जोखिम प्रबंधन क्या है
वीडियो: जोखिम प्रबंधन और संकट प्रबंधन के बीच अंतर
मुख्य अंतर - संकट प्रबंधन बनाम जोखिम प्रबंधन
मुख्य अंतर संकट प्रबंधन और जोखिम प्रबंधन के बीच कई कारक मौजूद हैं जैसे कि प्रकृति, सगाई, आदि। संकट प्रबंधन और जोखिम प्रबंधन शाखाएं एक साउंड कॉरपोरेट गवर्नेंस संरचना के लिए सबसे अच्छा अभ्यास करने के लिए आवश्यक हैं। ये शर्तें आपस में जुड़ी हुई हैं और एक प्रतिस्पर्धी माहौल में व्यवसाय की स्थिरता सुनिश्चित करने वाली व्यावसायिक इकाई के भीतर एक बेहतर प्रशासन के लिए मजबूत समर्थन प्रदान करेगी। संकट प्रबंधन प्रमुख घटनाओं से संबंधित है जो संगठन, इसके हितधारकों, या सामान्य जनता को नुकसान या धमकी देते हैं।जोखिम प्रबंधन में खतरों के प्रभावों को निर्धारित करना, खतरों की प्रकृति का पता लगाना और व्यवसाय को सुचारू रूप से चलाने के लिए स्वीकार करना, स्थानांतरित जोखिम प्रबंधन क्या है करना, टालना या कम करना द्वारा जोखिम को नियंत्रित करने के सर्वोत्तम तरीके खोजना शामिल है। अच्छा जोखिम प्रबंधन प्रक्रिया जोखिमों की पहचान और स्वीकृति पर प्रकाश डालती है, और संकट प्रबंधन की एक प्रक्रिया एक ऐसी घटना का जवाब देती है जिससे परिचालन को खतरा होगा। जोखिम प्रबंधन के रूप में इन दोनों के बीच संबंध एक संकट प्रबंधन में बदल जाता है यदि किसी खतरे के शुरुआती चरणों में समझदारी से संभाला नहीं जाता है।
1. अवलोकन और मुख्य अंतर
2. क्राइसिस मैनेजमेंट क्या है
3. जोखिम प्रबंधन क्या है
4. साइड बाय साइड तुलना - टेबुलर फॉर्म में संकट प्रबंधन बनाम जोखिम प्रबंधन
5. सारांश
संकट प्रबंधन क्या है?
संकट प्रबंधन एक ऐसा शब्द है जो एक विशिष्ट प्रक्रिया या ऐसी प्रक्रियाओं के संग्रह का वर्णन करता है जो किसी अप्रत्याशित घटना या नुकसान से निपटने जोखिम प्रबंधन क्या है के लिए किए जाते हैं जो किसी संगठन के व्यवसाय संचालन या सामान्य रूप से किसी व्यक्ति या सार्वजनिक को धमकी देता है। यहां, संकट एक अचानक और अप्रत्याशित स्थिति है जो कार्यस्थल पर लोगों के बीच अशांति का कारण बनती है। संकट एक जोखिम के कारण होने वाली घटना है। संकट प्रबंधन एक प्रतिक्रियाशील प्रक्रिया है। पूर्व चेतावनी के बिना संकट होता है। ये आपातकालीन स्थितियां, जैसे कारणों से उत्पन्न हो सकती हैं,
- तकनीकी खराबी और ब्रेकडाउन
- कर्मचारी असहमति
- आतंकवाद से हिंसा और खतरा
- शुरुआत में मामूली मुद्दों की उपेक्षा - जोखिम प्रबंधन चरण में निपटा जाना चाहिए
- अवैध व्यवहार
- लेनदारों को भुगतान करने पर संगठन विफल हो जाता है
संकट प्रबंधन यह सुनिश्चित करने से संबंधित है कि यदि वे किसी पूर्व सूचना के बिना किसी भी समय उत्पन्न हों तो तनावपूर्ण परिस्थितियों का सामना कैसे करें। इस प्रक्रिया में ऐसी गतिविधियाँ और कदम शामिल हैं जो प्रबंधन और सभी कर्मचारियों को उन घटनाओं का विश्लेषण करने और समझने में मदद करते हैं जिनके कारण संगठन के भीतर अनिश्चितता पैदा हुई।
संकट प्रबंधन एक प्रतिक्रियाशील प्रक्रिया है
जोखिम प्रबंधन क्या है?
