शेयर मार्केट का गणित [2021] | Share Market Maths in Hindi
दोस्तों क्या आप भी शेयर मार्किट के गणित को समझकर करोड़ों रूपये कमाना चाहते हैं अगर हाँ तो आप बिलकुल सही जगह पर आये हैं क्यूंकि इस पोस्ट में मैं आपको शेयर मार्किट के गणित को पूरी तरह समझाने वाला जैसे की शेयर मार्किट कैसे काम करता है? और कैसे आप इससे पैसे कमा सकते हैं – Share Market Maths in Hindi.
Table of Contents
शेयर मार्केट का गणित – Share Market Maths in Hindi
अगर एक बार आप शेयर मार्किट का गणित अच्छी तरह से समझ जाते हैं तो आप इसमें करोड़ों रूपये भी कमा सकते हैं तो चलिए शेयर मार्किट के गणित को आसान भाषा में समझते हैं.
शेयर बाजार की दुनिया आपके पैसे को बढ़ने के लिए निवेश के कई अवसर प्रदान करती है. यहाँ आप अपनी पसंद और सुविधा के अनुसार बाजार में व्यापार या सौदा कर सकते हैं.
कई ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म (जैसे मोबाइल ट्रेडिंग ऐप) हैं जो ऑनलाइन ट्रेडिंग को इतना आसान बनाते हैं. शेयर खरीदने और बेचने के लिए आपको ब्रोकर से मिलने की जरूरत नहीं है, क्योंकि ऑनलाइन ट्रेडिंग आपको दुनिया के किसी भी हिस्से से ऐसा करने की अनुमति देती है.
ऑनलाइन ट्रेडिंग के लिए आपके मोबाइल फोन और उपयोगी इंटरनेट की आवश्यकता होती है.
इसके अलावा, दो प्रकार के Trading हैं जिन्हें आप जारी रख सकते हैं. वे इंट्राडे ट्रेडिंग और डिलीवरी ट्रेडिंग हैं.
इंट्राडे ट्रेडिंग – इसे डे ट्रेडिंग भी कहा जाता है. शेयर बाजार बंद होने से पहले आप इस तरह के व्यापार में उसी दिन स्टॉक और अन्य वित्तीय साधनों को खरीद और बेच सकते हैं.
डिलिवरी ट्रेडिंग – यहां इस व्यापार में, आप लंबे समय तक स्टॉक के कब्जे को पार कर सकते हैं, जैसे सप्ताह, महीने और साल.
शेयर मार्किट कैसे काम करता है?
शेयर का अर्थ होता है हिस्सा, जब भी आप किसी भी कंपनी का एक शेयर खरीदते हैं तो इसका मतलब आप उस कंपनी शेयर मार्केट का गणित क्या है? में एक हिस्सेदार बन रहे हैं. सभी कंपनियों के एक शेयर की कीमत अलग अलग होती है.
चलिए शेयर मार्किट को एक उदाहरण से समझते हैं मान लो आपके पास एक चाय की दूकान है और आपके दुकान की कुल कीमत 1 लाख रुपये है लेकिन अब उसे और बड़ा करने के लिए आपके पास पर्याप्त पैसे नहीं हैं. इसलिए अब आप अपने 80 दोस्तों को 1000 रुपये के हिसाब से अपने दूकान का 80 शेयर बेच दिया है जिससे उन सभी की भी हिस्सेदारी आपके दूकान में हो गई है.
आपके वे सभी दोस्त आपके दुकान के शेयर होल्डर बन गए हैं अब जैसे आपके दूकान की तरक्की होगी वैसे ही एक शेयर की कीमत 1000 रुपये से और अधिक बढ़ेगी जिससे आपको भी और आपके इन्वेस्टर दोस्तों का भी फायदा होगा.
