ई-कॉमर्स वेबसाइट में शॉपिंग करते समय कंज्यूमर्स के पास प्रोडक्ट को फिजिकली तौर पर देखने या चेक करने का विकल्प नहीं होता है. इसके चलते ज्यादातर कस्टमर्स वेबसाइट पर दिए गए रिव्यू पर भरोसा करते हुए खरीदारी कर लेते हैं. उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि अभी रिव्यू लिखने कॉमर्स प्लेटफॉर्म चुनना वाले की प्रमाणिकता सिद्ध करना और इसकी जिम्मेदारी ई-कॉमर्स कंपनियों की होना दो मुद्दे अहम हैं. ई-कॉमर्स कंपनियों को यह खुलासा करना चाहिए कि वे निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से ‘सबसे Relevant रिव्यू’ को कैसे चुनते हैं.

ondc

डेली अपडेट्स

यह एडिटोरियल 07/08/2022 को ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ में प्रकाशित “How India is shaping the future of e-commerce” लेख पर आधारित है। इसमें ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) और इसके अनुप्रयोगों के बारे में चर्चा कॉमर्स प्लेटफॉर्म चुनना की गई है।

  • भारत में ‘ओपन रिटेल’ का भविष्य आकार ले रहा है जहाँ देश में अगले दो वर्षों में ई-कॉमर्स की पहुँच को 25 प्रतिशत उपभोक्ता खरीद तक बढ़ाने के लिये ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) की शुरुआत की गई है।
  • ONDC ई-कॉमर्स के लोकतंत्रीकरण (इसे वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीद-बिक्री के लिये प्लेटफॉर्म-केंद्रित प्रतिमान से एक ओपन नेटवर्क में रूपांतरित करते हुए) के लक्ष्य के साथ क्रेताओं और विक्रेताओं के लिये एक साझा डिजिटल स्पेस प्रदान करेगा। ONDC में निश्चित रूप से भारत के ई-कॉमर्स क्षेत्र को रूपांतरित कर सकने की क्षमता है। हालाँकि, कुछ ऐसे अपरिभाषित क्षेत्र भी मौजूद हैं जिन्हें अभी भी स्पष्ट किये जाने की आवश्यकता है।

ONDC के लाभ

  • सबके लिये एकसमान अवसर: ONDC सभी ई-कॉमर्स ऑपरेटरों के लिये एकसमान अवसर के निर्माण और देश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs) तथा छोटे व्यापारियों के लिये डिजिटल बाज़ार पहुँच के विस्तार का इच्छुक है।
    • इसके अतिरिक्त, यह खोज-योग्यता (Discoverability), अंतरसंचालनीयता (Interoperability) और समावेशिता (Inclusivity) लाकर नए प्रवेशकों की मदद करेगा।
    • ONDC रिटेल, फूड और मोबिलिटी जैसे क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देने और व्यवसायों को रूपांतरित करने के लिये दिग्गज प्लेटफॉर्मों के एकाधिकार को तोड़कर आपूर्तिकर्ताओं और उपभोक्ताओं को सशक्त बनाएगा।
    • यह उपभोक्ताओं को निकटतम उपलब्ध आपूर्ति के साथ मांग को संगत करने में सक्षम करेगा। यह उपभोक्ताओं को अपने पसंदीदा स्थानीय व्यवसायों को चुनने की स्वतंत्रता भी देगा।

    ONDC से संबंधित अपरिभाषित क्षेत्र

    • संगतता संबंधी चिंता: कम मात्रा वाले छोटे व्यवसायों में अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट जैसे दिग्गजों द्वारा दी जाने वाली छूट से संगतता रखने के लिये संसाधनों की कमी हो सकती है।
      • इन दो वैश्विक दिग्गज कंपनियों ने भारत में संयुक्त रूप से 24 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है और आक्रामक छूट एवं पसंदीदा विक्रेताओं के प्रचार के साथ ऑनलाइन खुदरा बाज़ार के 80% पर कब्जा कर लिया है।
      • यदि विभिन्न ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म भुगतान के सभी तरीकों को स्वीकार नहीं करते हैं तो निर्बाध लेनदेन के लक्ष्य से समझौता हो सकता है।
      • लेनदेन अथवा वितरित उत्पादों या सेवाओं की गुणवत्ता के संबंध में किसी भी समस्या का सामना करने वाले उपभोक्ता के मामले में दायित्व को लेकर सवाल उठता है।
      • डिजिटल अवसंरचना और साक्षरता: सरकार को प्रभुत्वशाली ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों से आगे निकलने के लिये ई-कॉमर्स हेतु एक बेहतर डिजिटल स्पेस बनाने की ज़रूरत है।
        • इसके साथ ही, उपभोक्ताओं और विक्रेताओं के लाभ के लिये विभिन्न भाषाओं और उपयोगकर्ता-अनुकूल इंटरफेस को ध्यान में रखते हुए कॉमर्स प्लेटफॉर्म चुनना एक उचित डिजिटल शिक्षा नीति का निर्माण करना महत्त्वपूर्ण है।

