क्या होता है IPO और कैसे करें इसमें निवेश, जानिए
शेयर बाजार में आपको दिलचस्पी है तो ये शो आपके लिए ही है. आपने अक्सर शेयर बाजार में आईपीओ का जिक्र सूना होगा. शेयर बाजार के इतिहास में ऐसे कई आईपीओ आए हैं जिसमें निवेश कर लोगों ने करोड़ों रुपए कमाए हैं लेकिन कई आईपीओ ऐसे भी आए टेक्निकल एनालिसिस पर कितना भरोसा कर सकते है? जिसमें निवेशकों को भारी नुकसान हुआ.
If you are interested in share market then this show is for you only. You must have often heard the mention of IPO in the stock market. In the history of stock market, टेक्निकल एनालिसिस पर कितना भरोसा कर सकते है? there have been many such IPOs in which people have earned crores of rupees by investing, but many such IPOs have also come in which investors have suffered huge losses.
Cryptocurrency: क्रिप्टो में क्यों आया भूचाल? क्या निवेशकों को क्रिप्टो पर अब भरोसा नहीं रहा?
क्रिप्टो में क्यों आया भूचाल? क्या निवेशकों को क्रिप्टो पर अब भरोसा नहीं रहा? क्रिप्टो में कितना रिस्क? जानिए क्रिप्टोकरेंसी पर पूरा एनालिसिस एलिमेंट प्लेटफॉर्म्स के चेयरमैन और मार्केट एक्सपर्ट अजय बग्गा से.
Stock Analysis क्यों जरुरी है ?
शेयर मार्केट में लगभग 5000+ companies है । उनमें से 1600+ companies National Stock Exchange ( NSE ) और 1328+ कंपनी Bombay Stock Exchange ( BSE ) मे Listed है | किसी भी कंपनी के शेयर खरीदने टेक्निकल एनालिसिस पर कितना भरोसा कर सकते है? के लिए कुछ Parameter की जानकारी होना बहुत जरूरी होता है |
कुछ लोग कोई कंपनी के शेयर खरीद रहे हैं यह देख कर हमें भी उस कंपनी के शेयर खरीद लेने चाहिए या सुनी सुनाई बातों पर भरोसा रख के किसी कंपनी की हिस्सेदारी लेना मूर्खता है । किसी कंपनी का नाम अच्छा है या कोई कंपनी अच्छे संगठन से Belong करती है इस वजह से हमें भी उस कंपनी में Invest करना चाहिए ऐसा ना सोचे ।
किसी भी कंपनी के शेयर लेने से पहले उस कंपनी के बारे में पूरी जानकारी होना अनिवार्य होता है । जिसे शेयर मार्केट के भाषा में Stock Analysis कहा जाता है | Stock Analysis यह एक Method है जिसकी Help से Investor और Treader स्टॉक मार्केट को Examine और Evaluate करते हैं ।
शेयर की Buying And Selling के लिए इस Method का उपयोग करते हैं । स्टॉक एनालिसिस यह Market Analysis और Equity Analysis को भी Refer करता है । Stock Analysis ये उस योजना पर आधारित होता है जो Market Data के द्वारा Past और Present की स्टडी करते हैं । जिससे ट्रेडर और इन्वेस्टर को यह जानकारी मिलती है कि कौन से स्टॉप पर Focus करना है टेक्निकल एनालिसिस पर कितना भरोसा कर सकते है? या कौन सा stock choose करना है । इस मेथड की स्टडी करके ट्रेडर Entery or Exit Point को भी स्पष्ट कर सकते हैं ।
Types of stock analysis :
स्टॉक एनालिसिस के दो मुख्य प्रकार होते हैं । उनमें से पहला प्रकार Fundamental Analysis और दूसरा Technical Analysis होता है ।
हम सबसे पहले फंडामेंटल एनालिसिस के बारे में जानकारी लेते हैं । फंडामेंटल एनालिसिस कंपनी की पूरी इंफॉर्मेशन होती है जैसे कि कंपनी के डायरेक्टर कौन है कंपनी के सीईओ कौन है कंपनी किस सेक्टर से बिलॉन्ग करती है कंपनी का Market Capital कितना है इससे कंपनी के मैनेजमेंट के बारे में हमें पता चलता है । बाद में कंपनी के फाइनेंसियल मैनेजमेंट के बारे में भी पता होना बहुत जरूरी होता है जैसे कि कंपनी की बैलेंस शीट, कंपनी का प्रॉफिट एंड लॉस अकाउंट स्टेटमेंट, कैश फ्लो स्टेटमेंट, लेजर स्टेटमेंट Etc .
