विपणनकर्ता मार्केट को क्रेता की भूमिका के आधार पर भी निश्चित कर सकता है।

पीने का पानी बाजार में पहुंच रहा है

Kedarnath Dham: रजिस्ट्रेशन के विरोध में आज केदारनाथ यात्रा का मुख्य पड़ाव सोनप्रयाग बाजार बंद, ये है मांग

By: रोहित डिमरी | Updated at : 02 Jun 2022 11:23 AM (IST)

(रजिस्ट्रेशन के विरोध में आज सोनप्रयाग बाजार बंद)

Kedarnath News: केदारनाथ (Kedarnath) यात्रा में रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था समाप्त करने के साथ ही यात्रा व्यवस्थाओं में सुधार लाने की मांग को लेकर गुरूवार को सोनप्रयाग (Sonprayag) के व्यापारियों ने बाजार बंद कर दिया है. व्यापारियों का कहना है कि जगह-जगह यात्रियों को रोककर केदारघाटी के व्यापारियों का रोजगार प्रभावित किया जा रहा है और व्यापारियों को बेवजह परेशान किया जा रहा है.

व्यापारियों ने रखी ये मांगे

बता दें कि केदारनाथ यात्रा पर सीमित संख्या में तीर्थ यात्री भेजे जा रहे हैं. एक दिन में धाम में 13 हजार तीर्थ यात्री ही दर्शन कर सकते हैं. धाम की यात्रा पर आने के लिये यात्रियों को अपना रजिस्ट्रेशन करना जरूरी है. जो यात्री बिना रजिस्ट्रेशन के पहुंच रहे हैं, उन्हें पुलिस की ओर से आधे रास्ते से वापस भेजा जा रहा है. यात्रियों के वापस जाने का असर केदारघाटी के रोजगार पर पड़ रहा है. यात्रियों के कम संख्या में पहुंचने से स्थानीय लोगों का रोजगार प्रभावित हो रहा है, जिस कारण अब व्यापारी आक्रोशित हो गए हैं और उन्होंने सरकार, शासन और प्रशासन के खिलाफ आंदोलन करना शुरू कर दिया है. इसके साथ ही यात्रा पड़ाव के सोनप्रयाग स्थित पार्किंग में बिना टेंडर के दो हजार बेड लगाये जाने से भी व्यापारियों में रोष है. व्यापारियों का कहना है कि जिस व्यक्ति ने यह दो हजार बेड लगाए हैं, उसे किसी ने भी परमिशन नहीं दी है.

उपभोक्ता बाजार का खंडीकरण - segmentation of the consumer market

उपभोक्ता बाजार आंदोलन का प्रभाव बाजार को विभाजित करने के लिए दो आकारों के समूह को प्रयुक्त किया जाता है। कुछ अनुसंधानकर्ता विशिष्टका, जैसे भौगोलिक, जनसांख्यिकीय, मानसिक ग्राफ इत्यादि पर बाजार का खंडीकरण कर सकते हैं अन्य समंक उनकी विचारधाराओं जैसे ग्राहक का हितकारी समर्थन, सटीक परिस्थिति या बांडों का प्रतिचयन है। बाजार के खडीकरण के लिए अनेक समकों का प्रयोग किया जाता है ताकि ग्राहकों के अंतरग अन्तरों का चिह्नित किया जा सके और विपणन प्रोग्रामों को एक लाभप्रद स्थिति में स्थापित किया जा सके।

विभिन्न उपभोक्ता समूह बनाने के लिए बाजार की इकाइयों का भौगोलक ढंग से खंडीकरण किया जाता है।

प्रान्तीय विपणन कार्य को विशेष पोस्टल कोड का इस्तेमाल करते हुए उनको सही दिशा में अभिव्यक्त किया जाता है। भौगोलिक खंडीकरण का अभिप्राय एक बाजार को नौगोलिक स्तर पर विभाजित करने से है।

