महामारी को रोकने के लिए सक्रिय नीतियां अपनाना वैज्ञानिक और उचित है

पिछले तीन वर्षों में कोविड-19 महामारी ने विभिन्न देशों के आर्थिक विकास को भारी नुकसान पहुँचाया है। लेकिन वायरस के उत्परिवर्तन के साथ महामारी पर पूरी तरह से काबू पाने की आशा स्पष्ट बन गयी है। पिछले तीन वर्षों में , चीनी सरकार ने हमेशा लोगों के जीवन की सुरक्षा को सर्वोच्च सिद्धांत के रूप में लिया है , और महामारी के विकास के विभिन्न चरणों में लक्षित उपायों को अपनाया है। इस वर्ष ओमिक्रॉन के उत्परिवर्तन से यह जाहिर है कि वह अधिक संचरण शक्ति दिखाई देता है , पर साथ ही कम गंभीर मामले जन्म दे सकता है। इसे लेकर चीनी सरकार ने आर्थिक और सामाजिक जीवन के सामान्य विकास के लिए अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण करते हुए , महामारी की रोकथाम के उपायों को जल्दी से समायोजित किया।

पिछले तीन वर्षों में , चीन ने महामारी के प्रसार को रोकने के लिए एक सख्त महामारी निवारण प्रणाली स्थापित की है। लोगों के जीवन की रक्षा के लिए , सभी स्तरों की चीनी सरकार महामारी की रोकथाम को सर्वोच्च लक्ष्य मानती हैं , और अन्य आर्थिक और सामाजिक विकास परियोजनाओं को उचित रूप से समायोजित किया गया है। इस कारण से , कुछ आर्थिक विकास लक्ष्यों का त्याग करना पड़ता है।लेकिन , इससे भविष्य की सामान्य महामारी की रोकथाम करने तथा अर्थव्यवस्था की तेजी से रिकवरी करने के लिए ठोस नींव रखी गयी है। वर्तमान में , चीन जो कर रहा है वह बाजार तंत्र को फिर से शुरू करना है और बाजार को आर्थिक विकास में निर्णायक भूमिका निभाने देना है।

पिछले तीन सालों में चीनी अर्थव्यवस्था के उत्पादन , रसद , खपत और अन्य हिस्सों पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। विशेष रूप से , पर्यटन , खानपान और सांस्कृतिक उद्योगों के विकास में काफी बाधा उत्पन्न हुई। उदारीकरण की नीति को अपनाने के बाद , यह देखा जा सकता है कि चीन में बाजारों की समृद्धि तेजी से ठीक हो रही है। उदाहरण के लिए , राजधानी पेइचिंग के प्रसिद्ध फूड स्ट्रीट पर फिर से सीट की प्रतीक्षा कर रहे लोग दिखाई देने लगे हैं , और मूवी थिएटर और सुपरमार्केट में फिर से भीड़ देखी गई है। घरेलू मांग की वसूली निश्चित रूप से अर्थव्यवस्था की जीवन शक्ति को बढ़ावा देगी। तथ्यों से यह साबित कर दिया गया है कि महामारी की स्थिति के परिवर्तनों के अनुसार प्रभावी महामारी निवारण नीति अपनाने की पहल करना वैज्ञानिक , उचित और टिकाऊ है।

