Cryptocurrency की आड़ में करोड़ों की ठगी, भारतीय निवेशकों को लगा 1,000 करोड़ का चूना
धोखेबाज पहले नकली डोमेन बनाते हैं जो वैध क्रिप्टो ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का कॉपी होता है। इसी के जरिये वो फर्जीवाड़ा को अंजाम देते हैं।
Edited by: Alok Kumar @alocksone
Published on: June 21, 2022 15:37 IST
Photo:FILE
Highlights
- क्रिप्टो में निवेश कर रहे हैं तो हो जाएं सावधान, लगातार बढ़ रहे हैं धोखाधड़ी के मामले क्या कॉपी ट्रेडिंग अवैध है
- मोदी कमाई का लालच देकर क्रिप्टो निवेशकों से ठगा जा रहा पैसा
- सोशल मीडिया पर फेक प्रोफाइल बनाकर निवेशकों से किया जा रहा संपर्क
Cryptocurrency में निवेश का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है। हालांकि, अब इसी की आड़ में निवेशकों के साथ धोखाधड़ी भी की जा रही है। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नकली क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों से भारतीय निवेशकों को 128 मिलियन डॉलर (लगभग 1,000 करोड़ रुपये) से अधिक का नुकसान हुआ है। साइबर-सुरक्षा कंपनी क्लाउड एसईके ने कहा कि उसने कई फिशिंग डोमेन और एंड्रॉइड-आधारित नकली क्रिप्टो एप्लिकेशन से जुड़े ऑपरेशन का खुलासा किया है।
नकली डोमेन बनाकर धोखाधड़ी को अंजाम
क्लाउडएसईके को एक पीड़ित ने संपर्क किया था, जिसने इस तरह के एक क्रिप्टोकरेंसी घोटाले में कथित तौर पर साथ ही जमा राशि, कर इत्यादि जैसी अन्य लागतों के अलावा 50 लाख रुपये (64,000 डॉलर) खो दिए थे। क्लाउडएसईके के संस्थापक और सीईओ राहुल ससी ने कहा, हमारा अनुमान है कि धोखेबाज इस तरह के क्रिप्टो घोटालों के माध्यम से पीड़ितों को 128 मिलियन डॉलर (लगभग 1,क्या कॉपी ट्रेडिंग अवैध है 000 करोड़ रुपये) तक का चूना लगाया है। ससी ने कहा, जैसे ही निवेशक क्रिप्टोकरेंसी बाजारों पर अपना ध्यान केंद्रित करते हैं, स्कैमर और धोखेबाज भी उनका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं। धोखेबाज पहले नकली डोमेन बनाते हैं जो वैध क्रिप्टो ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का कॉपी होता है। इसी के जरिये वो फर्जीवाड़ा को अंजाम देते हैं।
सोशल मीडिया का भी सहारा
धोखेबाज निवेशकों से संपर्क करने और दोस्ती स्थापित करने के लिए सोशल मीडिया पर एक महिला प्रोफाइल बनाते हैं। इस तरह का प्रोफाइल एक विशेष क्रिप्टो एक्सचेंज को उपहार के रूप में 100 डॉलर का क्रेडिट भी साझा करता है, जो इस मामले में एक वैध क्रिप्टो एक्सचेंज का डुप्लिकेट है। नकली एक्सचेंज निवेशकों को शुरुआत में मुनाफा देता है, जिससे उनका विश्वास बढ़ता है। मुनाफा कमाने के बाद, स्कैमर उन्हें बेहतर रिटर्न का वादा करते हुए अधिक राशि का निवेश करने के लिए मना लेता है। एक बार जब निवेशक नकली एक्सचेंज में अपना पैसा जोड़ता है, तो उसके खाते को फ्रीज कर दिया है। इस तरह निवेशक का पैसा हजम कर दिया जाता है।
भारतीय क्रिप्टो निवेशकों को क्रिप्टो स्कैम से लगा है 1,000 करोड़ का चूना, जानें कैसे?
