Edited By: Alok Kumar @alocksone
Updated on: November 13, 2022 6:55 IST

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ब्रेकेवन विश्लेषण का उपयोग बिक्री की मात्रा का पता लगाने के लिए किया जाता है, जिस पर एक व्यवसाय बिल्कुल पैसा नहीं कमाता है, जहां कंपनी की निश्चित लागतों के भुगतान के लिए अर्जित सभी योगदान मार्जिन की आवश्यकता होती है। अंशदान मार्जिन वह मार्जिन है जिसके परिणामस्वरूप सभी परिवर्तनीय व्यय राजस्व से घटाए जाते हैं। संक्षेप में, एक बार प्रत्येक बिक्री पर योगदान मार्जिन एक अवधि के लिए निर्धारित लागत की कुल राशि से मेल खाता है, तो ब्रेकईवन बिंदु पर पहुंच गया है। उस स्तर से ऊपर की सभी बिक्री सीधे मुनाफे में योगदान करती हैं।

ब्रेकईवन विश्लेषण निम्नलिखित कारणों से उपयोगी है:

  • ब्रेक-ईवन मार्जिन के फायदों का आकलन करें बिंदु तक पहुंचने के बाद शेष क्षमता की मात्रा का निर्धारण, जो अधिकतम लाभ की राशि को प्रकट करता है जो उत्पन्न हो सकता है।
  • लाभ पर प्रभाव का निर्धारण यदि स्वचालन (एक निश्चित लागत) श्रम (एक परिवर्तनीय लागत) को प्रतिस्थापित करता है।
  • उत्पाद की कीमतों में बदलाव होने पर मुनाफे में बदलाव का निर्धारण।
  • नुकसान की मात्रा का निर्धारण करना जो व्यवसाय को बिक्री में गिरावट का सामना करना पड़ता है, उसे बरकरार रखा जा सकता है।

इसके अलावा, लाभ उत्पन्न करने के लिए कंपनी की समग्र क्षमता स्थापित करने के लिए ब्रेकएवेन विश्लेषण उपयोगी है। जब ब्रेक-ईवन पॉइंट किसी व्यवसाय के अधिकतम बिक्री स्तर के करीब होता है, तो इसका मतलब है कि कंपनी के लिए सर्वोत्तम परिस्थितियों में भी लाभ अर्जित करना लगभग असंभव है।

जब भी संभव हो, ब्रेकईवन बिंदु को कम करने के लिए प्रबंधन को लगातार ब्रेक-ईवन बिंदु की निगरानी करनी चाहिए, विशेष रूप से मार्जिन के फायदों का आकलन करें अंतिम नोट के संबंध में। ऐसा करने के तरीकों में शामिल हैं:

  • लागत विश्लेषण. सभी निश्चित लागतों की लगातार समीक्षा करें, यह देखने के लिए कि क्या किसी को समाप्त किया जा सकता है। यह देखने के लिए कि क्या उन्हें समाप्त किया जा सकता है, परिवर्तनीय लागतों की भी समीक्षा करें, क्योंकि ऐसा करने से मार्जिन बढ़ता है और ब्रेकईवन बिंदु कम हो जाता है।
  • मार्जिन विश्लेषण. उत्पाद मार्जिन पर पूरा ध्यान दें, और उच्चतम-मार्जिन वाली वस्तुओं की बिक्री को बढ़ावा दें, जिससे ब्रेक-ईवन बिंदु कम हो जाए।
  • आउटसोर्सिंग. यदि किसी गतिविधि में एक निश्चित लागत शामिल है, तो इसे प्रति-इकाई परिवर्तनीय लागत में बदलने के लिए आउटसोर्सिंग पर विचार करें, जिससे ब्रेकईवन बिंदु कम हो जाता है।
  • मूल्य निर्धारण. कूपन या अन्य मूल्य कटौती के उपयोग को कम या समाप्त करें, क्योंकि वे ब्रेकईवन बिंदु को बढ़ाते हैं।
  • प्रौद्योगिकियों. किसी भी तकनीक को लागू करें जो व्यवसाय की दक्षता में सुधार कर सके, जिससे लागत में वृद्धि के बिना क्षमता में वृद्धि हो।

टूटे हुए बिंदु की गणना करने के लिए, कुल निश्चित खर्चों को अंशदान मार्जिन से विभाजित करें। सूत्र है:

