Stock Market news : पीक मार्जिन नियमों में हुआ बदलाव, ट्रेडरों को होगा फायदा : एक्‍सपर्ट

सेबी ने बीते साल पीक मार्जिन नियम लागू किया है। इसने ब्रोकरों की ग्राहकों की इंट्राडे पोजीशन को फंड करने की व्‍यवस्‍था पर पाबंदी लगा दी है। अपडेटेड NSE Span files के आधार पर मार्जिन जरूरतों को इंट्राडे में 5 गुना तक बदल दिया गया है।

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। बाजार नियामक सेबी ने अधिकतम मार्जिन नियमों (peak margin rules) में बदलाव किया है, जिससे व्यापारियों और ब्रोकरेज हाउसेज को बड़ी राहत मिलेगी, जो अब तक High Margin penalities भर रहे हैं। विशेषज्ञों ने बुधवार को यह राय दी। उनके मुताबिक नए फ्रेमवर्क के तहत दिन की शुरुआत में मार्जिन को पीक मार्जिन माना जाएगा। यह केवल अपफ्रंट मार्जिन के कलेक्‍शन के संबंध में है।

FYERS के सीईओ तेजस खोडे के मुताबिक बीते साल लागू पीक मार्जिन नियम ने ब्रोकरों की ग्राहकों की इंट्राडे पोजीशन को फंड करने की व्‍यवस्‍था पर पाबंदी लगा दी है। इसके अलावा अपडेटेड NSE Span files के आधार पर मार्जिन जरूरतों को इंट्राडे में 5 गुना तक बदल दिया गया है। इसलिए भले ही ग्राहक 100 प्रतिशत मार्जिन का एडवांस पेमेंट करते थे, उन पर अपडेटेड स्पैन जरूरतों के आधार पर भारी जुर्माना लग सकता था। उन्होंने कहा कि यह ट्रेडर के लिए चिंता का एक प्रमुख कारण था क्योंकि ट्रेडिंग शुरू होने के बाद स्पैन मार्जिन कितना बदल सकता है, यह तय करने का कोई तरीका नहीं था।

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सेबी ने मंगलवार को नियमों में बदलाव किया, जिसके तहत डेरिवेटिव सेगमेंट (कमोडिटी डेरिवेटिव सहित) में इंट्रा-डे स्नैपशॉट के लिए विचार की जाने वाली मार्जिन जरूरतों का कैलकुलेशन fixed Beginning of Day (BOD) मार्जिन स्‍टैंडर्ड के आधार पर होगा। नया नियम एक अगस्त से लागू होगा। बीओडी मार्जिन पैरामीटर में सभी स्पैन मार्जिन पैरामीटर के साथ-साथ अत्यधिक loss margin requirements शामिल होंगी। खोडे के मुताबिक संशोधित पीक मार्जिन नियम उन ट्रेडरों और ब्रोकरेज हाउसेज को राहत देता है जो अब तक उच्च मार्जिन जुर्माने का पेमेंट कर रहे हैं। ट्रेडस्‍मार्ट के चेयरमैन विजय सिंघानिया ने सेबी के इस कदम का स्‍वागत किया। उन्‍होंने कहा कि इससे कई तरह के भ्रम दूर होंगे।

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उनके मुताबिक सेबी द्वारा पेश किया गया पीक मार्जिन निवेशकों और ट्रेडरों के लिए एक बड़ी समस्या पैदा कर रहा है। कभी-कभी बाजार में उथल-पुथल बढ़ने के कारण पोर्टफोलियो में बिना इंट्रा डे ट्रेडिंग नियम किसी बदलाव के मार्जिन बढ़ जाता था।

क्या शेयर बाजार से हुई आय पर लगता है इनकम टैक्स? जानें क्या है नियम

अगर आप शेयर बाजर में सफलता पाना चाहते हैं तो आपको इस बात की भी जानकारी होनी चाहिए कि शेयर बाजार से हुई कमाई पर कितना टैक्स देना होता है.

By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 27 Jun 2021 11:23 PM (IST)

अगर आप शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं तो सिर्फ ज्यादा से ज्यादा कमाई के बारे में नहीं सोचें. बल्कि इस बात की भी जानकारी हासिल करें कि शेयर बाजार से होने वाली कमाई पर कितना टैक्स देना होता है. हम आपको बता रहे हैं कि शेयर बाजार से हुई कमाई पर कितना टैक्स लगता है और कैसे.

इंट्रा-डे ट्रेडिंग

  • एक ही दिन में शेयर खरीद कर उसी दिन शाम तक बेच देने को इंट्रा-डे ट्रेडिंग कहा जाता है.
  • इंट्रा-डे ट्रेडिंग से जो कमाई होती है उसे स्पेक्युलेटिव बिजनेस इनकम कहते हैं.
  • फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग से हुई इंट्रा डे ट्रेडिंग नियम कमाई को नॉन-स्पेक्युलेटिव बिजनेस इनकम कहा जाता है.

