सीएसआईआर की महत्वपूर्ण उपलब्धियां
सीएसआईआर-एनबीआरआई कौशल विकास कार्यक्रम
सीएसआईआर-एनबीआरआई एक प्रमुख संयंत्र अनुसंधान केंद्र है, जिसमें अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं और इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ शास्त्रीय और उन्नत संयंत्र विज्ञान में विशेषज्ञता का एक अनूठा मिश्रण है। 1953 में अपनी स्थापना के बाद से, CSIR-NBRI बुनियादी और अनुप्रयुक्त वनस्पति, बागवानी और जैव-प्रौद्योगिकी अनुसंधान में लगे हुए हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में S & T सेवाएं प्रदान करते हैं, संयंत्र संसाधन पहचान, प्रलेखन, और नए हर्बल के विकास के माध्यम से जैव-पूर्वेक्षण के लिए संरक्षण प्रदान करते हैं। औद्योगिक उपयोग और सामाजिक लाभ के लिए बायोटेक, माइक्रोबियल और एग्री-बागवानी तकनीक, उत्पाद और सेवाएं। सीएसआईआर-एनबीआरआई ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त हर्बेरियम और बोटैनिकल गार्डन को मान्यता दी है, जो वनस्पति और संबद्ध विषयों में अनुसंधान, संरक्षण, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए संसाधन भंडार के रूप में काम करते हैं। CSIR-NBRI हर्बल दवा अनुसंधान के क्षेत्र में NABL मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में से एक है। संस्थान ने हाल के वर्षों में हर्बल स्वास्थ्य उत्पादों, कॉस्मोटिक्स, माइक्रोबियल प्रौद्योगिकियों और पुष्प शिल्प के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी विकास में कई महत्वपूर्ण मील के पत्थर हासिल किए हैं।
विजन
पादप संसाधन उपयोग के लिए पादप विज्ञान में रोजगारपरक कुशल मानव संसाधन के संवर्ग का विकास।
मिशन
कृषि के क्षेत्र में विभिन्न स्तरों और प्रकारों में गुणवत्तापूर्ण मानव संसाधन प्रदान करने के लिए, बागवानी, फूलों की खेती, भारतीय उद्योग के सुगंध और हर्बल दवाओं और संयंत्र जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्रों।
हंसा-एनजी ने पुद्दुचेरी में समुद्र स्तर का परीक्षण सफलतापूर्वक किया संपन्न
वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के तत्वावधान में बंगलुरु स्थित सीएसआईआर-राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशालाओं द्वारा डिजाइन की गई तथा विकसित भारत के पहले स्वदेशी फ्लाइंग ट्रेनर हंसा-एनजी ने 19 फरवरी से 5 मार्च, 2022 तक पुद्दुचेरी में समुद्र स्तर परीक्षणों को सफलतापूर्वक संपन्न कर लिया है।
इस विमान को 155 किमी/घंटा की गति से डेढ़ घंटे में 140 समुद्री मील की दूरी तय करते हुए पुद्दुचेरी के लिए 19 फरवरी, 2022 को उड़ाया गया था। समुद्र स्तर के परीक्षणों का सीएसआईआर की महत्वपूर्ण उपलब्धियां उद्देश्य हैंडलिंग गुणों, क्लाइंब/ क्रूज प्रदर्शन, बाक्ड लैंडिंग, सकारात्मक और नकारात्मक जी सहित संरचनात्मक निष्पादन, बिजली संयंत्र तथा अन्य प्रणालियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करना था। सीएसआईआर-एनएएल के सूत्रों ने बताया कि समुद्र स्तर के परीक्षणों के सभी उद्देश्यों को पूरा किया गया है और विमान को पुद्दुचेरी में 18 घंटे की उड़ान पूरी करने के बाद 5 मार्च, 2022 को वापस बंगलुरु भेज दिया गया है। विमान के पायलट एएसटीई के विंग कमांडर के.वी. प्रकाश तथा विंग कमांडर दिलीप रेड्डी थे। उड़ान की निगरानी सीएसआईआर-एनएएल डिजाइनरों तथा टेलीमेट्री से उड़ान परीक्षण निदेशक के रूप में विंग कमांडर रीजू चक्रवर्ती द्वारा की गई थी।
