© Reuters. डिजिटल करेंसी कैश की तरह, निजता के डर की जरूरत नहीं: आरबीआई गवर्नर

बो के लिए सबसे लोकप्रिय और लाभदायक व्यापार प्रणाली

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डिजिटल करेंसी कैश की तरह, निजता के डर की जरूरत नहीं: आरबीआई गवर्नर

शेयर बाजार 07 दिसम्बर 2022 ,18:45

डिजिटल करेंसी कैश की तरह, निजता के डर की जरूरत नहीं: आरबीआई गवर्नर

© Reuters. डिजिटल करेंसी कैश की तरह, निजता के डर की जरूरत नहीं: आरबीआई गवर्नर

चेन्नई, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के शासनादेश को बढ़ाने, भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के दायरे का विस्तार करने और डिजिटल मुद्रा लेनदेन के मामले में लोगों की गोपनीयता सुनिश्चित करने का फैसला किया है। इसकी सूचना गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को दी।उन्होंने कहा कि नई लॉन्च की गई डिजिटल मुद्रा नकदी के समान है और गोपनीयता की कमी के बारे में कोई डरने की जरूरत नहीं है।

मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट में 35 आधार अंकों की वृद्धि करने के मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के फैसले की घोषणा करते हुए, दास ने कहा कि यूपीआई भारत में सबसे लोकप्रिय खुदरा भुगतान प्रणाली बन गई है।

इसमें वर्तमान में आवर्ती के साथ-साथ सिंगल ब्लॉक एंड सिंगल डेबिट लेनदेन के लिए भुगतान अधिदेश को संसाधित करने की कार्यक्षमता शामिल है।

हर महीने 70 लाख से अधिक ऑटोपे मैंडेट हैंडल किए जाते हैं और आधे से ज्यादा इनिशियल पब्लिक ऑफर (आईपीओ) एप्लिकेशन यूपीआई के ब्लॉक फीचर का इस्तेमाल कर प्रोसेस किए जाते हैं।

सिंगल ब्लॉक एंड मल्टीपल डेबिट कार्यक्षमता शुरू करके यूपीआई की क्षमताओं को और बढ़ाया जाएगा।

दास ने कहा, यह सुविधा ग्राहक को विशिष्ट उद्देश्यों के लिए अपने खाते में धनराशि ब्लॉक करने में सक्षम करेगी, जिसे जब भी जरूरत हो, आसानी से निकाला जा सकता है। इससे रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म के साथ-साथ ई-कॉमर्स लेनदेन सहित प्रतिभूतियों में निवेश के लिए भुगतान करने में आसानी होगी।

दास ने कहा, बीबीपीएस 2017 में लॉन्च होने के बाद से विस्तार कर रहा है और अब व्यापारियों और उपयोगिताओं के आवर्ती बिल भुगतान को संभालता है और गैर-आवर्ती बिलों को पूरा नहीं करता है।

यह बिल भुगतान या संग्रह जैसे पेशेवर सेवाओं के लिए शुल्क का भुगतान, शिक्षा शुल्क, कर भुगतान, किराया संग्रह और अन्य व्यक्तियों के लिए भी पूरा नहीं करता है, भले ही वे आवर्ती प्रकृति के हों।

यह बीबीपीएस प्लेटफॉर्म को व्यक्तियों और व्यवसायों के व्यापक समूह के लिए सुलभ बना देगा, जो पारदर्शी भुगतान अनुभव, धन तक तेजी से पहुंच और बेहतर दक्षता से लाभान्वित हो सकते हैं।

यूपीआई और नए लॉन्च किए गए सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) या ई-रुपया के बीच के अंतर को समझाते हुए पूर्व के मामले में, एक बैंक मध्यस्थता के लिए होगा।

दूसरी ओर, सीबीडीसी के मामले में, यह कैश ऑन हैंड या कैश ऑन फोन की तरह है।

दास ने कहा, डिजिटल करेंसी फोन में वॉलेट में रखी जाएगी। इसे एक व्यक्ति के वॉलेट से दूसरे में ट्रांसफर किया जाएगा।

हार्ड कैश के मुकाबले डिजिटल मुद्रा द्वारा दी जाने वाली गोपनीयता पर पूछे जाने पर, दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक लेनदेन को ट्रैक नहीं करता है।

उन्होंने कहा, सीबीडीसी के लिए ये शुरूआती दिन हैं और खुदरा भुगतान में पायलट अब शुरू हो गया है।

New tax slab या Old Tax slab: आप कैसे भरते हैं टैक्स? आम आदमी के लिए मौजूद दोनों में से कौन बेहतर?

