Hero Splendor फिर बनी बेस्ट सेलिंग टू-व्हीलर, जानें टॉप 10 में Activa को कहां मिली जगह?
हीरो स्प्लेंडर की भारत में सबसे ज्यादा बिक्री हुई. इसने होंडा एक्टिवा जैसे स्कूटर के साथ ही होंडा सीबी शाइन, हीरो एचएफ डीलक्स, बजाज पल्सर, बजाज प्लैटिना, टीवीएस जुपिटर सहित दूसरे बाइक और स्कूटर को पीछे छोड़ दिया.
Hero Splendor Best Selling 2-Wheeler: भारत में सबसे ज्यादा बिकनेवाली बाइक और स्कूटर कौन से हैं? बाकी महीनों की तरह पिछले महीने नवंबर में भी हीरो मोटोकॉर्प की बजट बाइक हीरो स्प्लेंडर की भारत में सबसे ज्यादा बिक्री हुई. इसने होंडा एक्टिवा जैसे स्कूटर के साथ ही होंडा सीबी शाइन, हीरो एचएफ डीलक्स, बजाज पल्सर, बजाज प्लैटिना, टीवीएस जुपिटर सहित दूसरे बाइक और स्कूटर को पीछे छोड़ दिया. वहीं, मंथली और एन्युअल सेल में दूसरी मोटरसाइकिल और स्कूटर की तरह हीरो स्प्लेंडर की बिक्री में भी कमी देखने को मिली.
टॉप पर हीरो स्प्लेंडर अब भी कायम
डेली कम्यूट के लिए अच्छी माइलेज वाली सस्ती बाइक खरीदने वालों के लिए हीरो स्प्लेंडर बेस्ट ऑप्शन है. यह आम लोगों की बाइक है. अब नवंबर 2021 के टॉप 10 बेस्ट सेलिंग बाइक की बात करें, तो पिछले महीने सबसे ज्यादा कुल 1,92,490 यूनिट हीरो स्पलेंडर की बिकी. इसके बाद होंडा एक्टिवा स्कूटर रहा, जिसकी कुल 1,24,082 यूनिट बिकी. तीसरे नंबर पर होंडा शाइन बाइक रही, जिसकी कुल 83,622 यूनिट बिकी. बेस्ट सेलिंग बाइक की लिस्ट में चौथे नंबर पर हीरो मोटोकॉर्प की सस्ती बाइक हीरो एचएफ डीलक्स रही, जिसकी कुल 76,149 यूनिट बिकी.
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पांचवें नंबर पर पल्सर, दसवें पर अपाचे
भारत में बीते नवंबर की बेस्ट सेलिंग बाइक की टॉप 10 लिस्ट में 61,913 यूनिट सेल के साथ पांचवें नंबर पर बजाज पल्सर रही. वहीं, 60,646 यूनिट बिक्री के साथ बजाज की सस्ती बाइक बजाज प्लैटिना छठे नंबर पर रही. सातवें नंबर पर टीवीएस मोटर कंपनी का धांसू स्कूटर टीवीएस जुपिटर रहा, जिसकी कुल 44,139 यूनिट पिछले महीने बिकी. टीवीएस के बजट स्कूटर टीवीएस एक्सएल100 का नंबर आठवां रहा, जिसकी कुल 42,558 यूनिट बिकी. सुजुकी ऐक्सेस स्कूटर नौंवें स्थान पर रहा, जिसकी पिछले महीने कुल 42,481 यूनिट बिकी. कुल 28,608 यूनिट सेल के साथ टीवीएस अपाचे मोटरसाइकल 10वें नंबर पर रही.
