Stock Exchange Kya Hai | History of Stock Exchange (हिंदी में)

जब शेयर बाजार में पैसा लगाने की बात आती है, तो स्टॉक एक्सचेंज (Share Market) का नाम सुना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि स्टॉक एक्सचेंज क्या है? कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में क्यों शामिल होती है? स्टॉक एक्सचेंज कैसे काम करता है? भारत में कितने शेयर बाजार है? और इसका इतिहास क्या है, अगर आप यह सब नही डेरिवेटिव एक्सचेंज क्या है? जानते है, तो इस लेख को पूरा पढ़ें, हम आपको Stock Exchange के बारे में पूरी जानकारी विस्तार से बताएंगे

Stock Exchange Kya Hai

स्टॉक एक्सचेंज को शेयर मार्केट भी कहा जाता है, एक बाजार जहां किसी भी कंपनी का मालिक अपनी कंपनी के शेयर बेचता है और निवेशक उस शेयर को खरीदते है, इसके अलावा स्टॉक एक्सचेंज, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड, डिबेंचर, डेरिवेटिव और सरकारी सिक्योरिटी भी ट्रेड होती है.

एक कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में क्यों शामिल होती है

जब किसी कंपनी का मालिक अपने व्यापार को बढ़ाना चाहता है, तो उसे पैसे की जरूरत होती है, अगर उस कंपनी के मालिक के पास इतना पैसा नही है, तो कंपनी का मालिक पैसा इकट्ठा करने के लिए किसी भी स्टॉक एक्सचेंज पर अपनी कंपनी के शेयर बेच सकता है. इस प्रक्रिया को IPO (Initial Public Offering) कहा जाता है.

भारत में कितने शेयर बाजार है

पहले भारत में कुल 23 स्टॉक एक्सचेंज थे, लेकिन वर्तमान में देखे तो फिलहाल 7 सक्रिय स्टॉक एक्सचेंज है.

• नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (NSE)

• बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE)

• यूनिवर्सल कमोडिटी एक्सचेंज (UCX)

• मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (MCX)

• इंडिया कमोडिटी एक्सचेंज लिमिटेड (ECX)

• नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (NCDEX)

• मेट्रोपॉलिटन स्टॉक एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया (MSE)

फिलहाल मेट्रोपॉलिटन स्टॉक एक्सचेंज 15 सितंबर 2022 तक वैध है. 15 सितंबर 2022 के बाद यह स्टॉक एक्सचेंज बंद भी हो सकता है.

भारत के लोकप्रिय स्टॉक एक्सचेंज

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) भारत में दो लोकप्रिय स्टॉक एक्सचेंज है. जिनमें लगभग 6000 कंपनियां बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में लिस्टेड है और लगभग 2000 कंपनियां नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड है.

भारतीय स्टॉक एक्सचेंज का इतिहास

भारत में पहला स्टॉक एक्सचेंज 1875 में मुंबई के उपनगर दलाल स्ट्रीट मे (BSE) बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज नाम से शुरू किया गया था और NSE (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) 1992 में शुरू किया गया था, यह भारत में पहला स्टॉक एक्सचेंज था जिसे इलेक्ट्रॉनिक रूप से संचालित किया गया था.

शेयर मार्किट ओपन टाइम

स्टॉक एक्सचेंज में निवेश करने के तरीके

स्टॉक एक्सचेंज में शेयर खरीदने या निवेश करने के दो तरीके है, पहला प्राइमरी मार्केट से और दूसरा सेकेंडरी मार्केट से

प्राइमरी मार्केट – जब कोई कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में पहली बार लिस्टेड होती है तो उसे initial public offering (IPO) कहते है, जिसमें निवेशक डायरेक्ट कंपनी से शेयर खरीदकर निवेश करते है, इसलिए इसे प्राइमरी मार्केट कहते है.

