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शेयर मार्केट में Option Trading क्या है, Call और Put क्या है

शेयर मार्केट में बहुत सारे लोगों को नहीं पता Option Trading क्या है, Call और Put क्या है। शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग करने के लिए बहुत सारे माय्धाम है उनमे से एक है Option Trading। बहुत सारे लोग शेयर मार्केट में Call & Put खरीद करके ट्रेडिंग करते हैं। आज हम सरल भाषा में जानेंगे Option Trading कैसे करे, क्या हैं-

Option Trading क्या हैं:-

आपको नाम से ही पता लग गया होगा Option का मतलब विकल्प। उदाहरण के लिए- मान लीजिये आप एक कंपनी का 1000 शेयर 5000 रुपये प्रीमियम देकर 1 महीने बाद का 100 रुपये में खरीदने का Option लेते हो। ऐसे में उस कंपनी का शेयर 1 महीने बाद 70 हो गया तब आपके पास विकल्प (Option) रहेगा उस शेयर को नुकसान में ना खरीदने का।

ऐसे में आपका प्रीमियम का पैसा डूब जायेगा। आप्शन ट्रेडिंग में नुकसान आपका उतना ही है जितना पैसा आपने प्रीमियम लेते समय दिया था। तो ऐसे में नुकसान कम से कम करने के लिए Option का प्रयोग होता हैं।

Call और Put क्या है:-

Option Trading दो तरह का होता है एक है Call और दूसरा Put। ऑप्शन ट्रेडिंग में आप दोनों तरफ पैसा लगा सकते हैं। आप यदि Call खरीद रहे हो तो तेजी की तरफ पैसा लगा रहे हो ठीक उसी तरह Put खरीदते हो तो मंदी की तरफ पैसा लगा रहे हो। आप जिस प्राइस के ऊपर Call खरीदा उसके ऊपर का प्राइस जाने के बाद ही आपको फ़ायदा होगा। ठीक उसी तरह Put खरीदा तो जिस प्राइस के ऊपर खरीदा उसके नीचे गया तो ही आपको फ़ायदा होगा।

Option Trading का Expiry कब होता है:-

Option Trading में दो तरह का Expiry होता है एक होता है सप्ताह और दूसरा होता है महीना में। सप्ताह (Weekly Expiry) में हर गुरूवार को ही NIFTY 50 और BANK NIFTY का expiry होता हैं। महीना में शेयर का अंतिम गुरूवार expiry होता है, जो शेयर Option Trading में लिस्टेड हैं।

शेयर मार्केट में Option Trading क्या है, Call और Put क्या है

कब ज्यादा नुकसान हो सकता है:-

जो लोग Call या Put Option को खरीदते है उनको Premium का ही ज्यादा से ज्यादा नुकसान हो सकता है। लेकिन जो लोग Call और Put को बेच देते है उनका नुकसान असीमित हैं। बहुत बड़े बड़े ट्रेडर ही Call या Put को बेचते हैं उसके पास नॉलेज के साथ पैसा भी बहुत होता हैं।

Option Trading कैसे करे:-

ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए आप एक कंपनी का 1 शेयर नहीं खरीद सकते आपको LOT में खरीदना पड़ेगा. Nifty50 का एक Lot 75 का होता है लेकिन शेयर में ज्यादा होता हैं। किसी भी शेयर और Nifty50, Bank NIfty का Option खरीदने के लिए आपको जाना होगा आपके Demat Account में। उसके बाद जो भी खरीदना है उसमे आपको देखने को मिलेगा Option Chain आप उस पर से आपको Call या Put जो भी खरीदना है खरीद सकते हैं।

क्या आपको Option Trading करना चाहिए हमारी राय:-

दोस्तों आप यदि नए हो शेयर मार्केट में तो आपको इतना जोखिम नहीं लेना है। आपको लंबे समय के लिए शेयर में इन्वेस्ट करना चाहिए। Option Trading बहुत ज्यादा रिस्क भी है और रिवॉर्ड भी। आप यदि सही तरीके से पैसा लगाएंगे तो आपको बहुत अच्छा मुनाफा होगा। किसी के दिए हुए नुस्के से आप बिल्कुल मत इन्वेस्ट करो आप पहले सीखिए उसके बाद इन्वेस्ट करे।