कंपनी के हर 3 महीने में Quarterly Results आते हैं उसकी जानकारी से हमें यह पता चलता है कंपनी प्रॉफिट में है यह लॉस में हैं । कंपनी का ग्रोथ रेट कैसा है यह हमें फंडामेंटल एनालिसिस से पता चलता है अगर कंपनी प्रॉफिट में है तो कंपनी को कितने करोड़ का प्रॉफिट हुआ है और अगर कंपनी लॉक में है तो कंपनी को कितने करोड़ को लॉस हुआ है यह क्वार्टरली रिजल्ट्स से पता चलता है । अगर किसी क्वार्टर में कंपनी को लॉस हुआ है तो नेक्स्ट क्वार्टर में कंपनी ने अपना कितना लॉस कवर किया है इसका भी कंपनी के शेयर प्राइस पे फर्क पड़ता है ।
इसमें दूसरा प्रकार होता है टेक्निकल एनालिसिस का । टेक्निकल एनालिसिस में asset और हिस्टोरिकल प्राइस चार्ट और मार्केट पैटर्न की प्रीवियस स्टडी करके फ्यूचर मोमेंट को प्रेरित करते हैं । ट्रेडर सपोर्ट और रेसिस्टैंस लाइन, चार्ट पेटर्न, इंडिकेटर इस प्रकार की टूल्स बयिंग और सेलिंग के लिए इस्तेमाल करते हैं । इसलिए मार्केट में इन्वेस्ट करने से पहले stock analysis करना जरूरी होता है |
Note :- Both varieties of stock analysis have the same intended outcome to make the correct buying and selling decision and choose the optimal times to place trades.
पहला कदमः शेयर खरीद में किन बातों का रखें ख्याल
पहला कदम में आज हम जानेंगे किसी भी कंपनी के शेयर को खरीदते वक्त किन बातों का ख्याल रखना जरुरी है।
सीएनबीसी आवाज़ की फाइनेंशियल लिटरेसी की मुहिम पहला कदम में इन दिनों हम बात कर रहे हैं शेयर बाजार में निवेश की। उम्मीद है हमारे आपको अपने कई सवालों के जवाब मिल गए होंगे। अगर फिर भी आपके जेहन में कुछ सवाल उठ रहे हों तो आप हमें सवाल भेज सकते हैं हमारी वेबसाइट pehla kadam.in पर या फिर आप पहला कदम के फेसबुक पेज पर भी हमें लिख सकते हैं साथ ही हमें एसएमएस के जरिए अपना संदेश पहुंचा सकते हैं। आज हम बात कर रहे हैं कि किसी भी कंपनी के शेयर को खरीदते वक्त कौन - कौन सी, किन बातों का ख्याल रखे और इस पर आपको सलाह देंगे सीएनबीसी-आवाज़ के मार्केट एडिटर अनिल सिंघवी।
कैसे करें स्टॉक एनालिसिस
स्टॉक एनालिसिस के 2 तरीके होते है, एक फंडामेंटल एनालिसिस और दूसरा टेक्निकल एनालिसिस। कंपनी के ट्रैक रिकॉर्ड के आधार पर भविष्य का अनुमान फंडामेंटल एनालिसिस के जरिए होता है। फंडामेंटल एनालिसिस में कंपनी के फाइनेंशियल के आधार पर शेयर के आगे के परफॉर्मेंस का अंदाजा लगाया जाता है। वहीं टेक्निकल एनालिसिस में कंपनी के फाइनेंशियल्स से कोई लेना-देना नहीं होता है। टेक्निकल एनालिसिस में शेयर के परफॉर्मेंस के आधार पर उसकी आगे की चाल का अनुमान लगाया जाता है। टेक्निकल एनालिसिस में शेयर परफॉर्मेंस और उसके वॉल्यूम का एनालिसिस किया जाता है
फंडामेंटल एनालिसिस के तरीके
