आपको कोरोना वायरस महामारी के दौरान बचत करनी चाहिए या निवेश करना चाहिए?
जैसे कि हम लॉकडाउन के तहत अपने-अपने घरों में बैठे है, दुनिया को एक कोरोना वायरस की महामारी से जूझते और लड़ते हुए देख रहे है, ग्लोबल दुनिया की अर्थव्यवस्था और शेयर बाज़ार भी भीषण सफलता को प्राप्त कर रहे है׀
Table of Contents |
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क्या होगा यदि हम इस कोरोना वायरस के दौरान निवेश करे? |
क्या हो यदि हम इस कोरोना वायरस महामारी के दौरान बचत करें? |
इस महामारी के दौरान घबराहट से कैसे बचें ? |
पिछले कुछ महीनों में बाज़ार ने नये नीचले स्तरों को छुआ है׀
जैसे जितने ज्यादा राष्ट्र इस बीमारी का सामना करने कि कोशिश कर रहे है, इससे विश्व की अर्थव्यवस्था का भविष्य बहुत ही अनिश्चित और अस्थिर है׀
इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए, एक आवश्यक प्रश्न है जो इन हालातों में हम सबके दिमाग में आता है- क्या हमें इस महामारी के दौरान बचत करनी चाहिए या निवेश करना चाहिए?
तो, वर्तमान स्थिति को देखते हुए, हमें क्या करना चाहिए?
क्या होगा यदि हम इस कोरोना वायरस के दौरान निवेश करे?
बार- बार हर समय, भारत ने दुनिया की सबसे बड़ी ग्लोबल मंदी का सामना किया है और इससे उबरा भी है׀
अब, जैसे कि हम इसके जैसी एक और स्थिति का सामना कर रहे है, हमें यह भी ध्यान में रखना चाहिए की यह समय भी निकल जाएगा׀
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इसके साथ ही, बाज़ार में किसी भी प्रकार के निवेश से पहले, हमें बाज़ार की वर्तमान अस्थिरता को भी ध्यान में रखना होगा׀
दुनिया भर के बाज़ार इस महामारी के परिणामों का सामना करने के लिए मजबूर है जब तक कि भारत और कुछ अन्य देश आशाजनक लाभ नहीं दिखा देते׀
इसके अलावा, कुछ क्षेत्र ऐसे भी है जो इस महामारी के बाद नुकसान झेलेंगे या लाभ कमाएँगे׀
तो इसीलिए यदि आप किसी भी क्षेत्र में निवेश करने कि योजना बना रहे है, तो उपरोक्त ब्लॉग पर अवश्य एक नज़र डाले׀
क्या हो यदि हम इस कोरोना वायरस महामारी के दौरान बचत करें?
यह देखते हुए कि हम सभी एक संकट का सामना कर रहे है, इस समय पैसे की बचत करना सबसे अच्छा होगा- फिर चाहे वो आपूर्तियों के लिए हो, हॉस्पिटल के बिल के लिए या फिर हमारी सामान्य जरूरतों के लिए हो׀
जैसा की हमने पहले भी बताया है, कि किसी भी प्रकार के निवेश के लिए निर्णय लेना ठीक नहीं होगा वो भी जब आप अच्छे रिटर्न और धन-सृजन (बचत) की उम्मीद कर रहे है׀
हममें से बहुत से लोग शेयर बाज़ार को छोड़कर अपने पैसे को विभिन्न बचत योजनाओं में डाल सकते है, लेकिन यह बहुत अधिक लाभ नहीं देगा׀
इसीलिए, इस समय, यदि आप अपने पूरे धन को आपातकालीन स्थिति के लिए रखे तो बहुत ही अच्छा होगा׀
इस महामारी के दौरान घबराहट से कैसे बचें ?