जोखिम की पहचान किसी के जीवन के हिस्से के रूप में की जाती है और यह किसी संगठन या व्यावसायिक प्रक्रिया पर भी लागू होता है। जोखिम प्रबंधन उस गतिविधि को संदर्भित करता है जो अग्रिम या प्रारंभिक चरणों में संभावित जोखिमों की पहचान करता है और विश्लेषण के माध्यम से जोखिमों को कम करने या रोकने के लिए एहतियाती कार्रवाई करता है। यह संगठनों के साथ-साथ व्यक्तियों के उद्देश्यों को प्राप्त करने के अवसरों को अधिकतम करने के लिए संभावित जोखिमों को समझने, मूल्यांकन और संबोधित करने की एक व्यवस्थित प्रक्रिया होनी चाहिए। जोखिम प्रबंधन एक सक्रिय प्रक्रिया है। प्रभावी जोखिम प्रबंधन पर्याप्त आकस्मिक संसाधनों के साथ किसी भी अप्रत्याशित खतरे का सामना करने के लिए स्थिर और कठोर उपलब्धता सुनिश्चित करने वाले व्यवसाय की रीढ़ बनाता है। जोखिम प्रबंधन प्राकृतिक आपदाओं या परिष्कृत प्रणाली की विफलता के कारण किसी व्यवसाय में उत्पन्न होने वाले जोखिमों को कवर करेगा।
संकट प्रबंधन और जोखिम प्रबंधन के बीच अंतर क्या है?
संकट प्रबंधन बनाम जोखिम प्रबंधन
सारांश - संकट प्रबंधन बनाम जोखिम प्रबंधन
संकट प्रबंधन और जोखिम प्रबंधन दोनों एक प्रतिस्पर्धी माहौल में व्यवसाय की स्थिरता सुनिश्चित करने जोखिम प्रबंधन क्या है वाली एक व्यावसायिक इकाई के भीतर बेहतर प्रशासन का समर्थन करते हैं। दोनों एक ध्वनि कॉर्पोरेट प्रशासन संरचना के आवश्यक कारक हैं। संकट प्रबंधन और जोखिम प्रबंधन के बीच महत्वपूर्ण अंतर उनकी प्रकृति और सगाई प्रक्रियाओं की सीमाओं के भीतर है।
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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न
कार्यालयों को भ्रष्टाचार की संभावना के आधार पर अधिक, मध्यम व कम जोखिम वाले कार्यालयों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है तथा कर्मचारियों को गोपनीय रिपोर्ट के आधार पर उनका भी इसी प्रकार अधिक, मध्यम व कम जोखिम वाले कर्मचारी के रूप में वर्गीकरण किया जा सकता है। ‘भ्रष्टाचार के अधिक जोखिम’ वाले कार्यालयों में ‘कम जोखिम वाले अधिकारियों’ की नियुक्ति भी भ्रष्टाचार के नियंत्रण के लिये एक बेहतर विकल्प प्रस्तुत करता है।
रिस्क मैनेजमेंट क्या है और कैसे बनें रिस्क मैनेजर
जोखिम प्रबंधन आजकल सबसे अधिक सफल करियर में से एक है। जोखिम प्रबंधन में संभावित जोखिमों की पहचान करके, उनका विश्लेषण करके और जोखिम को रोकने के लिए कुछ जरुरी प्लान या पॉलिसी बनायी जाती है। अब लगभग हर क्षेत्र में रिस्क मैनेजमेंट द्वारा रिस्क को कम करके उससे होने वाली हानि या नकारात्मक प्रभाव को नियंत्रित किया जाता है। आजकल कई कंपनियां इन प्रोफेशनल को हायर करती हैं। हम कह सकते हैं कि Risk Management एक संगठन के सभी कर्मचारियों और ग्राहकों के लिए एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करता है और इस तरह से एक व्यवसाय की स्थिरता बढ़ जाती है और भविष्य में होने वाले रिस्क की गुंजाईश भी कम हो जाती है।
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कई बार आपने अपने जानकार लोगों के बारे में सुना होगा कि उन्होंने बहुत बड़ा रिस्क लिया और उनका सारा पैसा डूब गया या जिस काम को उन्होंने शुरू किया था उसमे उनको बहुत नुकसान झेलना पड़ा और वो अपने काम में असफल हो गए। इसके अलावा कई बार ये भी सुनने को मिला होगा कि उस इंसान ने इतना बड़ा रिस्क लिया और आज वो एक सफल इंसानो की लिस्ट में शामिल है। ऐसा नहीं है कि रिस्क में केवल नुकसान ही उठाना पड़ता है, कई बार रिस्क लेकर कोई इंसान सफलता की ऊंचाइयों को भी छू लेता है अर्थात रिस्क मतलब जोखिम Risk किसी कार्य या प्रोजेक्ट की भविष्य में होने वाली अनिश्चित घटनाएं होती हैं। जिसके बारे में किसी को पता नहीं होता है। क्योंकि हर काम में रिस्क की संभावना जरूर होती है इसलिए किसी भी कार्य को करने से पहले नुकसान या हानि की संभावना के बारे में जान लेना चाहिए। बस इन्ही हानि की संभावनाओं को कम करता है रिस्क मैनेजमेंट, तो चलिए जानते हैं क्या है रिस्क मैनेजमेंट और कैसे बनें रिस्क मैनेजर।
रिस्क मैनेजमेंट क्या है ?
