Commodities Live: क्रूड में क्यों बढ़ी घबराहट? क्या है गिरावट की वजह? जानिए यहां
MCX पर क्रूड ₹6,100 के नीचे ट्रेड कर रहा है. ब्रेंट क्रूड (Brent Crude) $81 के नीचे और WTI क्रूड (Nymex Crude) $74 के नीचे फिसला. क्रूड में क्यों बढ़ी घबराहट? क्रूड में गिरावट की वजह क्या है? और कितना गिर सकता है भाव? एक्सपर्ट्स की राय जानने के लिए देखिए Commodities Live.
एक्सपर्ट एडवाइस: लंबी अवधि के इक्विटी निवेश के लिए यह बेहतर समय, जल्द ही बन सकती है लाभ की स्थिति
बिजनेस डेस्क। कोरोनावायरस से संबंधित घटनाक्रमों और इससे उपजी चिंताओं के मद्देनजर बाजार ने घरेलू और वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। वर्तमान में, इक्विटी मूल्यांकन सस्ते हैं और निवेशकों में घबराहट का माहौल है। अतीत में इस तरह की घटनाएं लंबी अवधि के इक्विटी निवेश के लिए आकर्षक साबित हुए हैं। निमेश शाह (एमडी एवं सीईओ, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एमएफ) कहते हैं कि ऐसा अवसर एक दशक निवेशक घबराहट की स्थिति में क्या कर सकते हैं में एक बार आता है। पिछली बार निवेशकों को ऐसा मौका 2008 और 2001 में मिला था।
3 से 5 निवेश में फायदा
निमेश शाह अनुसार तीन से पांच साल तक के निवेशक भारतीय शेयरों से उम्मीद से ज्यादा लाभ प्राप्त कर सकते हैं। याद रखें, जब भी बाजार बुरे दौर से गुजरता है तो समाचार का प्रभाव बेहद नकारात्मक होता है और कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकता है कि आगे क्या होगा। इसका पता तो अतीत में जाने के बाद ही लगता है। यहां तक कि डेट मार्केट वर्तमान में आकर्षण दिखाई पड़ता है और साथ ही निवेश का एक दिलचस्प अवसर प्रस्तुत करता है। इसका कारण अच्छे क्रेडिट का प्रसार है। इसलिए, यहां भी हमारे पास एक दशक में एक बार कॉर्पोरेट पेपर में निवेश करने और इस समय इक्विटी में निवेश करने का अच्छा अवसर आया है।
कोरोना के बाद जल्द ही बाजार में होगा सुधार
हमारे इक्विटी वैल्यूएशन इंडेक्स (फैक्टशीट में प्रकाशित) के अनुसार, बाजार ओवरसोल्ड क्षेत्र में है और अब यह संकेत दे रहा है कि इक्विटी में निवेश करने का समय आ गया है। हमारा मानना है कि कोरोनावायरस पर बाजार में सुधार होने की संभावना है। कोरोनावायरस पर अच्छा समाचार मिलते ही बाजार में सुधार होने लगेगा। इस धारणा को बाधित करने वाला कारक यह है कि फिलहाल बाजार में 21 दिन की अवधि से आगे के लॉकडाउन के बारे में कोई जानकारी नहीं है। साथ ही हमें नहीं पता कि कोरोनावायरस का प्रभाव कब तक चलेगा। आपूर्ति और मांग दोनों पर व्यवधान उत्पन्न हो गया है, इसलिए निकट भविष्य में मोटे तौर पर मंदी की संभावना हो सकती है। कॉर्पोरेट इंडिया भी कोरोना महामारी की चपेट में आ रहा होगा और इसका प्रभाव आने वाली तिमाहियों की आय में दिखाई देगा। तो, निकट भविष्य में बाजार में तेजी की संभावना नहीं दिख रही है।
शेयरों की कीमतों में हो रहा सुधार
