BSE MidCap और SmallCap इंडेक्स का नेगेटिव हुआ साल 2022 में रिटर्न, पिछले 7 में 6 दिन गिरावट के साथ हुए बंद
पिछले 6 कारोबारी दिनों में BSE मिडकैप इंडेक्स में जहां 6.3 फीसदी, वहीं BSE स्मॉलकैप इंडेक्स में 7.8 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। इस साल की शुरुआत से अब तक दोनों इंडेक्सों में क्रमशः 0.7% और 6% की गिरावट आई है
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का मिडकैप (BSE Midcap) और स्मॉलकैप (BSE Smallcap) इंडेक्स ने पिछले 7 में 6 कारोबारी दिन में लाल निशान के साथ कारोबार किया है। इसके साथ शेयर बाजार के इन दोनों ब्रॉडर इंडेक्सों का रिटर्न इस साल माइनस में चला गया है। BSE Midcap इंडेक्स आज 23 दिसंबर को जहां 2 फीसदी की गिरावट के साथ दो महीने के निचले स्तर 24,762 अंक पर पहुंच गया। वहीं BSE Smallcap 2.5 फीसदी की गिरावट के साथ चार महीने के निचले स्तर 27,710 अंक पर पहुंच गया। दोनों इंडेक्सों में 26 सितंबर के बाद की यह सबसे बड़ी गिरावट है।
इस साल कितना टूटा BSE मिडकैप और स्मॉलकैप?
पिछले 6 कारोबारी दिनों में BSE मिडकैप इंडेक्स में जहां 6.3 फीसदी, वहीं BSE स्मॉलकैप इंडेक्स में 7.8 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। इस साल की शुरुआत से अब तक दोनों इंडेक्सों में क्रमशः 0.7% और 6% की गिरावट आई है।
दूसरी तरह बेंचमार्क सेंसेक्स (Sensex) और निफ्टी (Nifty) भी आज करीब 1 प्रतिशत टूट गए। हालांकि इस साल की शुरुआत से अब तक ये दोनों करीब 3.5% ऊपर चढ़े हैं।
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क्यों दबाव में हैं BSE मिडकैप और स्मॉलकैप?
BSE मिडकैप और स्मॉलकैप पहले से ही दबाव में थे। कई एनालिस्ट्स ने बेंचमार्क सेंसेक्स और निफ्टी इंडेक्स की तुलना में इनका वैल्यूएशन अधिक होने का संकेत दिया था, जिसके चलते ये बाजार में आई हालिया तेजी में यह भाग नहीं ले रहे थे। दोनों इंडेक्सों की सितंबर तिमाही में कमाई भी अनुमानों से सबसे प्रसिद्ध व्यापारिक स्टॉक कमजोर रही थी, जो इनके खराब प्रदर्शन की एक और वजह बनी।
हाल ही में, बैंक ऑफ अमेरिका (BofA) ने साल 2023 के लिए जारी अपने नजरिए में कहा था कि मिडकैप और स्मॉलकैप की तुलना में लार्ज कैप इंडेक्स बेहतर प्रदर्शन करेंगे क्योंकि निवेशक बाजार में अस्थिरता के बीच सुरक्षित मौकों की तलाश करेंगे।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज (Geojit Financial Services) के चीफ इनवेस्मेंट स्ट्रैटजिस्ट, डॉ. वीके विजयकुमार ने कहा, "मिडकैप और स्मॉलकैप की तुलना में लार्ज कैप इंडेक्स अस्थिरता की चुनौती को बेहतर तरीके से मैनेज कर सकते हैं। इसलिए, 2023 में मिडकैप और स्मॉल कैप की तुलना में लार्ज कैप में सुरक्षा अधिक होगी।"
चुनौती भरा रह सकता है साल 2023
एनालिस्ट्स का कहना है कि साल 2023 में ग्लोबल इकोनॉमी में बड़ी मंदी देखी जा सकती है। ऐसे में शेयर बाजारों के लिए नया साल चुनौतीपूर्ण रह सकता है। भारत की ग्रोथ भी ग्लोबल मंदी से प्रभावित होगी। एनालिस्ट्स का अनुमान है कि कॉरपोरेट आय में बढ़ोतरी सामान्य रहेगी।
'मंदी में अधिक गिरते हैं स्मॉल और मिडकैप इंडेक्स'