हंसा-एनजी जस्ट-इन-टाइम प्रीप्रेग (जेआईपीआरईजी) कम्पोजिट लाइट वेट एयरफ्रेम, ग्लास कॉकपिट, व्यापक पैनोरमिक व्यू के साथ बबल कैनोपी, इलेक्ट्रिकली ऑपरेटेड फ्लैप आदि जैसी अनूठी विशेषताओं के साथ रोटैक्स डिजिटल कंट्रोल इंजन द्वारा संचालित सबसे उन्नत फ्लाइंग ट्रेनर में से एक है।
सीएसआईआर-एनएएल ने यह भी कहा कि हंसा-एनजी को भारतीय फ्लाइंग क्लब की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है और यह कम लागत तथा कम ईंधन सीएसआईआर की महत्वपूर्ण उपलब्धियां खपत के कारण वाणिज्यिक पायलट लाइसेंसिंग (सीपीएल) के लिए एक आदर्श विमान है। एनएएल को विभिन्न फ्लाइंग क्लबों से पहले ही 80 से अधिक एलओआई (आशय पत्र) प्राप्त हो चुके हैं।
सीएसआईआर-एनएएल के निदेशक ने कहा कि कुल 37 उड़ानें और 50 घंटे की उड़ान पूरी हो गई है और डीजीसीए द्वारा टाइप सर्टिफिकेशन प्राप्त करने से पहले कुछ और उड़ानें संचालित की जाएंगी। टाइप सर्टिफिकेशन अप्रैल, 2022 तक पूरा होने की संभावना है और उसके बाद सार्वजनिक / निजी उद्योग के साथ विनिर्माण की पहल की जाएगी जो आत्मनिर्भर भारत के तहत एयरोस्पेस इको सिस्टम को बढ़ाएगा।
सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. शेखर सी मांडे ने टीम को बधाई देते हुए इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को अर्जित करने के लिए सीएसआईआर-एनएएल, एएसटीई, डीजीसीए तथा एचएएल की समेकित टीम द्वारा किए गए सराहनीय प्रयासों की प्रशंसा की है।
बेबी फूड को लेकर CSIR (सीएसआईआर ) को मिली अहम सफलता Reading Time : 7 minutes -->
इस दुनिया में जब एक नवजात कदम रखता है तो वह रोता है। अपने बच्चे की जरूरत को पूरा करने में माता की निर्णायक भूमिका होती है। और ये चीज मां का स्तन दूध होता है – ये शिशुओं के लिए एक अमृत है – यह सबसे अच्छा और नवजात का पहला भोजन होता है क्योंकि यह स्वाभाविक रूप से सही अनुपात में स्वस्थ शिशु पोषण के सभी घटकों को शामिल करता है। यह आसानी से पचने योग्य है और नवजात के विकास और प्रतिरक्षा को बढ़ावा देता है। फिर भी, कुछ ऐसी महिलाएं होती हैं , जो विभिन्न शारीरिक कारणों से स्तनपान करने में असमर्थ हैं। ऐसे शिशुओं को विशेष रूप से तैयार किए गए शिशु आहार पर निर्भर होना पड़ता है , और वह भी बेहतर क्वालिटी या कहें मार्के की होती है।