हाल में आयोजित चीनी केंद्रीय आर्थिक कार्य सम्मेलन ने “घरेलू मांग के विस्तार पर ध्यान केंद्रित करने” की आवश्यकता पर बल दिया। चीनी अर्थतंत्र विकास के वर्तमान स्तर को देखते हुए , निर्यात-उन्मुख आर्थिक विकास रणनीति पर भरोसा करना जारी रखना पुराना हो गया है। घरेलू मांग का विस्तार करने और एक मजबूत घरेलू आर्थिक चक्र प्रणाली बनाने के प्रयास उच्च गुणवत्ता वाले आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए मजबूत समर्थन प्रदान करेंगे। घरेलू मांग का विस्तार भी बेहतर जीवन के लिए लोगों की कांक्षाओंं को बेहतर ढंग से पूरा कर सकता है। चीन में दुनिया का सबसे बड़ा मध्यम-आय वर्ग है , और सकल घरेलू उत्पाद में उपभोग व्यय का अनुपात लगातार 11 वर्षों से 50% से ऊपर बना हुआ है। घरेलू मांग का विस्तार चीन के अति-बड़े पैमाने के बाजार के लाभों को आगे बढ़ाएगा। और विकास के पैटर्न में इस बदलाव से पूरी दुनिया के आर्थिक विकास को भी बहुत लाभ होगा।

तथ्यों ने साबित कर दिया है कि चीनी सरकार की महामारी की स्थिति में परिवर्तन के अनुसार महामारी की रोकथाम नीति का समायोजन वायरस के उत्परिवर्तन की विशिष्ट स्थितियों के अनुरूप है। चीन के द्वारा महामारी की रोकथाम नीति में किया गया सक्रिय समायोजन वैज्ञानिक और उचित है। वर्तमान में , चीन का आर्थिक और सामाजिक जीवन धीरे-धीरे पूर्व-महामारी की स्थिति में लौट रहा है। तीन सालों की महामारी अवधि के दौरान संचित खपत और आर्थिक विकास का दबाव तेजी से रीरिज़ हो जाएगा। विश्वास है कि अगले साल चीन में आर्थिक विकास की एक लंबी छलांग नजर आएगी।

WHO ने कहा, HIV-TB की टेस्टिंग में आई कमी, एक्सपर्ट बोले- कोरोना में अन्य बीमारियों में बरती गई लापरवाही

विश्व स्वास्थ्य निकाय के प्रमुख की टिप्पणी ने साबित कर दिया है कि ग्लोबल फंड टू फाइट एड्स, ट्यूबरकुलोसिस और मलेरिया जैसे कई स्वास्थ्य अनुसंधान संगठन के दावे सही है.

WHO ने कहा, HIV-TB की टेस्टिंग में आई कमी, एक्सपर्ट बोले- कोरोना में अन्य बीमारियों में बरती गई लापरवाही

कोरोना वायरस ने दुनिया में जिस कदर कहर बरपाया उसने मेडिकल से लेकर हर सेक्टर की कमर तोड़कर रख दी. इस बीच कई रिपोर्ट्स और आंकड़े चौंका रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार, यह स्पष्ट है कि महामारी के दौरान हेल्थकेयर सेक्टर पर भारी बोझ पड़ा, लेकिन यह भी बात सामने आई है कि COVID-19 ने अन्य मेडिकल ट्रीटमेंट को पीछे धकेल दिया है. 14 दिसंबर को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के डायरेक्टर टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने सूचित किया कि HIV, मलेरिया और तपेदिक (टीबी) के खिलाफ ट्रीटमेंट की प्रगति रुक गई. एक अध्ययन के अनुसार, एचआईवी के निदान के लिए टेस्ट में 41 फीसदी की कमी आई, जबकि टीबी रेफ़रल के मामलों में 59 प्रतिशत की कमी देखी गई गई है.

विश्व स्वास्थ्य निकाय के प्रमुख की टिप्पणी ने साबित कर दिया है कि ग्लोबल फंड टू फाइट एड्स, ट्यूबरकुलोसिस और मलेरिया जैसे कई स्वास्थ्य अनुसंधान संगठन के दावे सही है. दरअसल, संगठन के अनुसार एचआईवी, टीबी और मलेरिया का प्रसार विशेष रूप से कम आय वाले एशियाई और अफ्रीकी देशों में बढ़ रहा है. संक्रामक रोग विशेषज्ञ और एचआईवी/एसटीडी के सलाहकार डॉ. ईश्वर गिलाडा ने कहा, “इन वैश्विक संगठनों को यह समझने में ढाई साल लग गए कि कोविड-19 कई पहलुओं के साथ आया है. महामारी के पहले फेज के बाद इससे जुड़े नुकसान की पहचान की जानी चाहिए थी.”

