केरल बाढ़ (फोटो साभार: इण्डियन एक्सप्रेस) केरल की बाढ़ का पहला सबक है कि भूकम्प और बाढ़ चालाक मनुष्यों द्वारा बाँटने और राज करने के लिये ईजाद किये गए विभेद को नहीं मानते। इसका दूसरा सबक यह है कि यदि हम प्रकृति का उत्पीड़न और तय की गई सीमाओं का उल्लंघन करेंगे, तो वह हमसे बदला लेगी।
‘डिजिटल समावेशन वित्तीय समावेशन की बुनियाद है’ – श्री रविशंकर प्रसाद
संयुक्त राष्ट्र द्वारा ‘वित्तीय समावेशन’ पर आयोजित सम्मेलन में केन्द्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी तथा विधि एवं न्याय मंत्री श्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा, ‘डिजिटल समावेशन वित्तीय समावेशन की बुनियाद है। जहां तक डिजिटल प्लेटफॉर्म का सवाल है, प्रतिबद्धता के लिए हमारा कुछ विशिष्ट मूलभूत दृष्टिकोण है। सबसे पहले, हम विश्व में डिजिटल क्रांति के क्षेत्र में अग्रणी बनना चाहते हैं। हमारी इस पहल की दूसरी महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि हम केवल भारत का डिजिटीकरण ही नहीं करना चाहते, बल्कि हम एक ऐसी प्रौद्योगिकी तैयार करना चाहते हैं, जो बदलावकारी हो, जो भारत के साथ-साथ भारतवासियों को भी सशक्त बनाए।’
श्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘यह युग सूचना का युग है और सूचना ही शक्ति है। यह युग प्रौद्योगिकी का युग है और प्रौद्योगिकी ही शक्ति है तथा इस प्रौद्योगिकी को भारत को आवश्यक तौर पर सशक्त बनाना चाहिए।’ हम एक डिजिटल व्यवस्था भी तैयार करना चाहते हैं, जो डिजिटल समावेशन का मार्ग प्रशस्त करे। डिजिटल इंडिया, गरीबों और वंचितों के प्रति ज्यादा महत्वपूर्ण है। हम डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया, स्मार्ट सिटीस, स्किल इंडिया जैसे अनेक परिवर्तनकारी कदम उठा रहे हैं। ये सभी प्रौद्योगिकी आधारित कार्यक्रम हैं, डिजिटल समावेशन इनके बीच समान कड़ी होना चाहिए।’
श्री रविशंकर प्रसाद ने अपनी बात समाप्त करते हुए कहा, ‘डिजिटल समावेशन की बात करते समय तीन और बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है। पहला, प्रौद्योगिकी आवश्यक रूप से किफायती होनी चाहिए, दूसरा, प्रौद्योगिकी समावेशन का मार्ग प्रशस्त करने वाली होनी चाहिए और तीसरा, प्रौद्योगिकी विकासात्मक होनी चाहिए।’
दुनिया भर में वित्तीय समावेशन के विशालतम कार्यक्रमों में से एक प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के तीन वर्ष पूरे होने के बाद आज वित्तीय समावेशनों, पहुंच और प्रौद्योगिकियों में नवाचारों की पहल करने संबंधी भारत की मिसाल अन्य देशों के लिए महत्वपूर्ण सबक उपलब्ध करा सकती है।
दिन भर के इस सम्मेलन में भौतिक पहुंच और वित्तीय समावेशन के बुनियादी ढांचे, अधिकतम वित्तीय पहुंच और महिलाओं तथा समाज के हाशिये पर मौजूद लोगों के समूहों के लिए साक्षरता तथा भविष्य की राह तय करने के लिए प्रौद्योगिकी और नवाचार के इस्तेमाल पर ध्यान केन्द्रित किया गया।
Related Posts
Address by the Hon’ble President of India Shri Ram Nath Kovind at Indian Community and friends of India reception
Swachhata Pakhwada Observed in Mumbai Port Trust
Fundamental rights and duties are Connnected : Shri Naqvi
Seven Senior officers appointed as incharge officers across state to supervise and enforce Covid guidelines
Newspapers Association of India
The objective of NAI is to highlight the problems which have been plaguing the small and medium newspaper industry for the past so many years. A common platform at the national level was created for the members, to establish personal Contact with each other and have interactions on related problems and take up the same, with concerned authorities, on a collective basis.