फंडामेंटल एनालिसिस के भी 2 तरीके होते है पहला टॉप-डाउन अप्रोच और दूसरा बॉटम-अप अप्रोच। टॉप डाउन अप्रोच में देश की इकोनॉमी की हालत देखी जाती है। अलग-अलग सेक्टर की स्थिति का एनालिसिस किया जाता है। खास सेक्टर की अलग-अलग कंपनियों की हालत देखी जाती है और फिर किसी एक कंपनी का चुनाव किया जाता है। टेक्निकल एनालिसिस पर कितना भरोसा कर सकते है? इसमें चुनी गई कंपनी का कारोबार और उसके फाइनेंशियल्स का एनालिसिस किया जाता है।
बॉटम-अप एप्रोच में किसी एक कंपनी का चुनाव किया जाता है और उस कंपनी के कारोबार और फाइनेंशियल्स का एनालिसिस किया जाता है। सेक्टर की हालत देखी जाती है और देश की इकोनॉमी का विश्लेषण किया जाता है। आखिर में ग्लोबल इकोनॉमी को देखा जाता है। अगर देश में ही निवेश करना है तो फंडामेंटल एनालिसिस में बॉटम-अप एप्रोच बेहतर होता है। और अगर विदेशी बाजार में निवेश करना है तो टॉप-डाउन एप्रोच ठीक रहता है।
देशी निवेशकों को कंपनियों के परफॉर्मेंस पर ही ध्यान देना चाहिए। कंपनियों के प्रॉफिट, मार्जिन, सेल्स और तिमाही नतीजों के आधार पर अनुमान लगाना चाहिए। कंपनियों के फाइनेंशियल डाटा एक्सचेंज की साइट्स पर मिल जाते हैं।
प्रोजेक्शन क्या है?
कंपनी की बैलेंसशीट, प्रॉफिट और लॉस अकाउंट, कैश-फ्लो के आधार पर आगे के अनुमान को प्रोजेक्शन कहते हैं। प्रोजेक्शन के लिए कैश फ्लो जानना जरूरी है। अगर बैलेंसशीट में कैश फ्लो दिखता है तो उस कंपनी के फंडामेंटल अच्छे माने जा सकते हैं। एक ही सेक्टर कंपनियों के बीच तुलना में उनका साइज जानना जरूरी है। तुलना तिमाही दर तिमाही और साल दर साल होनी चाहिए।
बैलेंस शीट क्या है?
बैलेंस शीट किसी एक खास दिन के लिए तैयार की जाती है। बैलेंस शीट में बायीं ओर लायबिलिटी और दायीं ओर एसेट्स का कॉलम होता है। लायबिलिटी में शेयर कैपिटल, रिजर्व सरप्लस, करेंट लायबिलिटी और लॉन्ग टर्म लायबिलिटी शामिल होते हैं। एसेट्स में फिक्स एसेट, करेंट एसेट, प्रॉफिट और लॉस शामिल होते हैं। बैलेंस शीट से कंपनी की हालत का पता चलता है। प्रॉफिट और लॉस में एक तरफ खर्च और दूसरी ओर इनकम दर्ज होती है। तो कैश फ्लो कंपनी में कैश की आवाजाही की स्थिति बताता है। कैश फ्लो में देखना चाहिए कि कंपनी के देनदार कितने वक्त में पैसा लौटा रहे हैं।
पहला कदमः शेयर खरीद में किन बातों का रखें ख्याल
पहला कदम में आज हम जानेंगे किसी भी कंपनी के शेयर को खरीदते वक्त किन बातों का ख्याल रखना जरुरी है।
सीएनबीसी आवाज़ की फाइनेंशियल लिटरेसी की मुहिम पहला कदम में इन दिनों हम बात कर रहे हैं शेयर बाजार में निवेश की। उम्मीद है हमारे आपको अपने कई सवालों के जवाब मिल गए होंगे। अगर फिर भी आपके जेहन में कुछ सवाल उठ रहे हों तो आप हमें सवाल भेज सकते हैं हमारी वेबसाइट pehla kadam.in पर या फिर आप पहला कदम के फेसबुक पेज पर भी हमें लिख सकते हैं साथ ही हमें एसएमएस के जरिए अपना संदेश पहुंचा सकते हैं। आज हम बात कर रहे हैं कि किसी भी कंपनी के शेयर को खरीदते वक्त कौन - कौन सी, किन बातों का ख्याल रखे और इस पर आपको सलाह देंगे सीएनबीसी-आवाज़ के मार्केट एडिटर अनिल सिंघवी।
कैसे करें स्टॉक एनालिसिस