सेकेंडरी मार्केट – स्टॉक एक्सचेंज एक सेकेंडरी मार्केट है, जब प्राइमरी मार्केट यानि आईपीओ (IPO) में खरीदे गए शेयरों को स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट किया जाता है, तो हम उन्हें स्टॉक एक्सचेंज में खरीद और बेच सकते है, सेकेंडरी मार्केट में केवल निवेशक ही एक दूसरे से शेयर खरीदते और बेचते है. इसमें कंपनी शामिल नही होती है.

स्टॉक एक्सचेंज कैसे काम करता है

पहले कोई भी निवेशक स्टॉक एक्सचेंज से शेयर खरीदता था तो उसे शेयर खरीदने के बाद उस स्टॉक (Share) का (पर्ची) कागज मिलता था, ताकि बाद में निवेशक यह साबित कर सके कि उसने कंपनी के शेयर खरीदे है और उस समय ट्रेडिंग आमने सामने बैठ कर की जाती थी.

लेकिन इंटरनेट आने के बाद से सारा काम इलेक्ट्रॉनिक रूप से हो गया है. वर्तमान समय में आपको किसी भी स्टॉक एक्सचेंज से शेयर खरीदने और बेचने के लिए सिर्फ एक डीमैट खाता (Demat Account) खोलना पड़ता है.

शेयर मार्केट का गणित

जब भी आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते है तो उसका डेटा आपके डीमैट अकाउंट मे सेव हो जाता है. ये थी शेयर खरीदने की बात, आपने ऊपर पढ़ा होगा कि कैसे कोई कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड होती है, लेकिन यह इतनी आसानी से लिस्ट नही होती है, कंपनी को स्टॉक एक्सचेंज मे लिस्ट करने का काम सरकार की संस्था सेबी (SEBI) करती है.

इसलिए किसी भी फ्रॉड कंपनी के स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होने का डर नही रहता. भले ही डीमैट अकाउंट ब्रोकर द्वारा खोला जाता है, लेकिन डीमैट अकाउंट भी सरकार के पास होता है क्योंकि भविष्य में अगर आपकी ब्रोकर कंपनी बंद हो भी जाती है तो आपका डीमैट अकाउंट खाता बिल्कुल सुरक्षित रहेगा.

स्टॉक एक्सचेंज का इतिहास

आज से करीब 400 साल पहले शेयर बाजार की शुरुआत हुई थी, 16वीं सदी में डच ईस्ट इंडिया (Dutch East India) नाम की एक कंपनी नीदरलैंड मे थी. उस समय लोग जहाजों की मदद से एक देश से दूसरे देश में व्यापार करते थे, जिससे व्यापार करने में खर्च ज्यादा होता था.

और किसी के डेरिवेटिव एक्सचेंज क्या है? पास इतना पैसा नही हुआ करता था कि वह खुद का जहाज खरीद सके, तो कंपनी ने लोगों को पेशकश की, आओ हमारे जहाजों में पैसा लगाओ और जब भी वह जहाज दूसरे देश में जाकर व्यापार करते और पैसा कमाकर वापस आते थे, उनका जो मुनाफा अर्जित होता था उसको हिस्सो में करकर निवेशकों को दे दिया जाता था.

इस तरह नीदरलैंड देश में डच ईस्ट इंडिया नाम की कंपनी ने पहला स्टॉक एक्सचेंज बनाया था, जिसे आज यूरोनेक्स्ट एम्स्टर्डम स्टॉक एक्सचेंज (Euronext Amsterdam Stock Exchange) के नाम से जाना जाता है.