आशा करता हु आप हमारे पोस्ट शेयर मार्केट में Option Trading क्या है, Call और Put क्या है पढ़के आपको सिखने को मिला। और भी शेयर मार्केट के बारे में जानने के लिए आप हमारे और भी पोस्ट को पढ़ सकते हैं।

क्या है निफ्टी-50 और इसमें कैसे होता है शेयरों का चुनाव

निफ्टी-50 नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड भारत की टॉप 50 कंपनियों के भारित औसत का प्रतिनिधित्व करता है। वास्तव में निफ्टी-50 नेशनल स्टॉक एक्सचेंज 50 की शॉर्ट फॉर्म है। निफ्टी-50 एक मार्केट इंडेक्स है। निफ्टी को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज द्वारा साल 1996 में लाया गया था।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। जब हम शेयर मार्केट में इनवेस्टमेंट, ट्रेडिंग, बुल, बेयर, इक्विटी आदि की बात कर रहे होते हैं, तो वास्तव में हम निफ्टी या सेंसेक्स के बारे में बात कर रहे होते हैं। निफ्टी और सेंसेक्स भारत की सबसे बड़ी लिस्टेड कंपनियों को दर्शाते हैं। साथ ही ये भारतीय अर्थव्यवस्था की लॉन्ग टर्म हेल्थ का अनुमान लगाने के लिए एक बैरोमीटर का भी काम करते हैं। आज हम निफ्टी-50 की बात करने जा रहे हैं। हम जानेंगे कि इसका क्या मतलब है और इसमें कौन-सी कंपनियां शामिल होती हैं। यहां बताते चलें कि 5पैसा डॉट कॉम फाइनेंशियल प्लानिंग के लिए एक बेहतर प्लेटफॉर्म है। यहां आप म्यूचुअल फंड में भी पैसा लगा सकते हैं। खास बात यह है कि यहां जीरो ब्रोकरेज की सुविधा मिलती है।

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निफ्टी 50 क्या है?

निफ्टी-50 नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड भारत की टॉप 50 कंपनियों के भारित औसत का प्रतिनिधित्व करता है। वास्तव में, निफ्टी-50 नेशनल स्टॉक एक्सचेंज 50 की शॉर्ट फॉर्म है। निफ्टी-50 एक मार्केट इंडेक्स है। किसी भी इंडेक्स की तरह यह ब्लूचिप कंपनियों में इनवेस्टमेंट होल्डिंग्स के एक पोर्टफोलियो का प्रतिनिधित्व करता है। इसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज, भारतीय स्टेट बैंक, मारुति सुजुकी, टीसीएस, एशियन पेंट्स और 45 दूसरी इंडस्ट्री लीडिंग कंपनियां शामिल है। कई सारे म्यूचुअल फंड्स निफ्टी को अपने बेंचमार्क के रूप में यूज करते हैं। निफ्टी को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज द्वारा साल 1996 में लाया गया था।

निफ्टी 50 स्टॉक्स का चयन कैसे होता है?