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ब्लड प्रेशर चार्ट : नार्मल ब्लड प्रेशर कितना होना चाहिए
अनिमित जीवन शैली, खाना पान की खराब आदतें, दूषित वातावरण और तनाव की वजह से व्यक्ति के शरीर में कई तरह के रोग होने लगते हैं। आज के दौर में अधितर लोगों को इन्हीं खराब आदतों की वजह से डायबिटीज के साथ ही बीपी की समस्या होना भी आम बात बन चुकी है। ब्लड प्रेशर अधिक व कम दोनों ही स्थितियों में समस्या का कारण बनता है। यदि समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो यह गंभीर समस्या बन जाता है और इसके कारण अन्य रोगों का खतरा बना रहता है। ब्लड प्रेशर (बीपी) के सामान्य स्तर को समझने के बाद ही आप इससे बचाव कर सकते हैं।
इस लेख में आपको ब्लड प्रेशर (बीपी) क्या है, कितना होना चाहिए, नॉर्मल रेंज और चार्ट के बारे में विस्तार से बताया गया है। साथ ही बीपी को मापने का तरीका और जोखिम स्तर के बारे में भी बताया गया है।
- ब्लड प्रेशर क्या है - Blood pressure kya hai
- नॉर्मल ब्लड प्रेशर कितना होना चाहिए, नॉर्मल रेंज और चार्ट - Blood pressure normal range and chart in Hindi
- उम्र और लिंग के अनुसार ब्लड प्रेशर चार्ट और रेंज - Blood pressure range and chart by age and gender in India in Hindi
ब्लड प्रेशर क्या है - Blood pressure kya hai
आपका हृदय वह मांसपेशी है जिसके द्वारा ऊतकों और अंगों तक रक्त को पंप करने का काम किया जाता है। आपके हृदय की बाई तरफ से रक्त धमनियों में पंप किया जाता है। धमनियां वह रक्त वाहिकाएं होती हैं जो शरीर में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों को पहुंचाती हैं।
ब्लड प्रेशर वह बल या शक्ति है जिसके माध्यम से रक्त शरीर के संचार तंत्र में घूमता है। ब्लड प्रेशर का मात्रक एमएमएचजी (mm Hg: मिलीमीटर ऑफ मर्क्युरी) है। बीपी भी शरीर के लिए आवश्यक होता है, क्योंकि यह सफेद रक्त कोशिकाओं, प्रतिरक्षा प्रणाली को एंटीबॉडिज और इंसुलिन जैसे हार्मोन्स प्रदान करता है।
ब्लड प्रेशर में निम्नलिखित आंकड़े देखें जाते हैं।
- सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर (ब्लड प्रेशर का ऊपरी स्तर):
ब्लड प्रेशर इस स्तर पर तब होता है, जब हृदय धकड़कर सारे शरीर में खून पंप करता है। (और पढ़ें - लो बीपी में क्या खाएं) - डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर (ब्लड प्रेशर का निचला स्तर):
ब्लड प्रेशर इस स्तर पर तब होता है, जब हृदय धड़कने के बाद और फिर से धड़कने से पहले शिथिल या आराम की स्थिति में होता है।
नॉर्मल ब्लड प्रेशर कितना होना चाहिए, नॉर्मल रेंज और चार्ट - Blood pressure normal range and chart in Hindi
नार्मल ब्लड प्रेशर कितना होना चाहिए, या इसकी नॉर्मल रेंज कितनी होने चाहिए, इस चार्ट में बताया गया है -
वर्गीकरण | सिस्टोलिक प्रेशर | डायस्टोलिक प्रेशर | |
एमएमएचजी | एमएमएचजी | ||
लो बीपी (हाइपोटेंशन) | 90 या कम | और | 60 या कम |
सामान्य स्तर | 90 से 120 | और | 60 से 80 |
प्री-हाई बीपी | 120 से 129 | और | 60 से 80 |
स्टेज 1 हाई बीपी | 130 से 139 | या | 80 से 89 |
स्टेज 2 हाई बीपी | 140 या अधिक | या | 90 या अधिक |
बच्चों और किशोरों में बीपी का स्तर अलग हो सकता है, यदि बच्चों या किशोरों में बीपी की समस्या दिखाई दे, तो ऐसे में डॉक्टर से सलाह लें। ऊपर बताई गई स्थिति हृदय रोग, डायबिटीज, किडनी रोग व अन्य समस्याओं और उनके इलाज के कारण भी हो सकती है।
उम्र और लिंग के अनुसार ब्लड प्रेशर चार्ट और रेंज - Blood pressure range and chart by age and gender in India in Hindi
उम्र और लिंग के अनुसार नार्मल ब्लड प्रेशर कितना होना चाहिए, या इसकी नॉर्मल रेंज कितनी होने चाहिए, इस चार्ट में बताया गया है -
IBS अर्थात पाचन तंत्र करता है हमेशा परेशान तो अपनाएं ये डाइट चार्ट
आईबीएस जैसी समस्याओं से बचने का सबसे आसान तरीका है कि आप अपनी डाइट में जरूरी सुधार करें। ©Shutterstock.