इसके लिए आप सीएसआईआर- केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान सीआईएसआईआर- सीएफटीआरआई, मैसूर, और भारत के वैज्ञानिक धन्यवाद के पात्र हैं। इन वैज्ञानिकों ने एक स्वस्थ शिशु आहार तैयार किया जिससे आयातित विदेशी शिशु खाद्य ब्रांडों पर निर्भरता कम हो गई। यह विकास पांच दशक पहले हुआ और इसने राष्ट्रों के पोषण सुरक्षा के क्षेत्र में नया आयाम लाया। 1 960 से पहले, शिशुओं के खाद्य सीएसआईआर की महत्वपूर्ण उपलब्धियां पदार्थों की आपूर्ति का मतलब हमारे विदेशी मुद्रा भंडार पर भारी बोझ था। आज ये आम बात है कि वैज्ञानिक इनोवेशन (नवाचार) की वजह से माता-पिता, व्यावसायिक रूप से बेचा जाने वाले शिशुओं के खाद्य पदार्थों पर भरोसा करने लगे हैं । ये क्वालिटी वाले खाद्य पदार्थ अब भारत में ही बेहतर तरीके से बनाए जाने लगे हैं।
अमूल(AMUL) सीएसआईआर-सीएफटीआरआई टेक्नोलॉजी पर आधारित एक बेबी फूड है जो दशकों से भारत में एक घरेलू नाम रहा है। शिशुओं के लिए इस स्वादिष्ट और पोषक तत्व को सीएफटीआरआई ने बनाया था। सीएसआईआर-सीएफटीआरआई के शिशु आहार तैयार करने के पहले बच्चों को भैंस का दूध दिया जाता था , हालांकि एक बच्चे के लिए या कहें नवजातों के लिए ये दूध आसानी से पचता नहीं था , दूसरे शब्दों में कहें तो इसे पाचन के लिए अनुपयुक्त माना जाता था।
हालांकि, सीएसआईआर-सीएफटीआरआई प्रौद्योगिकी ने साबित कर दिया कि सीएसआईआर की महत्वपूर्ण उपलब्धियां भैंस के दूध को पौष्टिक शिशु आहार में बदल दिया जा सकता है। इस उपलब्धि की बदौलत ही भारतीय डेयरी उद्योग को महत्वपूर्ण बढ़ावा मिला साथ ही शिशु खाद्य पदार्थों के निर्माण के लिए स्वदेशी तकनीक रखने की देश की आवश्यकता को पूरा करते हुए ये आगे बढ़ा । उत्पाद के लिए डीएल-मेथियोनीन के अलावा शिशु के इष्टतम विकास के लिए अपने पोषण प्रोफाइल को बढ़ाने में मदद मिली। सीएएसआईआर-सीएफटीआरआ की तरफ से लैक्टोज-फ्री, सोया-आधारित, हाइपोलेर्लैजेनिक शिशु आहार बनाने को लेकर भी विकास किया गया।
सीएसआईआर-सीएफटीआरआई ने प्रचलित खमीर कोशिकाओं या विशिष्ट एंजाइमों का उपयोग करके बच्चों के लिए कम लैक्टोज दूध के उत्पादन के लिए तकनीक विकसित की है, जो हाइड्रोलाज लैक्टोस को ग्लूकोस और गैलेक्टोस का उपयोग करके बनाया गया हैं । लैक्ट्युलोज’ युक्त शिशु फार्मूला भी विकसित किया गया है।जो विशेष रूप से कृत्रिम शिशु आहार के तौर पर बच्चों के लिए बनाया गया है , क्योंकि उन्हें लाभप्रद माइक्रोफ्लोरो की पर्याप्त वृद्धि नहीं होती है, जो मां के दूध में पाए जाते हैं।
स्वस्थ भोजन मसलन जो आसानी से पच सके , इसको मल्टैड अनाज / बाजरा और अंकुरित हरी चने से बनाया गया था। नया और प्रभावी दूध देने वाले खाद्य पदार्थों को तिलहनों और अलग प्रोटीनों से बनाये गये थे। ऐसा ही एक उत्पाद पूरे सोया आटे से और सूखे सोया प्रोटीन के साथ बनाया गया था। यह उत्पाद मैथियोनीन, विटामिन और खनिजों के साथ बनाया गया था, जो 26 फीसद प्रोटीन और 18% वसा से युक्त था ।
बच्चों के लिए भारत में 1966 में सीएसआईआर-सीएफटीआरआई द्वारा अमूल दूध विकसित और निर्मित किया गया था। उस समय यह दूध पाउडर भारत में बहुत लोकप्रिय हो गया। सीएसआईआर-सीएफटीआरआई के 1970 के दशक में वैज्ञानिकों ने पूरे सोया आटे बनाने के लिए एक और विधि विकसित की और कम लागत वाले प्रोटीन का खाना बनाया जो कि गेहूं और सोया के आटे का मिश्रण था । मिश्रण का फीसद था 70-30(70:30) रहा करता था।