निफ्टी के पास अपनी कंपनियां चुनने के लिए एक बहुत अच्छी तरह परिभाषित और पारदर्शी कार्यप्रणाली है। इस सलेक्शन प्रोसेस को हम चार पार्ट्स में देख सकते हैं। यूनिवर्स ऑफ कंपनीज, बेसिक कंस्ट्रक्ट, लिक्विडिटी रूल्स, रीबैलेंसिंग और कॉन्स्टिट्यूशन रूल्स। निफ्टी का हिस्सा बनने के लिए किसी कंपनी को पहले नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होना पड़ता है। कंपनी एनएसई के फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस सेगमेंट में ट्रेडिंग के लिए भी उपलब्ध रहनी चाहिए। बेसिक कंस्ट्रक्ट की बात करें, तो चुनी हुई कंपनी फ्री-फ्लोट मार्केट कैप के मामले में टॉप 50 कंपनीज में शामिल होनी चाहिए। तीसरी चीज है लिक्विडिटी और यहां केवल उन कंपनियों को चुना जाता है, जिनकी ट्रेडिंग वॉल्यूम हमेशा उच्च होती है। आखिरी है सेमी-एनुअल रीबैलेंसिंग एक्सरसाइज, जो यह तय करता है कि कौनसा स्टॉक निफ्टी में रहेगा, कौन-सा नया स्टॉक आएगा और कौन-सा मौजूदा शेयर निफ्टी से बाहर जाएगा। यह प्रोसेस हर साल जून और दिसंबर में होती है।

समय के साथ बदलता है निफ्टी

समय के साथ निफ्टी का सेक्टोरल रूप बदल गया है। अपनी स्थापना के समय निफ्टी में कोई भी टेक्नोलॉजी कंपनी नहीं थी और केवल एक निजी बैंक था। आज निफ्टी की टॉप-10 कंपनियों में चार निजी बैंक हैं और इंफोसिस और टीसीएस के रूप में दो बड़ी आईटी कंपनीज हैं। लेकिन इसमें कोई सरप्राइस नहीं होगा कि आने वाले 5, 10 और 20 सालों में निफ्टी अभी से काफी बदल जाएगा। समय के साथ हम नई कंपनीज और नए सेक्टर्स को उभरते हुए देखेंगे। जैसे 5 साल पहले यहां कोई इंश्योरेंस कंपनी नहीं थी, लेकिन आज है। इसी तरह ई-कॉमर्स और इंटरनेट कंपनियां पहले पूरी तरह प्राइवेट थीं, लेकिन आज हमारे पास जोमैटो है। इसके बाद फ्लिपकार्ट, पेटीएम, बायजू और दूसरे नए कंज्यूमर फेसिंग बिजनस इसे फॉलो करेंगे।

1000 अंक के बेस से हुई थी शुरुआत

निफ्टी50 ने अपनी यात्रा 1000 पॉइंट्स की बेस वेल्यू से शुरू की थी। आज यह 18,000 के स्तर को पार कर गया है। इस तरह इसने गोल्ड और रियल एस्टेट जैसे दूसरी एसेट क्लास की तुलना में काफी अधिक रिटर्न दिया है। हालांकि, इक्विटी मार्केट्स के नेचर को दर्शाते हुए निफ्टी 50 में कई उतार-चढ़ाव भी आए हैं। जैसे साल 2008 में निफ्टी 50 फीसद से अधिक गिर गया और अगले ही साल 2009 में 76 फीसद बढ़ गया।

निफ्टी में आज कॉल राइटर्स का पलड़ा भारी, जानें मंथली एक्सपायरी वाले हफ्ते में शिवांगी सरडा के कमाई वाले ट्रेड

आज बैंक निफ्टी को प्राइवेट बैंकों से सहारा नहीं मिल रहा है बल्कि सरकारी बैंक से अच्छा सपोर्ट मिलता दिखाई दे रहा है

लगातार तीन दिनों की तेजी के बाद बाजार में नरमी का रुख है। निफ्टी 15800 के नीचे फिसल गया है। बैंक निफ्टी में दबाव ज्यादा है। निफ्टी में आज कॉल राइटर्स हावी हैं। 15800 पर सबसे ज्यादा कॉल राइटिंग हैं। वहीं 15600 पर पुट राइटर्स ऑप्शंस ट्रेडिंग के लिए कौन सी ब्रोकरेज अच्छी है? सहारा तलाश रहे हैं। बैंक निफ्टी की बात की जाए तो राइटर्स के बीच अच्छी टक्कर है। 34000 की कॉल और 33600 की पुट में राइटिंग दिख रही है।