2008-2009 की मंदी से सबक यह सीखा गया है कि जब आय में कटौती होती है तो फिक्र की कोई बात नहीं क्योंकि बाजार आगे का रूख अपनाएगा। आपको याद रखना होगा कि शेयर की कीमतों में 30-40 प्रतिशत तक का सुधार हो चुका है। इसलिए, आय की तरफ ध्यान देने का कोई औचित्य कोई नहीं है। जब शेयर की कीमतों में इस तरह के भारी सुधार देखने को मिल रहे हों। महामारी फैलने से पहले भारतीय बाजार का मूल्यांकन बुलंदी पर था। इसलिए, हम निवेशकों को डायनामिक असेट अलोकेशन उत्पादों और डेट योजनाओं का विकल्प चुनने की सलाह दे रहे थे। शेयरों को भुनाने का शायद ही कोई दबाव रहा हो। हमें लगता है कि भारतीय निवेशक 2008 में देखे गए पिछले संकट के बाद से काफी परिपक्व हुए हैं। हम इस सुधार में खरीदारी कर रहे हैं। सभी क्षेत्रों में काफी सुधार हुआ है और ये फिलहाल 2008 के मूल्यांकन के स्तर से भी कम पर हैं। हमारा मानना है कि यह एक दशक में एक बार के लिए इस तरह के सस्ते मूल्यांकन पर खरीदने का अच्छा अवसर है। अस्थिरता इक्विटी में निवेश का एक हिस्सा है। बाजार में हुआ यह सुधार पिछले कुछ वर्षों में बाजार में प्रवेश किए उन निवेशकों के लिए अपनी तरह का अनुभव का पहला होगा। हालांकि, अगर ये निवेशक वर्तमान दौर की अनिश्चितता में अगर बने रह गए तो हमारा मानना है कि ऐसे निवेशक आने वाले वर्षों में उम्मीद से ज्यादा लाभ कमाने का अवसर प्राप्त करेंगे।
डेट मार्केट निवेश के हिसाब से बेहतर
ऐतिहासिक रूप से यह देखा गया है कि जब भी बाजार में सुधार होता है तो वे निवेशक जो उठापटक के दौरान निवेश में बने रहते हैं वो तेजी से लाभान्वित होते हैं। हमारा मानना है कि वर्तमान में ऋण बाजार (डेट मार्केट) अल्प से मध्यम अवधि के नजरिए से अच्छी कीमत पर हैं। निवेशकों को लाभ से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए ऋण अर्थात डेट में निवेश करना चाहिए। रूढ़िवादी या परंपरागत निवेशक कम, लघु और मध्यम अवधि के ऋण उत्पादों में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं। उच्च जोखिम क्षमता वाले निवेशक अक्रूअल फंडों में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं क्योंकि अक्रूअल को रेपो सबसे आकर्षक बना रहा है। हाल ही में सुधार के बाद, समूचा मूल्यांकन आकर्षक हो गया है। मेटल, माइनिंग, टेलीकॉम और बिजली के क्षेत्र में अच्छी संभावनाएं हैं जबकि कंज्यूमर, नॉन-ड्यूरेबल्स, ऑटो और बैंकिंग के क्षेत्र में सुधार की गुंजाइश है। बैंकिंग में मूल्यांकन - सार्वजनिक और सार्वजनिक उपक्रम - में काफी सुधार हुआ है। हम कॉर्पोरेट ऋण बैंकों, अच्छी देयता वाले फ्रेंचाइजी और ग्राहक केंद्रित गैर ऋण फ्रेंचाइजी जैसे विषयों पर हमेशा चुनिंदा रूप से सकारात्मक रहे हैं। हमने उन चुनिंदा बैंकों में सुधार किया है जिनके पास अच्छी असेट लाइबिलिटी मैनेजमेंट उच्च कासा और व्यापक वित्तीय सेवाओं की उपस्थिति है। हमें विश्वास है कि एनबीएफसी तंग ऋण बाजार के कारण ऋण वृद्धि में नरमी देखना जारी रखेंगे। लेकिन हम चुनिंदा गोल्ड फाइनेंसरों और इंश्योरेंस पर पॉजिटिव हैं, जिन्हें भारत की लॉन्ग टर्म स्ट्रक्चरल ग्रोथ से फायदा हो सकता है।
एसआईपी में किए गए निवेशों को टॉप-अप करना चाहिए
