Edible Oil Price: खाने के तेल अब और नहीं होंगे महंगे, सरकार ने उठाए बड़े कदम, जानिए आप पर क्या होगा असर

केंद्र ने कहा है कि राज्य आपूर्ति श्रृंखला और व्यापार को बाधित किए बिना इस आदेश को लागू करें.

केंद्र ने कहा है कि राज्य आपूर्ति श्रृंखला और व्यापार को बाधित किए बिना इस आदेश को लागू करें.

Edible Oil Price: खाने के तेल की बढ़ रहीं कीमतों को काबू में रखने के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों को इन कमोडिटी पर भंडार . अधिक लिमिट ऑर्डर क्या है पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : February 10, 2022, 13:50 IST

नई दिल्ली. खाने के तेल की (Edible Oil Price) बढ़ रहीं कीमतों को काबू में रखने के लिए सरकार कई तरह के प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में उसने राज्यों को इन कमोडिटी पर भंडारण की सीमा (Stock Limit on Oil Seeds) का आदेश लागू करने को कहा है. आधिकारिक बयान में कहा गया है कि केंद्र ने राज्यों से कहा है कि वे आपूर्ति श्रृंखला और व्यापार को बाधित किए बिना इस आदेश को लागू करें.

केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने तीन फरवरी को खाद्य तेलों और तिलहनों पर भंडार सीमा को तीन महीने यानी 30 जून तक बढ़ाने का आदेश दिया था. आदेश में भंडारण की सीमा का भी उल्लेख था. मंत्रालय ने सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के साथ इस योजना के क्रियान्वयन की समीक्षा की. मंत्रालय ने बयान में कहा कि बैठक के दौरान इस बात पर जोर दिया गया कि राज्य/संघ शासित प्रदेश स्टॉक सीमा के आदेश को लागू करें.

अंतरराष्ट्रीय कीमतों का असर
बयान में कहा गया है कि इस कदम से अनुचित व्यवहार मसलन जमाखोरी, कालाबाजारी पर रोक लगेगी. राज्यों को खाद्य तेलों के मौजूदा अंतरराष्ट्रीय मूल्य परिदृश्य के बारे में भी बताया. राज्यों को इस बात की जानकारी दी गई कि अंतरराष्ट्रीय कीमतें किस तरह से भारतीय बाजार को प्रभावित कर रही हैं.

जानिए किसके लिए कितना है स्टॉक लिमिट
खाद्य तेलों के मामले में खुदरा कारोबारियों के लिए भंडारण की सीमा 30 क्विंटल है. थोक व्यापारियों के लिए 500 क्विंटल, थोक उपभोक्ताओं की खुदरा दुकानों मसलन बड़ी श्रृंखला एवं रिटेलर के लिए यह सीमा 30 क्विंटल और उनके डिपो के लिए 1,000 क्विंटल है. खाद्य तेलों के प्रसंस्करणकर्ता अपनी भंडारण क्षमता के 90 दिन के बराबर का स्टॉक रख सकते हैं.

निर्यातकों और आयातकों को कुछ छूट
तिलहनों के मामले में खुदरा कारोबारियों के लिए भंडारण की सीमा 100 क्विंटल और थोक व्यापारियों के लिए 2,000 क्विंटल है. खाद्य तिलहनों के प्रसंस्करणकर्ता 90 दिन के खाद्य तेलों के उत्पादन के बराबर तिलहनों का स्टॉक रख पाएंगे. इस आदेश के दायरे से निर्यातकों और आयातकों को कुछ शर्तों के साथ बाहर रखा गया है.

खाद्य तेल का भी हो रिजर्व
केडिया एडवाइजरी के प्रबंध निदेशक अजय केडिया का कहना है खाद्य तेल की कीमतों को काबू में रखने के लिए सरकार को गेहूं और चावल की तरह खाने के तेल का भी रिजर्व बनाने पर जोर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि महामारी से जुड़ीं पाबंदियां हटने से कारोबारी गतिविधियों में तेजी आई है. इससे खाद्य तेल की मांग भी बढ़ रही है. ऐसे में निकट भविष्य में कीमतों में गिरावट का अनुमान नहीं है. हालांकि, इस साल की दूसरी छमाही से कीमतों के मोर्चे पर कुछ राहत जरूर मिलेगी.