प्लेटफॉर्म के फाउंडर और सीईओ राहुल सासी (Rahul Sasi) का कहना है कि कंपनी का अनुमान है कि इस तरह के क्रिप्टो स्कैम में भारतीय पीड़ितों को $128 मिलियन (लगभग 1,000 करोड़ रुपये) तक का चूना लगाया है."
इनमें से कई फर्जी वेबसाइटें" CoinEgg, एक वैध यूके-आधारित क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की कॉपी हैं
खास बातें
- फिशिंग डोमेन और Android-आधारित नकली क्रिप्टो ऐप्स के जरिए होते हैं स्कैम
- सोशल मीडिया पर नकली प्रोफाइल बना कर पीढ़ितों को किया जाता है हनी ट्रैप
- वैध क्रिप्टो एक्सचेंज के समान बनाया जाता है नकली वेबसाइट का डिजाइन
क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े स्कैम तेजी से बढ़ रहे हैं. आए दिन दुनिया के किसी न किसी कोने से क्रिप्टो संबंधित धोखाधड़ी के मामले रिपोर्ट किए जाते हैं. लेटेस्ट मीडिया रिपोर्ट का दावा है कि क्रिप्टो स्कैम में भारतीय क्रिप्टो निवेशकों ने 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा गवाए हैं. ये ठगी नकली ग्लोबल क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज्स द्वारा की गई हैं. एक साइबर सुरक्षा कंपनी ने फिशिंग डोमेन और Android-आधारित नकली क्रिप्टो ऐप्स के बारे में पता लगाया है, जो क्रिप्टो निवेशकों को ठगने का काम कर रहे हैं.
Business Standards के अनुसार, साइबर सिक्योरिटी प्लेटफॉर्म CloudSEK का कहना है कि उसने कई फिशिंग डोमेन और Android-आधारित नकली क्रिप्टो एप्लिकेशन से जुड़े एक चल रहे ऑपरेशन का खुलासा किया है. कंपनी ने अपने बयान में कहा, (अनुवादित) "बड़े पैमाने पर चल रहा यह अभियान व्यक्तियों को एक बड़े घोटाले की ओर आकर्षित करता है. इनमें से कई फर्जी वेबसाइटें" CoinEgg, एक वैध यूके-आधारित क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की कॉपी हैं."
CloudSEK ने आगे बताया कि प्लेटफॉर्म को एक पीड़ित ने संपर्क किया, जिसने इस तरह के एक क्रिप्टोकरेंसी घोटाले में कथित तौर पर 50 लाख रुपये ($64,000) खो दिए थे, जिसमें डिपोजिट अमाउंट, टैक्स इत्यादि जैसी अन्य लागत शामिल नहीं हैं.
प्लेटफॉर्म के फाउंडर और सीईओ राहुल सासी (Rahul Sasi) का कहना है कि कंपनी का अनुमान है कि इस तरह के क्रिप्टो स्कैम में भारतीय पीड़ितों को $128 मिलियन (लगभग 1,000 करोड़ रुपये) तक का चूना लगाया है."
सासी आगे बताते हैं कि ये स्कैमर्स पहले नकली डोमेन बनाते हैं, जो वैध क्रिप्टो ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की कॉपी होते हैं, और पूरी तरह से वैध और असली प्रतीत होते हैं. इन साइट्स को आधिकारिक वेबसाइट के डैशबोर्ड और यूजर इंटरफेस के समान डिज़ाइन किया जाता है. इसके बाद, स्कैमर्स संभावित पीड़ित से संपर्क करने और दोस्ती स्थापित करने के लिए सोशल मीडिया पर एक महिला प्रोफाइल बनाते हैं. ये प्रोफाइल पीढ़ित को क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने और ट्रेडिंग करने के लिए प्रेरित करते हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, ये नकली प्रोफाइल उनके द्वारा बनाए गए नकली एक्सचेंज के जरिए निवेश या ट्रेडिंग करने के लिए पीढ़ित को $100 डॉलर का क्रेडिट देते हैं. शुरुआत में तो पीढ़ित मुनाफा बनाता है, जिससे उसे एक्सचेंज के जरिए और ज्यादा पैसे निवेश करने की प्रोत्साहन मिलता है. बेहतर मुनाफे का लालच देते हुए नकली प्रोफाइल पीढ़ित को और पैसा लगाने का सुझाव देते हैं.