        Flipkart व Amazon जैसे ई-कॉमर्स वेबसाइटों में फर्जी रिव्यू पर सरकार सख्त, ग्राहकों को गुमराह करने वालों पर लगाम लगाने की तैयारी

        Flipkart व Amazon जैसे ई-कॉमर्स वेबसाइटों में फर्जी रिव्यू पर सरकार सख्त, ग्राहकों को गुमराह करने वालों पर लगाम लगाने की तैयारी

        ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले लोगों के लिए एक अच्छी खबर है.

        Fake Reviews on Flipkart, Amazon: ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले लोगों के लिए एक अच्छी खबर है. कई बार ऐसा होता है कि आप ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स पर रिव्यू पढ़कर खरीदारी कर लेते हैं और बाद में आपको पता चलता है रिव्यू में किए गए दावे फर्जी थे. फ्लिपकार्ट (Flipkart) और अमेजन (Amazon) जैसे ई-कॉमर्स वेबसाइटों में इन फर्जी रिव्यू पर ही रोक लगाने के लिए सरकार ने फ्रेमवर्क बनाने का एलान किया है. शनिवार को सरकार ने कहा कि कंज्यूमर्स के हितों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है. इसके तहत, ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर पोस्ट किए जाने वाले फर्जी रिव्यू पर नजर रखने के लिए एक फ्रेमवर्क डेवलप किया जाएगा.

        मीटिंग में फेक रिव्यू पर की गई चर्चा

        एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) के साथ कंज्यूमर अफेयर्स मिनिस्ट्री ने शुक्रवार को ई-कॉमर्स संस्थाओं सहित हितधारकों के साथ एक वर्चुअल मीटिंग आयोजित की. इसमें प्लेटफार्मों पर होने वाले फेक रिव्यू पर चर्चा की गई. फेक रिव्यू के चलते कंज्यूमर्स ऑनलाइन प्रोडक्ट्स खरीदते समय गुमराह हो जाते हैं. एक आधिकारिक बयान के अनुसार उपभोक्ता मामलों का विभाग (DoCA) भारत में ई-कॉमर्स कंपनियों की मौजूदा मैकेनिज्म का अध्ययन कर रहा है. इसके साथ ही, वैश्विक स्तर पर उपलब्ध बेहतर व्यवस्था को देखते हुए इस फ्रेमवर्क को डेवलप किया जाएगा. इस मीटिंग में कंज्यूमर फोरम, लॉ यूनिवर्सिटीज, वकीलों, FICCI, CII और कंज्यूमर राइट्स एक्टिविस्ट्स सहित अन्य ने हिस्सा लिया और वेबसाइटों पर फेक रिव्यू की समस्या पर चर्चा की.

        Housing Prices: जनवरी-सितंबर के दौरान 8 बड़े शहरों में 5% महंगे हुए घर, लागत में बढ़ोतरी और मांग में मजबूती के चलते बढ़े दाम

        Flipkart व Amazon जैसे ई-कॉमर्स वेबसाइटों में फर्जी रिव्यू पर सरकार सख्त, ग्राहकों को गुमराह करने वालों पर लगाम लगाने की तैयारी

        Flipkart व Amazon जैसे ई-कॉमर्स वेबसाइटों में फर्जी रिव्यू पर सरकार सख्त, ग्राहकों को गुमराह करने वालों पर लगाम लगाने की तैयारी

        ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले लोगों के लिए एक अच्छी खबर है.

