पोस्ट ऑफिस मासिक बचत योजना में निवेश कर हर महीने निश्चित राशि प्राप्त कर सकते हैं।

कार्य आबंटन

उर्वरक विभाग के लेखा संगठन का नेतृत्व मुख्य लेखा नियंत्रक करते हैं। वह लेखा नियंत्रक / उप लेखा नियंत्रक और 2 पीएओ और 3 एएओ की सहायता से अपने कर्तव्यों का पालन करता है और मुख्य लेखा नियंत्रक के प्रभार के तहत एक पीएओ और एक एएओ से मिलकर एक आंतरिक लेखा परीक्षा विंग है।

इसके निम् ‍ न कर्तव् ‍ य हैं :

1. उर्वरक विभाग और एफआईसीसी के व् ‍ यक् ‍ तिगत दावों / राजसहायता दावों / ऋण और निवेश से संबंधित सभी भुगतान की व् ‍ यवस् ‍ था करना।

2. उर्वरक विभाग और एफआईसीसी के अधिकारियों और कर्मचारियों को पेंशन और अन् ‍ य सेवानिवृत् ‍ ति लाभों के भुगतान की व् ‍ यवस् ‍ था करना।

3. विभाग के सभी भुगतानों और प्राप् ‍ तियों का लेखा - जोखा रखना और विनियोजन लेखा , वित् ‍ त लेखा और केन् ‍ द्रीय लेनदेन के विवरण को मासिक और वार्षिक आधार पर समेकित करना।

4. उचत खाते के तहत न् ‍ यूनतम बकाया राशि के साथ जीएफआर के प्रावधानों के संदर्भ में खातों का प्रभावी ढंग से रखरखाव करना।

5. भारत की संचित निधि से जारी की गई निधियों के उपयोग की आंतरिक लेखा - परीक्षा की व् ‍ यवस् ‍ था और लेखा अभिलेखों का रखरखाव करना।

6. उर्वरक विभाग का प्राप् ‍ ति बजट तैयार करना।

7. व् ‍ यय नियंत्रण और खर्च को संतुलित बनाए रखने में मुख् ‍ य लेखा प्राधिकारी और विभाग के वित् ‍ तीय सलाहकार की सहायता करना।

8. सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के साथ भारत सरकार के ऋण और इक् ‍ विटी के खाते का रखरखाव करना।

9. उर्वरक विभाग द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को किए गए वीआरएस और वीएसएस भुगतान के संबंध में उपयोग प्रमाण - पत्र की निगरानी करना।

10. महालेखा नियंत्रक के कार्यालय और उर्वरक विभाग के बीच कार्य का समन् ‍ वयन करना।

11. लेखा से संबंधित मामलों पर विभाग को सलाह देना।

12. लेखा स् ‍ कंध की स् ‍ थापना का कार्य देखना जिसमें महालेखा नियंत्रक के कार्यालय के दिशा - निर्देशों के तहत स् ‍ थानांतरण , तैनाती और पदोन् ‍ नति शामिल है।

13. महालेखा नियंत्रक के समग्र दिशा - निर्देशों के तहत लेखा संगठन में आई . टी . योजना का कार्यान् ‍ वयन करना।

14. भारतीय रिजर्व बैंक के साथ समाधान करते हुए सरकारी खातों में उर्वरक विभाग के नकद बकाया को रखना।

15. विलय की गई डीडीओ योजना के अंतर्गत , मंत्रालय का रोकड़ अनुभाग लेखा नियंत्रक को रिपोर्ट करता है।

16. राजसहायता के बकाया ‘ लेखागत ’ भुगतान का रखरखाव और संकलन करना तथा अपर सचिव और वित् ‍ तीय सलाहकार तथा सचिव , उर्वरक विभाग को आवधिक रिपोर्टें प्रस् ‍ तुत करना।

17. सभी पुराने राजसहायता दावों की पूर्व - लेखापरीक्षा करना।

18. सीपीएओ को पेंशन और पेंशन में संशोधन करने के लिए भी प्राधिकार।

19. वित् ‍ तीय सलाहकार द्वारा सौंपा गया अन् ‍ य कोई कार्य।

मुख्य लेखा नियंत्रक द्वारा भी किए जाने वाले कुछ विशिष्ट कार्य:

सरकार के कई मंत्रालयों और विभागों में व् ‍ यय बजट को लेखा नियंत्रक के माध् ‍ यम से भी भेजा जाता है , जो एक ऐसा क्षेत्र है जिसे इस कार्यालय के प्रभार में लाया जाना है।

रसायन और उर्वरक मंत्रालय के संबंध में लेखा संगठन के प्रधान के रूप में लेखा नियंत्रक निम् ‍ नलिखित दस् ‍ न्यूनतम निवेश बजट तावेज तैयार करने और उन् ‍ हें लेखा - परीक्षा , महालेखा नियंत्रक और वित् ‍ त मंत्रालय को प्रस् ‍ तुत करने के लिए उत् ‍ तरदायी है :

विनियोजन लेखा के चार चरण

वित् ‍ त लेखा विवरणियां

केन् ‍ द्रीय लेनदेन विवरणियों का विवरण ( एससीटी )

प्राप् ‍ ति बजट / एफआरबीएम विवरण आदि

पीएफएमएस और दैनिक अपलोड आदि का कार्यान् ‍ वयन

वार्षिक लेखा - परीक्षा की समीक्षा ( योजना / कार्यान् ‍ वयन / समीक्षा / जमा आदि )

पूर्व - जांच / पूर्व लेखा - परीक्षा

सूचना प्रौद्योगिकी , पीएफएमएस और ई - लेखा

ऋण / अग्रिम / अनुदान – सहायता – ब् ‍ याज / निवेश आदि

लेखा नियंत्रक का कार्यालय नई पेंशन योजना के रिकॉर्ड का रखरखाव करने और नोडल एजेंसी अर्थात् एनएसडीएल आदि को सरकार / कर्मचारी अंशदान जमा करने के लिए भी उत् ‍ तरदायी है।

मुख् ‍ य लेखा नियंत्रक ( सीसीए ) कार्यालय सभी लेखांकन , बजट संबंधी और विभिन् ‍ न इकाइयों / आहरण और संवितरण अधिकारियों की इकाइयों के कार्यालयों की आंतरिक लेखा - परीक्षा नियंत्रण कार्यों के लिए जिम् ‍ मेदार है।

निवेश के लिए पोस्ट ऑफिस की बेहतरीन बचत योजना, घर बैठे पाएं 2500 रुपए महीना

Post Office Monthly Income Scheme एक मासिक आय योजना है। इस योजना में सरकार की ओर से 6.6 फीसदी का ब्याज दिया जा रहा है और जोखिम भी न के बराबर है।

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पोस्ट ऑफिस मासिक बचत योजना में निवेश कर हर महीने निश्चित राशि प्राप्त कर सकते हैं।

पोस्ट ऑफिस की बचत योजनाओं पर देश के करोड़ों लोग भरोसा करते हैं। यह मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए सालों से निवेश का एक ऐसा जरिया रहा है जिसमें जोखिम ना के बराबर होता है और रिटर्न भी बैंक एफडी से ज्यादा मिलता है। इस कारण बड़ी संख्या में लोग पोस्ट ऑफिस में निवेश करना पसंद करते हैं। पोस्ट ऑफिस की कई योजनाएं ऐसी हैं जो लोगों को निवेश करने के लिए आकर्षित करती हैं। ऐसी ही एक योजना है पोस्ट ऑफिस मासिक आय योजना ( Post Office Monthly Income Scheme) या POMIS। मौजूदा समय में सरकार की ओर से इस पर 6.6 फीसदी का ब्याज दिया जा रहा है, जो कि फिक्स डिपाजिट में मिलने वाले ब्याज से काफी अधिक है।