शेयर मार्केट का गणित
जब आप स्टॉक खरीदते हैं, तो उन्हें आगे की ट्रेडिंग के लिए आपके डीमैट खाते में भेज दिया जाता है. आप जब चाहें इन्हें बेच सकते हैं. इसी तरीके से शेयर मार्किट का गणित काम करता है लेकिन आपको और भी ऐसे शेयर मार्किट के गणित हैं जिन्हे जानना आपके लिए काफी जरूरी है जिसे निचे बताया गया है.
अपंजीकृत दलालों/मध्यस्थों के साथ कभी भी व्यवहार न करें
शेयर बाजार में ट्रेडिंग या निवेश करते समय आपको ब्रोकर चुनने में बहुत सावधानी बरतनी होगी. खाता खोलने से पहले ब्रोकर की पृष्ठभूमि या प्रतिष्ठा की जांच करें.
अफवाहों के आधार पर कभी भी निर्णय न लें
आपके निर्णय उचित शोध पर आधारित होने चाहिए. आपको यह जानने के लिए हर समय बाजारों के संपर्क में रहना होगा कि कौन से Factors बाजार को प्रभावित करते हैं. जिस कंपनी के शेयरों का आप व्यापार करते हैं, उसकी निरंतर निगरानी करना सबसे अच्छा कदम उठाने के लिए बहुत आवश्यक है. शोध रिपोर्ट और सही स्रोत से सही जानकारी द्वारा समर्थित मजबूत सबूतों के आधार पर अपने निर्णय लें.
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सही स्टॉक चुनें
आपको अत्यधिक तरल स्टॉक का चयन करना होगा अन्यथा आप अपनी स्थिति में फंस जाएंगे और नुकसान का सामना करेंगे.
Calculated जोखिम लें
आपको अपनी जोखिम क्षमता के अनुसार जोखिम उठाना होगा. अपनी commitments को समझें, समझदारी से जोखिम उठाएं.
लालची मत बनो
एक व्यापारी के रूप में, आपको कम समय में अधिक पैसा कमाने की जल्दी में नहीं होना चाहिए. बाजार और कीमतों के उतार-चढ़ाव को ध्यान से देखें और फिर फैसला करें. एक्सपर्ट की राय भी लें.
कभी भी भावुक न हों
व्यावहारिक रहें और Real अपेक्षाएं रखें. भावनाओं के कारण कभी भी निर्णय न लें.
गहन शोध करें
हमेशा कंपनियों, उनकी बैलेंस शीट, भविष्य की व्यावसायिक क्षमता और कंपनी के राजस्व या छवि को प्रभावित करने वाले वैश्विक और राष्ट्रीय Factors का उचित अध्ययन करें.
स्टॉप लॉस का प्रयोग करें
यह आपके नुकसान को कम करने और आपके द्वारा अर्जित लाभ को बनाए रखने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है. आप अपने स्टॉक के लिए स्टॉप लॉस को ठीक कर सकते हैं, जिसमें जब कीमत विशेष स्टॉप लॉस स्तर से टकराती है तो आपका स्टॉक बिक जाएगा. घाटे को कम करने के लिए अपने ट्रेडों में स्टॉप लॉस को नियोजित करें.
शिकायतों का निवारण
किसी भी शिकायत के मामले में आपको संबंधित अधिकारियों से संपर्क करने में संकोच नहीं करना चाहिए. शेयर बाजार में निवेश शुरू करने या निवेश करने से पहले, आपको बाजार के व्यवहार के बारे में बहुत सारी किताबें पढ़नी चाहिए. जिन कंपनियों और क्षेत्रों में आप रुचि रखते हैं, उन पर बहुत अधिक शोध करें. वित्तीय विशेषज्ञों और अनुभवी निवेशकों की मदद लें कि कैसे शुरू करें. ट्रेडिंग के लिए आपको एक की आवश्यकता होती है जिसे आसानी से 15 मिनट में खोला जा सकता है.
