राजधानी दिल्ली में छोटी सरकार यानी एमसीडी चुनाव को चुनने में लोगों में काफी कम उत्साह देखने को मिला। एमएसीडी संकेतक समझाया वोटिंग को लेकर मतदाता सुस्त दिखे। सरकार द्वारा बुनियादी सुविधाओं की शिकायत करने का सबसे ज्यादा जोर जिस मध्यम वर्ग पर होता है, उस वर्ग के लोगों का वोटिंग प्रतिशत सबसे कम था। सुबह-सुबह तो कई बूथ पर गिने-चुने लोग ही वोट देने पहुंच रहे थे। हालांकि दोपहर बाद लोगों ने घरों से निकलना जरूर शुरू किया, लेकिन फिर भी पिछले चुनावों की तरह लोगों की भीड़ का नजारा नहीं था।

दिल्ली में दिवाली से पहले ही बिगड़ेगी आबोहवा, अगले 9 दिन रहना होगा सावधान!

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के 24 घंटे के वायु गुणवत्ता सूचकांक ( Air Quality Index) बुलेटिन के मुताबिक, दिल्ली की वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में 154 थी. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, दिल्ली में अधिकतम तापमान सामान्य से दो डिग्री नीचे 31.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. न्यूनतम तापमान 19 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था. आर्द्रता 96 से 47 प्रतिशत के बीच रही.

दिल्ली में अगले कुछ दिनों में हवा की गुणवत्ता और खराब हो सकती है.

पंकज जैन/aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 14 अक्टूबर 2022,
  • (अपडेटेड 14 अक्टूबर 2022, 11:54 PM IST)

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दिवाली से पहले ही प्रदूषण (Air Pollution) ने खतरे की घंटी बजा दी है. यहां आने वाले 9 दिनों तक वायु गुणवत्ता खराब रहने वाली है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने शहर की वायु गुणवत्ता ( Air Quality) अगले कुछ दिनों में खराब श्रेणी में आने की संभावना जताई है. हालांकि, शुक्रवार को आसमान साफ ​​रहा और हवा की गुणवत्ता मीडिएम कैटेगिरी में दर्ज की गई.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के 24 घंटे के वायु गुणवत्ता सूचकांक ( Air Quality Index) बुलेटिन के मुताबिक, दिल्ली की वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में 154 थी. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, दिल्ली में अधिकतम तापमान सामान्य से दो डिग्री नीचे 31.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. न्यूनतम तापमान 19 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था. आर्द्रता 96 से 47 प्रतिशत के बीच रही.

शनिवार-रविवार को खराब रहेगी हवा की गुणवत्ता

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शनिवार को भी ऐसा ही मौसम रहने की संभावना है. IMD के एक अधिकारी ने बताया कि शनिवार को अधिकतम और न्यूनतम तापमान क्रमश: 32 और 19 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहेगा. मौसम विज्ञान संस्थान ने वायु गुणवत्ता के संबंध में अलर्ट जारी किया. चेतावनी सिस्टम के अनुसार, शनिवार को हवा की गुणवत्ता मध्यम से खराब श्रेणी ( Poor Category) में और रविवार को खराब श्रेणी में रहने की संभावना है.

18 अक्टूबर से 6 दिन मध्यम से खराब रहेगी वायु गुणवत्ता

17 अक्टूबर को हवा की गुणवत्ता खराब से मध्यम श्रेणी में रहने की संभावना है. इसके अगले छह दिन में मध्यम से खराब श्रेणी में रहने की संभावना है. बता दें कि पिछले हफ्ते दिल्ली में अच्छी बारिश हुई थी, जिससे हवा की गुणवत्ता में जबरदस्त सुधार हुआ था. हालांकि, ये सुधार ज्यादा दिन तक नहीं रह सका. आने वाले दिनों में दिवाली का त्योहार आ रहा है. ऐसे में आतिशबाजी देखने को मिलेगी.