पानी और बाजार

‘जल ही जीवन है’ ऐसा कहा गया है। पहले हमारे पूर्वज राह चलते पथिक को पानी पिलाने में बहुत सुकून पाते थे। जगह-जगह पर प्याऊ लगाकर लोगों का प्यास बुझाया जाता था लेकिन वही पानी अब बोतलों में बंद करके बाजार में बेचा जा रहा है। पानी, बाजार की वस्तु हो गई है। जिसे कंपनियां अपने बोतलों में भरकर बाजार में 12 से 15 रुपए तथा कैन में भरकर बेच रही हैं। पानी के व्यवसायीकरण ने पानी को मंहगा बना दिया है। पानी के निजीकरण के पीछे एक बहुत बड़ा खेल खेला जा रहा है और इसे कंपनियां मीडिया के द्वारा प्रचारित भी कर रही हैं।

2006 में नेशनल कोलिशन ऑफ अमेरिकन नन्स ने बोतलबंद पानी का जोरदार विरोध किया। ननों ने इसके विरोध को नैतिकता से जोड़ते हुए कहा कि पानी एक प्राकृतिक संपदा है और इसका निजीकरण नहीं किया जाना चाहिए। पानी के निजीकरण का मतलब है, जिसके पास पैसा नहीं है उसे पानी से वंचित होना पड़ेगा। जबकि प्रकृति पानी के लिए हमसे कोई कीमत वसूल नहीं करती।

सबसे बड़ा शत्रु

1987 में अमेरिका के लोग पूरे साल में औसतन 5.7 गैलन पानी सीलबंद बोतलों से पीते थे। लेकिन मैडोना सरीखी अभिनेत्रियों को लेकर अश्लीलता के पुट के साथ बनाए गए आकर्षक विज्ञापनों के जरिये बोतल बंद पानी के समर्थन में अभियान शुरू किए गए। 'ट्रुथ ऑर डेयर' नामक इस अभियान ने 1997 तक अमेरिका में सीलबंद पानी की खपत दोगुनी कर दी। पानी के व्यवसायीकरण की इस सफलता के बाद सन् 2000 में पेप्सिको समूह की बोतलबंद पानी बनाने वाली कंपनी के सीईओ ने अहंकार पूर्वक कहा कि 'नल का पानी सबसे बड़ा शत्रु है।' 2005 तक यह शत्रु सिर्फ नहाने-धोने के काम आने लगा। 2006 में पेप्सिको की एक सह कंपनी ने दो करोड़ डॉलर बोतलबंद पानी के विज्ञापनों पर खर्च किया। कंपनी यह संकेत देने में सफल रही कि अमेरिकी 'ज्यादा पानी पीते हैं।' फलस्वरूप इस साल प्रति व्यक्ति प्रति सप्ताह 27.6 गैलन बोतलबंद पानी की बिक्री की गई।

लेकिन बाजार दोतरफा झोंके लाता है। जैसे ही बोतलबंद पानी को स्वास्थ्य के लिए लाभदायक और किडनी के लिए वरदान साबित करने वाले प्रचार ने जोर पकड़ा, वैसे ही इसके पीछे के खेल पर से पर्दा उठना शुरू हो गया। 2006 में नेशनल कोलिशन ऑफ अमेरिकन नन्स ने बोतलबंद पानी का जोरदार विरोध किया। ननों ने इसके विरोध को नैतिकता से जोड़ते हुए कहा कि पानी एक प्राकृतिक संपदा है और इसका निजीकरण नहीं किया जाना चाहिए। पानी के निजीकरण का मतलब है, जिसके पास पैसा नहीं है उसे बाजार आंदोलन का प्रभाव पानी से वंचित होना पड़ेगा। जबकि प्रकृति पानी के लिए हमसे कोई कीमत वसूल नहीं करती। इसी बीच नए आंकड़े आए, जिनसे पता चला कि हर साल 1.7 अरब बैरल तेल सिर्फ इन बोतलों के उत्पादन में लगता है। वहीं एक विशेषज्ञ के अनुसार बोतल के उत्पादन, ढुलाई और बिक्री में लगने वाला अतिरिक्त खर्च तेल की कुल लागत का एक चौथाई है।