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नगरीय विकास एवं आवास विभाग

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1950 में भारत के गणतंत्र की नींव के साथ राज्यों का पुनर्गठन हुआ, इसके फलस्वरूप मध्य प्रदेश राज्य की स्थापना 1956 में की गयी, सन 2000 तक भौगोलिक रूप से मध्य प्रदेश सबसे बड़ा राज्य था। सन 2000 में इसका विभाजन कर छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना की गयी, इसके बावजूद भी यह राजस्थान के बाद दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। देश के कुल क्षेत्रफल का 9.5% (308,000 वर्ग की.मी.) और 6% जनसंख्या (7.25 करोड़) मध्य प्रदेश में है। देश की कुल नगरीय जनसंख्या के आधार पर मध्य प्रदेश अपनी 5.57% जनसंख्या के साथ आठवे स्थान पर आता है।

Edible Oil Price: खाने के तेल अब और नहीं होंगे महंगे, सरकार ने उठाए बड़े कदम, जानिए आप पर क्या होगा असर

केंद्र ने कहा है कि राज्य आपूर्ति श्रृंखला और व्यापार को बाधित किए बिना इस आदेश को लागू करें.

केंद्र ने कहा है कि राज्य आपूर्ति श्रृंखला और व्यापार को बाधित किए बिना इस आदेश को लागू करें.

Edible Oil Price: खाने के तेल की बढ़ रहीं कीमतों को काबू में रखने के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों को इन कमोडिटी पर भंडार . अधिक पढ़ें

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  • Last Updated : February 10, 2022, 13:50 IST

नई दिल्ली. खाने के तेल की (Edible Oil Price) बढ़ रहीं कीमतों को काबू में रखने के लिए सरकार कई तरह के प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में उसने राज्यों को इन कमोडिटी पर भंडारण की सीमा (Stock Limit on Oil Seeds) का आदेश लागू करने को कहा है. आधिकारिक बयान में कहा गया है कि केंद्र ने राज्यों से कहा है कि वे आपूर्ति श्रृंखला और व्यापार को बाधित किए बिना इस आदेश को लागू करें.

केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने तीन फरवरी को खाद्य तेलों और तिलहनों पर भंडार सीमा को तीन महीने यानी 30 जून तक बढ़ाने का आदेश दिया था. आदेश में भंडारण की सीमा का भी उल्लेख था. मंत्रालय ने सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के साथ इस योजना के क्रियान्वयन की समीक्षा की. मंत्रालय ने बयान में कहा कि बैठक के दौरान इस बात पर जोर दिया गया कि राज्य/संघ शासित प्रदेश स्टॉक सीमा के आदेश को लागू करें.

अंतरराष्ट्रीय कीमतों का असर
बयान में कहा गया है कि इस कदम से अनुचित व्यवहार मसलन जमाखोरी, कालाबाजारी पर रोक लगेगी. राज्यों को खाद्य तेलों के मौजूदा अंतरराष्ट्रीय मूल्य परिदृश्य के बारे में भी बताया. राज्यों को इस बात की जानकारी दी गई कि अंतरराष्ट्रीय कीमतें किस तरह से भारतीय बाजार को प्रभावित कर रही हैं.

जानिए किसके लिए कितना है स्टॉक लिमिट
खाद्य तेलों के मामले में खुदरा कारोबारियों के लिए भंडारण की सीमा 30 क्विंटल है. थोक व्यापारियों के लिए 500 क्विंटल, थोक उपभोक्ताओं की खुदरा दुकानों मसलन बड़ी श्रृंखला एवं रिटेलर के लिए यह सीमा 30 क्विंटल और उनके डिपो के लिए 1,000 क्विंटल है. खाद्य तेलों के प्रसंस्करणकर्ता अपनी भंडारण क्षमता के 90 दिन के बराबर का स्टॉक रख सकते हैं.

निर्यातकों और आयातकों को कुछ छूट
तिलहनों के मामले में खुदरा कारोबारियों के लिए भंडारण की सीमा 100 क्विंटल और थोक व्यापारियों के लिए 2,000 क्विंटल है. खाद्य तिलहनों के प्रसंस्करणकर्ता 90 दिन के खाद्य तेलों के उत्पादन के बराबर तिलहनों का स्टॉक रख पाएंगे. इस आदेश के दायरे से निर्यातकों और आयातकों को कुछ शर्तों के साथ बाहर रखा गया है.