बाल-अहार, एक सोया आहार का अनुपूरक था जिसमें सोया आटा, कपास वाले या मूंगफली का आटा और सूखी दूध को मिश्रित रूप से तौयार किया गया था । सोया आधारित आयातित भोजन को बदलने के लिए बनाया गया था। बाल-अहार को एक यूनेस्को परियोजना के हिस्से के रूप में विकसित किया गया था
सीएसआईआर-सीएफटीआरआई द्वारा विकसित पोषक तत्वों की खुराक के रूप में कई ऊर्जा पदार्थ, विभिन्न राज्यों के विभिन्न पोषण हस्तक्षेप कार्यक्रमों में विभिन्न सामाजिक कल्याणकारी परियोजनाओं में और आपदा राहत गतिविधियों के दौरान जरूरतमंदों को वितरित किए गए हैं।
चाहे वह नवजात शिशुओं के लिए हो या विशेष पौष्टिक जरूरतों वाले भोजन के लिए । शिशुओं को पूरक भोजन की आवश्यकता होती है, सीएसआईआर-सीएफटीआरआई प्रौद्योगिकियों ने कई तरह से भारतीय परिवार को छुआ है और ऐसा करना जारी रखेगा क्योंकि बच्चों के खाद्य इंडस्ट्री के साथ साथ सेवा भी करने की संभावना है ।
सीएसआईआर की महत्वपूर्ण उपलब्धियां
उमाशंकर मिश्र
इ स वर्ष भारतीय विज्ञान कांग्रेस में चर्चा का एक प्रमुख विषय यह था कि विश्व स्तर पर विज्ञान और इंजीनियरिंग में शोध पत्रों के प्रकाशन में भारत तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। हाल में जारी एक नई रैंकिंग में अब वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर) को भारत में सर्वाधिक शोध सीएसआईआर की महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्रकाशनों के लिए शीर्ष स्थान मिला है। नेचर रैंकिंग इंडेक्स-2020 में सीएसआईआर को पहले और भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बंगलूरू को दूसरे स्थान पर रखा गया है।
सीएसआईआर और आईआईएससी के अलावा देश के जिन शीर्ष दस संस्थानों को इस रैंकिंग में स्थान मिला है, उनमें टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान, मुंबई, होमी भाभा राष्ट्रीय संस्थान, मुंबई, आईआईटी-बॉम्बे, आईआईटी-मद्रास, इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ साइंस, कोलकाता, भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, कोलकाता, आईआईटी, गुवाहाटी और भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, पुणे शामिल हैं।
यह रैंकिंग भारत के विभिन्न शोध संस्थानों में 01 दिसंबर 2018 से 30 नवंबर 2019 के बीच कुल अनुसंधान के आधार पर की गई है। विज्ञान के जिन विषयों पर सबसे अधिक शोध प्रकाशन हुए हैं, उनमें पृथ्वी एवं पर्यावरण विज्ञान, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और जीवन विज्ञान शामिल हैं। यह रैंकिंग मशहूर शोध प्रकाशन समूह नेचर द्वारा जारी की गई है, जिसमें देशभर के 100 शीर्ष संस्थानों को शामिल किया गया है।
वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर) को भारत में सर्वाधिक शोध प्रकाशनों के लिए शीर्ष स्थान मिला है। नेचर रैंकिंग इंडेक्स-2020 में सीएसआईआर को पहले और भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बंगलूरू को दूसरे स्थान पर रखा गया है।
