बफेट इंडिकेटर बाजार की चाल को मापने का तरीका है. दिग्गज निवेशक वॉरेन बफेट ने करीब 20 साल पहले इसे प्रस्तावित किया था और कहा था कि यह किसी भी समय में बाजार की कीमत मापने का संभवत: सबसे बेहतर तरीका है. इस इंडिकेटर के हिसाब से भारतीय शेयर बाजार की तेजी डराने वाली है यानी इसमें तेज करेक्शन दिख सकता है.

सेंसेक्स और निफ्टी में क्या अंतर है?

सेंसेक्स(Sensex) मुंबई स्थित शेयर बाज़ार S&P BSE का सूचकांक है। BSE का full form Bombay Stock Exchange है। जबकि SensEx – Sensitive IndEx से मिलकर बना है। Sensitive Index का अर्थ होता है संवेदी सूचकांक।

सेंसेक्स, मुंबई शेयर बाजार में रजिस्टर्ड और मार्केट कैप के हिसाब सबसे बड़ी 30 कंपनियों को ही इंडेक्स करता है। सेंसेक्स के घटने बढ़ने से ये पता चलता है की देश की बड़ी कंपनियों को profit हो रहा है या loss हो रहा है।

सेंसेक्स की शुरुआत 1 जनवरी, 1986 से हुयी थी। इसमें जो तीस कंपनियां शामिल होती है, वो बदलते रहती है, इन तीस कंपनियों को चुनने के लिए एक कमेटी बनाई गयी है। 30 companies को index करने के कारण इसे BSE 30 के नाम से भी जानते है।

निफ्टी क्या होता है?

निफ्टी(Nifty) दिल्ली स्थित शेयर बाज़ार NSE का सूचकांक है। NSE का full form National Stock Exchange of India है। निफ्टी में 50 कंपनियां शामिल होती है। इसकी शुरुआत नवंबर 1994 को हुयी थी।

Nifty शब्द- National और Fifty से मिलकर बना है। यहाँ Fifty नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में शामिल 50 कंपनियों के लिए है। ये पचासों कंपनिया देश के 12 अलग-अलग सेक्टर से चुनी जाती है, निफ्टी के घटने-बढ़ने से सेंसेक्स के तरह ही बाजार के रुख का पता चलता है। Nifty को Nifty 50 के नाम से भी जानते है।

सेंसेक्स और निफ्टी में क्या अंतर है?

  • सेंसेक्स की शुरुआत 1986 से हुई थी जबकि निफ्टी की शुरुआत 1994 को हुयी।
  • सेंसेक्स, बॉम्बे(मुंबई) स्टॉक एक्सचेंज का इंडेक्स है जबकि निफ्टी,नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का इंडेक्स हैं।
  • सेंसेक्स में 30 कंपनियां शामिल होती है, जबकि निफ्टी में 50 कंपनियां शामिल होती हैं।
  • Sensex का base year 1978-79 है, जबकि Nifty का base year 1995 हैं।
  • Sensex का base value 100 है, जबकि Nifty का base value 1000 हैं।

सेंसेक्स और निफ्टी दोनों भारत के दो सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज को indices करते हैं।

इस आर्टिकल में हमने आपको सेंसेक्स और निफ्टी के बीच अंतर(difference) को बताया।

दोस्तों स्टॉक एक्सचेंज को ही शेयर बाजार या Stock Market कहते है। शेयर बाजार में निवेश कैसे करें और Share Bazar में निवेश करते समय किन बातों का ध्यान रखें, इस पर एक complete guide पिछले आर्टिकल में हम सबने काफी शोध करके लिखा था, जिसे आप लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते है।

Share Market Open: शेयर बाजार में भूचाल, सेंसेक्स ने लगाया 1500 अंक का गोता, निफ्टी 430 अंक टूटा

शेयर बाजारों में रौनक जारी (Photo : Getty)

  • नई दिल्ली,
  • 26 नवंबर 2021,
  • (अपडेटेड 26 नवंबर 2021, 3:49 PM IST)
  • सेंसेक्स में मारुति का शेयर सबसे ज्यादा गिरा
  • निफ्टी में ओएनजीसी की हालत सबसे कमजोर
  • दवा कंपनियों के शेयर ग्राीन जोन में