खाद्य तेल का भी हो रिजर्व
केडिया एडवाइजरी के प्रबंध निदेशक अजय केडिया का कहना है खाद्य तेल की कीमतों को काबू में रखने के लिए सरकार को गेहूं और चावल की तरह खाने के तेल का भी रिजर्व बनाने पर जोर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि महामारी से जुड़ीं पाबंदियां हटने से कारोबारी गतिविधियों में तेजी आई है. इससे खाद्य तेल की मांग भी बढ़ रही है. ऐसे में निकट भविष्य में कीमतों में गिरावट का अनुमान नहीं है. हालांकि, इस साल की दूसरी छमाही से कीमतों के मोर्चे पर कुछ राहत जरूर मिलेगी.

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खाने का तेल सस्ता करने को लेकर हुई अहम बैठक

सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने 8 फरवरी, 2022 को एक बैठक की, जिसमें तीन फरवरी, 2022 को जारी उपरोक्त आदेश को क्रियान्वित करने की योजना पर चर्चा की गई.

खाने का तेल सस्ता करने को लेकर हुई अहम बैठक

केंद्र सरकार (Central Government) ने तीन फरवरी, 2022 को एक आदेश को अधिसूचित किया था, जिसके तहत खाद्य तेल (Edible Oil) और तिलहनों की भंडारण सीमा मात्रा 30 जून, 2022 तक बढ़ा दी गई है. इसका उद्देश्य है देश में खाद्य तेलों की कीमतें स्थिर करने के लिये सरकार द्वारा उठाये गये विभिन्न पहलों में तेजी आ सके. भंडारण सीमा आदेश (Stock Limit Order), केंद्र सरकार के साथ-साथ सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह अधिकार देता है कि वे खाद्य तेलों और तिलहनों के भंडारण तथा वितरण को नियमबद्ध कर सकें. इससे देश में खाद्य तेलों और तिलहनों की जमाखोरी रोकने के सरकारी प्रयासों को बल मिलेगा. सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने 8 फरवरी, 2022 को एक बैठक की, जिसमें तीन फरवरी, 2022 को जारी उपरोक्त आदेश को क्रियान्वित करने की योजना पर चर्चा की गई.

बैठक के दौरान इस बात पर बल दिया गया कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारी बिना सप्लाई चेन और वैधानिक कारोबार में अड़चन पैदा किये भंडारण सीमा मात्रा आदेश लागू कर सकते हैं.

खाद्य तेलों के संबंध में तय की गई भंडारण सीमा

खाद्य तेलों के संबंध में भंडारण सीमा तय कर दी गई है. भंडारण सीमा खुदरा व्यापारियों के लिये 30 कुंतल, थोक व्यापारियों के लिये 500 कुंतल, बड़े रिटेलरों की दुकानों लिमिट ऑर्डर क्या है की श्रृंखला के लिये 30 कुंतल और उनके डिपो के लिये 1000 कुंतल तय की गई है.

तिलहनों के सम्बंध में खुदरा व्यापारियों की भंडारण सीमा 100 कुंतल और थोक व्यापारियों के लिये 2000 कुंतल है. तिलहनों का प्रसंस्करण करने वालों के लिये उत्पादित खाद्य तेल का भंडारण 90 दिनों तक किया जा सकता है, जो प्रतिदिन के हिसाब से उत्पादन क्षमता पर निर्भर होगा. निर्यातकों और आयातकों को कुछ शर्तों के साथ इस आदेश के दायरे से बाहर रखा गया है.

भंडारण सीमा की निगरानी करेंगे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश

बैठक में बताया गया कि यदि सम्बंधित वैधानिक प्रतिष्ठानों के पास भंडारण तय सीमा से अधिक हुआ, तो उसे खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के पोर्टल portal (https://evegoils.nic.in/eosp/login) पर घोषित करना होगा. इसके अलावा यह घोषणा करने के बाद भंडारण सीमा को 30 दिनों के भीतर तय सीमा में लाना होगा. राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को पोर्टल तक पहुंच बना दी गई है, ताकि वे प्रतिष्ठानों द्वारा घोषित भंडारण की निगरानी कर सकें. इसके साथ ही राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी गई है कि वे पोर्टल के जरिये भंडारण सीमा की नियमित निगरानी करते रहें.

