About Candle Hindi :- कैंडल के बारें में पूरी जानकारी तथा कैंडल का रोचक तथ्य
मोमबत्ती के बारे में पूरी जानकारी तथा मोमबत्ती का रोचक तथ्य शायद ही कोई ऐसा घर होगा, जहाँ दिवाली पर दीप के साथ मोमबत्ती नहीं जलती हो. मौका ख़ुशी का हो, दुःख का हो या विरोध प्रदर्शन का हो, हर जगह मोमबत्ती दिख ही जाती है. वर्ष 1990 के दशक के पहले अधिकतर घरों में बिजली के चलें जाने पर मोमबतीयाँ ही इस्तेमाल की जाती थी और आज भी की जा रही है.
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जब मोमबत्ती का अविष्कार हुआ था, तब इसका उदेश्य केवल मोम को जलाकर रोशनी करना था. उस समय मोमबत्ती की सिलेंड्रिकल शेप में बड़ी या छोटी, पतली या मोटी मोमबत्ती बनाई जाती थी. माना जाता है कि प्राचीन रोम के निवासियों ने ईसा से 500 वर्ष पहले पारम्परिक मोमबत्तीयां का निर्माण शुरू किया गया था.
जिसके बाद इसे अलग-अलग तरीके से विकसित किया गया. आज इसका इस्तेमाल सजावट के लिए भी किया गया है. साथ ही आजकल मोमबत्तीयां के कई तरह शेप, रंग और फ्रेगरेंस में भी मिलने लगी है. जिनसे न सिर्फ घर को सजा सकते है, बल्कि रोशन और खुशबूदार भी बना सकते है.
इस आर्टिकल में हम आपको मोमबत्ती कैसे जलती है, मोमबत्ती के बारें में पूरी जानकारी, मोमबत्ती का इतिहास मोमबत्ती की लौ हमेशा ऊपर ही क्यों जाती है, मोमबत्ती कैसे बनती है, मोमबत्ती से जुड़ी रोचक तथ्य , All Information About Candles के बारें में बताने वालें है, अगर आपको भी मोमबत्ती के बारें में सभी जानकारी जानना है तो आपके लिए यह आर्टिकल महत्वपूर्ण हो सकती है.
मोम हाइड्रोजन और कार्बन एटम से बने होते है.i इन मोम को पिघलाकर एक सांचे में ढाल दिया जाता है और उसके बीचो-बीच एक धागा डाल दिया जाता है, जो उसकी बत्ती का कार्य करती है. जब किसी मोमबत्ती को जलाया जाता है, तो इसके धागे के द्वारा मोम ऊपर की ओर आने लग जाती है और आग की गर्मी से तुरंत गैस के रूप में आ जाती है. यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक की मोमबती जलाकर पूरी तरह से खत्म नहीं हो जाएँ. इसे सेल्फ ट्रिमिंग लाइट भी कहा जाता है.
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मोमबत्ती का अंग्रेजी नाम कैंडल, लैटिन शब्द कैंडेला और कैंडेयल से निकल कर आया है, जिसका अर्थ प्रकश और चमकना है. मोमबत्ती से निकलने वाली रौशनी के पीछे बहुत सारी Physics And Chemistry छिपी हुई है. जिनपर शायद ही आपने गौर किया होगा. वर्ष 19990 में NASA ने भी मोमबत्ती से निकलने वाली लौ के ऊपर भी बहुत बड़ा रिसर्च किया था और इसके पीछे की Science को समझने की कोशिश की थी.
आज भी दुनियाभर के छात्र मोमबत्ती के फ्लेम के ऊपर कई तरह के रिसर्च करते है. आपने कभी जलती हुई मोमबत्ती की लौ के ऊपर ध्यान से नज़र लाल मोमबत्ती और हरी मोमबत्ती का क्या अर्थ है दिया है. यह हमेशा ऊपर की तरफ और टपकती हुई पानी की बूंद के आकर में जलती है, जबकि अगर गुरुत्वाकर्षण के नियम की माने तो मोमबत्ती की लौ को नीचे की और जाना चाहिए.
इसका कारण यह है कि जैसे ही मोमबती जलती है तो आग की गर्मी से उसके आस-पास की हवा गर्म होकर ऊपर की ओर उठ जाती है और उसकी जगह लेने के लिए ठंडी हवा बार-बार लौ के नीचे जमा होने लगती है और उसे ऊपर उठाने लगती है. इसे कन्वेक्षण कर्रेंट कहते है. इसकी वजह से मोमबत्ती की लौ का आकर पानी की बूंद के आकर का होता है.