HDFC सिक्योरिटीज के रिटेल रिसर्च हेड, दीपक जसानी ने कहा, "मंदी के दौरान Nifty की तुलना में छोटे और मिडकैप इंडेक्स अधिक गिरते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि आम तौर पर खुदरा व्यापारी/निवेशकों जोखिम क्षमता कम होती है। वे घबरा जाते हैं और मुनाफा वसूलते हैं या तेजी से नुकसान को कम करते हैं।"
उनका मानना है कि 2023 में चुनिंदा स्मॉलकैप स्टॉक अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। जसानी ने कहा, "स्मॉलकैप स्टॉक महंगाई में ऊंचे स्तर से गिरावट का लाभ लेने की बेहतर स्थिति में है। साथ ही ये कई सालों तक चलने वाली थीम के भी बड़े लाभार्थी हैं। उदाहरण के लिए कैपेक्स/रिशोरिंग आदि। सर्विस पर खर्च भी गुड्स या माल खर्च से बेहतर रहा है, जो स्मॉल कैप को लाभ पहुंचाता है।" उन्होंने कहा, "अमेरिकी केंद्रीय बैंक की तरफ से ब्याज में बढ़ोतरी का रोकना या कटौती करना आमतौर पर लार्जकैप से अधिक स्मॉलकैप के लिए पॉजिटिव रहा है।"
अमेरिका में मंदी की आशंका से दबाव में बाजार
अमेरिका में मंदी की आशंकाओं के बीच दुनियाभर के शेयर बाजार दबाव में हैं। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर महंगाई को को रोकने के लिए अगली पॉलिसी बैठक में ब्याज दरों को बढ़ाने की आशंका और चीन-जापान में कोविड सबसे प्रसिद्ध व्यापारिक स्टॉक मामलों में उछाल से मार्केट का सेंटीमेंट और कमजोर हुआ है।
डिस्क्लेमरः यहां दिए जाने वाले विचार और निवेश सलाह, निवेश विशेषज्ञों के अपने निजी विचार और रॉय होते हैं। Moneycontrol यूजर्स को सलाह देता है कि वह कोई निवेश निर्णय लेने के पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह लें।
Moneycontrol News
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First Published: Dec 23, 2022 3:12 PM
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जब शेयर मार्केट गिरता है तो कहां जाता है आपका पैसा? यहां समझिए इसका गणित
Share market: जब शेयर मार्केट डाउन होता है, तो निवेशकों का पैसा डूबकर किसके पास जाता है? क्या निवेशकों के नुकसान से किसी को मुनाफा होता है. आइए इसका जवाब बताते हैं.
- शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है
- अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो उसके शेयर के दाम बढ़ेंगे
- राजनीतिक घटनाओं का भी शेयर मार्केट पर पड़ता है असर
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नई दिल्ली: आपने शेयर मार्केट (Share Market) से जुड़ी तमाम खबरें सुनी होंगी. जिसमें शेयर सबसे प्रसिद्ध व्यापारिक स्टॉक मार्केट में गिरावट और बढ़त जैसी खबरें आम हैं. लेकिन कभी आपने सोचा है कि जब शेयर मार्केट डाउन होता है, तो निवेशकों का पैसा डूबकर किसके पास जाता है? क्या निवेशकों के नुकसान से किसी को मुनाफा होता है. इस सवाल का जवाब है नहीं. आपको बता दें कि शेयर मार्केट में डूबा हुआ पैसा गायब हो जाता है. आइए इसको समझाते हैं.
कंपनी के भविष्य को परख कर करते हैं निवेश
आपको पता होगा कि कंपनी शेयर मार्केट में उतरती हैं. इन कंपनियों के शेयरों पर निवेशक पैसा लगाते हैं. कंपनी के भविष्य को परख कर ही निवेशक और विश्लेषक शेयरों में निवेश करते हैं. जब कोई कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो उसके शेयरों को लोग ज्यादा खरीदते हैं और उसकी डिमांड बढ़ जाती है. ऐसे ही जब किसी कंपनी के बारे में ये अनुमान लगाया जाए कि भविष्य में उसका मुनाफा कम होगा, तो कंपनी के शेयर गिर जाते हैं.
डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है शेयर
शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है. लिहाजा दोनों ही परिस्थितियों में शेयरों का मूल्य घटता या बढ़ता जाता है. इस बात को ऐसे लसमझिए कि किसी कंपनी का शेयर आज 100 रुपये का है, लेकिन कल ये घट कर 80 रुपये का हो गया. ऐसे में निवेशक को सीधे तौर पर घाटा हुआ. वहीं जिसने 80 रुपये में शेयर खरीदा उसको भी कोई फायदा नहीं हुआ. लेकिन अगर फिर से ये शेयर 100 रुपये का हो जाता है, तब दूसरे निवेशक को फायदा होगा.
कैसे काम करता है शेयर बाजार
मान लीजिए किसी के पास एक अच्छा बिजनेस आइडिया है. लेकिन उसे जमीन पर उतारने के लिए पैसा नहीं है. वो किसी निवेशक के पास गया लेकिन बात नहीं बनी और ज्यादा पैसे की जरूरत है. ऐसे में एक कंपनी बनाई जाएगी. वो कंपनी सेबी से संपर्क कर शेयर बाजार सबसे प्रसिद्ध व्यापारिक स्टॉक में उतरने की बात करती है. कागजी कार्रवाई पूरा करती है और फिर शेयर बाजार का खेल शुरू होता है. शेयर बाजार में आने के लिए नई कंपनी होना जरूरी नहीं है. पुरानी कंपनियां भी शेयर बाजार में आ सकती हैं.
शेयर का मतलब हिस्सा है. इसका मतलब जो कंपनियां शेयर बाजार या स्टॉक मार्केट में लिस्टेड होती हैं उनकी हिस्सेदारी बंटी रहती है. स्टॉक मार्केट में आने के लिए सेबी, बीएसई और एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) में रजिस्टर करवाना होता है. जिस कंपनी में कोई भी निवेशक शेयर खरीदता है वो उस कंपनी में हिस्सेदार हो जाता है. ये हिस्सेदारी खरीदे गए शेयरों की संख्या पर निर्भर करती है. शेयर खरीदने और बेचने का काम ब्रोकर्स यानी दलाल करते हैं. कंपनी और शेयरधारकों के बीच सबसे जरूरी कड़ी का काम ब्रोकर्स ही करते हैं.
निफ्टी और सेंसेक्स कैसे तय होते हैं?
इन दोनों सूचकाकों को तय करने वाला सबसे बड़ा फैक्टर है कंपनी का प्रदर्शन. अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो लोग उसके शेयर खरीदना चाहेंगे और शेयर की मांग बढ़ने से उसके दाम बढ़ेंगे. अगर कंपनी का प्रदर्शन खराब रहेगा तो लोग शेयर बेचना शुरू कर देंगे और शेयर की कीमतें गिरने लगती हैं.
इसके अलावा कई दूसरी चीजें हैं जिनसे निफ्टी और सेंसेक्स पर असर पड़ता है. मसलन भारत जैसे कृषि प्रधान देश में बारिश अच्छी या खराब होने का असर भी शेयर मार्केट पर पड़ता है. खराब बारिश से बाजार में पैसा कम आएगा और मांग घटेगी. ऐसे में शेयर बाजार भी गिरता है. हर राजनीतिक घटना का असर भी शेयर बाजार पर पड़ता है. चीन और अमेरिका के कारोबारी युद्ध से लेकर ईरान-अमेरिका तनाव का असर भी शेयर बाजार पर पड़ता है. इन सब चीजों से व्यापार प्रभावित होते हैं.
MP Cheap Market: सस्ते कपड़े के लिए मध्यप्रदेश में मशहूर है उज्जैन की ये मार्केट, जहां आपको मिलेंगी अलग-अलग वैरायटी
Ujjain News: उज्जैन के विक्रमादित्य क्लॉथ मार्केट (Vikramaditya Cloth Market) में कपड़े की 298 दुकान है. जहां अलग-अलग कंपनी और वैरायटी के कपड़े मिलते हैं.
