Photo:PTI यूपी बना भारत के विकास का इंजन, योगी सरकार का कमाल

ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से पहले ही यूपी सरकार को मिले 1.68 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव

उत्तर प्रदेश में वैश्विक निवेशक सम्मेलन से पहले ही अब तक 1.68 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव आ चुके हैं। योगी सरकार की ओर से एमओयू (MOU के लिए शुरू किए गए पोर्टल निवेश सारथी पर बीते महीने तक 472 निवेश के प्रस्ताव मिले हैं। इनमें से 1.25 लाख करोड़ रुपये के एमओयू (MOU) को अंतिम रुप दिया जा चुका है।

योगी सरकार ने अगले साल फरवरी में होने वाले वैश्विक निवेशक सम्मेलन (GIS-23) में 10 लाख करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य रखा है। अभी GIS को दो माह से ज्यादा का वक्त बचा है और सरकार द्वारा शुरू किए गए पोर्टल निवेश सारथी के माध्यम से 30 नवंबर तक 1.68 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हो चुके हैं।

औद्योगिक विकास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इनमें से 1.25 लाख करोड़ रुपये के 148 एमओयू पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं। इन एमओयू के जरिए 5.5 लाख से ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा होने की संभावना है। वैश्विक निवेशक सम्मेलन का आयोजन राजधानी लखनऊ में 10 से 12 फरवरी के मध्य किया जाएगा।

अधिकारियों के बताया कि निवेश सारथी डैशबोर्ड के अनुसार, पोटर्ल के जरिए निवेशकों के साथ कुल 148 एमओयू अब तक हस्ताक्षर किए जा चुके हैं। इन एमओयू के जरिए होने वाले निवेश से उत्तर प्रदेश में 5,63,496 नौकरियों के सृजन की संभावना है। इन एमओयू से इतर, पोर्टल के जरिए अब भी 315 निवेश के प्रस्ताव निवेशकों के सर्कल का विस्तार ऐसे हैं जो अभी हस्ताक्षर होने की प्रक्रिया में आगे बढ़ रहे हैं।

जानकारी के अनुसार, पोर्टल पर 30 नवंबर तक निवेशकों की ओर से कुल 472 इंटेंट प्राप्त किए गए हैं। इन इंटेंट का प्रस्तावित निवेश 1.68 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा का है। इन सभी प्रस्तावों पर एमओयू हो जाने के बाद 6.79 लाख नौकरियां मिल सकती हैं। अधिकारियों ने बताया कि कुल 6 निवेश प्रस्तावों की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है

औद्योगिक विकास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस बार का निवेशक सम्मेलन पूर्व से हट कर किया जा रहा है। इस बार निवेशकों से खुद सरकार संपर्क कर रही है और उन्हें उत्तर प्रदेश में निवेश लायक परिस्थितियों की जानकारी दे रही है। इसके लिए सरकार की ओर से निवेश सारथी के नाम से एक पोर्टल की शुरुआत की गई है। इस पोर्टल के जरिए ही निवेशक प्रदेश में निवेश का अपना प्रस्ताव दाखिल कर रहे हैं और यहां संबंधित विभाग से जुड़े नोडल अधिकारी उन्हें व्यापार और निवेश से जुड़ी सभी जानकारियां उपलब्ध करा रहे हैं।

निवेश सारथी के साथ ही एक अन्य पोर्टल निवेश मित्र की भी शुरुआत की गई है। निवेशकों के सर्कल का विस्तार यह पोर्टल निवेशकों के इंसेटिव्स को ऑनलाइन ही प्रोसेस कर देगा। निवेशकों को इंसेटिव्स के लिए दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। इसके लिए सरकार ने पोर्टल पर ऑनलाइन इंसेंटिव्स मैनेजमेंट सिस्टम (ओआईएमएस) की शुरुआत की है। इसके जरिए इंसेंटिव्स की प्रक्रिया, स्वीकृति एवं भुगतान किया जाएगा।

यूपी बना भारत के विकास का इंजन, योगी सरकार की ये मुहिम ला रही रंग

योगी सरकार की ये मुहिम रंग ला रही है। विदेशी निवेशक यूपी में निवेश करने को लेकर इच्छुक नजर आ रहे हैं। यूपी में इसके लिए एक इन्वेस्टर समिट का आयोजन सरकार के द्वारा कराया जा रहा है, जो अगले साल होगा।

