एनएसई (NSE) का पूरा नाम नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड है यह भारत का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार है और दुनिया के टॉप 10 शेयर बाजार में से एक है। इसकी स्थापना 1992 में हुआ था और इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय शेयर बाजार में सरल और पारदर्शी बनाना है, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग शेयर बाजार में निवेश कर सके। सन 1994 में एनएसई (NSE) ने पहली बार भारतीय शेयर बाजार में इलेट्रॉनिक ट्रेडिंग की शुरुवात किया।

NSE

NSE और BSE क्या है?

बीएसई का मतलब है ‘बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज’ और एनएसई का मतलब है ‘नेशनल स्टॉक एक्सचेंज’। हालांकि हर कोई जानता है कि ये दोनों शेयर्स और बॉन्‍ड्स जैसी सिक्योरिटीज से जुड़े हुये हैं, लेकिन इनका असली मतलब शायद हर किसी को पता नहीं होगा। आइये हम बताते है क्या हैं बीएसई और एनएसई। भारत में दो शेयर बाज़ार हैं: बीएसई यानि ‘बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज’ और एनएसई यानि ‘नेशनल स्टॉक एक्सचेंज’।

  • BSE यानि (Bombay Stock Exchange), की स्थापना सन 1875 में हई थी।
  • NSE यानि (National Stock Exchange) की स्थापना सन 1992 में हुई थी।

दोनों एक्सचेंज के सूचकांक(INDEX) :

  • NSE का सूचकांक NIFTY (‘N’=NSE तथा ‘IFTY’=fifty यानि NSE-50)| “NIFTY INDEX” NSE में सूचीबद्ध शेयरों का प्रतिनिधित्व करती है। और
  • BSE का सूचकांक “SENSEX” (“सेंसिटिव इंडेक्स”) । “SENSEX INDEX” BSE में सूचीबद्ध शेयरों का प्रतिनिधित्व(represent) करती है।

SENSEX और NIFTY INDEX की गणना “free float market capitalization” विधि से की जाती है। यानी सेन्सेक्स की गणना “मार्केट कैपिटलाइजेशन-वेटेज मेथेडोलॉजी” के आधार पर की जाती है।

National Stock Exchange क्या है ?

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज मुंबई में स्थित है, यह भारत का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है। यह 1992 से अस्तित्व में आया और यहीं से इलेक्ट्रोनिक एक्सचेंज सिस्टम की शुरुआत हुई और पेपर सिस्टम खत्म हुआ।

एनएसई ने 1996 से निफ्टी की शुरुआत की, जो टॉप 50 स्टॉक इंडेक्स दे रहा था और यह तेजी से भारतीय पूंजी बाज़ार की रीड बना। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को 1992 को कंपनी के रूप में पहचान मिली और 1992 में इसे सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स एक्ट, 1956 के तहत कर भुगतान कंपनी के रूप में स्थापित किया गया।

National stock exchange दुनिया का 11 वां सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है। इसका बजार पूंजीकरण (market capitalization) अप्रैल 2018 तक 2.27 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुच गया था ।

BSE यानि BOMBAY STOCK EXCHANGE क्या है ? :

बीएसई की स्थापना 1875 में हुई, इसे नेटिव शेयर और स्टॉक ब्रोकर एसोसिएशन’ के नाम से जाना जाता था। इसके बाद, 1957 के बाद भारत सरकार ने सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट रेगुलेशन एक्ट, 1956 के तहत इसे भारत के प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज के रूप में मान्यता दे दी।

सेन्सेक्स की शुरुआत 1986 में हुई, यह भारत का पहला इक्विटी इंडेक्स है जो कि टॉप 30 एक्सचेंज ट्रेडिंग कंपनियों को एक पहचान दे रहा था। सेंसेक्स का आधार वर्ष 1978-79 है

1995 में, बीएसई की ऑनलाइन ट्रेडिंग शुरू हुई, उस समय इसकी क्षमता एक दिन में 8 मिलियन ट्रांजेक्शन थी।

