स्विंग ट्रेडिंग
विभिन्न आदेश प्रकारों को समझना
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फॉरेक्स ट्रेडिंग के विभिन्न प्रकारों को समझना
हिंदी
फॉरेक्स या फॉरेक्स एक्सचेंज वह बाजार है जहां करेंसी का एक-दूसरे के साथ आदान-प्रदान किया जा सकता है। फॉरेक्स ट्रेडिंग प्रमुख रूप से करेंसी को खरीदने और बेचने की प्रक्रिया है और यह उन बाजारों में से एक है जहां सबसे भारी ट्रेड होता है।
फॉरेक्स ट्रेडिंग में करेंसी जोड़े में ट्रेडिंग शामिल है।करेंसी के जोड़े तीन प्रकार के होते हैं माइनर, मेजर और एक्जियाटिक जोड़े। मेजर करेंसी जोड़े सबसे अधिक बार ट्रेड की जाने वाली करेंसी हैं, जबकि माइनर जोड़ों में अमेरिकी डॉलर शामिल नहीं होता है। एक्जियाटिक जोड़े वे हैं जिनमें एक करेंसी मेजर है और दूसरी किसी विकासशील अर्थव्यवस्था की करेंसी है।
ट्रेडिंग प्रकार के आधार पर फॉरेक्स ट्रेडिंग और ट्रेडर्स कई प्रकार के हैं। यहाँ गर फॉरेक्स ट्रेडिंग के कुछ प्रकार दिए गए हैं:
फॉरेक्स ट्रेडिंग के ये प्रकार लंबी-अवधि के होते हैं और महीनों के लिए स्थितियों को ले और होल्ड कर सकते हैं। पोजीशन ट्रेडिंग ट्रेड के मौलिक विश्लेषण पर निर्भर करती है। पोजीशन ट्रेडर अपने निर्णय का आधार फॉरेक्स चार्ट विश्लेषण और फॉरेक्स बाजार विश्लेषण को रखते हैं। वे मौलिक और तकनीकी विश्लेषण के संयोजन का उपयोग करते हैं।
वर्गीकरण की परिभाषाएं (Definition of data in hindi)
आइये हम वर्गीकरण से संबंधित कुछ परिभाषाओं (Vargikaran ki paribhasha) का अध्ययन करते हैं। जिनसे यह स्पष्ट हो जाएगा कि वर्गीकरण के लक्षण व महत्व क्या है?
एल. आर. कार्नर के अनुसार- "वर्गीकरण वस्तुओं को समूह अथवा वर्गों में उसकी समानता और सजातीयता के आधार पर व्यवस्थित करने की प्रक्रिया को कहा जाता है। जिससे व्यक्तिगत इकाइयों की विविधता में एकता व्यक्त की जा सकती है।"
स्पूर एवं स्मिथ के अनुसार- "संबंधित तथ्यों को व्यवस्थित करके, विभिन्न वर्गों में प्रस्तुत करने की क्रिया को वर्गीकरण कहा जाता है।"
होरेक्स सेक्राइस्ट के अनुसार- "वर्गीकरण समंकों को उनकी सामान्य विशेषताओं के आधार पर क्रम या समूहों में क्रमबद्ध तथा संबंधित विभिन्न भागों में अलग-अलग करने की प्रक्रिया है।"
शुक्ल और सहाय के अनुसार, "समंकों के अव्यवस्थित विशाल ढेर को, वर्गीकरण के द्वारा एक व्यवस्थित रूप दिया जाता है ताकि भविष्य का कार्य सरल हो सके।"
वर्गीकरण के लक्षण | Main features of classification in hindi
समंकों के वर्गीकरण के निम्नलिखित लक्षण या आँकड़ों के वर्गीकरण की मुख्य विशेषताएँ (Vargikaran ki visheshtayen) निम्न हैं-
2. वर्गीकरण आँकड़ों की समानता, सादृश्यता या उनके गुणों के आधार पर होता है।
3. यह पदों की विभिन्नता के बीच में भी उनकी 85 को स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त करता है।
4. वर्गीकरण समूह की इकाइयों को भिन्न-भिन्त्र वर्गो में विभाजित करने की एक युक्ति है।
5. वर्गीकरण अथवा समंकों का विभाजन वास्तविक अथवा काल्पनिक दोनों रूप में हो सकता है।
वर्गीकरण के उद्देश्य (Objects of Classification in hindi)
1. वर्गीकरण का उद्देश्य जटिल व बिखरे हुए तथ्यों को सरल व संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत किया जाना होता है।
2. समान विभिन्न आदेश प्रकारों को समझना गुण रखने वाले तथ्यों को एक वर्ग में रखा जाता है। जिससे तथ्यों में पायी जाने वाली समानता व असमानता स्पष्ट हो जाती है। जैसे- साक्षर-निरक्षर, पुरुष-स्त्री आदि।
किसी भी आदर्श वर्गीकरण में होने वाली विशेषताएँ (Adarsh vargikaran ki visheshtaen) निम्नलिखित होनी चाहिए। जिससे यह पता लगाया जा सके कि एकत्रित समंकों को विशेष सजातीयता के आधार पर विभक्त किया गया है। आइये हम वर्गीकरण की विशेषताएं जानते हैं-