By: विक्रम सिंह जाट | Updated at : 09 सबसे प्रसिद्ध व्यापारिक स्टॉक Sep 2022 02:08 PM (IST)
विक्रमादित्य क्लॉथ मार्केट में कई वैराइटी के कपड़े मिलते है
MP Cheap Market: उज्जैन (Ujjain) संभाग की नहीं बल्कि पूरे मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में जब सस्ते कपड़ों की बात होती है तो उज्जैन के विक्रमादित्य क्लॉथ मार्केट (Vikramaditya Cloth Market) का नाम जरूर आता है. यहां पर थोक बाजार में बड़ी संख्या में व्यापारी कपड़ों की खरीद-फरोख्त के लिए आते हैं. बाजार में थोक के साथ-साथ रिटेल का भी व्यापार होता है. यहां कपड़ों के साथ-साथ कंबल- चादर भी थोक के भाव में मिलते हैं. इसलिए यहां पर शॉपिंग करने वाले लोगों की भारी भीड़ देखने को मिलती है.
विक्रमादित्य क्लॉथ मार्केट में 298 दुकानें
उज्जैन शहर के बीचो बीच स्थित विक्रमादित्य क्लॉथ मार्केट तीन दशक पहले शुरू हुआ था. इस मार्केट में पूरे देश भर में अपने पैर पसार रखे हैं. यहां पर कपड़े की 298 दुकान है. जहां पर अलग-अलग कंपनी और वैरायटी के कपड़े मिलते हैं. सबसे खास बात इस मार्केट के रीजनेबल दाम है. यही खासियत ग्राहकों को मार्केट की ओर खींच लाती है. उज्जैन के विक्रमादित्य क्लॉथ मार्केट में व्यापारी भी थोक बाजार से खरीद करते हैं. उज्जैन संभाग के तहसील और ग्रामीण इलाकों में यही से कपड़ा ले जाकर बेचा जाता है.
कंपनी से होता सीधा कांटेक्ट
विक्रमादित्य क्लॉथ मार्केट के व्यापारी मनीष चौधरी के मुताबिक यहां के व्यापारियों का कंपनी से सीधा कांटेक्ट रहता है. यही वजह है कि कपड़ा किफायती दामों में दुकानों तक पहुंचता है, जिससे थोक और खुदरा बाजार में पहुंचाए जाता है. मार्केट की विश्वसनीयता ने ही इसे नंबर वन पर पहुंचा दिया है.
ग्रामीण और शहरी सारे कपड़ें उपलब्ध
विक्रमादित्य क्लॉथ मार्केट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां ग्रामीण परिवेश से लेकर शहरी वेशभूषा भी आसानी से उपलब्ध रहती है. यहां पर शूटिंग सेटिंग और महिलाओं के लिए शहरी- ग्रामीण परिवेश के वस्त्र उपलब्ध रहते हैं. इसके अलावा कंबल- चादर भी थोक भाव में मिलते है.
Published at : 09 Sep 2022 02:08 PM (IST) Tags: ujjain MP Vikramaditya cloth market हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: News in Hindi
व्यापार में बढ़ोतरी चाहते हैं तो इस दिशा में रखें गल्ला, होगा जबरदस्त फायदा
जो व्यक्ति व्यापार करते हैं वे हमेशा अपने बिजनेस को लेकर परेशान रहते हैं। क्योंकि हर किसी को व्यापार फलता नहीं है किसी का काम. व्यापार बहुत ही अच्छा चलता है तो किसी को बहुत नुकसान झेलना पड़ता है। लेकिन यदि आप अपना नया बिजनेस शुरु करने जा रहे हैं तो आप कुछ वास्तु टिप्स को अपना सकते हैं। वासतुशास्त्र के अनुसार कुछ बातों का ध्यान रखने से आपका बिजनेस बहुत अच्छा चल सकता है, क्योंकि वास्तुदोष के कारण बहुत से बिजनस असफल हो जाते हैं। इसलिए यदि आप अपने व्यापार में पूर्ण लाभ पाना चाहते हैं तो वास्तु से संबंधित इन गलतियों को ना करें.