India TV Business Desk

Edited By: India TV Business Desk
Published on: December 11, 2022 14:37 IST

यूपी बना भारत के विकास का इंजन, योगी सरकार का कमाल- India TV Hindi

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उत्तर प्रदेश को भारत के विकास के इंजन के रूप में पेश करते हुए, एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने फरवरी में होने वाले ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 के लिए टोरंटो में निवेशकों को लुभाया है। निवेशकों को लुभाने के लिए यूपी सरकार ने 17 देशों में प्रतिनिधिमंडल भेजे हैं।

लखनऊ में 3 दिन तक चलेगा सम्मेलन

लखनऊ में 10 से 12 फरवरी तक चलने वाले तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन में लगभग 10,000 निवेशकों के भाग लेने की उम्मीद है। उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के नेतृत्व में और कृषि और पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह सैनी, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा, इन्वेस्ट यूपी के सीईओ अभिषेक प्रकाश और अन्य लोगों के नेतृत्व में टोरंटो पहुंचे प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को आयोजित रात्रिभोज में कनाडा इंडिया फाउंडेशन के साथ हस्ताक्षर किए हैं।

प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए कनाडा इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष सतीश ठक्कर ने वादा किया कि भारत-कनाडाई निवेशक इंवेस्टर समिट में पेश किए जाने वाले अवसरों का पता लगाने के लिए उत्सुक हैं।

यूपी भारत में सबसे तेजी से विकास करने वाला राज्य

मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा कि उत्तर प्रदेश भारत में सबसे तेजी से विकास करने वाला राज्य बन गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य को अगले पांच वर्षों में एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए अपने सकल घरेलू उत्पाद को चौगुना करने का मिशन शुरू किया है।

यूपी की मौजूदा विकास दर आठ प्रतिशत

राज्य के मुख्य सचिव जिन्हें ओसीआई कार्ड बनाने का श्रेय दिया गया है, उन्होंने कहा, "यूपी की मौजूदा विकास दर आठ प्रतिशत है और यह जल्द ही दोहरे अंकों में पहुंच जाएगी। निवेशक शिखर सम्मेलन विकास को तेज करने की मुख्यमंत्री की योजना का हिस्सा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन के मिशन के तहत राज्य को भारत के एक्सप्रेसवे का राज्य में बदल दिया गया है।"

मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य व्यवसायों के लिए शीर्ष पायदान बुनियादी ढांचा और सुगम कनेक्टिविटी प्रदान करता है, जिससे यूपी भारत का लॉजिस्टिक केंद्र बन गया है। राज्य को बदलने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार के मिशन के हिस्से के रूप में आगामी रक्षा उत्पादन गलियारे, नए प्रस्तावित हवाई अड्डों और एक्सप्रेसवे और एक जिला-एक-उत्पाद अवधारणा पर भी बात की है।

मेक इन इंडिया

मुख्य पृष्ठ

भारतीय अर्थव्यवस्था देश में मजबूत विकास और व्यापार के समग्र दृष्टिकोण में सुधार और निवेश के संकेत के साथ आशावादी रुप से बढ़ रही है । सरकार के नये प्रयासों एवं पहलों की मदद से निर्माण क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है । निर्माण को बढ़ावा देने एवं संवर्धन के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितम्बर 2014 को 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम की शुरुआत की जिससे भारत को महत्वपूर्ण निवेश एवं निर्माण, संरचना तथा अभिनव प्रयोगों के वैश्विक केंद्र के रुप में निवेशकों के सर्कल का विस्तार बदला जा सके।

'मेक इन इंडिया' मुख्यत: निर्माण क्षेत्र पर केंद्रित है लेकिन इसका उद्देश्य देश में उद्यमशीलता को बढ़ावा देना भी है। इसका दृष्टिकोण निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाना, आधुनिक और कुशल बुनियादी संरचना, विदेशी निवेश के लिए नये क्षेत्रों को खोलना और सरकार एवं उद्योग के बीच एक साझेदारी का निर्माण करना है।