ऐसे में हम ऑप्शंस के आंकड़ों के जरिये ये समझने की कोशिश करेंगे की राइटर्स इस हफ्ते होने वाली मंथली एक्सपायरी की कौन सी रेंज देख रहे हैं। सीएनबीसी-आवाज़ के फ्यूचर एक्सप्रेस में ऑप्शंस ट्रेडिंग के लिए कौन सी ब्रोकरेज अच्छी है? आज की हमारी एक्सपर्ट मोतीलाल ओसवाल की शिवांगी सरडा हैं। शिवांगी ने अपनी शानदार कॉल्स के साथ सस्ता ऑप्शन भी दिया।

वायदा बाजार में आज के FRESH LONG रोल्स वाले शेयर

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मोतीलाल ओसवाल की शिवांगी सरडा की बाजार पर राय

शिवांगी सरडा ने कहा कि आज निफ्टी गैप-अप खुला उसके बाद दायरे में कारोबार करता हुआ दिखा है। निफ्टी जब तक 15750 के स्तर के ऊपर कारोबार करेगा तब तक इसके 16000 के स्तर तक जाने की संभावना है। वहीं निफ्टी नीचे सरकता है तो इसमें 15555 के स्तर पर अहम सपोर्ट भी नजर आ रहा है। इंडिया विक्स कूल ऑफ नहीं होता है तब तक बाजार की तेजी ऊपर की तरफ एक स्तर पर जाकर अटकती हुई नजर आयेगी।

बैंक निफ्टी पर शिवांगी ने कहा कि इसमें आज के लो पर सपोर्ट दिख रहा है। इसमें 33500 के स्तर से सपोर्ट लेकर उछाल की कोशिशें नजर आ रही हैं। जब तक ये इस लेवल को ब्रेक नहीं करता है तब तक इसमें 34000 के स्तर देखने को मिल सकते हैं। वैसे भी आज बैंक निफ्टी को केवल पीएसयू बैंकों से सहारा मिल रहा है जबकि प्राइवेट बैंक इसको सपोर्ट नहीं कर रहे हैं।

शिवांगी सरडा के आज के दमदार स्टॉक्स

SBI June Fut : खरीदें, लक्ष्य-480 रुपये, स्टॉपलॉस-455 रुपये

Dixon Tech June Fut : खरीदें-3688 रुपये, लक्ष्य-4000 रुपये, स्टॉपलॉस-3600 रुपये

आज का सस्ता ऑप्शन: M&M

शिवांगी ने कहा कि इस दिग्गज ऑटो स्टॉक में सस्ता ऑप्शन खरीदना चाहिए। इसमें आगे और तेजी नजर आ सकती है। इसलिए एमएंडएम की जुलाई सीरीज की 1110 के स्ट्राइक की कॉल 32 रुपये के स्तर पर खरीदें। इसमें 45 रुपये के लक्ष्य देखने को मिल सकते हैं। हालांकि इसमें 25 रुपये पर स्टॉपलॉस भी लगाना चाहिए।

(डिस्क्लेमरः Moneycontrol.com पर दिए जाने वाले विचार और निवेश सलाह निवेश विशेषज्ञों के अपने निजी विचार और राय होते हैं। Moneycontrol यूजर्स को सलाह देता है कि वह कोई निवेश निर्णय लेने के पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह लें। )

Stock Market Trading: बेस्ट ऑप्शंस ट्रेडिंग के लिए कौन सी ब्रोकरेज अच्छी है? करियर ऑप्शन में से एक है स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग, जानें कैसे करें कोर्स

Stock Market Trading Courses: यहां जानें स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग में करियर विकल्प क्या हैं और आप इसमें किन योग्यताओं के साथ जॉब कर सकते हैं।

