सूत्रों के मुताबिक, शनिवार को ओपेक की बैठक या रविवार को ओपेक+ की बैठक में रूसी मूल्य सीमा पर चर्चा नहीं की गई।

Bull Market- बुल मार्केट

बुल मार्केट क्या होता बैल और भालू बाजारों में कैसे उपयोग करें है?
बुल मार्केट (Bull Market) किसी फाइनेंशियल मार्केट की वह स्थिति होती है जिसमें किसी एसेट या सिक्योरिटी की कीमतें बढ़ रही होती हैं या बढ़ने की उम्मीद होती है। ‘बुल मार्केट' शब्द का उपयोग अक्सर स्टॉक मार्केट के लिए किया जाता है लेकिन इसे वैसी किसी भी चीज के लिए प्रयोग किया जा सकता है जिसे ट्रेड किया जा सकता है जैसेकि बॉन्ड्स, रियल एस्टेट, करेंसी और कमोडिटीज। चूंकि ट्रेडिंग के दौरान सिक्योरिटीज की कीमत अनिवार्य रूप से घटती और बढ़ती रहती हैं, ‘बुल मार्केट' को विशेष रूप से विस्तारित अवधि के लिए उपयोग में लाया जाता है जिसमें सिक्योरिटी मूल्यों का बड़ा हिस्सा बढ़ रहा होता है।

बुल मार्केट महीनों तक यहां तक कि वर्षों तक बने रह सकते हैं। आम तौर पर बुल मार्केट तब होता बैल और भालू बाजारों में कैसे उपयोग करें है जब स्टॉक की कीमतें 20-20 प्रतिशत की दो अवधियों की गिरावट के बाद 20 प्रतिशत तक बढ़ जाती हैं। ट्रेडर बुल मार्केट का लाभ उठाने के लिए खरीद में बढ़ोतरी, होल्ड या रिट्रेसमेंट जैसी कई रणनीतियों का सहारा लेते हैं।

ओपेक+ रूस के तेल उत्पादन कैप और बिगड़ती अर्थव्यवस्था के सामने अपनी नीति बनाए रखता है।

रविवार को एक बैठक में, ओपेक + ने अपने तेल उत्पादन लक्ष्यों का पालन करने का फैसला किया क्योंकि तेल बाजार यह निर्धारित करने के लिए संघर्ष कर रहा था कि मांग पर धीमी चीनी अर्थव्यवस्था और आपूर्ति पर रूसी तेल पर जी7 मूल्य कैप आपूर्ति को कैसे प्रभावित करेगा।

जी7 देशों द्वारा रूसी तेल की कीमत को सीमित करने के निर्णय के दो दिन बाद यह चुनाव किया गया था।

जब ओपेक+, जिसमें रूस सहित ओपेक और उसके सहयोगी शामिल हैं, ने नवंबर से 2023 के अंत तक उत्पादन में 2 मिलियन बैरल प्रति दिन (बीपीडी) या वैश्विक मांग का लगभग 2% कटौती करने पर सहमति व्यक्त की, तो इसने संयुक्त राज्य अमेरिका को नाराज कर दिया और अन्य पश्चिमी देशों।

यूक्रेन में संघर्ष में मास्को की भागीदारी के बावजूद, वाशिंगटन ने समूह और उसके एक नेता, सऊदी अरब पर रूस का पक्ष लेने का आरोप लगाया।

Broker

ट्रेडिंग सिस्टम में सभी ऑर्डर दलालों यानी ब्रोकर के माध्यम से ही डाले जा सकते है। कई ब्रोकर ग्राहकों को ऑनलाइन ट्रेडिंग की सुविधा प्रदान करते हैं। संस्थागत निवेशक डायरेक्ट मार्केट एक्सेस के विकल्प का भी लाभ उठा सकते हैं जिसमें वे दलालों द्वारा उपलब्ध कराए गए ट्रेडिंग टर्मिनलों का उपयोग सीधे स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग सिस्टम में ऑर्डर देने के लिए करते हैं।

इक्विटी स्पॉट मार्केट T + 2 रोलिंग सैटलमेंट का पालन करती है। इसका मतलब यह है कि ट्रेडिंग के दिन के बाद दो दिन में सौदा निपट जायेगा। मंगल वार को किया गया कोई भी ट्रेड वीरवार तक निपट जाता है। स्टॉक एक्सचेंज पर सभी ट्रेडिंग सुबह 9:55 से 3:30 बजे के बीच सोमवार से शुक्रवार तक होती है। शेयरों का ट्रांसफर डीमैटरियलाइज्ड रूप में किया जाता है। प्रत्येक एक्सचेंज का अपना क्लियरिंग हाउस होता है।

इंडैक्स Index

भारतीय बाजारों के दो प्रमुख इंडैक्स यानी सूचकांक हैं सेंसेक्स और निफ्टी। सेंसेक्स BSE का सूचकांक है और वहां लिस्टेड 30 कंपनियों पर आधरित है। निप्टी NSE का इंडैक्स है और वहां लिस्टेड 50 कंपनियों पर आधारित है। इंडैक्स में शामिल करने के लिये कंपनियों का चुनाव अलग अलग उद्योगों से किया जाता है जिससे कि इंडैक्स में सभी उद्योगों का समुचित प्रतिनिधित्व मिल सके।