सरकारी विद्यालय की लचर व्यवस्था से असंतुष्ट दिखे प्रखंड विकास पदाधिकारी
सोनो,प्रखंड के सरकारी विद्यालयों की लचर व्यवस्था की शिकायत उच्च स्तर तक पहुंचने के पश्चात विभागीय नियमों के अनुपालन हेतु प्रखंड विकास पदाधिकारी मोहम्मद मोइनुद्दीन द्वारा कई सरकारी विद्यालयों का औचक निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के क्रम में उत्क्रमित मध्य विद्यालय सुग्गाटांड के प्रांगण में उपस्थित ग्रामीणों की भीड़ ने बताया कि मध्य विद्यालय होने के बावजूद विद्यालय में कुल 5 शिक्षक हैं जिसमें 4 शिक्षक उर्दू के बहाल है,विद्यालय में कुल 217 विद्यार्थी का नामांकन है।
प्रधानाध्यापक मनोज कुमार पांडे ने बताया कि मेरे विद्यालय में 130 विद्यार्थी उपस्थित है। लेकिन जब ग्रामीण और प्रखंड विकास पदाधिकारी मोइनुद्दीन विद्यालय के प्रांगण में देखा तो विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति नगन्य थी। वही विद्यालय में उर्दू शिक्षक के अलावे अन्य विषयों को पढ़ाने के लिए विभाग द्वारा अब तक किसी भी शिक्षक का विद्यालय में पदस्थापन नहीं किया गया। जो वित्तीय साक्षरता में सबक अत्यंत चिंता का विषय है। वही शिक्षकों की उपस्थिति पर भी ग्रामीणों ने प्रखंड विकास पदाधिकारी के समक्ष सवाल उठाते हुए मामले में त्वरित कार्यवाही का आग्रह किया। प्रखंड विकास पदाधिकारी ने मामले की गहनता से जांच करने हेतु विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक के खिलाफ स्पष्टीकरण का आदेश जारी किया।
सोनो संवादाता योगेंद्र प्रसाद उर्फ कुंदन की रिपोर्ट
केरल का सबक
केरल बाढ़ (फोटो साभार: इण्डियन एक्सप्रेस) केरल की बाढ़ का पहला सबक है कि भूकम्प और बाढ़ चालाक मनुष्यों द्वारा बाँटने और राज करने के लिये ईजाद किये गए विभेद को नहीं मानते। इसका दूसरा सबक यह है कि यदि हम प्रकृति का उत्पीड़न और तय की वित्तीय साक्षरता में सबक गई सीमाओं का उल्लंघन करेंगे, तो वह हमसे बदला लेगी।
मैं पहली बार 1993 में पर्यावरणविद माधव गाडगिल के साथ केरल गया था। हमें प्रतिष्ठित जन विज्ञान संगठन केरल शास्त्र साहित्य परिषद (केएसएसपी) द्वारा बुलाई गई एक बैठक को सम्बोधित करने के लिये आमंत्रित वित्तीय साक्षरता में सबक किया गया था। एर्णाकुलम रेलवे स्टेशन पर केएसएसपी के वरिष्ठ सदस्य और जीव विज्ञानी एम के प्रसाद ने हमारी अगवानी की। समाज वित्तीय साक्षरता में सबक में अपनी ऊँची हैसियत के बावजूद प्रोफेसर प्रसाद बस से आये थे और उन्होंने बहुत साधारण पोशाक बुशर्ट और रबर की चप्पलें वित्तीय साक्षरता में सबक पहन रखी थीं।