उन्होंने कहा कि यह समझ में आता है कि देश ने एक साल के लिए अपने सभी रिसोर्स को इस वायरस पर केंद्रित कर दिया था क्योंकि यह अनसुना और बिल्कुल नया था, लेकिन लगभग 3 साल बाद इस रिपोर्ट की घोषणा करना अन्य बीमारियों के प्रति लापरवाही को दर्शाता है.

पहले से मौजूद बीमारियों की हुई अनदेखी

मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, ग्लोबल फंड के कार्यकारी निदेशक पीटर सैंड्स ने कहा, “HIV की रोकथाम को पीछे धकेल दिया गया है. मलेरिया के मामलों के मैनेजमेंट में एक नाटकीय ढंग से हम मृत्यु दर में बढ़ोतरी के वास्तविक जोखिम का सामना कर रहे हैं. कम हुए टीबी मरीजों के नंबर में दोबारा से प्रगति देखी जा रही है. कटु सत्य यह है कि हम 2021 में एचआईवी, टीबी और मलेरिया से अधिक मौतों को देखेंगे, जो कि 2020 में कोविड-19 के कारण आई समस्या के चलते होंगी.”

पैथोलॉजिकल लैब COVID-19 के चलते टेस्टिंग और पीपीई किट की कमी जूझ रही थीं, जो कि स्मूथ टेस्टिंग प्रक्रिया में बाधा बनी. पीटर ने कहा, “ज्यादातर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में संकट अभी खत्म नहीं हुआ है क्योंकि कोविड-19 से संक्रमण और मौतें लगातार बढ़ रही हैं और एचआईवी, टीबी व मलेरिया पर प्रभाव लगातार बढ़ रहा है.”

साल 2020 में विश्व में TB से अनुमानित 1.5 मिलियन मौतें हुई हैं, जिसमें से भारत में लगभग 34 फीसदी हुईं. डॉ गिलाडा ने यह भी शेयर करते हुए बताया, “2021 में भारत में 4,95,000 मौतें दर्ज की गईं इसलिए यह स्पष्ट है कि COVID-19 अकेली नहीं बल्कि अतिरिक्त समस्या थी, लेकिन 2 साल के अधिक समय से हमारी हेल्थकेयर आंख बंद करके केवल वायरस की तलाश में जुटी रही.”

उन्होंने कहा कि यह सिर्फ टीबी, एचआईवी और मलेरिया ही नहीं है, कई अन्य उपचारों को भी दरकिनार कर दिया गया. बच्चों का नियमित टीकाकरण भी COVID-19 के दौरान बाधित हुआ है.

टेस्टिंग में तेजी लाने की जरूरत

उन्होंने कहा, “अब, जब हमने यह तय कर लिया है कि COVID-19 फ्लू की तरह कुछ समय तक हमारे साथ रहेगा. खोए हुए समय को कवर करने के लिए अतिरिक्त तेजी वाले कदम उठाना जरूरी है. जो समय हमने खोया है वह चला गया है लेकिन कभी नहीं से अच्छा देर भली है. अब हमें और अधिक जागरूकता अभियान, सर्विलांस और स्थितियों में सुधार के लिए सक्रिय कदमों की आवश्यकता है. अब ऐसे सिस्टम की जरूरत है जहां अधिकांश मरीजों की टेस्टिंग की जा सके और उन सभी को उपचार मिल सके.”