सरसों वायदा कारोबार पर रोक बढ़ी | 15 दिन की स्थिरता के बाद अब किस तरफ मुड़ेंगे सरसों के रेट

mustard teji mandi report

तेल मिलों की सीमित खरीद बनी रहने रहने के कारण घरेलू बाजार में मंगलवार को सरसों की कीमतें स्थिर हो गई। जयपुर में कंडीशन की सरसों के भाव 6650-6,675 रुपये प्रति क्विंटल के पूर्व स्तर पर स्थिर बने रहे। जबकि भरतपुर में 6319 पर खुलकर भाव 6300 पर बंद हुए। दिल्ली लॉरेंस रोड़ पर भी सरसों के भाव 6550 पर स्थिर बने रहे। प्लांटों के भाव की बात करें तो सलोनी प्लान्ट पर सरसों के अंतिम भाव 50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट के बाद 7125 से 7200 की रेंज में रहे जबकि गोयल कोटा प्लान्ट पर सरसों के रेट 6625 तक रहे। डेरिवेटिव एक्सचेंज क्या है? इस दौरान सरसों की दैनिक आवक 2.90 लाख बोरियों की ही हुई। WhatsApp पर भाव पाने के लिए ग्रुप join करे

सुबह तेज शाम को मन्दी
व्यापारियों के अनुसार विदेशी बाजार में सुबह के सत्र में खाद्य तेलों के भाव में तेजी बनी थी लेकिन दोपहर बाद भाव घट गए। घरेलू बाजार ने भी विदेशी संकेतों का अनुसरण करने के अपने ट्रेंड को जारी रखा। सुबह के सत्र में सरसों के भाव स्थिर दिख रहे थे लेकिन शाम के सत्र में बिकवाली बढ़ने से ब्रांडेड तेल मिलों ने सरसों की खरीद कीमतों में 25 से 50 रुपये प्रति क्विटल की कटौती कर दी। देखें आज के सरसों के लाइव रेट Sarso Live Rate Today 20 Dec 2022

विदेशी बाजारों की अपडेट
विदेशी बाजारों की खबरों को देखें तो मलेशिया से पहली से 20 दिसंबर के दौरान पाम उत्पादों के निर्यात में कमी 4.47 प्रतिशत की कमी आने की आशंका है, जिस कारण वायदा कारोबार BMD में पाम तेल के भाव कमजोर हो गए। बर्सा मलेशिया डेरिवेटिव एक्सचेंज, बीएमडी पर मार्च वायदा अनुबंध में पाम तेल के भाव 59 रिगिट यानी 1.50 प्रतिशत कमजोर होकर 3,883 रिंगिंट प्रति टन रह गए। इस दौरान चीन के डालियान का सबसे सक्रिय सोया तेल अनुबंध और पाम तेल वायदा अनुबंध में भी भाव कमजोर हो गए। हालांकि मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार मलेशिया में पाम तेल स्टाक घटने और इंडोनेशिया द्वारा निर्यात संदर्भ मूल्य बढ़ाने से पाम तेल में तेजी की संभावना है। लेकिन इस तेजी का भारतीय बाजारों पर कितना फर्क़ पड़ेगा यह कहना मुश्किल है। देखें आज के गेहूं/कनक के लाइव रेट wheat kanak gehu Live Rate Today 20 Dec 2022

हाजिर मंडियों के भाव
हाजिर मंडियों में सरसों के भाव में मिला जुला रुख देखने को मिला। राजस्थान की श्री गंगानगर मंडी में सरसों का रेट 6235, पदमपुर मंडी में सरसों का रेट 6302 नोहर मंडी में सरसों का भाव 6150 संगरिया मंडी में सरसों का रेट 6021 रायसिंहनगर मंडी में सरसों का रेट 6082 गजसिंहपुर मंडी में सरसों का भाव 6244 सादुल शहर मंडी में सरसों का रेट 6051 सादुलशहर मंडी में सरसों का रेट 6051 सूरतगढ़ मंडी में सरसों का रेट 6163 पीलीबंगा मंडी में सरसों का रेट 5701 सादुलपुर मंडी में सरसों का प्राइस 6100 लैब 39 देवली अनाज मंडी में 42 लैब का भाव 6350 रुपये प्रति क्विंटल तक रहा । हरियाणा की ऐलनाबाद मंडी में सरसों का भाव 6361 सिरसा मंडी में 40 लैब सरसों 6040 आदमपुर में 42 लैब सरसों का भाव ₹6300 प्रति क्विंटल तक दर्ज किया गया क्या नरमा कपास में पिछले साल जैसी तेजी संभव है - रिपोर्ट