उसके बाद मेरा कई बार केरल जाना हुआ। एक इतिहासकार के रूप में मुझे जिस चीज ने सर्वाधिक प्रभावित किया, वह है इस राज्य में स्पष्ट तौर पर नजर आने वाला समतावाद। हाल ही में आई बाढ़ के समय इसकी झलक एक बार फिर नजर आई, जब जाति या धर्म की परवाह किये बिना तमाम लोग सामने आये और राहत और पुनर्वास में योगदान दिया। राज्य के बाहर के विचारक हिन्दुओं को ईसाइयों और मुसलमानों के खिलाफ खड़ा करना चाहते थे, लेकिन मलयाली लोगों ने ऐसा नहीं किया। खाड़ी के समृद्ध प्रवासी, जिन्होंने पीड़ितों को दिन-रात बचाने में जुटे मछुआरों के लिये अपनी चेकबुक खोल दी, से लेकर हर किसी ने त्रासदी की इस घड़ी में अपने सामाजिक और राजनीतिक मतभेदों को दरकिनार कर दिया।
इसलिये केरल की बाढ़ का पहला सबक यह है: भूकम्प और बाढ़ चालाक मनुष्यों द्वारा बाँटने और राज करने के लिये ईजाद किये गए विभेद को नहीं मानते। लेकिन इसके साथ ही दूसरा सबक भी है, जिसे समझना और उस पर अमल करना कठिन है। वह यह है कि यदि हम प्रकृति का उत्पीड़न करेंगे और उसके द्वारा मानव व्यवहार (खासतौर से लालच) के लिये तय की गई सीमाओं का उल्लंघन करेंगे, तो वह हमसे बदला लेगी।
यदि केरल इस दूसरे सबक पर गौर करना चाहता है, तो उसे उस शख्स की बातों को ध्यान से सुनना होगा, जोकि वही वैज्ञानिक हैं, जिनके साथ मैं पहली बार उस राज्य में गया था। माधव गाडगिल ने इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से जुड़ने के लिये पश्चिमी अकादमिक दुनिया का आकर्षक करियर छोड़ दिया और वहाँ पारिस्थितिकी विज्ञान से सम्बन्धित केन्द्र की स्थापना की। अपनी किताबों और निबन्धों तथा अपने विद्यार्थियों के जरिए, जिन्हें उन्होंने तराशा है और प्रेरणा दी है, पारिस्थितिकी जवाबदेही के लिये निरन्तर काम किया।
मौजूदा सन्दर्भों में माधव गाडगिल का सबसे प्रासंगिक योगदान उस समिति की रिपोर्ट है, जिसके वह अध्यक्ष थे। केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री रहते जयराम रमेश ने इस समिति का गठन किया था, जिसने अन्धाधुन्ध उत्खनन से पश्चिमी घाट के लिये उत्पन्न खतरों का व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत किया। गाडगिल रिपोर्ट ने रेखांकित किया, “कुलीनों ने अपने लालच से घाट को बर्बाद कर दिया और गरीबों ने इसे कुतर डाला, जोकि वहाँ निर्वाह का प्रयास कर रहे हैं। यह एक महान त्रासदी है, क्योंकि पहाड़ियों की यह शृंखला दक्षिण भारत की पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।” इसके बाद रिपोर्ट कहती है, “इसके बावजूद सकारात्मक पक्ष यह है कि पश्चिमी घाट क्षेत्र देश के उन चुनिन्दा क्षेत्रों में है जहाँ साक्षरता की दर सर्वोच्च वित्तीय साक्षरता में सबक है और यहाँ पर्यावरण जागरुकता का स्तर भी ऊँचा है। लोकतांत्रिक संस्थाएँ मजबूत हैं और केरल क्षमता निर्माण तथा पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत करने में देश में सबसे आगे है।”
