1. बेस्ट पॉसिबल प्राइसेज पर ट्रेड पूरे होते हैं।
2. चाहे गए स्तरों पर ट्रेड ऑर्डर प्लेसमेंट तत्काल और सटीक होता है।
3. कीमतों में होने वाले बदलाव से बचने के लिए ट्रेड्स समय पर और तुरंत हो जाते हैं।
4. लेनदेन की लागत में कमी आती है।
5. कई बाजार स्थितियों पर एक साथ ऑटोमेटिक रूप से नजर बनाई जा सकती है।
6. ट्रेड्स प्लेस करते समय गलती की गुंजाइश का जोखिम काफी कम हो जाता है।
7. उपलब्ध ऐतिहासिक और रियल-टाइम डेटा का उपयोग करके एल्गो ट्रेडिंग का बैकटेस्ट किया जा सकता है। इससे यह पता लगाया जा सकता है कि यह एक व्यवहार्य ट्रेडिंग रणनीति है या नहीं।
8. ऑटो ट्रेडिंग सिस्टम का इतिहास ह्यूमन ट्रेडिंग में होने वाली भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक आधारित गलतियों की गुंजाइश नहीं रहती।
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सेबी ने जारी किये दिशानिर्देश

पूंजी बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने हाल ही में निवेशकों को एल्गो ट्रेडिंग से जुड़ी सेवाएं देने वाले ब्रोकर्स के लिये दिशानिर्देश जारी किए हैं। इस पहल का उद्देश्य ‘उच्च रिटर्न’ का दावा कर शेयर बिक्री पर रोक लगाना है। सेबी ने एल्गो ट्रेडिंग की सुविधा दे रहे ब्रोकर्स के लिए कुछ जिम्मेदारी तय की है। एल्गोरिदम ट्रेडिंग सेवाएं देने वाले ब्रोकरों को पिछले या भविष्य के रिटर्न को लेकर कोई भी संदर्भ देने से मना किया गया है। साथ ही ऐसे किसी भी प्लेटफॉर्म से जुड़े होने से प्रतिबंधित कर दिया गया है, जो एल्गोरिदम के पिछले या भविष्य के लाभ के बारे में कोई संदर्भ देता है। सेबी के सर्कुलर में कहा गया, ‘‘जो शेयर ब्रोकर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से एल्गोरिदम के पिछले या भविष्य के रिटर्न या प्रदर्शन के बारे में जानकारी देते हैं या इस प्रकार की जानकारी देने वाले मंच से जुड़े हैं, वे सात दिन के भीतर उसे वेबसाइट से हटा देंगे। साथ ही इस तरह के संदर्भ प्रदान करने वाले मंच से खुद को अलग कर लेंगे।

एल्गो ट्रेडिंग गारंटीड रिटर्न देती है, यह धारणा गलत

ट्विटर पर जेरोधा के को-फाउंडर नितिन कामत ने लिखा, “मुझे लगता है कि SEBI ने ऐसा इसलिए किया है, क्योंकि इस तरह के प्लेटफॉर्म ग्राहकों को लुभाने के लिए बैक-टेस्टिंग के जरिए असाधारण रिटर्न का लालच दे रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा, “एक धारणा गलत है कि एल्गो ट्रेडिंग गारंटीड रिटर्न देती हैं। ऐसी रणनीतियां (Strategies) खोजना जो लाभदायक प्रतीत होने के लिए अधिक बार ट्रेड करती हैं, कठिन नहीं है। लेकिन लगभग सभी मामलों में, हाई रिटर्न में तेजी से गिरावट आती है या एक बार जब आप इस पर होने वाली लागतों का हिसाब लगाते हैं तो रिटर्न दिखता ही नहीं।”

Share Bazaar Live: October ऑटो बिक्री के आंकड़े आज जारी होंगे

Zee Business का यह सेगमेंट आपको एक दृष्टिकोण देता है कि आज वैश्विक बाजार के प्रदर्शन की उम्मीद कैसे की जाती है। इसके अलावा, उन प्रमुख ट्रिगर्स के बारे में जानें जो आज बाजार के लिए मायने रखते हैं और जिन शेयरों के बेहतर प्रदर्शन की संभावना है।

Explainer : शेयर मार्केट में गारंटीड और हाई रिटर्न के दावे! जानिए क्या है Algo Trading और कैसे करती है काम

