शेयर क्या होते हैं
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क्या होते हैं Limit, Market और Day ऑर्डर, शेयर मार्केट में निवेश के लिए क्यों हैं ये महत्वपूर्ण
शेयर खरीदने व बेचने के तरीकों के आधार पर ऑर्डर कई प्रकार के होते हैं लेकिन तीन ऑर्डर प्लेस करने के तरीकों का निवेशक ज्यादा इस्तेमाल करते हैं- मार्केट ऑर्डर लिमिट ऑर्डर और डे ऑर्डर। मार्केट की जरूरत व के अनुसार उनका इस्तेमाल किया जाता है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। मार्केट में निवेश के लिए सबसे जरूरी है इसकी छोटी बारीकियों को समझना। आपको बता दैं कि शेयर खरीदने के भी कई तरीके होते हैं। जब भी आप शेयर मार्केट में शेयर खरीदते हैं तो उसके लिए ऑर्डर प्लेस करना होता है। स्टॉक मार्केट में जब भी हम किसी ब्रोकर के जरिये कोई शेयर खरीदते या बेचते हैं तो इसे ऑर्डर कहा जाता है। बाजार में ऑर्डर प्लेस करने के भी कई विकल्प होते हैं जिनका इस्तेमाल निवेशक अपनी जरूरत के अनुसार करते हैं। आइए जानते हैं कि कुछ प्रमुख ऑर्डर के बारे में-
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कितने प्रकार के होते हैं ऑर्डर
शेयर खऱीदने व बेचने के तरीकों के आधार पर ऑर्डर कई प्रकार के होते हैं, लेकिन तीन ऑर्डर प्लेस करने के तरीकों का निवेशक ज्यादा इस्तेमाल करते हैं- मार्केट ऑर्डर, लिमिट ऑर्डर और डे ऑर्डर। मार्केट की जरूरत व के अनुसार उनका इस्तेमाल किया जाता है।
मार्केट ऑर्डर
जब भी निवेशक किसी स्टॉक के मार्केट प्राइस पर कोई शेयर खरीदते या बेचते हैं तो उसे मार्केट ऑर्डर कहा जाता है। इस तरीके से ऑर्डर प्लेस करने पर लिक्विड स्टॉक्स तुरंत खरीदे या बेचे जाते हैं। हालांकि अक्सर हम जिस कीमत पर ऑर्डर प्लेस करते हैं मार्केट ऑर्डर में उससे प्राइस कुछ कम या ज्यादा हो जाती है। ऐसा बाजार के लगातार घटते बढ़ते रहने के कारण होता है। ऑर्डर प्लेस करने में कुछ समय लगता है तब तक मार्केट प्राइस बदल जाती है। जिससे मार्केट ऑर्डर पर शेयर की कीमतों में कुछ अंतर जरूर ही आ जाता है।
लिमिट ऑर्डर
यह भी शेयर खरीदने व बेचने का एक तरीका है जिसे निवेशकों द्वारा काफी इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रकार ऑर्डर प्लेस करने में निवेशक शेयर प्राइस के लिए एक लिमिट सेट करते हैं। जब भी शेयर की कीमतें उस लिमिट पर आती हैं तब आपका ऑर्डर एग्जक्यूट हो जाता है। इस प्रकार आप जो लिमिट सेट करते हैं शेयर सामान्यतः उसी कीमत पर बिकते या खरीदे जाते हैं। अगर शेयर तय लिमिट पर नहीं आते तो वह ऑर्डर एग्जक्यूट नहीं होता।
डे ऑर्डर
डे ऑर्डर में हम एक दिन के लिए ऑर्डर प्लेस करते हैं। यह काफी हद तक लिमिट ऑर्डर की तरह ही होता है। इस प्रकार ऑर्डर प्लेस करने में निवेशक एक लिमिट सेट करते हैं, शेयर क्या होते हैं जिसके बाद अगर उस पूरे दिन शेयर की कीमतें उस लिमिट पर आती हैं तो ऑर्डर एग्जक्यूट हो जाता है। और अगर उस पूरे दिन शेयर की कीमतें तय लिमिट पर नहीं आती तो ऑर्डर एक्सपायर हो जाता है।
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Bonus Share Meaning in Hindi
