PM मोदी बोले- लॉकडाउन के बाद लोगों का धीरे-धीरे बाहर निकलना सुनिश्चित करने के लिये साझी रणनीति की जरूरत
प्रधानमंत्री ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कान्फ्रेसिंग में कहा कि लॉकडाउन (बंद) समाप्त होने के बाद आबादी के फिर से घर से बाहर निकलने बाहर निकलने की रणनीति क्या है? को ध्यान में रखते हुए राज्यों और केंद्र को एक रणनीति तैयार करनी चाहिए.
Coronavirus को लेकर पीएम मोदी ने राज्य के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉनफ्रेंसिंग की
खास बातें
- पीएम मोदी ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की
- पीएम मोदी बोले- मरीजों के लिए अलग, विशेष अस्पताल की जरूरत
- कोरोना संकट के बीच मुख्यमंत्रियों के साथ यह दूसरी बैठक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने लॉकडाउन (Lockdown) के बीच कोरोनावायरस (Coronavirus) खतरे को लेकर राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बातचीत की. प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों से कहा कि कोविड-19 के मरीजों के लिए अलग, विशेष अस्पतालों की जरुरत है. इस बैठक में, पीएम मोदी के साथ गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत अन्य प्रमुख लोग मौजूद रहे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्रियों से कहा कि अगले कुछ सप्ताह तक सारा ध्यान जांच करने, संक्रमित लोगों का पता लगाने, उन्हें घरों, पृथक केन्द्रों या अस्पतालों में पृथक रखने पर होना चाहिए.
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उन्होंने कहा, "लॉकडाउन समाप्त होने के बाद जनजीवन को धीरे-धीरे सामान्य बनाने के लिये साझी रणनीति तैयार करना महत्वपूर्ण है." प्रधानमंत्री ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कान्फ्रेसिंग में कहा कि लॉकडाउन (बंद) समाप्त होने के बाद आबादी के फिर से घर से बाहर निकलने को ध्यान में रखते हुए राज्यों और केंद्र को एक रणनीति तैयार करनी चाहिए.
पीआईबी की विज्ञप्ति के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह वास्तव में सराहनीय है कि सभी राज्यों ने एक साथ और एक टीम के रूप में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिये काम किया है.
पीएम मोदी ने कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए पिछले हफ्ते मंगलवार को देशभर में लॉकडाउन की घोषणा करते हुए लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने का निर्देश दिया था. कोविड-19 के प्रकोप और इससे जुड़े मुद्दों के सामने आने के बीच पिछले दो सप्ताह बाहर निकलने की रणनीति क्या है? से कम समय में प्रधानमंत्री के साथ मुख्यमंत्रियों की यह दूसरी बातचीत है. पहली ऐसी बातचीत 20 मार्च को हुई थी.
भारत में कोरोनावायरस का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है. गुरुवार सुबह तक इसके मरीजों की संख्या बढ़कर 1965 हो गई. जबकि इससे मरने वालों का आंकड़ा बढ़कर 50 पहुंच गया है. वहीं, इससे संक्रमित 151 लोगों का अभी तक उपचार किया जा चुका है. पिछले 24 घंटे में 328 नए मामले (कल के दोपहर के आंकड़े के आधार पर) सामने आए हैं. वहीं, पिछले 24 घंटे में 12 लोगों की मौत हुई है.