जो लोगो आईबीएस (IBS) से परेशान होते हैं उनको अपने खान-पान में विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। हम यहां आईबीएस की परेशानी वालने इंसान के लिए पूरे दिन का डाइट चार्ट बता रहे हैं।
Written by akhilesh dwivedi | Updated : December 12, 2019 5:54 PM IST
जो लोग आईबीएस (Irritable-bowel-syndrome) से पीड़ित होते हैं उनके पेट में जलन और अपच जैसी समस्याएं अक्सर हो जाती हैं। खानपान में किये कुछ बदलावों से इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है। इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम की बीमारी में पाचन तंत्र हमेशा परेशान करता है. खान-पान में सही बदलाव करके इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम या IBS की परेशानी से छुटकारा पाया जा सकता है. फोर्टिस हॉस्पिटल की न्यूट्रीशिनिस्ट डॉ. नेहा गुप्ता के सुझाए डाइट चार्ट और डाइट प्लान के बारे में हम यहां विस्तार से बता रहे हैं. अगर आप भी आईबीएस अर्थात इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम (Irritable-bowel-syndrome) जैसी परेशानी के शिकार हैं, तो इस डाइट चार्ट और डाइट प्लान को अपना सकते हैं.
फाइबर वाले खाद्य पदार्थ खाएं
आईबीएस/IBS जैसी समस्याओं से बचने का सबसे आसान तरीका है कि आप अपनी डाइट में अधिक से अधिक घुलनशील फाइबर वाली चीजों को शामिल करें। यह न सिर्फ आपके पाचन को सही करते हैं बल्कि इससे आप कब्ज़ जैसी समस्याओं से भी बच जाते हैं। हरी सब्जियों और फलों का सेवन अधिक करें।
ग्लूटन फ्री चीजें खाएं
अगर आप आईबीएस/IBS से पीड़ित हैं तो अपनी डाइट में ग्लूटेन युक्त चीजों को बिलकुल भी शामिल न करें, ऐसा करने से कुछ ही दिनों में बेहतर महसूस करने लगेंगे।
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चाय कॉफी कम पीना चाहिए
चाय, कॉफ़ी और अल्कोहल का कम से कम सेवन करें, क्योंकि इनके सेवन से पेट से जुड़ी समस्याएं और बढ़ जाती हैं। इनके अधिक सेवन से आपको डायरिया की समस्या भी हो सकती है। अल्कोहल के अधिक सेवन से आपको अनुशंसित चार्ट्स डिहाइड्रेशन भी हो सकता है। पाचन तंत्र व आंत की समस्या को दूर करना हैं तो अपनाएं ये उपाय।
फैट युक्त चीजें न खाएं
अगर आप आवश्यकता से ज्यादा फैट वाली चीजें खाते हैं तो इससे आपकी स्थिति और बिगड़ सकती है और आपको मल त्याग करते समय काफी मुश्किलें भी आ सकती हैं। इसलिए ज्यादा तली भुनी और फ्राई की हुई चीजों की बजाय फलों और हरी सब्जियों का सेवन करें। पाचन तंत्र रहता है खराब ? जानें कारण और समाधान।
गैस बढ़ाने वाली चीजें कम खायें
ऐसी चीजें कम खाएं जिनके खाने से पेट में गैस बन जाती है। ब्रोकली, बीन्स और गोभी ऐसी ही सब्जियां हैं जिनसे ज्यादा गैस बनता है। इसके अलावा लहसुन और प्याज का अधिक सेवन भी नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए बेहतर है इनका सीमित मात्रा में सेवन करें। पाचन तंत्र को बेहतर बनाए रखने के लिए, जरूर अनुशंसित चार्ट्स खाएं अदरक।