खाद्य तेलों की अपडेट
घरेलू खाद्य तेलों के बाजार को देखें तो जयपुर में सरसों तेल कच्ची घानी एवं एक्सपेलर की कीमतें मंगलवार को 7- 7 रुपये तेज होकर भाव क्रमशः 1358 रुपये और 1348 रुपये प्रति 10 किलो हो गई। जबकि सरसों खल की कीमतें 2675 रुपये प्रति क्विटल के स्तर पर स्थिर बनी

सरसों की आवक
देशभर की मंडियों में सरसों की दैनिक आवक मंगलवार को भी 2.90 लाख बोरियों की ही हुई, जबकि सोमवार को भी इसकी आवक इतनी ही बोरियों की हुई थी। कुल आवकों में से प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान की मंडियों में 95 हजार बोरी, मध्य प्रदेश की मंडियों में 40 हजार बोरी, उत्तर प्रदेश की मंडियों में 35 हजार बोरी, पंजाब एवं हरियाणा की मंडियों में 35 हजार बोरी तथा गुजरात में 10 हजार बोरी, तथा अन्य राज्यों की मंडियों में 75 हजार बोरियों की आवक हुई। सरसों के भाव को लेकर जरुरी रिपोर्ट

वायदा कारोबार पर रोक बढ़ी
किसान साथियों सरसों के बाजार को उम्मीद थी कि सरकार सरसों का वायदा कारोबार फिर से शुरू करेगी। लेकिन सेबी द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी करके सरसों के वायदा कारोबार पर अगले 1 साल के लिए प्रतिबंध को बढ़ा दिया गया है। यह सरसों के किसानों के लिए एक झटके की तरह है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 21 दिसंबर 2021 को सरसों के वायदा कारोबार पर रोक लगा दी गई थी और उस दिन सरसों का भाव एक ही दिन में ₹400 तक टूट गया था। उसके बाद से ही सरसों के बाजार में बड़ी तेजी देखने को नहीं मिली है और बाजार 6000 से 7000 के बीच घूम रहा है। आने वाले समय में भी सरसों में कोई बड़ी तेजी के आसार नजर नहीं आते हैं। व्यापार अपने विवेक से करें। बासमती धान के ताजा भाव | Basmati Paddy Rate Today 20 December 2022

Stock Exchange Kya Hai | History of Stock Exchange (हिंदी में)

जब शेयर बाजार में पैसा लगाने की बात आती है, तो स्टॉक एक्सचेंज (Share Market) का नाम सुना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि स्टॉक एक्सचेंज क्या है? कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में क्यों शामिल होती है? स्टॉक एक्सचेंज कैसे काम करता है? भारत में कितने शेयर बाजार है? और इसका इतिहास क्या है, अगर आप यह सब नही जानते है, तो इस लेख को पूरा पढ़ें, हम आपको Stock Exchange के बारे में पूरी जानकारी विस्तार से बताएंगे

Stock Exchange Kya Hai

स्टॉक एक्सचेंज को शेयर मार्केट भी कहा जाता है, एक बाजार जहां किसी भी कंपनी का मालिक अपनी कंपनी के शेयर बेचता है और निवेशक उस शेयर को खरीदते है, इसके अलावा स्टॉक एक्सचेंज, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड, डिबेंचर, डेरिवेटिव और सरकारी सिक्योरिटी भी ट्रेड होती है.

एक कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में क्यों शामिल होती है

जब किसी कंपनी का मालिक अपने व्यापार को बढ़ाना चाहता है, तो उसे पैसे की जरूरत होती है, अगर उस कंपनी के मालिक के पास इतना पैसा नही है, तो कंपनी का मालिक पैसा इकट्ठा करने के लिए किसी भी स्टॉक एक्सचेंज पर अपनी कंपनी के शेयर बेच सकता है. इस प्रक्रिया को IPO (Initial Public Offering) कहा जाता है.