शेयर बाजार के विकास, विनियमन और पर्यवेक्षण की संपूर्ण जिम्मेदारी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड यानी सेबी के पास रहती है, जिसका गठन 1992 में एक स्वतंत्र प्राधिकरण के रूप में किया गया था। इसके अलावा इन स्टॉक एक्सचेंजों का अपना अंदरुनी रेग्यूलेशन भी है जो कि निवेशकों के हितों को ध्यान में रख कर बनाया जाता है। भारत का वित्त मंत्रालय भी इनके कामकाज पर नजर रखता है।

यहां हमने समझने की कोशिश की कि भारत के शेयर मार्केट कैसे काम करते हैं। आप भी यदि शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं शेयर बाजार कि जानकारी प्राप्त कर लें अन्यथा शेयर बाजार में सीधे निवेश ना कर म्यूचुअल फंड के जरिये ही निवेश करें।

Olymp Trade पर बुल्स पावर इंडिकेटर का प्रयोग कैसे करें

बुल्स पावर संकेतक

बुल्स पावर नामक इंडिकेटर का प्रयोग ट्रेंड रिवर्सल को पहले से देख लेने के लिए किया जाता है। यह आगामी अपट्रेंड का अच्छा सिग्नल है, जो कि बुलिश या तेजी का बाजार है। और यही कारण है कि जब भी आप बुल्स पावर को बढ़ता देखें, तो आपको लॉन्ग पोजीशन में प्रवेश करना चाहिए। विपरीत स्थिति में, जब इंडिकेटर की रेखा गिर रही है, तो भालू बाजार पर नियंत्रण कर रहे हैं। फिर भी, मैं इस आधार पर विक्रय पोजीशन खोलने की अनुशंसा नहीं करूँगा।

Olymp Trade प्लेटफॉर्म पर बुल्स पावर ऑसिलेटर को कॉन्फ़िगर करना

Olymp Trade खाते में लॉगिन करने और आस्ति या एसेट और चार्ट प्रकार चुनने के बाद, इंडिकेटर फीचर को खोजें और उस पर क्लिक करें। एक नया मेन्यू पॉप अप होगा। "Oscillators" तक स्क्रॉल करें। बुल्स पावर उनके बीच होगा।

चार्ट में बुल्स पावर इंडिकेटर कैसे जोड़ें

चार्ट के नीचे, आपको इंडिकेटर की एक पीली रेखा दिखाई देगी। आप रेखा की अवधि, रंग और मोटाई को समायोजित कर सकते हैं। मध्य में "0" लेबल वाली एक क्षैतिज रेखा है। जब बुल्स पावर इस रेखा के ऊपर हो तो अपट्रेंड बैल और भालू बाजारों में कैसे उपयोग करें होता है, और नीचे होने पर डाउनट्रेंड।

बैल बिजली संकेतक खिड़की

Olymp Trade प्लेटफॉर्म पर बुल्स पावर इंडिकेटर के साथ बैल और भालू बाजारों में कैसे उपयोग करें ट्रेड कैसे करें

जब इंडिकेटर शून्य रेखा को काटता है और उसके ऊपर चला जाता है, तो बैल बाजार पर हावी हैं। और आपका काम है, बुल्स पावर रेखा का निरीक्षण करना। यह शून्य रेखा से नीचे चल रहा है या ऊपर। ऑसिलेटर द्वारा मध्य रेखा को काटने की प्रतीक्षा करें और फिर एक लंबी पोजीशन दर्ज करें।

बैल्स पावर संकेतक शून्य रेखा से ऊपर चला गया

जैसा कि मैंने शुरुआत में उल्लेख किया था, मैं आपको बुल्स पावर इंडिकेटर के आधार पर छोटी पोजीशन खोलने का सुझाव नहीं दूंगा। बाजार किसी भी क्षण बदलने वाला है और आप इस ऑसिलेटर के साथ रिवर्स की भविष्यवाणी नहीं कर सकते। हालांकि, आप आगामी अपट्रेंड की पहचान कर सकते हैं। तो, बुल्स पावर बैल और भालू बाजारों में कैसे उपयोग करें के साथ केवल लंबे ट्रेड करें।

भारत के शेयर मार्केट

भारत के शेयर मार्केट कैसे काम करते हैं। भारत के प्रमुख स्टॉक एक्सचेंजों BSE औेर NSE के बारे में जानकारी, ये कैसे काम करते हैं, इन पर ट्रेडिंग कैसे होती है, इनके इडेक्स कौन से हैं और इन्हें कौन रेगुलेट करता है। भारत में शेयर मार्केट में निवेश से पहले यह जानना आवश्यक है कि प्रमुख भारतीय स्टॉक एक्सचेंज कौन से हैं और इनके जरिये निवेश करने की प्रक्रिया क्या है। साथ ही जानेंगे कि इनमें कौन और कैसे निवेश कर सकता है। About Indian Stock Markets in बैल और भालू बाजारों में कैसे उपयोग करें Hindi.

