साल 2022 में दुनिया के टॉप 10 सर्वश्रेष्ठ शहर कौन से हैं, यहां देखिए List
नई दिल्ली। टाइम आउट 2022 इंडेक्स के अनुसार, स्कॉटलैंड की राजधानी एडिनबर्ग दुनिया का सर्वश्रेष्ठ शहर है। सूची में इसके बाद शिकागो, मेडेलिन, ग्लासगो, एम्स्टर्डम, प्राग और माराकेच का स्थान है। बर्लिन, मॉन्ट्रियल और कोपेनहेगन टॉप 10 सर्वश्रेष्ठ शहरों में शामिल हैं। वहीं, इस सूची में भारतीय शहरों में मुंबई 14वें स्थान पर है जबकि दिल्ली …
नई दिल्ली। टाइम आउट 2022 इंडेक्स के अनुसार, स्कॉटलैंड की राजधानी एडिनबर्ग दुनिया का सर्वश्रेष्ठ शहर है। सूची में इसके बाद शिकागो, मेडेलिन, ग्लासगो, एम्स्टर्डम, प्राग और माराकेच का स्थान है। बर्लिन, मॉन्ट्रियल और कोपेनहेगन टॉप 10 सर्वश्रेष्ठ शहरों में शामिल हैं। वहीं, इस सूची में भारतीय शहरों में मुंबई 14वें स्थान पर है जबकि दिल्ली 26वें स्थान पर है।
टाइम आउट 2022 इंडेक्स के अनुसार, हर साल, हम दुनिया भर के हजारों शहरवासियों से उनके गृहनगर में उनके जीवन के बारे में पूछताछ करते हैं। हम रेस्तरां के दृश्य और बार सर्किट के बारे में जानना चाहते हैं। थिएटर और आर्ट गैलरी। नाइटलाइफ़ और डेटिंग ऐप्स। पड़ोसी कैसे होते हैं और कौन से मोहल्ले असल में खुश मिजाज होते हैं। ऐसा हम इसलिए करते हैं कि क्योंकि हमारा मकसद शहर में रहले वालों एक वैश्विक स्नैपशॉट बनाना है, और लोगों को उन जगहों की दिशा में इंगित करना है जहां स्थानीय लोग वास्तव में उत्सुक व खुश हैं।
और अब… टाइम आउट इंडेक्स 2022 के नतीजे आ गए हैं। हमेशा की तरह, हमने अपने देता के जरिए दुनिया के महानतम शहरों की वार्षिक रैंकिंग के साथ आने के लिए इसका इस्तेमाल किया है। पिछले दो वर्षों से, सूची ने इस बात पर ध्यान केंद्रित किया है कि कैसे शहरों ने महामारी के माध्यम से एक साथ खींचा और लॉकडाउन के दौरान जीवन को सहनीय बना दिया। लेकिन अब, दो साल के यात्रा प्रतिबंधों के बाद, दुनिया फिर से खुल रही है।
इसलिए जबकि सामुदायिक भावना जैसी चीजें पिछले साल महत्वपूर्ण कारक थीं, 2022 में हमने उन चीजों को जोड़ा है जो शहरों को घूमने के साथ-साथ रहने के लिए महान स्थान बनाती हैं। इस साल हमारे शीर्ष शहर समृद्ध नाइटलाइफ़, अद्भुत भोजन और पेय और कला व संस्कृति और संग्रहालयों के साथ हैं। हमने उन स्थानों को हाइलाइट किया है जो उबाऊ या अत्यधिक महंगे या ओवररेटेड नहीं हैं, और हमने यह सुनिश्चित किया है।
टॉप 10 सर्वश्रेष्ठ शहर
1. Edinburgh
2. Chicago
3. Medellín
4. Glasgow
5. Amsterdam
6. Prague
7. Marrakech
8. Berlin
9. Montreal
10. Copenhagen
ग्लोबल हंगर इंडेक्स में क्यों पिछड़ा भारत?
सूचकांक में भारत 119 देशों की सूची में 103वें पायदान पर पहुंच गया है.
हाल ही में आए दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है ग्लोबल हंगर इंडेक्स, 2018 से पता चलता है कि भूख और कुपोषण से निपटने में मोदी सरकार अब भी जूझ रही है. भारत नाइजीरिया के साथ ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 103वें स्थान पर है. इसे भूख के 'गंभीर' स्तर वाले देश के रूप में रखा गया है.
सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले देशों में बेलारूस, बोस्निया और हर्जेगोविना, चिली, कोस्टारिका, क्रोएशिया इत्यादि हैं. भारत ने 30.5 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स स्कोर के साथ खराब प्रदर्शन किया है.
यह स्थिति तब है जब भारत की कुपोषित आबादी में कमी दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है आर्इ है. 2000 में भारत की कुल आबादी का 18.2 फीसदी हिस्सा कुपोषण का शिकार था. 2018 में कुल आबादी का 14.8 फीसदी वर्ग कुपोषण की स्थिति से गुजर रहा है.
ग्लोबल हंगर इंडेक्स के आंकड़े विश्व की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था भारत पर कई प्रश्न उठाते हैं. 8 फीसदी की दर से बढ़ रही दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था क्या इतनी भी सक्षम नहीं है कि वह अपनी आबादी के एक बड़े तबके को भोजन करा सके? क्या हमारी प्रशासनिक और राजनीतिक व्यवस्था आज भी इतनी मजबूत नहीं है कि अपने देश में नागरिकों के भोजन के अधिकार को सुनिश्चित कर सके?
ऐसा नहीं है कि हमने भोजन की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक योजनाएं नहीं बनाई हैं. अंत्योदय अन्न योजना, मिड डे मील योजना, अन्नपूर्णा योजना, राशन वितरण प्रणाली जैसी भोजन के अधिकार को सुनिश्चित करने वाली सरकारी सामाजिक योजनाएं चल रही हैं. वर्ष 2013 में खाद्य सुरक्षा अधिनियम भी परित कर इस स्थिति को सुधारने की कोशिश की गई थी. लेकिन, तमाम प्रयासों के बावजूद ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट भारत के दावों को खारिज करती है.
कुछ बड़े विशेषज्ञों की मानें तो देश में बढ़ रही आर्थिक असमानता की वजह से भी भुखमरी की समस्या गंभीर हुई है. तेजी से बढ़ रहा भारत आर्थिक रूप से असमानता को भी देख रहा है. अमीर और गरीब के बीच में बढ़ती खाई ने गरीबों को भोजन जैसी बुनियादी आवश्यकता से दूर कर दिया है.
तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था में प्रति व्यक्ति आय दर में असमानता भी ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2018 में भारत की बिगड़ती स्थिति का एक कारण है. आईएमएफ की रिपोर्ट के अनुसार, प्रति व्यक्ति आय दर के मामले में 200 देशों की सूची में भारत 126वें पायदान पर है.
ब्रिटेन स्थित चैरिटी ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने आर्थिक असमानता को कम करने के प्रतिबद्धता सूचकांक में 157 देशों वाली सूची में भारत को 147वां स्थान दिया है. इस इंडेक्स में भारत को असमानता कम करने की प्रतिबद्धता के लिए "बहुत ही चिंताजनक स्थिति" के रूप में चिन्हित किया गया है.
इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत 130 करोड़ लोगों का देश है. यहां सबसे अधिक गरीब रहते हैं. इसलिए अगर भारत अपने यहां गरीबी को कम करता है तो विश्व में गरीबी के स्तर में बड़ी गिरावट देखी जाएगी. बिगड़ी हुई स्थिति का अंदाजा तो इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि अभी हाल ही में वर्ल्ड बैंक ने मानव पूंजी सूचकांक जारी किया है. इसमें भारत 157 देशों की सूची में 115वें स्थान पर है.
भारत की ऊंची और टिकाऊ वृद्धि दर हासिल करने की सफलता को तब सही माना जाएगा जब इस आर्थिक वृद्धि का दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है लोगों के जीवन तथा उनकी जरूरतों पर प्रभाव दिखेगा. तेज आर्थिक वृद्धि दर के दौर में पूंजीपतियों ने तो काफी तरक्की की है, लेकिन आज भी एक बड़ा तबका गरीबी में जीवन जी रहा है.
हालांकि, तेज आर्थिक विकास लोगों के जीवन को सुधारने में मदद करता है. तेज आर्थिक वृद्धि दर से प्रति व्यक्ति आय दर में बढ़ोतरी होती है. साथ ही सार्वजनिक राजस्व में भी बढ़त देखी जाती है. इसका उपयोग कहीं न कहीं समाज के विकास में ही होता है. लेकिन, हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है से चिंता इसलिए होती है क्योंकि भारत में आर्थिक वृद्धि और सामाजिक प्रगति के बीच जो संबंध है उसका गहरा विश्लेषण लंबे अरसे से भारतीय राजनीति एवं मीडिया में महत्वपूर्ण नहीं रहा है.