देशभर में सीएसआईआर की 38 प्रयोगशालाओं में करीब 4600 वैज्ञानिक सक्रिय रूप से करते हैं, जिन्हें लगभग 8000 वैज्ञानिक एवं तकनीकी कार्मिकों की सहायता प्राप्त है। यह संस्थान रेडियो और अंतरिक्ष भौतिकी, महासागर विज्ञान, भू-भौतिकी, रसायन, औषधि, जीनोमिकी, जैव प्रौद्योगिकी, नैनो प्रौद्योगिकी, खनन, वैमानिकी, उपकरण निर्माण, पर्यावरणीय इंजीनियरिंग तथा सूचना प्रौद्योगिकी समेत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विभिन्न विषयों व क्षेत्रों में कार्य कर रहा है। सीएसआईआर प्रतिवर्ष औसतन लगभग 200 भारतीय पेटेंट और 250 विदेशी पेटेंट फाइल करता है।
सीएसआईआर सोसायटी की हाल में आयोजित एक बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संस्थान के कार्यों की सराहना करते हुए वैज्ञानिकों को 5जी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जल संरक्षण, किसानों की समृद्धि से लेकर कुपोषण और नवीकरणीय ऊर्जा भंडारण के लिए सस्ती एवं टिकाऊ बैटरी के निर्माण जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया है। सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. शेखर सी. मांडे ने इस संस्थान की उपलब्धियों पर खुशी व्यक्त करते हुए अपने सीएसआईआर की महत्वपूर्ण उपलब्धियां ट्वीट लिखा है कि लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए सीएसआईआर के वैज्ञानिक हमेशा तत्पर हैं।
वर्ष 2018 में 1.35 लाख से अधिक शोध प्रकाशनों के साथ भारत वैश्विक स्तर पर चीन और अमेरिका के बाद तीसरे स्थान पर था। बताया जाता है कि इस वृद्धि में कई कारकों ने योगदान दिया है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यह है कि वैज्ञानिक संस्थानों ने अंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों पर अधिक ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया है।
इंडिया साइंस वायर
लेखक यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड में वायुमंडलीय एवं महासागर विज्ञान और पृथ्वी प्रणाली विज्ञान के प्रोफेसर हैं। वर्तमान में आईआईटी, मुबई में अतिथि प्रोफेसर हैं।
Year Ender 2022: भारत का आयुर्वेद बन रहा ग्लोबल, 2022 की ये रहीं उपलब्धियां
हमारे देश में आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली के तहत लोगों का इलाज वर्षों से होता आया है। आयुर्वेद को चिकित्सा की सबसे प्राचीन और अच्छी तरह से परखी हुई प्रणाली माना जाता है। भारत की इस पौराणिक चिकित्सा प्रणाली के लिए वर्ष 2022 भी ऐतिहासिक वर्ष रहा। आयुष मंत्रालय ने न केवल राष्ट्रीय बल्कि वैश्विक स्तर पर अपनी सीएसआईआर की महत्वपूर्ण उपलब्धियां दृष्टि और मिशन को मजबूती और प्रभावी ढंग से सुदृढ़ किया। यह वर्ष विश्व स्तर पर भारतीय परंपरा चिकित्सा के प्रचार-प्रसार के लिए युगांतरकारी रहा है। इसके अलावा, आयुष हेल्थ केयर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, रिसर्च कोलैबोरेशन, वन नेशन वन हर्ब इनिशिएटिव, एक्सपोर्ट प्रमोशन मैकेनिज्म, एजुकेशनल रिफॉर्म्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इन ट्रेडिशनल मेडिसिन के इस्तेमाल के क्षेत्र में उपलब्धियां इस साल काफी ध्यान देने योग्य रही हैं।
भारत में बनेगा पहला WHO – GCTM