कई दशकों के जमीनी अनुभवों और अद्यतन वैज्ञानिक अध्ययनों के आधार पर गाडगिल रिपोर्ट ने आर्थिक विकास और पर्यावरण संवहनीयता के बीच सन्तुलन स्थापित करने की बात की थी। रिपोर्ट कहती है, विकास योजनाओं को कठोर ढाँचे में तैयार नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि इन्हें स्थानीय और समय विशेष की परिस्थितियों के अनुरूप स्थानीय समुदायों की सम्पूर्ण भागीदारी के साथ तैयार किया जाना चाहिए, इस प्रक्रिया को को-मैनेजमेंट नाम दिया गया। इससे संरक्षण का विकास से सम्मिलन होगा और इसे असंगत रूप में नहीं देखा जाएगा।
गाडगिल रिपोर्ट ने रेखांकित किया कि पारिस्थितिकी संवेदनशीलता सिर्फ एक वैज्ञानिक नहीं, बल्कि मानवीय चिन्ता भी है। वह तर्क देती है कि आधुनिक विज्ञान को किसानों, मजदूरों, चरवाहों और मछुआरों के स्थानीय पारिस्थितिकी ज्ञान से समृद्ध होना चाहिए। इसमें टिप्पणी की गई, नियामक नियंत्रण का बेजा केन्द्रीकरण न तो कारगर होगा न ही इसने कारगर तरीके से काम किया है। इसने वकालत की कि राजनीतिक व्यवस्था “पश्चिमी घाट में संसाधनों और पर्यावरणीय संघवाद को मजबूत करेगी और शासन के अधिक बहुसंख्यक रूपों और निर्णय लेने के कई केन्द्रों की तरफ बढ़ेगी, जो पारिस्थितिकी तंत्र के दबावों और परिवर्तन के लिये अधिक नवीन प्रतिक्रिया, सीखने, सहयोग और बेहतर अनुकूलन को सक्षम बनाएगी।”
गाडगिल रिपोर्ट ने आर्थिक गतिविधियों से सम्बन्धित विभिन्न क्षेत्रों की बारीकी से जाँच की : कृषि, पशुपालन, वन, मत्स्य पालन, बिजली, उद्योग आदि। इसने इनमें से प्रत्येक क्षेत्र में मौजूद तरीकों के साथ ही इस पर भी गौर किया कि कैसे अत्याधुनिक विज्ञान और भागीदारी वाली निर्णय लेने की प्रक्रिया से उन्हें और सक्षम और टिकाऊ बनाया जा सकता है। खासतौर से खनन के क्षेत्र की कहानी पर गौर किया जा सकता है, जिसने वनों को बर्बाद वित्तीय साक्षरता में सबक कर दिया, मिट्टी को खराब कर दिया, वातावरण को प्रदूषित कर दिया और जलस्रोतों को जर्जर कर दिया। खनन ने मानवीय स्वास्थ्य को भी खासा नुकसान पहुँचाया है और किसानों, चरवाहों और मछुआरों को बेरोजगार कर दिया।
पूरे भारत में राजनेताओं की साठगाँठ से अनियंत्रित खनन ताबड़तोड़ तरीके से हो रहा है, जिसमें ठेकेदार प्रकृति को बर्बाद कर रहे हैं और स्थानीय समुदायों को विपन्न कर रहे हैं। जमीनी रिपोर्ट्स बताती हैं कि पत्थरों और रेत के उत्खनन के कारण होने वाले भूस्खलन, मिट्टी के क्षरण और मलबों ने केरल की बाढ़ की भयावहता को बढ़ाने में योगदान दिया।
जयराम रमेश की पहल पर तैयार गाडगिल रिपोर्ट को उनके बाद बने पर्यावरण मंत्री ने रद्दी की टोकरी में डाल दिया। इस मंत्री ने यहाँ तक कि इसके प्रसारण को भी रोका; लेकिन एक समझदार सूचना आयुक्त ने सुनिश्चित किया कि यह रिपोर्ट ऑनलाइन उपलब्ध हो। मौजूदा त्रासदी की पृष्ठभूमि में इसे दोबारा पढ़ा जाना चाहिए और इस पर व्यापक विमर्श होना चाहिए। इसके सबक सिर्फ केरल के लिये नहीं हैं, बल्कि कर्नाटक, गोवा और महाराष्ट्र में वित्तीय साक्षरता में सबक भी उन्हें लागू किया जाना चाहिए जिनके पश्चिमी घाट में स्थित जिले हाल के दशक में बर्बाद हो गए हैं।