What is Algo Trading : एल्गो ट्रेडिंग को ऑटोमेटेड ट्रेडिंग, प्रोग्राम्ड ट्रेडिंग या ब्लैक बॉक्स ट्रेडिंग भी कहते हैं। एल्गो नाम एल्गोरिदम (Algorithm) से निकला है। यह एक कंप्यूटर प्रोग्राम के जरिए होती है, जो ट्रेड करने के लिए तय निर्देशों (एक एल्गोरिदम) को फॉलो करता है। माना जाता है कि इसमें काफी तेजी से और अधिक बार प्रोफिट जनरेट होता है।

What is Algo Trading

एल्गो ट्रेडिंग क्या है, जिसमें किया जा रहा हाई रिटर्न का दावा

हाइलाइट्स

  • इसे ऑटोमेटेड ट्रेडिंग, प्रोग्राम्ड ट्रेडिंग या ब्लैक बॉक्स ट्रेडिंग भी कहते हैं
  • भारत में तेजी से लोकप्रिय हो रही है एल्गो ट्रेडिंग
  • ट्रेडिंग एक्टिविटीज को भावनाओं से रखती है दूर
  • बेस्ट पॉसिबल प्राइसेज पर पूरे होते हैं ट्रेड

1. बेस्ट पॉसिबल प्राइसेज पर ट्रेड पूरे होते हैं।
2. चाहे गए स्तरों पर ट्रेड ऑर्डर प्लेसमेंट तत्काल और सटीक होता है।
3. कीमतों में होने वाले बदलाव से बचने के लिए ट्रेड्स समय पर और तुरंत हो जाते हैं।
4. लेनदेन की लागत में कमी आती है।
5. कई बाजार स्थितियों पर एक साथ ऑटोमेटिक रूप से नजर बनाई जा सकती है।
6. ट्रेड्स प्लेस करते समय गलती की गुंजाइश का जोखिम काफी कम हो जाता है।
7. उपलब्ध ऐतिहासिक और रियल-टाइम डेटा का उपयोग करके एल्गो ट्रेडिंग का बैकटेस्ट किया जा सकता है। इससे यह पता लगाया जा सकता है कि यह एक व्यवहार्य ट्रेडिंग रणनीति है या नहीं।
8. ह्यूमन ट्रेडिंग में होने वाली भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक आधारित गलतियों की गुंजाइश नहीं रहती।
Forex Trading Fraud: फॉरेक्स ट्रेडिंग में मोटे मुनाफे का झांसा, फर्जी ऐप के जरिए लोगों से ऐसे की 15 करोड़ की ठगी
सेबी ने जारी किये दिशानिर्देश

पूंजी बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने हाल ही में निवेशकों को एल्गो ट्रेडिंग से जुड़ी सेवाएं देने वाले ब्रोकर्स के लिये दिशानिर्देश जारी किए हैं। इस पहल का उद्देश्य ‘उच्च रिटर्न’ का दावा कर शेयर बिक्री पर रोक लगाना है। सेबी ने एल्गो ट्रेडिंग की सुविधा दे रहे ब्रोकर्स के लिए कुछ जिम्मेदारी तय की है। एल्गोरिदम ट्रेडिंग सेवाएं देने वाले ब्रोकरों को पिछले या भविष्य के रिटर्न को लेकर कोई भी संदर्भ देने से मना किया गया है। साथ ही ऐसे किसी भी प्लेटफॉर्म से जुड़े होने से प्रतिबंधित कर दिया गया है, जो एल्गोरिदम के पिछले या भविष्य के लाभ के बारे में कोई संदर्भ देता है। सेबी के सर्कुलर में कहा गया, ‘‘जो शेयर ब्रोकर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से एल्गोरिदम के पिछले या भविष्य के रिटर्न या प्रदर्शन के बारे में जानकारी देते हैं या इस प्रकार की जानकारी देने वाले मंच से जुड़े हैं, वे सात दिन के भीतर उसे वेबसाइट से हटा देंगे। साथ ही इस तरह के संदर्भ प्रदान करने वाले मंच से खुद को अलग कर लेंगे।

एल्गो ट्रेडिंग गारंटीड रिटर्न देती है, यह धारणा गलत

ट्विटर पर जेरोधा के को-फाउंडर नितिन कामत ने लिखा, “मुझे लगता है कि SEBI ने ऐसा इसलिए किया है, क्योंकि इस तरह के प्लेटफॉर्म ग्राहकों को लुभाने के लिए बैक-टेस्टिंग के जरिए असाधारण रिटर्न का लालच दे रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा, “एक धारणा गलत है कि एल्गो ट्रेडिंग गारंटीड रिटर्न देती हैं। ऐसी रणनीतियां (Strategies) खोजना जो लाभदायक प्रतीत होने के लिए अधिक बार ट्रेड करती हैं, कठिन नहीं है। लेकिन लगभग सभी मामलों में, हाई रिटर्न में तेजी से गिरावट आती है या एक बार जब आप इस पर होने वाली लागतों का हिसाब लगाते हैं तो रिटर्न दिखता ही नहीं।”

ग्रिड ट्रेडिंग क्या है?