रिस्क तो लगभग हर काम में और हर क्षेत्र में होता है लेकिन आज हम बात करेंगे बिजनेस और एकनॉमी की अनिश्चित दुनिया की। क्योंकि हर ऑरगेनाइजेशन या हर कंपनी में रिस्क जरूर होता है। सबसे पहले जानते हैं रिस्क मैनेजमेंट क्या है। रिस्क मैनेजमेंट वो प्रक्रिया है जिसमें कोई भी संगठन अपने लेन-देन के मामले में बहुत कम नुकसान और ज्यादा से ज्यादा लाभ का मैनेजमेंट करने की कोशिश करता है यानि संगठन यही कोशिश करता है कि रिस्क कम से कम हो और फायदा अधिक से अधिक। Risk Management में Risk की पहचान की जाती है। जिसके बाद हर काम की निगरानी करके और भविष्य में होने वाली दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं का मूल्यांकन Evaluation करके रिस्क की संभावना या प्रभाव को नियंत्रित control किया जाता है। Risk Management को यूँ भी समझ सकते हैं कि संभावित जोखिमों की पहले से पहचान करके, उनका विश्लेषण Analysis करके और उसके लिए एहतियाती कदम उठाकर जोखिम को कम करने की एक प्रक्रिया है। मतलब आने वाली समस्याओं को Identify करना, उनका Analysis करना और फिर उन्हें Eliminate करना होता है, ताकि आने वाले समय में समस्याओं के कारण उस कार्य या Project को किसी प्रकार का नुकसान ना पहुँचे । इसके द्वारा आने वाले खतरों के प्रति आगाह किया जाता है, जिससे आने वाले खतरों की पहचान करके, उनका आंकलन करके उन पर नियंत्रण किया जाता है।
रिस्क मैनेजर के कार्य और कैसे बनें रिस्क मैनेजर
आजकल रिस्क मैनेजर Risk manager तेजी से उभरते करियर के रूप में काफी प्रचलन में है। अगर आप भी रिस्क मैनेजर बनना चाहते हैं तो जानते हैं कि रिस्क मैनेजर कैसे बनें। सबसे पहले ये जानते हैं कि रिस्क मैनेजर Risk Manager का क्या काम होता है। अब हर ऑरगेनाइजेशन या कंपनी आने वाले रिस्क को कम करने की कोशिश करती है। इसके लिए कंपनियां नयी-नयी रणनीतियां Strategies अपना रही हैं। जिससे आने वाले समय में होने वाले नुकसान से बचा जा सके। बस कंपनी या किसी संगठन में अचानक होने वाले नुकसान, दुर्घटनाओं या हानि से बचाने का काम करता है एक रिस्क मैनेजर। एक रिस्क मैनेजर ऐसे उपायों या ऐसे नियमों को लागू करता है जो उन परिणाम के प्रभाव को नियंत्रित करते हैं जो कम्पनी के लिए हानिकारक और नुकसानदायक हो सकते हैं। रिस्क मैनेजर्स का काम बिजनेस में होने वाले कई प्रकार के रिस्क दूर करना, उसके लिए प्लान बनाना, उसे आयोजित करना, उन सभी प्लान को लीड करना और नियंत्रित करना होता है। इन सब कार्यों की जिम्मेदारी होती है रिस्क मैनेजर की। मतलब रिस्क मैनेजर के रूप में आपके ये कार्य हो सकते हैं जैसे- आने वाले जोखिम से निपटने के लिए बेहतर तरीकों को अपनाना। जोखिम को पहचानना और प्रोग्राम का अवलोकन Observation और संचालन करना। साथ ही रिस्क मैनेजमेंट के तरीकों को लागू करना भी होता है। रिस्क मैनेजमेंट के लिए ये कुछ Course हैं जिन्हें आप कर सकते हैं।
Undergraduate Course-
बीबीए इन रिस्क मैनेजमेंट BBA in Risk Management
बीकॉम इन रिस्क मैनेजमेंट BCom in Risk Management
Graduate Course -
पीजी डी इन इंश्योरेंस रिस्क मैनेजमेंट PG D in Insurance Risk Management
इंटरनैशनल पीजी डी इन रिस्क मैनेजमेंट International PG D in Risk Management
पीजी डी इन रिस्क मैनेजमेंट PGD in Risk Management
एमबीए इन रिस्क मैनेजमेंट MBA in Risk Management
कुछ Top Colleges निम्न हैं -
भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद Indian Institute of Management Ahmedabad,
भारतीय प्रबंधन संस्थान कोझिकोड Indian Institute of Management, Kozhikode,
जोखिम प्रबंधन क्या है
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आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए राष्ट्रीय मंच
भारत सरकार आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में विभिन्न रुचियों का प्रतिनिधित्व करने वाले लोगों सहित केंद्र और राज्य सरकारों और हितधारकों की सक्रिय भागीदारी के साथ आपदा प्रबंधन में निर्णय लेने की एक सहभागी प्रक्रिया को विकसित करने की आवश्यकता महसूस है।
तदनुसार, भारत सरकार ने दिनांक 26 फरवरी, 2013 के संकल्प द्वारा आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए एक बहु-हितधारक और बहु-राष्ट्रीय मंच (एनपीडीआरआर) का गठन किया और विभिन्न हितधारकों की व्यापक भागीदारी के लिए 17 जनवरी, 2017 को संकल्प संख्या 47-31/2012-डीएम-III के द्वारा संशोधित किया। एनपीडीआरआर के अध्यक्ष केंद्रीय गृह मंत्री हैं और आपदा प्रबंधन के प्रभारी राज्य मंत्री, गृह मंत्रालय एनपीडीआरआर के उपाध्यक्ष हैं। एनपीडीआरआर के अन्य सदस्य 15 कैबिनेट रैंक मंत्री, उप-अध्यक्ष, नीति आयोग, प्रत्येक राज्य सरकार/केंद्र शासित प्रदेश जो आपदा प्रबंधन के विषय से संबंधित है, स्थानीय स्वसाशन और संसद के प्रतिनिधियों, पदेन सदस्यों, राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों के प्रमुखों, उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वाले व्यक्तियों, मीडिया प्रतिनिधियों, नागरिक सोसाइटी संगठनों और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि हैं। एनपीडीआरआर इस प्रकार एक प्रक्रिया द्वारा चिन्हित करता है जो आपदा जोखम न्यूनीकरण के क्षेत्र में बात-चीत, अनुभव, दृष्टिकोण, विचारों, अनुसंधान और कार्रवाईयों की वर्तमान निष्कषों को साझा करने और आपसी सहयोग के लिए असवरों का पता लगाने में सुविधा युक्त बनाता है।
एनपीडीआरआर की पहली बैठक 13-14 मई, 2013 को नई दिल्ली में ‘’विकास में डीआरआर को मुख्य धारा में लाना: जोखिम से समुत्थानशीलता तक’’ विषय पर आयोजित की गई थी। इसका आयोजन कार्रवाई के लिए ह्योगो रूपरेखा के कार्यान्वयन को प्रोत्साहित करने और आपदा जोखिम न्यूनीकरण में वैज्ञानिकों, चिकित्सकों के संसाधनों का एक पूल बनाने के उद्देश्य से किया गया था।
एनपीडीआरआर की दूसरी बैठक 15-16 मई, 2017 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में ‘’सतत् विकास के लिए आपदा जोखिम न्यूनीकरण: भारत को 2030 तक प्रतिरोधी बनाना’’ विषय पर आयोजित की गई थी। बैठक में आकस्मिक मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया, आपदा जोखिम प्रबंधन पर प्रधान मंत्री के 10-सूत्री एजेंडा और आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए सेंडाई रूपरेखा (एसएफडीआरआर) के एकीकृत कार्यान्वयन, पैरिस जलवायु करार और सतत् विकास लक्ष्य (एसडीजी) में इसकी प्रासंगिकता पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया। प्रधान मंत्री के 10 सूत्री एजेंडा दूसरी एनपीडीआरआर, 2017 की सिफारिशों के रूप में उभरा।
तीसरी राष्ट्रीय मंच पर अब ‘’आपदा जोखिम न्यूनीकरण को मुख्य धारा में लाना’’ विषय पर निम्नलिखित उद्देश्यों के साथ आयोजित करने का प्रस्ताव है
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