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भारत में विश्व बैंक

1.2 अरब से अधिक जनसंख्या वाला देश भारत, विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। पिछले दशक में, भारत विश्व की अर्थव्यवस्था मुद्रा vs डॉलर विवरण से जुड़ा है और साथ ही उसका आर्थिक विकास भी हुआ है | भारत अब एक विश्व खिलाड़ी के रूप में उभरा है।

हाइलाइट

The World Bank

इंडिया डेवलपमेंट अपडेट - नेविगेटिंग द स्टॉर्म

विश्व बैंक ने अपने प्रमुख प्रकाशन में कहा है कि चुनौतीपूर्ण वाह्य वातावरण के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था ने लचीलेपन का प्रदर्शन किया है।

भारत के शीतलन क्षेत्र में जलवायु निवेश

विश्व बैंक की एक नई रिपोर्ट जलवायु-उत्तरदायी शीतलन प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए एक हरित मार्ग प्रदान करती है।

भारत की शहरी अवसंरचना आवश्यकताओं का वित्तपोषण

विश्व बैंक की एक नई रिपोर्ट का अनुमान है कि भारत को अगले 15 वर्षों में शहरी बुनियादी ढांचे में 840 अरब डॉलर का निवेश करने की आवश्यकता होगी।

भारत At-A-Glance

1.2 अरब की जनसंख्या और विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले भारत की हाल की संवृद्धि तथा इसका विकास हमारे समय की अत्यंत उल्लेखनीय सफलताओं में से है। स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद से बीते 65 वर्षों से भी अधिक समय के दौरान भारत के कृषि-क्षेत्र में अभूतपूर्व क्रांति आई है, जिसकी वजह से काफी समय से अनाज के निर्यात पर निर्भर यह देश कृषि के वैश्विक पॉवर हाउस में बदल गया है और आज अनाज का शुद्ध निर्यातकर्ता .

विदेशी मुद्रा भंडार 1.9 अरब डॉलर बढ़कर 642 अरब डॉलर पर

रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष में देश का विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 1.7 करोड़ डॉलर बढ़कर 19.30 अरब डॉलर हो गया। आईएमएफ में देश का आरक्षित विदेशी मुद्रा भंडार 10 लाख डॉलर बढ़कर 5.24 अरब डॉलर हो गया।

Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: November 05, 2021 23:27 IST

विदेशी मुद्रा भंडार 1.9 अरब डॉलर बढ़कर 642 अरब डॉलर पर- India TV Hindi

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विदेशी मुद्रा भंडार 1.9 अरब डॉलर बढ़कर 642 अरब डॉलर पर

मुंबई: देश का विदेशी मुद्रा भंडार 29 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 1.91 अरब डॉलर बढ़कर 642.01 अरब डॉलर हो गया। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को अपने ताजा आंकड़ों में यह जानकारी दी। यह वृद्धि विदेशी मुद्रा आस्तियों तथा सोने के मूल्य में पर्याप्त वृद्धि की वजह से संभव हुई। इससे पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 90.8 करोड़ डॉलर घटकर 640.1 अरब डॉलर रह गया था।

रिजर्व बैंक ने कहा कि आलोच्य सप्ताह में भारत की विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 1.36 अरब डॉलर बढ़कर 578.46 अरब डॉलर हो गईं। डॉलर में बताई जाने वाली विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में यूरो, पाउंड और येन जैसी दूसरी विदेशी मुद्राओं के मूल्य में वृद्धि या कमी का प्रभाव भी शामिल है। समीक्षाधीन सप्ताह में स्वर्ण आरक्षित भंडार का मूल्य 57.2 करोड़ डॉलर बढ़कर 39.01 अरब डॉलर हो गया।

रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष में देश का विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 1.7 करोड़ डॉलर बढ़कर 19.30 अरब डॉलर हो गया। आईएमएफ में देश का आरक्षित विदेशी मुद्रा भंडार 10 लाख डॉलर बढ़कर 5.24 अरब डॉलर हो गया।

इससे पहले देश का विदेशी मुद्रा vs डॉलर विवरण मुद्रा भंडार 22 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 90.8 लाख डॉलर घटकर 640.1 अरब डॉलर रह गया था। इससे पिछले 15 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में विदेशीमुद्रा भंडार 1.492 अरब डॉलर बढ़कर 641.008 अरब डॉलर हो गया था। इससे पूर्व तीन सितंबर 2021 को समाप्त सप्ताह में विदेशीमुद्रा भंडार 642.453 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था।

रुपया और यूरो समेत दुनिया की कई मुद्राओं की हालत खस्ता, जानिए क्या है डॉलर के मजबूती का कारण

पिछले कुछ महीनों से रुपये में लगातार गिरावट देखी जा रही है। डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया समेत कई देशों की करेंसी में इस साल रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई है तो आइए जानते हैं कि रुपये के अलावा और किन देशों की करेंसी डॉलर के मुकाबले कमजोर हुई है।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। अमेरिकी डॉलर (US Dollar) के मुकाबले रुपये की कीमत में लगातार गिरावट (Rupee Price Fall) हो रही है। इन दिनों अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 80 के करीब मुद्रा vs डॉलर विवरण पहुंच गया है। लेकिन रुपया अकेली करेंसी नहीं है, जिसका मूल्य डॉलर के मुकाबले कम हो रहा है। दरअसल, इन दिनों दुनिया की सभी प्रमुख मुद्राएं डॉलर मुद्रा vs डॉलर विवरण के मुकाबले खस्ताहाल हैं। अगर वैश्विक मुद्रा बाजार के आंकड़ों की पड़ताल करें तो पता चलता है कि ग्रीनबैक के मुकाबले अन्य मुद्राओं की तुलना में रुपया कहीं बेहतर स्थिति में है।