ग्रिड ट्रेडिंग एक ट्रेडिंग बॉट है जो फ्यूचर्स अनुबंधों की खरीद और बिक्री को स्वचालित करती है। इसे एक कॉन्फिगर की गई मूल्य सीमा के भीतर पूर्व निर्धारित अंतराल पर बाजार में ऑर्डर देने के लिए डिजाइन किया गया है।

ग्रिड ट्रेडिंग तब होती है जब ऑर्डर एक ऑटो ट्रेडिंग सिस्टम का इतिहास निर्धारित मूल्य से ऊपर और नीचे रखे जाते हैं, जिससे बढ़ती कीमतों पर ऑर्डर का एक ग्रिड तैयार होता है। इस तरह, यह एक ट्रेडिंग ग्रिड का निर्माण करता है। उदाहरण के लिए, कोई व्यापारी बिटकॉइन के बाजार मूल्य से प्रत्येक $1,000 पर खरीद-ऑर्डर दे सकते हैं, साथ ही बिटकॉइन के बाजार मूल्य से प्रत्येक $1,000 पर बिक्री-ऑर्डर भी दे सकते/सकती हैं। यह विभिन्न परिस्थितियों का लाभ उठाता है।

ग्रिड ट्रेडिंग अस्थिर और साइडवे मार्केट में सबसे अच्छा प्रदर्शन करती है जब मूल्य में एक निश्चित दायरा के अंदर उतार-चढ़ाव होता है। यह तकनीक छोटे मूल्य परिवर्तनों पर लाभ कमाने के लिए है। आप जितने अधिक ग्रिड शामिल करेंगे/करेंगी, व्यापारों की आवृत्ति उतनी ही अधिक होगी। हालांकि,यह एक खर्च के साथ आता है क्योंकि प्रत्येक ऑर्डर से आपको होने वाला लाभ कम होते हैं।

इस प्रकार, यह कई व्यापारों से कम लाभ कमाने वाली रणनीति बनाम कम आवृत्ति वाली रणनीति के बीच एक ट्रेडऑफ है लेकिन प्रति ऑर्डर एक बड़ा लाभ उत्पन्न करता है।

बायनेन्स ग्रिड ट्रेडिंग अब USDⓈ-M फ्यूचर्स पर लाइव है। उपयोगकर्ता ग्रिड की ऊपरी और निचली सीमा और ग्रिड की संख्या निर्धारित करने के लिए ग्रिड के मापदंडों को अनुकूलित और सेट कर सकते हैं। एक बार ग्रिड बन जाने के बाद, सिस्टम स्वचालित रूप से पूर्व निर्धारित कीमतों पर ऑर्डर खरीदेगा या बेचेगा।

मान लीजिए कि आप अगले 24 घंटों में बिटकॉइन की कीमत $50,000 से $60,000 के आसपास रहने की उम्मीद करते/करती हैं। इस मामले में, आप इस अनुमानित सीमा के अंदर व्यापार करने के लिए ग्रिड ट्रेडिंग सिस्टम सेट कर सकते/सकती हैं।

  • मूल्य दायरा की ऊपरी और निचली सीमा,
  • कॉन्फिगर की गई मूल्य सीमा के भीतर रखे जाने वाले ऑर्डर की संख्या,
  • प्रत्येक खरीद और बिक्री-सीमित ऑर्डर के बीच की चौड़ाई।

इस परिदृश्य में, जैसे ही बिटकॉइन की कीमत $ 55,000 तक गिरती है, ग्रिड ट्रेडिंग बॉट बाजार की तुलना में कम कीमत पर खरीद पोजीशन को जमा करेगा। जैसे ही कीमतों में सुधार होगा, बॉट बाजार की तुलना में अधिक कीमत पर बेचेगा। यह रणनीति अनिवार्य रूप से मूल्य प्रत्यावर्तन से लाभ का प्रयास करती है।

