IVF: प्रेग्नेंसी के लिए लेना है आईवीएफ का सहारा तो यहां दूर करें ये सभी कंफ्यूजन
Pregnancy with IVF: अब बड़ी संख्या में कपल्स को फर्टिलिटी और प्रेग्नेंसी संबंधी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. यदि आप भी आईवीएफ के जरिए प्रेग्नेंसी के बारे में सोच रही हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए हैं.
By: ABP Live | Updated at : 15 Aug 2022 09:49 PM (IST)
क्या है आईवीएफ और कैसे की जाती है यह प्रक्रिया?
In vitro fertilization (IVF): फर्टिलिटी का कम होना आज के समय में एक सामान्य बात बनती जा रही है. ज्यादातर युवा कपल इस समस्या का सामना कर रहे हैं. इसके कई कारणों में से कुछ कारण लाइफस्टाइल (Lifestyle) से जुड़े हैं, जिन्हें आप एक हेल्दी रुटीन (Healthy routin) को फॉलो करते हुए दूर कर सकते हैं. यानी महिला और पुरुष दोनों की फर्टिलिटी (Fertility) बढ़ाने में ये सामान्य चीजें बहुत लाभकारी हैं. जैसे.
- देर रात तक जागना और अपनी बायॉलजिकल क्लॉक को गड़बड़ा लेना
- वजन बढ़ना
- अधिक उम्र में शादी करना
- एल्कोहॉल का अधिक सेवन
- स्मोकिंग की लत
किस उम्र के बाद कम होती है फर्टिलिटी?
महिलाओं के शरीर में 35 की उम्र के बाद एग का बनना कम हो जाता है. जबकि पुरुषों में 50 साल की उम्र के बाद शुक्राणुओं की गुणवत्ता कम हो जाती है.
कब कराना चाहिए आईवीएफ?
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- जब आप किसी फर्टिलिटी क्लीनिक में जाते हैं तो जाते ही आपको आईवीएफ ट्रीटमेंट नहीं दिया जाता. बल्कि सबसे पहले एग की जांच की जाती है और फेलोपियन ट्यूब, गर्भाशय की थैली की जांच की जाती है. यानी महिला के गर्भाशय की गहन जांच की जाती है और देखा जाता है कि कोई समस्या तो नहीं है. इसके बाद पुरुष के शुक्राणुओं की जांच की जाती है और उनकी क्वालिटी का स्तर जांचा जाता है.
- इन दोनों की जांच के बाद यह देखा जाता है कि क्या इस समस्या को दवाओं से ठीक किया जा सकता है या नहीं किया जा सकता. दवाओं से ठीक होने की संभावना होती है तो दवाई दी जाती है और यदि ऐसा नहीं होता है तो इंट्रा यूरेटाइन इनसेमिनेशन (IUI) तकनीक के माध्यम से पति के शुक्राणओं को पत्नी के गर्भाशय में रखते हैं. ताकि भ्रूण के बनने की प्रक्रिया को आसान बनाया जा सके. यदि सफलता मिल जाती है तो ठीक है और यदि सफलता नहीं मिलती है तब अंतिम विकल्प के रूप में आईवीएफ तकनीक का उपयोग किया जाता है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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Published at : 15 Aug 2022 10:48 PM (IST) Tags: fertility Lifestyle IVF हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Lifestyle News in Hindi
Budget 2022: क्रिप्टोकरेंसी पर कंफ्यूजन, क्या सरकार ने लगा दिया टैक्स? जानें पूरी कहानी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण (Budget 2022) में कहा कि डिजिटल वर्चुअल एसेट्स पर 30 फीसदी का टैक्स लगेगा और इसके ट्रांसफर पर 1 परसेंट का टीडीएस लगेगा.