जब मोमबत्ती को अंतरिक्ष में जलाई जाती है तो इसकी लौ का आकर गोल होती है. आपने गौर किया होगा कि मोमबत्ती की लौ में कई तरह के रंग दिखाई पड़ते है. असल में मोमबत्ती की लौ तीन भागों में बंटी हुई रहती है. लौ के सबसे निचले हिस्से में हाइड्रोजन और कार्बन एटम एक-दुसरे से अलग होते है. इस वजह से इस भाग में ऑक्सीजन इस भाग में अत्यधिक होती है और यह हिस्सा ब्लू रंग में दिखाई पड़ता है. लौ के बीच वाला हिसा गहरे नारंगी और भूरा होता है.
मोमबत्ती बनाने के लिए कई तरह के मोम का इस्तेमाल किया जाता है. शुरूआती दौर में मोम का निर्माण केवल प्राकृतिक चीजों से ही की जाती थी. इसके लिए मुख्यरूप से मधुमक्खी के छत्ते, पौधे और जानवरों की वसा का इस्तेमाल किया जाता था. इसके अलावा ह्वेल मछली के शरीर के पाई जानेवाली वसा भी मोम बनाने के काम में आती है. बाद में लाल मोमबत्ती और हरी मोमबत्ती का क्या अर्थ है जैसे-जैसे मधुमखियों की डिमांड बढ़ी, तब इसे पेट्रोलियम द्वारा प्राप्त होने वालें पैराफिन और अन्य चीजे से भी मोमबत्ती का निर्माण किया जाता है.
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2. शुरूआती दौर में मोमबत्ती समय बताने का काम करती थी, इसके जलने के गति के अनुसार यह पता चलता था कि कितना समय बीत चूका है.
4. अमेरिका के हर 10 में से 7 व्यक्ति मोमबत्ती का इस्तेमाल करता है. वहाँ की अधिकांश जनसंख्या किसी न किसी वजह से हर हपते कम से कम तीन मोमबत्तीयां को जलाते ही है.
6. सबसे पहले खुशबूदार कैंडल भारत में बनाया गया था. इसे खुशबूदार बनाने के लिए मोम में दालचीनी का प्रयोग किया गया था.
7. बाद में अमेरिका में भी ऐसे कैंडल्स का निर्माण किया जो खुशबू के लिए बे-बेरी की पत्तीओं का इस्तेमाल किया, लेकिन इसमें सिर्फ एक कैंडल बनाने में बहुत सारी पत्तियों का जरुरत पड़ती थी.
8. एक सर्वे के अनुसार, जितने भी कैंडल्स बिक्री होती है, उसमें 96 प्रतिशत महिलाएं कैंडल्स को खरीदने में दिलचस्पी दिखाती लाल मोमबत्ती और हरी मोमबत्ती का क्या अर्थ है है, वही पुरुष केवल 4 प्रतिशत ही कैंडल को खरीदने में दिलचस्पी लेता है.
9. इसके अलावा 12 प्रतिशत लोग कैंडल्स को अपने लिविंग रूम में, 18 प्रतिशत किचन में, 13 प्रतिशत लोग इसे अपने बेडरूम में जलाना पसंद करते है.
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11. मैजिक कैंडल एक ऐसी कैंडल है, जो बुझने के बाद अपने आप जल जाती है. हालाँकि इसके पीछे कोई जादू नहीं है, बल्कि एक साधारण-सा विज्ञान छिपा हुआ है. असल में इसके मोम में लाल फोस्फोरस मिला हुआ रहता है जो हवा और गर्मी से अभिक्रिया कर बुझी हुई मोमबती को दुबारा जला देती है.
12. दुनिया के सबसे विशाल मोमबत्ती का ख़िताब पीस कैंडल ऑफ़ वर्ल्ड को दिया गया था. इसके साथ ही इसका नाम गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया था.
13. वर्ष 1897 में स्टॉकहोम में आयोजित एक जेनेरल आर्ट और इंडस्ट्रीयल एक्जिबिशन में प्रदर्शित की गई 127 फूट ऊँची कैंडल को सबसे ऊँची मोमबत्ती का दर्जा दे दिया गया था.
14. ऑलिव आयल लैम्प मोमबत्ती के सबसे बड़े कंपीटीटर रहें है. यूरोप और अफ्रीका में ये इतने ज्यादा प्रचलित है कि वहाँ पर मोमबत्ती बनाने का बिज़नस लगभग खत्म ही हो चुकी है.