कुल निश्चित व्यय ÷ अंशदान मार्जिन प्रतिशत

एक अधिक परिष्कृत दृष्टिकोण अंश से सभी गैर-नकद व्यय (जैसे मूल्यह्रास) को समाप्त करना है, ताकि गणना ब्रेक-ईवन नकदी प्रवाह स्तर पर केंद्रित हो। सूत्र है:

(कुल निश्चित व्यय - मूल्यह्रास - परिशोधन) अंशदान मार्जिन प्रतिशत

फॉर्मूला पर एक और बदलाव डॉलर में बिक्री के स्तर के बजाय, उन इकाइयों की संख्या पर ध्यान केंद्रित करना है, जिन्हें तोड़ने के लिए बेचा जाना चाहिए। यह सूत्र है:

कुल निश्चित खर्च प्रति यूनिट औसत योगदान मार्जिन

ब्रेकईवन अवधारणा के साथ एक संभावित समस्या यह है कि यह मानता है कि भविष्य में योगदान मार्जिन वर्तमान स्तर के समान रहेगा, जो कि मामला नहीं हो सकता है। आप विभिन्न यूनिट बिक्री स्तरों पर संभावित भविष्य के मुनाफे और नुकसान की बेहतर समझ हासिल करने के लिए योगदान मार्जिन की एक श्रृंखला का उपयोग करके ब्रेकएवन विश्लेषण का मॉडल बना सकते हैं।

मल्टीबैगर शेयरों की इस तरह करें पहचान, गिरते बाजार में भी होगी बंपर कमाई

मल्टीबैगर स्टॉक उस शेयर को कहते हैं जो निवेशकों को काफी कम सयम में कई गुना रिटर्न देता है। कोरोना के बाद भारत में मल्टीबैगर स्टॉक की कोई कमी नहीं है।

Alok Kumar

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Updated on: November 13, 2022 6:55 IST

मल्टीबैगर शेयर- India TV Hindi

Photo:INDIA TV मल्टीबैगर शेयर

Share Market में निवेश करने वालों की संख्या करोड़ों में पहुंच गई है। ऐसे में यह संभव है कि आप भी शेयर बाजार में निवेश करते हों। आप को ऐसे खबरें सुनने में आती होगी कि इस एक शेयर ने निवेशकों को मालामाल कर दिया है। एक साल में 10 हजार रुपये को 1 लाख बना दिया है। वहीं, किसी दूसरे शेयर में निवेशक ने 10 लाख लगाया तो वह दो साल में ही 3 करोड़ हो गया है। इस तरह के शेयर को बाजार की भाषा में मल्टीबैगर स्टॉक (Multibagger Stocks) कहते हैं। हालांकि, एक निवेश के लिए इस तरह के स्टॉक की पहचान करना काफी मुश्किल होता है। ज्यादातर निवेशक जब किसी शेयर में निवेश करते हैं तो वह टूटकर नीचे चला आता है। इससे निवेशकों को नुकसान होने लगता है। अब सवाल उठता है कि मल्टीबैगर स्टॉक की पहचान कैसे की जाए। तो आइए, हम आपको बताते हैं कि आप किस तरह मल्टीबैगर स्टॉक की पहचान कर सकते हैं।

