प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी के कारण आएगा अगला वित्तीय संकट, लगाया जाना चाहिए बैनः आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास

Shaktikanta Das on Cryptocurrency: करीब 90 फीसदी क्रिप्टोकरेंसी का ट्रेडिंग वॉल्यूम काफी अधिक कम हो चुका है.

Shaktikanta Das File Photo

आरबीआई का लंबे समय से ये दृष्टिकोण रहा है कि प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी वित्तीय स्थिरता के लिए खतरा है और इसके इस्तेमाल को वैध बनाए जाने के खिलाफ रहा है. इस इश्यू से निपटे के लिए भारत ने हाल में अपनी क्रिप्टोकरेंसी लॉन्च की है.

आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी रबिशंकर ने हाल में कहा था कि सभी उपलब्ध डेटा भ्रामक है. उन्होंने डिजिटल करेंसी क्या है और उनका उद्देश्य क्या है, इस विषय की स्पष्ट समझ के लिए सभी तरह के नियम बनाने का आह्वान किया था. उन्होंने क्रिप्टो को प्रभावी तौर पर रेग्युलेट करने के लिए एक ही तरह के संवाद की जरूरत पर बल दिया था.

क्रिप्टो मार्केट में है जबरदस्त उथल-पुथल

बहुत अधिक उतार-चढ़ाव के बीच एफटीएक्स जैसा प्रमुख क्रिप्टो एक्सचेंज दिवालिया हो चुका है. करीब 90 फीसदी क्रिप्टोकरेंसी का ट्रेडिंग वॉल्यूम काफी अधिक कम हो चुका है. महज दो फीसदी क्रिप्टोकॉइन को हेल्दी लिक्विडिटी सपोर्ट मिल रहा है. एक नए अध्ययन में ये बातें सामने आई हैं. हाल के दिनों में अधिकतर क्रिप्टो करेंसीज में बहुत अधिक उतार-चढ़ाव देखने को मिला है. Bitcoin गिरकर 17000 डॉलर के आसपास आ गया है. इसके अलावा Ethereum और Binance में भी लगातार टूट देखने को मिल रही है.

जानें क्या है क्रिप्टोकरेंसी, जिस पर मोदी सरकार लगाने जा रही है बैन

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संसद के आगामी शीतकालीन क्या क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए सत्र में केंद्र सरकार कुछ निजी क्रिप्टोकरेंसी को छोड़कर सभी पर रोक लगाने और आरबीआई द्वारा जारी डिजिटल मुद्रा को विनियमित करने के लिए एक ढांचा तैयार करने के लिए एक विधेयक ला सकती है। 29 नवंबर से शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र में बहुप्रतीक्षित क्रिप्टोक्यूरेंसी और विनियमन आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2021 विचार और पारित करने के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। इससे जुड़े बिल से पहले आइए, जानें कि आखिर क्रिप्टोकरेंसी कहते किसे हैं।

जानें क्या क्या क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए है क्रिप्टोकरेंसी ?

क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल मुद्रा है जिसका मूल्य तो होता है, लेकिन इसे न ही देखा जा सकता है न ही छूआ जा सकता है। यह केवल डिजिटल रूप में होता है, जिससे महज ऑनलाइन ही लेन-देन किया जा सकता है। जिस प्रकार से देश की सरकारें निश्चित मूल्य के बदले मुद्रा या कागजी नोट या सिक्के जारी करती है, यह उस तरह की मुद्रा नहीं है। यह डिजिटल मुद्रा इनक्रिप्टेड यानी कोडेड होती है इसलिए इसे क्रिप्टोकरेंसी भी कहा जाता है।