‘डिजिटल हरियाणा’ का विजन साकार

सुशासन दिवस के अवसर पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और महान स्वतंत्रता सेनानी महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की जयंती के उपलक्ष्य में सुशासन दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने उनके ‘डिजिटल सभी के लिए निष्क्रिय आय हरियाणा’ के विजन को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए विभिन्न विभागों को 22 सुशासन पुरस्कार प्रदान किए। विभिन्न विभागों में सरकारी सेवा के दौरान डिजिटली माध्यम से कार्य को सरल करने पर मुख्यमंत्री ने 118 अधिकारियों व कर्मचारियों को सम्मानित किया। इनमें गुड गवर्नेंस के लिए ‘स्टेट लेवल अवार्डस’ तथा ‘स्टेट फ्लैगशिप स्कीम अवार्डस’ शामिल हैं। रविवार को पंचकूला में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम के दौरान पुरस्कार विजेताओं को पुरस्कार उनके संबंधित विभागों में डिजिटल सुधार लाने और लोगों को समयबद्ध व परेशानी मुक्त तरीके से नागरिक केंद्रित सेवाओं के वितरण के लिए ई-गवर्नेंस को लागू करने के लिए दिए गए हैं।

पुरस्कार पाने वाली फ्लैगशिप योजनाओं व परियोजनाओं की जानकारी निम्नलिखित है। हरियाणा परिवार पहचान अधिनियमए 2021 को छह सितंबर, 2021 को अधिसूचित किया गया। पीपीपी नागरिकों को ‘पेपरलेस’ व ‘फेसलेस’ सक्रिय सेवा प्रदान करने का माध्यम है। 16 दिसंबर, 2022 तक प्रदेश के 71.89 लाख से अधिक परिवारों के 2.85 करोड़ से अधिक नागरिकों ने पीपीपी में अपना डेटा अपडेट किया है। वर्तमान में लगभग 450 योजनाओं, सबसिडी और सरकारी सेवाओं को पीपीपी के साथ जोड़ा गया है। वृद्धावस्था पेंशन के सक्रिय वितरण के साथ नागरिकों द्वारा जाति और आय प्रमाणपत्र बनवाने की सेवा पहले से ही चालू है। सितंबर-अक्तूबर, 2022 में वर्षा के कारण फसल खराब होने पर किसानों को राहत प्रदान करने के लिए पायलट आधार पर ई-फसल क्षतिपूर्ति परियोजना शुरू की गई। रबी.2023 से पूरे राज्य में (फसल बीमा के मामले को छोडक़र) किसानों के लिए फसल नुकसान के आवेदनए सत्यापनए आकलन और मुआवजे हेतु यह व्यवस्था लागू होने जा रही है। यह प्रणाली केवल मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पर उपलब्ध है।

PAN Card धारक फटाफट करें ये काम, नही तो किसी काम का नही रहेंगा आपका कार्ड

पैन कार्ड इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने से लेकर बैंकिंग के बड़े-बड़े ट्रांजैक्शन करने के लिए जरूरी होता है। इसके अलावा कई और कामों में भी अहम दस्तावेजों के रूप में उपयोग में आता है। ऐसे में आयकर विभाग ने एक बार फिर से आधार से जोड़ने के लिए तारीख बड़ा दी है। अगर ये काम नही कर पाओंगे तो आपका कार्ड किसी काम का नही रहेंगा। या फिर कई दिक्कतों का सामना भी करना पड़ सकता है।

31 मार्च से पहले कर ले काम

आयकर विभाग की तरफ से जारी परामर्श के मुताबिक, ”आयकर सभी के लिए निष्क्रिय आय अधिनियम, 1961 के अनुसार छूट वाली श्रेणी में आने वाले लोगों को छोड़कर सभी पैन धारकों के लिए 31 मार्च, 2023 से पहले अपने पैन को आधार से जोड़ना अनिवार्य है। आधार से नहीं जोड़े गए पैन कार्ड एक अप्रैल, 2023 से निष्क्रिय हो जाएंगे।”

देर न करें, आज ही जोड़ लें

विभाग ने पैन को आधार से जल्द जोड़ने की नसीहत करदाताओं को देते हुए कहा, ”जो अनिवार्य है, वो आवश्यक है। देर न करें, आज ही जोड़ लें।” वित्त मंत्रालय की मई 2017 में जारी एक अधिसूचना के अनुसार, ”छूट श्रेणी” में असम, जम्मू और कश्मीर तथा मेघालय राज्यों के निवासी शामिल हैं। इसके अलावा अनिवासी भारतीय और 80 वर्ष से अधिक उम्र के लोग भी छूट श्रेणी में शामिल हैं।