Budget 2023 को लेकर देश के आम आदमी की उम्मीदें फिर बढ़ गई हैं कि इस बार सरकार टैक्स स्लैब में कुछ बदलाव करते हुए उन्हें राहत दे सकती है. भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने सरकार को व्यक्तिगत आयकर दरों में कटौती का सुझाव दिया है.

देश में दो टैक्स स्लैब मौजूद

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 06 दिसंबर 2022,
  • (अपडेटेड 06 दिसंबर 2022, 8:58 AM IST)

टैक्स (Tax) आम आदमी जीवन में अन्य जरूरी चीजों की तरह ही अहम हिस्सा बन चुका है. 2023 के बजट (Budget 2023) को लेकर सरकार की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं और लोगों बो के लिए सबसे लोकप्रिय और लाभदायक व्यापार प्रणाली को इस बार टैक्स स्लैब (Tax Slab) में बदलाव किए जाने की उम्मीद है. पूर्व बजट बैठकों की शुरुआत में ही इसे संशोधित करने की मांग उठने लगी है. लेकिन आप टैक्स के बारे में कितना जानते हैं? देश में अभी आम आदमी के लिए कितने टैक्स स्लैब हैं? ये कैसे काम करते हैं? तो आइए जानते हैं इन सभी सवालों के जबाव.

Tax के मुद्दे पर सबसे ज्यादा नजर
Budget का नाम आते ही देश के आम आदमी की नजर मुख्य रूप से टैक्स स्लैब में होने वाले बदलावों (Tax Slab Change) पर रहती है. बता दें बीते कुछ बजट सत्रों में इसमें कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिला है. फिलहाल, टैक्स की दो प्रणाली मौजूद हैं. पहली प्रणाली जिसे ओल्ड टैक्स स्लैब के तौर पर जाना जाता है.

वहीं साल 2020 में सरकार ने टैक्सपेयर्स को राहत देते हुए नया टैक्स स्लैब (New Tax Slab) शुरू किया था. इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने में आसानी हो, इसके लिए यह नई व्यवस्था शुरू की गई थी. हालांकि नया टैक्स स्लैब शुरू करने के साथ सरकार ने पुराने टैक्स रेजीम या पुराने टैक्स स्लैब को भी कायम रखा है.

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ओल्ड टैक्स स्लैब क्या है?
सबसे पहले जानते हैं ओल्ड टैक्स स्लैब (Old Tax Slab) के बारे में.

- इसमें 5 लाख तक की इनकम पर किसी तरह का टैक्स जमा नहीं करना होता है. इसके अलावा सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपए के बो के लिए सबसे लोकप्रिय और लाभदायक व्यापार प्रणाली निवेश पर टैक्स जमा करने से छूट मिलती है. इस हिसाब से टैक्सपेयर्स (Taxpayers) को तकरीबन साढ़े 6 लाख तक की इनकम पर टैक्स नहीं देना पड़ता है. ओल्ड टैक्स रेजिम या पुराने टैक्स स्लैब में इनकम टैक्स रेट मुख्यत: आपकी इनकम और इनकम स्लैब पर निर्भर करता है. इसमें उम्र को भी आधार बनाया जाता है.

पुराना आयकर स्लैब (Old Tax Slab):

2.5 लाख तक- 0%
2.5 लाख से 5 लाख तक- 5%
5 लाख से 10 लाख तक- 20%
10 लाख से ऊपर- 30%

उम्र के हिसाब से इतना टैक्स
जैसे, अगर आपकी उम्र 60 साल से कम है तो पुराने टैक्स स्लैब में 2.5 लाख तक टैक्स रेट शून्य रहेगा. 2.5 से 5 लाख तक इनकम पर 5 परसेंट टैक्स लगेगा और इसमें सेक्शन 87ए के अंतर्गत छूट दिए जाने का प्रावधान है. 5-7.5 लाख पर 20%, 7.5-10 लाख पर 20%, 10-12.5 लाख पर 30%, 12.5 से 15 लाख पर 30% और 15 लाख से ज्यादा की इनकम पर 30% टैक्स लगता है.