मल्टीबैगर स्टॉक का चुनाव इन 8 पैरामीटर पर करें

  1. सक्षम और मजबूत प्रबंधन: कोई शेयर मल्टीबैगर तभी हो सकता है जब उसका मैनेजमेंट यानी प्रबंधन सक्षम और मजबूत हो। इसलिए किसी भी कंपनी के शेयर के चुनने से पहले उसका मौनेजमेंट देंखे। अगर वह सक्षम और मजबूत है तो वह शेयर मल्टीबैगर बन सकता है।
  2. मजबूत प्रमोटर होल्डिंग: अगर कंपनी में प्रमोटर की होल्डिंग 50 फीसदी से अधिक है तो यह दर्शाता कि उस कंपनी पर प्रमोटर का विश्वास है। यानी वह कंपनी आगे तेजी से ग्रो करेगी और शेयर के भाव बढ़ेंगे।
  3. कमाई में लगातार वृद्धि: अगर कंपनी की कमाई लगतार बढ़ रही है तो उस कंपनी के शेयर में आगे बढ़ने की पूरी उम्मीद है। इस तरह के शेयर का चुनाव मल्टीबैगर चुनते समय जरूर करें।
  4. उच्च मार्जिन वाला कारोबार: मल्टीबैगर में उस तरह के शेयर चुनें जिस कंपनी का कारोबार उच्च मार्जिन वाला है। उच्च मार्जिन होने से कंपनी का मुनाफा तेजी से बढ़ेगा। इसका लाभ शेयर को होगा। शेयर का भाव तेजी से बढ़ेगा।
  5. कर्ज का बोझ: किसी भी कंपनी में निवेश से पहले उसपर कर्ज का बोझ जरूर देंखे। अगर कंपनी पर कर्ज का बहुत ज्यादा बोझ है तो वह मल्टीबैगर नहीं बन सकता है।
  6. बढ़ता कैश फ्लो: किसी कंपनी के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए किसी कंपनी का नकदी प्रवाह सबसे सटीक पैमाना है। कैश फ्लो स्टेटमेंट भविष्य में कंपनी की कमाई बढ़ाने की क्षमता को निर्धारित करता है। अगर मैनेजमेंट कंपनी संचालन से नकदी उत्पन्न करने में सक्षम है, तो उसे अपने व्यवसाय को बढ़ाएगा। यानी उस कंपनी के शेयर मल्टीबैगर बन सकते हैं।
  7. इंडस्ट्री की पहचान: मल्टीबैगर स्टॉक का चुनाव में इंडस्ट्री की पहचान बहुत जरूरी है। पहले यह आंकलन करें कि भविष्य में कौन सी इंडस्ट्री तेजी से बढ़ने वाली है। कौन से उद्योग मजबूत रूप से उभर रहे हैं और क्यों? किसी क्षेत्र के लिए विकास की संभावना क्या मार्जिन के फायदों का आकलन करें है और यह दूसरों से कैसे भिन्न है। फिर उस सेक्टर की कंपनी के शेयर की पहचान करें।
  8. कंपनी का कारोबारी मॉडल: कोई भी स्टॉक मल्टीबैगर तभी बनता है जब उस कंपनी का कारोबारी मॉडल और उत्पाद की बाजार में मांग होती है। इसलिए ऐसी कंपनी का चुनाव करें, जिसके उत्पाद की जबरदस्त् मांग है या होने वाली है। साथ ही उसके कंपटीटर कम हो।

मल्टीबैगर स्टॉक किसे कहते हैं?

मल्टीबैगर स्टॉक उस शेयर को कहते हैं जो निवेशकों को काफी कम सयम में कई गुना रिटर्न देता है। अगर आपने किसी 50 रुपये के शेयर में निवेश किया है और वह काफी समय में 700 रुपये हो गया तो इसे म्लटीबैगर स्टॉक कहते हैं। Multibagger शब्द की शुरुआत सबसे पहले अमेरिका के निवेशक और म्युचुअल फंड मैनेजर पीटर लिंच ने की थी। लिंच बेसबॉल के फैन थे और multibagger भी इसी खेल से निकला हुआ शब्द है। यह किसी बेसबॉल के खिलाड़ी के औसत से बेहतर प्रदर्शन को बताने के लिए इस्तेमाल किय जाता है। जानकारों का कहना था कि लिंच मार्जिन के फायदों का आकलन करें ने टेनबैगर शब्द दिया था जिसका मतलब जो शेयर अपने मौजूदा प्राइस से काफी कम समय में 10 गुना बढ़ जाए। कोरोना के बाद भारत में मल्टीबैगर स्टॉक की कोई कमी नहीं है।

रिफायनिंग मार्जिन बढ़ने से आईओसी का तिमाही का शुद्ध मुनाफा बढ़ कर तीन गुना से ज्यादा

नयी दिल्ली, 30 जुलाई (भाषा) देश की शीर्ष प्रेट्रोलियम कंपनी, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) ने शुक्रवार को बताया कि रिफाइनिंग मार्जिन और इन्वेंट्री (पुराने स्टॉक) के मूल्यांकन में वृद्धि के चलते जून तिमाही में उसका शुद्ध लाभ तीन गुना से अधिक बढ़ गया। कंपनी ने शेयर बाजार को बताया कि अप्रैल-जून में उसका शुद्ध एकल लाभ 210 प्रतिशत बढ़कर 5,941.37 करोड़ रुपये हो गया जो पिछले साल की समान अवधि में 1,910.84 करोड़ मार्जिन के फायदों का आकलन करें मार्जिन के फायदों का आकलन करें रुपये था। पिछले साल की अप्रैल-जून तिमाही के दौरान कोविड-19 महामारी के कारण ईंधन की मांग प्रभावित थी और मार्जिन नीचे आ गया था। कंपनी ने स्टॉक