देश में पारंपरिक औषधि सेक्टर को बढ़ावा देने की दिशा में भारत में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर सीएसआईआर की महत्वपूर्ण उपलब्धियां ट्रेडिशनल मेडिसिन की स्थापना होने जा रही है। पीएम मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के बीच एक मेजबान देश समझौते को मंजूरी दे दी है। ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (WHO – GCTM) अपनी तरह का पहला और एकमात्र केंद्र जामनगर, गुजरात में आकार ले रहा है। पीएम मोदी के द्वारा आधारशिला रखने के साथ इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ था। अप्रैल 2022 में मॉरीशस के प्रधानमंत्री और डीजी-डब्ल्यूएचओ की उपस्थिति और गुजरात में आईटीआरए, जामनगर में एक अंतरिम कार्यालय कार्यात्मक बना। WHO-GCTM वैश्विक स्वास्थ्य और सतत विकास के लिए पारंपरिक चिकित्सा के योगदान को अनुकूलित करने के लिए साक्ष्य और सीखने, डेटा और विश्लेषण, स्थिरता और इक्विटी, और नवाचार और प्रौद्योगिकी पर रणनीतिक ध्यान केंद्रित करेगा।
पहला ग्लोबल आयुष इन्वेस्टमेंट एंड इनोवेशन समिट हुआ आयोजित
आयुष मंत्रालय ने इतिहास रचते हुए अप्रैल में गुजरात के सीएसआईआर की महत्वपूर्ण उपलब्धियां गांधीनगर में पहला ग्लोबल आयुष इन्वेस्टमेंट एंड इनोवेशन समिट (GAIIS) 2022 का आयोजन किया जो FMCG, मेडिकल वैल्यू ट्रैवल (हील इन इंडिया), फार्मा, टेक्नोलॉजी एंड डायग्नोस्टिक और फार्मर्स एंड एग्रीकल्चर जैसी प्रमुख श्रेणियों में 9000 करोड़ रुपए से अधिक के लेटर ऑफ इंटेंट का गवाह बना। आयुष क्षेत्र में इस पैमाने के पहले मेगा इवेंट ने अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय संस्थानों और विभिन्न अन्य क्षेत्रों के साथ समझौतों की सुविधा प्रदान की, वित्तीय विचारों को बढ़ावा दिया, आपसी अनुसंधान और वैश्विक स्तर पर आयुष की पहुंच बढ़ाई।
आयुष हेल्थ केयर इंफ्रास्ट्रक्चर हुआ मजबूत
आयुष हेल्थ केयर इंफ्रास्ट्रक्चर और संस्थानों के निर्माण के मामले में वर्ष 2022 को एक ऐतिहासिक वर्ष के रूप में चिह्नित किया जा सकता है। आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी में तीन राष्ट्रीय आयुष संस्थानों का उद्घाटन पीएम मोदी द्वारा दिसंबर में गोवा से विश्व आयुर्वेद कांग्रेस के समापन समारोह के दौरान किया गया था। इसमें गोवा में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, गाजियाबाद में राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान और दिल्ली में राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान शामिल रहा। ये संस्थान सामूहिक रूप से गुणवत्तापूर्ण मानव संसाधन और प्रशिक्षित आयुष पेशेवरों की उपलब्धता का एक पूल तैयार करेंगे। इन संस्थानों के माध्यम से यूजी, पीजी और पीएचडी पाठ्यक्रमों के लिए 400 अतिरिक्त सीटें उपलब्ध कराई जाएंगी और मरीजों की देखभाल के लिए 550 और बेड जोड़े जाएंगे।
यूनानी चिकित्सा के लिए नया परिसर