सरकार क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन बिल लाने में तो विफल रही है, लेकिन वर्चुअल डिजिटल असेट (Virtual digital asset) पर टैक्स लगाने जा रही है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण (Budget 2022) में वर्चुअल डिजिटल असेट से होने वाली आय पर 30 फीसद टैक्स लगाने का ऐलान किया है. वर्चुअल डिजिटल असेट को टैक्स के दायरे में लाने के लिए एक निश्चित सीमा से अधिक के लेनदेन पर इस असेट पर एक फीसदी टीडीएस (TDS) भी काटा जाएगा. वर्चुअल डिजिटल असेट से होने वाले किसी भी घाटे को लाभ के साथ सेट-ऑफ नहीं किया जा सकेगा.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण (Budget 2022) में कहा कि डिजिटल वर्चुअल एसेट्स पर 30 फीसदी का टैक्स लगेगा और इसके ट्रांसफर पर 1 परसेंट का टीडीएस लगेगा. वित्त मंत्री के इस बयान को स्पष्ट करते हुए ‘मनी9’ के संपादक अंशुमान तिवारी ने कहा, लोगों ने इसे समझा कि क्रिप्टोकरेंसी पर सरकार ने टैक्स लगा दिया है, लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है. फाइनेंस बिल में भी यह बात पूरी तरह से क्लियर कर दिया गया है कि केवल डिजिटल वर्चुअल एसेट्स में नॉन फंजिबल टोकन्स (NFT) आएंगे, जिन पर ये टैक्स लगाया जाएगा.
क्या कहा एक्सपर्ट ने
अंशुमान तिवारी ने कहा, ये क्रिप्टो पर टैक्स इसलिए नहीं है क्योंकि सरकार से क्रिप्टो को अभी कानूनी मान्यता नहीं है, ऐसे में सरकार बिना कानूनी मान्यता के टैक्स नहीं लगा सकती है. अगर ऐसा होता है तो कानूनी रूप से भी अजीब बात सी होगी. जो फाइनेंस बिल का प्रोविजन है उसमें डिजिटल/वर्चुअल करेंसी की परिभाषा बताई गई है. उसमें यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि टैक्स नॉन फंजिबल टोकन्स (NFT) पर लागू होगा. NFT भी धीरे-धीरे आ रहे हैं जिसमें बहुत सारे दिग्गज और आर्टिस्ट अपनी कला का वैल्यूएशन करते हैं और उसे डिजिटल एसेट्स बनाकर सेल करते हैं. वो एक्सक्लूसिव एसेट होती है.
क्या होगा टैक्स का नियम
वर्चुअल डिजिटल असेट में क्रिप्टोग्राफिक के जरिये जनरेटेड कोई भी इंफोर्मेशन या कोड या नंबर या टोकन को शामिल किया गया है, जो एक डिजिटल रिप्रजेंटेशन प्रदान करता है. वर्चुअल डिजिटल असेट में एनएफटी को भी शामिल किया गया है. इतना ही नहीं वर्चुअल असेट को गिफ्ट के रूप में हासिल करने वाले को भी टैक्स देना होगा. निर्मला सीतारमण ने डिजिटल करेंसी को लेकर भी बड़ी घोषणा की है. आरबीआई 2022-23 में ब्लॉकचेन और अन्य टेक्नोलॉजी पर आधारित डिजिटल करंसी लॉन्च करेगा. सरकार का मानना है कि इससे इकोनॉमी को बड़ा बूस्ट मिलेगा.
रिजर्व बैंक लाएगा सीबीडीसी
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी, आधिकारिक करेंसी का इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड या डिजिटल टोकन होगा. इसमें वित्तीय समावेश को बढ़ावा देने की क्षमता है. हालांकि यह करंसी का एक सेंट्रालाइज्ड फॉर्म है. ऐसे में नागरिकों की प्राइवेसी को लेकर सवाल उठ सकते हैं. फिलहाल सीबीडीसी डेवलपमेंट फेस में है और दुनियाभर के केंद्रीय बैंक इस पर विचार कर रहे हैं. सीबीडीसी लीगल टेंडर्स हैं और इन्हें बैंक जारी करेंगे.
भारत दुनिया में सबसे ज्यादा क्रिप्टो निवेशकों का देश है. डिस्कवरी प्लेटफॉर्म ब्रोकरचूजर के मुताबिक यहां 10.07 करोड़ क्रिप्टो निवेशक हैं. अमेरिका में 2.74 करोड़, रूस में 1.74 करोड़ और नाइजीरिया में 1.30 करोड़ क्रिप्टो ओनर्स हैं. अब अगर स्टॉक इनवेस्टर्स की बात करें तो भारत में बीएसई पर कुल रजिस्टर्ड निवेशक 9.55 करोड़ हैं. जो क्रिप्टो ओनर्स की तुलना में कम हैं. भारत में कुल जनसंख्या के मामले में क्रिप्टो ओनर्स को देखें तो यह 7.30 फीसद है.