कितना देना होगा टैक्स

  • इंट्रा-डे और फ्यूचर-ऑप्शन ट्रेडिंग से हुई कमाई पर टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है.
  • 2.5 लाख रुपये तक की कुल कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना होगा.
  • इससे ज्यादा की कमाई पर टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा.

शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन

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  • 1 साल से कम और 1 दिन से अधिक के लिए शेयर खरीदते हैं तो इससे हुए कमाई शॉर्ट टर्म कैपिल गेन कहलाती है.
  • शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर आपको फ्लैट 15 फीसदी टैक्स देना होता है.
  • कुल कमाई 2.5 लाख रुपये तक होने पर कोई टैक्स नहीं देना होगा.
  • इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि आप कौन से टैक्स स्लैब में आते हैं.

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन

  • 1 साल से अधिक की इंट्रा डे ट्रेडिंग नियम अवधि के लिए शेयर खरीदते हैं तो 1 साल बाद उसे बेचने से हुई कमाई लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहते हैं.
  • लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर 1 लाख रुपये तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता है,
  • इससे अधिक की कमाई पर फ्लैट 10 फीसदी का टैक्स लगता है. इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस टैक्स स्लैब में आते हैं.
  • अगर आपकी कुल कमाई 2.5 लाख रुपये तक तो आपको कोई टैक्स नहीं देना है.

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Published at : 27 Jun 2021 11:22 PM (IST) Tags: Stock Market income tax Tax income हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

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Equity में करते हैं निवेश तो अवधि के हिसाब से समझें टैक्स का पूरा कैलकुलेशन

इंट्राडे ट्रेडिंग से हुई कमाई पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स का भुगतान करना पड़ता है.

इंट्राडे ट्रेडिंग से हुई कमाई पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स का भुगतान करना पड़ता है.

Tax On Equity Investment : बाजार के जानकारों का कहना है कि शेयर मार्केट में इस समय उतार-चढ़ाव का दौर बना हुआ है. ज्याद . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : April 13, 2022, 11:10 IST

नई दिल्ली. इक्विटी (Equity) को निवेशक की पोर्टफोलियो का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है. हालांकि, विभिन्न प्रकार के इक्विटी में निवेश पर टैक्स (Tax) के अलग-अलग नियम होते हैं. मान लीजिए, होल्डिंग की अवधि पर कैपिटल गेन्स टैक्स (Capital Gains Tax) लगता है. स्टॉक और इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश पर एक साल की लंबी अवधि के लिए निवेशक को कैपिटल गेन्य टैक्स का भुगतान करना पड़ता है.

हालांकि, यूलिप में निवेश पर यह पैरामूटर लागू नहीं होता है. टैक्स निवेश पर मिलने वाले कुल रिटर्न पर असर डालते हैं. बाजार के जानकारों का कहना है कि शेयर मार्केट में इस समय उतार-चढ़ाव का दौर बना हुआ है. ज्यादातर नए निवेशक सीधे या म्यूचुअल फंड के जरिये इक्विटी में पैसे लगा रहे हैं. इक्विटी में निवेश पर इससे होने वाले लाभ पर टैक्स का भुगतान करना पड़ता है.

निवेश की अवधि के हिसाब से टैक्स
कुछ निवेशक स्टॉक मार्केट में शॉर्ट टर्म के लिए पैसा लगाकर मुनाफा कमाते हैं. वहीं, कुछ लोग लॉन्ग टर्म में निवेश कर लाभ कमाते हैं. इक्विटी के मामले में एक साल या उससे ज्यादा समय के निवेश को लॉन्ग टर्म निवेश माना जाता है. अगर आप 12 महीने से पहले इसे भुनाते हैं तो इसे शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट माना जाता है. इन पर इसी हिसाब से टैक्स का भुगतान करना पड़ता है.

लॉन्ग टर्म पर 10 फीसदी टैक्स
जानकारों का कहना है कि अगर कोई निवेशक लॉन्ग टर्म के लिए निवेश करता है तो होने वाली कमाई पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स के हिसाब से 10 फीसदी टैक्स लगता है. हालांकि, अगर कमाई एक लाख रुपये तक है तो इस पर कैपिटल गेन्स टैक्स नहीं लगता है. निवेशक अगर 12 महीने से पहले ही इसे भुनाना चाहता है तो उसे 15 फीसदी के हिसाब से शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स का भुगतान करना पड़ता है.

इंट्राडे ट्रेडिंग का समझें गणित
अगर कोई निवेशक इंट्राडे ट्रेडिंग करता है यानी वह उसी दिन शेयर खरीदकर बेच देता है. कुल मिलाकर इसमें निवेशक एक दिन में ही शेयरों में निवेश कर मुनाफा कमाता है. इंट्राडे ट्रेडिंग से हुई कमाई पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स का भुगतान करना पड़ता है, जो मुनाफे का 15 फीसदी होगा.