जैसा कि हम उपर दर्शाए गए बातों से देख सकते है, यह बात साफ़ है कि बाज़ार कि स्थिति निवेश करने के लिए जरा मुश्किल है׀
बाज़ार की यह स्थिति में यह समय सीखने और आत्मनिरिक्षण करने का है, न कि सीधे लाभ कमाने के लिए निवेश करने का׀
यदि आप एसआईपी के द्वारा बाज़ार में निवेश करते है, आपको उन्हें होल्ड पर नहीं रखना चाहिए, लेकिन यदि आपको और लिक्विड एसेट कि आवश्यकता है तो किसी भी बड़े निवेश के निर्णय को समझदारी से ध्यानपूर्वक लेने कि आवश्यकता है या हो सके तो ऐसे निर्णय लेने से बचे׀
भले ही हम अपने घरों में सुरक्षित रह रहे है, लेकिन हम इस बात को झुटला नहीं सकते की हम सभी इस समय बहुत बुरी आपातकाल स्थिति में रह रहे है׀
कोरोना वायरस में निवेश या बचत के बारे में अधिक जानने के लिए यह वीडियो देखें –
कोई फर्क नहीं पड़ता कि स्थिति कैसी है, पैसे की बचत ने हमेशा हमारे बुरे समय में हमें सहारा ही दिया है׀ और लम्बे समय में, निवेश हमेशा किसी भी महामारी कि स्थिति से उबरने में सहायता ही करेगा׀
इस प्रश्न पर कि “क्या आपको महामारी के दौरान बचत करनी चाहिए या निवेश करना चाहिए?” आपका क्या निर्णय है यह जानने में हमारी मदद करें, इस वर्तमान परिस्थिति में आप कौन सा सुझाव देंगे- बचत या निवेश?
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इन म्यूचुअल फंड्स ने केवल 3.5 साल में दोगुना किया निवेशकों का पैसा, क्या आपको भी करना चाहिए निवेश?
क्ववांट टैक्स प्लान में 5 साल में 22 फीसदी का सीएजीआर दिया है.
इन म्यूचुअल फंड्स ने 5 साल में 20 फीसदी या उससे अधिक का सीएजीआर (कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट) दर्ज किया है. अगर किसी निवेशक . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : October 09, 2022, 07:50 IST
हाइलाइट्स
निवेश सलाहकार निधि मनचंदा के अनुसार, इन फंड्स ने रिस्क को अच्छे से मैनेज किया है.
उनका कहना है कि इन फंड्स का रिस्क एडजेस्टेड रिटर्न बहुत अधिक है.
बता दें कि क्वांट म्यूचुअल फंड्स की स्कीम्स ने 5 साल में लगभग सभी फंड्स से बेहतर रिटर्न दिया है.
नई दिल्ली. म्यूचुअल फंड बगैर फंड मैनेजमेंट की चिंता किए निवेश से बेहतर रिटर्न कमाने का अच्छा तरीका होते हैं. कई फंड ऐसे होते हैं जो बहुत कम समय में निवेश का पैसा दोगुना या अधिक कर देते हैं. ऐसा ही फंड है क्वांट म्यूचुअल फंड. इसकी 4 स्कीम्स क्वांट टैक्स प्लान, क्वांट एक्टिव फंड, क्वांट स्मॉल कैप फंड और क्वांट मिड कैप फंड पिछले 5 साल में रिटर्न देने के मामले में हर इक्विटी फंड से आगे रहे हैं. इन म्यूचुअल फंड्स ने 5 साल में 20 फीसदी या उससे अधिक का सीएजीआर (कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट) दर्ज किया है.
5 साल में क्वांट टैक्स प्लान ने 22 फीसदी, क्वांट स्मॉल कैप फंड ग्रोथ ने 21.50 फीसदी और क्वांट मिड कैप फंड ग्रोथ प्लान ने 20 फीसदी का सीएजीआर दिया है. प्रोफिशिएंट इक्विटीज के संस्थापक क्या आपको भी निवेश करना चाहिए? एवं निदेशक मनोज डालमिया ने कहा है कि क्वांट म्यूचुअल फंड सदाबहार इक्विटी म्यूचुअल फंड हैं और इसके 4 प्लांस ने अपने निवेशकों को 20 फीसदी या उससे ज्यादा का रिटर्न दिया है. इसका मतलब है कि इन फंड्स ने निवेशकों का पैसा केवल 3.5 साल में दोगुना कर दिया है.