डेरी प्रोडक्ट का सेवन न करें
डेरी आइटम की वजह से भी कई बार आईबीएस के लक्षण और बढ़ जाते हैं। इस बारे में अपने डॉक्टर से पूरी जानकारी लें कि आप डेरी प्रोडक्ट में किन चीजों को खा सकते हैं और किन्हें नहीं। हर बीमारी का कारण है खराब पाचन शक्ति, इसे यूं रखें दुरुस्त।
आई बी एस (IBS) मरीजों के लिए डाइट चार्ट
जो लोगो आईबीएस (IBS) से परेशान होते हैं उनको अपने खान-पान में विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। हम यहां आईबीएस की परेशानी वालने इंसान के लिए पूरे दिन का डाइट चार्ट बता रहे हैं।
सुबह खाली पेट
एक गिलास दूध/ एक गिलास नींबू पानी/ एक गिलास सब्जियों का जूस
नाश्ता में
1 स्प्राउट डोसा/ 1 कटोरी बिना प्याज वाला पोहा
मिड मॉर्निंग नाश्ता
दोपहर का खाना
1 कटोरी सलाद/1 कटोरी ब्राउन राइस दाल के साथ + 1 कटोरी सब्जी + 1 कटोरी छाछ
शाम का नाश्ता
उबले हुए चने नमक और काली मिर्च के साथ
रात का भोजन
1 कटोरी सलाद/लौकी या मिक्स वेजिटेबल सूप/ 1 ज्वार भाकरी/ 1 कटोरी सब्जी/ 1 कटोरी
10 Best Practices For DOUBLE TOP CHART PATTERN HINDI
ऊपर वाले chart मे candlestic pattern के साथ double top chart दिया गया है। chart मे देख रहे अनुशंसित चार्ट्स है की बाजार मे लम्बा up(तेजी) का ट्रेंड चलने के बाद chart मे 2(दो) top बनते है।double top chart pattern बने तब पिछला ट्रेंड up होना चाहिए।आयी ये अब हम इसको विस्तार से समझते है।
जब chart मे double top top1 बने तब वह पिछले ट्रेंड का highest high होना चाहिए यानि की up ट्रेंड का highest high। highest high बनाने के बाद share गिरना(मंदी) सारु कर देता है ये गिरावट लगभग 10-15% के आसपास होती है।
जब top1 का volume सामान्य हो जाता है तब कोई prise पे support ले कर गिरावट रुक जाती है और कुछ समय तक सिमित range मे ट्रेड करता है।
Support लेकर share फिर से तेजी पकड़ लेता है और top2 बनता है।जब top2 बने उसके बाद की गिरावट बहुत तेज हो जाती है।
Top1 और top2 के बिच मे 7-8 candle का gape होना चाहिए अगर कम gape हो तो double top chart नहीं माना जाता।
Double top chart का कैसे उपयोग करें?
Double top chart की मदद से position कैसे बनाये?
• ऊपर फोटो मे जैसा दिखाई दे रहा है वैसे top1 और top2 के बिच का low है वहां पे line बनाई ये ये line को Neck Line कहते है आप इसे chart मे देख सकते है।
• अब हमें sell के लिए यह देखना है की जब भाव(prise) top2 बनाने के बाद जब कोई candle Neck line के निचे close हो तब उसके close prise(भाव) पर sell कीजिये।
Profit booking कहा करें ?