इसका लेन-देन खाता-बही द्वारा प्रबंधित होता है जो इसकी पारदर्शिता को सुनिश्चित करती है। यह सब इनक्रिप्टेड होती है। शुरुआत में इसके मूल्य को लेकर काफी आशंकाएं थीं। एक वक्त ऐसा था जब हजार बिटकॉइन से सिर्फ दो पिज्जा खरीदे जा सकते थे। लेकिन, आज यह सबसे महंगा टोकन मनी है। कई कंपनियों ने भी क्रिप्टोकरेंसी को स्वीकार करने की घोषणा की है।

क्रिप्टोकरेंसी बिल

लोकसभा की वेबसाइट पर पेश करने के लिए सूचीबद्ध बिल के अनुसार इसके अतर्गत देश में सभी अनियमित निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश करेगा, साथ ही केंद्रीय बैंक, आरबीआई द्वारा जारी की जाने वाली आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के लिए एक रूपरेखा तैयार करेगा।

वर्तमान में, देश में क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग पर कोई विनियमन या कोई प्रतिबंध नहीं है। इस पृष्ठभूमि के खिलाफ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महीने की शुरुआत में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ क्रिप्टोकरेंसी पर एक बैठक की और संकेत हैं कि इस मुद्दे से निपटने के लिए मजबूत नियामक कदम उठाए जा सकते हैं।

हाल के दिनों में क्रिप्टोकरंसीज में निवेश पर आसान और उच्च रिटर्न का वादा करने वाले विज्ञापनों की संख्या में वृद्धि हुई है, यहां तक कि फिल्मी सितारों को भी दिखाया गया है। इस तरह की मुद्राओं पर कथित तौर पर भ्रामक दावों के साथ निवेशकों को लुभाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।

पिछले हफ्ते, बीजेपी सदस्य जयंत सिन्हा की अध्यक्षता में वित्त पर स्थायी समिति ने क्रिप्टो एक्सचेंजों, ब्लॉकचैन और क्रिप्टो एसेट्स काउंसिल (बीएसीसी) के प्रतिनिधियों से मुलाकात की, और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि क्रिप्टोक्यूरैंसीज पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिए, लेकिन इसे विनियमित किया जाना चाहिए।

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क्‍या क्रिप्‍टोकरेंसी को देश में कानूनी मान्‍यता मिल चुकी है, यहां जानिये इससे जुड़े सवालों के जवाब

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Cryptocurrency: इस साल क्रिप्टोकरेंसी के भारत में लीगल टेंडर यानी वैधानिक होने की खूब चर्चाएं थीं। सभी कारोबारी व निवेशक यह जानना चाह रहे थे कि सरकार इस पर मुहर लगाती है या नहीं। इसके चलते आम बजट पर सभी की निगाहें थीं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के आभासी संपत्तियों पर कर लगाने के प्रस्ताव ने भारत में क्रिप्टोकरेंसी की वैधता पर बहस छेड़ दी है। जबकि कई लोगों ने डिजिटल मुद्राओं पर कर लगाने के निर्णय का स्वागत किया है, यह सोचकर कि यह आभासी मुद्राओं को पहचानने का पहला कदम है, सरकार ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि क्या भारत में बिटकॉइन जैसी मुद्राओं को कानूनी निविदा माना जा सकता है। आखिर सरकार ने इस विषय पर अपना पक्ष भी स्‍पष्‍ट कर दिया था। गत 1 फरवरी को पेश केंद्रीय बजट 2022-23 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस करेंसी से होने वाली आय पर सरकार कर जरूर लगाएगी लेकिन इसे देश में लीगल टेंडर किया जाना अभी तय नहीं है। हालांकि सरकार ने यह भी साफ कहा था कि इस पर फिलहाल प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा। इसके साथ ही सरकार ने इस आभासी डिजिटल संपत्ति के हस्तांतरण से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत कर लगाने का भी प्रस्ताव रखा था। जानिये इसके बारे में कुछ खास बातें।