निवेश पर कितना मिला रिटर्न?
अगर किसी निवेशक ने 5 साल पहले क्वांट टैक्स प्लान में 1 लाख रुपये का निवेश किया होता तो उसकी ये रकम दोगुनी से अधिक होकर 2.71 लाख रुपये हो गई होती. क्वांट एक्टिव फंड में 1 लाख रुपये निवेश करने वालों की रकम भी बढ़कर इतनी ही हो गई होती. वहीं, क्वांट स्मॉल कैप फंड में 1 लाख रुपये निवेश करने वालों की रकम 5 साल में बढ़कर 2.60 लाख रुपये हो गई होती. इसके अलावा क्वांट मिड कैप में अगर 5 साल पहले किसी ने एक लाख रुपये लगाए होते तो उसकी रकम बढ़कर 2.55 लाख रुपये हो गई होती.
क्या आपको करना चाहिए निवेश?
फिनटू में रिसर्च एंड डेवलपमेंट की ट्रेनिंग प्रमुख निधि मनचंदा कहती हैं कि क्वांट म्यूचुअल फंड्स ने रिस्क को काफी अच्छे से संभाला है और साथ ही निवेशकों को जबरदस्त रिटर्न भी दिया है. उन्होंने कहा कि इसका रिस्क एडजेस्टेड रिटर्न काफी अधिक है. साथ ही फंड ने गिरावट के रिस्क को भी काफी बेहतर तरीके से मैनेज किया है. निधि मनचंदा ने इन बातों को आधार बनाते हुए कहा है कि निवेशकों को क्वांट म्यूचुअल फंड की इन स्कीम्स में पैसा लगाना चाहिए.
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क्या आपको नई टैक्स व्यवस्था के तहत ELSS में निवेश करना चाहिए?
1 अप्रैल 2020 से प्रभावी नई टैक्स व्यवस्था व्यक्तिगत और HUF करदाताओं को कुछ छूटों को छोड़ने पर टैक्स की कम दर और छूट प्राप्त करने पर टैक्स की अधिक दर (पुरानी टैक्स व्यवस्था) के बीच चुनाव करने का विकल्प प्रदान करती है। हो सकता है नई टैक्स व्यवस्था सभी के अनुकूल न हो। निर्णय लेने के लिए करदाताओं को पुरानी और नई व्यवस्था, दोनों के तहत होने वाली टैक्स बचत का मूल्यांकन करना होता है।
होम या एजुकेशन लोन, टैक्स कटौती योग्य जीवन बीमा पॉलिसियाँ, 15 लाख से ज़्यादा वेतन वाले करदाताओं या उनके लिए जो छूटों के माध्यम से बहुत ज़्यादा बचत कर सकते हैं, पुरानी व्यवस्था अधिक उपयुक्त हो सकती है इसलिए ये करदाता पुरानी व्यवस्था के तहत टैक्स बचाने के लिए ELSS में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं। नई व्यवस्था निश्चित रूप से आपको बहुत सारी कागज़ी कार्रवाई से बचाती है जो साल के अंत में निवेश के प्रमाण जमा करने के संबंध में करनी पड़ती है लेकिन पुरानी व्यवस्था भी निवेश और बचत से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लेने में आपकी मदद करती है। यह आपको सालाना तौर पर ये निवेश या बचत करने के लिए मजबूर करती है चाहे वह ELSS, पेंशन योजना या PPF हो। हो सकता है कुछ करदाता पहले से ही ELSS में SIPs कर रहे हों। उन्हें अपनी SIPs बंद करने से पहले दोनों व्यवस्थाओं के तहत टैक्स लाभ का मूल्यांकन करना चाहिए।