ऊपर वाले chart को ध्यान से देखिये। अब आपको जहा neck line के point A और point B के बीचमे जितना अंतर है उतना का stop loose ले।हम इसे उदाहरण से समझ ते है।
अब हमें 45 point का stop loose ले सकते है ये सिर्फ उदाहरण है आप अपने share के भाव(prise) के हिसाब से लीजिये।
Note: sell करने के point और stop loose वाले point के बीचमे RRR(risk reword ratio) के नियम अनुसार 2% के आसपास का अंतर होना चाहिए वरना आप ट्रेड ना करें।
Chart pattern के साथ-साथ candlestic pattern भी समझ ना जरुरी है। आप निचे दिए गई candle के नाम पर click करके उसे सिख सकते है।
Best Sanskrit Alphabet-Letters Chart with HD Picture-PDF2022
संस्कृत भाषा हो या हिन्दी, सभी में Grammar बहुत important होता है, क्योंकि व्याकरण उन्हें मर्यादित और शुद्ध अर्थपूर्ण बनाता है।
वही व्याकरण जानना इसलिए बेहद जरूरी है कि इनके बिना किसी भाषा में लिखे साहित्य, इतिहास को पढ़ नहीं सकेंगे, संस्कृत में खासकर वेद, मीमांसा पढ़ने के लिए बेहद जरूरी है।
इसलिए संस्कृत में कहा गया है-
व्याक्रियन्ते व्युत्पाद्यन्ते शब्दा अनेनेति व्याकरणम्।
व्याकरण में भाषा-संबंधी नियम रहने के कारण भाषा मर्यादित एवं परिष्कृत रहती है। इसलिए व्याकरण का महत्व अक्षुण्ण है।
हम इसे भाषा की आत्मा कह सकते है, जिसकी शुरुआत वर्ण (alphabet) से होती है। जिससे पद (word) बनते है और पदों से पूरा एक वाक्य बनता है।
वास्तव में व्याकरण इन तीनों भागों में बंटा हुआ है। हम इस पोस्ट में संस्कृत वर्ण को जानेंगे-
Sanskrit Alphabet (वर्ण) 
जिस सार्थक ध्वनि का खंडन नहीं हो सकता है, उसे वर्ण या अक्षर कहते है। जैसे क, ख, ग
यह दो प्रकार के होते है-
1.स्वर
2.व्यंजन
इन्हें हम थोड़ा डिटेल्स में जान लेते है-
स्वर वर्ण (Vowel Alphabet)
जिस सार्थक ध्वनि के उच्चारण में अन्य किसी वर्ण की जरूरत नहीं पड़ें तो, उसे स्वर वर्ण कहते है। आप आसानी से इन्हें किसी दूसरे वर्ण के बिना बोल सकते है।
ये 13 होते हैं-
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ऋ_, ऌ, ए, ऐ, ओ, अनुशंसित चार्ट्स औ।
इनको तीन भागों में बांटा जाता है-
1.हृस्व स्वर
2.दीर्घ स्वर
3.प्लुत स्वर
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अब हम इन्हें जरा जान लेते है-
हृस्व स्वर – इस तरह के स्वर के उच्चारण में बेहद कम समय लगता है, जो हैं- अ, इ, उ, ऋ और लृ। इन पांचों को
मूल स्वर भी कहा जाता है।
दीर्घ स्वर- इसके उच्चारण में समय डबल लगता है, या यूं कहें इस बोलने में थोड़ा ज्यादा ज़ोर लगाना पड़ता है।
ये आठ हैं- आ, ई, ऊ, ऋ_, ए, ऐ, ओ और औ।
प्लुत स्वर- इसके उच्चारण में दीर्घ स्वर से अधिक समय और ज़ोर लगता है। इसका मुख्यत: प्रयोग सम्बोधन में होता है। जैसे हे श्याम!