विक्रांत सिंह
संस्थापक एवं अध्यक्ष, फाइनेंस एंड इकोनॉमिक्स थिंक काउंसिल, काशी हिंदू विश्वविद्यालय.
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Global Hunger Index 2022: भुखमरी में भारत की रैंकिंग काफी खराब, पाकिस्तान, श्रीलंका भी हमसे आगे
नेशनल डेस्क: वैश्विक भूख सूचकांक 2022 में भारत की स्थिति और खराब हुई है तथा वह 121 देशों में 107वें नंबर पर है जबकि बच्चों में ‘चाइल्ड वेस्टिंग रेट' (ऊंचाई के हिसाब से कम वजन) 19.3 प्रतिशत है जो दुनिया के किसी भी देश से सबसे अधिक है। पड़ोसी देश पाकिस्तान (99), बांग्लादेश (84), नेपाल (81) और श्रीलंका (64) भारत के मुकाबले कहीं अच्छी स्थिति में हैं। एशिया में केवल अफगानिस्तान ही भारत से पीछे है और वह 109वें स्थान पर है। वैश्विक भूख सूचकांक (जीएचआई) के जरिए वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तरों पर भूख पर नजर रखी जाती है और उसकी गणना की जाती है। 29.1 अंकों के साथ भारत में भूख का स्तर ‘‘गंभीर'' है।
भारत 2021 में 116 देशों में 101वें नंबर पर था जबकि 2020 में वह 94वें पायदान पर था। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में सबसे अधिक भूख के स्तर वाले क्षेत्र, दक्षिण एशिया में बच्चों में नाटापन की दर (चाइल्ड स्टंटिंग रेट) सबसे अधिक है। इसमें कहा गया है, ‘‘भारत में ‘चाइल्ड वेस्टिंग रेट' 19.3 प्रतिशत है जो दुनिया के किसी भी देश में सबसे अधिक है और भारत की बड़ी आबादी के कारण यह इस क्षेत्र के औसत को बढ़ाता है।'' भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में बच्चों में नाटापन की दर (चाइल्ड स्टंटिंग रेट) 35 से 38 फीसदी के बीच है और क्षेत्र में अफगानिस्तान में यह दर सबसे अधिक है। भारत में अल्पपोषण की व्यापकता 2018-2020 में 14.6 प्रतिशत से बढ़कर 2019-2021 में 16.3 हो गयी है। इसका मतलब है कि दुनियाभर के कुल 82.8 करोड़ में से भारत में 22.43 करोड़ की आबादी अल्पपोषित है। पांच साल की आयु तक के बच्चों में मृत्यु दर के सबसे बड़े संकेतक ‘चाइल्ड वेस्टिंग' की स्थिति भी बदतर हुई है।
2012-16 में 15.1 प्रतिशत से बढ़कर 2017-21 में यह 19.3 प्रतिशत हो गया है। जीएचआई ने कहा, ‘‘अनुसंधानकर्ताओं ने चार भारतीय राज्यों छत्तीसगढ़, गुजरात, ओडिशा और तमिलनाडु में 2006 से 2016 के बीच नाटेपन की स्थिति में गिरावट के लिए जिम्मेदार कारकों की पड़ताल की।'' रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि स्वास्थ्य एवं पोषण की स्थिति, घरेलू स्थिति (जैसे कि सामाजिक-आर्थिक स्थिति एवं खाद्य सुरक्षा) और मातृत्व कारक (जैसे कि माताओं का स्वास्थ्य और शिक्षा) में सुधार आने के कारण नाटेपन की दर में गिरावट आयी। जीएचआई ने कहा कि दुनिया संघर्ष, जलवायु संकट और यूक्रेन में युद्ध के साथ ही कोविड-19 महामारी के आर्थिक परिणामों के साथ भूख को दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है खत्म करने के प्रयासों में गंभीर चुनौती का सामना कर रही है। रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि वैश्विक संकट के बढ़ने पर हालात और बिगड़ सकते हैं। इसमें कहा गया है, ‘‘संभावित समाधान और आवश्यक निवेश का पैमाना ज्ञात और परिमाणित है।
इसके बजाय, समस्या नीति के क्रियान्वयन में है और दुनिया में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है।'' भूख सूचकांक में भारत की स्थिति को लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं और नेताओं ने सरकार पर निशाना साधा है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि सरकार को 8.5 वर्ष में भारत को अंधकार के इस युग में लाने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘2014 के बाद से वैश्विक भूख सूचकांक में भारत की खतरनाक, तेज गिरावट। मोदी सरकार भारत के लिए विनाशकारी है।