हाई स्पीड ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म आपको तेज गति से और बिना किसी कठिनाई के व्यापार करने में मदद करते हैं. आप मोबाइल ट्रेडिंग ऐप भी डाउनलोड कर सकते हैं और अपने स्मार्ट फोन के माध्यम से ही ट्रेडिंग कर सकते हैं. ये ऐप उपयोगकर्ता के अनुकूल हैं और आपको सुरक्षित तरीके से व्यापार करते हैं. शेयर बाजार में उतरने में कभी संकोच न करें. सबसे पहले, अपने लिए एक वित्तीय योजना तैयार करें और सही ब्रोकर चुनें और अभी ट्रेडिंग शुरू करें.
मुझे आशा है की यह पोस्ट पढ़ने के बाद आपको शेयर मार्किट के गणित (Share Market Maths in Hindi) के बारे में जानकारी हो गयी होगी. शेयर मार्किट रिस्की होता है इसलिए इसमे निवेश करने से पहले आप खुद से रिसर्च जरूर करें.
विकास तिवारी इस ब्लॉग के मुख्य लेखक हैं. इन्होनें कम्प्यूटर साइंस से Engineering किया है और इन्हें Technology, Computer और Mobile के बारे में Knowledge शेयर करना काफी अच्छा लगता है.
यदि रास नहीं आ रहे हैं शेयर खरीदने-बेचने के बारीक नियम तो कमोडिटी मार्केट से बनाएं बड़ा मुनाफा
अब अगर हम शेयर मार्केट की बात करें तो इक्विटी मार्केट में लिस्टेड कंपनियों के शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं जिसमें शेयरहोल्डर को आंशिक रूप से कंपनी का मालिक भी माना जाता है। इक्विटी शेयरों की कोई समाप्ति तिथि नहीं होती है जबकि कमोडिटी में ऐसा संभव नहीं है।
ब्रांड डेस्क, नई दिल्ली। शेयर मार्केट इन दिनों काफी चर्चा में है। बीते कुछ महीनों में इस बाजार की ओर रुख करने वाले लोगों की संख्या में भी लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है। निवेशकों की संख्या में हर दिन होने वाली इस बढ़त ने पिछले दिनों में एक रिकॉर्ड भी बनाया है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2022 के अगस्त महीने में डीमैट अकाउंट की संख्या पहली बार करीब 10 करोड़ के पार पहुंच चुकी है। ऐसे में शेयर बाजार में अब आम लोगों का भी दिलचस्पी साफ दिखाई देने लगी है।
अक्सर आप भी यह नाम दिन में तकरीबन चार से पांच बार तो सुन ही लेते होंगे, कई बार तो इसमें आपकी रुचि भी बढ़ जाती होगी, लेकिन फिर इस बाजार के तौर-तरीकों, खरीद-फरोख्त के नियमों व शेयरों में होने वाले उतार-चढ़ाव की बातों को लेकर परेशान हो जाते हैं और आत्मविश्वास में कमी आ जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शेयर बाजार में शेयर में पैसा लगाने के अलावा भी कई शानदार विकल्प हैं। जिनमें कोई भी शख्स आसानी से पैसे लगाकर बड़ा प्रॉफिट कमा सकता है।
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शेयर के अलावा कैसे बना सकते हैं बड़ा मुनाफा
क्या आपको पता है कि शेयर मार्केट के अलावा भी एक मार्केट है, जिसमें ठोस वस्तुओं में पैसे लगाकर बड़ा मुनाफा कमाया जा सकता है। इस मार्केट को कहते हैं कमाोडिटी मार्केट। जब कभी शेयर बाजार में कमजोरी का ट्रेंड रहता है तो लोग ऐसे समय में कमोडिटी मार्केट में सोने और चांदी जैसी चीजों में अधिक पैसा लगाने लगते हैं जिससे इसकी मांग में भी तेजी देखने को मिलने लगती है। लेकिन अब सवाल है कि क्या आप कमोडिटी मार्केट और इक्विटी यानी शेयर मार्केट के बीच के अंतर को समझते हैं?
शेयर मार्केट व कमोडिटी मार्केट में अंतर क्या है?