क्या युद्ध में हुई रूस की हार? सेना के पीछे हटते ही यूक्रेनी सेना ने बनाई नई योजना, बदली रणनीति
Russia Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच बीने नौ माह से जारी युद्ध के बीच खबर आई है कि यूक्रेन की सेना ने रूसी सेना के पीछे हटने के बाद अपनी योजना में बदलाव किया है। वह टोह के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रही है।
Edited By: Shilpa @Shilpaa30thakur
Updated on: November 24, 2022 22:41 IST
Image Source : PTI यूक्रेन की सेना ने योजना में किया बदलाव
यूक्रेनी निशानेबाज ने अपने दायरे को समायोजित करते हुए नाइपर नदी के पार एक रूसी सैनिक पर 0.50 कैलिबर की गोली से निशाना साधा। इससे पहले, दूसरे यूक्रेनी सैनिक ने रूसी सेना की टोह लेने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया। कुल मिलाकर खेरसॉन से बाहर निकलने के दो सप्ताह बाद रूस तोप से यूक्रेन के इस दक्षिणी शहर पर गोले बरसा रहा है, जबकि यूक्रेन अपने लंबी दूरी तक निशाना साधने वाले हथियारों से पलटवार कर रहा है। यूक्रेनी अधिकारियों का कहना है कि उनकी सेना अपनी गति को बनाये रखना चाहती है। यूक्रेन के साथ जारी नौ महीने के युद्ध में कब्जाई गई एकमात्र प्रांतीय राजधानी से भी रूस की वापसी उसकी सबसे करारी हार थी।
यूक्रेनी सेना के एक प्रवक्ता ने कहा कि अब जब उसके सैनिकों ने नयी स्थिति हासिल की है तो सेना नयी योजना बना रही है। यूक्रेनी सेना अब रूस-नियंत्रित क्षेत्रों में अंदरुनी सीमा तक हमले कर सकती है और संभवत: क्रीमिया के करीब अपनी जवाबी कार्रवाई कर सकती है, जिस पर रूस ने 2014 में अवैध रूप बाहर निकलने की रणनीति क्या है? से कब्जा कर लिया था। रूसी सैनिकों ने क्रीमिया सीमा के पास और पूरब में दोनेत्स्क तथा लुहांस्क क्षेत्रों के बीच के कुछ इलाकों में ‘ट्रेंच सिस्टम’ (खाई बनाना) सहित किलेबंदी कर रखी है। ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय के अनुसार, कुछ ठिकानों पर रूस की नयी किलेबंदी मौजूदा अग्रिम मोर्चे से करीब 60 किलोमीटर पीछे तक है और इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि रूस एक बार फिर से यूक्रेन पर महत्वपूर्ण सफलता हासिल करने की फिराक में है।
सैन्य रणनीतिकार और सेवानिवृत्त ऑस्ट्रेलियाई सेना प्रमुख जनरल मिक रयान ने कहा, 'उनके पास गति है। इसे वह किसी भी रूप में बर्बाद करना नहीं चाहते।' नदी पार करने और रूसियों को और पीछे धकेलने के लिए यूक्रेन को जटिल तार्किक योजना की आवश्यकता होगी। दोनों पक्षों ने नाइपर पर बने पुलों को उड़ा दिया है। इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट के एक विश्लेषक मारियो बिकार्स्की ने कहा, 'इसी वजह से रूसियों की आपूर्ति लाइन कट गयी थी और यही वह वजह होगी कि नदी के बाएं किनारे से यूक्रेनी सेना को आगे बढ़ने में दिक्कत होगी।' वाशिंगटन स्थित थिंक टैंक इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ वॉर ने कहा है कि क्षेत्र को फिर से हासिल करने से यूक्रेनी सेना को खेरसॉन क्षेत्र में रूसी सेना को पीछे धकेलने में मदद मिल सकती है, क्योंकि इस इलाके में यूक्रेनी सैनिकों को रूसी तोप के कम गोलों का सामना करना पड़ेगा।