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हाइलाइट्स

  • स्टॉक मार्केट क्यों है बेस्ट करियर ऑप्शन?
  • जानें कोर्स के लिए कौन-सी योग्ताएं हैं जरूरी
  • इस फील्ड में जॉब करने से मिलते हैं कई फायदे
  • आप अपने खुद के मालिक हो सकते हैं।
  • करेक्ट नॉलेज और स्ट्रेटजी के साथ, आप मार्केट से अच्छा पैसा कमा सकते हैं।
  • आप कैश मार्केट (cash market) से डेरिवेटिव मार्केट (derivative market) तक बढ़ सकते हैं और लीवरेज को अपना फ्रेंड बना सकते हैं
  • आप रिसर्चर या ट्रेनर भी बन सकते हैं
  • आप सेबी पंजीकृत निवेश सलाहकार (SEBI registered Investment Advisor) या सेबी पंजीकृत अनुसंधान विश्लेषक (SEBI registered Research Analyst) बन सकता है और कंसल्टिंग कर सकते हैं।
  1. स्टॉकब्रोकर (Stockbroker)
  2. फाइनांशियल एडवाइजर (Financial Advisor)
  3. इनवेस्टमेंट एडवाइजर (Investment Advisor)
  4. पोर्टफोलिया मैनेजमेंट सर्विस (Portfolio Management Services) (PMS)
  5. रिसर्च एनालिस्ट (Research Analyst)
  6. ऑनलाइन स्टॉक ट्रेडिंग (Online Stock Trading)
  7. फाइनांशियल एनालिस्ट (Financial Analyst)
  8. इक्वीटी इनालिस्ट (Equity Analyst (Fundamental/ Technical)
  9. मार्केट रिसर्चर (Market Researcher)
  10. एमएफ डिस्ट्रिब्यूटर / एडवाइजर (MF Distributor/Advisor)
  11. इंश्योरेंस डिस्ट्रीब्यूटर / एडवाइजर (Insurance distributor/advisor)
  • एक क्लीयर ट्रेडिंग प्लान तैयार करना। ट्रेडिंग प्लान का लक्ष्य श्ूजर के लिए क्लीयर और मीनिंगफुल होना चाहिए।
  • स्ट्रैटजी को लागू करने के लिए ट्रेडर को टेक्नोलॉजी और मेथ्ड से फैमिलियर होना चाहिए।
  • आउटकम को प्राप्त करने की प्लानिंग के लिए, ट्रेडर को प्लानिंग पर भरोसा करना चाहिए।
  • लगातार सफलता प्राप्त करने में सक्षम होने के लिए रेवेंज ट्रेडिंग (revenge trading), रीसेंसी बायस (recency bias), स्टीरियोटाइपिंग इत्यादि जैसे बिहेवेरियल बायसेज (behavioral biases) के बारे में हमेशा अवेयर रहना चाहिए।
  • हमेशा कुछ नियम रखें और हमेशा उनका पालन करें।
  • ट्रेडिंग को फुलटाइम प्रोफेशन/बिजनेस के रूप में मानें जिसमें बिजनेस करने की लागत में आपको होने वाली हानि होती है। नुकसान से कभी भी न हिचकिचाएं और हमेशा स्ट्रिक्ट स्टॉप-लॉस का पालन करें।
  1. ट्रेडर ज्यादातर सेल्फ थॉट ब्रीड (self-taught breed) होते हैं। हालांकि, एक प्रोफेशनल ट्रेडर को शुरू करने के लिए फाइनांस की मूल बातें समझने की जरूरत है। कॉलेज की डिग्री आजकल एक प्रीकंडीशन है - कम से कम यदि आप ट्रेडिंग को सिरियसली लेना चाहते हैं या किसी सम्मानजनक फाइनांशियल इंस्टीट्यूशन या कॉर्पोरेशन में ट्रेडिंग से रिलेटेड करियर बनाना चाहते हैं।
  2. अधिकांश ट्रेडर के पास मैथ्स, फाइनांस, अकाउंटिंग, इकोनॉमिक्स या इंडस्ट्री में डिग्री होती है। डिफाइंड क्राइटेरिया के रूप में, शुरुआत करने के लिए आयु 18 वर्ष हो ऐसा जरूरी नहीं है। शेयर बाजार में निवेश करने की कोई न्यूनतम उम्र नहीं है। नाबालिग और वयस्क दोनों शेयरों में निवेश कर सकते हैं।
  3. माता-पिता या गार्जियन द्वारा संबंधित दस्तावेज जमा करने के बाद नाबालिग के नाम पर अकाउंट खोला जा सकता है। नाबालिग के वयस्क होने तक माता-पिता या गार्जियन अकाउंट की देखरेख करते हैं। नाबालिग के 18 साल के होने के बाद, डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट व्यक्ति को कुछ केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) दस्तावेज प्राप्त करने के लिए एक एडवाइजरी भेजता है ताकि वह नया अकाउंट खोल सके और उसमें डिटेल ट्रांसफर कर सके।
  4. डीमैट अकाउंट खोलने के लिए पैन कार्ड जरूरी है। इसे खोलते समय आपको केवाईसी दस्तावेजों के साथ अपने पैन कार्ड की एक प्रति जमा करनी होगी। दूसरी ओर, किसी के लिए इस इंडस्ट्री में इनवेस्टेंट एडवाइजरी या किसी कंसल्टिंग कंपनी में प्रोफेशनल के रूप में काम करने के लिए एनआईएसएम सर्टिफाइड होना चाहिए और इकोनॉमिक्स / बिजनेस मैनेजमेंट / फाइनांस या इसी तरह के कोर्स में मास्टर या ग्रेजुएट होना जरूरी है।