बोनस शेयर बिना किसी अतिरिक्त लागत के शेयरधारकों को दिए गए अतिरिक्त शेयर हैं। ये कंपनी की कमाई है जो लाभांश के रूप में नहीं दी जाती है, बल्कि मुक्त शेयरों में परिवर्तित कर अपने शेयर धारको को दी जाती है। उदाहरण के लिए, यदि एवीसी कंपनी 1:1 बोनस इश्यू की घोषणा करती है, तो प्रत्येक शेयरधारक को उसके प्रत्येक शेयर के लिए एक शेयर मुफ्त मिलता है।
मानलो एक शेयरधारक के पास कंपनी के 100 शेयर हैं, तो उसे 100 बोनस शेयर शेयर क्या होते हैं प्राप्त होंगे, फिर उसके पास एवीसी कंपनी के कुल 200 शेयर हो जायेंगे।
एक बोनस इश्यू केवल स्वामित्व और जारी किए गए शेयरों को बढ़ाता है; यह न तो शेयर क्या होते हैं कंपनी के मूल्यांकन को बढ़ाता है और न ही प्रत्येक मौजूदा शेयरधारक के स्वामित्व वाले शेयरों के अनुपात को बदलता है। क्योंकि इसमें कोई नकदी प्रवाह शामिल नहीं है, इसलिए बोनस इश्यू केवल कंपनी की शेयर पूंजी बढ़ाता है, न कि शुद्ध संपत्ति।
बोनस शेयर आम तौर पर कंपनी के नकद भंडार के पुनर्गठन के लिए जारी किए जाते हैं। जैसे ही एक कंपनी मुनाफा कमाती है, उसकी नियोजित पूंजी बढ़ जाती है। यह कंपनी तब जारी पूंजी को नियोजित पूंजी के संदर्भ में लाने के लिए बोनस शेयर जारी कर सकती है।
एक बोनस इश्यू शेयर बाजार में कंपनी के कुल शेयरों को बढ़ाता है। जैसे मानलो 1:1 इश्यू के साथ, 1000 शेयरों वाली एवीसी कंपनी के पास अब अतिरिक्त 1000 शेयर जारी होंगे। इसका मतलव है कि अव एवीसी कंपनी के पास कुल 2000 शेयरों हो जायेंगे।, इस प्रकार बोनस इश्यू कंपनी की इक्विटी (equity meaning in hindi) को कम करता है।
बोनस शेयर जारी करने के बाद, प्रति शेयर आय (ईपीएस = शुद्ध लाभ / शेयरों की संख्या) गिर जाती है। हालांकि, इसके बाद शेयरों की संख्या में वृद्धि से इसकी भरपाई हो जाती है। तो सिद्धांत यह है, कि शेयरों की संख्या में वृद्धि शेयर की कीमतों में गिरावट के बराबर होती है, लेकिन वास्तविकता में ऐसा हमेशा नहीं होता है।
बोनस शेयर एक कंपनी के अच्छे स्वास्थ्य की ओर इशारा करता हैं। इसका मतलव शेयर क्या होते हैं यह है कि कंपनी अतिरिक्त इक्विटी को financed करने के लिए मजबूत हो जाती है। यह एक कंपनी के मुनाफे को बढ़ाने और हर बढ़े हुए शेयरों पर लाभांश देने के भरोसे को दर्शाता है।
कंपनियां बोनस शेयर क्यों जारी करती हैं?
बोनस शेयर शेयर मार्केट में लिस्टेड एक कंपनी के द्वारा जारी किए जाते हैं जब वह उस तिमाही के लिए अच्छा लाभ अर्जित करने के बावजूद धन की कमी के कारण अपने शेयरधारकों को लाभांश का भुगतान करने में सक्षम नहीं होते है। ऐसे में कंपनी डिवीडेंट देने के बजाय अपने मौजूदा शेयरधारकों को बोनस शेयर जारी करती है। ये बोनस शेयर मौजूदा शेयरधारकों को कंपनी में उनकी मौजूदा होल्डिंग के आधार पर दिए जाते हैं। मौजूदा शेयरधारकों को बोनस शेयर मिलना मुनाफे का संकेत है क्योंकि यह कंपनी के मुनाफे या भंडार में से दिया जाता है।
जब कोई कंपनी बोनस शेयर जारी करती है, तो इसके साथ “रिकॉर्ड तिथि” शब्द का प्रयोग किया जाता है। आइए अब हम शब्द के मतलव के बारे में जानें।
रिकॉर्ड तिथि क्या है?
