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Stock Market Investment: बाजार में आ चुकी है बड़ी गिरावट, क्या निवेशकों के लिए ‘लालची’ बन जाने का है मौका

निवेशकों को क्या जानना चाहिए?

अस्वीकरण :
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इतिहास से ले सकते हैं सीख

हार्टफोर्ड फंड्स के अनुसार, 1928 के बाद से 26 बियर मार्केट रहे हैं. वहीं, बुल मार्केट 27 रहा है. बियर मार्केट में स्टॉक औसतन 36% गिर जाता है, लेकिन बुल मार्केट के दौरान यह औसतन 114% चढ़ता है. हर बियर मार्केट के बाद एक बुल मार्केट होता है. एक और दिलचस्प तथ्य यह है कि बियर मार्केट औसतन 289 दिनों तक चलते हैं, जबकि बुल मार्केट 991 दिनों से ऊपर चल सकते हैं.

निवेशकों को मंदी का डर है. लेकिन इतिहास यह भी बताता है कि हर बियर मार्केट के चलते मंदी नहीं आई. यह इकनॉमिक स्लोडाउन भी हो सकता है. 1929 के बाद से दुनिया में 26 बियर मार्केट और केवल 15 बार मंदी आई है. इस तरह, इतिहास से पता चलता है कि बियर मार्केट टेंपररी है. बुल मार्केट की तुलना में एक बियर मार्केट अल्पकालिक होता है. और हर बियर बाजार के बाद शेयर बाजार में जबरदस्त उछाल आता है.

बियर मार्केट के दौरान क्या हो निवेश की स्ट्रेटेजी

सबसे अहम बात यह है कि शांत रहें और घबराएं नहीं. कहीं भी निवेश करने के बजाए सही स्ट्रेटेजी अपनाएं. लॉन्ग टर्म के लिए निवेश करें न कि शॉर्ट टर्म के लिए. विश्लेषण के आधार पर निर्णय लें न कि भावनाओं के आधार पर. और हां, एक्सपर्ट की मदद जरूर लें.

वारेन बफेट कहते हैं, “जब दूसरे लालची हों तो डर जाएं और जब दूसरे भयभीत हों तो लालची बनें.” निवेशकों को क्या जानना चाहिए? ज्यादातर निवेशक ऐसे शेयरों में निवेश करते हैं जो सुरक्षित लग सकते हैं. लेकिन यह शॉर्ट टर्म मानसिकता उनके पोर्टफोलियो को कमजोर करती है, और जब बाजार में वापसी होती है तो वे बड़े फायदे से चूक जाते हैं. कई बड़ी कंपनियां हैं जिनके शेयर की कीमतें बाजार में डर के कारण गिरती हैं, भले ही उनका लॉन्ग टर्म में प्रदर्शन कुछ भी हो. अगर आप जानते हैं कि उन कंपनियों को कैसे चुनना है, जिनमें उछाल की संभावना है तो आप उनके शेयर कम कीमतों पर खरीद सकते हैं. और बाद में अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं.

अपने पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन लाएं

बियर मार्केट हो या न हो, अपने पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन लाना और शेयरों का मिश्रण रखना हमेशा एक बेहतरीन रणनीति होती है. हर कंपनी के शेयर की कीमतें समान मात्रा में नहीं गिरती हैं. अगर आपके पास नुकसान वाली कंपनियों की तुलना में मुनाफे वाली कंपनियां अधिक हैं तो आप हमेशा फायदे में रहेंगे. यही कारण है कि आपको पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन के लिए एक्सपर्ट्स की मदद लेनी चाहिए. ऐसी कंपनियां हैं जिनके शेयर की कीमतें काफी ज्यादा हैं लेकिन वे कर्ज में डूबी हुई हैं और उनका प्रदर्शन भी अच्छा नहीं है. ऐसी कंपनियों को अपने पोर्टफोलियो से हटा दें.

ऐसी कंपनियों में निवेश करें जिनका फंडामेंटल मजबूत हो. इसके साथ ही, हेल्दी बैलेंस शीट और लंबे समय तक प्रदर्शन करने वाली हों. एक इंडेक्स फंड और ईटीएफ आपको एक स्टॉक में निवेश करने के बजाय कई कंपनियों में अपने फंड में विविधता लाने की अनुमति देता है.

एसेट एलोकेशन पर दें ध्यान

अपने गोल्स, इन्वेस्टमेंट ऑब्जेक्टिव और रिस्क लेने की क्षमता के आधार पर अलग-अलग इन्वेस्टमेंट एसेट्स का एक पोर्टफोलियो रखें. सही रणनीति यह है कि आपके पोर्टफोलियो का एक हिस्सा बाजार की स्थिति के आधार पर आगे और पीछे निवेश किया जाए.

SIP निवेशकों को क्या जानना चाहिए? के ज़रिए आप नियमित रूप से एक निश्चित राशि का निवेश कर सकते हैं. आप एक म्यूचुअल फंड स्कीम में एक निश्चित राशि का निवेश करते हैं. म्यूचुअल फंड बाजार के साधन हैं जो स्टॉक, बॉन्ड, कमोडिटी आदि में फंड निवेश करते हैं. एकमुश्त निवेश करने के बजाय, आप अलग अलग जगह समान रूप से निवेश कर सकते हैं. यह बाजार में उतार-चढ़ाव के जोखिम को और कम करता है.