कमोडिटी मार्केट (Commodity Market) ऐसा मार्केटप्लेस है जहां निवेशक मसाले, कीमती मेटल्स यानी धातुओं, बेस मेटल्स, एनर्जी , कच्चे तेल जैसी कई अन्य कमोडिटीज की ट्रेडिंग करते हैं। यह मूलत: दो तरह की होती हैं , जिनमें से एक है एग्री कमोडिटीज इसे सॉफ्ट कमोडिटी भी कहते हैं, इसके अंतर्गत मसाले जैसे काली मिर्च, धनिया, इलायची, जीरा, हल्दी और लाल मिर्च, सोया बीज, मेंथी ऑयल, गेहूं, और चना जैसी वस्तुएं आती हैं। वहीं नॉन-एग्री या हार्ड कमोडिटीज में सोना, चांदी, कॉपर, जिंक, निकल, लेड, एन्युमिनियम, क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस शामिल हैं।
अब अगर हम शेयर मार्केट की बात करें तो इक्विटी मार्केट में लिस्टेड कंपनियों के शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं जिसमें शेयरहोल्डर को आंशिक रूप से संबंधित कंपनी का मालिक भी माना जाता है। इसके अलावा इक्विटी शेयरों की कोई समाप्ति तिथि नहीं होती है,जबकि कमोडिटी में ऐसा संभव नहीं है। इक्विटी मार्केट में शेयरहोल्डर डिविडेंड के योग्य भी माना जाता है।
आज ही पोर्टफोलियों में जोड़ें कमोडिटी उत्पाद
अक्सर कई लोगों को शेयर का गुणा - गणित आसानी से समझ में नहीं आता है या जब कभी शेयर मार्केट में मंदी आने लगती है तो निवेशक कमोडिटी मार्केट की ओर रुख कर लेते हैं। ऐसे में अगर आप एक Beginner हैं और आपको शेयरों की कम समझ हैं तो परेशान होने की जरुरत नहीं है, बस आपको आज ही अपने पोर्टफोलियों में कई अलग- अलग कमोडिटी को जोड़ना होगा और इस बाजार में हाथ आजमाने होंगे। एक बेहतर और लाभदायक कमोडिटी का चुनाव करने के लिए आप 5paisa ऐप की भी मदद ले सकते हैं।
क्या होते हैं भंगार शेयर? सिर्फ सस्ती कीमत देखकर ना खरीदें, जानिए Penny Stocks का गणित
पेनी स्टॉक्स में सिर्फ उनकी सस्ती कीमत देखकर ही पैसा नहीं लगाना चाहिए. कंपनी के बारे में अच्छे से जानकारी ले लेनी चाहिए. पेनी स्टॉक बहुत से लोगों के पैसे डुबाने के लिए बदनाम हैं.
शेयर बाजार (Share Market) में जब भी कोई नया-नया निवेश (Investment) करना शुरू करता है, तो उसे पेनी स्टॉक (Penny Stocks) बहुत आकर्षक लगते हैं. लगें भी क्यों नहीं, ये शेयर बहुत सस्ते होते हैं और नए निवेशकों को लगता है कि वह अधिक शेयर खरीद सकते हैं. पेनी स्टॉक को भंगार शेयर या चवन्नी शेयर भी कहा जाता है. ये शेयर लोगों को तगड़ा रिटर्न देने के लिए तो जाने ही जाते हैं, बहुत से लोगों को बर्बाद तक करने के लिए पेनी स्टॉक बदनाम हैं. आइए जानते हैं इसके बारे में सब कुछ और समझते हैं इनमें निवेश (Investment in Penny Stocks) करना चाहिए या नहीं.
जानिए क्या होते हैं पेनी स्टॉक्स?
पेनी स्टॉक्स वह शेयर होते है, जिनकी कीमत बहुत ही कम होती है. अमूमन 10 रुपये से कम के शेयर को पेनी स्टॉक कहा जाता है. बहुत कम कीमत होने की वजह से ही इन शेयरों को भंगार शेयर या चवन्नी शेयर कहा जाता है. हालांकि, इन शेयरों में लिक्विडिटी काफी कम होती है, क्योंकि कीमत कम होने की वजह से लोग कम पैसों में बहुत अधिक शेयर खरीद लेते हैं.
