नियमित चालू खाते

आईसीआईसीआई बैंक व्यापार बैंकिंग में आपके अपने नियमित व्यापार लेनदेनों के लिए चालू खाता उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला मौजूद है। ये उत्पाद छोटे खुदरा विक्रेताओं, व्यापारियों, स्वरोजगार पेशेवरों और 2 करोड़ से कम के वार्षिक कारोबार वाले ऐसे अन्य व्यवसायों के लिए सबसे उपयुक्त हैं। आप ऐसा उत्पाद चुन सकते हैं जो आपके व्यवसाय की आवश्यकताओं के लिए सबसे अधिक उपयुक्त हो।

नए स्टार्टअप के लिए चालू खाता

स्टार्टअप उद्यमों के लिए चालू खाता जो पहले 6 महीनों के लिए शून्य मासिक औसत शेष (MAB) की आवश्यकता के साथ, खाते में बनाए रखे जाने वाले मासिक औसत शेष (MAB) के आधार पर लेन-देन पर मिलने वाले लाभ प्रदान करता है।

  • बनाए रखे मासिक औसत शेष (MAB) के 12 गुने तक देश में कहीं भी नि:शुल्क नकद जमा।
  • नि:शुल्क आरटीजीएस और एनईएफटी लेनदेन
  • प्रति माह 100 नि:शुल्क चेक
  • नि:शुल्क मोबाइल अलर्ट सुविधा

शुभारम्‍भ चालू खाता

स्वामित्व वाले स्टार्टअप उद्यमों के लिए, प‍हले 6 महीने के लिए शून्‍य औसत मासिक शेष (MAB) की आवश्यकता के साथ चालू खाता, जो खाते में बनाए रखे गए औसत मासिक शेष (MAB) इंटरनेट पर सबसे अधिक लाभदायक आय के आधार पर लेनदेन लाभ प्रदान करता है।

  • बनाए रखे गए औसत मासिक शेष (MAB) के 12 गुने तक देश में कहीं भी नि:शुल्क नकद जमा
  • नि:शुल्क आरटीजीएस और एनईएफटी लेनदेन
  • प्रति माह नि:शुल्क 100 चेक
  • नि:शुल्क मोबाइल अलर्ट सुविधा

स्मार्ट व्यवसाय खाता

एक ऐसा चालू खाता जो खाते में बनाए रखे गए मासिक औसत शेष (MAB) के आधार पर लेनदेन लाभ प्रदान करता है। केवल रु. 25,000 का न्यूनतम मासिक औसत शेष (MAB) बनाए रखिए और 12 गुने तक नि:शुल्क नकद जमा सुविधा प्राप्त कीजिए।

  • बनाए रखे गए मासिक औसत शेष (MAB) के 12 गुने तक, देश में कहीं भी नि:शुल्क नकद जमा।
  • यदि बनाए रखा जाने वाला मासिक औसत शेष (MAB) 1 लाख एवं उससे अधिक होता है, तो नि:शुल्क आरटीजीएस और एनईएफटी लेनदेन
  • प्रति माह नि:शुल्क 100 चेक
  • यदि मासिक औसत शेष (MAB) 1 लाख और उससे अधिक बनाए रखा जाता है तो नि:शुल्क मोबाइल अलर्ट की सुविधा।

स्मार्ट व्यवसाय खाता – गोल्‍ड

एक ऐसा चालू खाता जो खाते में बनाए रखे गए मासिक औसत शेष (MAB) के आधार पर कई प्रकार के लाभ प्रदान करता है। केवल 1, 00000 रुपए का न्यूनतम मासिक औसत शेष (MAB) बनाए रखिए और बनाए रखे गए मासिक औसत शेष (MAB) के 12 गुने तक नि:शुल्क नकद जमा प्राप्त कीजिए।

  • बनाए रखे गए मासिक औसत शेष (MAB) के 12 गुने या 1.8 करोड़ रु. में से जो भी कम हो, तक कहीं भी नि:शुल्क नकद जमा।
  • नि:शुल्क आरटीजीएस और एनईएफटी लेनदेन
  • हर महीने 300 नि:शुल्क चेक
  • नि:शुल्क मोबाइल अलर्ट की सुविधा

रोमिंग चालू खाता गोल्‍ड

प्रति माह 10 लाख से कम नकद जमा आवश्यकता के साथ मध्‍यम आकार के खुदरा विक्रेताओं के लिए उपयुक्त चालू खाता। 1 लाख रुपए की न्यूनतम मासिक औसत शेष (MAB) प्रतिबद्धता पर लेनदेन लाभ उठाइए।