इसके अलावा अगर टैक्सपेयर की उम्र 60 साल से 79 साल के बीच है, तो सीनियर सिटीजन कैटेगरी में आने पर उन्हें 3 लाख तक इनकम पर टैक्स से छूट है. 3-5 लाख पर 5%, 5-10 लाख पर 20% और 10 लाख से ज्यादा की कमाई पर 30% टैक्स लगता है. इसके अलावा अगर उम्र 80 से अधिक है तो फिर 5 लाख तक की कमाई पर शून्य टैक्स देना होता है.

नए टैक्स स्लैब को इस तरह समझें
नए टैक्स स्लैब (New Tax Slab) को देखें तो इसमें टैक्स रेट को कम रखा गया है. नया टैक्स स्लैब पुराने स्लैब से बहुत से मायने में अलग है. इसमें कम दर के साथ स्लैब ज्यादा हैं. इसके अलावा पुराने टैक्स स्लैब की तुलना में कई तरह की छूट और कटौती के लाभ में कमी की गई है. इस प्रणाली में जिस तरह इनकम में इजाफा होता है, टैक्स स्लैब बढ़ता जाता है और इसी क्रम में बढ़ जाती है टैक्स देनदारी.

नए टैक्स स्लैब के मुताबिक, 2.5 लाख तक कमाई पर शून्य टैक्स, 2.5-5 लाख पर 5% (87ए के तहत छूट), 5-7.5 लाख पर 10%, 7.5-10 लाख पर 15%, 10-12.5 लाख पर 20%, 12.5-15 लाख पर 25% और 15 लाख से ज्यादा इनकम पर 30% टैक्स देना होता है.

आगामी बजट से क्या उम्मीदें?
बीते महीने से बजट पूर्व बैठकों का दौर शुरू हो चुका है और सबसे पहले टैक्स स्लैब में संशोधन की मांग उठी है. Union Budget 2023 से पहले भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने सरकार को कई सुझाव दिए हैं. इनमें सबसे अहम व्यक्तिगत आयकर दरों में कटौती किया जाना है. सीआईआई ने कहा है कि इससे देश के करीब 5.83 करोड़ लोगों को लाभ हो सकता है.

नए टैक्स सिस्टम को लोकप्रिय बनाने की दिशा बो के लिए सबसे लोकप्रिय और लाभदायक व्यापार प्रणाली में राजस्व सचिव तरुण बजाज (Tarun Bajaj) ने भी सुझाव है कि न्यूनतम टैक्स स्लैब (Tax Slab) को ढाई लाख को बढ़ाकर 7 लाख कर देना चाहिए. इसके लिए एक सरल सा टैक्स स्ट्रक्चर बनाए जाने की जरुरत है जिसके लिए साधारण गणित से भी काम चल सकता है, जिसमें केवल ये देखना होगा कि रेवेन्यू पर कितना असर लिमिट बढ़ाने से होगा.

गुजराती जनता ने विकास मॉडल को अपनाया, फ्री मॉडल को ठुकराया

गुजरात चुनाव में बीजेपी की शानदार जीत इस ओर इशारा कर रही है कि आज भी पीएम मोदी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। जनता उन्हें अपना नेता मानती है और देश ही नहीं, गुजरात की जनता को पीएम मोदी के नेतृत्व और उनकी पार्टी पर भरोसा कायम है। ये भरोसा नारों-वादों या मुफ्तखोरी से नहीं है, बल्कि यह 27 साल के संघर्ष और राज्य की लगातार बेहतर हुई अर्थव्यवस्था और विकास से पैदा हुआ है।

पीएम मोदी ने नारा है ‘सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास-सबका प्रयास। इस नारे को ध्यान में रखते हुए पिछले 27 सालों से बीजेपी गुजरात के लोगों की सुरक्षा और उनकी समृद्धि की प्रतिबद्धता के साथ काम करती आ रही है और यही कारण है की आज भी लोगों ने गुजरात चुनाव में बीजेपी को अपनी पहली पसंद बनाया।

