बड़े व्यापारिक घरानो को भाजपा नीत सरकार सूट करती रही है। 5 चरणों के बाद जब चुनावी तस्वीर कुछ साफ़ होने लगी है तो बाजार में एक बेचैनी सी छा रही है। बाजार के लिए मुफीद होता की भाजपा अकेले अपने दम पर सरकार बनाये , अगर साझीदार बढे तो निश्चित ही नीतियों को बनाने और लागी करने का फ्री हैण्ड भाजपा को नहीं मिलेगा और यही बाजार की असली फ़िक्र है ।
गिरते हुए बाजार में पैसे कमाने के आसान तरीके
यदि आप शेयर बाजार में गिरता शेयर बाजार गिरता शेयर बाजार व्यापार करते हैं या व्यापार करने में रुचि रखते हैं। और बाजार को गिरता देख घबरा रहे हैं तो आज हम इस बात पर चर्चा करेंगे कि हम गिरते हुए बाजार से भी ट्रेडिंग या निवेश के जरिए कैसे पैसा बना सकते हैं। गिरते हुए शेयर बाजार में भी पैसा बनाना बहुत आसान होता है बस आपको इसकी सही समझ और टेक्निकल की जरूरत होती है। आप अपनी समझ के अनुसार यहां पर पैसा बना सकते हैं।
बाजार में गिरावट क्यों आती है
दोस्तों यदि आप शेयर बाजार में नए है तो आपके मन में भी यह सवाल आता होगा कि शेयर बाजार में गिरावट क्यों आती है। बाजार में गिरावट की कई वजह होती हैं। जैसा कि अभी इस समय देखा जाए तो बाजार अपने ऑल टाइम हाई स्तर पर पहुंच चुका था वहां से बाजार ने रजिस्टेंस हिट किया और बिकवाली का दौर शुरू हो गया। यह इसलिए हुआ क्योंकि जिन लोगों ने नीचे के स्तर से खरीदारी की थी उन्होंने ऊपर के स्तर पर बिकवाली कर दी यानी कि प्रॉफिट बुकिंग हुई। इसलिए बाजार गिरा। और भारतीय शेयर बाजार ग्लोबल मार्केट के हिसाब से भी कुछ प्रोफाम करता है अगर ग्लोबल मार्केट लाल निशान में है तो संभवत चांस है कि भारतीय शेयर बाजार भी लाल निशान में ही व्यपार करेगा क्योंकि यह FII AUR DII की गतिविधियों से नियंत्रित होता है। बाजार में मंदी के दौर के अन्य भी कई कारण हैं यह जानने के लिए आपको शेयर बाजार संपूर्ण रूप से समझना होगा।
गिरते हुए बाजार में कैसे करें कमाई?
How to make money in falling market
शेयर बाजार में दो तरह के निवेशक होते हैं एक तो ट्रेडर और इन्वेस्टर, इन्वेस्टर की नजर हमेशा बाजार को ऊपर चढ़ाने की ओर रहती है इसीलिए वह लॉन्ग टर्म के लिए निवेश करते हैं और बाजार में हो रही छोटी - मोटी गतिविधियों पर उनका ध्यान नहीं रहता क्योंकि वह लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं और बाजार में हो रहे उतार-चढ़ाव और गिरावट से उनको कोई फर्क नहीं पड़ता।
बात करें अगर ट्रेडर की तो ट्रेडर रोजाना बाजार में ट्रेड करते हैं और रोज ही प्रॉफिट बनाने की फिराक में रहते हैं उनका नजरिया बाजार को लेकर Bullish या Bearish नहीं होता वह हमेशा सेंटीमेंट और टेक्निकल्स के आधार पर बाजार में ट्रेड करते हैं और। अगर आपको टेक्निकल और इंडिकेटर का थोड़ा बहुत भी ज्ञान है तो आप गिरते हुए बाजार में भी पैसा बना पाएंगे। मंदी के दौर में आप बाजार की लार्ज कैप कंपनियों के गिर रहे शेयरों को उनके सपोर्ट एरिया के आसपास खरीद सकते हैं जहां से वह तुरंत ही पुलबैक करने वाली होती हैं इससे आपको बहुत अच्छा प्रॉफिट मिलता है अगर आप इंडेक्स ऑप्शन में ट्रेड करना चाहते हैं तो गिरते बाजार में आपको पुट PE खरीदना होता है और बढ़ते बाजार में कॉल CE यह सब टेक्निकल्स के आधार पर ही खरीदारी और बिकवाली होती है कृपया अगर आपको शेयर बाजार की समझ नहीं है तो आप इस से दूर रहें क्योंकि यहां पर जोखिम भी बहुत ज्यादा होता है।