शेयर मार्केट में करते हैं निवेश? सुन लीजिए सेबी प्रमुख की यह सलाह

शेयर मार्केट में करते हैं निवेश? सुन लीजिए सेबी प्रमुख की यह सलाह

भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधबी पुरी बुच ने निवेशकों को सावधान रहने और निवेश करने से पहले पर्याप्त सतर्कता बरतने की सलाह दी है। उन्होंने निवेशकों को सलाह देते हुए कहा कि वे बाजार की अटकलों के आधार पर निवेश न करें और केवल सेबी के पास पंजीकृत मध्यस्थों के जरिये ही कारोबार करें।

उन्होंने सोमवार को कहा कि निवेशकों को अपनी वित्तीय योजना बनानी चाहिए और अपने वित्तीय लक्ष्यों के अनुरूप निवेश के लिए वित्तीय उत्पादों का चयन करना चाहिए। बुच ने विश्व निवेशक सप्ताह (डब्ल्यूआईडब्ल्यू) के अवसर पर सेबी की वेबसाइट पर एक संदेश में कहा, ''कुछ मूलभूत सिद्धांतों जैसे नियमित बचत और एक विविधता वाले पोर्टफोलियो में निवेश को हमेशा ध्यान में रखा जाना चाहिए।''

नए निवेशक को किस फंड में निवेश करना चाहिए?

बहुत से लोग म्युचुअल फ़ंड में निवेश करना चाहते हैं ताकि लंबी समय अवधि में उन्हें दूसरी असेट क्लास की तुलना में संभावित बेहतर मुनाफा मिले, पर वे नहीं जानते कि शुरुआत कहाँ से करें। क्योंकि म्युचुअल फंड में रिस्क होता है, इसलिए ज़्यादातर संभावित निवेशक निवेशकों को क्या जानना चाहिए? इसमें अपनी मेहनत की कमाई लगाने से घबराते हैं। वे लगातार यह पता लगाते रहते हैं कि उन्हें किस फंड में निवेश करना चाहिए जिससे उन्हें रिस्क (जोखिम) के बिना म्यूचुअल फंड का मुनाफा मिल सके। क्योंकि कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है, ऐसा कोई जीरो-रिस्क फंड नहीं है जो हमें दूसरे म्यूचुअल फंड्स की तरह मुनाफे देता हो। लेकिन ओवरनाइट फंड्स इसके काफ़ी करीब हैं।

ये फंड्स अगले दिन मैच्योर होने वाली सेक्यूरिटीज़ में निवेश करते हैं। इसलिए, निवेशकों को क्या जानना चाहिए? वे काफ़ी स्पष्ट(आसान) होते हैं और उनमें सबसे कम रिस्क होता है। लेकिन लंबी समय अवधि में जो मुनाफा आप अपने पोर्टफोलियो के लिए चाहते हैं वह इन फंड्स से मिलना मुश्किल है। अगर आप अपनी ज़िंदगी भर की बचत म्युचुअल फंड्स में निवेश करने से पहले इसे छोटे स्तर पर आजमा रहे हैं, तो ओवरनाइट फंड आपके लिए बिल्कुल सही है।

ये दो दिग्गज कंपनियां कर रहीं शेयर बायबैक, जानिए क्या है ये और इससे किसे होता है फायदा

ये दो दिग्गज कंपनियां कर रहीं शेयर बायबैक, जानिए क्या है ये और इससे किसे होता है फायदा

बजाज ऑटो ने शेयर बायबैक की प्रक्रिया पूरी कर ली है. खबर है कि अब इंफोसिस जल्द ही शेयर बायबैक की घोषणा कर सकती है. सवाल ये है कि आखिर कोई कंपनी अपने ही शेयर वापस क्यों खरीदती है?

दिग्गज दोपहिया वाहन बनाने वाली कंपनी बजाज ऑटो (Bajaj Auto) ने शेयर बायबैक (Share Buyback) की प्रक्रिया को पूरा कर लिया है. वहीं एक दूसरी खबर आ रही है कि इंफोसिस (Infosys) जल्द ही शेयर बायबैक का ऐलान कर सकती है. 13 अक्टूबर को कंपनी दूसरी तिमाही के नतीजे घोषित करेगी और उसी दिन बायबैक का ऐलान हो सकता है. यहां लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं कि आखिर कंपनियां अपने ही शेयर वापस क्यों खरीद रही हैं? अगर वापस ही खरीदने थे तो शेयर जारी ही क्यों किए? इससे कंपनियों को क्या फायदा? शेयरधारकों को कोई फायदा होगा या नहीं? आइए जानते हैं हर सवाल का जवाब.