पिछले 12 महीनों से, एसआईपी में औसतन प्रवाह 8,200 करोड़ रुपये से अधिक का रहा है। हमारा मानना है कि यह प्रवृत्ति जारी रहने की संभावना है क्योंकि एसआईपी म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए खुदरा निवेशकों के पसंदीदा मार्ग के रूप में उभर रहा है। ऐतिहासिक रूप से, यह देखा गया है कि कोई भी वैश्विक घटना जिसके कारण बाजार में मंदी आई है, निवेश के आकर्षक अवसर साबित हुए हैं। ऐसे समय में यह महत्वपूर्ण है कि मौजूदा निवेश के साथ बने रहें। वर्तमान बाजार की स्थिति के मद्देनजर निवेशकों को अपने मौजूदा एसआईपी और म्यूचुअल फंड में किए गए अन्य निवेशों को टॉप-अप करना चाहिए क्योंकि अब अपेक्षाकृत कम कीमत पर अधिक इकाइयों को जमा करने का अवसर है। अनिश्चितता बाजार में अस्थिरता पैदा करती है। इसलिए उन उत्पादों में निवेश किया जाए जो बाजार में अस्थिरता से सबसे अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। असेट अलोकेशन या बैलेंस्ड एडवांटेज फंड का विकल्प चुनें और साथ ही डेट में निवेश की अनदेखी न करें। डेट बाजार भी निवेश के आकर्षक अवसर पेश कर रहे हैं।
Mutual Fund: नए निवेशक म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय ऐसी गलतियां न करें, वरना हो जाएगा भारी नुकसान
नए निवेशक शुरू में ज्यादा पैसा एक बार में ही न लगाएं.
Mutual Funds में नए निवेशक को शुरू में कई सारी छोटी-छोटी गलतियों की वजह से बड़ा नुकसान उठाना पडता है. नए निवेशक कुछ बुन . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : October 24, 2021, 10:11 IST
Mutual Fund Investment: कोरोना के बाद भारतीय शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड में नए निवेशकों की संख्या करोड़ों में बढ़ी है. कोरोना के बाद मिले जोरदार रिटर्न की वजह से रिटेल निवेशक इस फील्ड में तेजी से आकर्षित हो रहे हैं. हालांकि अक्सर देखने को मिलता है कि नए निवेशक को शुरू में कई सारी छोटी छोटी गलतियों की वजह से बड़ा नुकसान उठाना पडता है. नए निवेशक कुछ बुनियादी बातों का ध्यान रख अपना पैसा गंवाने से बच सकते हैं.
आमतौर पर नए नए निवेशक एक हाई मार्केट में इक्विटी निवेश की शुरुआत करते हैं. उस समय में मौजूदा निवेशक पहले ही अच्छी-खासी कमाई कर चुके होते हैं. अनुभवी निवेशक आमतौर पर तब निवेश करते हैं जब मार्केट में कमजोरी होती है. पहली बार के निवेशकों को इस बारे में नहीं पता होता है. इसलिए, पहली बार इक्विटी बाजार में निवेश करते समय, निवेशकों को कम जोखिम वाले फंडों में निवेश करके सतर्क रुख अपनाना चाहिए. इसके साथ ही निवेशकों को बाजार के उतार-चढ़ाव को भी समझने की कोशिश करनी चाहिए. पहली बार निवेश करने वाले को इक्विटी-ओरिएंटेड फंडों में निवेश करते समय इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है.
ज्यादा पैसा एक बार में ही न लगाएं
एक निवेशक को इक्विटी में बड़ी रकम को एक साथ निवेश करने से बचना चाहिए. ऐसा इसलिए है क्योंकि बाजार में गिरावट आपके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है. पहली बार के निवेशकों को बाजार के उतार-चढ़ाव की समझ नहीं होती होती है. ऐसे में वे थोड़ा नुकसान होने पर घबरा जाते हैं. इस घबराहट में नए निवेशक अक्सर अपना पैसा निकालने का फैसला करते हैं, जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है. इसलिए, यह हमेशा सलाह दी जाती है कि इक्विटी-ओरिएंटेड फंडों में निवेश सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के ज़रिए किया जाना चाहिए.