15. केरोसिन लैंप और बिजली के बल्ब के प्रचलन में आने के बाद मोमबत्ती का महत्त्व जरुर कम हुआ है, लेकिन आज भी अचानक लाइट कट जाने के बाद मोमबत्ती ही रौशनी का जरिया बनती है.
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आपने इस आर्टिकल में मोमबत्ती कैसे जलती है, मोमबत्ती के बारें में पूरी जानकारी, लाल मोमबत्ती और हरी मोमबत्ती का क्या अर्थ है मोमबत्ती का इतिहास मोमबत्ती की लौ हमेशा ऊपर ही क्यों जाती है, मोमबत्ती कैसे बनती है, मोमबत्ती से जुड़ी रोचक तथ्य , All Information About Candles के बारें में पूरी जानकारी के साथ जाना. आशा करता हूँ आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी. इसे सोशल मीडिया दोस्त के साथ भी शेयर करें, जिससे वह भी कैंडल के बारे में जान सकते है. शुरू से अन्त तक इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए आप सभी का तहेदिल से शुक्रिया…
जन्मदिन पर कैसे शुरू हुई मोमबत्ती को बुझाने की परंपरा
आजकल बर्थडे मनाने की परंपरा का चलन काफी बढ़ गया है। बच्चे ही नहीं अब हर उम्र के लोगों का बर्थडे काफी धूमधाम से मनाया जाने लगा है। बल्कि लोग अब बर्थडे विश करने के लिए रात के 12 बजे सरप्राइज पार्टी प्लान करते हैं और केक काटते हैं। बर्थडे केक पर लगी मोमबत्तियां बुझाई जाती हैं और लोग तालियां बजाकर सेलिब्रेशन करते हैं। हालांकि कुछ बुजुर्ग मोमबत्ती बुझाने को अच्छा नहीं मानते हैं। इसलिए वह एक या दो मोमबत्ती को जला रहने देते हैं। कभी सोचा है लाल मोमबत्ती और हरी मोमबत्ती का क्या अर्थ है लाल मोमबत्ती और हरी मोमबत्ती का क्या अर्थ है कि बर्थडे पर मोमबत्ती को बुझाने की परंपरा कैसे शुरू हुई। आइए आपको बताते हैं इस बारे में…
इस देश से हुई शुरुआत
माना जाता है कि प्राचीन सभ्यता वाले देश ग्रीस यानी यूनान से मोमबत्ती को बुझाने की परंपरा आरंभ हुई। प्राचीन काल में यहां पर लोग केक पर जलती हुई मोमबत्ती को लेकर अपने पूजास्थल पर जाते थे और जलती हुई मोमबत्तियों से ग्रीक भगवान का चिह्न बनाते थे। फिर इन मोमबत्तियों को बुझाते थे। इनका ऐसा विश्वास था कि मोमबत्तियों का उड़ता हुआ धुंआ सीधे भगवान के पास जाता है। यूनानी सभ्यता में मोमबत्ती का धुंआ काफी शुभ माना जाता है।
जर्मनी से आरंभ
केक पर मोमबत्तियां लगाने की परंपरा की शुरुआत जर्मनी से भी कुछ लोग मानते हैं। माना जाता है कि सबसे पहले जर्मनी में सन 1746 में केक पर मोमबत्ती लगाने की परंपरा का आरंभ हुआ। इस दिन यहां किसी बड़े और महान समाज सुधारक का जन्मदिन था। इस दिन यहां बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए थे और केक पर मोमबत्ती जलाकर त्योहार की तरह उनका जन्मदिन मनाया गया था। तब लाल मोमबत्ती और हरी मोमबत्ती का क्या अर्थ है से केक पर मोमबत्ती लगाने की परंपरा चल पड़ी।
भारत में कैसे आई यह परंपरा
हिन्दू देश कहे जाने वाले भारत में मोमबत्तियां जलाना तो शुभ है, किंतु उन्हें जलाकर स्वयं ही बुझा देना अशुभ माना गया है। यहां मोमबत्तियों से भी अधिक अहमियत दीए को दी जाती है, जिसमें सरसों का तेल डालकर उसे पूजा कार्यों के लिए या फिर खास मौकों पर प्रज्वलित किया जाता है। भारत में पाश्चात्य संस्कृति को जब से अपनाना शुरू किया गया जो भारतीयों ने केक पर लगी मोमबत्ती को बुझाना आरंभ कर दिया। मगर हमारी संस्कृति में मोमबत्ती को भी शुभ अग्नि माना जाता है। यदि पूजा का दीया भी किसी कारण से जलते-जलते बुझ जाए, तो यह भी अशुभ होता है। क्योंकि यह लोगों की प्रार्थना की दीया होता है, इसका बुझना उनकी मनोकामना और उसके पूर्ण होने के बीच बाधा बनता है। इसलिए केक पर लगी मोमबत्ती को बुझाना भी कुछ लोग अशुभ मानते हैं।
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मोमबत्ती का रंग बता सकता है आपका भविष्य, जानिए कैसे
कहते हैं मोमबत्ती से भविष्य जाना जा सकता है. जी हाँ, मोमबत्ती ध्यान, योग, तंत्र शास्त्र और कई तार्किक विधियों के लिए प्रयोग में लाइ जाती है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे आप मोमबत्ती से भविष्य जान सकते हैं. आइए जानते हैं.