भारत में कितने शेयर बाजार है

पहले भारत में कुल 23 स्टॉक एक्सचेंज थे, लेकिन वर्तमान में देखे तो फिलहाल 7 सक्रिय स्टॉक एक्सचेंज है.

• नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (NSE)

• बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE)

• यूनिवर्सल कमोडिटी एक्सचेंज (UCX)

• मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (MCX)

• इंडिया कमोडिटी एक्सचेंज लिमिटेड (ECX)

• नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (NCDEX)

• मेट्रोपॉलिटन स्टॉक एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया (MSE)

फिलहाल मेट्रोपॉलिटन स्टॉक एक्सचेंज 15 सितंबर 2022 तक वैध है. 15 सितंबर 2022 के बाद यह स्टॉक एक्सचेंज बंद भी हो सकता है.

भारत के लोकप्रिय स्टॉक एक्सचेंज

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) भारत में दो लोकप्रिय स्टॉक एक्सचेंज है. जिनमें लगभग 6000 कंपनियां बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में लिस्टेड है और लगभग 2000 कंपनियां नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड है.

भारतीय स्टॉक एक्सचेंज का इतिहास

भारत में पहला स्टॉक एक्सचेंज 1875 में मुंबई के उपनगर दलाल स्ट्रीट मे (BSE) बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज नाम से शुरू किया गया था और NSE (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) 1992 में शुरू किया गया था, यह भारत में पहला स्टॉक एक्सचेंज था जिसे इलेक्ट्रॉनिक रूप से संचालित किया गया था.

शेयर मार्किट ओपन टाइम

स्टॉक एक्सचेंज में निवेश करने के तरीके

स्टॉक एक्सचेंज में शेयर खरीदने या निवेश करने के दो तरीके है, पहला प्राइमरी मार्केट से और दूसरा सेकेंडरी मार्केट से

प्राइमरी मार्केट – जब कोई कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में पहली बार लिस्टेड होती है तो उसे initial public offering (IPO) कहते है, जिसमें निवेशक डायरेक्ट कंपनी से शेयर खरीदकर निवेश करते है, इसलिए इसे प्राइमरी मार्केट कहते है.

सेकेंडरी मार्केट – स्टॉक एक्सचेंज एक सेकेंडरी मार्केट है, जब प्राइमरी मार्केट यानि आईपीओ (IPO) में खरीदे गए शेयरों को स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट किया जाता है, तो हम उन्हें स्टॉक एक्सचेंज में खरीद और बेच सकते है, सेकेंडरी मार्केट में केवल निवेशक ही एक दूसरे से शेयर खरीदते और बेचते है. इसमें कंपनी शामिल नही होती है.

स्टॉक एक्सचेंज कैसे काम करता है

पहले कोई भी निवेशक स्टॉक एक्सचेंज से शेयर खरीदता था तो उसे शेयर खरीदने के बाद उस स्टॉक (Share) का (पर्ची) कागज मिलता था, ताकि बाद में निवेशक यह साबित कर सके कि उसने कंपनी के शेयर खरीदे है और उस समय ट्रेडिंग आमने सामने बैठ कर की जाती थी.

लेकिन इंटरनेट आने के बाद से सारा काम इलेक्ट्रॉनिक रूप से हो गया है. वर्तमान समय में आपको किसी भी स्टॉक एक्सचेंज से शेयर खरीदने और बेचने के लिए सिर्फ एक डीमैट खाता (Demat Account) खोलना पड़ता है.

शेयर मार्केट का गणित

जब भी आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते है तो उसका डेटा आपके डीमैट अकाउंट मे सेव हो जाता है. ये थी शेयर खरीदने की बात, आपने ऊपर पढ़ा होगा कि कैसे कोई कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड होती है, लेकिन यह इतनी आसानी से लिस्ट नही होती है, कंपनी को स्टॉक एक्सचेंज मे लिस्ट करने का काम सरकार की संस्था सेबी (SEBI) करती है.