पेनी स्टॉक में पैसे लगाने चाहिए या नहीं?
वैसे तो बहुत से लोग पेनी स्टॉक में सिर्फ उसकी सस्ती कीमत देखकर ही पैसा लगा देते हैं. अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो आपको ऐसा करने से नुकसान झेलना पड़ सकता है. पेनी स्टॉक में निवेश करना बहुत ही जोखिम का सौदा हो सकता है. पेनी स्टॉक्स में तगड़ा रिटर्न भी देखने को मिलता है, लेकिन इनमें ही तगड़ा नुकसान भी होता है. अगर आप किसी पेनी स्टॉक में निवेश करने की सोच रहे हैं तो आपको शेयर की कीमत या उसके रिटर्न को देखकर उसमें पैसे नहीं लगाने चाहिए. पेनी स्टॉक में पैसे लगाने से पहले कंपनी की अच्छे से फंडामेंटल शेयर मार्केट का गणित क्या है? एनालिसिस करें. पता करें कंपनी का बिजनस कैसा चल रहा है, उसका मैनेजमेंट कैसा है, उसके फ्यूचर प्लान क्या हैं, कंपनी पर कर्ज तो नहीं आदि. अगर सारी बातें सही हों तभी पेनी स्टॉक में पैसे लगाएं.
आसानी से ऑपरेट हो सकते हैं पेनी स्टॉक
पेनी स्टॉक में निवेश से पहले आपको ये समझना होगा कि किसी शेयर की कीमत क्यों बढ़ती है. जब किसी शेयर की मांग काफी बढ़ जाती है तो उसकी कीमत खुद-ब-खुद बढ़ने लगती है. पेनी स्टॉक्स की कीमत बहुत ही कम होने की वजह से कई बार इन्हें ऑपरेट करना आसान हो जाता है. बता दें कि हर्षद मेहता ने भी शुरुआत में पेनी स्टॉक्स को ऑपरेट कर के उनकी कीमत बढ़ाई थी और जब दाम अधिक हो गए तो उन्हें बेचकर मुनाफा कमा लिया. यानी अगर कंपनी के प्रमोटर्स ही शेयरों को भारी मात्रा में खरीदने लगें तो उनकी कीमत चढ़ने लगेगी. ऐसे में लोगों को लगेगा कि शेयर की वैल्यू बढ़ रही है, जबकि उसकी कीमत गलत तरीके से बढ़ाई जा रही होगी. ऐसी स्थिति में हमेशा रिटेल निवेशकों को नुकसान होता है. इसलिए पेनी स्टॉक में निवेश करते वक्त आपको अतिरिक्त सतर्कता बरतने की जरूरत होती है.
ऐसे पेनी स्टॉक में कभी ना लगाएं पैसे
अगर किसी पेनी स्टॉक में बार-बार अपर या लोअर सर्किट लगता है तो उससे बचकर ही रहें. ऐसे शेयर आपको तगड़ा रिटर्न तो दिखा देंगे, लेकिन लगातार सर्किट लगने की वजह से आप इन शेयरों में बेच नहीं पाएंगे, जिससे नुकसान होगा. अगर आपने किसी पेनी स्टॉक में पैसे लगाए हैं तो आपने जो टारगेट सेट किया है, वह हासिल होते शेयर मार्केट का गणित क्या है? ही शेयर से बाहर निकल जाएं. अगर ज्यादा लालच करेंगे तो हो सकता है आपने जो पैसे लगाए हैं उस पर रिटर्न के बजाय नुकसान होना शुरू हो जाए.
ये 3 तरह के लोग गलती से भी ना लगाएं म्यूचुअल फंड में पैसे, फायदा होना तो दूर की बात है, उल्टा पछताना पड़ेगा
ITR Update : क्या शेयर बाजार में हुए नुकसान पर मिलेगी टैक्स छूट, क्या कहता है आयकर कानून? एक्सपर्ट से समझें पूरा गणित
आयकर रिटर्न भरने की प्रक्रिया जोरों पर है और करदाता इस समय टैक्स बचाने की जुगत में लगे हैं. ऐसे में आपको आयकर कानून का . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : July 28, 2022, 12:01 IST
हाइलाइट्स
शेयरों से मुनाफे पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स और लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है.