कंपनी ने शेयर बाजार को बताया कि अप्रैल-जून में उसका शुद्ध एकल लाभ 210 प्रतिशत बढ़कर 5,941.37 करोड़ रुपये हो गया जो पिछले साल की समान अवधि में 1,910.84 करोड़ रुपये था। पिछले साल की अप्रैल-जून तिमाही के दौरान कोविड-19 महामारी के कारण ईंधन की मांग प्रभावित थी और मार्जिन नीचे आ गया था।

कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज को बताया कि इससे ठीक पिछली तिमाही के मुकाबले अप्रैल-जून (2021-22) में मुनाफा 32 प्रतिशत कम रहा जिसकी वजह कोविड-19 की दूसरी लहर के शुरु होने से लोगों की आवाजाही प्रभावित होना था।

तिमाही परिणामों के बारे में संवाददाताओं से बातचीत में आईओसी के अध्यक्ष श्रीकांत माधव वैद्य ने कहा कि कंपनी ने जून तिमाही में प्रति बैरल कच्चे तेल ईंधन में बदलने (परिशोधन) से उसे 6.58 डॉलर का लाभ हुआ। पिछले साल इसी दौरान कंपनी को परिशोधन में प्रति बैरल 1.98 डॉलर का घाटा हुआ था।

आईओसी के निदेशक (वित्त) संदीप गुप्ता ने कहा कि परिशोधन मार्जिन में इन्वेंट्री पर लाभ भी शामिल है। उन्होंने इसका ब्यौरा नहीं दिया।

इस दौरान कंपनी की परिचालन आय 74 प्रतिशत बढ़कर 1.55 लाख करोड़ रुपये हो गई।

इंडियन आयल और इसकी इकाई चेन्नई पेट्रोलियम की कुल तेल परिशोधन क्षमता भारत की कुल 25 करोड़ टन की परिशोधन क्षमता का एक तिहाई है।

LIC: शेयर में नुकसान उठा चुके निवेशकों को अब होगा फायदा! स्‍टॉक में आ सकता है उछाल, ब्रोकरेज की 'Buy' रेटिंग

LIC Stocks performance: एंकर लॉकिंग खत्‍म होने के बाद ब्रोकरेज हाउसेस की ओर से LIC के शेयर पर अपडेट आ रहे हैं. ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल ने LIC पर Buy की रेटिंग के साथ कवरेज की शुरुआत की है.

ब्रोकरेजेज का मानना मार्जिन के फायदों का आकलन करें है कि इंश्‍योरेंस का दायरा बढ़ाने से कंपनी को फायदा होगा. (Image: Reuters)

LIC Stocks performance: LIC के स्‍टॉक में मंगलवार 5 जुलाई के शुरुआती सेशन में करीब 2.5 फीसदी की तेजी देखने को मिली है. हालांकि, स्‍टॉक अभी भी अपने लिस्टिंग प्राइस से करीब 27 फीसदी पर है. देश का यह सबसे बड़ा आईपीओ 8-9 फीसदी डिस्‍काउंट पर लिस्‍ट हुआ था. लिस्टिंग गेन की उम्‍मीद लगाए निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ा था. उसके बाद से शेयर में लगातार गिरावट देखी गई. एंकर लॉकिंग खत्‍म होने के बाद ब्रोकरेज हाउसेस की ओर से LIC के शेयर पर अपडेट आ रहे हैं. हाल में ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल (Motilal Oswal) ने LIC पर Buy की रेटिंग के साथ कवरेज की शुरुआत की है. टारगेट 830 रुपये रखा है. ब्रोकरेज का कहना है कि इंश्‍योरेंस का दायरा बढ़ाने से कंपनी को फायदा होगा. बीते 1 महीने में 4 ब्रोकरेज ने एलआईसी के शेयर पर कवरेज की शुरुआत की है.

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LIC: मोतीलाल ओसवाल की राय

ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल ने एलआईसी पर कवरेज की शुरआत 'बाय' रेटिंग के साथ की है. टारगेट 830 रुपये रखा है. 4 जुलाई को शेयर का भाव 692 रुपये पर बंद हुआ था. इस तरह करंट प्राइस से आगे शेयर में करीब 20 फीसदी का उछाल देखने को मिल सकता है.
मोतीलाल ओसवाल का कहना है कि कंपनी अपने सेगमेंट में मार्केट लीडर है. साथ ही नॉन पार प्रोडक्‍ट्स पर कंपनी फोकस कर रही है. जिसके चलते कंपनी के न्‍यू बिजनेस प्रीमियम वित्‍त वर्ष 2022 से वित्‍त वर्ष 2024 तक 10 फीसदी के आसपास साल दर साल बढ़ेंगे. वैल्‍यू ऑफ न्‍यू बिजनेस में मार्जिन 9.9 फीसदी से बढ़कर 13.6 फीसदी के आसपास पहुंच सकते हैं. साथ ही साथ कंपनी की वैल्‍युएशन सस्‍ते हैं. हालांकि, मार्केट के उतार-चढ़ाव का असर कंपनी के वैल्‍युएशन पर हो सकता है.