जोखिम चेतावनी: एक रणनीतिक व्यापारिक उपकरण के रूप में ग्रिड ट्रेडिंग को बायनेन्स की वित्तीय या निवेश सलाह के रूप में नहीं लेना चाहिए। ग्रिड ट्रेडिंग का उपयोग आपके विवेक पर और आपके अपने स्वयं के जोखिम पर किया जाता है। आपके द्वारा सुविधाओं के उपयोग किए जाने से उत्पन्न होने वाले किसी भी नुकसान के लिए बायनेन्स आपके प्रति उत्तरदायी नहीं होगा। यह अनुशंसा की जाती है कि उपयोगकर्ताओं को ग्रिड ट्रेडिंग ट्यूटोरियल को पढ़ना और पूरी तरह से समझना चाहिए और अपनी वित्तीय क्षमता के भीतर जोखिम नियंत्रण और तर्कसंगत व्यापार करना चाहिए।

अपनी ग्रिड ट्रेडिंग रणनीति सेट करें

यदि आप बायनेन्स एप का उपयोग कर रहे/रही हैं, तो [फ्यूचर्स] - [USDⓈ-M फ्यूचर्स] - [ग्रिड ट्रेडिंग]पर टैप करें।

2. रणनीति को निष्पादित करने के लिए एक संकेत चिह्न का चयन करें और ग्रिड मापदंड सेट करें। पुष्टि करने के लिए [बनाएं] पर क्लिक करें।

  1. जब आप वर्तमान में चयनित संकेत चिह्न पर ग्रिड ट्रेडिंग चला रहे/रही हों।
  2. जब आपके पास चयनित संकेत चिह्न पर ओपन ऑर्डर या पोजीशन हों।
  3. जब आप हेज पोजीशन मोड में हों, तो कृपया वन-वे मोड में समायोजित करें।
  4. जब आप काम करने की कुल मात्रा और ट्रिगर ग्रिड ट्रेडिंग की सीमा 10 से अधिक हो जाते/जाती हैं।

ग्रिड ट्रेडिंग युक्ति

उपयोगकर्ता तुरंत ग्रिड लिमिट ऑर्डर शुरू करना चुन सकते हैं या जब बाजार मूल्य एक निश्चित मूल्य पर पहुंच जाए तो ट्रिगर करना चुन सकते हैं। जब चयनित ट्रिगर मूल्य (अंतिम मूल्य या अंकित मूल्य) आपके द्वारा दर्ज किए गए ट्रिगर मूल्य से ऊपर या नीचे गिर जाते हैं, तो ग्रिड ऑर्डर ट्रिगर हो जाएंगे।

प्रारंभिक संरचना नवीनतम बाजार मूल्य (खरीद, बिक्री, मध्य-मूल्य) के अनुसार मूल्य स्तरों की एक श्रृंखला निर्धारित करने के लिए है, बाजार मूल्य से अधिक मूल्य पर बिक्री सीमित ऑर्डर दें, और बाजार मूल्य से कम मूल्य पर एक खरीद सीमित ऑर्डर दें, और मूल्य के ट्रिगर होने की प्रतीक्षा करें।

ध्यान दें कि प्रारंभिक निर्माण के समय सीमित ऑर्डर की संख्या ग्रिड +1 की संख्या है क्योंकि कोई पोजीशन नहीं है। उनमें से एक (नवीनतम बाजार मूल्य के पास वाला) आरंभिक ओपनिंग ऑर्डर है जो निष्पादित होने की प्रतीक्षा कर रहा है;

तटस्थ ग्रिड के लिए, रणनीति बिना किसी प्रारंभिक पोजीशन के शुरू होगी। प्रारंभिक पोजीशन तब शुरू होगा जब बाजार प्रारंभिक निर्माण के बाद निकटतम मूल्य बिंदु से आगे व्यापार करेगा।

सीधे ट्रेडिंग प्लैटफार्म पर सौदे कर सकेंगे संस्थागत निवेशक

ब्रोकर अब अपने संस्थागत निवेशकों को अपने एक्सचेंज ट्रेडिंग सिस्टम का इस्तेमाल करने दे सकते हैं जिससे कि ये क्लायंट बाजार में सीधे ही अपने सौदे कर सकें। लेकिन इसके लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर ब्रोकर ही मुहैया कराएगा। सेबी ने ब्रोकरों को इस बात की मंजूरी दे दी है।इस सुविधा को डायरेक्ट मार्केट एक्सेस सुविधा यानी डीएमए नाम दिया गया है।