स्टॉक एनालिसिस के 2 तरीके होते है, एक फंडामेंटल एनालिसिस और दूसरा टेक्निकल एनालिसिस। कंपनी के ट्रैक रिकॉर्ड के आधार पर भविष्य का अनुमान फंडामेंटल एनालिसिस के जरिए होता है। फंडामेंटल एनालिसिस में कंपनी के फाइनेंशियल के आधार पर शेयर के आगे के परफॉर्मेंस का अंदाजा लगाया जाता है। वहीं टेक्निकल एनालिसिस में कंपनी के फाइनेंशियल्स से कोई लेना-देना नहीं होता है। टेक्निकल एनालिसिस में शेयर के परफॉर्मेंस के आधार पर उसकी आगे की चाल का अनुमान लगाया जाता है। टेक्निकल एनालिसिस में शेयर परफॉर्मेंस और उसके वॉल्यूम का एनालिसिस किया जाता है
फंडामेंटल एनालिसिस के तरीके
फंडामेंटल एनालिसिस के भी 2 तरीके होते है पहला टॉप-डाउन अप्रोच और दूसरा बॉटम-अप अप्रोच। टॉप डाउन अप्रोच में देश की इकोनॉमी की हालत देखी जाती है। अलग-अलग सेक्टर की स्थिति का एनालिसिस किया जाता है। खास सेक्टर की अलग-अलग कंपनियों की हालत देखी जाती है और फिर किसी एक कंपनी का चुनाव किया जाता है। इसमें चुनी गई कंपनी का कारोबार और उसके फाइनेंशियल्स का एनालिसिस किया जाता है।
बॉटम-अप एप्रोच में किसी एक कंपनी का चुनाव किया जाता है और उस कंपनी के कारोबार और फाइनेंशियल्स का एनालिसिस किया जाता है। सेक्टर की हालत देखी जाती है और देश की इकोनॉमी का विश्लेषण किया जाता है। आखिर में ग्लोबल इकोनॉमी को देखा जाता है। अगर देश में ही निवेश करना है तो फंडामेंटल एनालिसिस में बॉटम-अप एप्रोच बेहतर होता है। और अगर विदेशी बाजार में निवेश करना है तो टॉप-डाउन एप्रोच ठीक रहता है।
देशी निवेशकों को कंपनियों के परफॉर्मेंस पर ही ध्यान देना चाहिए। कंपनियों के प्रॉफिट, मार्जिन, सेल्स और तिमाही नतीजों के आधार पर अनुमान लगाना चाहिए। कंपनियों के फाइनेंशियल डाटा एक्सचेंज की साइट्स पर मिल टेक्निकल एनालिसिस पर कितना भरोसा कर सकते है? जाते हैं।
प्रोजेक्शन क्या है?
कंपनी की बैलेंसशीट, प्रॉफिट और लॉस अकाउंट, कैश-फ्लो के आधार पर आगे के अनुमान को प्रोजेक्शन कहते हैं। प्रोजेक्शन के लिए कैश फ्लो जानना जरूरी है। अगर बैलेंसशीट में कैश फ्लो दिखता है तो उस कंपनी के फंडामेंटल अच्छे माने जा सकते हैं। एक ही सेक्टर कंपनियों के बीच तुलना में उनका साइज जानना जरूरी है। तुलना तिमाही दर तिमाही और साल दर साल होनी चाहिए।
बैलेंस शीट क्या है?
बैलेंस शीट किसी एक खास दिन के लिए तैयार की जाती है। बैलेंस शीट में बायीं ओर लायबिलिटी और दायीं ओर एसेट्स का कॉलम होता है। लायबिलिटी में शेयर कैपिटल, रिजर्व सरप्लस, करेंट लायबिलिटी और लॉन्ग टर्म लायबिलिटी शामिल होते हैं। एसेट्स में फिक्स एसेट, करेंट एसेट, प्रॉफिट और लॉस शामिल होते हैं। बैलेंस शीट से कंपनी की हालत का पता चलता है। प्रॉफिट और लॉस में एक तरफ खर्च और दूसरी ओर इनकम दर्ज होती है। तो कैश फ्लो कंपनी में कैश की आवाजाही की स्थिति बताता है। कैश फ्लो में देखना चाहिए कि कंपनी के देनदार कितने वक्त में पैसा लौटा रहे हैं।
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