'मेक इन इंडिया' पहल के संबंध में देश एवं विदेशों से सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। अभियान के शुरु होने के समय से इसकी वेबसाईट पर बारह हजार से अधिक सवाल इनवेस्ट इंडिया के निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ द्वारा प्राप्त किया गया है। जापान, चीन, फ्रांस और दक्षिण कोरिया जैसे देशों नें विभिन्न औद्योगिक और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भारत में निवेश करने हेतु अपना समर्थन दिखाया है। 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत निम्नलिखित पचीस क्षेत्रों - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है की पहचान की गई है:

चुनौतियों का सामना

सरकार ने भारत में व्यवसाय करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कई कदम उठाये हैं। कई नियमों एवं प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है एवं कई वस्तुओं को लाइसेंस की जरुरतों से हटाया गया है।

सरकार का लक्ष्य देश में संस्थाओं के साथ-साथ अपेक्षित सुविधाओं के विकास द्वारा व्यापार के लिए मजबूत बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना है। सरकार व्यापार संस्थाओं के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने के लिए औद्योगिक गलियारों और स्मार्ट सिटी का विकास करना चाहती है। राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है के माध्यम से कुशल मानव शक्ति प्रदान करने के प्रयास किये जा रहे हैं। पेटेंट एवं ट्रेडमार्क पंजीकरण प्रक्रिया के बेहतर प्रबंधन के माध्यम से अभिनव प्रयोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

कुछ प्रमुख क्षेत्रों को अब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए खोल दिया गया है। रक्षा क्षेत्र में नीति को उदार बनाया गया है और एफडीआई की सीमा को 26% से 49% तक बढ़ाया गया है। अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के लिए रक्षा क्षेत्र में 100% एफडीआई को अनुमति दी गई है। रेल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेशकों के सर्कल का विस्तार निर्माण, संचालन और रखरखाव में स्वचालित मार्ग के तहत 100% एफडीआई की अनुमति दी गई है। बीमा और चिकित्सा उपकरणों के लिए उदारीकरण मानदंडों को भी मंजूरी दी गई है।

29 दिसंबर 2014 को आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में विभिन्न हितधारकों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद उद्योग से संबंधित मंत्रालय प्रत्येक क्षेत्र के विशिष्ट लक्ष्यों पर काम कर रहे हैं। इस पहल के तहत प्रत्येक मंत्रालय ने अगले एक एवं तीन साल के लिए कार्यवाही योजना की पहचान की है।

कार्यक्रम 'मेक इन इंडिया' निवेशकों और उनकी उम्मीदों से संबंधित भारत में एक व्यवहारगत बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है। 'इनवेस्ट इंडिया' में एक निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। नये निवेशकों को सहायता प्रदान करने के लिए एक अनुभवी दल भी निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ में उपलब्ध है।

निर्माण को बढ़ावा देने के लिए लक्ष्य

  • मध्यम अवधि में निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर में प्रति वर्ष 12-14% वृद्धि करने का उद्देश्य
  • 2022 तक देश के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण की हिस्सेदारी में 16% से 25% की वृद्धि
  • विनिर्माण क्षेत्र में वर्ष 2022 तक 100 मिलियन अतिरिक्त रोजगार के अवसर पैदा करना
  • समावेशी विकास के लिए ग्रामीण प्रवासियों और शहरी गरीबों के बीच उचित कौशल का निर्माण
  • घरेलू मूल्य संवर्धन और निर्माण में तकनीकी गहराई में वृद्धि
  • भारतीय विनिर्माण क्षेत्र की वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ाना
  • विशेष रूप से पर्यावरण के संबंध में विकास की स्थिरता सुनिश्चित करना

आर्थिक विकास के आगे की दिशा

  • भारत ने अपनी उपस्थिति दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप दर्ज करायी है
  • 2020 तक इसे दुनिया की शीर्ष तीन विकास अर्थव्यवस्थाओं और शीर्ष तीन निर्माण स्थलों में गिने जाने की उम्मीद है
  • अगले 2-3 दशकों के लिए अनुकूल जनसांख्यिकीय लाभांश। गुणवत्तापूर्ण कर्मचारियों की निरंतर उपलब्धता।
  • जनशक्ति की लागत अन्य देशों की तुलना में अपेक्षाकृत कम है
  • विश्वसनीयता और व्यावसायिकता के साथ संचालित जिम्मेदार व्यावसायिक घराने
  • घरेलू बाजार में मजबूत उपभोक्तावाद
  • शीर्ष वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थानों द्वारा समर्थित मजबूत तकनीकी और इंजीनियरिंग क्षमतायें
  • विदेशी निवेशकों के लिए खुले अच्छी तरह विनियमित और स्थिर वित्तीय बाजार