ऐसे फंड में निवेश करें जहां खतरा कम हो
बाजार के उतार-चढ़ाव के आदी होने के लिए, ज्यादा जोखिम वाले प्योर इक्विटी फंड के बजाय पहली बार निवेशकों के लिए बेहतर यह है कि वे संतुलित फंडों में निवेश करें. नए निवेशकों को ऐसे फंडों में निवेश करना चाहिए जहां जोखिम कम हो या हो भी तो ज्यादा नहीं. इस तरह के फंडों में बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान, प्योर इक्विटी फंड से कम उतार-चढ़ाव होता है. इससे नए निवेशकों के लिए घबराहट की स्थिति नहीं बनती है. इससे नए निवेशक बाजार में ज्यादा समय तक बने रह सकते हैं और बाजार के उतार-चढ़ाव को समझ सकते हैं. इसलिए, ज्यादा जोखिम वाले प्योर इक्विटी फंड से शुरू करने के बजाय, उन फंडों में निवेश करना बेहतर है, जो तुलनात्मक रूप से कम जोखिम वाले हैं.
बिना फाइनेंशियल प्लानिंग के पैसा लगाने से बचें
अगर कोई निवेशक सही फाइनेंशियल प्लानिंग द्वारा लॉन्ग टर्म गोल्स को हासिल करने के लिए इक्विटी-ओरिएंटेड फंडों में निवेश करना शुरू करता है, तो इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि निवेशक बाजार में ज्यादा समय तक बने रहे. लंबी अवधि के गोल्स के लिए निवेश करने वाले निवेशक बाजार के छोटे-मोटे उतार-चढ़ाव को नजरअंदाज कर देते हैं. वहीं तुरंत रिटर्न हासिल करने के लिए निवेश करने वाले नए निवेशक बाजार के उतार-चढ़ाव से घबराकर तुरंत अपना पैसा निकाल लेते हैं. इसलिए, निवेश करने से पहले किस कैटेगरी के फंड में कितना निवेश करना है, यह तय करने के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग करना बेहतर है.
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Stock Market : बाजार में है गिरावट, वॉरेन बफेट और होवार्ड मार्क्स की ये बातें मानेंगे तो बच जाएंगे नुकसान से
दिग्गज निवेशक वॉरेन बफेट (Warren Buffett) का कहना है कि लहर के साथ सवारी करना आसान है, लेकिन इसका सामना करना मुश्किल है.
Warren Buffett Tips : शेयर बाजार से वो ही निवेशक पैसे बनाते हैं जो भयभीत नहीं होते और घबराते नहीं हैं. मशहूर निवेश बॉरे . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : February 07, 2022, 18:15 IST
नई दिल्ली. दिग्गज निवेशक वॉरेन बफेट (Warren Buffett) का कहना है कि लहर के साथ सवारी करना आसान है, लेकिन इसका सामना करना मुश्किल है. शेयर बाजार में जब गिरावट (Stock Market Fall) आती है तो उनकी यह बात सोलह आने सच हो जाती है. ज्यादातर निवेशक घबराहट में आ जाते हैं और हाथ खड़े कर देते हैं. उन्हें लगता है कि वो इस खतरे का सामना नहीं कर सकते और अगर ज्यादा देर यहां टिके तो उन्हें बहुत नुकसान होगा.
जितना नुकसान उन्हें शेयर मार्केट में आई गिरावट से नहीं होता, उससे ज्यादा चोट उन्हें घबराहट में लिए गए निर्णय पहुंचाते हैं. मार्केट में मंदी का तूफान गुजर जाता है, तब उन्हें अहसास होता है कि उन्होंने दिमाग की बजाय दिल की बात सुनकर कैसे अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली. आज, यानि सोमवार को भी मार्केट में गिरावट आई है. बिकवाल बाजार पर हावी हैं. आइए जानते हैं निवेशक घबराहट की स्थिति में क्या कर सकते हैं कि दिग्गज निवेशक वारेन बफेट और होवार्ड मार्क्स (Howard Makrs) क्या राय देते हैं.