इसके जरिए क्लायंट दुनिया में कहीं भी हों, वो अपने ब्रोकर का ट्रेडिंग प्लैटफार्म बिना किसी दखल के इस्तेमाल कर सकेंगे। इस सुविधा का एक फायदा यह भी है कि अपने ऑर्डर पर क्लायंट का पूरा नियंत्रण होगा, ये ऑर्डर ज्यादा तेजी से एक्जिक्यूट हो सकेंगे, साथ ही गलतियों की संभावना भी कम रहेगी, ज्यादा पारदर्शिता होगी, लिक्विडी बढ़ेगी, बड़े ऑर्डर पर खर्च घटेगा और क्लायंट को हेजिंग और आर्बिट्राज के अवसर भी ज्यादा मिलेंगे।

इसके लिए ब्रोकर क्लायंट से नो युअर क्लायंट की सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उन्हें ये सुविधा देने के लिए अधिकृत करेगा। डीएमए सुविधा के तहत किए जाने वाले सारे कारोबार के लिए ब्रोकर ही जिम्मेदार होगा। उन्हें अपने क्लायंट की सारी जानकारी भी अपने पास रखनी होगी, मसलन यूसर डीटेल, आईडी आदि।

जो ब्रोकर अपने क्लायंट्स को ये सुविधा देना चाहते हैं उन्हे इसके लिए इस्तेमाल होने वाले सॉफ्टवेयर और सिस्टम की जानकारी के साथ एक्सचेंज को अर्जी देनी होगी, जिसे एक सेक्योरिटी ऑडिटर प्रमाणित करेगा।ब्रोकरों को यह सुविधा देने के लिए अपने क्लायंट के साथ एक करार करना होगा, जिसमें यह बात भी साफ साफ लिखी होगी कि क्लायंट इस सुविधा का इस्तेमाल खुद के सौदों के लिए ही करेगा और वह अपने नाम पर किसी और के सौदे इस प्लैटफार्म से नहीं करेगा।

करार के तहत तय सीमा से ज्यादा कारोबार करने पर या फिर किसी और तरह से करार का उल्लंघन करने पर ब्रोकर को यह सुविधा कभी वापस लेने का अधिकार होगा। क्लायंट को कारोबार के संबंध में ब्रोकर की शर्तों का पालन करना होगा। सेबी ने एक्सचेंजों से इस संबंध में एक मॉडल करार पत्र तैयार करने को कहा है। रिस्क असेसमेंट, क्रेडिट क्वालिटी और क्लायंट के मार्जिन के आधार पर ब्रोकर हर डीएमए क्लायंट की ट्रेडिंग और पोजीशन लिमिट तय करेगा।

ब्रोकरों को यह भी देखना होगा कि सभी डीएमए ऑर्डर उसके रिस्क मैनेजमेंट सिस्टम के जरिए होकर ही जाएं।सेबी की इस मंजूरी पर ब्रोकर खुश है, उनका कहना है कि दुनिया के दूसरे शेयर बाजारों में भी डीएमए लागू है।

हालांकि एमके शेयर ऐंड स्टॉक ब्रोकर्स के संस्थागत डेरिवेटिव्स कारोबार के संदीप सिंघल के मुताबिक इस कदम से ब्रोकिंग उद्योग में कुछ कंसॉलिडेशन भी होगा। उनके मुताबिक संस्थागत निवेशक डीएमए सुविधा लेने के लिए भरोसे के ब्रोकर ही चुनेंगे इससे छोटे ब्रोकरों का यह धंधा मुश्किल होगा और उन्हे बड़े ब्रोकरों के साथ मिलकर काम करना होगा।

रोजाना 76 बिलियन डॉलर की ट्रेडिंग, बिना ऑफिस और लाइसेंस के कैसे दुनिया का सबसे बड़ा क्रिप्टो एक्सचेंज बन गया Binance

Binance इस समय दुनिया का सबसे बड़ा cryptocurrency exchange है. खास बात ये है कि इस कंपनी का ना तो ऑफिस है, ना ही कारोबार का लाइसेंस मिला है और ना ही कंपनी का मालिक अपने लोकेशन के बारे में दुनिया को बताता है.