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने गत 30 मार्च को जारी एक परिपत्र में कहा था कि एक बार पैन निष्क्रिय हो जाने के बाद कोई व्यक्ति आयकर अधिनियम के तहत सभी नतीजों के लिए जिम्मेदार होगा और उसे कई तरह के परिणामों का सामना करना पड़ेगा. इस परिपत्र के मुताबिक, निष्क्रिय पैन का इस्तेमाल करके आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया जा सकता है।

ऑनलाइन ऐसे करा सकते हैं लिंक

  • सबसे पहले इनकम टैक्स की वेबसाइट पर जाएं।
  • आधार कार्ड में दिया गया नाम, पैन नंबर और आधार नंबर डालें।
  • आधार कार्ड में सिर्फ जन्म का साल दिया होने पर स्क्वायर टिक करें।
  • अब कैप्चा कोड एंटर करें।
  • अब Link Aadhaar बटन पर क्लिक करें।
  • आपका पैन आधार से लिंक हो जाएगा।

SMS से ऐसे करा सकते हैं लिंक

आपको अपने फोन पर UIDPAN टाइप करना होगा. इसके बाद 12 अंकों वाला आधार नंबर लिखें। फिर 10 अंकों वाला पैन नंबर लिखें. अब स्टेप 1 में बताया गया मेसेज 567678 या 56161 पर भेज दें।

© 2022 © Ghamasan News Indore | Call : +91 9826077733. Powered by Parshva Web Solutions Privacy Policy

WHO ने कहा, HIV-TB की टेस्टिंग में आई कमी, एक्सपर्ट बोले- कोरोना में अन्य बीमारियों में बरती गई लापरवाही

विश्व स्वास्थ्य निकाय के प्रमुख की टिप्पणी ने साबित कर दिया है कि ग्लोबल फंड टू फाइट एड्स, ट्यूबरकुलोसिस और मलेरिया जैसे कई स्वास्थ्य अनुसंधान संगठन के दावे सही है.

WHO ने कहा, HIV-TB की टेस्टिंग में आई कमी, एक्सपर्ट बोले- कोरोना में अन्य बीमारियों में बरती गई लापरवाही

कोरोना वायरस ने दुनिया में जिस कदर कहर बरपाया उसने मेडिकल से लेकर हर सेक्टर की कमर तोड़कर रख दी. इस बीच कई रिपोर्ट्स और आंकड़े चौंका रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार, यह स्पष्ट है कि महामारी के दौरान हेल्थकेयर सेक्टर पर भारी बोझ पड़ा, लेकिन यह भी बात सामने आई है कि COVID-19 ने अन्य मेडिकल ट्रीटमेंट को पीछे धकेल दिया है. 14 दिसंबर को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के डायरेक्टर टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने सूचित किया कि HIV, मलेरिया और तपेदिक (टीबी) के खिलाफ ट्रीटमेंट की प्रगति रुक गई. एक अध्ययन के अनुसार, एचआईवी के निदान के लिए टेस्ट में 41 फीसदी की कमी आई, जबकि टीबी रेफ़रल के मामलों में 59 प्रतिशत की कमी देखी गई गई है.

विश्व स्वास्थ्य निकाय के प्रमुख की टिप्पणी ने साबित कर दिया है कि ग्लोबल फंड टू फाइट एड्स, ट्यूबरकुलोसिस और मलेरिया जैसे कई स्वास्थ्य अनुसंधान संगठन के दावे सही है. दरअसल, संगठन के अनुसार एचआईवी, टीबी और मलेरिया का प्रसार विशेष रूप से कम आय वाले एशियाई और अफ्रीकी देशों में बढ़ रहा है. संक्रामक रोग विशेषज्ञ और एचआईवी/एसटीडी के सलाहकार डॉ. ईश्वर गिलाडा ने कहा, “इन वैश्विक संगठनों को यह समझने में ढाई साल लग गए कि कोविड-19 कई पहलुओं के साथ आया है. महामारी के पहले फेज के बाद इससे जुड़े नुकसान की पहचान की जानी चाहिए थी.”