पहले जानिए बजाज ऑटो शेयर बायबैक के बारे में

बजाज ऑटो ने करीब 64 लाख शेयरों को वापस खरीद लिया है, जिनकी कुल वैल्यू 2499.97 करोड़ रुपये है. कंपनी ने जुलाई 2022 में शेयर बायबैक का ऐलान किया था. 10 अक्टूबर को हुई मीटिंग में फैसला लिया गया कि बायबैक की प्रक्रिया को अब बंद कर देना चाहिए. बायबैक में शेयर की कीमत को 4600 से अधिक न रखने की बात हुई थी. इस बायबैक के बाद अब कंपनी के प्रमोटर्स की हिस्सेदारी 53.77 फीसदी से बढ़कर 54.98 फीसदी हो गई है. इससे पहले बजाज ने करीब 22 साल पहले 2000 में शेयर बायबैक किए थे. तब करीब 1.8 करोड़ इक्विटी शेयर वापस खरीदे थे, जिनकी कीमत 400 रुपये तय की गई थी. 11 अक्टूबर को दोपहर 1 बजे बजाज ऑटो के शेयर की कीमत करीब 3570 रुपये थी.

आगामी 13 अक्टूबर को इंफोसिस दूसरी तिमाही के नतीजे जारी करेगी. इसी दिन कंपनी शेयर बायबैक की घोषणा भी कर सकती है. इससे पहले कंपनी दो बायबैक के जरिए 9200 करोड़ और 8260 करोड़ रुपये के शेयर वापस खरीद भी चुकी है. पिछले दोनों बायबैक पूरे होने में करीब 5 महीने लगे थे, देखना दिलचस्प होगा कि अगर कंपनी फिर से शेयर बायबैक की घोषणा करती है तो इस बार उसे कितना टाइम लगेगा. उम्मीद की जा रही है कि शेयर बायबैक 1740 रुपये से 1800 रुपये की रेंज में हो सकता है. उम्मीद है कि कीमत शेयर बायबैक के ऐलान वाले दिन से 18-21 फीसदी प्रीमियम के साथ होगी. 11 अक्टूबर को दोपहर 1 बजे तक इंफोसिस के शेयर की कीमत करीब 1440 रुपये थी. यानी इस भाव से देखा जाए तो शेयर से 10 फीसदी से अधिक रिटर्न मिल सकता है.

क्या होता है शेयर बायबैक?

शेयर बायबैक वह प्रक्रिया होती है, जिसके तहत कोई कंपनी अपने ही शेयर्स को पब्लिक से वापस खरीद लेती है. इसके लिए कंपनी अपने शेयर की कीमत पर कुछ प्रीमियम भी चुकाती है. शेयर बायबैक के जरिए कंपनी खुद में ही री-इन्वेस्ट करती है. जब कंपनी शेयर बायबैक करती है तो फिर बाजार में उसके आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या कम हो जाती है.

बायबैक की बात सुनकर हर कोई ये सोचता है कि आखिर कंपनियां अपने ही शेयर को वापस क्यों खरीदती हैं. कई बार अगर कंपनी के पास अतिरिक्त कैश हो जाता है और वह उसे किसी दूसरे प्रोजेक्ट में नहीं लगा पाती हैं तो वह शेयर बायबैक कर लेती हैं. इस तरह कंपनी अतिरिक्त कैश को खुद में ही निवेश कर देती है. अगर किसी कंपनी के पास अधिक नकदी होती है तो वह निवेशकों को क्या जानना चाहिए? निवेशकों को क्या जानना चाहिए? बैलेंस शीट में भी दिखती है और नकदी पड़े रहना अच्छा नहीं माना जाता है. ऐसे में कंपनियां उस नकदी का इस्तेमाल शेयर बायबैक कर के कर लेती हैं. कई बार कंपनियों को लगता है कि उनके शेयर की कीमत कम आंकी गई है, तो भी वह शेयर बायबैक कर लेती हैं, जिससे शेयरों की वैल्यू बढ़ जाती है. इससे निवेशकों में भी एक भरोसा पैदा होता है कि कंपनी की वित्तीय हालत अच्छी है, जिससे कंपनी के शेयरों की मांग बढ़ती है, जो उसकी कीमत को बढ़ाती है.

निवेशकों को क्या फायदा?

जैसा कि शेयर बायबैक कुछ प्रीमियम निवेशकों को क्या जानना चाहिए? निवेशकों को क्या जानना चाहिए? पर होता है तो निवेशकों को इसका तो फायदा होता ही है. हालांकि, अगर आपने लंबे वक्त के हिसाब से निवेशकों को क्या जानना चाहिए? पैसा लगाया है तो आपको बायबैक में शेयर नहीं बेचने चाहिए. उम्मीद होती है कि भविष्य में कंपनी और बेहतर निवेशकों को क्या जानना चाहिए? प्रदर्शन करेगी और ज्यादा रिटर्न देगी. वहीं अगर आपने छोटी अवधि के लिए निवेश किया है तो बेचकर मुनाफा कमा लेना चाहिए. वहीं अगर आपको लगे कि कंपनी का शेयर ओवरवैल्यूड है तो भी आपको शेयर बेचकर निकल जाना चाहिए. जो लोग सिर्फ ट्रेडिंग के मकसद से शेयर खरीदते हैं, उनके लिए तो यह मौका किसी गोल्डन चांस जैसा होता है.

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