रिकॉर्ड तिथि किसी कंपनी द्वारा निर्धारित एक कट-ऑफ तिथि होती है। यदि आप इस कट-ऑफ तिथि पर कंपनी के शेयरों के मालिक हैं तो आप बोनस शेयर प्राप्त करने के पात्र हैं। कंपनी द्वारा एक रिकॉर्ड तिथि निर्धारित की जाती है ताकि वे पात्र शेयरधारकों को ढूंढ सकें और उन्हें बोनस शेयर दे सकें।
एक्स-डेट क्या है?
एक्स-डेट, रिकॉर्ड डेट से एक दिन पहले की होती है। यहां निवेशक को बोनस शेयरों के लिए पात्र बनने के लिए एक्स-डेट से कम से कम एक दिन पहले शेयर खरीदना पड़ता है। तभी वह बोनस शेयरों के लिए पात्र के लिए होगा।
आइए अब बोनस शेयरों के फायदों के बारे में जानते है।
बोनस शेयरों के फायदे
- बोनस शेयर कंपनी की तरफ से फ्री दिया जाता है इसलिए निवेशकों को कोई कर देने की आवश्यकता नहीं है।
- यह कंपनी के लम्बी अवधि के शेयरधारकों के लिए बहुत फायदेमंद है जो अपना निवेश बढ़ाना चाहते हैं।
- बोनस शेयर किसी कंपनी के संचालन में निवेशकों के विश्वास को बढ़ावा देते हैं क्योंकि कोई भी कंपनी अपने व्यवसाय के विकास के लिए नकदी का उपयोग करती है।
- जब कोई कंपनी भविष्य में डिवीडेंट इशु करती है, तो निवेशक को अधिक लाभांश प्राप्त होगा क्योंकि अब उसके पास बोनस शेयरों के कारण उस कंपनी में ज्यादा शेयर हैं।
- बोनस शेयर, शेयर बाजार को सकारात्मक संकेत देते हैं कि कंपनी अपनी लॉन्गटर्म ग्रोथ पर फोकस कर रही है।
- बोनस शेयर की बजह से कंपनी में शेयरों की बढ़ोतरी होती है जिस कारण से स्टॉक की लिक्विडिटी भी बढती हैं।
क्या बोनस शेयर निवेशकों के लिए अच्छे है?
जब कोई कंपनी बोनस शेयर जारी करती है तो उसकी शेयर पूंजी बढ़ जाती है, यानि की कंपनी में शेयरों की संख्या ज्यादा हो जाती है जिसका फायदा उनके शेयरधारको को भी मिलता है। इसके अलावा, शेयरों की संख्या बढ़ने से स्टॉक की कीमत कम जाती है, जिससे कि रिटेल निवेशकों के लिए स्टॉक अधिक किफायती हो जाता है। इसलिए बोनस शेयर निवेशकों के लिए अच्छे है।
अभी तक आप Bonus Share Meaning in Hindi लेख में समझ ही गए होंगे कि बोनस शेयर क्या है? और कैसे काम करता है, हमें उम्मीद है कि ये जानकारी आपको जरुर पसंद आयी होगी।
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क्या होते हैं Limit, Market और Day ऑर्डर, शेयर मार्केट में निवेश के लिए क्यों हैं ये महत्वपूर्ण
शेयर खरीदने व बेचने के तरीकों के आधार पर ऑर्डर कई प्रकार के होते हैं लेकिन तीन ऑर्डर प्लेस करने के तरीकों का निवेशक ज्यादा इस्तेमाल करते हैं- मार्केट ऑर्डर लिमिट ऑर्डर और डे ऑर्डर। मार्केट की जरूरत व के अनुसार उनका इस्तेमाल किया जाता है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। मार्केट में निवेश के लिए सबसे जरूरी है इसकी छोटी बारीकियों को समझना। आपको बता दैं कि शेयर खरीदने के भी कई तरीके होते हैं। जब भी आप शेयर मार्केट में शेयर खरीदते हैं तो उसके लिए ऑर्डर प्लेस करना होता है। स्टॉक मार्केट में जब भी हम किसी ब्रोकर के जरिये कोई शेयर खरीदते या बेचते हैं तो इसे ऑर्डर कहा जाता है। बाजार में ऑर्डर प्लेस करने के भी कई विकल्प होते हैं जिनका इस्तेमाल निवेशक अपनी जरूरत के अनुसार करते हैं। आइए जानते हैं कि कुछ प्रमुख ऑर्डर के बारे शेयर क्या होते हैं में-