भारत के शेयर मार्केट

भारत के शेयर मार्केट

BSE औेर NSE हैं भारत के शेयर मार्केट

भारत के दो प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज हैं जहां यहां की अधिकतर शेयर ट्रेडिंग होती है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यानी BSE और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी NSE। बीएसई 1875 से स्थापित दुनिया के शेयर बाजारों में सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंजों में से एक है। दूसरी ओर, एनएसई 1992 में स्थापित किया गया था और इसने 1994 से व्यापार शुरू किया था। हालांकि, दोनों एक्सचेंज एक ही ट्रेडिंग मैक्निजम का पालन करते हैं। दोनो बाजारों के काम के घंटे और निपटान प्रक्रिया भी एक सी है। BSE पर लगभग 5000 और NSE पर 2000 कंपनियां लिस्टेड हैं।

दोनों एक्सचेंजों पर ट्रेडिंग एक इलेक्ट्रॉनिक लिमिट ऑर्डर बुक के माध्यम से होती है जिसमें सौदे कंप्यूटर द्वारा ऑर्डर मिलान से किये जाते है। पूरी प्रक्रिया ऑर्डर संचालित होती है जिसका अर्थ है कि निवेशकों द्वारा लगाए गए बैल और भालू बाजारों में कैसे उपयोग करें ट्रेड ऑर्डर स्वचालित रूप से सर्वोत्तम कीमत के ऑर्डर के साथ मेल खाते हैं। नतीजतन, खरीदार और विक्रेता गुमनाम रहते हैं। ऑर्डर-संचालित बाजार का लाभ यह है कि यह ट्रेडिंग सिस्टम में सभी खरीद और बिक्री के आदेश टर्मिनल पर प्रदर्शित होते हैं। इससे ट्रेडिंग में अधिक पारदर्शिता आती है।

Broker

ट्रेडिंग सिस्टम में सभी ऑर्डर दलालों यानी ब्रोकर के माध्यम से ही डाले जा सकते है। कई ब्रोकर ग्राहकों को ऑनलाइन ट्रेडिंग की सुविधा प्रदान करते हैं। संस्थागत निवेशक डायरेक्ट मार्केट एक्सेस के विकल्प का भी लाभ उठा सकते हैं जिसमें वे दलालों द्वारा उपलब्ध कराए गए बैल और भालू बाजारों में कैसे उपयोग करें ट्रेडिंग टर्मिनलों का उपयोग सीधे स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग सिस्टम में ऑर्डर देने के लिए करते हैं।

इक्विटी स्पॉट मार्केट T + 2 रोलिंग सैटलमेंट का पालन करती है। इसका मतलब यह है कि ट्रेडिंग के दिन के बाद दो दिन में सौदा निपट जायेगा। मंगल वार को किया बैल और भालू बाजारों में कैसे उपयोग करें गया कोई भी ट्रेड वीरवार तक निपट जाता है। स्टॉक एक्सचेंज पर सभी ट्रेडिंग सुबह 9:55 से 3:30 बजे के बीच सोमवार से शुक्रवार तक होती है। शेयरों का ट्रांसफर डीमैटरियलाइज्ड रूप में किया जाता है। प्रत्येक एक्सचेंज का अपना क्लियरिंग हाउस होता है।

इंडैक्स Index

भारतीय बाजारों के दो प्रमुख इंडैक्स यानी सूचकांक हैं सेंसेक्स और निफ्टी। सेंसेक्स BSE का सूचकांक है और वहां लिस्टेड 30 कंपनियों पर आधरित है। निप्टी NSE का इंडैक्स है और वहां लिस्टेड 50 कंपनियों पर आधारित है। इंडैक्स में शामिल करने के लिये कंपनियों का चुनाव अलग अलग उद्योगों से किया जाता है जिससे कि इंडैक्स में सभी उद्योगों का समुचित प्रतिनिधित्व मिल सके।

शेयर बाजार के विकास, विनियमन और पर्यवेक्षण की संपूर्ण जिम्मेदारी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड यानी सेबी के पास रहती है, जिसका गठन 1992 में एक स्वतंत्र प्राधिकरण के रूप में किया गया था। इसके अलावा इन स्टॉक एक्सचेंजों का अपना अंदरुनी रेग्यूलेशन भी है जो कि निवेशकों के हितों को ध्यान में रख कर बनाया जाता है। भारत का वित्त मंत्रालय भी इनके कामकाज पर नजर रखता है।

यहां हमने समझने की कोशिश की कि भारत के शेयर मार्केट कैसे काम करते हैं। आप भी यदि शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं शेयर बाजार कि जानकारी प्राप्त कर लें अन्यथा शेयर बाजार में सीधे निवेश ना कर म्यूचुअल फंड के जरिये ही निवेश करें।

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