कौन सी टैक्स व्यवस्था ज़्यादा टैक्स बचाने में आपकी मदद करेगी, यह पूरी तरह से आपकी आय और वेतन संरचना पर निर्भर करेगा? अगर आप दोनों व्यवस्थाओं के तहत खुद अपनी टैक्स की देनदारी का हिसाब लगाने में असमर्थ हैं तो आपको किसी टैक्स सलाहकार से सलाह लेनी चाहिए। इस तरह की तुलना केवल ELSS में निवेश जारी रखने के आपके निर्णय में आपका मार्गदर्शन कर सकती है जो न केवल टैक्स बचाने में मदद करता है बल्कि आपको इक्विटीज़ के बढ़ने की क्षमता पेश करता है। भले ही नई टैक्स व्यवस्था आपके लिए बेहतर हो, फिर भी पैसा बनाने के नज़रिए से आप ELSS में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं। अगर आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जो अस्थिर बाज़ार में रकम निकालता है, तो लॉक-इन अवधि निवेश में बने रहने और छोटी अवधि में अस्थिरता से गुज़रने में आपकी मदद करेगी। क्योंकि ELSS फंड्स में 3 साल की लॉक-इन अवधि होती है, इसलिए अगर आप आज निवेश करते हैं, तो एकमुश्त निवेश की स्थिति में आप केवल 3 साल बाद ही अपनी रकम निकाल सकते हैं। लॉक-इन अवधि हर SIP भुगतान पर भी लागू होती है। अगर आप 12 महीने में निवेश की गई रकम निकालना चाहते हैं, तो आपको SIP की आख़री किश्त के 3 साल पूरे होने तक इंतज़ार करना होगा।
क्या आपको निवेश करना शुरू करना चाहिए?
आइए सबसे मूलभूत सवाल से शुरुआत करें। क्या आपको निवेश शुरू करना चाहिए?
क्या आपको निवेश शुरू करना चाहिए? आर्थिक सुरक्षा के लिए निवेश एक अहम कदम है। जब आप जवान होते हैं, तो जीवन अपार संभावनाओं से भरा होता है। आपके कई सपने होते हैं- गाड़ी, मकान, मज़ेदार छुट्टियाँ और ना जानें क्या क्या! निवेश आपको इन्ही सब सपनों को पूरा करने में मदद करता है। क्योंकि निवेश आपकी संपत्ति को बढ़ाता है। अगर ठीक तरह से किया जाए, तो आज किया गया छोटा निवेश आपको भविष्य में बड़ा मुनाफा दे सकता है। लेकिन, सही निवेश कैसे करें? इसके लिए वित्तीय बाज़ारों की समझ होना ज़रूरी है जो शायद, बहुत मुश्किल लग सकता है। लेकिन चिंता ना करें, हम हैं ना! एंजेल ब्रोकिंग के स्मार्ट मनी पर निवेश और धन प्रबंधन के बारे में पढ़ें और अपने सपनों को पूरा करें।
भारत में निवेश: कब और .
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किसी भी प्रश्न के लिए, कृपया नीचे दिए गए विवरण पर हमसे संपर्क करें 080-47480048
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Sovereign Gold Bond: क्या आपको इस गोल्ड स्कीम में निवेश करना चाहिए?
इनवेस्टर्स को बॉन्ड 30 अगस्त को जारी कर दिए जाएंगे। ये बॉन्ड 8 साल में मैच्योर होंगे। पांच साल के बाद इनवेस्टर के पास इंटरेस्ट पेमेंट की तारीख पर इसे सरेंडर करने का ऑप्शन होगा
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) स्कीम निवेश के लिए 22 अगस्त (सोमवार) को खुल गई है। यह इस फाइनेंशियल ईयर (2022-23) का एसजीबी का दूसरा इश्यू है। इंटरनेशनल मार्केट में गोल्ड की कीमतों में गिरावट आई है। इसके बावजूद गोल्ड में निवेश की अहमियत कम नहीं हुई है। विकसित देशों में मंदी का आशंका, हाई इनफ्लेशन और इंटरेस्ट रेट में वृद्धि को देखते हुए सोने में निवेश का महत्व बढ़ गया है।
26 अगस्त तक किया जा सकता है निवेश