जैसे ही पीढ़ित उन नकली एक्सचेंज पर पैसा लगाता है, स्कैमर्स उसके अकाउंट को फ्रीज कर देते हैं, जिससे पीढ़ित जमा किए गए पैसों को वापस न निकाल सके.
स्कैम यहीं नहीं रुकता है. रिपोर्ट आगे बताती है कि पीढ़ित द्वारा अकाउंट को वापस हासिल करने की रिक्वेस्ट किए जाने के बाद, नकली एक्सचेंज पीढ़ित से आईडी कार्ड, बैंक डिटेल इत्यादि निजी जानकारियां मांगते हैं, जिससे वे अन्य स्कैम्स को भी अंजाम दे सके.
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क्रिप्टो में सामने आया इनसाइडर ट्रेडिंग का पहला मामला, जानिए आरोपियों ने कैसे बनाए करोड़ों
अमेरिका की एक अदालत ने इस मामले में एक भारतीय नागरिक को दोषी करार दिया है. इस आरोप में अधिकतम 20 साल की जेल की सजा का प्रावधान है.
क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा पहला इंसाइडर ट्रेडिंग का पहला मामला. क्रिप्टो को लेकर जिस बात का डर था वैसा ही हुआ है. क्रिप्टो में इनसाइडर ट्रेडिंग हो रही थी. इस मामले में दुनिया में पहली बार किसी को क्रिप्टोकरेंसी में इनसाइडर ट्रेडिंग का दोषी पाया गया है. मामला जानने से पहले इनसाइडर ट्रेडिंग को समझना जरूरी है. अभी तक इनसाइडर ट्रेडिंग आपने शेयर मार्केट में ही सुनी होगी. इसलिए पहले इसे समझ लेते हैं. आम भाषा में समझें तो जब कोई व्यक्ति गैर कानूनी तरीके से शेयरों की खरीद बिक्री करके फायदा कमाता है तो इसे ही इनसाइडर ट्रेडिंग कहते हैं. इसे हिंदी में भेदिया कारोबार भी कहते हैं.
ऐसा खासकर किसी बड़ी कंपनी के मैनेजमेंट से जुड़ा हुआ व्यक्ति कंपनी के अंदर की अहम जानकारियों के आधार पर करता है. बता दें कि यह मामला दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंजों में से एक कॉइनबेस से जुड़ा है. इससे भी चौंकाने वाली बात ये है कि अमेरिका की एक अदालत ने इस मामले में एक भारतीय नागरिक को दोषी करार दिया है. इस आरोप में अधिकतम 20 साल की जेल की सजा का प्रावधान है.
आरोपियों पर 12 करोड़ रुपये का लाभ कमाने का आरोप
दरअसल, दोषी निखिल वाही कॉइनबेस के एक पूर्व प्रोडक्ट मैनेजर ईशान वाही का भाई है. निखिल ने ईशान और अपने दोस्त समीर रमानी के क्या कॉपी ट्रेडिंग अवैध है साथ मिलकर करीब 12 करोड़ रुपये से ज्यादा का अवैध लाभ कमाया था. निखिल को सजा दिसंबर में सुनाई जाएगी. वहीं ईशान वाही ने अभी तक अपना दोष स्वीकार नहीं किया है, जबकि समीर रमानी फरार है. जुलाई में गिरफ्तार किए गए निखिल वाही ने कोर्ट में अपना अपराध कबूल कर लिया है. इशान वाही ने अपने भाई और एक अन्य दोस्त समीर रमानी को उन डिजिटल एसेट्स के बारे में बताया था जो कॉइनबेस पर ट्रेड के लिए आने वाली थीं. 26 वर्षीय निखिल ने मैनहॉटन की अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में वर्चुअल सुनवाई के दौरान स्वीकार किया कि उन्होंने कॉइनबेस की गोपनीय जानकारियों के आधार पर क्रिप्टो में ट्रेडिंग की थी.