        Fake Reviews on Flipkart, Amazon: ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले लोगों के लिए एक अच्छी खबर है. कई बार ऐसा होता है कि आप ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स पर रिव्यू पढ़कर कॉमर्स प्लेटफॉर्म चुनना खरीदारी कर लेते हैं और बाद में आपको पता चलता है रिव्यू में किए गए दावे फर्जी थे. फ्लिपकार्ट (Flipkart) और अमेजन (Amazon) जैसे ई-कॉमर्स वेबसाइटों में इन फर्जी रिव्यू पर ही रोक लगाने के लिए सरकार ने फ्रेमवर्क बनाने का एलान किया है. शनिवार को सरकार ने कहा कि कंज्यूमर्स के हितों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है. इसके तहत, ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर पोस्ट किए जाने वाले फर्जी रिव्यू पर नजर रखने के लिए एक फ्रेमवर्क डेवलप किया जाएगा.

        मीटिंग में फेक रिव्यू पर की गई चर्चा

        एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) के साथ कंज्यूमर अफेयर्स मिनिस्ट्री ने शुक्रवार को ई-कॉमर्स संस्थाओं सहित हितधारकों के साथ एक वर्चुअल मीटिंग आयोजित की. इसमें प्लेटफार्मों पर होने वाले फेक रिव्यू पर चर्चा की गई. फेक रिव्यू के चलते कंज्यूमर्स ऑनलाइन प्रोडक्ट्स खरीदते समय गुमराह हो जाते हैं. एक आधिकारिक बयान के अनुसार उपभोक्ता मामलों का विभाग (DoCA) भारत में ई-कॉमर्स कंपनियों की मौजूदा मैकेनिज्म का अध्ययन कर रहा है. इसके साथ ही, वैश्विक स्तर पर उपलब्ध बेहतर व्यवस्था को देखते हुए इस फ्रेमवर्क को डेवलप किया जाएगा. इस मीटिंग में कंज्यूमर फोरम, लॉ यूनिवर्सिटीज, वकीलों, FICCI, CII और कंज्यूमर राइट्स एक्टिविस्ट्स सहित अन्य ने हिस्सा लिया और वेबसाइटों पर फेक रिव्यू की समस्या पर चर्चा की.

        Housing Prices: जनवरी-सितंबर के दौरान 8 बड़े शहरों में 5% महंगे हुए घर, लागत में बढ़ोतरी और मांग में मजबूती के चलते बढ़े दाम

        महंगी हुई ऑनलाइन शॉपिंग! अब FlipKart पर 'कैश ऑन डिलीवरी' के लिए देना होगा एक्स्ट्रा चार्ज

        gnttv.com

        • नई दिल्ली,
        • 31 अक्टूबर 2022,
        • (Updated 31 अक्टूबर 2022, 9:01 AM IST)

        500 रुपये से अधिक की शॉपिंग पर कोई शुल्क नहीं

        पॉपुलर शॉपिंग प्लेटफॉर्म फ्लिपकार्ट (FlipKart) ने अपने कैश ऑन डिलीवरी ऑर्डर के लिए हैंडलिंग शुल्क जोड़ना शुरू कर दिया है. लाइव हिन्दुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार अगर कोई यूजर अब "कैश ऑन डिलीवरी" का ऑप्शन चुनता है, तो ई-कॉमर्स वेबसाइट अब 5 रुपये एक्स्ट्रा शुल्क लेगी.

        फ्लिपकार्ट मोबाइल ऐप और वेबसाइट के अनुसार, अगर यूजर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर "कैश ऑन डिलीवरी" विकल्प चुनते हैं, तो उन्हें अब अतिरिक्त शुल्क का भुगतान करना होगा. दूसरे शब्दों में कहें तो अगर यूजर ऑनलाइन पेमेंट नहीं करते हैं, तो उन्हें एक छोटा सा शुल्क देना होगा. हालांकि, इन पांच रुपयों का भुगतान भी ऑर्डर डिलीवर होने के बाद किया जाएगा.

        500 रुपये से कॉमर्स प्लेटफॉर्म चुनना कॉमर्स प्लेटफॉर्म चुनना अधिक की शॉपिंग पर कोई शुल्क नहीं
        फ्लिपकार्ट यूजर्स को वर्तमान में एक विशिष्ट मूल्य के तहत वस्तुओं कॉमर्स प्लेटफॉर्म चुनना पर डिलीवरी शुल्क का भुगतान करना पड़ेगा, भले ही वे ऑनलाइन भुगतान करना चुनते हैं या डिलीवरी पर दो नकद विकल्पों में से एक चुनते हैं. अगर किसी ऑर्डर की कीमत 500 रुपये से कम है और वो फ्लिपकार्ट प्लस पर सूचीबद्ध है तो इसमें 40 रुपये का डिलीवरी शुल्क जोड़ दिया जाता है.