बीएसई एशिया का पहला स्टॉक एक्सचेंज है, और यह मार्केट डेटा सर्विस, रिस्क मैनेजमेंट, सीडीएसएल (सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड), डिपॉजिटरी सर्विसेज आदि सेवाएँ प्रदान करता है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज दुनिया का 12वा बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है, आउर जुलाई 2017 को इसका बाजार पूंजीकरण 2 ट्रिलियन डॉलर से ज़्यादा था।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनएसई) भारत में अग्रणी स्टॉक एक्सचेंज है और दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है। वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ एक्सचेंज (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज डब्ल्यूएफई) की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी से जून 2018 तक इक्विटी शेयरों में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ट्रेडों की संख्या।

एनएसई ने 1994 में इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन-आधारित ट्रेडिंग, डेरिवेटिव ट्रेडिंग (इंडेक्स फ्यूचर्स के नेशनल स्टॉक एक्सचेंज रूप में) और 2000 में इंटरनेट ट्रेडिंग शुरू की, जो भारत में अपनी तरह की पहली थीं।

एनएसई के पास एक पूरी तरह से एकीकृत व्यापार मॉडल है जिसमें हमारी एक्सचेंज लिस्टिंग, ट्रेडिंग सेवाएं, समाशोधन और निपटान सेवाएं, सूचकांक शामिल हैं।मंडी डेटा फीड, प्रौद्योगिकी समाधान और वित्तीय शिक्षा की पेशकश। एनएसई एक्सचेंज के नियमों और विनियमों के साथ व्यापार और समाशोधन सदस्यों और सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा अनुपालन की भी देखरेख करता है।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) भारत का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है जिसमें शेयर, बांड, प्रतिभूतियां और अनेक प्रकार की सिक्योरिटीज लिस्टेड है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना साल 1992 में हुई थी। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का बेंचमार्क इंडेक्स ‘निफ्टी’ है जिसमें की नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में रजिस्टर टॉप 50 कंपनियों को शामिल किया जाता है। निफ्टी के परफॉर्मेंस के आधार पर ही नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का परफॉर्मेंस निर्धारित किया जाता है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना के बाद ही स्टॉक मार्केट में कागजी कार्यवाही के स्थान पर इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग की शुरुआत हुई जिससे स्टॉक मार्केट में अधिक पारदर्शिता आई। साल 1992 में हर्षद मेहता स्कैम के बाद निवेशकों का भरोसा शेयर बाजार से उठ गया जिसके बाद नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग की सुविधा प्रदान करके निवेशकों का विश्वास जीता। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का मुख्य उद्देश्य शेयर बाजार को आधुनिक और विकसित बनाने के साथ इसमें होने वाले फ्रॉड पर अंकुश लगाना है।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के कार्य

दोस्तों ,अब हम नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड के कार्य प्रणाली के बारें में विस्तार से जानेंगे।

अगर कोई निवेशक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से शेयर बाज़ार में निवेश करना चाहता है तो सबसे पहले उसको मार्किट आर्डर के द्वारा आर्डर देना होता है , और कंप्यूटर ट्रेडिंग जो एक स्वचालित प्रक्रिया है के माध्यम से आपके आर्डर का मिलान किया जाता है। जब कोई निवेशक मार्किट आर्डर देता है तो उसे एक नंबर दिया जाता है जिसको यूनिट नंबर कहा है। कंप्यूटर ट्रेडिंग में खरीदने और बेचने व्यक्ति का नाम गुप्त रखा जाता है। खरीदने वाले व्यक्ति को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज बेचने वाले व्यक्ति को कोई जानकारी नहीं रहता है और बेचने वाले व्यक्ति नेशनल स्टॉक एक्सचेंज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को खरीदने वाले व्यक्ति की कोई जानकारी नहीं रहता है।