‘बफर स्टाक' से ऊपर बेहद कम खाद्य भंडार की वजह से महंगाई बढ़ रही है। 8.5 वर्ष में भारत को अंधकार के इस युग में लाने की जिम्मेदारी सरकार को लेनी चाहिए।'' कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा, ‘‘माननीय प्रधानमंत्री बच्चों में कुपोषण, भूख, नाटेपन और ‘चाइल्ड वेस्टिंग रेट' जैसे वास्तविक मुद्दों से कब निपटेंगे? भारत में 22.4 करोड़ लोगों को अल्पपोषित माना जा रहा है।'' उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘2014 के बाद से मोदी सरकार के आठ वर्ष में हमारा ‘स्कोर' खराब हुआ है, 16.3 प्रतिशत भारतीय अल्पपोषित हैं जिसका मतलब है कि उन्हें पर्याप्त भोजन नहीं मिलता है। हिंदुत्व, हिंदी थोपना और नफरत फैलाना भूख मिटाने की दवा नहीं है।''
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अमेरिका-यूरोप सब पीछे, इस एशियाई देश का पासपोर्ट है सबसे पावरफुल, जानिए भारत दुनिया में किस स्थान पर
हेनली पासपोर्ट इंडेक्स के मुताबिक, जापान का पासपोर्ट दुनिया में सबसे ज्यादा पावरफुल है. उसके बाद दो अन्य एशियाई देश सिंगापुर और साउथ कोरिया आते हैं. भारत इस लिस्ट में 87वें पायदान पर है.
हाल ही में दुनियाभर के अलग-अलग देशों के पासपोर्ट की रैंकिंग जारी की गई. हेनली पासपोर्ट इंडेक्स (Henley Passport Index) के मुताबिक, जापान का पासपोर्ट दुनिया में सबसे पावरफुल है. उसके बाद सिंगापुर और साउथ कोरिया का स्थान आता है. तीसरे नंबर पर जर्मनी और स्पेन, चौथे नंबर पर फिनलैंड, इटली और लग्जमबर्ग, पांचवें नंबर पर ऑस्ट्रिया और डेनमार्क आता है. इस रिपोर्ट को इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी की तरफ से मिली जानकारी के आधार पर तैयार किया गया है. कुल 199 देशों की लिस्ट में भारत का पासपोर्ट (Indian Passport) 87वें स्थान पर है. कोरोना पूर्व यूरोपियन देशों का टॉप लिस्ट में दबदबा होता था. कोरोना के बाद स्थितियां बदली हैं और एशियन देशों ने अच्छा प्रदर्शन किया है.
जापान का पासपोर्ट 193 देशों में वीजा फ्री ट्रैवल की सुविधा उपलब्ध करवाता है. सिंगापुर और साउथ कोरिया का पासपोर्ट 192 देशों में वीजा दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है फ्री एक्सेस देता है. यूक्रेन पर हमला करने के बाद रूस के खिलाफ पश्चिमी देश एकजुट हो गए हैं. वह इस रैंकिंग में 50वें पायदान पर है. 119 देशों में रसियन पासपोर्ट को फ्री एक्सेस है. यूक्रेन 35वें पायदान पर है और 144 देशों में एक्सेस है. दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी चीन 69वें पायदान पर है और दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है इसका पासपोर्ट 80 देशों में एक्सेस देता है. 199 देशों की लिस्ट में अफगानिस्तान आखिरी पायदान पर है. इस देश का पासपोर्ट केवल 27 देशों में एंट्री की इजाजत देता है.
अमेरिका आठवें पायदान पर
ब्लूमबर्ग में छपी इस रिपोर्ट के मुताबिक, एशियाई देशों के प्रदर्शन में शानदार सुधार आया है. कुछ साल पहले तक एशियाई देश टॉप-10 में भी नहीं होते थे. इस साल यूके यानी इंग्लैंड छठे पायदान पर और अमेरिका सांतवें पायदान पर है. अमेरिका के पासपोर्ट पर 186 देशों में एंट्री की इजाजत है. यह इंडेक्स 17 सालों के डेटा को मिलाकर तैयार किया जाता है.
वीजा फ्री स्कोर
वीजा फ्री स्कोर की बात करें तो जापान का 193, सिंगापुर और साउथ कोरिया का 192, जर्मनी और स्पेन का 190, फिनलैंड और इटली का 189 और डेनमार्क, ऑस्ट्रिया और स्वीडन का 188 है.