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में 26 अगस्त (शुक्रवार) तक निवेश किया जा सकता है। इनवेस्टर्स को बॉन्ड 30 अगस्त को जारी कर दिए जाएंगे। ये बॉन्ड 8 साल में मैच्योर होंगे। पांच साल के बाद इनवेस्टर के पास इंटरेस्ट पेमेंट की तारीख पर इसे सरेंडर करने का ऑप्शन होगा।
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हर बॉन्ड का मूल्य एक ग्राम सोने के बराबर
हर बॉन्ड एक ग्राम गोल्ड के प्राइस को ट्रैक करेगा। इनवेस्टर को ये बॉन्ड 5,197 रुपये की दर से जारी किए जाएंगे। डिजिटल तरीके से पेमेंट करने पर प्रति ग्राम 50 रुपये का डिस्काउंट मिलेगा। इस बॉन्ड पर सालाना 2.5 फीसदी इंटरेस्ट मिलेगा। इंटरेस्ट का पेमेंट हर छह महीने पर होगा।
इंटरेस्ट अमाउंट पर टैक्स चुकाना होगा
इनवेस्टर को बॉन्ड से मिलने वाले इंटरेस्ट पर टैक्स चुकाना होगा। रिडेम्प्शन के समय सोने की बाजार में जो कीमत होगी, उसके क्या आपको भी निवेश करना चाहिए? हिसाब से इनवेस्टर को बतौर मैच्योरिटी वैल्यू पेमेंट कर दी जाएगी। मैच्योरिटी तक बॉन्ड को रखने पर इनवेस्टर को किसी तरह का कैपिटल गेंस टैक्स नहीं चुकाना होगा। चूंकि इस बॉन्ड की ट्रेडिंग स्टॉक एक्सचेंजों पर होगी, जिससे इनवेस्टर के पास इसे बेचने का विकल्प होगा।
सोने की कीमतों में आई है गिरावट
सॉवरेन गारंटी और साल में दो बार इंटरेस्ट का पेमेंट SGB को इनवेस्टमेंट का अट्रैक्टिव ऑप्शन बनाते हैं। लेकिन, इनवेस्टर्स को याद रखना होगा कि इसका अंडरलाइंग एसेट गोल्ड है। गोल्ड की कीमतों में गिरावट आई है। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद 8 मार्च को गोल्ड का प्राइस 54,150 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया था। तब इनवेस्टर्स इस युद्ध के अंजाम को लेकर चिंतित थे। उसके बाद से सोने की कीमतों में गिरावट का रुख है।
ब्रोकरेज फर्म प्रभुदास लीलाधर के कमोडिटी एवं करेंसी रिसर्च एनालिस्ट मेघ मोदी ने कहा कि एमसीएक्स पर सोने का प्राइस 50,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के नीचे जा सकता है। यह 48,500 रुपये तक भी जा सकता है। अगले एक साल में सोने का प्राइस 48,500 से 52,500 रुपये के दायरे में रहने की उम्मीद है।
क्या आपको इस स्कीम में इनवेस्ट करना चाहिए?
SGB गोल्ड से जुड़ा एकमात्र इस्ट्रूमेंट है, जो अच्छी तरह से रेगुलेटेड है। साथ ही इसमें इनवेस्टर को रेगुलर इंटरेस्ट मिलता है। दूसरा, इसे सरकार का सपोर्ट हासिल है। फाइनेंशियल प्लानिंग फर्म गोल्डब्रिज की फाउंडर रोशनी नायक ने कहा, "अगर इनवेस्टर लंबी अवधि में सोने में निवेश करना चाहता है तो एसजीबी निवेश का अच्छा ऑप्शन है। टैक्स-फ्री गेंस के लिए इनवेस्टर को इससे मैच्योरिटी तक अपने पास रखना चाहिए।"
अगर इनवेस्टर गोल्ड में निवेश करना चाहता है लेकिन वह पांच साल से कम अवधि के लिए पैसे लगाना चाहता है तो उसे गोल्ड ईटीएफ या गोल्ड सेविंग्स फंड में इनवेस्ट करना चाहिए। गोल्ड में पोर्टफोलियो का 5 से 10 फीसदी हिस्से का निवेश किया जा सकता है। यह पोर्टफोलियो के डायवर्सिफिकेशन में भी हेल्पफुल है।
MoneyControl News
First Published: Aug 23, 2022 11:31 AM
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