        Open Network for Digital Commerce(ONDC) क्या है

        ONDC

        ONDC उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) द्वारा खरीदारों और विक्रेताओं दोनों द्वारा एक सामान्य ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया है I यह एक खुला स्रोत नेटवर्क है। ओएनडीसी के प्रारंभिक चरण में यह एक सार्वजनिक डिजिटल अवसंरचना स्थापित करने में मदद करेगा जो विक्रेताओं और खरीदारों के बीच सूचनाओं के मुक्त आदान-प्रदान को सक्षम करेगा।

        भविष्य के पहलू

        ओएनडीसी के तहत अवधारणा केवल सूचनाओं के आदान-प्रदान तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सामान और सेवाओं के आदान-प्रदान के लिए एक सामान्य मंच स्थापित करके और एक सामान्य मंच में जानकारी बनाए रखने के लिए खरीदारों और विक्रेताओं दोनों की सुविधा के लिए है। यह सभी संगत कृत्यों के लिए भी एक सूत्रधार के रूप में कार्य करेगा।

        वर्तमान में भारतीय ई-कॉमर्स बाजार में फ्लिपकार्ट और अमेज़ॅन जैसे निजी खिलाड़ियों का वर्चस्व है और ई-कॉमर्स की बिक्री का अधिकांश हिस्सा है। ये कंपनियां उत्पाद के निर्माता नहीं हैं लेकिन वे सामान के आदान-प्रदान के लिए खरीदारों और विक्रेताओं के लिए एक आम पेशकश करते हैं, ओएनडीसी उसी सिद्धांतों पर कार्य करेगा।

        ई-कॉमर्स का यूपीआई?

        यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस भारत के डिजिटल लेनदेन उद्योग में गेम चेंजर था, इसने कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा दिया और भारतीयों ने उस विकल्प को चुना क्योंकि यह सरकार के समर्थन और संचालित करने की सादगी के कारण भरोसेमंद था, ओएनडीसी एक ही सिद्धांत पर चलता है, अधिकांश लोग ऑनलाइन धोखाधड़ी के कारण ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म का उपयोग न करें और घोटालों की संभावना अपेक्षाकृत अधिक है, लेकिन जब प्रत्येक खरीदार को एक सुरक्षित लेनदेन सुनिश्चित किया जाएगा, तो ई-कॉमर्स उद्योग में उछाल का अनुभव होगा।

        UPI ने Paytm, Bharatpe, Phonepe जैसी कंपनियों को सुविधा प्रदान की और UPI की शुरुआत के साथ इन कंपनियों ने अपने उपयोगकर्ता प्लेटफॉर्म में बड़ी वृद्धि देखी। ओएनडीसी समान सिद्धांतों पर चलेगा, यह मौजूदा ई-कॉमर्स दिग्गजों को ऑनलाइन आने के लिए छूटे हुए ऑफ़लाइन उपभोक्ताओं का एक बड़ा हिस्सा जोड़ने की सुविधा प्रदान करेगा और उत्पादों के लिए ऑनलाइन लेनदेन में कुल सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।

        ONDC की सफलता में UPI कैसे योगदान देगा?

        अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से डिजिटल बनाने और डिजिटल इंडिया अभियान को वास्तविकता बनाने के लिए यूपीआई और ओएनडीसी सरकार जैसी पहलों के साथ।

        UPI ONDC का कॉमर्स प्लेटफॉर्म चुनना वित्तीय बैकहैंड होगा, दोनों संयुक्त रूप से बढ़ी हुई सुरक्षा के साथ उपभोक्ताओं के ऑनलाइन शॉपिंग अनुभव को सरल बनाएंगे। एक ग्राहक जो ओएनडीसी इंटरफेस का उपयोग कर रहा है, वह यूपीआई की मदद से वित्तीय लेनदेन करने में सक्षम होगा जो प्रक्रिया को और सरल करेगा और दोनों सरकार द्वारा समर्थित समान इंटरफेस पर चलेंगे जो एक को हल करने में समय को कम करने में मदद करेगा। उपयोगकर्ता द्वारा दर्ज की गई विशेष समस्या।

        जिस तरह यूपीआई अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने में सफल रहा, उसी तरह ओएनडीसी भी ‘दूर के’ उपभोक्ताओं और विक्रेताओं को ‘पैन इंडिया प्रोडक्ट्स’ तक आसानी से पहुंचने में मदद करेगा।

रेटिंग: 4.91
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 748