आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं. आप बहुत आसानी प्रॉपर्टी बेचने पर हुए लाभ की गणना कर वह जानकारी आईटीआर में भर सकते हैं. आपको बता दें कि प्रॉपर्टी पर कैपिटल गेन 2 तरह के होते हैं जिन पर हम आगे विस्तार से चर्चा करेंगे क्योंकि इसका सीधा संबंध आप पर लगने वाले टैक्स से है.
शेयर मार्केट के शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन निवेशकों के लिए बड़ी खबर, कैपिटल गेन टैक्स को बदलने की हो रही तैयारी, बढ़ सकता है Tax का बोझ
कैपिटल गेन टैक्स (Capital gain tax) में बदलाव को लेकर मीडिया में चल रही खबरों का वित्त मंत्रालय (Finance ministry) ने खंडन किया है. वित्त मंत्रालय ने कहा कि फिलहाल कैपिटल गेन टैक्स के शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन स्ट्रक्चर में किसी तरह के बदलाव की योजना नहीं है. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है कि कैपिटल गेन टैक्स में बदलाव की तैयारी चल रही है. यह पूरी तरह आधार विहीन है. मिंट में छपी रिपोर्ट में कहा गया था कि अगले बजट में सरकार रेवेन्यू कलेक्शन (Revenue collections) को बढ़ाने के लिए कैपिटल गेन टैक्स में बदलाव कर सकती है. इस मुद्दे पर वित्त मंत्रालय विचार कर रहा है.
1 साल से ज्यादा होल्डिंग पर लगता है LTCG
अपने देश में अगर शेयर बाजार में 1 साल से ज्यादा के लिए शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन निवेश करते हैं तो निवेश करने पर यह लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के दायरे में आता है. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स 10 फीसदी है. 1 लाख तक लॉन्ग टर्म गेन टैक्स फ्री है. यह नियम 1 अप्रैल 2019 से लागू है. 12 महीने से कम समय के लिए निवेश करने पर यह शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन कहलाता है. शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स 15 फीसदी होता है. इस तरह होल्डिंग पीरियड के आधार पर कैपिटल गेन पर टैक्स लगता है.
बजट 2022 पेश करने के बाद 9 फरवरी को इंडस्ट्री के लोगों से बात करते हुए रेवेन्यू सेक्रेटरी तरुण बजाज ने कहा था कि अपने शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन देश में कैपिटल गेन टैक्स का स्ट्रक्चर बहुत पेचीदा है. इसपर विचार करने की जरूरत है. 28 फरवरी को उन्होंने फिर से कहा था कि शेयर बाजार से 80 फीसदी कैपिटल गेन पाने वाले लोगों की सालाना इनकम 50 लाख से ज्यादा है.
Budget 2022 Easy Hai: सिर्फ 1 मिनट में समझिए शॉर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म. क्या होता है कैपिटल गेन टैक्स?
Budget 2022 Easy Hai: कैपिटल गेन टैक्स दो तरह का होता है, शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म. इन पर टैक्स की दर भी अलग-अलग होती है. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स में स्टॉक मार्केट को सरकार ने पिछले साल ही शामिल किया था.
Budget 2022 Easy Hai: जो लोग ज्यादा पैसा कमाते हैं, सरकार उनसे टैक्स भी ज्यादा लेती है. इक्विटी, इक्विटी म्युचुअल फंड (equity mutual fund) में वे ही लोग पैसा लगाते हैं जिनकी कमाई बहुत है और तमाम खर्चे करने के बाद अच्छी बचत हो जाती है. ऐसे में सरकार इस तरह के निवेश शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन से होने वाली कमाई पर भी टैक्स लेती है. इस टैक्स शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन को कैपिटल गेन टैक्स (Capital gain tax) कहते हैं. कैपिटल गेन टैक्स दो तरह का होता है, शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म. इन पर टैक्स की दर भी अलग-अलग होती है.
शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) टैक्स
– अगर कोई प्रॉपर्टी आप 3 साल से कम अवधि तक अपने पास रखकर बेच डालते हैं तो उससे होने वाला प्रॉफिट शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) में गिना जाता है और इस पर लगने वाला टैक्स शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) टैक्स कहा जाता है. वित्त वर्ष 2017-18 से अचल शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन संपत्तियों के 2 साल के भीतर हुए सौदों को शॉर्ट-टर्म की सीमा में कर दिया गया है.
– शेयर के मामले में 1 साल के भीतर बेचने पर उससे होने वाला फायदा STCG माना जाएगा.
STCG टैक्स की दर
– STCG टैक्स कि गिनती करने के लिए इसे अन्य आमदनियों की तरह आपकी कुल आमदनी में जोड़ दिया जाता है. फिर कुल आमदनी में से जितनी आपकी टैक्सेबल इनकम होती है, उस पर टैक्स स्लैब के मुताबिक टैक्स भरना पड़ता है.
– कंपनी के इक्विटी शेयर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन और इक्विटी म्यूचुअल फंड के यूनिट के मामले में, उन्हें 1 साल के भीतर बेचने पर होने वाले STCG पर 15% फिक्स टैक्स लागू होता है. चाहे आप जीरो टैक्स में आते हों या फिर 30 फीसदी टैक्स वाले स्लैब में आते हैं, आपको शेयर या म्युचुअल फंड से होने वाली कमाई पर 15 फीसदी टैक्स देना होगा.
लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स
– अगर कोई प्रॉपर्टी कम से कम 3 साल तक अपने पास रखकर बेचते हैं तो उससे होने वाला मुनाफा लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) में गिना जाता है और इस पर लगने वाला लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स कहा जाता है. अचल संपत्तियों (जमीन, बिल्डिंग, घर आदि) के मामले में LTCG की अवधि सरकार ने वित्तीय वर्ष 2017-18 से 2 साल कर दी है. जबकि चल संपत्तियों (ज्वैलरी, बॉन्ड, डेट म्यूचुअल फंड) के मामले में यह 3 साल ही है.
– इक्विटी शेयर्स के मामले में सिर्फ एक साल की अवधि को ही लॉन्ग-टर्म में रखा गया है.
LTCG टैक्स की दर
सामान्यतया लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर 20 प्रतिशत टैक्स देना पड़ता है. कुछ विशेष मामलों में यह 10 प्रतिशत भी हो सकता है. जिन मामलों में हम कैपिटल गेन निकालने के लिए इंडेक्सेशन का प्रयोग करते हैं, उन में 20 प्रतिशत टैक्स लागू होता है.
कैपिटल गेन टैक्स से बचने के लिए आप इंडेक्सेशन का इस्तेमाल कर सकते हैं. नई प्रॉपर्टी में निवेश कर सकते हैं. कैपिटल गेन अकाउंट खुलवा सकते हैं, कैपिटल गेन बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं. टैक्स-लोस हार्वेस्टिंग रणनीति से नुकसान समायोजन भी कर सकते हैं.
अगर आपने बीते वित्त वर्ष में कोई प्रॉपर्टी बेची है तो उस पर मिले कैपिटल गेन की गणना कर आपको आईटीआर में जानकारी देनी होग . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : July 28, 2022, 12:05 IST
कैपिटल गेन 2 तरह के होते हैं.
पहला शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन और दूसरा लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन.
प्रॉपर्टी सेल पर कैपिटल गेन की गणना करते समय इन दोनों बातों का ध्यान रखना होता है.
नई दिल्ली. समीक्षाधीन वर्ष 2022-23 के लिए आईटीआर भरने की अंतिम तिथि बस अब 3 तीन शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन दूर है. ऐसे में वेतनभोगी लोगों को जल्द-से-जल्द आईटीआर भरने का काम निपटा लेना चाहिए. आईटीआर भरते समय आपको अपनी सभी आय की जानकारी देनी होती है. आमतौर पर विभिन्न स्रोतों से मिली आय के बारे में करदाता को अच्छे से पता होता है लेकिन प्रॉपर्टी सेल के संबंध में वे यह नहीं समझ पाते कि उन्हें कैपिटल गेन की गणना कैसे करनी है.
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