दिल्ली अब घर बैठे मिलेगा लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस, 33 अन्य सेवाएं भी आज से ऑनलाइन होंगी उपलब्ध
ऐसे करीब 33 दस्तावेज अब RTO की वेबसाइट से हासिल किए जा सकते हैं
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रहने वाले लोगों को अब ड्राइविंग लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जैसे दलालों की गतिविधियों के दायरे वीइकल रिलेटेड डॉक्यूमेंट्स के लिए RTO के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने बुधवार को फेसलेस स्कीम का शुरूआत की, जिसके तहत अब घर बैठे लर्निंग दलालों की गतिविधियों के दायरे ड्राइविंग लाइसेंस समेत अन्य सुविधाएं मिलेगी।
ऐसे करीब 33 दस्तावेज अब RTO की वेबसाइट (www.transport.delhi.gov.in) से हासिल दलालों की गतिविधियों के दायरे किए जा सकते हैं। दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग ने स्थाई ड्राइविंग लाइसेंस के लिए स्किल टेस्ट और वाहन फिटनेस से संबंधित सेवाओं के अलावा बाकी सभी सर्विस को फेसलेस दलालों की गतिविधियों के दायरे सिस्टम के दायरे में लाने की शुरुआत की है।
दिल्ली सरकार ने परिवहन विभाग की 33 सेवाओं के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू की है, जिसके लिए अब दिल्लीवालों को क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने बुधवार को कहा कि दिल्ली के निवासी अब आपके घर बैठे लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकते हैं।
ऑनलाइन सेवाओं में डुप्लीकेट ड्राइविंग लाइसेंस, एड्रेस चेंज, नया कंडक्टर लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, NOC, इंड्रस्टियल ड्राइविंग परमिट, डीएल रिप्लेसमेंट, रोड टैक्स, आरसी पार्टिकुलर, बीमा एनओसी, माल वाहन के लिए नया परमिट, परमिट रिनिवल, डुप्लीकेट परमिट, ट्रांसफर परमिट, सरेंडर परमिट, परमिट ट्रांसफर और पैसेंजर सर्विस व्हीकल बैज आदि शामिल है।
सीएम केजरीवाल ने कहा कि आधुनिक भारत के लिए यह एक क्रांतिकारी कदम है। अब कंप्यूटर से ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के सारे काम करवा सकते है। उन्होंने कहा कि इसके लिए आपको दलालों के और दफ्तरों के चक्कर काटने की जरूरत नहीं है। सीएम ने कहा कि जब लोग अमेरिका दलालों की गतिविधियों के दायरे से लौटकर आते हैं तो दोस्तों को कहते हैं कि वहां तो सब काम घर बैठे कंप्यूटर में हो जाते हैं, इंडिया में कब होगा? अब ये भारत की राजधानी में शुरू हो चुका है।
जेएनयू हिंसा: छात्रों का आरोप- जो एबीवीपी के नहीं थे, उन्हें निशाना बनाया गया
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लखनऊ में धर्मस्थलों के 100 मीटर के दायरे में नहीं होंगी मांस-मछली की दुकानें व होटल, बना पहला भगवान दलालों की गतिविधियों के दायरे परशुराम चौक
बैठक में लिए गए अन्य प्रमुख फैसलों में हैदरगंज दलालों की गतिविधियों के दायरे द्वितीय वार्ड का नाम बुद्धेश्वर वार्ड, फैजुल्लागंज प्रथम वार्ड का नाम महर्षि नगर, फैज़ुल्लागंज तृतीय वार्ड का नाम केशव नगर और फैजुल्लागंज चतुर्थ का नाम पंडित दीन दयाल उपाध्याय वार्ड रखना तय हुआ।
लखनऊ वापस अपने प्राचीन गौरव की तरफ
रामराज्य की संकल्पना को साकार करने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने जिस प्रकार से धर्मस्थलों को उनके प्राचीन दलालों की गतिविधियों के दायरे एवं पौराणिक नामों से पुनर्स्थापित करने का प्रयास किया है, दलालों की गतिविधियों के दायरे उसकी झलक महानगरों में भी दिखने वाली है। इसकी शुरुआत सबसे पहले उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से हो रही है।
विदित हो कि अब लखनऊ के धर्मस्थलों के आसपास के इलाके मांसाहारी दुकानों से मुक्त होने वाले हैं, क्योंकि उनके 100 मीटर दायरे में मांस-मछली की सभी दुकानें प्रतिबंधित होंगी। प्रतिबंधित 100 मीटर में कोई मांसाहारी रेस्टोरेंट भी चलाने की अनुमति नहीं होगी।
व्यापक जन समर्थन मिल रहे इस प्रस्ताव को नगर निगम लखनऊ की कार्यकारिणी ने गत गुरुवार (30 सितम्बर 2021) की रात पारित कर दिया है। हिंदुस्तान के अनुसार, लखनऊ की मेयर संयुक्ता भाटिया ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि इसको सख्ती से पालन भी करवाया जाएगा।
इसके अलावा, राजाजी पुरम क्षेत्र के एक चौराहे का नाम भगवान परशुराम चौक रखा गया। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भगवान परशुराम के नाम से ये पहला चौराहा है। इसी प्रकार लेबर कालोनी में आने वाले सर्वोदय पार्क का नामकरण महर्षि कश्यप के रूप में होगा। वहीं, डालीगंज के निराला नगर स्थित पार्क भी अब सरदार बल्लभ भाई पटेल पार्क के नाम से जाना जाएगा।
इस बैठक में लिए गए अन्य प्रमुख फैसलों में हैदरगंज द्वितीय वार्ड का नाम बुद्धेश्वर वार्ड, फैजुल्लागंज प्रथम वार्ड का नाम महर्षि नगर, फैज़ुल्लागंज तृतीय वार्ड का नाम केशव नगर और फैजुल्लागंज चतुर्थ का नाम पंडित दीन दयाल उपाध्याय वार्ड रखना तय हुआ।
इसी के साथ पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, भाऊराव देवरस, केशव नगर और परशुराम वार्ड आदि नए नामकरण अलग अलग वार्डों के किए गए। लखनऊ की मेयर दलालों की गतिविधियों के दायरे संयुक्ता भाटिया के अनुसार, नाम बदलने के ये सभी प्रस्ताव स्थानीय सभासदों के द्वारा आए थे, जिसको जन भावना व जन अपेक्षा मान कर फैसले लिए गए।
जानकारी हेतु ये भी बता दें कि इस से पहले मथुरा वृन्दावन के क्षेत्रों को मांस-मछली की दुकानों से मुक्त करने के आदेश दिए गए थे। बताया ये भी जा रहा है कि भविष्य में उत्तर प्रदेश के कई अन्य शहरों में भी इसी प्रकार के नियम लागू किए जा सकते हैं।
1947 के बँटवारे के समय भारत में शरणार्थी बन कर आए लोगों के दलालों की गतिविधियों के दायरे लिए भी लखनऊ नगर निगम की ये मीटिंग अभूतपूर्व ख़ुशी का कारण बनी। पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को मोहन रोड पर जीवन यापन के लिए किराए पर दी गईं 327 दुकानों को उन्हें स्थाई तौर पर आवंटित कर देने निर्णय लिया गया।
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