न्यूनतम निवेश: इस योजना के अंतर्गत आप देश के किसी भी पोस्ट ऑफिस में जाकर न्यूनतम 1000 रुपए के निवेश से अपना खाता खोल सकते हैं। कोई भी निवेशक पोस्ट ऑफिस राष्ट्रीय मासिक बचत खाते में अधिकतम 4.5 लाख रुपए निवेश कर सकता है जबकि दो निवेशक मिलकर जॉइंट अकाउंट के जरिए इस में अधिकतम 9 लाख निवेश कर सकते हैं। इस योजना में नाबालिग के नाम पर भी निवेश किया जा सकता है, लेकिन ऐसे खाते में अधिकतम 3 लाख रुपए ही जमा किए जा सकते हैं।

इस योजना में खाता खोलने के लिए सबसे पहले आपको पोस्ट ऑफिस पर जाकर एक बचत खाता खोलना होगा, फिर उसके बाद आप POMIS योजना का फॉर्म भर के अपना खाता खोल सकते हैं।

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ब्याज का कैलकुलेशन: अगर आप एकल अकाउंट खुलवाते हैं और उसमें 2 लाख रुपए जमा करते हैं तो फिर आपको 1,100 रुपए हर महीने की ब्याज मिलेगी। दूसरी तरफ अगर आप 3.5 लाख रुपए का निवेश करते हैं तो आपको हर महीने 1,925 रुपए की ब्याज मिलेगी। वहीं, अगर आप 4.5 लाख रुपए का निवेश करते हैं तो फिर इसमें आपको हर महीने 2,475 रुपए की ब्याज मिलेगी।

बता दें, पोस्ट ऑफिस मासिक बचत योजना के अंतर्गत मिलने वाला ब्याज पर टैक्स के अंतर्गत आता है, जिसका का कैलकुलेशन आपकी आय के हिसाब से किया जाता है। इस खाते को आप 5 साल बाद मैच्योरिटी पूरी हो जाने के बाद बंद भी कर सकते हैं।

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बता दें, पोस्ट ऑफिस मासिक बचत योजना के अंतर्गत मिलने वाला ब्याज पर टैक्स के अंतर्गत आता है, जिसका का कैलकुलेशन आपकी आय के हिसाब से किया जाता है। इस खाते को आप 5 साल बाद मैच्योरिटी पूरी हो जाने के बाद बंद भी कर सकते हैं।

बजट 2021: उज्ज्वला योजना में जुड़ेंगे एक करोड़ और लाभार्थी, बीमा क्षेत्र में बढ़ी विदेशी निवेश सीमा

बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार 20,000 करोड़ रुपये की पूंजी से एक विकास वित्त संस्थान यानी डीएफआई स्थापित करेगी. साथ ही सरकार अगले वित्त वर्ष में सरकारी बैंकों में 20,000 न्यूनतम निवेश बजट करोड़ रुपये की पूंजी डालेगी.

बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार 20,000 करोड़ रुपये की पूंजी से एक विकास वित्त संस्थान यानी डीएफआई स्थापित करेगी. साथ ही सरकार अगले वित्त वर्ष में सरकारी बैंकों में 20,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालेगी.

Kolkata: A worker waits to deliver LPG cylinders, during Unlock 2.0, in Kolkata, Saturday, July 18, 2020. (PTI Photo/Swapan Mahapatra)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा कि मुफ्त रसोई गैस एलपीजी योजना (उज्ज्वला) का विस्तार किया जाएगा तथा एक करोड़ और लाभार्थियों को इसके दायरे में लाया जाएगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण ने सोमवार को इसकी घोषणा की.

वित्त मंत्री ने 2021-22 के लिए आम बजट पेश करते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान ईंधन की आपूर्ति जारी रखी गई .

उन्होंने कहा कि घरों में पाइप के जरिए गैस पहुंचाने और वाहनों को सीएनजी मुहैया कराने के सिटी गैस वितरण नेटवर्क का विस्तार कर 100 और जिलों को इसके दायरे में लाया जाएगा.

उन्होंने गैस आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सामान्य वहन क्षमता के नियमन की खातिर परिवहन प्रणाली आपरेटर (टीएसओ) की भी घोषणा न्यूनतम निवेश बजट की.