  • खाता खोलने के शहर के भीतर प्रति माह 10 लाख की मात्रा तक नि:शुल्क नकद जमा।
  • देश भर में कहीं भी निःशुल्क चेक संग्रह और भुगतान।
  • नि:शुल्क आरटीजीएस और एनईएफटी लेनदेन
  • नि:शुल्क मोबाइल अलर्ट की सुविधा

रोमिंग चालू खाता प्रीमियम

एक ऐसा प्रीमियम खाता जो 50,000 रुपए की न्यूनतम मासिक औसत शेष राशि (MAB) प्रतिबद्धता पर 5 लाख रुपए तक नि:शुल्क नकद जमा की पेशकश करता है।

  • खाता खोलने के शहर के भीतर 5 लाख रुपए तक नि:शुल्क नकद जमा।
  • देश भर में कहीं भी निःशुल्क चेक संग्रह और भुगतान।
  • ऑनलाइन किया जाने वाला नि:शुल्क आरटीजीएस और एनईएफटी लेनदेन।
  • प्रति माह 100 चेक

रोमिंग चालू खाता क्लासिक

25,000 रु. के न्यूनतम मासिक औसत शेष (MAB) आवश्यकता के साथ स्थानीय व्यवसायों के लिए उपयुक्त चालू खाता।

  • खाता खोलने के शहर के भीतर 2.5 लाख रुपए प्रति माह तक नि:शुल्क नकद जमा
  • देश भर में कहीं भी निःशुल्क चेक संग्रह और भुगतान
  • ऑनलाइन किया जाने वाला नि:शुल्क आरटीजीएस और एनईएफटी लेनदेन
  • प्रति माह नि:शुल्क 50 चेक

मानक रोमिंग चालू खाता

एक मानक चालू खाता जो मात्र 10,000 रु. की मासिक औसत शेष (MAB) प्रतिबद्धता के साथ आपके व्यवसाय के सुचारु संचालन को सुनिश्चित करता है।

  • खाता खोलने के शहर के भीतर 1 लाख रुपए प्रति माह तक नि:शुल्क नकद जमा।
  • देश भर में कहीं भी निःशुल्क चेक संग्रह और भुगतान
  • ऑनलाइन किया जाने वाला नि:शुल्क आरटीजीएस और एनईएफटी लेनदेन
  • प्रति माह 25 नि:शुल्क चेक

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क्रिप्टो करेंसी को लेकर भारत में क्या योजना बन रही है?

क्रिप्टो करेंसी

भारत सरकार ने संसद में क्रिप्टो करेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ़ ऑफ़िशियल डिजिटल करेंसी बिल पेश करने का फ़ैसला लिया है. इस विधेयक के बारे में जानकारी अब तक सार्वजनिक नहीं है.

यह विधेयक भारत में क्रिप्टो करेंसी के इस्तेमाल को क़ानूनी रूप से नियंत्रित करेगा.

क्रिप्टो करेंसी पर भारत के हर क़दम पर दुनिया की नज़र है. संसद के अगले सत्र में अगर इस विधेयक को पेश किया जाता है तो इस पर निवेशकों की क़रीबी नज़र होगी.

इमेज स्रोत, BEATA ZAWRZEL/NURPHOTO VIA GETTY IMAGES

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण साफ़ कर चुकी हैं कि सरकार की योजना क्रिप्टो करेंसी पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की नहीं है. असल में सरकार क्रिप्टो करेंसी के आधार वाली तकनीक ब्लॉकचेन को रक्षा कवच देना चाहती है.

हालांकि, 25 साल की रुचि पाल की उम्मीदें अभी भी बहुत ऊंची हैं और उन्होंने क्रिप्टो करेंसी में ही व्यापार करने का फ़ैसला किया है.

वो कहती हैं, "मुझे नहीं लगता है कि सरकार इस पर प्रतिबंध लगाएगी. हां वे इसे विनियमित ज़रूर करेगी लेकिन प्रतिबंध नहीं लगाएगी. मैं सोचती हूं कि 2017 में भी ऐसा ही हुआ था जब हर कोई क्रिप्टो करेंसी पर बात कर रहा था और कुछ कार्रवाई हुई थी और फिर सबकुछ समाप्त हो गया था."