जानिए वायु गुणवत्ता (AQI) के बारे में

शून्य से 50 के बीच अच्छा (Good)
51 और 100 संतोषजनक (Satisfactory)
101 और 200 मध्यम (Moderate)
201 और 300 खराब (Poor)
301 और 400 बहुत खराब (Very Poor)
401 और 500 गंभीर (Severe)

दिल्ली-NCR में और जहरीली होगी हवा

दिल्ली-एनसीआर और इसके आसपास के इलाकों में बढ़ते प्रदूषण ने चिंता बढ़ा दी है. दरअसल, IIT दिल्ली में वायु गुणवत्ता एमएसीडी संकेतक समझाया पर हुई वर्कशॉप में वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि बारिश की वजह से जो पराली नहीं जलाई गई, वो अब एक साथ जलाई जाएगी, जिससे दिल्ली-एनसीआर और गंगा के आसपास के मैदानी इलाकों में तेजी से प्रदूषण बढ़ेगा. वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले दिनों में दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के स्तर में 30-70 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है क्योंकि अगली फसल का मौसम तेजी से आ रहा है. इसके लिए पराली सूखते ही किसान इसे जला देंगे. बता दें आईआईटी दिल्ली में 10 और 11 अक्टूबर को एयर क्वालिटी पर हुई वर्कशॉप में कई देशों के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने हिस्सा लिया.

वायु प्रदूषण को 70-80% तक कम करते हैं स्मॉग टावर

वहीं, दिल्ली सरकार पॉल्यूशन से निपटने की तैयारी कर रही है. यहां कम लागत वाले स्मॉग टावर बनाने की तकनीक विकसित करने पर भी काम किया जा रहा है. राज्य सरकार ने पिछले साल दिल्ली में स्मॉग टावर लगाना शुरू किया था. दुनियाभर में चीन ने ऐसे स्मॉग टावरों का इस्तेमाल किया है, लेकिन उसके पास एक अलग तकनीक है. ये नीचे से हवा को सोखता है और ऊपर से छोड़ता है. मिनेसोटा विश्वविद्यालय द्वारा विकसित तकनीक के आधार पर पिछले साल अक्टूबर की बारिश के बाद आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी दिल्ली और डीपीसीसी द्वारा एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया था. IIT बॉम्बे, IIT दिल्ली और DPCC की टीमें अलग-अलग क्षमता, मौसम और दूरियों पर पंखा चलाकर इस परियोजना की लगातार निगरानी कर रही हैं, ताकि कई रेंज में प्रभाव को समझा जा सके.

पहली स्टडी रिपोर्ट जमा कर दी

IIT बॉम्बे, IIT दिल्ली और DPCC की टीम ने एक साल पूरा होने के बाद पहली स्टडी रिपोर्ट जमा कर दी है. इस रिपोर्ट के अनुसार, इस स्मॉग टावर का औसत प्रदर्शन प्रदूषण को कम करने में 50 मीटर की दूरी तक 70-80% का प्रभाव डाल रहा है। हालांकि, जब दूरी को बढ़ाकर 300 मीटर कर दिया जाता है तो इसका प्रभाव 15-20% कम हो जाता है. स्मॉग टावरों ने 300 मीटर की सीमा तक प्रभाव दिखाया है. कई कारणों से स्मॉग टॉवर उतने प्रभावशाली नहीं हैं.

फाइनल रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लेगी सरकार

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने भी शुक्रवार को स्मॉग टॉवर सिटव का दौरा किया. उन्होंने कहा कि चूंकि स्मॉग टावर पहली बार स्थापित किए गए एमएसीडी संकेतक समझाया एमएसीडी संकेतक समझाया थे, हम अभी भी विभिन्न तकनीकी उपकरणों का उपयोग करने के प्रयोग के चरण में हैं. टीम सभी मुश्किलों को दूर करने में लगी है. चूंकि पायलट प्रोजेक्ट दो साल का है, इसलिए वे अगले एक साल तक अपना अध्ययन जारी रखेंगे. खासकर आने वाली सर्दियों में जब प्रदूषण अपने चरम पर होगा. इसके बाद टीम फाइनल रिपोर्ट देगी. उस रिपोर्ट के आधार पर सरकार आगे निर्णय लेगी.

न पहाड़ है, न नदी पार करना… MCD चुनाव में आखिर वोट डालने क्यों नहीं निकले दिल्लीवाले?