UPI पेमेंट, पेटीएम और Digital Rupee में क्या अंतर है? 2 मिनट में दूर करें कंफ्यूजन
भारत का पहला रिटेल डिजिटल रुपया लॉन्च होने जा रहा है. लेकिन लोग के मन में सवाल है कि तमाम तरह के ऑनलाइन पेमेंट से अभी भी तो वो डिजिटल पेमेंट कर ही रहे हैं. फिर डिजिटल रुपया क्यों खास है और UPI से ये कितना अलग है.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 30 नवंबर 2022,
- (अपडेटेड 30 नवंबर 2022, 4:45 PM IST)
भारत में अब लोग जेब के वॉलेट में नहीं पेमेंट वॉलेट (Payment Wallet) में पैसे लेकर चलेंगे और इसकी शुरुआत एक दिसंबर से होने जा रही है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) एक दिसबंर से रिटेल डिजिटल रुपये (Digital Rupee) को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लॉन्च करने जा रहा है. पायलट प्रोजेक्ट के दौरान रिटेल डिजिटल रुपये के डिस्ट्रीब्यूशन, इस्तेमाल और इसे तैयार करने के पूरे प्रोसेस को अच्छी तरह से टेस्ट किया जाएगा.
रिजर्व बैंक के इस डिजिटल करेंसी को सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) नाम दिया गया है. लेकिन डिजिटल रुपये का नाम सुनकर आपके दिमाग में ये सवाल तो घूम ही रहा होगा कि अगर इसकी शुरुआत अब हो रही है, तो हम पेटीएम (Paytm), गूगल-पे (Google Pay) और फोन-पे (Phone Pay) से क्या करते थे?
UPI और डिजिटल रुपये (Digital Rupee) में अंतर
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आज के समय में हम किसी भी दुकान पर तमाम तरह के ई-वॉलेट से UPI का इस्तेमाल कर पेमेंट कर देते हैं. लेकिन इसे डिजिटल करेंसी नहीं कहा जा सकता, क्योंकि UPI के जरिए ट्रांसफर किया गया पैसा फिजिकल करेंसी के जरिए ही चलता है. मतलब ये कि मौजूदा फिजिकल करेंसी के समकक्ष ही UPI पेमेंट के लिए मुद्रा का इस्तेमाल किया जाता है. डिजिटल रुपया अपने आप में अंडरलाइंड पेमेंट होगा, जिसका इस्तेमाल करेंसी के बदले डिजिटल भुगतान के लिए किया जा सकेगा.
रिजर्व बैंक करेगा लेन-देन
रिजर्व बैंक द्वारा जारी किया जाने वाला E-Rupee एक डिजिटल टोकन की तरह से काम करेगा. दूसरे शब्दों में कहें तो CBDC आरबीआई की ओर से जारी किए जाने वाले करेंसी नोट का डिजिटल स्वरूप ही है. अब यूपीआई और डिजिटल रुपये में एक और अंतर समझ लीजिए.
दरअसल, यूपीआई पेमेंट डायरेक्ट बैंक अकाउंट टू बैंक अकाउंट होता है. रिजर्व बैंक ने डिजिटल रुपये के लिए कहा है कि पायलट प्रोजेक्ट में शामिल बैंकों के डिजिटल वॉलेट के माध्यम से इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. अब क्या है कि UPI को अलग-अलग बैंक हैंडल करते हैं और ये बैंक रिजर्व बैंक की निगरानी में काम करते हैं. लेकिन आपके डिजिटल रुपये को सीधा रिजर्व बैंक द्वारा ही ऑपरेट और मॉनिटर किया जाएगा. बाकी के बैंक इसके डिस्ट्रिब्यूशन में शामिल होंगे. यानी डोर RBI के हाथ में होगा.
किसे कर सकते हैं पेमेंट
डिजिटल रुपये का लेनदेन पर्सन टू पर्सन (P2P) और पर्सन टू मर्चेंट (P2M) दोनों किया जा सकता है. इसके अलावा अगर आपको मर्चेंट को पेमेंट करना है, तो आप उसके पास मौजूद QR कोड को स्कैन कर पेमेंट कर सकते हैं. तो सीधा ऐसे समझ लीजिए कि देश का अपना डिजिटल करेंसी में कंफ्यूजन रुपया शुरू होने वाला है. क्योंकि हमारा ऑनलाइन पेमेंट फिजिकल करेंसी से ही चलता है.
