इससे पिछले कारोबारी सत्र में रुपया 82.49 प्रति डॉलर के भाव पर बंद हुआ था।

रुपए में गिरावट के लिए उद्योग तैयार

मुंबईः अमेरिकी डॉलर के मुकाबले स्थानीय मुद्रा घटकर 80 रुपए पर पहुंचने के बाद भारतीय कंपनियां इससे बचने की तैयारी कर रही हैं। जिन कंपनियों के पास निर्यात से होने वाली आमदनी जैसे प्राकृतिक बचाव नहीं हैं, वे फॉरवर्ड कवर की कवायद में हैं, क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि अगले एक साल तक रुपए में धीरे-धीरे गिरावट आएगी और यह डॉलर के मुकाबले 86-87 तक पहुंच जाएगा।

सीएफओ कंपनियों को सुझाव दे रहे हैं कि लघु और मध्यम अवधि के हिसाब से वे अपने जोखिम के आधार पर सही तरह के डेरिवेटिव उत्पाद लें। इंटरनैशनल फाइनैंस पर शीर्ष कंपनियों के एक सलाहकार प्रबाल बनर्जी ने कहा, ‘अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा जैसे ही दरों में बढ़ोतरी खत्म कर दी जाएगी और बाजार द्वारा छूट दी जाएगी, अमेरिकी इक्विटी बाजार बढ़ना शुरू हो जाएगा। निवेशक भारत से अपनी पूंजी अमेरिका में डालना शुरू कर देंगे और इससे आगे रुपए में और गिरावट आएगी।

भारतीय रुपये में गिरावट जारी, डॉलर की कीमत पहली बार 81 रुपये से पार

भारतीय रुपये में गिरावट जारी, डॉलर की कीमत पहली बार 81 रुपये से पार

डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में गिरावट जारी है। शुक्रवार को गिरावट के साथ इतिहास में पहली बार एक डॉलर की कीमत 81 रुपये से ज्यादा पहुंच गई। गुरुवार को सबसे कमजोर स्तर पर बंद होने के बाद शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में रुपया 39 पैसे टूटा। इससे डॉलर की कीमत 81.18 रुपये हो गई। गुरुवार को रुपये की हालत देखते हुए ये कयास लगाए जा रहे थे कि शुक्रवार को इसमें और गिरावट आ सकती है।

जानकार क्या कह रहे हैं?

जानकारों का कहना है कि फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों में बढ़ोतरी और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से उचित हस्तक्षेप की कमी के चलते रुपये में गिरावट देखी जा रही है। कुछ समय तक बेहतर प्रदर्शन के बाद गुरुवार को एशियाई मुद्रा में रुपये सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज करने वाली मुद्रा रही। शुक्रवार को भारतीय मुद्रा के साथ-साथ ऑस्ट्रेलियाई मुद्रा और न्यूजीलैंड डॉलर में गिरावट देखी जा रही है।

विदेशी मुद्रा कारोबारियों का कहना है कि फेडरल रिजर्व गिरावट की मुद्रा की तरफ से दरें बढ़ने और यूक्रेन में जारी युद्ध के चलते निवेशक जोखिम नहीं उठा रहे हैं। दूसरी तरफ अमेरिकी मुद्रा की मजबूती, शेयर बाजार में गिरावट और कच्चे तेल के दाम भी रुपये की कीमत पर असर डाल रहे हैं। कई जानकार मान रहे हैं कि घरेलू अर्थव्यवस्था में मजबूती आने के बाद भी रुपये में गिरावट का दौर जारी रह सकता है।

इस साल करीब 8.50 प्रतिशत टूट चुका है रुपया

भारतीय रुपया आज के शुरुआती कारोबार में 81.03 प्रति डॉलर पर खुला था और इसके बाद यह इतिहास में अपने सबसे कमजोर स्तर पर पहुंच गया। गुरुवार को यह 80.87 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। इस हिसाब में रुपये में 0.35 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई। पिछले आठ सत्रों में से सात में रुपये में कमजोरी आई है। वहीं इस साल की बात करें तो भारतीय मुद्रा 8.48 प्रतिशत कमजोर हो चुकी है।

रुपये के कमजोर होने का मतलब है कि अब भारत को विदेश से पहले जितना माल खरीदने पर अधिक पैसा खर्च करना पड़ेगा। आयातित सामान के महंगा होने का सीधा गिरावट की मुद्रा असर लोगों की जेब पर भी पड़ेगा। महंगाई बढ़ने पर रेपो रेट में भी इजाफा होगा और बैंकों से मिलने वाला ऋण महंगा हो जाएगा। इसके अलावा रुपये के गिरने पर इक्विटी बाजारों में तेज गिरावट होती है और शेयर और इक्विटी म्यूचुअल फंड निवेश में कमी आती है।

