलिंग पीई रेशिओ के विपरीत होता है. इसमें पीई रेशिओ निकालने के लिए भविष्य की शेयर बाजार में पीई क्या है? आय का इस्तेमाल किया जात आ है जो अनुमानित होती हैं. इसे कमाई की अनुमानित लागत के रूप में भी जाना जाता है.
अच्छा पीई रेशियो कितना होता है? | What is good p/e ratio
पीई रेशियो के बारे में जानने के बाद आपके दिमाग में एक सवाल ये भी आ रहा होगा कि एक अच्छा पीई रेशियो कितना होता है. तो इसका जवाब ये है कि पीई रेशियो जितना कम होगा उतना अच्छा है. बहुत ज्यादा पीई रेशियो होना किसी भी शेयर के लिए अच्छी बात नहीं है. मार्केट के हिसाब से देखा जाए तो 20 से 25 पीई रेशियो अच्छा माना जाता है.
किसी शेयर को खरीदने के बाद कंपनी घाटे में जाती है या मुनाफे में. इस बात के बारे में कहा नहीं जा सकता. इसके बारे में बस अनुमान लगाया जा शेयर बाजार में पीई क्या है? सकता है. यदि आप निवेश कर रहे हैं तो खुद बहुत सोच-समझकर, बहुत रिसर्च करने के बाद ही किसी शेयर में निवेश करें.
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