वॉरेन बफेट का मंत्र (Warren Buffett’s Mantra)
वॉरेन बफेट की निवेशकों को एक राय बहुत पहले दी थी. सही में देखा जाए तो शेयर बाजार में गिरावट के दौर को निवेश रणनीति बनाने में यह सबसे ज्यादा काम आ सकती है. बफेट का मंत्र है कि “जब दूसरे लालची हों तो डरें और जब दूसरे डरें तब आप लालची बनें.” बफेट के इस मंत्र का अर्थ है कि जब दूसरे निवेशक धड़ाधड़ खरीददारी कर रहे हों तो आपको बहुत संभलकर निवेश करना चाहिए. लेकिन, जब मार्केट में मंदी हो. लोग भयभीत होकर बिकवाली कर रहे हों तो आपको उस स्थिति का फायदा उठाते हुए खरीददारी करनी चाहिए और डरपोक बनने के बजाए लालची बनना चाहिए.
दिल को न होने दें दिमाग पर हावी
वॉरेन बफेट का कहना है कि जोखिम तब नहीं होता जब, परिस्थितियां अनुकूल न हों. जोखिम तब होता निवेशक घबराहट की स्थिति में क्या कर सकते हैं है जब किसी निवेशक (Investor) को यह पता नहीं होता कि वह कर क्या रहा है. इसलिए अगर बाजार में भारी गिरावट है तो दिमाग का प्रयोग ज्यादा करिए. यह जानने कि कोशिश जरूर करें कि जो निर्णय आप ले रहे हैं, वह बिना सोच-विचार के बस बाजार की चाल के अनुसार तो नहीं ले लिया है.
डर नहीं हो सकता निवेश निर्णय का आधार
मशहूर निवेशक होवार्ड मार्क्स (Howard Marks) का कहना है कि बिकवाली करने के बहुत-से अच्छे कारण हो सकते हैं. लेकिन अगर आप केवल गलती होने या घाटा होने के डर मात्र से बिकवाल बन जाते हैं, तो ये आपके लिए बहुत घातक है. बिकवाली का निर्णय (Selling Decision) निवेश के दृष्टिकोण पर आधारित होना चाहिए, जो ठोस वित्तीय विश्लेषण, दृढ़ निश्चय और निवेश अनुशासन से बना हो. यह निर्णय कभी निवेशक के मनोविज्ञान (Psychology) पर आधारित नहीं हो सकता. मार्क्स का कहना है कि इक्विटी निवेशक (Equity Investor) का निर्णय अगर किसी डर पर आधारित है तो, निश्चित ही वह गलत फैसला ही होगा. मार्क्स का कहना है कि निवेश में डर, हड़बड़ी और मनोवैज्ञानिक धारणाओं का कोई स्थान नहीं है.
पोर्टफोलियो में तुरंत हेरफेर ठीक नहीं
होवार्ड मार्क्स का कहना कि अगर को कोई निवेशक मार्केट की पल-पल बदलती परिस्थितियों के अनुसार अपने पोर्टफोलियो में जल्दी-जल्दी बदलाव करता है तो वो कमाई नहीं कर सकता. इसलिए निवेश निर्णय मार्केट की स्थितियों के अनुसार नहीं, बल्कि तार्किक मूल्यांकन और परिस्थितियों के गहन अध्ययन के बाद ही लें, घबराहट में नहीं.
दूसरों की गलतियों से उठाएं फायदा
होवार्ड मार्क्स का मानना है सफल निवेश निर्णय दूसरों की गलतियों को देखकर लिए जाते हैं. अगर कोई डर कर शेयर बेच रहा है तो उसकी यह गलती एक सच्चे निवेशक को खरीददारी करने एक बेहतरीन मौका दे रही है. और उसे डरे हुए इंसान की गलती से लाभ कमाना चाहिये. मार्केट गुरु का कहना है कि निवेश निर्णय का आधार किसी भी एसेस्ट की क्षमताओं का सही मूल्यांकन होता है.
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Mutual Fund: नए निवेशक म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय ऐसी गलतियां न करें, वरना हो जाएगा भारी नुकसान
नए निवेशक शुरू में ज्यादा पैसा एक बार में ही न लगाएं.