भारत सरकार जिस डिजिटल करेंसी पर विचार कर रही है उस पर वो क्या सोचती हैं? इस सवाल पर रुचि कहती हैं, "यह बहुत मुश्किल चीज़ है. इसको शुरुआत में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार नहीं किया जाएगा. हम इसे अंतरराष्ट्रीय लेन-देने के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. यह अच्छा विचार है लेकिन हमें बिटकॉइन की तरह इसको स्वीकार करने में वक़्त लगेगा. यह इंटरनेट पर सबसे अधिक लाभदायक आय हमारी ज़िंदगियों पर ख़ास असर नहीं डालेगा."

भारतीय बड़ी संख्या में क्रिप्टो करेंसी ख़रीद रहे हैं लेकिन इसको लेकर कोई आधिकारिक डाटा नहीं है. वे पर्याप्त लाभ कमाने के मौक़े को छोड़ना नहीं चाहते हैं.

क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने वाले एक व्यक्ति बिना नाम सार्वजनिक किए हुए कहते हैं, "मैं चाहता हूं कि अगर कोई प्रतिबंध लगने वाला है तो मैं उसके होने से पहले अच्छा लाभ कमाऊं. मैं पैसा बनाने का मौक़ा छोड़ना नहीं चाहता हूं."

नेटवर्क रेडीनेस इंडेक्स 2022 में भारत ने 61वां स्थान प्राप्त किया

India moves up 6 place to be ranked 61st

हाल ही में जारी नेटवर्क रेडीनेस इंडेक्स 2022 (एनआरआई 2022) में भारत ने अपनी रैंक में 6 स्थानों का सुधार कर 61वें स्थान पर पहुंच गया है। अमेरिका स्थित गैर-लाभकारी संस्था पोर्टुलन्स इंस्टीट्यूट द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में भारत की तारीफ की गई है और कहा गया है कि "भारत के पास अपनी आय के स्तर को देखते हुए उम्मीद से इंटरनेट पर सबसे अधिक लाभदायक आय कहीं अधिक नेटवर्क तत्परता है"।

नेटवर्क रेडीनेस इंडेक्स के अलग-अलग चार स्तंभ; प्रौद्योगिकी, लोग, शासन और प्रभाव में 58 वेरिएबल पर 131 देशों की रैंक की जाती है ।

भारत का प्रदर्शन

  • भारत ने अपना स्कोर 2021 में 49.74 से सुधार कर 2022 में 51.19 कर लिया।
  • भारत ने "एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) प्रतिभा एकाग्रता" में पहला स्थान, "देश के भीतर मोबाइल ब्रॉडबैंड इंटरनेट ट्रैफिक" व "अंतरराष्ट्रीय इंटरनेट बैंडविड्थ" में दूसरा स्थान और "दूरसंचार सेवाओं में वार्षिक निवेश" व "घरेलू बाजार आकार" में तीसरा स्थान, "आईसीटी सेवा निर्यात" में इंटरनेट पर सबसे अधिक लाभदायक आय चौथा स्थान और "एफटीटीएच बिल्डिंग इंटरनेट सब्सक्रिप्शन" व "एआई वैज्ञानिक प्रकाशन" में 5वां स्थान प्राप्त किया है।
  • यूक्रेन (50) और इंडोनेशिया (59) के बाद भारत निम्न-मध्यम-आय वाले देशों के समूह में 36 में से तीसरे स्थान पर है

नेटवर्क रेडीनेस इंडेक्स पर शीर्ष तीन रैंक वाले देश

संयुक्त राज्य अमेरिका 80.3 के समग्र स्कोर के साथ सूची में सबसे ऊपर है। इसके बाद 79.35 के स्कोर के साथ सिंगापुर दूसरे और 78.91 के स्कोर के साथ स्वीडन का स्थान रहा।

एशिया प्रशांत क्षेत्र में, सूची का नेतृत्व सिंगापुर ने किया, उसके बाद दक्षिण कोरिया दूसरे और जापान का स्थान तीसरा रहा।

फुल फॉर्म

एफटीटीएच/FTTH : फाइबर टू द होम( Fiber to the Home)

आईसीटी /ICT: इनफार्मेशन कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी (Information Communication Technology )

एआई/ इंटरनेट पर सबसे अधिक लाभदायक आय AI: आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence)

ये हैं सबसे सस्ते फाइबर ब्रॉडबैंड प्लान्स, 400 रुपये से कम में मिल रहा 3300GB डेटा, चेक करें कौनसा आपके लिए है बेस्ट

कोरोना के केसेस लगातार बढ़ रहे हैं। जिसको देखते हुए कंपनियां फिर वर्क फ्रॉम होम मॉडल पर आ गई हैं। कोरोना संकट ने इंटरनेट पर लोगों की निर्भरता काफी बढ़ा दी है। अब लोगों के बीच फ़ास्ट इंटरनेट स्पीड (Fast.