डॉलर के मुकाबले रुपये में अबतक की सबसे बड़ी गिरावट, रुपया गिरने का मतलब क्या है, आम आदमी को इससे कितना नफा-नुकसान

भारतीय मुद्रा

भारतीय मुद्रा

अपूर्वा राय

  • नई दिल्ली,
  • 30 जून 2022,
  • (Updated 30 जून 2022, 3:06 PM IST)

एक अमेरिकी डॉलर 79.04 रुपये का हो गया है,

भारतीय रुपये (Indian Rupee) में गिरावट का सिलसिला लगातार जारी है. अमेरिकी डॉलर (Dollar) की तुलना में रुपया अपने रिकॉड निचले स्तर पर है. मतलब एक अमेरिकी डॉलर की कीमत 79.04 रुपये पहुंच गया है. यह स्तर अब तक का सर्वाधिक निचला स्तर है. देश की आजादी के बाद से ही रुपये की वैल्यू लगातार कमजोर ही हो रही है. भले ही रुपये में आने वाली ये गिरावट आपको समझ में न आती हो या आप इसे गंभीरता से ना लेते हों, लेकिन हमारे और आपके जीवन पर इनका बड़ा असर पड़ता है.गिरावट की मुद्रा

आपके और हमारे लिए रुपया गिरने का क्या अर्थ है? रुपये की गिरती कीमत हम पर किस तरह से असर डालती है. आइए गिरावट की मुद्रा जानते हैं.

क्या होता है एक्सचेंज रेट

दो करेंसी के बीच में जो कनवर्जन रेट होता है उसे एक्सचेंज रेट या विनिमय दर कहते हैं. यानी एक देश की करेंसी की दूसरे देश की करेंसी की तुलना में वैल्यू ही विनिमय दर कहलाती है. एक्सचेंज रेट तीन तरह के होते हैं. फिक्स एक्सचेंज रेट में सरकार तय करती है कि करेंसी का कनवर्जन रेट क्या होगा. मार्केट में सप्लाई और डिमांड के आधार पर करेंसी की विनिमय दर बदलती रहती है. अधिकांश एक्सचेंज रेट फ्री-फ्लोटिंग होती हैं. ज्यादातर देशों में पहले फिक्स एक्सचेंज रेट था.

रुपया 27 पैसे की गिरावट के साथ गिरावट की मुद्रा 82.76 प्रति डॉलर पर

नवभारत टाइम्स लोगो

नवभारत टाइम्स 6 दिन पहले

मुंबई, 15 दिसंबर (भाषा) अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया बृहस्पतिवार को 27 पैसे की गिरावट के साथ 82.76 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में वृद्धि के साथ उसके आक्रामक रुख के कारण निवेशकों की कारोबारी धारणा प्रभावित होने से रुपये की धारणा प्रभावित हुई।

बाजार सूत्रों ने कहा कि घरेलू शेयर बाजार में भारी बिकवाली और डॉलर के मजबूत होने से भी रुपया प्रभावित हुआ।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 82.63 के स्तर पर काफी कमजोर खुला और कारोबार के अंत में यह 27 पैसे की गिरावट के साथ 82.76 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान रुपये ने 82.41 के उच्चस्तर और 82.77 के निचले स्तर को छुआ।

कोरोनावायरस का असर: महामारी से जूझ रहे अमेरिका की मुद्रा डॉलर में बड़ी गिरावट, डॉलर इंडेक्स दो साल के निचले स्तर 92.36 पर आया

अन्य मुद्राओं के मुकाबले डॉलर का वैल्यू दिखाने वाला डॉलर इंडेक्स मई 2018 के बाद सबसे निचले स्तर पर आ गया है - Dainik Bhaskar

डॉलर इंडेक्स में मंगलवार को लगातार पांचवें दिन गिरावट की मुद्रा गिरावट दर्ज की गई। यह इंडेक्स अन्य प्रमुख मुद्राओं के बास्केट के मुकाबले डॉलर के वैल्यू का दिखाता है। इस साल डॉलर इंडेक्स में करीब 4.2 फीसदी की गिरावट आई है।

मार्च से ही गिर रहा है डॉलर

डॉलर में मार्च से ही गिरावट चल रही है, जब अमेरिका में कोरोनावायरस महामारी ने पांव पसारना शुरू किया था और देश में बड़े पैमाने पर लॉकडाउन लगाया गया था। गर्मियों में डॉलर में और ज्यादा गिरावट आई, क्योंकि इकोनॉमी को खोलने से संक्रमण फिर तेजी से बढ़ने लगा। आशंका है कि आगे डॉलर में और गिरावट आएगी, क्योंकि अमेरिका में नई राहत योजना पर सहमति नहीं बन पा रही है और महामारी का कहर जारी है।

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