Paytm-Google Pay से कोई मुकाबला नहीं
बिजनेस टूडे में छपी खबर के अनुसार, एक्सपर्ट्स का कहना है कि डिजिटल रुपये का मुकाबला मोबाइल वॉलेट जैसे पेटीएम और गूगल-पे से नहीं है. डिजिटल रुपया पेमेंट का एक नया तरीका है. इसके तहत आपको बैंक से एक बार डिजिटल रुपया खरीदना होगा. उसके बाद आप वॉलेट से वॉलेट में लेनदेन कर पाएंगे.
Infibeam Avenues Ltd के निदेशक और Payments Council Of India के चेयरमैन विश्वास पटेल कहते हैं- 'यह एक ब्लॉकचेन बेस्ड डिजिटल टोकन फॉर्म करेंसी है. रिटेल डिजिटल करेंसी में आपको बिना किसी बैंक को शामिल किए बिना ही लेने-देने में सक्षम होना चाहिए. जैसे की फिजिकल करेंसी में होता है. लेकिन ये यूपीआई से काफी अलग है, जिसमें आपके बैंक खाते से करेंसी में कंफ्यूजन पैसा डेबिट होता है. रिटेल डिजिटल रुपया रिजर्व बैंक द्वारा लिगल टेंडर है.'
ये हैं E-Rupee के बड़े फायदे
डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मददगार.
लोगों को जेब में कैश लेकर की जरूरत नहीं रहेगी.
मोबाइल वॉलेट की तरह ही इससे पेमेंट करने की सुविधा होगी.
डिजिटल रुपया को बैंक मनी और कैश में आसानी से कन्वर्ट कर सकेंगे.
विदेशों में पैसे भेजने की लागत में कमी आएगी.
ई- रुपया बिना इंटरनेट कनेक्शन के भी काम करेगा.
ई-रूपी की वैल्यू भी मौजूदा करेंसी के बराबर ही होगी.
Digital Rupee के कुछ नुकसान भी
रिजर्व बैंक (RBI) की डिजिटल करेंसी E-Rupee के नुकसान के बारे में बात करें तो इसका एक बड़ा नुकसान ये हो सकता है कि इससे पैसों के लेन-देन से संबंधित प्राइवेसी लगभग खत्म हो जाएगी. आमतौर पर कैश में लेन-देन करने से पहचान गुप्त रहती है, लेकिन डिजिटल ट्रांजैक्शन पर सरकार की नजर रहेगी. इसके अलावा ई-रुपया पर कोई ब्याज भी नहीं मिलेगा. RBI की मानें तो अगर डिजिटल रुपया पर ब्याज दिया ये करेंसी मार्केट में अस्थिरता ला सकता है. इसकी वजह ये है कि लोग अपने सेविंग्स अकाउंट से पैसे निकालकर उसे डिजिटल करेंसी में बदलना शुरू कर देंगे.
E-Rupee लाने का मकसद
CBDC केंद्रीय बैंक द्वारा जारी करेंसी में कंफ्यूजन किए गए मुद्रा नोटों का एक डिजिटल रूप है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने आम बजट में वित्त वर्ष 2022-23 से ब्लॉक चेन (Block Chain) आधारित डिजिटल रुपया पेश करने का ऐलान किया था. बीते दिनों केंद्रीय बैंक की ओर से कहा गया था कि RBI डिजिटल रुपया का उद्देश्य मुद्रा के मौजूदा रूपों को बदलने के बजाय डिजिटल करेंसी को उनका पूरक बनाना और उपयोगकर्ताओं को भुगतान के लिए एक अतिरिक्त विकल्प देना है.
सिर्फ एक नंबर से दूर होगी रेलवे से संबंधित आपकी सभी परेशानी और कंफ्यूजन
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- ट्रेन संबंधी जानकारी/शिकायत
- जनरल इंक्वायरी
- सिक्योरिटी से संबंधित मुद्दे
- पार्सल संबंधी पूछताछ
- अपने शिकायत पर हुई कार्रवाई
- सतर्कता से संबंधित जानकारी
- दुर्घटना से संबंधित सूचना
- मेडिकल असिस्टेंट
- स्टेशन से संबंधित शिकायत
- 1 नंबर दबाने पर सुरक्षा और मेडिकल इमरजेंसी
- 2 नंबर पूछताछः पीएनआर, किराया और टिकट बुकिंग से जुड़ी जानकारी
- 3 नंबर पर केटरिंग संबंधी शिकायत करें
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