Types of Stock Trading in Hindi: शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कितने प्रकार से की जाती है? जानिए
Types of Trading in India: अगर आप शेयर मार्केट में निवेश करना चाहते है, तो पहले आपको यह जान लेना आवश्यक है कि शेयर मार्केट में ट्रेडिंग के कितने प्रकार होते है?(Types of Trading in Stock Market) इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि ट्रेडिंग कितने प्रकार से होती है। (Types of Trading in Hindi)
Types of Stock Trading in Hindi: शेयर मार्केट ट्रेडिंग में रुचि रखने वालों के लिए अवसरों का सागर है। यह बहुत ही आकर्षक है अगर ट्रेडिंग में सही रणनीति का पालन किया जाए तो आप खूब सारा पैसा बना सकते है। लेकिन एक बात आपको समझना चाहिए कि आप किस प्रकार की रणनीति से स्टॉक मार्केट में निवेश करना चाहते है। दरअसल शेयर market में ट्रेडिंग करने के बहुत सारे तरीके मौजूद है। तो अगर शेयर मार्केट में आप भी निवेश करना चाहते है, तो पहले आपको यह जान लेना आवश्यक है कि शेयर मार्केट में ट्रेडिंग के कितने प्रकार होते है?(Types of Trading in Stock Market) इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि ट्रेडिंग कितने प्रकार से होती है। (Types of Trading in Hindi)
Types of Share Trading in India
1) इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading)
यह व्यापारियों द्वारा शेयर मार्केट में प्रचलित सबसे सामान्य प्रकार का व्यापार है। इंट्राडे ट्रेडिंग एक ही दिन के व्यापार को संदर्भित करता है। व्यापारियों को बाजार बंद होने से पहले उसी दिन अपने स्टॉक को बेचना और खरीदना या खरीदना और बेचना होता है। इस स्टाइल को "व्यापार बंद करना" के रूप में भी जाना जा सकता है। यह किसी भी अन्य फॉर्मेट की तुलना में हाई ROIs चाहने वालों के लिए सबसे एग्रेसिव प्रकार के व्यापार में से एक है।
2) स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading)
यह एक प्रकार का शार्ट टर्म ट्रेडिंग है जो आम तौर पर 2 दिनों से 2 सप्ताह के बीच रहता है। जब कोई स्टॉक या ऑप्शन में निवेश करना चाहता है तो स्विंग ट्रेडिंग एक अच्छा विकल्प है। टेक्निकल ट्रेडर्स और चार्टिस्ट जो टेक्निकल टूल का उपयोग करके शार्ट टर्म प्राइस मोमेंटम का निरीक्षण करना पसंद करते हैं, इस कैटेगरी में आते हैं। ओवरनाइट ट्रेडों में अधिक मार्जिन के कारण यहां आवश्यक पूंजी सबसे प्रसिद्ध व्यापारिक स्टॉक सबसे प्रसिद्ध व्यापारिक स्टॉक दिन के कारोबार की तुलना में अधिक है।
3) आर्बिट्रेज ट्रेडिंग (Arbitrage Trading)
आर्बिट्रेज ट्रेडिंग एक ऐसी शैली है जो दो या दो से अधिक बाजारों या एक्सचेंजों में मूल्य अंतर का लाभ उठाती है। यह केवल एक विशाल नेटवर्क वाली प्रमुख ट्रेडिंग फर्मों के लिए रिजर्व्ड है क्योंकि इसके लिए कई एनालिटिकल स्किल की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन अधिक नेटवर्क स्पीड की आवश्यकता होती है।
4) पोजीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading)
यह एक लंबी अवधि की ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी है। पोजीशनल ट्रेडर बाजार में अल्पकालिक उतार-चढ़ाव को नजरअंदाज करते हैं क्योंकि उनका मानना है कि उनकी दीर्घकालिक दृष्टि चीजों को सुलझाती है। व्यापारी हमेशा कंपनी के भीतर बड़े गेम चेंजर की तलाश में रहते हैं ताकि उन्हें उनका वांछित रिटर्न मिल सके, इसलिए होल्डिंग पीरियड सबसे महत्वपूर्ण चिंता का विषय नहीं है।
