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आपका घर शुभ जगह बना है कि अशुभ, कैसे पता करें

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मिट्टी परीक्षण संबंधी कुछ सिद्धांत और विधिया वास्तु में बताई गई हैं, जो वैज्ञानिक आधार पर भी एकदम सटीक बैठती हैं. वास्तु शास्त्र कहता है कि भूखंड की मिट्टी उपयुक्त हो तभी भवन निर्माण कराना चाहिए.यदि मिट्टी में कोई दोष हो तो उसका निवारण करने के बाद भवन ही निर्माण करना श्रेयस्कर रहेगा.

मिट्टी की ऊपरी परत को हटाकर नीचे की मिट्टी को हाथ में लेकर देखने से इसका रंग आसानी से पता लग जाता है और सूंधकर इसकी गंध व चखकर इसका स्वाद मालूम हो जाता है.अगर मिट्टी सुगंध और मिठास लिए व्यापारी प्रकार आप Quotex पर मुठभेड़ करेंगे व्यापारी प्रकार आप Quotex पर मुठभेड़ करेंगे हुए हैं, तो इसे ब्राह्मणी मिट्टी कहते हैं. आध्यात्मिक सुख प्रदान करने वाली ऐसी मिट्टी वाले भूखंड पर निर्मित भवन बुद्धिजीवियों, धार्मिक व्यक्तियों के लिए अनुकूल होते हैं.

पानी से करें पहचान-

नारायण भट्ट ग्रंथ के मुताबिक सूर्यास्त के वक्त ऊपर बताए गए नाप का गड्ढा खोडकर उसमें पानी भर दें. सुबह के वक्त प्रात: काल में जाकर देखें, यदि पानी शेष है तो शुभ, पानी नहीं बचा लेकिन मिट्टी गीली है, तो मध्यम तथा सूखकर दरार पड़ जाएं, तो यह भवन निर्माण के लिए अशुभ है.

बीच से कर सकते हैं पहचान-

भूमि परीक्षण बीज बो कर भी किया जाता है. यदि बीज समय पर अंकुरित हो जाए, तो ऐसी भूमि पर निर्माण करना वास्तु में उचित माना जाता है. जिस जगह पर विश्राम करने से व्यक्ति के मन को शांति अनुभव होती है, शुभ विचार आते हैं, वो भूमि भवन निर्माण के योग्य होती है.

लाल मिट्टी- क्षत्रिया मिट्टी लाल रंग, हल्की गंध और खटास वाली मिट्टी वैश्य मिट्टी कहलाती है. ऐसी जगह पर व्यवसायी और व्यापारी वर्ग के लिए ऐसे स्थान पर घर बनाना लाभकारी माना गया है.

पीली मिट्टी- हल्की गंघ और कड़वे स्वाद वाली काली मिट्टी को शुद्ध मिट्टी कहा जाता है. इस प्रकार की मिट्टी में घर बनाना सभी के लिए फलदायक होता है.

काली मिट्टी- तीखी गंध और कसैले स्वाद वाली होती है। वर्चस्व और पराक्रम को बढ़ाने वाली ऐसी मिट्टी के भूखंड, प्रशासकों और राजकीय अधिकारियों के लिए उपयुक्त होते हैं.

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'भगवद गीता' के इन 10 श्लोकों मे है सुखी जीवन का राज, एक बार पढ़ लो, कुछ जानना शेष नहीं रहेगा।

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It is said in Bhagavad Gita that one should always do his work.

जो लोग केवल कर्म के फल की इच्छा से प्रेरित होते हैं वे दुखी होते हैं, क्योंकि वे जो करते हैं उसके परिणाम के बारे में लगातार चिंतित रहते हैं। भगवद गीता में कहा गया है कि मनुष्य को हमेशा अपना कर्म करना चाहिए।

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In the Bhagavad Gita it is said that man should serve selflessly.