विकास मॉडल बनाम फ्री मॉडल

इस बार गुजरात चुनाव में विकास मॉडल बनाम फ्री मॉडल की लड़ाई थी लेकिन जनता ने इन दोनों मॉडल में से विकास के मॉडल को अपनी पहली प्राथमिकता दी और इस कारण बीजेपी ने गुजरात में अबतक का सबसे बढ़िया प्रदर्शन कर सारी पार्टियों का क्लीन स्वीप कर दिया। बीजेपी ने विकास के नित नए रोडमैप बनाकर देश की प्रगति में लंबी लकीर खिंची है। सबसे पहले उन्होंने आम नागरिकों के जीवन स्तर में बदलाव लाने वाले बड़े कदम उठाए। गुजरात चुनावों में बीजेपी ने हर वर्ग, हर क्षेत्र को ध्यान में रख कर घोषणाएं की थीं जिनमें जनता ने विश्वास जताया और बीजेपी को ही राज्य के विकास के लिए सबसे उपयुक्त समझा।

किसानों को दिख रही आशा

कृषि को और ‘समृद्ध’ बनाने की दिशा में और उनकी बेहतरी के लिए बड़ी घोषणाएं की थीं। इन घोषणाओं के मायने समझा जाए तो वो दिन दूर नहीं, जब राज्य में किसानों की आय से लेकर उनकी स्थिति और भी बेहतर होगी। घोषणा पत्र में सिंचाई नेटवर्क का विस्तार करने के लिए 25,000 करोड़ रुपये का निवेश करने का वादा किया गया था। साथ ही खेदूत मंडियों, आधुनिक एपीएमसी, छंटाई और ग्रेडिंग इकाइयों, कोल्ड चेन, गोदामों, प्राथमिक प्रसंस्करण केंद्रों की एक समग्र प्रणाली विकसित करने के लिए गुजरात कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर कोष के तहत 10,000 करोड़ रुपये का निवेश करने इसके अलावा अगले 5 वर्षों में पूरे गुजरात में सुजलाम सुफलाम, सौनी, लिफ्ट सिंचाई परियोजनाओं, सूक्ष्म सिंचाई, ड्रिप सिंचाई और अन्य प्रणालियों जैसी परियोजनाओं के माध्यम से मौजूदा सिंचाई नेटवर्क का विस्तार करने के लिए 25,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की बात अपने घोषणा पत्र में कही थी। जनता को इन घोषणाओं से साफ लगा कि अगर इन पहलुओं पर सरकार काम करती है तो उनके राज्य में विकास की बयार बहने लगेगी।

सपनों का घर

समाज के कमजोर वर्गों को किफायती आवास प्रदान करने और हर नागरिक के पास पक्का घर, प्रधानमंत्री आवास योजना का 100% कार्यान्वयन सुनिश्चित करने का वादा बीजेपी सरकार ने अपने घोषणा पत्र में उल्लेख किया। रोटी-कपड़ा-मकान जनता की पहली प्राथमिकता होती है। गुजराती समाज काम को प्राथमिकता देता है, उसे फ्री का सामान लेकर अपने राज्य के आधारभूत ढांचा को कमजोर नहीं करना था, इसलिए उसने विकास को अपने वोट बैंक के लिए चुना।

तन स्वस्थ तो मन स्वस्थ

अपने घोषणा पत्र में बीजेपी ने प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) के तहत वार्षिक कैप को 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये प्रति परिवार दोगुना करने और मुफ्त चिकित्सा उपचार सुनिश्चित किया। ईडब्ल्यूएस परिवारों के लिए सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों और सूचीबद्ध प्रयोगशालाओं में फ्री डायग्नोसिस ​​​​सेवाएं देने के लिए 110 करोड़ रुपये के कोष बो के लिए सबसे लोकप्रिय और लाभदायक व्यापार प्रणाली के साथ मुख्यमंत्री नि:शुल्क निदान योजना शुरू करने की बात अपने संकल्प पत्र में कही। स्वास्थ्य किसी भी परिवार की सबसे बड़ी चिंता होती है। सरकार ने जनता से ये वादे कर साफ मैसेज दिया था कि उनके स्वास्थ्य का देखभाल कर वो राज्य के स्वास्थ्य को और भी अधिक सुदृढ़ करेंगे।