1 प्रतिशत टीडीएस लगाने की घोषणा

सीतारमण ने वर्चुअल डिजिटल संपत्ति के हस्तांतरण के संबंध में किए गए भुगतान पर 1 प्रतिशत टीडीएस लगाने की भी घोषणा की थी। इस कदम का उद्देश्य डिजिटल मुद्रा में लेनदेन के विवरण को कैप्चर करना है। विभिन्न बाजार विश्लेषकों ने डिजिटल परिसंपत्तियों पर कर लगाने को क्रिप्टोकरेंसी को वैधानिक दर्जा मिलने की प्रस्‍तावना के रूप में देखा। हालांकि, वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन से होने वाले लाभ पर कर लगाने का निर्णय लिया है, लेकिन इसके नियमन या वैधता पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

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RBI की नज़र में यह आर्थिक स्थिरता के लिए खतरा

केंद्र सरकार भले ही इस करेंसी को लेकर अभी बंदिशें नहीं लगा रही हो लेकिन आरबीआई की नज़र में यह देश की माली हालत के लिए ठीक नहीं है। फरवरी माह में ही मौद्रिक नीति की घोषणाओं के बाद पत्रकारों से बात करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि "निजी क्रिप्टोकरेंसी भारत की वित्तीय और व्यापक आर्थिक स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा हैं, साथ ही आरबीआई की इससे निपटने की क्षमता भी है। निवेशकों को यह बताना मेरा कर्तव्य है कि वे क्रिप्टोकरेंसी में क्या निवेश कर रहे हैं, उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि वे अपने जोखिम पर निवेश कर रहे हैं। उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि इन क्रिप्टोकरेंसी में कोई संपत्ति नहीं है।

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सरकार चाहती है सामूहिक प्रयास हों

इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्या क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए पिछले साल दिसंबर में कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है क्योंकि तकनीक लगातार विकसित और बदल रही है। बजट के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, सीतारमण ने कहा कि क्रिप्टो विनियमन पर परामर्श चल रहा है और नियामक दस्तावेज को अंतिम रूप देने के बाद क्या कानूनी है, क्या स्पष्ट नहीं होगा।

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बिटकॉइन या एथेरियम जैसी क्रिप्टोकरेंसी के लिए राह मुश्किल

दूसरी तरफ वित्त सचिव टीवी सोमनाथन का कहना था कि बिटकॉइन या एथेरियम जैसी क्रिप्टोकरेंसी कभी भी कानूनी निविदा नहीं बनेगी। सोमनाथन ने कहा कि डिजिटल रुपया आरबीआई द्वारा समर्थित होगा जो कभी भी डिफॉल्ट नहीं होगा। पैसा आरबीआई का होगा लेकिन प्रकृति डिजिटल होगी। आरबीआई द्वारा जारी डिजिटल रुपया कानूनी निविदा होगी। हम डिजिटल रुपये के साथ गैर-डिजिटल संपत्ति खरीद सकते हैं जैसे हम अपने वॉलेट या यूपीआई प्लेटफॉर्म के जरिए भुगतान करके आइसक्रीम या अन्य चीजें खरीदते हैं।

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सरकार नहीं कर सकती मूल्‍य को अधिकृत

सोमनाथन के अनुसार क्रिप्टो संपत्ति ऐसी संपत्ति है जिसका मूल्य दो लोगों के बीच निर्धारित किया जाता है, आप सोना, हीरा और क्रिप्टो संपत्ति खरीद सकते हैं, लेकिन उस मूल्य को सरकार द्वारा अधिकृत नहीं किया जाएगा।निजी क्रिप्टो में निवेश करने वाले लोगों को यह समझना चाहिए कि इसके पास सरकार का प्राधिकरण नहीं है। इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि आपका निवेश सफल होगा या नहीं, किसी को पैसा गंवाना पड़ सकता है और इसके लिए सरकार जिम्मेदार नहीं है। हालांकि, वित्त सचिव ने स्पष्ट किया कि जो चीजें कानूनी नहीं हैं, उनका मतलब यह नहीं है कि वे अवैध हैं। अगर क्रिप्टोकुरेंसी के लिए विनियमन आता है तो यह कानूनी निविदा नहीं होगी।"

आपकी बात, क्या क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए?