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क्या है निफ्टी-50 और इसमें कैसे होता है शेयरों का चुनाव

निफ्टी-50 नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड भारत की टॉप 50 कंपनियों के भारित औसत का प्रतिनिधित्व करता है। वास्तव में निफ्टी-50 नेशनल स्टॉक एक्सचेंज 50 की शॉर्ट फॉर्म है। निफ्टी-50 एक मार्केट इंडेक्स है। निफ्टी को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज द्वारा साल 1996 में लाया गया था।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। जब हम शेयर मार्केट में इनवेस्टमेंट, ट्रेडिंग, बुल, बेयर, इक्विटी आदि की बात कर रहे होते हैं, तो वास्तव में हम निफ्टी या सेंसेक्स के बारे में बात कर रहे होते हैं। निफ्टी और सेंसेक्स भारत की सबसे बड़ी लिस्टेड कंपनियों को दर्शाते हैं। साथ ही ये भारतीय अर्थव्यवस्था की लॉन्ग टर्म हेल्थ का अनुमान लगाने के लिए एक बैरोमीटर का भी काम करते हैं। आज हम निफ्टी-50 की बात करने जा रहे हैं। हम जानेंगे कि इसका क्या मतलब है और इसमें कौन-सी कंपनियां शामिल होती हैं। यहां बताते चलें ऑप्शंस ट्रेडिंग के लिए कौन सी ब्रोकरेज अच्छी है? कि 5पैसा डॉट कॉम फाइनेंशियल प्लानिंग के लिए एक बेहतर प्लेटफॉर्म है। यहां आप म्यूचुअल फंड में भी पैसा लगा सकते हैं। खास बात यह है कि यहां जीरो ब्रोकरेज की सुविधा मिलती है।

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निफ्टी 50 क्या है?

निफ्टी-50 नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड भारत की टॉप 50 कंपनियों के भारित औसत का प्रतिनिधित्व करता है। वास्तव में, निफ्टी-50 नेशनल स्टॉक एक्सचेंज 50 की शॉर्ट फॉर्म है। निफ्टी-50 एक मार्केट इंडेक्स है। किसी भी इंडेक्स की तरह यह ब्लूचिप कंपनियों में इनवेस्टमेंट होल्डिंग्स के एक पोर्टफोलियो का प्रतिनिधित्व करता है। इसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज, भारतीय स्टेट बैंक, मारुति सुजुकी, टीसीएस, एशियन पेंट्स और 45 दूसरी इंडस्ट्री लीडिंग कंपनियां शामिल है। कई सारे म्यूचुअल फंड्स निफ्टी को अपने बेंचमार्क के रूप में यूज करते हैं। निफ्टी को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज द्वारा साल 1996 में लाया गया था।

निफ्टी 50 स्टॉक्स का चयन कैसे होता है?