किसान आंदोलन के चलते अबतक हो चुका 70 हजार करोड़ का नुकसान, अब चक्का जाम से और बढेंगी मुश्किलें

किसान आंदोलन के चलते अबतक हो चुका 70 हजार करोड़ का नुकसान, अब चक्का जाम से और बढेंगी मुश्किलें

दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में कृषि बिलों के खिलाफ किसानों के 70 दिनों से अधिक के विरोध प्रदर्शन के कारण कुल मिलाकर बाजार आंदोलन का प्रभाव आवक-जावक के रूप में लगभग एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार प्रभावित हुआ है. हुआ है जिसमें अन्य राज्यों से दिल्ली में आने वाले माल से लगभग 70 लाख रुपये का नुकसान हुआ है. किसानों ने 6 फरवरी को चक्का जाम का आव्हान किया है. ऐसे में माना जा रहा कि अब कारोबारियों की मुश्किलें और बढ़ सकती है.

दिल्ली से अन्य राज्यों को भेजे जाने वाले व्यापार में लगभग 40 हजार करोड़ रुपये के व्यापार का नुक्सान हुआ है. एक मोटे अनुमान के आधार पर कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट ) के अनुसार यह नुकसान व्यापार का हुआ है.

जीएसटी बाजार आंदोलन का प्रभाव के विरोध में कल बंद रहेगा कपड़ा बाजार

इंदौर। जीएसटी (GST) बढ़ाने के विरोध (against)में कल इंदौर (Indore) सहित पूरे प्रदेश (State) का कपड़ा बाजार (textile market) बंद रहेगा। बाजार आंदोलन का प्रभाव 1 जनवरी से कपड़ा महंगा हो जाएगा। इस पर अब 5 के बजाय 12 प्रतिशत जीएसटी (GST) लगेगा। इसी को लेकर व्यापारी (Businessman) पिछले कई दिनों से आंदोलन (Agitation) कर रहे हैं, लेकिन अभी तक उन्हें कोई ठोस आश्वासन नहीं मिल पाया है। इसी को लेकर कल बड़ी कपड़ा मंडियां (textile markets) बंद रहेंगी। दिल्ली, दक्षिण (Delhi, South) भारत और सूरत (India and Surat) के कपड़ा मार्केट (textile market) बंद रहेंगे, जिससे बड़े स्तर पर व्यापार (business) प्रभावित होगा। जीएसटी संघर्ष समिति के संयोजक रजनीश चौरडिय़ा, (Convenor Rajneesh Chordia) प्रचार संयोजक अरुण बाकलीवाल ने बताया कि हम भी दूसरे राज्यों की मंडियों (Mandis) को समर्थन देते हुए कल एक दिन के लिए कपड़ा बाजार बंद रखेंगे। हमारी सहयोगी व्यापारी एसोसिएशन (Merchants Association) भी बाजार बंद रखेगी। इंदौर (Indore) के साथ-साथ पूरे प्रदेश का कपड़ा बाजार बंद रहने से करोड़ों रुपए का व्यापार प्रभावित होगा। व्यापारियों (merchants) ने कहा कि इंदौर में इंदौर रेडीमेड वस्त्र (indore readymade garments in indore) निर्माता संघ, सीतलामाता बाजार, सांठा बाजार, नलिया बाखल, शक्कर बाजार, मालवा मिल जैसे कपड़ा मार्केट (Textile Markets like Sangha, Sitlamata Bazar, Santha Bazar, Naliya Bakhal, Sugar Bazar, Malwa Mill)ने भी बंद में सहयोग करने को कहा है।

भाजपा की जिला कार्यकारिणी में सांवेर में सबसे ज्यादा बंटे पद

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