विश्लेषक बिकार्स्की ने कहा कि इस बीच रूस का मुख्य काम व्यापक खेरसॉन क्षेत्र से उसके सैनिकों की किसी भी तरह की वापसी को रोकना और क्रीमिया पर अपनी रक्षा प्रणालियों को मजबूत करना है। रूस के रोजाना हमले पहले से तेज होते जा रहे हैं। रूस के पीछे हटने के बाद पहली बार खेरसॉन में पिछले हफ्ते एक ईंधन डिपो पर हमला हुआ था। यूक्रेनी राष्ट्रपति के कार्यालय के अनुसार, इस सप्ताह रूसी गोलाबारी में कम से कम एक व्यक्ति की मौत हो गई और तीन घायल हो गए। रूस की वापसी से पहले रूसी हवाई हमलों ने प्रमुख बुनियादी ढांचे को क्षतिग्रस्त कर दिया, जिससे एक भयानक मानवीय संकट पैदा हो गया। रूसी गोलाबारी के कारण उष्मा, बिजली और पानी की कमी के डर से यूक्रेनी अधिकारियों ने हाल ही में खेरसॉन और मायकोलाइव क्षेत्रों के हाल ही में मुक्त किए गए हिस्सों से नागरिकों को निकालना शुरू कर दिया है।
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Uniswap व्यापारी बाहर निकलने की रणनीति बनाने से पहले इन बिंदुओं पर विचार कर सकते हैं
लेखन के समय, UNI को पिछले सात दिनों में 34.47% की वृद्धि के बाद $7.43 पर कारोबार करते हुए देखा गया था। इस रैली ने 23.6% फाइबोनैचि स्तर (लाल) को पुनः प्राप्त करने के लिए altcoin के प्रयासों में योगदान दिया, जिसे उसने तीन दिन पहले हासिल किया था।
यह स्तर Uniswap के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आगे बढ़ने के लिए टोकन सेट करता है। इसके अलावा, यह DEX टोकन को मई और जून में हुए नुकसान की भरपाई करने में मदद करेगा।
हालांकि, एक समय यूएनआई लगभग एफयूडी का शिकार हो गया था। कुछ Uniswap LP वॉलेट उपयोगकर्ता एक फ़िशिंग घोटाले में गिर गए, जो उसी के आसपास व्यापक दहशत के कारण एक शोषण के रूप में प्रकट हुआ।
हालांकि, घोटाले की जल्द जांच की गई। और, उपयोगकर्ताओं को सतर्क किया गया कि नेटवर्क समझौता नहीं किया गया है।
UNI के लिए अच्छा महीना नहीं है?
Uniswap अब तक का सबसे अच्छा महीना नहीं देख रहा है। इस लेखन के समय, केवल $22 बिलियन मूल्य के लेन-देन दर्ज किए गए हैं।
विशेष रूप से, Uniswap ने आगे बढ़कर छह अरब से अधिक मोबाइल फोन उपयोगकर्ताओं के लिए DEX नेटवर्क की पहुंच का विस्तार करने के लिए सेलो ब्लॉकचेन पर V3 को तैनात किया।
तैनाती ने स्वैच्छिक कार्बन बाजारों जैसे टोकन कार्बन क्रेडिट में तरलता भी लाई। एथेरियम, ऑप्टिमिज्म, आर्बिटुरम और पॉलीगॉन के साथ पहले से ही एकीकृत होने के बाद इस तैनाती ने यूनिस्वैप की उपस्थिति को अब पांच ब्लॉकचेन तक बढ़ा दिया है।
नेटवर्क में देर से लेन-देन की मात्रा कम देखी गई। खैर, जून के महीने के लिए लेनदेन की मात्रा लगभग 46.3 अरब डॉलर पर बंद हुई थी।
निवेशकों को आकर्षक ट्रेड नहीं दिख रहे हैं। 19 जुलाई को, एक ही दिन में $156.92 मिलियन की उच्चतम नेटवर्क-व्यापी हानि दर्ज की गई।
घाटे में किए गए ये लेन-देन भी लंबी अवधि के धारकों के एक समूह से थे क्योंकि उनके आंदोलन के परिणामस्वरूप एक ही दिन में 4.28 बिलियन दिनों की खपत हुई।
Uniswap नेटवर्क व्यापक नुकसान | स्रोत: संतति – AMBCrypto
इस तरह के घटनाक्रम यूएनआई के विकास में बाधक हो सकते हैं। हालांकि, व्यापक बाजार को देखते हुए, altcoin कुछ समय के लिए बढ़ता रहेगा।
अगले सात दिन लॉकडाउन से बाहर आने की योजना बनाने की दृष्टि से अहम: वेंकैया नायडू