भारत में परेशानी मुक्त व्यापार

'मेक इन इंडिया' इंडिया' एक क्रांतिकारी विचार है जिसने निवेश एवं नवाचार को बढ़ावा देने, बौद्धिक संपदा की रक्षा करने और देश में विश्व स्तरीय विनिर्माण बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के लिए प्रमुख नई पहलों की शुरूआत की है। इस पहल नें भारत में कारोबार करने की पूरी प्रक्रिया को आसान बना दिया है। नयी डी-लाइसेंसिंग और ढील के उपायों से जटिलता को कम करने और समग्र प्रक्रिया में गति और पारदर्शिता काफी बढ़ी हैं।

अब जब व्यापार करने की बात आती है तो भारत काफी कुछ प्रदान करता है। अब यह ऐसे सभी निवेशकों के लिए आसान और पारदर्शी प्रणाली प्रदान करता है जो स्थिर अर्थव्यवस्था और आकर्षक व्यवसाय के अवसरों की तलाश कर रहे हैं। भारत में निवेश करने के लिए यह सही समय है जब यह देश सभी को विकास और समृद्धि के मामले में बहुत कुछ प्रदान कर रहा है।

मेक इन इंडिया

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भारतीय अर्थव्यवस्था देश में मजबूत विकास और व्यापार के समग्र दृष्टिकोण में सुधार और निवेश के संकेत के साथ आशावादी रुप से बढ़ रही है । सरकार के नये प्रयासों एवं पहलों की मदद से निर्माण क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है । निर्माण को बढ़ावा देने एवं संवर्धन के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितम्बर 2014 को 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम की शुरुआत की जिससे भारत को महत्वपूर्ण निवेश एवं निर्माण, संरचना तथा अभिनव प्रयोगों के वैश्विक केंद्र के रुप में बदला जा सके।

'मेक इन इंडिया' मुख्यत: निर्माण क्षेत्र पर केंद्रित है लेकिन इसका उद्देश्य देश में उद्यमशीलता को बढ़ावा देना भी है। इसका दृष्टिकोण निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाना, आधुनिक और कुशल बुनियादी संरचना, विदेशी निवेश के लिए नये क्षेत्रों को खोलना और सरकार एवं उद्योग के बीच एक साझेदारी का निर्माण करना है।

'मेक इन इंडिया' पहल के संबंध में देश एवं विदेशों से सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। अभियान के शुरु होने के समय से इसकी वेबसाईट पर बारह हजार से अधिक सवाल इनवेस्ट इंडिया के निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ द्वारा प्राप्त किया गया है। जापान, चीन, फ्रांस और दक्षिण कोरिया जैसे देशों नें विभिन्न औद्योगिक और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भारत में निवेश करने हेतु अपना समर्थन दिखाया है। 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत निम्नलिखित पचीस क्षेत्रों - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है की पहचान की गई है:

चुनौतियों का सामना

सरकार ने भारत में व्यवसाय करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कई कदम उठाये हैं। कई नियमों एवं प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है एवं कई वस्तुओं को लाइसेंस की जरुरतों से हटाया गया है।

सरकार का लक्ष्य देश में संस्थाओं के साथ-साथ अपेक्षित सुविधाओं के विकास द्वारा व्यापार के लिए मजबूत बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना है। सरकार व्यापार संस्थाओं के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने के लिए औद्योगिक गलियारों और स्मार्ट सिटी का विकास करना चाहती है। राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है के माध्यम से कुशल मानव शक्ति प्रदान करने के प्रयास किये जा रहे हैं। पेटेंट एवं ट्रेडमार्क पंजीकरण प्रक्रिया के बेहतर प्रबंधन के माध्यम से अभिनव प्रयोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