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काम की खबर: करदाता शेयर बाजार का कारोबार करता है तो आयकर विभाग को देनी होगी जानकारी, नहीं तो लग सकती है ब्याज और पेनल्टी

आयकर विभाग के पास शेयर ब्रोकर के जरिए सारी जानकारी जा रही है। करदाता इसकी जानकारी आयकर रिटर्न में नहीं देता तो टैक्स के साथ ब्याज व पेनल्टी लग सकती है। - Dainik Bhaskar

बहुत से लोग शेयर बाजार में रुचि रखते हैं। कई बार जल्दी मुनाफा कमाने के लिए इंट्रा-डे ट्रेडिंग भी करते हैं। कम मात्रा में ट्रेडिंग करने की वजह से लाभ या हानि उनके लिए ज्यादा महत्व नहीं रखता है। इसी वजह से ऐसे करदाता आयकर रिटर्न की ई-फाइलिंग में अक्सर इस लेन-देन का उल्लेख नहीं करते। चूंकि अब आयकर विभाग के पास शेयर ब्रोकर के जरिए सारी जानकारी जा रही है। करदाता इसकी जानकारी आयकर रिटर्न में नहीं देता तो टैक्स के साथ ब्याज व पेनल्टी लग सकती है। इससे पहले नोटिस दिया जाएगा।

टैक्स ऑडिट के धारा - 44 एबी के मामले लागू होंगे
सीए पियूष जैन ने बताया कि चूंकि एफएंडओ ट्रेडिंग की आय को सामान्य व्यावसायिक आय के रूप में माना जाता है, केपिटल गेन में नहीं, इसलिए टैक्स ऑडिट पर लागू इंट्रा डे ट्रेडिंग नियम होने वाले सामान्य नियम लागू होंगे। धारा-44 एबी में कहा गया है यह एफएंडओ के मामले में भी लागू होंगे। एफएंडओ ट्रेडिंग में टैक्स ऑडिट की जरूरत होगी। यदि वित्तीय वर्ष में बिक्री, टर्न ओवर या सकल प्राप्तियां 1 करोड़ रुपए से अधिक है तो करदाता को टैक्स ऑडिट करना होगा। यह अनिवार्य किया गया है।

एफएंडओ को केपिटल गेन की श्रेणी नहीं माना जाएगा
आयकर अधिनियम की धारा 43(5) में कहा गया है कि फ्यूचर्स और ऑप्शंस ट्रेडिंग के दौरान होने वाले किसी भी लेनदेन को शेयर ट्रेडिंग की तरह केपिटल गेन की श्रेणी में नहीं लिया जाता है न ही इसे स्पेक्यूलेटिव बिजनेस माना जाएगा। इस तरह के व्यापार से होने वाले किसी भी लाभ पर उसी तरह से कर लगाया जाएगा। लाभ हो या हानि फ्यूचर्स और ऑप्शंस के लेनदेन में शामिल व्यक्ति को अपने आईटीआर में इसका उल्लेख करना चाहिए। लापरवाही करने पर पेनल्टी लग सकती है।

मुनाफा दिखाकर ऑडिट फ्री होने का भी है अवसर
यदि एफएंडओ ट्रेडिंग में 2 करोड़ तक का टर्नओवर है तो करदाता 6 प्रतिशत मुनाफा दिखाकर ऑडिट से मुक्त हो सकता है। बाकी सभी केस में ऑडिट अनिवार्य होगा। बुक्स ऑफ एकाउंट्स भी बनाना अनिवार्य होगा। बुक्स मेंटेन करने से हमें खर्चों की छूट मिलती है, जिसमें ब्रोकरेज, ब्रोकर कमीशन, फोन बिल्स, इंटरनेट बिल, निवेश सलाहकार के खर्चे आदि शामिल हैं। फ्यूचर्स एंड ऑप्शन से होने वाली लाभ- हानि को व्यावसायिक आय की तरह ट्रीट किया जाएगा। इसकी जानकारी दी जा रही।

छोटे-मोटे लेन को छोड़ने से हो सकती है कार्रवाई
यदि कोई व्यक्ति असमायोजित पूंजीगत हानि को आगे बढ़ाना चाहता है या पिछले वर्ष से इस तरह के नुकसान को आगे लाना चाहता है, तो आईटीआर दाखिल करना आवश्यक होगा। व्यापार हानि को शेष मदों से आय में किराए की आय या ब्याज आय को समायोजित नहीं किया जा सकता। किसी भी असमायोजित नुकसान को आठ साल के लिए आगे बढ़ाया जा सकता है। कर से बचने के कारण दंडात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है। इससे बचने के लिए पूरी जानकारी देनी होगी।

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