इसलिए किसी भी फ्रॉड कंपनी के स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होने का डर नही रहता. भले ही डीमैट अकाउंट ब्रोकर द्वारा खोला जाता है, लेकिन डीमैट अकाउंट भी सरकार के पास होता है क्योंकि भविष्य में अगर आपकी ब्रोकर कंपनी बंद हो भी जाती है तो आपका डीमैट अकाउंट खाता बिल्कुल सुरक्षित रहेगा.

स्टॉक एक्सचेंज का इतिहास

आज से करीब 400 साल पहले शेयर बाजार की शुरुआत हुई थी, 16वीं सदी में डच ईस्ट इंडिया (Dutch East India) नाम की एक कंपनी नीदरलैंड मे थी. उस समय लोग जहाजों की मदद से एक देश से दूसरे देश में व्यापार करते थे, जिससे व्यापार करने में खर्च ज्यादा होता था.

और किसी के पास इतना पैसा नही हुआ करता था कि वह खुद का जहाज खरीद सके, तो कंपनी ने लोगों को पेशकश की, आओ हमारे जहाजों में पैसा लगाओ और जब भी वह जहाज दूसरे देश में जाकर व्यापार करते और पैसा कमाकर वापस आते थे, उनका जो मुनाफा अर्जित होता था उसको हिस्सो में करकर निवेशकों को दे दिया जाता था.

इस तरह नीदरलैंड देश में डच ईस्ट इंडिया नाम की कंपनी ने पहला स्टॉक एक्सचेंज बनाया था, जिसे आज यूरोनेक्स्ट एम्स्टर्डम स्टॉक एक्सचेंज (Euronext Amsterdam Stock Exchange) के नाम से जाना जाता है.

फ्रेट डेरिवेटिव्स

फ्रेट डेरिवेटिव्स

आपूर्ति श्रृंखला में मूल्य अस्थिरता के खिलाफ जोखिम और बचाव को कम करने के लिए फ्रेट डेरिवेटिव्स का उपयोग अक्सर अंतिम उपयोगकर्ताओं (जहाज मालिकों और अनाज-घरों) और आपूर्तिकर्ताओं (एकीकृत तेल कंपनियों और अंतरराष्ट्रीय व्यापार निगमों) द्वारा किया जाता है। हालांकि, किसी भी व्युत्पन्न के साथ, बाजार सट्टेबाजों-जैसे हेज फंड और खुदरा व्यापारी-एक नए, अधिक तरल, बाजार के लिए प्रदान करने वाले माल ढुलाई अनुबंधों की खरीद और बिक्री दोनों में भाग लेते हैं।

फ्रेट डेरिवेटिव्स कैसे काम करते हैं

फ्रेट डेरिवेटिव्स में एक्सचेंज-ट्रेडेड फ्यूचर्स, स्वैप फ्यूचर्स, फॉरवर्ड फ्रेट एग्रीमेंट्स (एफएफए), कंटेनर फ्रेट स्वैप एग्रीमेंट, कंटेनर फ्रेट डेरिवेटिव्स और फिजिकल डिलिवरेबल फ्रेट डेरिवेटिव्स शामिल हैं।

बाल्टिक एक्सचेंज और शंघाई शिपिंग एक्सचेंज द्वारा प्रकाशित विभिन्न फ्रेट रेट इंडेक्स के खिलाफ उपकरणों का निपटारा किया जाता है । इसके विपरीत, स्वीकृत अनुबंधों को निर्दिष्ट समाशोधन गृह के माध्यम से दैनिक आधार पर हाशिए पर रखा जाता है। प्रत्येक दिन के अंत में, निवेशकों को कागजी अनुबंधों की कीमत और बाजार सूचकांक के बीच अंतर प्राप्त होता है या देना पड़ता है। कुछ नाम रखने के लिए NASDAQ OMX कमोडिटीज, यूरोपियन एनर्जी एक्सचेंज और शिकागो मर्केंटाइल एक्सचेंज (CME) सहित प्रमुख एक्सचेंजों द्वारा क्लियरिंग सेवाएं प्रदान की जाती हैं ।