1 महीने में 4 ब्रोकरेज की कॉल

एक महीने में 4 बड़े ब्रोकरेज हाउसेस ने कवरेज की शुरुआत की है. ब्रोकरेजेज की दलील है कि शेयर पर बाजार का आकलन गलत है. इंश्‍योरेंस का दायरा बढ़ाने से कंपनी को फायदा मार्जिन के फायदों का आकलन करें होगा. कुछ दिन पहले बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच (BofA) ने 'आउटपरफॉर्म' की रेटिंग के साथ कवरेज की शुरुआत की है. टारगेट 930 रुपये का रखा है. वहीं, जेपी मॉर्गन (JP Morgan) ने 840 रुपये के टारगेट के साथ कवरेज शुरू किया था. गोल्‍डमैन सैक्‍स (Goldman Sachs) ने 'न्‍यूट्रल' की सलाह के साथ 700 के टारगेट पर कवरेज की शुरुआत की थी. इसके टारगेट अब पूरे हो चुके हैं.

ब्रोकरेज की कवरेज के साथ कमेंट्री देखें, तो उनका कहना था कि आईपीओ के बाद स्‍टॉक में काफी गिरावट हो चुकी है. बाजार दरअसल स्‍टॉक को गलत प्राइस कर रहा है. कंपनी को स्‍ट्रक्‍चरल ग्रोथ और पेनिट्रेशन का फायदा मिलेगा. इन ब्रोकरेजेज ने भी नॉन पार प्रोडक्‍ट्स का भी जिक्र किया था. जिस तरह कंपनी फोकस कर रही है, उसका फायदा मार्जिन पर भी होगा. दूसरी बीमा कंपनियों के मुकाबले कंपनी की वैल्‍युएशन 50-70 फीसदी डिस्‍काउंट पर मिल रहे हैं. इसके अलावा, FY22 से FY25 तक मुनाफा 10 फीसदी और करीब 6-7 फीसदी की ग्रोथ भी देखने को मिल सकती है.

एंकर लॉकिंग खत्‍म होने के बाद ब्रोकरेज हाउसेस की ओर से एलआईसी के शेयर पर अपडेट आ रहे हैं. साथ ही नॉन पार प्रोडक्‍ट्स पर कंपनी जो फोकस कर रही है, इसका फायदा मार्जिन पर होगा. इसमें अब ब्रोकरेज हाउसेस 700 से 950 के आसपास के टारगेट दे रहे हैं.

LIC: इश्‍यू मार्जिन के फायदों का आकलन करें प्राइस से 27% डिस्‍काउंट पर शेयर

LIC का शेयर अपने इश्‍यू प्राइस से करीब 27 फीसदी डिस्‍काउंट पर ट्रेड कर रहा है. NSE पर स्‍टॉक 8 फीसदी डिस्‍काउंट के साथ 872 रुपये पर लिस्‍ट हुआ. 4 जुलाई 2022 को शेयर का भाव 692 रुपये पर बंद हुआ था. LIC आईपीओ मार्जिन के फायदों का आकलन करें मार्जिन के फायदों का आकलन करें का इश्यू प्राइस 949/शेयर था, जिसमें रिटेल निवेशकों को 45 रुपये और पॉलिसीहोल्‍डर्स को 60 रुपये का डिस्‍काउंट मिला. वहीं, 20 जून 2022 को NSE पर 650 रुपये के रिकॉर्ड लो लेवल पर आ गया. इस तरह शेयर अपने इश्‍यू प्राइस से 27 फीसदी से ज्‍यादा टूट चुका है. शेयर मार्जिन के फायदों का आकलन करें ने 17 मई 2022 को ही 918.95 रुपये का रिकॉर्ड हाई बनाया था.

(डिस्‍क्‍लेमर: यहां शेयर में निवेश की सलाह ब्रोकरेज फर्म द्वारा दी गई है. ये जी बिजनेस के विचार नहीं हैं. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)

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