सरकार का बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा 49 से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने का प्रस्ताव

केंद्र सरकार ने बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश(एफडीआई) की सीमा को बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया है. इस कदम का उद्देश्य विदेशी कंपनियों को निवेश के लिए आकर्षित करना है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सभी वित्तीय उत्पादों के लिए निवेशक चार्टर पेश किया जाएगा. यह सभी वित्तीय निवेशकों का अधिकार होगा.

उन्होंने बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने तथा रक्षोपाय के साथ विदेशी भागीदारी तथा नियंत्रण की अनुमति के लिए बीमा अधिनियम-1938 में संशोधन का प्रस्ताव किया.

आम बजट 2021-22 पेश करते हुए सीतारमण ने कहा कि नए ढांचे के तहत ज्यादातर निदेशक और बोर्ड तथा प्रबंधन स्तर के अधिकारी निवासी भारतीय होंगे. कम से कम 50 प्रतिशत निदेशक स्वतंत्र निदेशक होंगे. इसके अलावा मुनाफे का एक निश्चित प्रतिशत सामान्य आरक्षित निधि के रूप में रखा जाएगा.

नया विकास वित्त संस्थान स्थापित करेगी सरकार, 20,000 करोड़ रुपये की पूंजी का प्रस्ताव

सीतारमण ने कहा कि सरकार 20,000 करोड़ रुपये की पूंजी से एक विकास वित्त संस्थान (डीएफआई) स्थापित करेगी.

उन्होंने कहा कि दीर्घकालिक कर्ज देने वाला यह नया वित्तीय संस्थान राष्ट्रीय अवसंरचना विकास कार्यक्रम के लिए 2025 तक अनुमानित 111 लाख करोड़ रुपये की वित्तीय जरूरतों को देखते हुए यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा.

वर्ष 2021-22 का केंद्रीय बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि पेशेवरों द्वारा संचालित डीएफआई का गठन किया जायेगा जो अवसंरचना परियोजाओं के लिए कर्ज प्रदान करने के साथ दूसरी संस्थाओं को भी इसके लिए प्रेरित करेगा.

वित्त मंत्री ने 2019-20 के अपने बजट भाषण में अवसंरचना वित्तपोषण को बढ़ावा देने के लिए कुछ डीएफआई की स्थापना के संबंध में अध्ययन का प्रस्ताव भी रखा था.

राष्ट्रीय अवसंरचना विकास कार्यक्रम एनआईपी (नेशनल इंफ्रास्टक्चर पाइपलाइन) के लिए करीब 7000 परियोजनायें चिन्हित की गई हैं जिनमें 2020 से 2025 के बीच 111 लाख करोड़ रुपये निवेश की योजना है.

मोदी सरकार का दावा है कि एनआईपी एक अनूठी पहल है जिसके तहत देश भर में विश्व स्तरीय आधारभूत ढांचा तैयार किया जायेगा जिससे सभी नागरिकों की जीवनशैली सुधरेगी.

यह 2025 वित्त वर्ष तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य पाने की दिशा में काफी महत्वपूर्ण है.

मालूम हो कि साल 2021 का बजट छह स्तंभों पर आधारित है, जिसमें स्वास्थ्य एवं कल्याण, भौतिक एवं वित्तीय पूंजी तथा बुनियादी ढांचा, समावेशी भारत के लिए समावेशी विकास, मानव पूंजी को मजबूत बनाना, नवाचार एवं आर एंड डी और न्यूनतम सरकार-अधिकतम शासन शामिल हैं.

सरकार अगले वित्त वर्ष में सरकारी बैंकों में 20,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालेगी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह भी कहा कि सरकार अगले वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 20,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालेगी. पूंजी के मिलने से इन बैंकों को पूंजी संबंधी नियामकीय शर्तों को पूरा करनें में आसानी होगी.

चालू वित्त वर्ष में भी सरकार ने बैंकों के पुन:पूंजीकरण के लिए 20,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था.