निःस्वार्थ सेवा से आप सदैव फलदायी रहेंगे और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति पाएंगे। भगवद गीता में कहा गया है कि मनुष्ट को निःस्वार्थ रूप से सेवा करनी चाहिए। इससे सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

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It is said in Bhagavad Gita that one should always have positive thinking.

भगवद गीता में कहा गया है कि मनुष्य को हमेशा सकारात्मक सोच रखनी चाहिए। इससे आप कभी निराश नहीं होंगे और परेशानी के समय शांत दिमाग से हर समस्याओं का हल निकाल सकेंगे।

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Bhagwad Gita said One should always stay away from lust, anger and greed.

भगवद गीता में बताया गया है कि काम, क्रोध और लोभ तीन प्रकार के नरक के द्वार हैं, जो मनुष्य इनको अपनाता है उसका नाश होता है। इसलिए मनुष्य को हमेशा काम, क्रोध और लोभ से दूर रहना चाहिए।

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For good health, only sattvic things should be eaten.

भगवद गीता के अनुसार, जिस मनुष्य की दिनचर्या और खानपान संतुलित है और जो अनुशासन में रहता है। ऐसे लोग दुखों और रोगों से दूर रहते हैं। इसलिए अच्छे स्वास्थ्य के लिए सिर्फ सात्विक चीजें खानी चाहिए।

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In the Bhagavad Gita, it is said that if a person has curiosity, only he attains knowledge.

भगवद गीता में कहा गया है कि अगर जिस मनुष्य के अंदर जिज्ञासा है, उसे ही ज्ञान की प्राप्ति होती है। किसी जानकार व्यक्ति से पूछेंगे नहीं, तब तक वे कुछ बताएंगे नहीं। शास्त्रों में लिखी बातें, गुरु की बातें और अपने अनुभव में तालमेल बनाएंगे तभी ज्ञान हासिल कर पाएंगे।

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According to the Bhagavad Gita, one should always choose work keeping in mind his choice and nature.

भगवद गीता के अनुसार, मनुष्य को हमेशा अपनी पसंद और स्वभाव को ध्यान में रखकर काम का चयन करना चाहिए। इसलिए आप हमेशा वहीं काम करें, जिसमें आपको खुशी मिलती है। इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि जो काम हाथ में लिया है, उसे पूरा जरूर करें और अपने कोई भी काम अधूरे ना छोड़ें।

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It is said in the Bhagavad Gita that by worrying, misery is born. व्यापारी प्रकार आप Quotex पर मुठभेड़ करेंगे

भगवद गीता में कहा गया है कि चिंता करने से ही दुख का जन्म होता है। इसलिए मनुष्य को चिंता छोड़कर कर्म पर ध्यान देना चाहिए। जो मनुष्य इस चिंता को छोड़ देता है वह सभी जगह सुखी, शांत और अवगुणों से मुक्त हो जाता है।

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According to the Bhagwad Gita, one must always do self-churning.

भगवद गीता (Bhagwad Gita) के अनुसार मनुष्य को हमेशा आत्म मंथन अवश्य करना चाहिए, ताकि वह सही और गलत की पहचान कर सही रास्ते का चुनाव कर सके। एक मनुष्य को खुद से बेहतर कोई नहीं जानता और खुद से बेहतर कोई ज्ञान नहीं दे सकता। इसलिए आपको समय-समय पर अपना आंकलन करना चाहिए।

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In the Bhagwad Gita, Lord Krishna has said that man should keep his entire senses under his control.

भगवद् गीता (Bhagwad Gita) में भगवान श्रीकृष्ण (Krishna) ने कहा है कि मनुष्य अपनी संपूर्ण इंद्रियों को अपने वश में रखना चाहिए, क्योंकि जिस शख्स की इंद्रियां उसके वश में होती हैं, उसकी बुद्धि भी स्थिर होती है। यानी जिस इंसान ने इंद्रियों जीभ, त्वचा, आंख, नाक और कान पर काबू कर लिया, वह तमाम सांसारिक सुखों को भोग सकता है।

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