व्यंजन वर्ण
जिसे बोलने के लिए स्वर की हेल्प लेना पड़े, उसे व्यंजन वर्ण कहते है। पूर्ण व्यंजन वर्ण में अ स्वर का मिलन होता है। ये 33 होते है।
कवर्ग – क ख ग घ ड़
चवर्ग – च छ ज झ ञ
टवर्ग – ट ठ ड ढ ण
तवर्ग – त थ द ध न
पवर्ग – प फ ब भ म
अंत:स्थ – य र ल व
ऊष्म – श ष स ह
नोट- अनुस्वार(‘) और विसर्ग (:) भी बिलकुल व्यंजन की तरह वर्क करते है, पर इन्हें वर्णों में गिनती नहीं की जाती है। पर ये बेहद इंपोर्टेंट है। अनुस्वार का उच्चारण नाक बल से और विसर्ग का उच्चारण आधा ह के समान होता है।
उच्चारण के आधार पर व्यंजन प्रकार
ये सात प्रकार के होते है-
स्पर्श वर्ण – क से लेकर म तक को स्पर्श वर्ण कहते है।
अंत:स्थ – य, र, ल और व को अंत:स्थ वर्ण कहते है।
ऊष्म – श, ष, स और ह को ऊष्म वर्ण कहते है।
घोष – वर्गों के तृतीय, चतुर्थ, पंचम वर्ण तथा य, र, ल, व और ह को घोष कहा जाता है।
अघोष – वर्गों के प्रथम और द्वितीय वर्ण तथा श, ष, स अघोष होते है।
अल्पप्राण – वर्गों के प्रथम, तृतीय, पंचम और य, र, ल, व अल्पप्राण होते हैं।
महाप्राण- वर्णों के द्वितीय, चतुर्थ तथा श, ष, स, ह वर्ण महाप्राण होते हैं।
उच्चारण स्थल के आधार वर्ण प्रकार
इसके अनुसार वर्णों को 9 प्रकारों में बांटा जाता है-
अकुहविसर्जनीयानां कंठ – अ, आ, कवर्ग, ह् और विसर्ग को कंठ से उच्चारित किया जाता है। इसे कण्ठ्य वर्ण कहलाते है।
इचुयशानां तालु – इ, ई, चवर्ग, य् और श् को तालु से उच्चारित करते है, इसलिए इसे तालव्य वर्ण कहते है।
ऋतुरषानां मूर्ध्दा – ऋ, ऋ_, टवर्ग, र् और ष् का उच्चारण स्थान मूर्ध्दा है, इसलिए इसे मूर्ध्दन्य वर्ण कहा जाता है।
लृतुलसानां दंता:- लृ, तवर्ग, ल् और स् का उच्चारण दाँत से होता अनुशंसित चार्ट्स है। इसे दंत्य वर्ण कहते है।
उपूपध्मानीयानामोष्ठौ – उ, ऊ और पवर्ग का उच्चारण-स्थान ओष्ठ है, so इसे ओष्ठ्य कहते है।
एदैतो: कंठतालु: – ए और ऐ का उच्चारण स्थान कंठ और तालु है। इसे कण्ठ्य-तालव्य कहते हैं।
ओदौतो: कंठौष्ठम् – ओ और औ को कंठ और होठ से बोला जाता है। इसे कण्ठ्यौष्ठ्य वर्ण कहा जाता है।
वकारस्य दन्तोष्ठं – वकार को दांत और होठ से उच्चारण किया जाता है। इसे दन्त्यौष्ठ्य कहते है।
ञमड़णनानां नासिका च – ञ्, म्, ड़, ण्, और न् को कंठ, तालु, और नासिका से उच्चारण किया जाता है। अनुस्वार को भी नासिका से बोला जाता है।
संस्कृत में कितने वर्ण होते है?
46 (13 स्वर वर्ण और 33 व्यंजन वर्ण)
संस्कृत में वर्ण कितने प्रकार के होते है?
2, स्वर और व्यंजन
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