सीतारमण ने लोकसभा में 2021-22 का बजट पेश करते हुए कहा कि न्यूनतम निवेश बजट सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 20,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालने का प्रस्ताव किया है.

वित्त वर्ष 2019-20 में सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 70,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालने का प्रस्ताव किया था. हालांकि, चालू वित्त वर्ष के बजट में सरकार ने इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं किया था. सरकार को उम्मीद थी कि बैंक अपनी जरूरत के हिसाब से बाजार से धन जुटा लेंगे.

हालांकि सितंबर, 2020 में संसद ने 2020-21 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों के पहले चरण के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए 20,000 करोड़ रुपये के पूंजी निवेश को मंजूरी दी थी.

इसमें से 5,500 करोड़ रुपये की राशि नवंबर, 2020 में पंजाब एंड सिंध बैंक को नियामकीय पूंजी की जरूरत को पूरा करने के लिए उपलब्ध कराई गई है.

आम बजट 2018ः 'समर्थन मूल्य बढ़ाने से ही नहीं सुधरेगी स्थिति'. जानिए विशेषज्ञों ने क्या कहा

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नई दिल्लीः वित्त मंत्री अरुण जेटली के अंतिम पूर्ण बजट में की गई घोषणाओं को लेकर तमाम अखबारों में विशेषज्ञों ने अपनी-अपनी राय व्यक्त की है. हम आपके सामने ऐसे ही चुनिंदा विशेषज्ञों की बजट के बारे में व्यक्त राय रख रहे हैं, जिससे कि आप बजट की जटिलताओं और लोकलुभावनी घोषणाओं के पीछे छिपी वास्तविकता को समझ सकें. मोदी सरकार ने इस बजट में कई क्रांतिकारी घोषणाएं की है. करीब 50 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य बीमा के दायरे में लाने और किसानों को उपज लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देना बजट की सबसे बड़ी घोषणाएं हैं, लेकिन इनके इतर भी बजट दस्तावेज में कई ऐसी चीजें हैं जो आम आदमी से लेकर खास लोगों की जिंदगी पर भारी असर डालने वाले हैं. आइए एक नजर डालते हैं विशेषज्ञों की टिप्पणी पर.

किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में उठाया गया कदम
आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने मिंट अखबार में अपनी टिप्पणी में कहा कि कृषि और स्वास्थ्य इस बजट के सबसे अहम क्षेत्र हैं. किसानों को लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देना और स्वास्थ्य बीमा की घोषणा क्रांतिकारी कदम है. इसके अलावा कृषि बाजारों के विकास के लिए कई कदम उठाने की घोषणा है. इससे किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में उठाया गया कदम माना जा रहा है. इससे कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी.

समर्थन मूल्य बढ़ाने से ही नहीं सुधरेगी स्थिति
आदित्य बिड़ला समूह के मुख्य अर्थशास्त्री अजित रनाडे ने टाइम्स ऑफ इंडिया में लिखा है कि सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा करती रही है लेकिन इसके लिए कृषि उत्पादन और उत्पादों में भी अच्छी-खासी बढ़ोतरी की जरूरत है. केवल समर्थन मूल्य बढ़ाने से बहुत अधिक लाभ नहीं होने वाला. समर्थन मूल्य में बड़ी बढ़ोतरी की घोषणा एक बड़ा राजनीतिक संकेत है. बजट दस्तावेज को देखने से पता चलता है कि खाद्यान्न सब्सिडी के लिए धन में केवल 21 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है जबकि पिछले बजट में यह वृद्धि 27 फीसदी की थी. न्यूनतम समर्थन मूल्य एक तरह का आश्वासन है. इसका फायदा केवल तभी मिलता है जब किसी कमोडिटी के बाजार भाव में भारी गिरावट हो. आज जरूरत कृषि सेक्टर को विभिन्न स्तरों पर मौजूद प्रतिबंधों से मुक्त करने की है. इससे उत्पादकों और उपभोक्ता के बीच सीधा संपर्क टूटता है. बजट में निश्चित रूप से कृषि सेक्टर के लिए कई घोषणाएं की गई हैं. हालांकि इनका असर दिखना अभी बाकी है.