नयी दिल्ली, सात अप्रैल (भाषा) उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को कहा कि लॉकडाउन का आखिरी सप्ताह उससे बाहर निकलने की रणनीति तय करने की दृष्टि से बड़ा अहम है क्योंकि कोरोना वायरस के फैलने के संबंध में प्राप्त आंकड़ों का सरकार द्वारा लिये जाने वाले निर्णय पर असर होगा। उन्होंने लोगों से अपील की कि आखिरकार सरकार जो भी निर्णय ले, उसका वे पालन करें और ‘यदि उसका तात्पर्य 14 अप्रैल के बाद भी कुछ हद तक कठिनाइयां जारी रहना हो, तो भी वे उसी जज्बे के साथ सहयोग करें जो अब तक नजर आया है। कोरोना वायरस
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नीतीश ने 2017 की कड़वाहट को भूलकर साथ निभाने की कही बात, जानें BJP की क्या होगी रणनीति
बिहार में एक बार फिर नीतीश कुमार राष्ट्रीय जनता, कांग्रेस और वामदलों के साथ सरकार बना रहे हैं. भाजपा के साथ जेडीयू का गठबंधन एक बार फिर टूट गया है. यानि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर से यू-टर्न ले लिया है. यह पहली बार नहीं है जब नीतीश कुमार एनडीए से अलग होकर राजद के साथ सरकार बनाये हों, इसके पहले वह भी वह उस राजद के साथ सरकार बनाए और 2017 में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अलग हो गए थे. अब नीतीश कुमार ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से कहा कि 2017 में जो कुछ हुआ उसे भूल जाइए. लेकिन सवाल यह है कि क्या राबड़ी देवी 2017 की घटना को भूल जायेगी और नीतीश कुमार फिर वैसा झटका राजद को नहीं देंगे?
आखिर में क्या कारण है कि बिहार में नीतीश कुमार बार-बार यूटर्न क्यों ले रहे हैं. और बिहार के राजनीति की क्या मजबूरी है कि नीतीश कुमार राजद और भाजपा दोनों से मिलकर सरकार बना लेते हैं. नीतीश कुमार औऱ भाजपा वैचारिक रूप से भले ही अलग हों लेकिन नीतीश कुमार का राजनीतिक उत्थान भाजपा के साथ ही हुआ है. नीतीश कुमार की समता पार्टी बाद में जेडीयू का नाम लंबे समय से भाजपा के सहयोगी दलों में शामिल रही है. लेकिन ऐसा क्या कारण है कि नीतीश कुमार एक बार फिर से भाजपा से अलग और राजद के साथ हो गए.
नीतीश कुमार ने भाजपा का साथ क्यों छोड़ा
बिहार की राजनीति पर नजर रखने वालों और राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि नीतीश कुमार भाजपा की रणनीति को भांप कर ही ये कदम उठाया है. सूत्रों का कहना है कि भाजपा जेडीयू के पूर्व नेता आरसीपी सिंह के माध्यम से जेडीयू में बगावत कराना चाह रही थी, लेकिन ऐन वक्त पर नीतीश कुमार को इस षडयंत्र का पता चल गया और वे सतर्क हो गए. सूत्रों का मानना है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व बिहार में भी महाराष्ट्र की तरह ऑपरेशन करने में लगा था. यह ऑपरेशन भी शिवसेना की तरह नीतीश कुमार के बिना जेडीयू था. यानि बाहर निकलने की रणनीति क्या है? कथित तौर पर जेडीयू के सारे विधायकों को बगावत कर नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाना था.
अब भाजपा की क्या होगी रणनीति
बिहार में नीतीश कुमार के यूटर्न से भाजपा आहत है. जेडीयू और राजद के साथ आने से वह नई रणनीति बनाने में लग गयी है. फिलहाल भाजपा भ्रष्टाचार और कानून बाहर निकलने की रणनीति क्या है? व्यवस्था के मुद्दे पर नई सरकार पर हमला करेगी. भाजपा का आरोप है कि नीतीश कुमार ने 2020 के राज्य चुनावों में जनता का जनादेश का अपमान किया है. बिहार भाजपा प्रमुख संजय जायसवाल ने कहा कि नीतीश कुमार ने “बिहार के लोगों और भाजपा को धोखा दिया” क्योंकि 2020 के चुनाव एनडीए के तहत एक साथ लड़े गए थे और जनादेश जद-यू और भाजपा के लिए था. हमने ज्यादा सीटें जीतीं, इसके बावजूद नीतीश कुमार को सीएम बनाया गया.”