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रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर उपजे नए भू-राजनीतिक तनावों के बीच उभरते बाजारों की मुद्राएं, डॉलर के मुकाबले लगातार गिर रही हैं। मंदी की आशंका के बीच जीडीपी की चिंता, कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और बढ़ती महंगाई के चलते दुनिया भर में केंद्रीय बैंकों द्वारा सख्त मौद्रिक नीतियां लागू करने के कारण असुरक्षा का जो माहौल बना है, उसमें डॉलर की लिवाली तेज हो गई है और उसकी मांग दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। उदारीकरण के बाद दुनिया एक ग्लोबल विलेज की तरह हो गई है, ऐसे में विश्व-व्यवस्था में होने वाली किसी भी हलचल का प्रभाव रुपये सहित अन्य उभरती हुई मुद्राओं पर पड़ना लाजमी है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने अपनी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (Financial Stability Report) में कहा है कि रुपये की स्थिति दूसरी करेंसीज की तुलना में अपेक्षाकृत बेहतर है। फरवरी के अंत में यूक्रेन में युद्ध छिड़ने के बाद से आरबीआइ ने रुपये की कीमत को गिरने से रोकने के लिए अपने विदेशी मुद्रा भंडार को खोल दिया है। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर, माइकल डी पात्रा पहले ही कह चुके हैं कि केंद्रीय बैंक रुपये के मूल्य में किसी भी अप्रत्याशित गिरावट को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करेगा।

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डॉलर के मुकाबले किसकी क्या है स्थिति

डॉलर के मुकाबले दुनिया की कुछ प्रमुख करेंसीज की बात करें तो यूरो हो या युआन, लीरा हो या ब्रिटिश पाउंड, सबका हाल, बेहाल ही नजर आता है।

टर्किश लीरा

तुर्की की मुद्रा लीरा (Turkish lira) की बात करें तो डॉलर के मुकाबले लीरा में लगातार गिरावट हो रही है। गुरुवार, 14 जुलाई को दिसंबर 2021 के बाद पहली बार लीरा का मूल्य 17.5 प्रति डॉलर तक गिर गया। जुलाई 2021 में एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले लीरा की कीमत 8 के आसपास थी, जो एक साल बाद 16 से ऊपर बनी हुई है।

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डॉलर के मुकाबले सम-मूल्य पर खड़ी होने वाली यूरोपीय देशों की मुद्रा यूरो (Euro) की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है। इस माह डॉलर के मुकाबले यूरो में दो बार जबरदस्त गिरावट देखी गई है। बुधवार, 13 जुलाई को डॉलर के मुकाबले यूरो समानता से स्तर से नीचे आ गया। लगभग दो दशकों में यह पहली बार था, जब यूरो में इतनी गिरावट देखी गई। जुलाई 2021 में एक डॉलर 0.84 यूरो के बराबर था। जबकि जुलाई 2022 में यह लगातार 0.95 यूरो से ऊपर बना हुआ है।

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ब्रिटिश पाउंड

15 जुलाई 2021 को एक ब्रिटिश पाउंड (British Pound) की कीमत 1.38 यूएस डॉलर थी जो जुलाई 2022 मुद्रा vs डॉलर विवरण में घटकर 1.17 यूएस डॉलर रह गई है। मार्च 2020 के बाद पाउंड का यह सबसे न्यूनतम स्तर है। बैंक ऑफ इंग्लैंड द्वारा बार-बार ब्याज दरें बढ़ाने के बावजूद 2022 में स्टर्लिंग में तेजी से गिरावट आई है।

चीनी युआन

15 जुलाई 2021 को एक अमेरिकी डॉलर 6.46 युआन (Renminbi) के बराबर था, जो 15 जुलाई 2022 को 6.79 युआन हो गया। इससे पहले 10 मई 2022 को चीनी युआन में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले बड़ी गिरावट देखने को मिली थी और यह 6.7134 पर पहुंच गया था। जीरो कोविड पॉलिसी के चलते सख्त लॉकडाउन और रियल एस्टेट बाजार में आई मंदी से चीन में आर्थिक विकास की दर बुरी तरह प्रभावित हुई है, ऐसे में युआन के दबाव में बने रहने की आशंका जताई जा रही है।

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जापानी येन

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले जापानी येन (Japanese Yen) भी लगातार कमजोर हो रहा है। 22 जून 2022 को येन 24 साल के रिकॉर्ड निचले स्तर 136.45 प्रति डॉलर तक गिर गया। 2022 में ग्रीनबैक के मुकाबले येन की कीमत में 18 फीसद से अधिक की गिरावट हो चुकी है। 15 जुलाई 2022 एक डॉलर 138.80 येन पर था, जबकि एक साल पहले इसी दिन यह 109.98 युआन पर था।

कनाडियन डॉलर

पिछले एक साल से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 1.28 के इर्द-गिर्द घूमने वाला कनाडियन डॉलर (Canadian Dollar) भी 14 जून 2022 के बाद से लगातार हिचकोले खा रहा है। फिलहाल, एक अमेरिकी डॉलर के बदले इसके कीमत 1.32 तक गिर गई है।

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