पूरी अर्थव्यवस्था के लिए बेहतरीन बजट
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने एक अखबार से कहा है कि वह इसे पूरी अर्थव्यवस्था के लिए बेहतरीन बजट मानता हूं. इससे कृषि क्षेत्र में नई शुरुआत होगी. किसानों को उत्पादन लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देना बड़ा फैसला है. इससे अर्थव्यवस्था में नई जान आएगी. किसानों और ग्रामीणों की आय बढ़ने से बाजार में वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ेगी जिससे अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी. इसके अलावा स्वास्थ्य बीमा की घोषणा एक क्रांतिकारी कदम है.

नई नौकरियां पैदा करने वाला बजट
जानेमाने अर्थशास्त्री स्वामीनाथन अलंकेशयर अय्यर ने इकनॉमिक टाइम्स में लिखा है कि मोदी सरकार के अंतिम पूर्ण बजट में जॉब, लेबर रिफॉर्म और हेल्थ सेक्टर को प्राथमिकता दी गई है, जो बिल्कुल लोकलुभावन नहीं है. बजट में नई नौकरियों के अवसर पैदा करने के लिए कई तरह के कदम उठाए गए हैं. 250 करोड़ सालाना टर्नओवर वाली कंपनियों के कॉरपोरेट टैक्स को 30 से 25 प्रतिशत करना, सभी सेक्टर में कॉन्ट्रैक्ट लेबर को मंजूरी देना इसी दिशा में उठाए गए कदम हैं. देश की 40 प्रतिशत आबादी के लिए हेल्थ इंश्योरेस का ऐलान दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थकेयर स्कीम है. हालांकि एकबार फिर बजट राजकोषिय घाटे को कम करने में नाकाम रहा है. वहीं लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन से होने वाली कमाई पर 10 प्रतिशत टैक्स लगाया गया है. पिछले बजट के दौरान अरुण जेटली ने राजकोषीय घाटा 3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था लेकिन बाद में इसमें बदलाव कर इसे 3.5 प्रतिशत कर दिया गया था.

फायदा पहुंचने में समय लगेगा
इकोनॉमिक टाइम्‍स में प्रकाशित डिलॉइट इंडिया के सीईओ एन वेंकटराम के अनुसार चुनाव पूर्व वर्ष में वित्‍त मंत्री ने भारत-केंद्रित बजट की घोषणा की है. बिज़नेस की प्रक्रिया को आसान बनाने की बजाय उनका ज्‍यादा जोर आम लोगों के जीवन को आसान बनाना है. इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर, कषि, हेल्‍थकेयर, एजुकेशन, नौकरियां और छोटे तथा मध्‍यम दर्जे के उपक्रमों के लिए कई घोषणाएं की गई हैं जिसकी पहले से उम्‍मीद की जा रही थी. बजट घोषणाओं से माहौल बेहतर होगा, हालांकि खेती और ग्रामीण क्षेत्रों में आमदनी बढ़ने से छोटे किसानों को राहत मिलने में अभी थोड़ा समय लगेगा. साथ में यह उम्‍मीद भी है कि इन उपायों से महंगाई नहीं बढ़ेगी.

अब तक का सबसे बोल्ड बजट
मारुति सुजुकी के चेयरमैन आरसी भार्गव के फाइनेंशियल एक्सप्रेस में लिखा है कि यह अब तक का सबसे बोल्ड बजट है. जैसा कि चुनाव से पहले लोकलुभावन बजट की उम्मीद की जा रही थी यह उस तरह का बजट नहीं है. बजट समाज में एकरुपता लाने की दिशा में उठाया गया कदम है. लेकिन इसे लागू करना सबसे बड़ी चुनौती है. नई योजनाओं को लागू करने में राज्य सरकारों का योगदान महत्वपूर्ण है. गरीबों की सेहत सुधारने के लिए उठाया गया सराहनीय है, लेकिन इसे लागू करना सबसे बड़ा चैलेंज है. इसका समाधान खोजना होगा.

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