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कितने प्रकार के होते हैं ऑर्डर
शेयर खऱीदने व बेचने के तरीकों के आधार पर ऑर्डर कई प्रकार के होते हैं, लेकिन तीन ऑर्डर प्लेस करने के तरीकों का निवेशक ज्यादा इस्तेमाल करते हैं- मार्केट ऑर्डर, लिमिट ऑर्डर और डे ऑर्डर। मार्केट की जरूरत व के अनुसार उनका इस्तेमाल किया जाता है।
मार्केट ऑर्डर
जब भी निवेशक किसी स्टॉक के मार्केट प्राइस पर कोई शेयर खरीदते या बेचते हैं तो उसे मार्केट ऑर्डर कहा जाता है। इस तरीके से ऑर्डर प्लेस करने पर लिक्विड स्टॉक्स तुरंत खरीदे या बेचे जाते हैं। हालांकि अक्सर हम जिस कीमत पर ऑर्डर प्लेस करते हैं मार्केट ऑर्डर में उससे प्राइस कुछ कम या ज्यादा हो जाती है। ऐसा बाजार के लगातार घटते बढ़ते रहने के कारण होता है। ऑर्डर प्लेस करने में कुछ समय लगता है तब तक मार्केट प्राइस बदल जाती है। जिससे मार्केट ऑर्डर पर शेयर की कीमतों में कुछ अंतर जरूर ही आ जाता है।
लिमिट ऑर्डर
यह भी शेयर खरीदने व बेचने का एक तरीका है जिसे निवेशकों द्वारा काफी इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रकार ऑर्डर प्लेस करने में निवेशक शेयर प्राइस के लिए एक लिमिट सेट करते हैं। जब भी शेयर की कीमतें उस लिमिट पर आती हैं तब आपका ऑर्डर एग्जक्यूट हो जाता है। इस प्रकार आप जो लिमिट सेट करते हैं शेयर सामान्यतः उसी कीमत पर बिकते या खरीदे जाते हैं। अगर शेयर तय लिमिट पर नहीं आते तो वह ऑर्डर एग्जक्यूट नहीं होता।
डे ऑर्डर
डे ऑर्डर में हम एक दिन के लिए ऑर्डर प्लेस करते हैं। यह काफी हद तक लिमिट ऑर्डर की तरह ही होता है। इस प्रकार ऑर्डर प्लेस करने में निवेशक एक लिमिट सेट करते हैं, जिसके बाद अगर उस पूरे दिन शेयर की कीमतें उस लिमिट पर आती हैं तो ऑर्डर एग्जक्यूट हो जाता है। और अगर उस पूरे दिन शेयर की कीमतें तय लिमिट पर नहीं आती तो ऑर्डर एक्सपायर हो जाता है।
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क्या होते हैं भंगार शेयर? सिर्फ सस्ती कीमत देखकर ना खरीदें, जानिए Penny Stocks का गणित
पेनी स्टॉक्स में सिर्फ उनकी सस्ती कीमत देखकर ही पैसा नहीं लगाना चाहिए. कंपनी के बारे में अच्छे से जानकारी ले लेनी चाहिए. पेनी स्टॉक बहुत से लोगों के पैसे डुबाने के लिए बदनाम हैं.
शेयर बाजार (Share Market) में जब भी कोई नया-नया निवेश (Investment) करना शुरू करता है, तो उसे पेनी स्टॉक (Penny Stocks) बहुत आकर्षक लगते हैं. लगें भी क्यों नहीं, ये शेयर बहुत सस्ते होते हैं और नए निवेशकों को लगता है कि वह अधिक शेयर खरीद सकते हैं. पेनी स्टॉक को भंगार शेयर या चवन्नी शेयर भी कहा जाता है. ये शेयर लोगों को तगड़ा रिटर्न देने के लिए तो जाने ही जाते हैं, बहुत से लोगों को बर्बाद तक करने के लिए पेनी स्टॉक बदनाम हैं. आइए जानते हैं इसके बारे में सब कुछ और समझते हैं इनमें निवेश (Investment in Penny Stocks) करना चाहिए या नहीं.