आपकी बात, क्या क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए?

सरकार का नियंत्रण नहीं
क्रिप्टोकरेंसी आधुनिक तकनीक पर आधारित करेंसी है। इसके लेन-देन में काफी गोपनीयता है, परंतु सरकार या सेंट्रल बैंक का इस पर कोई भी नियंत्रण नहीं है। इसलिए इस करेंसी का गलत कार्यों में इस्तेमाल होने की आशंका अधिक है। साथ ही क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव रहता है। बेहतर तो यह है कि सरकार जल्द से जल्द क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगा दे ।
-योगिता वैष्णव, किशनगढ़
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Cryptocurrency Bill: क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध का कानून बनने के बाद निवेशकों को समय देगी सरकार, जानें क्या है योजना

Cryptocurrency Bill: सरकार से जुड़े दो अधिकारियों ने कहा है कि अगर सरकार क्रिप्टो को प्रतिबंधित करने का कानून बनाती है तो इसमें निवेश करने वाले निवेशकों को अनियमित बाजार से बाहर निकलने का समय दिया जाएगा।

क्रिप्टोकरेंसी

विस्तार

क्रिप्टो से होने वाली कमाई पर देना होगा टैक्स
क्रिप्टोकरेंसी बिल को लेकर सरकार की तैयारियों से जुड़े दो अधिकारियों ने कहा कि सरकार निजी क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून बनाने के साथ-साथ इस बात पर भी ध्यान दे रही है कि इसमें निवेश करने वाले भारतीयों की परेशानी कैसे कम की जा सके। उन्होंने कहा कि ऐसे निवेशकों को बाजार से निकलने के लिए सरकार की ओर से समय दिया जा सकता है। हालांकि, निवेशों से होने वाले सभी लाभ को आय या पूंजीगत लाभ के रूप में माना जाएगा और उस पर उचित रूप से कर लगाया जाएगा।

निवेशकों को मिल सकता है इतना समय
एक अधिकारी ने कहा कि निवेशकों के पास क्रिप्टो के अनियमित बाजार से बाहर निकलने के लिए पर्याप्त समय मौजूद होगा। उन्होंने कहा कि निवेशकों को संसद में विधेयक पेश किए जाने और फिर दोनों सदनों द्वारा पारित होने के समय से या फिर संभावित प्रतिबंध लागू होने की तारीख से तीन महीने के बफर की अनुमति दिए जाने की संभावना है।

मानसून सत्र में पेश किया जाएगा बिल
सरकार सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने के उद्देश्य से संसद के शीतकालीन सत्र में यह बिल पेश करने वाली है। संसंद का मानसून सत्र 29 नवंबर से शुरू हो रहा है। अधिकारियों ने बताया कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी को मुद्रा के रूप में प्रतिबंधित कर सकती है, लेकिन इसके बजाया एक परिसंपत्ति वर्ग (जैसे म्यूचुअल फंड) के रूप में अनुमति देना जारी रख सकती है।

अपराधियों की मददगार बन रही डिजिटल मुद्रा
उन्होंने कहा कि दुनिया भर की सरकारें आतंक-वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग के क्या क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए मुद्दों का सामना कर रही हैं, इनमें क्रिप्टोकरेंसी का भी अहम योगदान हो सकता है। यहां तक कि (अंतर्राष्ट्रीय अंतर सरकारी निकाय) फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने भी आगाह किया है कि डिजिटल मुद्राएं अपराधियों के लिए अपनी अवैध गतिविधियों को वित्तपोषित करने के नए अवसर पैदा कर सकती हैं। इसलिए, निजी डिजिटल करेंसी को अनुमति नहीं दी जा सकती है। लेकिन, अगर लोग टैक्स चुकाने के बाद बाहर निकलना चाहते हैं तो उन्हें उचित समय दिया जाएगा।

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