शेयर बाजार शुक्रवार को भारी गिरावट के साथ खुले. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सेंसेक्स सूचकांक 720 अंक से ज्यादा गिरकर खुला. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के निफ्टी की स्थिति भी कमोबेश वैसी ही रही. इसकी एक बड़ी वजह दुनिया के कई हिस्सों में कोरोना का फिर से बढ़ता प्रकोप है, और इससे आशंकित निवेशक काफी सहमे नजर आ रहे है. सेंसेक्स (Sensex) और निफ्टी (Nifty) दोनों पर ही दवा कंपनियों के शेयर ग्रीन जोन में रहे, जबकि ऑटो मोबाइल, स्टील, फाइनेंस और ऊर्जा सेक्टर से जुड़ी कंपनियों के शेयर में बड़ी गिरावट जारी है.

शेयर बाजार बंद: सेंसेक्स 30.81 अंक गिरा, निफ्टी 17,314.65 पर क्लोज

शेयर बाजार बंद: सेंसेक्स 30.81 अंक गिरा, निफ्टी 17,314.65 पर क्लोज

Share Market: घरेलू शेयर बाजार में आज गिरावट है। सेंसेक्स 30.81 अंक की गिरावट के साथ 58,191.29 अंक पर बंद, निफ्टी भी 17.15 अंक गिरकर 17,314.65 अंक पर बंद हुआ। इससे पहले शुक्रवार को BSE Index और NSE Index लाल निशान के साथ शुरुआत किए। सेंसेक्स (Sensex) 129 अंकों के नुकसान के साथ 58092 के स्तर पर खुला। जबकि, निफ्टी (Nifty 50) की शुरुआत भी लाल निशान से हुई।

शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 185 अंकों की गिरावट के साथ 58036 के स्तर पर आ गया, जबकि निफ्टी 52 अंक नीचे 17279 के स्तर पर था। शुरुआती कारोबार में शेयर बाजार संकेतक क्या है निफ्टी टॉप गेनर में टाइटन में 4.42 फीसद की उछाल देखने को मिल रही है। इसके अलावा हीरो मोटर्स, मारुति, एचसीएल टेक और एसबीआई लाइफ में भी तेजी है। टॉप लूजर में हिन्डाल्को, बीपीसीएल, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और इंडसइंड बैंक प्रमुख थे।

Buffett Indicator ने भारतीय शेयर मार्केट के बारे में दिए चिंताजनक संकेत, जानिए बाज़ार का अनुमान लगाने में कितना कारगर है ये इंडिकेटर

Buffett Indicator ने भारतीय शेयर मार्केट के बारे में दिए चिंताजनक संकेत, जानिए बाज़ार का अनुमान लगाने में कितना कारगर है ये इंडिकेटर

बफेट इंडिकेटर मार्केट कैप और जीडीपी रेशियो का अनुपात है. इसे फीसदी में व्यक्त किया जाता है. (Image- Reuters)

Buffett Indicator: कोरोना महामारी के दौरान दुनिया भर के बाजारों में भगदड़ की स्थिति आ गई थी और बाजार औंधे मुंह गिरे थे. इससे उबरने के बाद स्टॉक मार्केट नई ऊंचाइयों पर पहुंच गए. हालांकि कुछ जानकार इस तेजी को लेकर सशंकित हैं कि मार्केट में जिस हिसाब से तेजी आई है, उसी हिसाब से करेक्शन देखने को मिल सकता है. स्टॉक मार्केट में निवेश से पहले बाजार के जानकार कुछ तरीकों का इस्तेमाल करते हैं जिससे बाजार की चाल का अनुमान लगाया जाता है. ऐसा ही एक तरीका बफेट इंडिकेटर है जिससे बाजार के ओवरवैल्यू, फेयरवैल्यू या अंडरवैल्यू होने का संकेत मिलता है.