जानिए क्या होते हैं पेनी स्टॉक्स?
पेनी स्टॉक्स वह शेयर होते है, जिनकी कीमत बहुत ही कम होती है. अमूमन शेयर क्या होते हैं 10 रुपये से कम के शेयर को पेनी स्टॉक कहा जाता है. बहुत कम कीमत होने की वजह से ही इन शेयरों को भंगार शेयर या चवन्नी शेयर कहा जाता है. हालांकि, इन शेयरों में लिक्विडिटी काफी कम होती है, क्योंकि कीमत कम होने की वजह से लोग कम पैसों में बहुत अधिक शेयर खरीद लेते हैं.
पेनी स्टॉक में पैसे लगाने चाहिए या नहीं?
वैसे तो बहुत से लोग पेनी स्टॉक में सिर्फ उसकी सस्ती कीमत देखकर ही पैसा लगा देते हैं. अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो आपको ऐसा करने से नुकसान झेलना पड़ सकता है. पेनी स्टॉक में निवेश करना बहुत ही जोखिम का सौदा हो सकता है. पेनी स्टॉक्स में तगड़ा रिटर्न भी देखने को मिलता है, लेकिन इनमें ही तगड़ा नुकसान भी होता है. अगर आप किसी पेनी स्टॉक में निवेश करने की सोच रहे हैं तो आपको शेयर की कीमत या उसके रिटर्न को देखकर उसमें पैसे नहीं लगाने चाहिए. पेनी स्टॉक में पैसे लगाने से पहले कंपनी की अच्छे से फंडामेंटल एनालिसिस करें. पता करें कंपनी का बिजनस कैसा चल रहा है, उसका मैनेजमेंट कैसा है, उसके फ्यूचर प्लान क्या हैं, कंपनी पर कर्ज तो नहीं आदि. अगर सारी बातें सही हों तभी पेनी स्टॉक में पैसे लगाएं.
आसानी से ऑपरेट हो सकते हैं पेनी स्टॉक
पेनी स्टॉक में निवेश से पहले आपको ये समझना होगा कि किसी शेयर की कीमत क्यों बढ़ती है. जब किसी शेयर की मांग काफी बढ़ जाती है तो उसकी कीमत खुद-ब-खुद बढ़ने लगती है. पेनी स्टॉक्स की कीमत बहुत ही कम होने की वजह से कई बार इन्हें ऑपरेट करना आसान हो जाता है. बता दें कि हर्षद मेहता ने भी शुरुआत में पेनी स्टॉक्स को ऑपरेट कर के उनकी कीमत बढ़ाई थी और जब दाम अधिक हो गए तो उन्हें बेचकर मुनाफा कमा लिया. यानी अगर कंपनी के प्रमोटर्स ही शेयरों को भारी मात्रा में खरीदने लगें तो उनकी कीमत चढ़ने लगेगी. ऐसे में लोगों को लगेगा कि शेयर की वैल्यू बढ़ रही है, जबकि उसकी कीमत गलत तरीके से बढ़ाई जा रही होगी. ऐसी स्थिति में हमेशा रिटेल निवेशकों को नुकसान होता है. इसलिए पेनी स्टॉक में निवेश करते वक्त आपको अतिरिक्त सतर्कता बरतने की जरूरत होती है.
ऐसे पेनी स्टॉक में कभी ना शेयर क्या होते हैं लगाएं पैसे
अगर किसी पेनी स्टॉक में बार-बार अपर या लोअर सर्किट लगता है तो उससे बचकर ही रहें. ऐसे शेयर आपको तगड़ा रिटर्न तो दिखा देंगे, लेकिन लगातार सर्किट लगने की वजह से आप इन शेयरों में बेच नहीं पाएंगे, जिससे नुकसान होगा. अगर आपने किसी पेनी स्टॉक में पैसे लगाए हैं तो आपने जो टारगेट सेट किया है, वह हासिल होते ही शेयर से बाहर निकल जाएं. अगर ज्यादा लालच करेंगे तो हो सकता है आपने जो पैसे लगाए हैं उस पर रिटर्न के शेयर क्या होते हैं बजाय नुकसान होना शुरू हो जाए.
ये 3 तरह के लोग गलती से भी ना लगाएं म्यूचुअल फंड में पैसे, फायदा होना तो दूर की बात है, उल्टा पछताना पड़ेगा
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