ये हैं सबसे सस्ते फाइबर ब्रॉडबैंड प्लान्स, 400 रुपये से कम में मिल रहा 3300GB डेटा, चेक करें कौनसा आपके लिए है बेस्ट

कोरोना के केसेस लगातार बढ़ रहे हैं। जिसको देखते हुए कंपनियां फिर वर्क फ्रॉम होम मॉडल पर आ गई हैं। कोरोना संकट ने इंटरनेट पर लोगों की निर्भरता काफी बढ़ा दी है। अब लोगों के बीच फ़ास्ट इंटरनेट स्पीड (Fast Internet Speed) की डिमांड भी बढ़ गई है। जिसको देखते हुए कई इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर कंपनियां फाइबर ब्रॉडबैंड सर्विस (Fiber Broadband Service) देने लगी हैं। ऐसे अगर आप भी नया ब्रॉडबैंड कनेक्शन लेने का विचार कर रहे हैं तो ये खबर आपके लिए है। आज हम आपको बता रहे हैं 500 रुपये से कम के Best Broadband Plans के बारे में जहां आपको ज्यादा डेटा के साथ स्पीड भी तेज़ मिलेगी। आइए जानते हैं इंटरनेट पर सबसे अधिक लाभदायक आय इन प्लान्स के बारे में सब कुछ:

Jio Broadband Plans Under ₹500
500 रुपये से कम में रिलायंस जियो की ब्रॉडबैंड सर्विस JioFiber का भी एक धांसू प्लान देती है, जो 399 रुपये का है। JioFiber 399 Broadband Plan में यूजर को अनलिमिडेट कॉलिंग के साथ ही अनलिमिटेड इंटरनेट का भी लाभ मिलता है। इस प्लान में यूजर्स को 3300GB डेटा और 30Mbps की इंटरनेट की स्पीड मिलती है। गौर करने वाली है यह है कि यूजर्स को इस प्लान के साथ OTT बेनिफिट्स का फायदा नहीं मिलता है, बेशक इस प्लान में ओटीटी बेनिफिट नहीं है लेकिन स्ट्रीमिंग के लिए पर्याप्त डेटा मिलता है।

BSNL ₹449 Broadband Plan
सरकारी टेलीकॉम कंपनी BSNL के इस प्लान के साथ 30 Mbps की स्पीड के साथ 3।3TB या कह लीजिए 3300GB डेटा मिलता है। हालांकि, यह प्लान फर्स्ट टाइम यूजर्स के लिए है, इसके बाद यूजर्स को 599 रुपये फाइबर बेसिक प्लस ब्रॉडबैंड प्लान पर शिफ्ट होना पड़ेगा। इस प्लान के साथ 60 Mbps की स्पीड के साथ 3300 जीबी डेटा मिलता है, डेटा लिमिट समाप्त होने पर स्पीकर कम होकर 2 Mbps रह जाएगी।

ये भी पढ़ें:- 249 रुपये में 2 महीने रोज 2GB डेटा, जानिए किस कंपनी का प्लान बेस्ट

Excitel Under ₹500 Broadband Plan
जियो फाइबर, एयरटेल एक्सट्रीम और बीएसएनएल जैसी पॉपुलर कंपनी से इतर आपके लिए और भी कई ऑप्शन हैं, जिनमें 500 रुपये से कम में Excitel के 3 धांसू प्लान हैं। 500 रुपये से कम में एक्साइटेल के 3 प्लान्स का आप फायदा उठा सकते हैं, जो कि 399 रुपये, 449 रुपये और 499 रुपये वाला है। हालांकि, इसके साथ कुछ नियम और शर्तें भी हैं। आप अगर 100 एमबीपीएस वाला प्लान लेना चाहते हैं तो एक साल के लिए मंथली 399 रुपये वाला प्लान ले लें, वहीं 200 एमबीपीएस वाली स्पीड चाहते हैं तो 449 रुपये मंथली वाला एनुअल प्लान ले लें और अगर 300 एमबीपीएस वाली स्पीड चाहते हैं तो 499 रुपये मंथली वाला एनुअल प्लान ले लें।