1. उद्देश्य की अनिरुपता- वर्गीकरण का रूप, अनुसन्धान के रूप में और उद्देश्य के अनुरूप होना चाहिए। वर्गीकरण का आधार, वर्गों के गुण, उनकी संख्या आदि को इस तरह निर्धारित करना चाहिए ताकि उस अनुसंधान विशेष के उद्देश्य की पूर्ति हो।
(5) आर्थिक न्याय -
आर्थिक न्याय सामाजिक न्याय का एक अंग है। कुछ लोग आर्थिक न्याय का तात्पर्य पूर्ण आर्थिक समानता से लेते हैं। किन्तु वास्तव में इस प्रकार की स्थिति व्यवहार के अन्तर्गत किसी भी रूप में सम्भव नहीं है। आर्थिक न्याय का तात्पर्य यह है कि सम्पत्ति सम्बन्धी भेद इतना अधिक नहीं होना चाहिए कि धन-सम्पदा के आधार पर व्यक्ति-व्यक्ति के बीच विभेद की कोई दीवार खडी हो जाए और कुछ धनी व्यक्तियों द्वारा अन्य व्यक्तियों के श्रम का शोषण किया जाए या उसके जीवन पर अनुचित अधिकार स्थापित कर लिया जाए। उसमें यह बात भी निहित है कि पहले समाज में सभी व्यक्तियों की अनिवार्य आवश्यकताएं पूरी होनी चाहिए , उसके बाद ही किन्हीं व्यक्तियों द्वारा आरामदायक आवश्यकताओं या विलासिता की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है । आर्थिक न्याय के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए व्यक्तिगत सम्पत्ति के अधिकार को सीमित किया जाना आवश्यक है।
वर्गीकरण की परिभाषाएं (Definition of data in hindi)
आइये हम वर्गीकरण से संबंधित कुछ परिभाषाओं (Vargikaran ki paribhasha) का अध्ययन करते हैं। जिनसे यह स्पष्ट हो जाएगा कि वर्गीकरण के लक्षण व महत्व क्या है?
एल. आर. कार्नर के अनुसार- "वर्गीकरण वस्तुओं को समूह अथवा वर्गों में उसकी समानता और सजातीयता के आधार पर व्यवस्थित करने की प्रक्रिया को कहा जाता है। जिससे व्यक्तिगत इकाइयों की विविधता में एकता व्यक्त की जा सकती है।"
स्पूर एवं स्मिथ के अनुसार- "संबंधित तथ्यों को व्यवस्थित करके, विभिन्न वर्गों में प्रस्तुत करने की क्रिया को वर्गीकरण कहा जाता है।"
होरेक्स सेक्राइस्ट के अनुसार- "वर्गीकरण समंकों को उनकी सामान्य विशेषताओं के आधार पर क्रम या समूहों में क्रमबद्ध तथा संबंधित विभिन्न भागों में अलग-अलग करने की प्रक्रिया है।"
शुक्ल और सहाय के अनुसार, "समंकों के अव्यवस्थित विशाल ढेर को, वर्गीकरण के द्वारा एक व्यवस्थित रूप दिया जाता है ताकि भविष्य का कार्य सरल हो सके।"
वर्गीकरण के लक्षण | Main features of classification in hindi
समंकों के वर्गीकरण के निम्नलिखित लक्षण या आँकड़ों के वर्गीकरण की मुख्य विशेषताएँ (Vargikaran ki visheshtayen) निम्न हैं-
2. वर्गीकरण आँकड़ों की समानता, सादृश्यता या उनके गुणों के आधार पर होता है।
3. यह पदों की विभिन्नता के बीच में भी उनकी 85 को स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त करता है।
4. वर्गीकरण समूह की इकाइयों को भिन्न-भिन्त्र वर्गो में विभाजित करने की एक युक्ति है।
5. वर्गीकरण अथवा समंकों का विभाजन वास्तविक अथवा काल्पनिक दोनों रूप में हो सकता है।
वर्गीकरण के उद्देश्य (Objects of Classification in hindi)
1. वर्गीकरण का उद्देश्य जटिल व बिखरे हुए तथ्यों को सरल व संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत किया जाना होता है।
2. समान गुण रखने वाले तथ्यों को एक वर्ग में रखा जाता है। जिससे तथ्यों में पायी जाने वाली समानता व असमानता स्पष्ट हो जाती है। जैसे- साक्षर-निरक्षर, विभिन्न आदेश प्रकारों को समझना पुरुष-स्त्री आदि।
किसी भी आदर्श वर्गीकरण में होने वाली विशेषताएँ (Adarsh vargikaran ki visheshtaen) निम्नलिखित होनी चाहिए। जिससे यह पता लगाया जा सके कि एकत्रित समंकों को विशेष सजातीयता के आधार पर विभक्त किया गया है। आइये हम वर्गीकरण की विशेषताएं जानते हैं-
1. उद्देश्य की अनिरुपता- वर्गीकरण का रूप, अनुसन्धान के रूप में और उद्देश्य के अनुरूप होना चाहिए। वर्गीकरण का आधार, वर्गों के गुण, उनकी संख्या आदि को इस तरह निर्धारित करना चाहिए ताकि उस अनुसंधान विशेष के उद्देश्य की पूर्ति हो।
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