निफ्टी के पास अपनी कंपनियां चुनने के लिए एक बहुत अच्छी तरह परिभाषित और पारदर्शी कार्यप्रणाली है। इस सलेक्शन प्रोसेस को हम चार पार्ट्स में देख सकते हैं। यूनिवर्स ऑफ कंपनीज, बेसिक कंस्ट्रक्ट, लिक्विडिटी रूल्स, रीबैलेंसिंग और कॉन्स्टिट्यूशन रूल्स। निफ्टी का हिस्सा बनने के लिए किसी कंपनी को पहले नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होना पड़ता है। कंपनी एनएसई के फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस सेगमेंट में ट्रेडिंग के लिए भी उपलब्ध रहनी चाहिए। बेसिक कंस्ट्रक्ट की बात करें, तो चुनी हुई कंपनी फ्री-फ्लोट मार्केट कैप के मामले में टॉप 50 कंपनीज में शामिल होनी चाहिए। तीसरी चीज है लिक्विडिटी और यहां केवल उन कंपनियों को चुना जाता है, जिनकी ट्रेडिंग वॉल्यूम हमेशा उच्च होती है। आखिरी है सेमी-एनुअल रीबैलेंसिंग एक्सरसाइज, जो यह तय करता है कि कौनसा स्टॉक निफ्टी में रहेगा, कौन-सा नया स्टॉक आएगा और कौन-सा मौजूदा शेयर निफ्टी से बाहर जाएगा। यह प्रोसेस हर साल जून और दिसंबर में होती है।

समय के साथ बदलता है निफ्टी

समय के साथ निफ्टी का सेक्टोरल रूप बदल गया है। अपनी स्थापना के समय निफ्टी में कोई भी टेक्नोलॉजी कंपनी नहीं थी और केवल एक निजी बैंक था। आज ऑप्शंस ट्रेडिंग के लिए कौन सी ब्रोकरेज अच्छी है? निफ्टी की टॉप-10 कंपनियों में चार निजी बैंक हैं और इंफोसिस और टीसीएस के रूप में दो बड़ी आईटी कंपनीज हैं। लेकिन इसमें कोई सरप्राइस नहीं होगा कि आने वाले 5, 10 और 20 सालों में निफ्टी अभी से काफी बदल जाएगा। समय के साथ हम नई कंपनीज और नए सेक्टर्स को उभरते हुए देखेंगे। जैसे 5 साल पहले यहां कोई इंश्योरेंस कंपनी नहीं थी, लेकिन आज है। इसी तरह ई-कॉमर्स और इंटरनेट कंपनियां पहले पूरी तरह प्राइवेट थीं, लेकिन आज हमारे पास जोमैटो है। इसके बाद फ्लिपकार्ट, पेटीएम, बायजू और दूसरे नए कंज्यूमर फेसिंग बिजनस इसे फॉलो करेंगे।

1000 अंक के बेस से हुई थी शुरुआत

निफ्टी50 ने अपनी यात्रा 1000 पॉइंट्स की बेस वेल्यू से शुरू की थी। आज यह 18,000 के स्तर को पार कर गया है। इस तरह इसने गोल्ड और रियल एस्टेट जैसे दूसरी एसेट क्लास की तुलना में काफी अधिक रिटर्न दिया है। हालांकि, इक्विटी मार्केट्स के नेचर को दर्शाते हुए निफ्टी 50 में कई उतार-चढ़ाव भी आए हैं। जैसे साल 2008 में निफ्टी 50 फीसद से अधिक गिर गया और अगले ही साल 2009 में 76 फीसद बढ़ गया।

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