राजनीतिक विश्लेषक दिलीप गोहिल ने कहा कि यह देखना दिलचस्प था कि 'आप' जैसी शहरी पार्टी ने कुछ सबसे पिछड़े आदिवासी इलाकों में कैसे पैर जमाए। गोहिल ने कहा कि 'आप' ने जिस तरह से आदिवासी आबादी को आकर्षित किया, वह महत्वपूर्ण है, जिससे पता चलता है कि आदिवासी कैसे महत्वाकांक्षी हो रहे हैं।

रवीश इस्तीफ़ा प्रसंग : दो खेमे में बंटी मीडिया मंडली एक्टिविज्म के नाम पर सिर्फ पार्शियलिज्म करती नज़र आती है!

रवीश कुमार के इस्तीफे पर जब तक सोशल मीडिया के लड़ाके तलवार भांजते रहे, इग्नोर करता रहा। लेकिन जब पत्रकारिता के कई नामवर कवच-कुंडल के साथ इस मैदान में हुंकार भरने लगे तो स्वाभाविक रूप से असहज होने लगा। रवीश एक उम्दा टीवी प्रेजेंटर हैं, इसे उनके धुर विरोधी भी स्वीकार करेंगे। डिबेट पैनल में शामिल चुनिंदा अतिथियों से व्यंग और तंज भरे कुटिल अंदाज़ में चर्चा पर भी ऐतराज नहीं। इसे उनका सिग्नेचर स्टाइल मानकर स्वीकार किया जा सकता है।

लेकिन उन्हें आधुनिक पत्रकारिता का धर्मगुरु मानते हुए यह घोषणा करना कि उनके एनडीटीवी से नाता तोड़ लेने भर से एक युग का अंत हो गया, समझ से परे है। सवाल यह कि अगर किसी पेशेवर का किसी संस्थान विशेष से बिलगाव युगांत है तो फिर उस पेशेवर की शख्सियत उसकी निजी उपलब्धि है या संस्थान की माया? इस प्रवृत्ति विश्लेषण क्या है पर सोचा जाना चाहिए।

क्या दुनिया कम रंगीन है? वस्तुओं और स्थानों के रंग विकास पर प्रकाश डालना

क्या दुनिया कम रंगीन है? वस्तुओं और स्थानों के रंग विकास को हाइलाइट करना - 8 की छवि 1

विज्ञान संग्रहालय समूह द्वारा ब्रिटेन के इतिहास की विभिन्न अवधियों की वस्तुओं पर आधारित शोध से पता चलता है कि कैसे समय के साथ उनके रंग बदल गए हैं, जीवंत स्वर पीछे छूटते जा रहे हैं और हर दिन भूरे होते जा रहे हैं।

कैट स्लीमैन ने क्रिएटिव इंडस्ट्रीज पॉलिसी एंड एविडेंस सेंटर (पीईसी) द्वारा वित्त पोषित शोध में विज्ञान संग्रहालय समूह संग्रह से रोजमर्रा की वस्तुओं की सात हजार से अधिक तस्वीरों की जांच की। कैमरों से लेकर लैंप और अन्य घरेलू वस्तुओं को उनके उपयोग के अनुसार 21 विभिन्न श्रेणियों में व्यवस्थित किया गया था। विश्लेषण विभिन्न रंगों के पिक्सल की गिनती के आधार पर किया प्रवृत्ति विश्लेषण क्या है प्रवृत्ति विश्लेषण क्या है गया था और वस्तुओं के आकार को भी संबोधित किया गया था।

खतरे की सेंध

खतरे की सेंध

सांकेतिक।

खासतौर पर प्रवृत्ति विश्लेषण क्या है तब जब ऐसे सवाल लगातार उठ रहे हैं कि किसी भी व्यक्ति से संबंधित डेटा या आंकड़े बेहद महत्त्वपूर्ण होते हैं, इसलिए उन्हें चोरी होने से बचाना सरकार की पहली जिम्मेदारी होनी चाहिए।

गौरतलब है कि करीब एक सप्ताह पहले एम्स के सर्वर में सेंधमारी की सूचना मिली थी। तब से तकनीकी विशेषज्ञों की लगातार कोशिशों के बावजूद उसे पहले की तरह ठीक करने में कामयाबी नहीं मिल सकी। आशंका जताई जा रही है कि सर्वर में मौजूद करीब तीन से चार करोड़ लोगों के प्रवृत्ति विश्लेषण क्या है तमाम आंकड़े, पूर्व प्रधानमंत्रियों, मंत्रियों, नौकरशाहों जैसे खास और नामचीन हस्तियों और उनकी सेहत के बारे में दर्ज ब्योरों या डेटा को चुराया गया है। सवाल यह है कि क्या उनका बेजा इस्तेमाल भी हो सकता है? फिलहाल संबंधित महकमों की ओर से यही कहा जा रहा है कि इसे ठीक करने में कुछ दिन और लग सकते हैं, लेकिन इस घटना के साथ ही इससे जुड़े खतरों को लेकर एक बार फिर बहस शुरू हो गई है।

हिमाचल में 68 सीटें, 24 महिलाओं ने लड़ा था चुनाव, जीत सकी केवल एक, जानिए कौन हैं वो MLA

हिमाचल में 68 सीटें, 24 महिलाओं ने लड़ा था चुनाव, जीत सकी केवल एक, जानिए कौन हैं वो MLA

हिमाचल प्रदेश की 68 सदस्यीय विधानसभा में इस बार सिर्फ एक महिला विधायक होगी। प्रदेश में 12 नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव में महिला उम्मीदवारों का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। चुनावी रण में किस्मत आजमा रहीं 24 में से केवल एक ही महिला प्रत्याशी चुनाव जीतने में कामयाब हुई। राज्य में कुल मतदाताओं में करीब 49 फीसदी महिलाएं हैं।

हिमाचल में इस बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 6, आम आदमी पार्टी (आप) ने प्रवृत्ति विश्लेषण क्या है 5 और कांग्रेस ने 3 महिलाओं को टिकट दिए थे, लेकिन केवल भाजपा की रीना कश्यप ही चुनाव जीतने में कामयाब हो सकी हैं। रीना कश्यप ने पच्छाद (एससी) सीट से फतह हासिल की है। उन्होंने 2021 में हुए उपचुनाव में इस सीट से जीत दर्ज की थी।

AAP के रूप में गुजरात के आदिवासियों को मिला नया 'दोस्त'? जानें चुनाव में कितना दिया साथ

AAP के रूप में गुजरात के आदिवासियों को मिला नया 'दोस्त'? जानें चुनाव में कितना दिया साथ

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गुजरात विधानसभा चुनाव में मोदी मैजिक के सहारे राज्य की 182 सीटों में 156 सीटें जीतकर प्रवृत्ति विश्लेषण क्या है इतिहास रच दिया है। भाजपा ने गुजरात में आदिवासी बहुल (अनुसूचित जनजाति) 27 सीटों में से 23 पर भी जीत हासिल की है। वहीं, आम आदमी पार्टी (आप) ने राज्य की प्रवृत्ति विश्लेषण क्या है राजनीति में नई एंट्री कर आदिवासी बेल्ट प्रवृत्ति विश्लेषण क्या है में पैर जमाने के लिए कांग्रेस को किनारे कर दिया।

हालांकि, 'आप' यह केवल एक सीट ही जीत सकी, लेकिन एसटी आरक्षित 27 सीटों में से नौ में 'आप' भाजपा के लिए सीधी चुनौती के रूप में उभर कर सामने आई।

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