कुछ प्रमुख क्षेत्रों को अब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए निवेशकों के सर्कल का विस्तार खोल दिया गया है। रक्षा क्षेत्र में नीति को उदार बनाया गया है और एफडीआई की सीमा को 26% से 49% तक बढ़ाया गया है। अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के लिए रक्षा क्षेत्र में 100% एफडीआई को अनुमति दी गई है। रेल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निर्माण, संचालन और रखरखाव में स्वचालित मार्ग के तहत 100% एफडीआई की अनुमति दी गई है। बीमा और चिकित्सा उपकरणों के लिए उदारीकरण मानदंडों को भी मंजूरी दी गई है।

29 दिसंबर 2014 को आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में विभिन्न हितधारकों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद उद्योग से संबंधित मंत्रालय प्रत्येक क्षेत्र के विशिष्ट लक्ष्यों पर काम कर रहे हैं। इस पहल के तहत प्रत्येक मंत्रालय ने अगले एक एवं तीन साल के लिए कार्यवाही योजना की पहचान की है।

कार्यक्रम 'मेक इन इंडिया' निवेशकों और उनकी उम्मीदों से संबंधित भारत में एक व्यवहारगत बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है। 'इनवेस्ट इंडिया' में एक निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। नये निवेशकों को सहायता प्रदान करने के लिए एक अनुभवी दल भी निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ में उपलब्ध है।

निर्माण को बढ़ावा देने के लिए लक्ष्य

  • मध्यम अवधि में निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर में प्रति वर्ष 12-14% वृद्धि करने का उद्देश्य
  • 2022 तक देश के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण की हिस्सेदारी में 16% से 25% की वृद्धि
  • विनिर्माण क्षेत्र में वर्ष 2022 तक 100 मिलियन अतिरिक्त रोजगार के अवसर पैदा करना
  • समावेशी विकास के लिए ग्रामीण प्रवासियों और शहरी गरीबों के बीच उचित कौशल का निर्माण
  • घरेलू मूल्य संवर्धन और निर्माण में तकनीकी गहराई में वृद्धि
  • भारतीय विनिर्माण क्षेत्र की वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ाना
  • विशेष रूप से पर्यावरण के संबंध में विकास की स्थिरता सुनिश्चित करना

आर्थिक विकास के आगे की दिशा

  • भारत ने अपनी उपस्थिति दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप दर्ज करायी है
  • 2020 तक इसे दुनिया की शीर्ष तीन विकास अर्थव्यवस्थाओं और शीर्ष तीन निर्माण स्थलों में गिने जाने की उम्मीद है
  • अगले 2-3 दशकों के लिए अनुकूल जनसांख्यिकीय लाभांश। गुणवत्तापूर्ण कर्मचारियों की निरंतर उपलब्धता।
  • जनशक्ति की लागत अन्य देशों की निवेशकों के सर्कल का विस्तार तुलना में अपेक्षाकृत कम है
  • विश्वसनीयता और व्यावसायिकता के साथ संचालित जिम्मेदार व्यावसायिक घराने
  • घरेलू बाजार में मजबूत उपभोक्तावाद
  • शीर्ष वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थानों द्वारा समर्थित मजबूत तकनीकी और इंजीनियरिंग क्षमतायें
  • विदेशी निवेशकों के लिए खुले अच्छी तरह विनियमित और स्थिर वित्तीय बाजार

भारत में परेशानी मुक्त व्यापार

'मेक इन इंडिया' इंडिया' एक क्रांतिकारी विचार है जिसने निवेश एवं नवाचार को बढ़ावा देने, बौद्धिक संपदा की रक्षा करने और देश में विश्व स्तरीय विनिर्माण बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के लिए प्रमुख नई पहलों की शुरूआत की है। इस पहल नें भारत में कारोबार करने की पूरी प्रक्रिया को आसान बना दिया है। नयी डी-लाइसेंसिंग और ढील के उपायों से जटिलता को कम करने और समग्र प्रक्रिया में गति और पारदर्शिता काफी बढ़ी हैं।

अब जब व्यापार करने की बात आती है तो भारत काफी कुछ प्रदान करता है। अब यह ऐसे सभी निवेशकों के लिए आसान और पारदर्शी प्रणाली प्रदान करता है जो स्थिर अर्थव्यवस्था और आकर्षक व्यवसाय के अवसरों की तलाश कर रहे हैं। भारत में निवेश करने के लिए यह सही समय है जब यह देश सभी को विकास और समृद्धि के मामले में बहुत कुछ प्रदान कर रहा है।

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