उन्होंने कहा कि यह समझ में आता है कि देश ने एक साल के लिए अपने सभी रिसोर्स को इस वायरस पर केंद्रित कर दिया था क्योंकि यह अनसुना और बिल्कुल नया था, लेकिन लगभग 3 साल बाद इस रिपोर्ट की घोषणा करना अन्य बीमारियों के प्रति लापरवाही को दर्शाता है.

पहले से मौजूद बीमारियों की हुई अनदेखी

मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, ग्लोबल फंड के कार्यकारी निदेशक पीटर सैंड्स ने कहा, “HIV की रोकथाम को पीछे धकेल दिया गया है. मलेरिया के मामलों के मैनेजमेंट में एक नाटकीय ढंग से हम मृत्यु दर में बढ़ोतरी के वास्तविक जोखिम का सामना कर रहे हैं. कम हुए टीबी मरीजों के नंबर में दोबारा से प्रगति देखी जा रही है. कटु सत्य यह है कि हम 2021 में एचआईवी, टीबी और मलेरिया से अधिक मौतों को देखेंगे, जो कि 2020 सभी के लिए निष्क्रिय आय में कोविड-19 के कारण आई समस्या के चलते होंगी.”

पैथोलॉजिकल लैब COVID-19 के चलते टेस्टिंग और पीपीई किट की कमी जूझ रही थीं, जो कि स्मूथ टेस्टिंग प्रक्रिया में बाधा बनी. पीटर ने कहा, “ज्यादातर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में संकट अभी खत्म नहीं हुआ है क्योंकि कोविड-19 से संक्रमण और मौतें लगातार बढ़ रही हैं और एचआईवी, टीबी व मलेरिया पर प्रभाव लगातार बढ़ रहा है.”

साल 2020 में विश्व में TB से अनुमानित 1.5 मिलियन मौतें हुई हैं, जिसमें से भारत में लगभग 34 फीसदी हुईं. डॉ गिलाडा ने यह भी शेयर करते हुए बताया, “2021 में भारत में 4,95,000 मौतें दर्ज की गईं इसलिए यह स्पष्ट है कि COVID-19 अकेली नहीं बल्कि अतिरिक्त समस्या थी, लेकिन 2 साल के अधिक समय से हमारी हेल्थकेयर आंख बंद करके केवल वायरस की तलाश में जुटी रही.”

उन्होंने कहा कि यह सिर्फ टीबी, एचआईवी और मलेरिया ही नहीं है, कई अन्य उपचारों को भी दरकिनार कर दिया गया. बच्चों का नियमित टीकाकरण भी COVID-19 के दौरान बाधित हुआ है.

टेस्टिंग में तेजी लाने की जरूरत

उन्होंने कहा, “अब, जब हमने यह तय कर लिया है कि COVID-19 फ्लू की तरह कुछ समय तक हमारे साथ रहेगा. खोए हुए समय को कवर करने के लिए अतिरिक्त तेजी वाले कदम उठाना जरूरी है. जो सभी के लिए निष्क्रिय आय समय हमने खोया है वह चला गया है लेकिन कभी नहीं से अच्छा देर भली है. अब हमें और अधिक जागरूकता अभियान, सर्विलांस और स्थितियों में सुधार के लिए सक्रिय कदमों की आवश्यकता है. अब ऐसे सिस्टम की जरूरत है जहां अधिकांश मरीजों की टेस्टिंग की जा सके और उन सभी को उपचार मिल सके.”

रेटिंग: 4.51
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 252