वास्तव में गाडगिल रिपोर्ट के पीछे के विचारों को कहीं अधिक संवेदनशील पहाड़ी शृंखला हिमालय में भी लागू किये जाने की जरूरत है। यदि वहाँ वनों की कटाई, खनन और लापरवाही से सड़कों का चौड़ीकरण नहीं होता और नदियों के किनारे निर्माण नहीं होते, तो 2013 में उत्तराखण्ड में आई बाढ़ से जीवन और सम्पत्ति को हुए नुकसान की भयावहता वैसी नहीं होती। हिमालय के साथ ही घाटों में संसाधनों के समझदारी से इस्तेमाल करने की जरूरत है। इसके लिये भ्रष्ट राजनेताओं और लालची ठेकेदारों को चुनौती देने की जरूरत है और यह नागरिक समाज और वैज्ञानिक ज्ञान, दोनों के बीच तालमेल से हो सकता है।
kerala flood in Hindi, impact of flood and earthquake equal for all, over exploitation of nature in Hindi, madhav gadgil in Hindi, ecology of western ghat in Hindi
वित्तीय साक्षरता में सबक
शेयर मार्किट की शब्दावली – Stock Market Terminology – Share Market Vocabulary
Stock Market एक ऐसा एक्सचेंज होता है जो लोगों को कंपनियों के stocks या shares को खरीदने और बेचने की…
51 Bitcoin Facts You Should Know – बिटकॉइन के बारे में कुछ दिलचस्प बातें
हम सब जानते हैं की World economy एक डिजिटल इको-सिस्टम की ओर बढ़ रही है। Investing, trading से लेकर money…
Bitcoin in Hindi – Ultimate Guide – बिटकॉइन क्या है पूरी जानकारी
बिटकॉइन (Bitcoin – BTC) एक डिजिटल मुद्रा (digital currency or cryptocurrency) है, जिसका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक रूप से किया जाता है।…
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम क्या है – Sovereign Gold Bond Scheme (SGB)
देश में सोने (gold) की मांग में कमी लाने तथा घरेलू बचत (personal savings) के लिए सोना खरीदने वाले लोगों…
9 Countries With Zero Income Taxes in Hindi – जीरो इनकम टैक्स वाले 9 देश
दुनिया में कुछ ऐसे देश और क्षेत्र हैं जहाँ आपको अपनी मेहनत से कमाए गए धन के साथ भाग लेने…
11 Best Lessons from Rich Dad Poor Dad Book – रिच डैड पुअर डैड
Rich Dad Poor Dad दुनिया में सबसे अच्छी Financial Education (वित्तीय साक्षरता) पुस्तकों में से एक है। इस पुस्तक में…
Pradhan Mantri Vaya Vandana Yojana (PMVVY) in Hindi – प्रधानमंत्री वय वंदना योजना
प्रधानमंत्री वय वंदना योजना (Pradhan Mantri Vaya Vandana Yojana) भारत सरकार द्वारा विशेष रूप से 60 वर्ष या उससे अधिक…
How to Save Income Tax – इनकम टैक्स बचाने के तरीके – Tax Savings Investments 2020
हर साल आपको taxmen, Chartered Accountant (CA) चार्टर्ड अकाउंटेंट या अपने employer से ऐसे रिमाइंडर मिलते हैं कि यह आपके…
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 388