इससे पहले वर्ष में नवी मुंबई के खारघर में आयुष भवन परिसर का पीएम मोदी ने उद्घाटन किया गया था, जिसमें सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन होम्योपैथी (CCRH) के तहत रीजनल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ होम्योपैथी (RRIH) और सेंट्रल काउंसिल के तहत रीजनल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ यूनानी मेडिसिन (RRIUM) होगा। यूनानी चिकित्सा में अनुसंधान के लिए (सीसीआरयूएम)। केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने लेह के साबू थांग इलाके में राष्ट्रीय सीएसआईआर की महत्वपूर्ण उपलब्धियां सोवा-रिग्पा संस्थान (एनआईएसआर) के नए परिसर की आधारशिला भी रखी।
‘वन हर्ब, वन स्टैंडर्ड’ के उद्देश्य को बढ़ावा
फार्माकोपिया कमीशन फॉर इंडियन मेडिसिन एंड होम्योपैथी (PCIM&H) और इंडियन फार्माकोपिया कमीशन (IPC) के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के साथ “वन हर्ब, वन स्टैंडर्ड” के सहयोग और सुविधा को प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया था। यह सामंजस्य “वन हर्ब, वन स्टैंडर्ड एंड वन नेशन” के उद्देश्य को पूरा करेगा और भारत में व्यापार करने में आसानी में सुधार कने के साथ-साथ भारतीय वनस्पति विज्ञान के सीएसआईआर की महत्वपूर्ण उपलब्धियां समग्र व्यापार में भी सुधार करेगा। इससे पारंपरिक चिकित्सा के मानकीकरण के क्षेत्र में सूचनाओं के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए सहयोग को और बढ़ावा मिलेगा।
साक्ष्य आधारित अनुसंधान पर फोकस
आयुष मंत्रालय का ध्यान सभी आयुष प्रणालियों में साक्ष्य आधारित अनुसंधान पर रहा है। आयुष में विभिन्न हितधारकों द्वारा व्यापक शोध कार्यों के विशाल भंडार में लगभग 40,000 शोध प्रकाशन शामिल हैं। आयुष अनुसंधान पोर्टल इसे सूचीबद्ध करता है और साक्ष्य आधारित आयुष प्रणालियों और शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों के तैयार समाधान को प्रदर्शित करता है। सीएसआईआर की महत्वपूर्ण उपलब्धियां जीनोम अनुक्रम के साथ आयुर्वेद प्रकृति के संबंध में इंस्टीट्यूट ऑफ जिनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) सीएसआईआर द्वारा महत्वपूर्ण शोध किया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2022
COVID-19 महामारी के कारण 2 साल के अंतराल के बाद भौतिक रूप में लौटा। आईडीवाई 2022 की थीम ‘मानवता के लिए योग’ थी और यह संस्करण पूरी दुनिया में मानवता की सेवा करने और कोविड से पहले और बाद में लोगों की पीड़ा को कम करने में योग के महत्व और योगदान पर प्रकाश डालता है। मुख्य कार्यक्रम मैसूर पैलेस, मैसूर में आयोजित किया गया था जिसमें पीएम मोदी सामूहिक योग प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे। इस वर्ष कई नई पहलें देखी गईं, ‘गार्जियन रिंग’ कार्यक्रम, जो 79 देशों और संयुक्त राष्ट्र संगठनों के साथ-साथ विदेशों में भारतीय मिशनों के बीच योग की एकीकृत शक्ति को प्रदर्शित करने के लिए सहयोगी अभ्यास था जो राष्ट्रीय सीमाओं को पार करता है। “आजादी का अमृत महोत्सव” को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के समारोह के साथ जोड़ते हुए देश भर में 75 प्रतिष्ठित स्थानों पर सामूहिक योग प्रदर्शन आयोजित किए गए।
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