Buffett Indicator दे रहा खतरनाक संकेत

बफेट इंडिकेटर मार्केट कैप और जीडीपी रेशियो का अनुपात है. इसे फीसदी में व्यक्त किया जाता है. इस समय यह 118.24 फीसदी पर है जो ओवरवैल्यूड है. बफेट इंडिकेटर को एक और तरीके से व्यक्त किया जाता है. इसमें मार्केट कैप और जीडीपी व केंद्रीय बैंक के कुल एसेट्स का अनुपात निकाला जाता है. हालांकि इस तरीके से भी भारतीय शेयर मार्केट के लिए बफेट इंडिकेटर 102.86 फीसदी जो कि ओवरवैल्यूड है.

वॉरेन बफेट इंडिटेकर के अधिक होने का मतलब है भारतीय शेयरों की वैल्यू अधिक हो गई है और इसकी तुलना में जीडीपी ग्रोथ व कंपनियों की कमाई धीमी है. बफेट ने एक बिजनेस पत्रिका ‘फॉर्च्यून’ में 10 सितंबर 2001 को लिए एक आर्टिकल में जब इसका जिक्र किया था तो कहा था कि यह बाजार की चाल को मापने का सबसे बेहतर तरीका है. बफेट के मुताबिक अगर मार्केट कैप और जीडीपी का फीसदी रेशियो 70-80% के बीच है तो शेयरों की खरीदारी का बेहतर मौका है लेकिन जब यही रेशियो 200 फीसदी से अधिक पहुंच जाता है तो ऐसे समय में शेयरों में निवेश करना आग से खेलने जैसा है.

ग्राफ से जानिए निवेश का तरीका

इसे आसानी से शेयर बाजार संकेतक क्या है समझने के लिए आप नीचे दिए गए ग्राफ को देख सकते हैं। हम एक बार फिर यही मानकर चल रहे हैं कि निफ्टी-50 अभी 18000 के लेवल पर शेयर बाजार संकेतक क्या है है। मान लीजिए कि उसमें करीब 200 अंकों की गिरावट आई(जैसा की पहले वाले आर्टिकल में समझाया था, उसे देखें) तो आपने अपने पहले 10 हजार रुपये इन्वेस्ट शेयर बाजार संकेतक क्या है कर दिए। और इसी तरह मानकर चलते हैं कि गिरावट धीरे-धीरे 17,200 के लेवल तक पहुंच गई। इस दौरान आपने पांच बार अपने पैसे लगा दिए होंगे। यानि आपका 1 लाख का इन्वेस्टमेंट हो चुका होगा।

Image Source : INDIA TV

अब मान लेते हैं कि निफ्टी-50 बढ़ना शुरू करता है और कुछ ही दिन के अंदर 18,000 के आंकड़े को पार कर जाता है। तब आपको धैर्य रखना है और देखते ही देखते वो कुछ ही महीने में 18,300 के लेवल तक पहुंच जाता है, और फिर वहां से गिरना शुरू करता है। उसके गिरने का दौर फिर शुरू हो जाता है। अब यहां आपको एक दूसरे Index Fund से स्टार्ट करना चाहिए। मतलब पहले वाले Index Fund में आप lumpsum तब करेंगे, जब निफ्टी-50 अपने 17 हजार के लेवल पर आए। चूंकि निफ्टी अभी 18,300 के लेवल से गिरना शुरू हुआ है इसलिए फिर से हर 200 प्वाइंट नीचे गिरने पर 'ब्लास्ट lumpsum' वाला तरीका अपनाएं। यानी 10-10-20-20-40 हजार के हिसाब से हर 200 अंकों की गिरावट पर पैसे लगाते जाएं। इस तरह आपके दो इन्वेस्टमेंट शुरू हो चुके होंगे। पहले वाले शेयर बाजार संकेतक क्या है में जैसा कि मैं बता चुका हैं कि पैसे तब डालने हैं जब निफ्टी-50 अपने 17,000 के लेवल तक गिर जाए और दूसरे वाले में इन्वेस्टमेंट तब करना है जब निफ्टी-50 गिरकर 18,100 तक पहुंच जाए। फिर ऐसे ही हर 200 प्वाइंट या डेढ़ से 2 फीसदी की गिरावट पर ब्लास्ट lumpsum करते जाएं। इस तरह आपके पैसे निफ्टी-50 में अच्छे लेवल पर लग जाएंगे और जैसे ही करेक्शन का फेज खत्म होगा। यानी बाजार के गिरने का फेज खत्म होगा, आप मुनाफे में आ जाएंगे।

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