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भारत में ई-पासपोर्ट पर चल रहा है काम
अपने देश में चिप आधारित e-Passport लॉन्च करने की तैयारी चल रही है. टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज को यह काम मिला है. मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेश मंत्रालय के सहयोग से टीसीएस एक कमांड और कंट्रोल सेंटर खोलने जा रही है जिसका काम ई-पासपोर्ट से जुड़ा होगा. टीसीएस इसके लिए डेटा सेंटर भी लगाने जा रही है. टाटा की इस कंपनी को सरकार से पासपोर्ट प्रोजेक्ट का ठेका मिला है. इस साल के शुरू में एक डील के तहत टीसीएस को 10 साल के प्रोजेक्ट के लिए 6,000 करोड़ रुपए मिले हैं. ई-पासपोर्ट प्रोजेक्ट ई-गवर्नेंस का सबसे अहम प्रोजेक्ट बताया जा रहा है.
वैश्विक भुखमरी सूचकांक में बांग्लादेश और पाकिस्तान से भी पीछे भारत, 7 पायदान गिरा नीचे
भुखमरी सूचकांक में भारत के पड़ोसी देशों ने उससे अच्छा प्रदर्शन किया है। जारी रिपोर्ट में नेपाल का 76वां स्थान है, तो वहीं बांग्लादेश (76), म्यांमार (71) और पाकिस्तान ने 92वें स्थान पर है।
प्रतीकात्मक तस्वीर(फोटो सोर्स: PTI)।
वैश्विक भुखमरी सूचकांक(GHI) 2021 में भारत 116 देशों में 101वें स्थान पर अपनी जगह बना पाया है। यह पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल से भी पीछे है। इससे पहले भारत 2020 में 94वें स्थान पर था लेकिन 2021 में वो सात पायदान नीचे खिसक गया है। सहायता कार्यों से जुड़ी आयरलैंड की एजेंसी कंसर्न वर्ल्डवाइड और जर्मनी का संगठन वेल्ट हंगर हिल्फ की संयुक्त रिपोर्ट में भारत में भूख के स्तर को ‘खतरनाक’ बताया गया है।
वहीं भारत के पड़ोसी देशों की बात करें तो इस रिपोर्ट में पड़ोसी देश नेपाल का 76वां स्थान है, बांग्लादेश (76), म्यांमार (71) और पाकिस्तान ने 92वां स्थान हासिल किया है। हालांकि इन देशों में भी भुखमरी की स्थिति चिंताजनक हैं, लेकिन भारत से अगर इनकी तुलना देखें तो ये सभी देश आगे नजर आ रहे हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान जैसे देशों ने अपने नागरिकों को भोजन उपलब्ध कराने में भारत से अच्छा प्रदर्शन किया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना काल में कोविड-19 से जुड़े प्रतिबंधों के चलते लोगों पर बुरा प्रभाव पड़ा है। दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है यहां दुनिया भर में बच्चों की वेस्टिंग की दर सबसे ज्यादा है। 1998 और 2002 के बीच भारत में चाइल्ड वेस्टिंग की दर 17.1% से बढ़कर 2016 और दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है 2020 के बीच 17.3 प्रतिशत हो गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने बाल मृत्यु दर, बाल स्टंटिंग की व्यापकता और अपर्याप्त भोजन के कारण अल्पपोषण की व्यापकता जैसे अन्य पैरामीटरों में अपने यहां सुधार दिखाया है।
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गौरतलब है कि भारत का जीएचआई स्कोर 2000 में 38.8 था, और 2012 और 2021 के बीच 28.8-27.5 पाया गया। जीएचआई स्कोर की गणना के लिए चार पैरामीटर पर नजर रखी जाती है, जिसमें कुपोषण, बच्चों की वृद्धि दर, अल्पपोषण और बाल मृत्यु से जुड़े आंकड़ें लिए जाते हैं।
इस रिपोर्ट में चीन, ब्राजील और कुवैत सहित 18 देशों ने पांच से कम का जीएचआई स्कोर हासिल किया है और टॉप स्थान साझा किया है। जीएचआई की रिपोर्ट के अनुसार, भुखमरी के खिलाफ पूरी दुनिया की लड़ाई को खतरनाक तरीके से झटका लगा है। मौजूदा समय में अनुमानों के आधार पर, दुनिया और खास तौर पर 47 देश 2030 तक निम्न स्तर की भूख को प्राप्त करने में समर्थ नहीं होंगे।
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