Mutual Funds में नए निवेशक को शुरू में कई सारी छोटी-छोटी गलतियों की वजह से बड़ा नुकसान उठाना पडता है. नए निवेशक कुछ बुन . अधिक पढ़ें
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- Last Updated : October 24, 2021, 10:11 IST
Mutual Fund Investment: कोरोना के बाद भारतीय शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड में नए निवेशकों की संख्या करोड़ों में बढ़ी है. कोरोना के बाद मिले जोरदार रिटर्न की वजह से रिटेल निवेशक इस फील्ड में तेजी से आकर्षित हो रहे हैं. हालांकि अक्सर देखने को मिलता है कि नए निवेशक को शुरू में कई सारी छोटी छोटी गलतियों की वजह से बड़ा नुकसान उठाना पडता है. नए निवेशक कुछ बुनियादी बातों का ध्यान रख अपना पैसा गंवाने से बच सकते हैं.
आमतौर पर नए नए निवेशक एक हाई मार्केट में इक्विटी निवेश की शुरुआत करते हैं. उस समय में मौजूदा निवेशक पहले ही अच्छी-खासी कमाई कर चुके होते हैं. अनुभवी निवेशक आमतौर पर तब निवेश करते हैं जब मार्केट में कमजोरी होती है. पहली बार के निवेशकों को इस बारे में नहीं पता होता है. इसलिए, पहली बार इक्विटी बाजार में निवेश करते समय, निवेशकों को कम जोखिम वाले फंडों में निवेश करके सतर्क रुख अपनाना चाहिए. इसके साथ ही निवेशकों को बाजार के उतार-चढ़ाव को भी समझने की कोशिश करनी चाहिए. पहली बार निवेश करने वाले को इक्विटी-ओरिएंटेड फंडों में निवेश करते समय इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है.
ज्यादा पैसा एक बार में ही न लगाएं
एक निवेशक को इक्विटी में बड़ी रकम को एक साथ निवेश करने से बचना चाहिए. ऐसा इसलिए है क्योंकि बाजार में गिरावट आपके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है. पहली बार के निवेशकों को बाजार के उतार-चढ़ाव की समझ नहीं होती होती है. ऐसे में वे थोड़ा नुकसान होने पर घबरा जाते हैं. इस घबराहट में नए निवेशक अक्सर अपना पैसा निकालने का फैसला करते हैं, जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है. इसलिए, यह हमेशा सलाह दी जाती है कि इक्विटी-ओरिएंटेड फंडों में निवेश सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के ज़रिए किया जाना चाहिए.
ऐसे फंड में निवेश करें जहां खतरा कम हो
बाजार के उतार-चढ़ाव के आदी होने के लिए, ज्यादा जोखिम वाले प्योर इक्विटी फंड के बजाय पहली बार निवेशकों के लिए बेहतर यह है कि वे संतुलित फंडों में निवेश करें. नए निवेशकों को ऐसे फंडों में निवेश करना चाहिए जहां जोखिम कम हो या हो भी तो ज्यादा नहीं. इस तरह के फंडों में बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान, प्योर इक्विटी फंड से कम उतार-चढ़ाव होता है. इससे नए निवेशकों के लिए घबराहट की स्थिति नहीं बनती है. इससे नए निवेशक बाजार में ज्यादा समय तक बने रह सकते हैं और बाजार के उतार-चढ़ाव को समझ सकते हैं. इसलिए, ज्यादा जोखिम वाले प्योर इक्विटी फंड से शुरू करने के बजाय, उन फंडों में निवेश करना बेहतर है, जो तुलनात्मक रूप से कम जोखिम वाले हैं.
बिना फाइनेंशियल प्लानिंग के पैसा लगाने से बचें
अगर कोई निवेशक सही फाइनेंशियल प्लानिंग द्वारा लॉन्ग टर्म गोल्स को हासिल करने के लिए इक्विटी-ओरिएंटेड फंडों में निवेश करना शुरू करता है, तो इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि निवेशक बाजार में ज्यादा समय तक बने रहे. लंबी अवधि के गोल्स के लिए निवेश करने वाले निवेशक बाजार के छोटे-मोटे उतार-चढ़ाव को नजरअंदाज कर देते हैं. वहीं तुरंत रिटर्न हासिल करने के लिए निवेश करने वाले नए निवेशक बाजार के उतार-चढ़ाव से घबराकर तुरंत अपना पैसा निकाल लेते हैं. इसलिए, निवेश करने से पहले किस कैटेगरी के फंड में कितना निवेश करना है, यह तय करने के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग करना बेहतर है.
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