शिपिंग में अधिक जोखिम होने के साथ, माल ढुलाई दर जोखिम का प्रबंधन करने के लिए फ्रेट डेरिवेटिव्स जहाज मालिकों और ऑपरेटरों, तेल कंपनियों, व्यापारिक कंपनियों और अनाज घरों के लिए एक व्यवहार्य बाजार विधि बन गए हैं।

विशेष ध्यान

लंदन स्थित बाल्टिक एक्सचेंज दैनिक बाल्टिक ड्राई इंडेक्स को बाजार बैरोमीटर और शिपिंग उद्योग के प्रमुख संकेतक के रूप में जारी करता है। यह निवेशकों को समुद्र के द्वारा प्रमुख कच्चे माल को स्थानांतरित करने की कीमत में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, लेकिन मूल्य फ्रेट डेरिवेटिव्स में भी मदद करता है। सूचकांक में समय चार्ट के आधार पर मापे गए 20 शिपिंग मार्गों का लेखा-जोखा होता है और इसमें विभिन्न आकार के सूखे थोक वाहक शामिल होते हैं, जिनमें हैंडीसाइज, सुप्रामैक्स, पैनामैक्स और कैपेसाइज शामिल हैं।

माल ढुलाई दरों में गिरावट के खिलाफ निगरानी और सुरक्षा के लिए एक जहाज मालिक सूचकांक का उपयोग करता है। दूसरी ओर, चार्टर्स इसका उपयोग माल ढुलाई दरों में वृद्धि के जोखिम को कम करने के लिए करते हैं। बाल्टिक ड्राई इंडेक्स को आर्थिक गतिविधि का एक प्रमुख संकेतक माना जाता है क्योंकि ड्राई बल्क शिपिंग में वृद्धि कच्चे उत्पादन सामग्री में वृद्धि का संकेत देती है जो विकास को प्रोत्साहित करती है।

फ्रेट डेरिवेटिव्स और फॉरवर्ड फ्रेट एग्रीमेंट्स (एफएफए)

एफएफए, सबसे आम फ्रेट डेरिवेटिव, फॉरवर्ड फ्रेट एग्रीमेंट ब्रोकर एसोसिएशन (एफएफएबीए) मानक अनुबंधों के नियमों और शर्तों पर काउंटर पर कारोबार किया जाता है। एक समझौते की मुख्य शर्तें सहमत-मार्ग, निपटान का समय, अनुबंध का आकार, और जिस दर पर मतभेदों का निपटारा किया जाता है, को कवर करती है।

FFA को 1990 के दशक की शुरुआत में शिपिंग के लिए विकसित किया गया था। एफएफए का ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) और एक्सचेंज-ट्रेडेड दोनों में कारोबार होता है। ट्रेड अक्सर अप्रकाशित होते हैं और अकेले भरोसे पर किए जाते हैं। अनुबंध निपटान तिथि पर समाप्त हो जाता है और यदि सहमत मूल्य निपटान मूल्य से अधिक है तो विक्रेता अनुबंध खरीदार को अंतर का भुगतान करता है।

इस बीच, यदि सहमत मूल्य निपटान मूल्य से कम है, तो खरीदार विक्रेता को अंतर का भुगतान करता है। निपटान और अनुबंध मूल्य अंतर को तब कार्गो आकार या यात्रा अवधि से गुणा किया जाता है।

ये उपकरण जहाज मालिकों और ऑपरेटरों को माल ढुलाई दर जोखिम का प्रबंधन करने में मदद करते हैं।

फ्रेट डेरिवेटिव्स वित्तीय साधन हैं जो फ्रेट दरों से अपना मूल्य प्राप्त करते हैं, जैसे कि ड्राई बल्क कैरिंग रेट।

दैनिक जारी किया जाने वाला बाल्टिक ड्राई इंडेक्स एक मार्केट बैरोमीटर और शिपिंग उद्योग का प्रमुख संकेतक है।

फ्रेट डेरिवेटिव में एक्सचेंज-ट्रेडेड फ्यूचर्स, स्वैप फ्यूचर्स, फॉरवर्ड फ्रेट एग्रीमेंट (एफएफए), और कंटेनर फ्रेट स्वैप एग्रीमेंट और डेरिवेटिव शामिल हो सकते हैं।

ड्राई बल्क का क्या मतलब है?