रोजाना 76 बिलियन डॉलर की ट्रेडिंग, बिना ऑफिस और लाइसेंस के कैसे दुनिया का सबसे बड़ा क्रिप्टो एक्सचेंज बन गया Binance

अगर आप Cryptocurrency में निवेश करते हैं या फिर इसके बारे में जानकारी रखते हैं तो Binance का नाम जरूरत जानते होंगे. यह दुनिया का सबसे बड़ा क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज है. यह एक ऐसी कंपनी है जिसका कोई ऑफिस एड्रेस नहीं है. कई देशों में यह ऑपरेशनल तो है, लेकिन इसके पास लाइसेंस नहीं है, साथ ही कंपनी का बॉस हाल फिलहाल तक दुनिया से छिपा हुआ था.

इस कंपनी की स्थापना महज चार साल पहले 2017 में हुई थी. कंपनी का रजिस्ट्रेशन Cayman Islands में है. यह इतना बड़ा क्रिप्टो एक्सचेंज है कि एक दिन में इस प्लैटफॉर्म पर 76 बिलियन डॉलर की ट्रेडिंग होती है. इस मामले में यह अपने कॉम्पिटिटर से काफी आगे है. यह जानकारी CryptoCompare की तरफ से शेयर की गई है.

फाइनेंशियल रेग्युलेटर्स के उड़े होश

Binance जैसे डिजिटल एक्सचेंजों का आकार और लोकप्रियता इस कदर बढ़ रही है कि दुनिया भर के फाइनेंशियल रेग्युलेटर्स डिजिटल असेट की बढ़ती स्वीकार्यता पर चिंता जता रहे हैं. बैंक ऑफ इंग्लैंड के अधिकारी जॉन कनलिफ ने एकबार कहा था कि जब फाइनेंशियल सिस्टम में कुछ चीजें रेग्युलेशन के अभाव में बहुत तेजी से बढ़ रही हों या विस्तारित हो रही हो तो रेग्युलेटर्स को इस बारे में गंभीरता से सोचने की जरूरत होगी.

कई देशों ने यूजर्स को बचने की सलाह दी है

Binance वर्तमान में उसी तरह का प्लैटफॉर्म बन गया है जिसने दुनियाभर के रेग्युलेटर्स का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया है. दर्जनों ऐसे देश हैं जहां रेग्युलेटर्स ने यूजर्स से ऐसे किसी भी प्लैटफॉर्म से बचने की सलाह दी है. वे इस बात को साफ-साफ कह रहे हैं कि Binance जैसे एक्सचेंज अनरजिस्टर्ड हैं और यूजर्स का निवेश यहां सुरक्षित नहीं है. आपको जो तमाम सुविधाएं मिल रही हैं वह कानून द्वारा सुरक्षित नहीं है.

SEC भी कर रहा है जांच

अमेरिकी सिक्यॉरिट एंड एक्सचेंज कमीशन इस बात की जांच कर रहा है कि Binance अमेरिकी बाजार में किस तरह काम कर रहा है. इस बिजनेस मॉडल को किन राज्यों से मान्यता मिली है. ऐसा तो नहीं है कि इस प्लैटफॉर्म का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग में किया जा रहा है.

बिजनेस मॉडल पूरी तरह लीगल है

एक तरफ रेग्युलेटर्स और जांच एजेंसियां इसके बिजनेस मॉडल को जांच कर रही हैं, दूसरी तरफ बाइनेस ऑटो ट्रेडिंग सिस्टम का इतिहास के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर Changpeng Zhao का कहना है कि हमारा बिजनेस मॉडल पूरी तरह लीगल है. हमारा ग्रोथ इतना तेजी से हुआ, क्योंकि यूजर्स ने हमपर भरोसा किया है. वर्तमान में केवल 2 फीसदी आबादी ने क्रिप्टोकरेंसी को स्वीकार किया है. ऐसे में अगर हमें बाकी 98 फीसदी आबादी का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करना है तो इसके लिए अलग-अलग स्तर पर रेग्युलेटर्स से मंजूरी जरूरी है.

अब ऑफिस बनाने पर भी हो रहा है विचार

Zhao ने कहा कि कंपनी अब लोकल ऑफिस बनाने पर विचार कर रही है. पूर्व में उन्होंने हेडक्वॉर्टर और लोकल ऑफिस बनाने के आइडिया को खारिज किया था. हालांकि, रेग्युलेटर्स ने इसे जरूरी बताया है. अगस्त में बाइनेस ने अपनी वेबसाइट पर कहा था कि यूजर्स के लिए आइडेंटिटी चेक जरूरी है. ऐसा इसलिए क्योंकि कंपनी अपने प्लैटफॉर्म का इस्तेमाल गलत कामों में नहीं करने देना चाहती है.

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