राजधानी दिल्ली में छोटी सरकार यानी एमसीडी चुनाव को चुनने में लोगों में काफी कम उत्साह देखने को मिला। वोटिंग को लेकर मतदाता सुस्त दिखे। सरकार द्वारा बुनियादी सुविधाओं की शिकायत करने का सबसे ज्यादा जोर जिस मध्यम वर्ग पर होता है, उस वर्ग के लोगों का वोटिंग प्रतिशत सबसे कम था। सुबह-सुबह तो कई बूथ पर गिने-चुने लोग ही वोट देने पहुंच रहे थे। हालांकि दोपहर बाद लोगों ने घरों से निकलना जरूर शुरू किया, लेकिन फिर भी पिछले चुनावों की तरह लोगों की भीड़ का नजारा नहीं था।

क्यों घरों से नहीं निकले लोग?
एमसीडी चुनाव की वोटिंग रविवार को हुई। लोगों ने इसे वीकेंड की तरह एन्जॉय किया। लोग पोलिंग बूथ पर वोट देने तो नहीं पहुंचे लेकिन परिवार के साथ वीकेंड मनाने में व्यस्त रहे। वहीं कल भारत और बांग्लादेश के बीच वनडे क्रिकेट मैच भी था। ये मैच काफी रोमांचक मोड़ पर पहुंच गया। कई लोग मैच देखने में लग गए और चुनाव में वोट देना जरूरी नहीं समझा। एमएसीडी संकेतक समझाया इसके साथ ही दिल्ली में कल करीब एक महीने बाद सबसे ज्यादा प्रदूषण दर्ज किया गया।राजधानी के कई इलाकों में एक्यूआई 400 के पार था। ऐसे में लोगों ने घर से बाहर निकलना ठीक नहीं समझा। युवा कूल संडे मना रहे थे तो घर के बड़े बुजुर्ग प्रदूषण से बचने के लिए घरों में कैद रहे।

पॉश इलाकों में काफी कम मतदान
वैसे तो पूरी दिल्ली में ही इस बार एमसीडी चुनाव की वोटिंग को लेकर उत्साह कम दिखा, लेकिन पॉश इलाकों में इसका असर कुछ ज्यादा ही दिखाई दिया। ठंड के मौसम में यहां वोटिंग पर ऐसा पाला पड़ा कि पोलिंग बूथों पर तैनात स्टाफ दिनभर वोटरों की राह ताकते नजर आए। पॉश इलाकों में आमतौर पर वोटिंग का जो ट्रेंड नजर आता है, उसमें सुबह कम लोग ही वोट डालने निकलते हैं, लेकिन दोपहर बाद थोड़ा माहौल बनता है और शाम होते-होते कई जगह लाइनें तक लग जाती है, लेकिन इस बार कहीं पर भी ऐसा नजारा दिखाई नहीं दिया। यहां तक कि भरी दोपहरी में भी पोलिंग बूथों पर ज्यादा वोटर नहीं पहुंचे। इससे सबसे ज्यादा संतुष्ट सिक्योरिटी और पोलिंग स्टाफ नजर आया, जिसे कहीं पर भी कोई खास मशक्कत नहीं करनी पड़ रही थी।

ग्रामीण इलाकों में बुजुर्गों में दिखा उत्साह तो कई बूथ रहे एमएसीडी संकेतक समझाया खाली
ग्रामीण इलाकों में बुजुर्ग वोटरों में उत्साह दिखा तो कई जगहों पर बूथ दोपहर तक खाली दिखाई दिए। इन जगहों पर कम वोट प्रतिशत को देखते हुए आरडब्ल्यूए की मदद से वोटरों को घरों से निकालने के प्रयास एक बजे के एमएसीडी संकेतक समझाया बाद किए जाने लगे। नजफगढ़ में कई बूथों पर दोपहर एक बजे तक वोटिंग प्रतिशत काफी कम रहा। इसके बाद आरडब्ल्यूए के साथ मिलकर लोगों ने गांव में कुछ ई-रिक्शा आदि की व्यवस्था करवाई, ताकि वोटर बाहर आ सकें। मित्राऊं गांव में दोपहर एक बजे तक 1100 वोटरों में से सिर्फ 273 ने ही वोटिंग की। वहीं सुरहेड़ा के स्कूल में बने पोलिंग स्टेशन में मतदान करने के बाद भी काफी लोग स्टेशन के अंदर ही रुक गए। इसकी वजह से पोलिंग स्टेशन के अंदर भीड़ हो गई। इसके बाद पुलिस सक्रिय हुई और ऐसे लोगों को बाहर निकालना शुरू किया। वहीं पोलिंग स्टेशन के अंदर आने वाले लोगों की वोटिंग स्लिप चेक करने के बाद ही एंट्री देने की व्यवस्था की गई। मित्राऊं गांव के स्कूल में बने पोलिंग बूथ में कई ऐसे लोग थे, जिन्हें पता ही नहीं चल पा रहा था कि कहां वोटिंग करनी है। कैर गांव में भी दोपहर करीब 12 बजे तक वोटिंग के लिए काफी कम लोग आए। ग्रामीण एरिया में कई जगहों पर बुजुर्गों में उत्साह दिखाई दिया। अधिकांश पोलिंग बूथ पर ग्रामीण सुबह से ही आने लगे थे। कई जगहों पर पहले तो कुछ स्लो वोटिंग हुई, लेकिन 10 बजे के बाद लोगों की भीड़ बढ़ने लगी। सबसे अधिक उत्साह गांव देहात के बुजुर्गों में देखने को मिला।