नीतीश कुमार के इस कदम पर बिहार भाजपा मानना है कि राज्य में भाजपा के बढ़ते जनाधार को देखकर नीतीश कुमार को अपने लिए चिंता होने लगी. पार्टी के पास अब बिहार में सभी 243 विधानसभाओं और 40 लोकसभा सीटों पर पूरी तरह से डटकर सामना करने का मौका है. नीतीश कुमार के इस कदम से पता चलता है कि बीजेपी अभी बिहार में सबसे मजबूत पार्टी है और किसी भी अन्य गठबंधन को हराने वाली पार्टी है. नीतीश कुमार को पहले बिहार में 2024 के लोकसभा चुनाव और फिर 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में जवाब मिलेगा.
लालू प्रसाद के राज को भूले नहीं हैं बिहार के लोग
भाजपा नेता कुमार के इस कदम को 2019 के चुनावों के जनादेश का दुरुपयोग और केवल सत्ता में बने रहने के लिए एक करार बता रहे हैं. पार्टी भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था के मुद्दे पर भी जोर देगी, खासकर जब राजद के तेजस्वी यादव को डिप्टी सीएम और गृह विभाग का अपना पिछला पद वापस मिलने जा रहा है. लालू प्रसाद के 15 साल से राज में अराजकता के काले दिनों को लोग नहीं भूले हैं. बिहार में कानून व्यवस्था एक मुद्दा था, यहां तक कि दो साल के दौरान राजद और जदयू ने 2015 और 2017 तक सरकार चलाई.
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर BJP नीतीश कुमार पर करेगी हमला
भाजपा भ्रष्टाचार के मुद्दे पर नए गठबंधन पर भी हमला करेगी. नीतीश कुमार ने जुलाई 2017 में लालू प्रसाद के नेतृत्व वाले राजद के साथ गठबंधन से बाहर निकलने के लिए भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति का हवाला दिया था. तब जेडीयू और राजद की मिलीजुली सरकार थी. उस सरकार में उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का एक जमीन घोटाले में नाम आया था. और बिहार के मुख्यमंत्री बने रहने के लिए नीतीश कुमार वे रातोंरात भाजपा के साथ हाथ मिला लिया था. तब ये आरोप तेजस्वी यादव पर लगे थे. पांच साल बाद राजद के खिलाफ भ्रष्टाचार का कलंक और गहराता ही गया है. लालू प्रसाद को अब चारा घोटाला के पांच मामलों में दोषी ठहराया गया है, जिनमें से चार को जुलाई 2017 से दोषी ठहराया गया है.
भाजपा ने गठबंधन चलाने के लिए नीतीश कुमार को ज्यादा महत्व
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि, बिहार में गठबंधन के लिए भाजपा ने हमेशा नीतीश कुमार को "अतिरिक्त महत्व" दिया. जैसे कि बिहार में 2019 के लोकसभा चुनावों में समान सीट वितरण, भाजपा के एक मजबूत पार्टी होने के बावजूद, कुमार को 2020 के विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करना और शेष नीतीश के मुख्यमंत्री बनने के अपने वादे पर कायम रहना, हालांकि जेडीयू को भाजपा से बहुत कम सीटें मिलीं. “फिर भी नीतीश कुमार ने भाजपा के पीठ में छुरा घोंपा है. लोग देख रहे हैं और नरेंद्र मोदी और भाजपा पर भरोसा करेंगे जो बिहार को विकास के रास्ते पर ले जाना चाहते हैं.
राजद के साथ कितना लंबा होगा सफर
बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार का कोई दूसरा जोड़ नहीं है. बिहार के राजनीति की हकीकत को देखते हुए अभी तक भाजपा नीतीश कुमार को बिहार में सबसे आगे रखती थी. लेकिन अब ऐसा ही महत्व क्या राजद से भी मिलेगा. राज्य में दोनों दलों का अपना-अपना जनाधार है. जो एक दूसरे के विरोध में भी रहता है. ऐसे में आने वाले दिनों में यह देखना होगा, क्या राजद और जेड़ीयू का गठबंधन धरातल पर उतरता है.
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