जब आपका आर्डर को कोई मिलान नहीं मिलता है तो आर्डर के क्रम को मिलाने के लिए आर्डर सूची से जोड़ा जाता है, और यह प्राइस टाइम (Price time) के प्राथमिकता के आधार पर निर्धारित किया जाता है। सर्वोत्तम मूल्य के आर्डर को पहले प्राथमिकता दिया जाता है और एकसमान मूल्य वाले आर्डर को पहले आर्डर के आधार पर प्राथमिकता दिया जाता है।

एनएसई का मार्केट केपीटलाइजेशन वैल्यू

एनएसई का मार्केट केपीटलाइजेशन 1.80 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर यानी 110 लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा है। स्टॉक एक्सचेंज में SEBI के आने के बाद काफी बदलाव आ गए हैं। एनएसई में सारे कार्य ऑनलाइन होने लगा है।

साथ ही ब्रोकर्स की ट्रेडिंग भी बढ़ गई है इससे पहले शेयर दस्तावेजों की माध्यम से खरीदे और बेचे जाते थे। इस कार्य में लगभग 6 महीने का समय लग जाता था क्योंकि यह शेयर के दस्तावेज डाक के माध्यम से भेजे जाते थे।

एनएसई के बाद नया क्या हुआ

शुरुआत में एनएसई एक प्राइवेट लिमिटेड थे लेकिन साल 1992 के बाद कई धोखाधड़ी के मामले सामने आने पर भारत सरकार द्वारा SEBI (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) को लाया गया।

इसमें अमेरिकी शेयर बाजार नियमों को अपनाया गया और सीबीआई के जरिए शेयर बाजार पर निगरानी रखा गया। जिसके बाद एनएसई स्टॉक एक्सचेंज बनाया गया और सारा काम कंप्यूटर से किया जाने लगा।

जिससे दस्तावेज के काम खत्म हो गए और धीरे-धीरे ट्रेडिंग भी बढ़ने लग गई। शुरुआती तौर पर बीएसई ने SEBI को नहीं अपनाया और इसका विरोध भी किया लेकिन साल 1995 के अंत तक बीएसई को SEBI में अपनी कंपनी लिमिटेड करवानी पड़ी।

एनएसई का मुख्य उद्देश्य

भारत में शेयर की ट्रेडिंग को बढ़ाना की एनएस का मुख्य उद्देश्य है। जितनी ज्यादा कंपनियां ट्रेडिंग बढ़ाएंगे उतना ही ज्यादा लोगों को रोजगार मिलने के अवसर मिलेंगे। जिससे व्यक्ति के आमदनी बढ़ेगी।
आज के दिन में बीएसई से ज्यादा ट्रेडिंग एनएस में हो रही है क्योंकि इसमें ट्रेडिंग अकाउंट के जरिए ज्यादा निवेश होता है।

(नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ) एनएसई का बेंचमार्क निफ्टी है ।और इसकी शुरुआत साल 1996 में की गई थी। एनएसई में मुख्य 50 कंपनियों को शामिल किया जाता है जिसके कारण इसे NIFTY50 भी कहा जाता है।

क्यों महत्वपूर्ण है एनएसई में निवेश करना?

बीएसई से ज्यादा आसान एनएसई में निवेश करना है क्योंकि इसमें कोई भी पेपर वर्क नहीं होता साथ ही एनएसई को SEBI द्वारा स्टॉक एक्सचेंज बाजार की मान्यता प्राप्त है। एनएसई का नेशनल स्टॉक एक्सचेंज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ग्लोबल रैंक 11 है। एनएसई में निवेश करना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका सारा कार्य पेपर के वजह डिजिटल रूप में संग्रह होता है।

Ans : एनएसई भारत का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है।

Ans : गिरीश चंद्र चतुर्वेदी एनएसई के चेयरमैन है।

Ans : एनएसई का मुख्यालय मुंबई में है।

Ans : एनएसई का मार्केट वैल्यू लगभग 2.87 ट्रिलियन यूएस डॉलर है।

रेटिंग: 4.86
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 664