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जून 2021 से अप्रैल 2022 के बीच का है मामला
Prosecutors का कहना था कि ईशान ने अपने भाई और उनके दोस्त समीर रमानी के साथ यह गोपनीय जानकारी शेयर की थी कि कॉइनबेस आने वाले दिनों में किन क्रिप्टोकरेंसी या डिजिटल एसेट्स को अपने प्लेटफॉर्म पर शामिल करेगा. अब ये जान लेते हैं कैसे इस साजिश को रचा गया. निखिल और समीर रमानी ने ईशान से मिली जानकारियों के आधार पर एथेरियम ब्लॉकचेन वॉलेट का इस्तेमाल कर कॉइनबेस प्लेटफॉर्म पर जल्द आने वाली क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल एसेट्स को खरीदा. प्लेटफॉर्म पर आने के बाद इनकी कीमतों में तेजी आने पर बेच दिया. कॉइनबेस के आधिकारिक ऐलान से पहले इन्होंने जून 2021 और अप्रैल 2022 के बीच कम से कम 14 बार ऐसी ट्रेडिंग की. इन दोनों गोपनीय जानकारियों की मदद से 15 लाख डॉलर का लाभ कमाया. इस मामले में आरोपियों ने कम से कम 25 अलग-अलग क्रिप्टो एसेट में अवैध व्यापार किया और लाखों डॉलर का अवैध लाभ कमाया. ईशान वाही पर वायर फ्रॉड की साजिश व वायर फ्रॉड के दो मामले दर्ज हैं.
ईडी ने अवैध कारोबार मामले में ऑक्टाफेक्स के 21.14 करोड़ रुपये किए जब्त
नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) (Enforcement क्या कॉपी ट्रेडिंग अवैध है Directorate (ED)) ने वेबसाइट (website) के माध्यम से अवैध ऑनलाइन विदेशी मुद्रा व्यापार (Illegal online forex trading) के मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए ऑक्टाफेक्स (octafax) और उससे जुड़े संस्थाओं के 21.14 करोड़ रुपये जब्त कर लिए हैं। वहीं, दूसरी ओर चीन से नियंत्रित नौ कंपनियों के खातों में पड़ी 9.82 करोड़ रुपये की राशि जब्त कर ली है।
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प्रवर्तन निदेशालय ने गुरुवार को जारी एक बयान में बताया कि अवैध ऑनलाइन विदेशी मुद्रा व्यापार मामले में ऑक्टाफेक्स (OctaFX) और संबंधित संस्थाओं के बैंक खातों में मौजूद 21.14 करोड़ रुपये की राशि को फ्रीज किया गया है। ईडी ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत यह कार्रवाई की है।
जांच एजेंसी ने चीन से नियंत्रित होने वाली नौ कंपनियों के खातों में पड़ी 9.82 करोड़ रुपये की राशि भी जब्त की है। एजेंसी ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जांच करते हुए चीन से नियंत्रित नौ संस्थानों के खातों में पड़ी यह राशि जब्त की है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने ‘एचपीजेड’ नामक ऐप-आधारित टोकन और इसी तरह के अन्य ऐप के दुरुपयोग से संबंधित मामले में यह कार्रवाई की है। (एजेंसी, हि.स.)
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