लांग टर्म कैपिटल लॉस का समायोजन सिर्फ लांग टर्म कैपिटल गेन के साथ ही किया जाता है.
शॉर्ट टर्म कैपिटल लॉस की भरपाई आप लांग टर्म और शॉर्ट टर्म दोनों ही तरह से कर सकते हैं.
नई दिल्ली. वैसे तो शेयर बाजार में कोई भी नुकसान उठाने के लिए निवेश नहीं करता है, लेकिन यहां पैसे लगाना और रिटर्न पाना अनिश्चितताओं का खेल है. अगर आपको फायदा होता है तो उस पर टैक्स चुकाना पड़ता है, लेकिन क्या नुकसान होने पर टैक्स छूट का लाभ भी मिलता है.
इस सवाल का जवाब टैक्स एक्सपर्ट से पूछा तो आयकर कानून के कई रोचक नियमों के बारे में जानकारी मिली. आयकर कानून कहता है कि अगर आपको किसी वित्तवर्ष में शेयर बाजार में नुकसान हुआ है तो टैक्स की गणना करते समय इसकी भरपाई की जा सकती है. आप अपने नुकसान को टैक्स में समायोजित कर अपनी देनदारी को घटा सकते हैं.
कैसे मिलती है टैक्स छूट
आयकर मामलों के जानकारी बलवंत जैन बताते हैं कि शेयर बाजार में किसी वित्तवर्ष में हुए नुकसान को बाजार से मिले अन्य लाभ के साथ समायोजित किया जा सकता है. इसे समझने के लिए सबसे पहले ये जानें कि टैक्स लगता किस तरह से है. शेयर बाजार से कमाई पर दो तरह से टैक्स लगता है, शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स और लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स. यह बाजार में निवेश के समय से निर्धारित होता है.
अगर आपको लांग टर्म कैपिटल लॉस हुआ है यानी लंबी अवधि में निवेश के स्टॉक्स पर नुकसान हुआ है, तो इसका समायोजन सिर्फ लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ के साथ किया जा सकता है. लेकिन, अगर आपको शॉर्ट टर्म कैपिटल लॉस यानी छोटी अवधि के निवेश पर नुकसान हुआ है तो इसकी भरपाई लांग टर्म और शॉर्ट टर्म दोनों ही तरह के निवेश से हुए मुनाफे में समायोजित कर की जा सकती है.
आठ साल तक मिलता है समायोजन का लाभ
आयकर विभाग शेयर बाजार में नुकसान उठाने वाले करदाताओं को इस पर टैक्स छूट पाने का लंबा समय देता है. अगर आप अपने नुकसान की भरपाई उसी वित्तवर्ष में हुए मुनाफे के साथ नहीं कर सके हैं तो इसे अगले आठ वित्तवर्ष तक अपने फायदे में समायोजित किया जा सकता है. हालांकि, इसके लिए शर्त ये है कि करदाता को हर साल अपना रिटर्न समय पर भरना होगा.
नुकसान को ट्रैक करने के और भी फायदे
बाजार विश्लेषकों का कहना है कि अगर आप शेयर बाजार में अपने नफा-नुकसान को सही से ट्रैक करते हैं तो इसके कई फायदे होंगे. एक तो आप किसी एक शेयर में हुए नुकसान की भरपाई दूसरे शेयर में हुए मुनाफे के साथ कर सकेंगे. इससे बाजार से शुद्ध मुनाफे पर ही टैक्स की देनदारी बनेगी. दूसरा कि आपको नुकसान कराने वाले शेयरों की पहचान हो जाएगी और उन्हें अपने पोर्टफोलियो से बाहर निकालना आसान होगा.
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