आशा की जाती है कि उपरोक्त उपाय से जमाखोरी, काला-बाजारी आदि अवैधानिक कृत्यों को रोका जा सकेगा तथा खाद्य तेलों की कीमतों में इजाफा नहीं होगा. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य की भी जानकारी दी गई और यह भी बताया गया कि इससे भारतीय बाजार किस तरह प्रभावित होता है.

क्यों एयर इंडिया ने ऑर्डर किए 500 नए जेट? समझिए क्या है टाटा ग्रुप का प्लान

क्यों एयर इंडिया ने ऑर्डर किए 500 नए जेट? समझिए क्या है टाटा ग्रुप का प्लान

डीएनए हिंदी: एयर इंडिया द्वारा आने वाले दिनों में 500 नए विमानों को अपने बेड़े में शामिल किए जाने की खबर से एविएशन इंडिस्ट्री में उत्साह है. खबरों के मुताबिक, टाटा ग्रुप ये 500 नए विमान एयरबस और बोइंग- दोनों ही कंपनियों से खरीदने वाला है. इस साल की शुरुआत में एयर इंडिया को टाटा समूह द्वारा खरीद लिया गया था, जिसके बाद से ही यह एयरलाइन इस रिवाइवल के प्लांस बना लिमिट ऑर्डर क्या है रहा है. कहा जा रहा है कि नए विमानों के लिए टाटा समूह की डील भी हो चुकी है. खबरों के मुताबिक, कंपनी ने जो ऑर्डर दिया है उसमें 400 नैरो-बॉडी जेट और 100 या अधिक वाइड-बॉडी जेट हैं. इनमें एयरबस A350 और बोइंग 787 और 777 शामिल हैं. हालांकि इसको लेकर एयरबस, बोइंग या फिर टाटा ग्रुप की तरफ से कोई आधिकारिक बयान दिया है.

क्यों विशेष है ये डील?
अगर टाटा ग्रुप का यह प्लान सफल होता है तो वह विमानों की संख्या के मामले में सबसे बड़ी एयरलाइन बन सकती है. इतना ही नहीं, कहा तो यहां तक जा रहा है कि एयर इंडिया ऑर्डर के मामले में एक अमेरिकन एयरलाइन को भी पीछे छोड़ सकती है. इस कंपनी ने एक दशक पहले एयरबस और बोइंग को 460 जेट्स का ऑर्डर दिया था.

इसके अलावा गौर करने वाली बात यह है कि टाटा ग्रुप की तरफ से यह ऐलान एयर इंडिया और विस्तारा के मर्जर की घोषणा के बाद किया गया है. विस्तारा के साथ डील में एयर इंडिया को 218 विमानों का बेड़ा मिला है. इन विमानों के मिलने के साथ ही एयर इंडिया देश का सबसे बड़ा इंटरनेशनल कैरियर बन गया है. हालांकि देश के अंदर उड़ान भरने वाली कंपनियों में अभी भी इसका नंबर इंडिगो के बाद ही आता है.

एविएशन इंडस्ट्री के लिए कैसे जग रही उम्मीद?

कोरोना संक्रमण की वजह से एविएशन इंडस्ट्री को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा है. कोरोना संक्रमण के मामले घटने के बाद से फ्लाइट के जरिए यात्रा करने वालों की संख्या में इजाफा जरूर हो रहा है लेकिन एविएशन इंडस्ट्री लगातार बढ़ते औद्योगिक और पर्यावरण संबंधित प्रेशर का सामना कर रही है.

क्या है टाटा का प्लान?
हाल ही में टाटा और एसआईए ने एयर इंडिया और विस्तारा के मर्जर का ऐलान किया है. उम्मीद है कि एयर इंडिया ग्रुपर मार्च 2024 तक एयर इंडिया, विस्तारा, लिमिट ऑर्डर क्या है एयर एशिया इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस का मर्जर पूरा कर लेगा. यह ग्रुपर एयर इंडिया एक्सप्रेस और एयर एशिया इंडिया के मर्जर के जरिए लो-कॉस्ट फ्लाइट सेवाएं देकर मार्केट पर कब्जा करना चाहता है. अब 500 नए विमानों के ऑर्डर के जरिए टाटा ग्रुप बेहद सावधानी के साथ भारत में और भारत से आने-जाने बड़ी संख्या में यात्रियों को अपना टारगेट बनाना चहाता है. भारत से अन्य देशों में आने-जाने वाले ट्रैफिक में अभी भी एक बड़ी हिस्सा विदेशी कंपनियों का है.

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