Airtel XStream ₹449 Plan
एयरटेल की ब्रॉडबैंड सर्विस Airtel XStream भी आपको 500 रुपये से कम में काफी सारे लाभ वाले प्लान ऑफर करती है, जो कि 499 रुपये का है। इस प्लान में आपको 40 Mbps की स्पीड से अनलिमिडेट इंटरनेट के साथ ही अनलिमिटेड वॉयस कॉलिंग की भी सुविधा मिलती है। इन सबके साथ आपको Airtel XStream, Wynk Music, Shaw academy, Voot Basic, Eros Now, Hungama Play, Shemaroo M और Ultra का भी ऐक्सेस मिलता है। तो क्या यह प्लान आपके लिए अच्छा है, अगर हां तो आजमाकर देखिए।

सबसे सस्ता डेटा भारत में, फिर भी 65% महिलाओं और 49% पुरुषों ने कभी यूज नहीं किया इंटरनेट

4 से 9 जुलाई तक देश में 'डिजिटल इंडिया वीक' मनाया जाएगा. 7 साल पहले डिजिटल इंडिया कैंपेन शुरू हुआ था, जिसका मकसद हर व्यक्ति तक डिजिटल पहुंच को बढ़ाना था. लेकिन क्या डिजिटल बन पाया इंडिया? इंटरनेट की पहुंच कितने लोगों तक है और 2014 के बाद इंटरनेट पर सबसे अधिक लाभदायक आय से अब तक इंटरनेट की कीमत कितनी कम हुई? जानें.

भारत में 50 फीसदी से भी कम परिवारों के पास इंटरनेट कनेक्शन है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

प्रियंक द्विवेदी

  • नई दिल्ली,
  • 05 जुलाई 2022,
  • (अपडेटेड 05 जुलाई 2022, 11:24 AM IST)
  • देश में 49% घरों में ही इंटरनेट कनेक्शन
  • शादी नहीं करने वाले इंटरनेट यूज में आगे
  • 2020 में 1 GB डेटा 10.9 रुपये का था

2 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जर्मनी की राजधानी बर्लिन में थे. यहां उन्होंने भारतीयों को संबोधित किया. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि जितना सस्ता डाटा भारत में है, वो बहुत से देशों के लिए अकल्पनीय है.

ये पहली बार नहीं था जब पीएम मोदी ने भारत में सबसे सस्ता इंटरनेट होने की बात कही. इससे पहले अगस्त 2019 में पीएम जब बहरीन के दौरे पर थे, तब भी उन्होंने कहा था कि मोबाइल फोन और इंटरनेट भारत के सामान्य से सामान्य परिवार की पहुंच में है. दुनिया में सबसे सस्ता डेटा भारत में है.

बीजेपी अक्सर सस्ते इंटरनेट के लिए मोदी सरकार को श्रेय देती है. दिसंबर 2019 में तब के आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट किया था कि 2014 में मोदी सरकार आने के बाद से इंटरनेट डेटा की कीमत 22 गुना सस्ती हो गई है.

2014 से पहले तक भारत में एक जीबी डेटा की औसत कीमत 269 रुपये थी, लेकिन अब एक जीबी डेटा की औसत कीमत 54 रुपये के आसपास आ गई है. ये कीमत इससे पहले और कम थी, लेकिन टेलीकॉम कंपनियों की ओर से टैरिफ बढ़ाए जाने के बाद कीमत बढ़ गई है.

डिजिटल इंडिया वीक

इंटरनेट डेटा की बात इसलिए हो रही है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को 'डिजिटल इंडिया वीक' की शुरुआत की. ये कार्यक्रम 9 जुलाई तक चलेगा. ये कार्यक्रम डिजिटल इंडिया कैंपेन के 7 साल पूरे होने पर हो रहा है. इस कैंपेन का मकसद सभी लोगों को डिजिटल बनाना है. कुल मिलाकर हर व्यक्ति तक डिजिटल टेक्नोलॉजी पहुंचाना और भारत की डिजिटल इकोनॉमी को बढ़ाना इसका मकसद है.

लेकिन, सरकार के ही आंकड़े बताते हैं कि भारत में अभी भी बहुत से ऐसे लोग हैं, जिनके पास इंटरनेट की पहुंच नहीं है. और इंटरनेट की पहुंच लोगों के पास तब नहीं है, जब भारत सस्ता इंटरनेट देने वाले देशों में है.

ब्रिटेन की cable.uk की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में एक जीबी डेटा की औसत कीमत 0.68 डॉलर यानी लगभग 54 रुपये के आसपास है. इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि भारत में एक जीबी डेटा मात्र 0.05 डॉलर यानी लगभग 4 रुपये में मिल जाता है.

टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) की रिपोर्ट इंटरनेट पर सबसे अधिक लाभदायक आय के मुताबिक, 2014 में भारत में एक जीबी डेटा की औसत कीमत 269 रुपये थी. 2015 में ये कीमत 226 रुपये हो गई. 2016 में 4G (LTE) आने के बाद एक जीबी डेटा की औसत कीमत 75.57 रुपये पर आ गई. 2020 तक एक जीबी डेटा की औसत कीमत 11 रुपये से भी कम हो गई.

लेकिन, ट्राई के ही आंकड़े बताते हैं कि सस्ता इंटरनेट होने के बाद भी भारत में हर 100 लोगों में से 60 लोगों तक ही इंटरनेट की पहुंच है. इसका मतलब हुआ कि 100 में से 40 ऐसे हैं, जिनके पास इंटरनेट नहीं है. गांवों में हालत बहुत खराब हैं. गांवों में हर 100 लोगों में से 37 के पास इंटरनेट है, जबकि शहर में 103 लोगों के पास इंटरनेट है.

वहीं, नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 (NFHS 5) के आंकड़े बताते हैं कि भारत में 49% घरों में ही इंटरनेट कनेक्शन है. भारत में अभी भी 65 फीसदी से ज्यादा महिलाओं और लगभग 50 फीसदी पुरुषों ने कभी इंटरनेट का इस्तेमाल किया ही नहीं है. NFHS के आंकड़ों के मुताबिक, देश में 33% महिलाएं और 51% पुरुष ही ऐसे हैं, जिन्होंने कभी न कभी इंटरनेट का इस्तेमाल किया है.

शहरों तक तो इंटरनेट पहुंच भी जा रहा है, लेकिन गांवों तक इंटरनेट नहीं पहुंच रहा है. NFHS के ही आंकड़े बताते हैं कि गांवों में 75% महिलाओं और 57% पुरुषों ने कभी इंटरनेट इस्तेमाल नहीं किया. वहीं, शहरों में 48% महिलाओं और 34% पुरुषों ने इंटरनेट का इस्तेमाल कभी नहीं किया.

ये सर्वे ये भी बताता है कि शादी करने वालों की तुलना में शादी नहीं करने वाले महिला और पुरुष इंटरनेट का इस्तेमाल करने में आगे है. शादी करने वाली 29% महिलाएं और 48% पुरुष इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं, जबकि इनकी तुलना में शादी नहीं करने वालीं 50% से ज्यादा महिलाएं और 57% पुरुष इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं.

भारत में क्या कहते हैं इंटरनेट के आंकड़े?

ट्राई के मुताबिक, दिसंबर 2021 तक देशभर में लगभग 83 करोड़ इंटरनेट सब्सक्राइबर्स थे. इनमें से 80.2 करोड़ से ज्यादा वायरलेस और 2.6 करोड़ से ज्यादा वायर्ड इंटरनेट सब्सक्राइबर्स थे. इनमें से भी 80.1 करोड़ से ज्यादा मोबाइल इंटरनेट सब्सक्राइबर्स थे. ये संख्या इसलिए ज्यादा है, क्योंकि कुछ लोग अपने नाम पर एक से ज्यादा कनेक्शन भी रखते हैं.

हालांकि, ट्राई के आंकड़ों के मुताबिक पिछली तीन तिमाही से इंटरनेट सब्सक्राइबर्स की संख्या कम हो रही है. इनमें भी मोबाइल सब्सक्राइबर्स की संख्या कम हो रही है, जबकि वायर्ड इंटरनेट सब्सक्राइबर्स की संख्या बढ़ रही है. जून 2021 में मोबाइल सब्सक्राइबर्स की संख्या 80.94 करोड़ थी, जो सितंबर 2021 में घटकर 80.85 करोड़ हो गई और फिर दिसंबर 2021 में कम होकर 80.15 करोड़ पर आ गई.

एक ओर इंटरनेट सब्सक्राइबर्स की संख्या कम हो रही है, तो दूसरी ओर टेलीकॉम कंपनियों को एक यूजर से होने वाली कमाई लगातार बढ़ रही है. इसे ARPU यानी एवरेज रेवेन्यू पर यूजर कहते हैं. ट्राई के मुताबिक, दिसंबर 2020 में कंपनियों को एक यूजर से हर महीने 102 रुपये की कमाई होती थी, जो दिसंबर 2021 में बढ़कर 114 रुपये हो गई.

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