रोजगार पहली प्राथमिकता

बीजेपी ने रोजगार से जुड़े मुद्दों को प्रमुखता दी। बीजेपी ने वादा किया की गुजरात के युवाओं को अगले 5 साल में 20 लाख रोजगार के अवसर देंगे। हरित ऊर्जा, सेमीकंडक्टर्स, फिनटेक और एयरोस्पेस के क्षेत्रों में उत्कृष्टता केंद्रों के रूप में आईआईटी की तर्ज पर 4 गुजरात प्रौद्योगिकी संस्थान (जीआईटी) स्थापित करेंगे। रोजगार के अपने वादे के साथ बीजेपी ने बताया कि जैसे आज युवाओं का भविष्य सही हाथों में है वैसे ही अगर वे चुनकर आए तो आगे भी युवाओं का भविष्य सही हाथों में रहेगी।

आतंक बर्दाश्त नहीं

सुरक्षा, संभावित खतरों और आतंकवादी संगठनों और भारत विरोधी ताकतों के स्लीपर सेल की पहचान करने और उन्हें खत्म करने के लिए एक एंटी-रेडिकलाइजेशन सेल बनाने की बात बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में कही। इसके माध्यम से बीजेपी ने राज्यवासियों को बता दिया कि किसी भी कीमत पर राज्य के लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बीजेपी का यह मैसेज पूरे देशभर में पहले से ही है कि वो आतंक के मुद्दे पर जीरो बो के लिए सबसे लोकप्रिय और लाभदायक व्यापार प्रणाली टॉलरेंस की भावना से कार्य करती है।

जनकल्याण

पिछले 27 सालों से गुजरात में बीजेपी ने जनकल्याण, आर्थिक फैसलों, अल्पसंख्यकों से संबंधित फैसलों ने समाज के हर वर्ग, हर तबके को लाभ पहुंचाया है। बीजेपी ने जनकल्याण की दिशा में कई ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं, जिन्होंने गरीब व जरूरतमंद भारतीयों के उत्थान का मार्ग प्रशस्त किया है। बीजेपी की इस सोच से जनता को यह संदेश गया कि वो अपने फैसलों में जनकल्याण देखती है, किसी खास जाति या धर्म को तवज्जो नहीं देती।

मिशन पर फोकस

एक परिवार कार्ड योजना, गुजरात समान नागरिक संहिता समिति की सिफारिशों का पूर्ण कार्यान्वयन सुनिश्चित करना, गौशालाओं को मजबूत करना, सरकारी स्कूलों को उत्कृष्ट स्कूलों में बदलना, विश्व स्तरीय खेल बुनियादी ढांचा तैयार करना या फिर चाहे महिलाओं के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना हो, बीजेपी ने हर तबके, हर वर्ग का कल्याण सुनिश्चित किया है।

बीजेपी अपने विकास मिशन से जरा-सा भी विचलित नहीं हुई। उसने हर कार्यक्रम, जनसभा और सरकारी कार्यक्रमों में विकास के प्रति अपनी बो के लिए सबसे लोकप्रिय और लाभदायक व्यापार प्रणाली प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि सामान्य मानव के जीवन में बदलाव लाना और देश के प्रगति के पथ पर अग्रसर करना ही उनका एकमात्र उद्देश्य है।

कुल मिलाकर देखा जाए तो बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र से ये मैसेज पहले ही दे दिया था कि उसका सत्ता में रहने का एकमात्र उद्देश्य जनकल्याण है, इसके विपरीत अन्य पार्टियां ये विश्वास दिला पाने में नाकाम रहीं और राज्य सरकार की सत्ता वापसी के मायने भी यही है कि वो जनता के विश्वास पर आगे भी खरा उतरने की कोशिश करेगी, क्योंकि उसके आज के काम और कल के किए जाने वाले कामों को ध्यान में रखकर ही जनता ने वोट किया है।

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