ड्राई बल्क फ्रेट के लिए एक सामान्य शिपिंग शब्द है जिसे बड़े, अनपैक्ड पार्सल में भेज दिया जाता है, जो अक्सर समुद्र के द्वारा शिपमेंट की बात करता है। "टन डेडवेट" (dwt) में मापा जाता है, सूखे थोक में अनाज, कोयला, धातु अयस्क, सीमेंट, रसायन, आदि जैसी वस्तुएं शामिल होती हैं। बाल्टिक ड्राई इंडेक्स (बीडीआई) एक महत्वपूर्ण सूचकांक है जो दुनिया भर में विभिन्न सूखी थोक वस्तुओं के परिवहन के लिए लागत में बदलाव को ट्रैक करता है।

फ्रेट डेरिवेटिव्स व्यवसायों को हेज करने में कैसे मदद करते हैं?

फ्रेट डेरिवेटिव कंपनियों को शिपिंग दरों में लॉक करने की अनुमति देते हैं ताकि वे भविष्य में उतार-चढ़ाव के संपर्क में न आएं। यह शिपिंग लाइन ऑपरेटरों, फ्रेट फारवर्डर्स, कार्गो मालिकों और उनके ग्राहकों के लिए इन तड़के वाले समुद्रों को बेहतर ढंग से नेविगेट करने के लिए उपयोगी है।

फ्रेट डेरिवेटिव्स का कारोबार कहां होता है?

फ्रेट डेरिवेटिव्स का अक्सर ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) कारोबार होता है, लेकिन एक्सचेंजों पर तेजी से उपलब्ध होते हैं। उदाहरण के लिए, यूके का बाल्टिक एक्सचेंज (अब सिंगापुर एक्सचेंज ग्रुप (एसजीएक्स) का हिस्सा है), एफएफए में व्यापार की सुविधा प्रदान करता है। ऑल-इलेक्ट्रॉनिक इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज (आईसीई) एफएफए अनुबंधों को भी सूचीबद्ध करता है।

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MARKET UPDATE : जिंसों में मिलाजुला रुख

तेल तिलहन : वैश्विक स्तर पर मलेशिया के बुरसा मलेशिया डेरिवेटिव एक्सचेंज में पाम ऑयल का जनवरी वायदा समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान 65 रिंगिट गिरकर सप्ताहांत पर 3803 रिंगिट प्रति टन पर आ गया। वहीं, जनवरी का अमेरिकी सोया तेल वायदा सप्ताहांत पर 0.84 सेंट की बढ़त लेकर 64.08 सेंट प्रति पाउंड पर पहुंच गया।
बीते सप्ताह सरसों तेल 366 रुपये, सूरजमुखी तेल 147 रुपये और वनस्पति तेल 146 रुपये प्रति क्विंटल चढ़ गया जबकि मूंगफली तेल 73 रुपये, सोया रिफाइंड 220 रुपये और पाम ऑयल के भाव में 293 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट रही। सप्ताहांत पर सरसों तेल 17215 रुपये प्रति क्विंटल, मूंगफली तेल 19707 रुपये प्रति क्विंटल, सूरजमुखी तेल 18681 रुपये प्रति क्विंटल, सोया रिफाइंड 15237 रुपये प्रति क्विंटल, पाम ऑयल 10696 रुपये प्रति क्विंटल और वनस्पति तेल 13333 रुपये प्रति क्विंटल पर रहा।

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