यूपी में GST छापेमारी से हड़कंप, जानें- कितनी कमाई पर लगता है GST, कौन-कौन इसके दायरे में
उत्तर प्रदेश के कई जिलों में जीएसटी की टीमों ने व्यापारियों की दुकानों पर छापेमारी की है. इसके बाद से प्रदेश के कई जिलों में दुकाने बंद हैं. केंद्र सरकार ने जीएसटी को अप्रत्यक्ष कर की कई जटिलताओं को खत्म करने के लिए 2017 में लागू किया था.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 12 दिसंबर 2022,
- (अपडेटेड 12 दिसंबर 2022, 2:04 PM IST)
उत्तर प्रदेश (UP) में नगर निगम चुनाव से पहले वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax) की टीमें जमकर छापेमारी कर रही हैं. इस वजह से प्रदेश के व्यापारियों में दहशत देखने को मिल रही है. राज्य के कई जिलों में व्यापारियों ने दुकानें बंद कर दी हैं. जीएसटी की टीमें दुकान-दर-दुकान जाकर कागजात खंगाल रही हैं और गड़बड़ी पाए जाने पर एक्शन ले रही हैं. किसी भी व्यापारी की कितनी कमाई पर जीएसटी लगता है और इसके दायरे में कौन आता है, आइए समझ लेते हैं.
17 टैक्स को खत्म कर लागू हुआ था जीएसटी
जीएसटी (GST) को 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया था. इसने अप्रत्यक्ष कर की कई जटिलताओं को दूर किया, जिससे कारोबार करना आसान हुआ. इस नई प्रणाली से वैट (VAT), एक्साइज ड्यूटी (कई चीजों पर) और सर्विस टैक्स (Service Tax) जैसे 17 टैक्स खत्म हो गए. छोटे उद्योग-धंधों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 40 लाख रुपये के सालाना टर्नओवर वाले बिजनेस को जीएसटी के दायरे से मुक्त कर दिया था.
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इसके अलावा वैसे बिजनेस, जिनका सालाना टर्न ओवर 1.5 करोड़ था उन्हें कंपोजिशन स्कीम के तहत मात्र 1 फीसदी टैक्स जमा करने की छूट दी गई थी. जिन सर्विस प्रोवाइडर्स का टर्नओवर 50 लाख रुपये तक था, उन्हें मात्र 6 फीसदी की दर से टैक्स भरने की छूट दी गई थी.
व्यापारियों ने लगाया आरोप
जो दुकानें रजिस्टर्ड नियम आधारित व्यापार के क्या लाभ हैं नहीं हैं या फिर उन्हें कार्रवाई का डर सता रहा है, वे दुकानें बंद करके घरों में बैठे हैं. व्यापारी बताते हैं कि जो दुकानदार जीएसटी के दायरे में नहीं है, उन्हें भी छापेमारी के नाम पर परेशान किया जा रहा है. आरोप है कि जांच में कुछ टेक्निकल खामियां निकाली जाती हैं और फिर कार्रवाई का दबाव डाला जाता है. प्रतिष्ठानों को सीज करने की धमकी दी जाती है. बाद में बिना टैक्स एसेसमेंट किए पेनाल्टी जमा करवाई जाती है.
किसे पड़ती है GST नंबर की जरूरत?
एक फाइनेंसियल ईयर में जब किसी व्यापारी के कारोबार का टर्नओवर 40 लाख रुपये से अधिक हो जाता है, तो उसे जीएसटी में रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य हो जाता है. सर्विस सेक्टर (Service Sector) के कारोबार के लिए ये लिमिट 20 लाख रुपये रखी गई है. जीएसटी सभी तरह बिजनेस पर लागू होता है.
वहीं, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, पुडुचेरी, सिक्किम, तेलंगाना, त्रिपुरा और उत्तराखंड जैसे राज्य, जिन्हें स्पेशल कैटेगरी में रखा गया है कि उनके सालाना 10 लाख रुपये के टर्नओवर पर जीएसटी नंबर लेना अनिवार्य है. छोटे व्यवसाय, जिनका कारोबार इससे कम है. उन्हें जीएसटी के तहत रजिस्ट्रेशन करने की जरूरत नहीं पड़ती है. हालांकि, वो चाहें नियम आधारित व्यापार के क्या लाभ हैं तो रजिस्ट्रेशन का विकल्प चुन सकते हैं.
GST के स्लैब और दर
जीएसटी परिषद जीएसटी दर स्लैब निर्धारित करती है. जीएसटी परिषद नियमित आधार पर वस्तुओं और सेवाओं के लिए स्लैब दर की समीक्षा करती है. देश में विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं के लिए GST दरों को चार स्लैब में बांटा गया है. 5 फीसदी GST, 12 फीसदी GST, 18 फीसदी GST और 28 फीसदी नियम आधारित व्यापार के क्या लाभ हैं GST. सेंट्रल जीएसटी (CGST), स्टेट जीएसटी (SGST) और इंटर स्टेट जीएसटी (IGST) गुड्स और सर्विसेज पर अलग-अलग दर से टैक्स लगाते हैं.
जीएसटी परिषद की 47वीं बैठक में तमाम प्रोडक्ट्स को जीएसटी के दायरे में शामिल किया गया था. इस बैठक में प्री-पैकेज्ड, प्री-लेबल्ड दही, लस्सी और बटर मिल्क समेत कुछ अन्य उत्पादों पर टैक्स से मिल रही छूट को समाप्त किया गया था.
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