5) ऑप्शन स्ट्रेटेजीज (Options Strategies)
ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए एक ऑब्जेक्टिव और मैथमेटिकल टाइप की सोच की आवश्यकता होती है। चूंकि रणनीति बनाना एक कठिन खेल है, इसलिए किसी को अपनी रणनीति बनाने और उन्हें लागू करने में अच्छा बनने के लिए थोड़ा अभ्यास और समय की आवश्यकता हो सकती है। भारत में, बहुत कम ऑप्शन ट्रेडर्स हैं, ज्यादातर जागरूकता की कमी ऐसा नहीं कर पाते।
6) ट्रेड युसिंग टेक्निकल एनालिसिस (Trade using Technical Analysis)
स्टॉक मार्केट टेक्निकल एनालिसिस ट्रेडिंग की किसी भी रणनीति के लिए महत्वपूर्ण है। स्टॉक टेक्निकल एनालिसिस टूल का उपयोग आपको शेयर बाजार की मांग और आपूर्ति में निकट परिवर्तनों के बारे में बेहतर जानकारी सबसे प्रसिद्ध व्यापारिक स्टॉक दे सकता है। एक स्किल के रूप में टेक्निकल एनालिसिस होने से व्यापारियों को सफल दिन के व्यापारी, स्थितीय या यहां तक कि स्विंग व्यापारी बनने में मदद मिलती है।
7) मनी फ्लो बेस्ड ट्रेडिंग (Money Flow Based Trading)
Money Flow Based Trading ओपन इंटरेस्ट एनालिसिस, प्रमोटर डील, स्टेक सेल्स, ग्रॉस डिलीवरी डेटा, एफआईआई इनफ्लो और डीआईआई फ्लो इन और स्टॉक से बाहर पर निर्भर करती है। बाजार में आने वाले रुझानों की पहचान करने के लिए ऐसा डेटा आवश्यक है। यदि आपके पास पैसे के प्रवाह का विश्लेषण करने के लिए एक प्रवृत्ति है, तो यह आपके लिए सही प्रकार की ट्रेडिंग रणनीति है।
8) ट्रेड ड्रिवेन बाई इवेंट्स (Trade Driven by Events)
इवेंट बेस्ड ट्रेडिंग एक कॉर्पोरेट इवेंट का लाभ उठाता है जो घटित हुई है या होने वाली है। यह विलय और अधिग्रहण, दिवालियेपन, कमाई कॉल आदि के समय बाजार की कीमतों में बदलाव का फायदा उठाने का प्रयास करता है। इस ट्रेडिंग स्टाइल को यह समझने के लिए टेक्निकल एनालिसिस स्किल की आवश्यकता होती है कि इस तरह के परिवर्तन किसी घटना के होने से पहले बाजार को कैसे प्रभावित करते हैं।
9) हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग (High Frequency Trading)
हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग स्पीड के बारे में है। निवेश बैंक, संस्थागत व्यापारी, हेज फंड आदि हाई स्पीड वाले कंप्यूटरों का उपयोग हाई स्पीड पर बड़े आर्डर का लेन-देन करने के लिए करते हैं। चूंकि सब कुछ कंप्यूटर आधारित है, इसलिए एनालिसिस के लिए कोई जगह नहीं है और निष्पादन के लिए केवल क्विक कॉल है। इस प्रकार के व्यापार की सलाह व्यक्तियों को नहीं दी जाती है, लेकिन यदि आप रुचि रखते हैं, तो आप अपना स्वयं का फंड शुरू कर सकते हैं या इसके प्रोग्रामर के रूप में एक फंड में शामिल हो सकते हैं।
10) क्वांटिटेटिव ट्रेडिंग (Quantitative Trading)
क्वांटिटेटिव ट्रेडिंग क्वांटिटेटिव एनालिसिस पर आधारित है। यह क्वांट फाइनेंस का एक बहुत ही जटिल क्षेत्र है। Statistical या Mathematical बैकग्राउंड के बहुत से लोग कंप्यूटर एनालिसिस और नंबर क्रंचिंग का उपयोग करके अपना स्थान पाते हैं। एक इच्छुक व्यक्ति के पास अच्छी प्रोग्रामिंग और मैथमेटिकल स्किल होना चाहिए। यह सलाह दी जाती है कि आप इस स्टाइल को अपनाने से पहले रिसर्च करें।
शेयर बाजार में लगाए गए पैसे से हर निवेशक की अलग-अलग जरूरतें और मांगें होती हैं। शेयर बाजार में कोई निर्णायक बेस्ट ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी नहीं है क्योंकि सफलता उन्हें मिलती है जो अपनी शैली में इक्का-दुक्का होते हैं।
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