मोमबत्ती का रंग - कहते हैं मोमबत्ती से भविष्य जानने के लिए चार मोमबत्तियों की आवश्यकता होती है. उसके बाद आप अपने सवाल के अनुसार रंगीन मोमबत्ती चुन सकते हैं. जैसे सफ़ेद, नए साहस और रिश्ते संबंधी सवाल के लिए. वहीं लाल, भौतिक सुख-सुविधा और कामना के लिए और केसरिया, स्वास्थ्य, आत्मविश्वास और करियर के लिए. इसी के साथ पीली, पैसा और अन्य रचनात्मक कार्य के लिए और हरी, प्यार, दोस्ती, परिवार और बच्चे के लिए. इसके बाद नीली, सफर, परीक्षा और अध्ययन के लिए और जामुनी, मन की शांति और अतीन्द्रिय अनुभव के लिए. इसी के साथ गुलाबी, मन की शांति, गहरी नींद और समस्त मनोकामना के लिए और बादामी या कत्थई, स्वयं का घर और घर की सुख शांति के लिए.
विधि - सबसे पहले अपने प्रश्न के अनुसार चुनी हुई तीन मोमबत्तियां समभुज त्रिकोण आकार में लगाइए और चौथी मोमबत्ती कुछ दूरी पर लगाएं. अब अपने लाल मोमबत्ती और हरी मोमबत्ती का क्या अर्थ है दिमाग को शांत और स्थिर करके अपने इष्टदेव का स्मरण करें फिर अपने प्रश्न पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित करें, माचिस की एक ही तीली से त्रिकोणाकार रखी तीनों मोमबत्तियां जला लें. इसके बाद चौथी मोमबत्ती भी जला लें और कमरे की सारी लाइटें बंद कर दें. इसके बाद त्रिकोणाकार रखी तीनों मोमबत्तियों की ज्योत से अपने प्रश्न का उत्तर जानने की कोशिश करें.
ध्यान रहे एक ओर से दूसरी ओर हिलती हुई ज्योत अनिश्चितता सूचित करती है और दूसरी ज्योति की तुलना में एक ज्योति का अधिक तेज होकर जलना चमकदार सफलता को दर्शाती है. वहीं कहते हैं बत्ती के शिखर पर अदभुत तेजोमय प्रकाश आने वाली समृद्धि लाल मोमबत्ती और हरी मोमबत्ती का क्या अर्थ है के बारे में बताता है और लहरदार और कुण्डलों में उठती हुई ज्योति शत्रुओं की कोई चाल से सावधान करने का काम करती है. इसी के साथ छोटी-छोटी चिंगारियां सावधानियां बरतने की सुचना देती हैं और उठती और गिरती हुई ज्योति संकट या खतरे की निशानी है. ऐसा कहते हैं अस्थिर और हिलती हुई ज्योति आने वाली निराशा का संकेत देती है और अचानक ही ज्योति का बुझ जाना भयंकर विपत्ति का परिचायक माना जाता है.
Volume Average Indicator For MT5
Volume Average Indicator For MT5 प्रत्येक ट्रेडिंग रणनीति में जोड़ने के लिए एक महान उपकरण है। हालांकि यह एक महान स्टैंडअलोन संकेतक नहीं हो सकता है, यह निश्चित रूप से बहुत कुछ प्रदान करता है यदि आप इसे सही संकेतकों के साथ जोड़ते हैं। यह संकेतक आपको बाजारों में सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक दिखा सकता है, जो कि अस्थिरता है। सूचक इसे केवल आपको नहीं दिखाता है लेकिन रंग इसे बहुत ही समझ में आता है। यदि आप इस जानकारी की सही ढंग से व्याख्या करते हैं, तो लाभ बहुत अच्छे हो सकते हैं।
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