मुस्लिम बहुल इलाकों में दिखा उत्साह
दिल्ली के मुस्लिम बहुल इलाकों में एमएसीडी संकेतक समझाया एमसीडी चुनाव की वोटिंग को लेकर खासा उत्साह देखने को मिला। हालांकि, सुबह के समय ठंड की वजह से शुरुआत में वोटिंग की रफ्तार थोड़ी धीमी रही, लेकिन जैसे-जैसे दिन चढ़ने लगा, पोलिंग सेंटरों पर मतदाताओं की चहल-पहल बढ़ने लगी। खास बात यह भी रही कि मुस्लिम बहुल इलाकों के लगभग सभी पोलिंग सेंटरों पर महिला वोटर्स काफी बड़ी तादाद में नजर आईं। कई बूथों पर पुरुषों से ज्यादा महिलाएं लाइन में खड़ी नजर आईं। साउथ दिल्ली के शाहीन बाग, ओखला, जामिया नगर, तैमूर नगर, अबुल फजल एनक्लेव में वोटिंग को लेकर खासा उत्साह देखा गया। यहां पोलिंग एजेंटों की टेबलों पर सुबह 10 एमएसीडी संकेतक समझाया बजे के बाद से ही लोगों की भीड़ जुटने लगी। संकरी गलियों में बने कई पोलिंग सेंटरों के बाहर खासी एमएसीडी संकेतक समझाया चहल-पहल रही। बड़ी तादाद में महिलाएं और बुजुर्ग अपने परिवार के सदस्यों के साथ वोट डालने पहुंचे।

पहले घंटे सुस्त रहा मतदान, 50 प्रतिशत हुई वोटिंग
एमसीडी के 250 वॉर्डों के लिए रविवार को हुए चुनाव में शाम साढ़े बजे तक करीब 50 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान किया। मतदान शुरू होने के पहले एक घंटे तक मतदान की प्रक्रिया काफी धीमी रही। इस समय तक मुश्किल से तीन या चार प्रतिशत मतदान हुआ। इसके बाद प्रक्रिया थोड़ी तेज तो हुई, लेकिन आंकड़ा दहाई तक भी नहीं पहुंच पाया। साढ़े 10 बजे तक सिर्फ 9 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया। दोपहर 2 बजे के बाद मतदान प्रक्रिया रफ्तार पकड़ी। साढ़े 5 बजे मतदान खत्म होने तक करीब 50 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया।

कई वॉर्डों में मतदान काफी कम
जिन 250 वॉर्डो में रविवार मतदान हुए, उनमें से कई वॉर्डों में मतदान अपेक्षाकृत काफी कम हुआ। राज्य चुनाव आयोग के अफसरों के अनुसार कुछ ऐसे भी वॉर्ड हैं, जहां 50 प्रतिशत से कम मतदान हुए हैं। कुछ ऐसे भी वॉर्ड हैं, जहां झुग्गी बस्तियों व अनधिकृत कॉलोनियों की संख्या अधिक है, उन वॉर्डों में मतदान 50 प्रतिशत से भी अधिक एमएसीडी संकेतक समझाया हुए हैं। आयोग के अफसरों का कहना है कि साल 2017 में हुए एमसीडी चुनावों में 53.5 प्रतिशत, साल 2012 में हुए एमसीडी चुनाव में मतदान 53.39 प्रतिशत और साल 2007 में हुए चुनाव में मतदान 43.2 प्रतिशत हुआ था।

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