गिरते हुए शेयर बाजार में रखें इन बातों का ध्यान
1 यदि आपने किसी शेयर में खरीदारी की है वह अपने स्तर से नीचे जा रहा है तो धैर्य रखें जल्दबाजी मैं बिकवाली ना करें।
2 यदि कंपनी में किसी टेंपरेरी प्रॉब्लम की वजह से गिरता शेयर बाजार शेयर अपने स्तर से नीचे गिर रहा है अगर आपको लग रहा है वह शेयर फंडामेंटली स्ट्रांग है तो उसे आप निचले स्तर पर एवरेज कर सकते हैं।
3 यदि मजबूत कंपनियों को उनके निचले स्तर पर खरीदें क्योंकि यह एक निवेशक के लिए बहुत अच्छा मौका होता है।
4 निवेश की गई राशि के उतार-चढ़ाव को देखकर हड़बड़ाहट ना करें मन शांत रखें और धैर्य बनाए रखें।
👉वारेन बफेट जी कहते हैं
We simply attempt to be fearful when others are greedy and to be greedy only when others are fearful.
रुपये में रिकॉर्ड गिरावट, 1466 अंक टूटा सेंसेक्स, समझिए रुपया गिरते ही क्यों मच जाती है हाय-तौबा
डॉलर के मुकाबले रुपया 80.12 रुपये के स्तर तक जा पहुंचा है. इसकी वजह से सेंसेक्स करीब 1466 अंकों की भारी गिरावट के साथ खुला. आइए समझते हैं रुपया गिरता है तो क्या होता है.
रुपया.. रुपया.. रुपया.. आज फिर से हर तरफ रुपये की ही बात हो रही है. एक दिन पहले ही सुपरटेक का ट्विन टावर जमींदोज हुआ है और अब रुपया अपने ऑल टाइम लो के लेवल पर जा पहुंचा है. पूरी मीडिया में ट्विन टावर छाया हुआ था, लेकिन रुपये की गिरावट ने ट्विन टावर के गिरने की खबर को थोड़ा फीका बना दिया है. रुपये ने 29 अगस्त को रेकॉर्ड निचला स्तर छुआ है और डॉलर के मुकाबले 80.12 रुपये के स्तर तक जा पहुंचा है. इसकी गिरता शेयर बाजार वजह से शेयर बाजार भी धड़ाम हो गया है. शेयर बाजार में सेंसेक्स करीब 1466 अंकों की भारी गिरावट के साथ खुला. रुपये ने आज हर तरफ हाय-तौबा मचा दी है.
कितना गिर गया शेयर बाजार?
रुपये में गिरावट की वजह से सुबह सेंसेक्स करीब 1499 अंक गिरकर खुला. हालांकि, बाद के कारोबार में सेंसेक्स ने काफी गिरता शेयर बाजार हद तक रिकवर किया, लेकिन दोपहर तक भी सेंसेक्स 700-800 अंक से अधिक गिरावट के साथ कारोबार कर रहा था. गिनी-चुनी कुछ कंपनियों को छोड़ दें तो सेंसेक्स की करीब 80 फीसदी कंपनियां लाल निशान में कारोबार कर रही थीं. शाम होते-होते सेंसेक्स की गिरावट 861 अंक रह गई और बाजार 57,972 अंकों पर बंद हो गया.
कितना और क्यों गिरा रुपया?
इस हफ्ते की शुरुआत रुपये में गिरावट के साथ हुई है. सोमवार को रुपया करीब 28 पैसे गिरकर 80.12 रुपये के स्तर पर पहुंच गया. हालांकि, बाद में रुपये में तेजी से रिकवरी भी देखने को मिली, जिसकी एक बड़ी वजह ये हो सकती है कि रिजर्व बैंक ने कुछ डॉलर्स बेचे हों. इस गिरावट की वजह है डॉलर में आई मजबूती. इसके चलते सिर्फ रुपया ही नहीं, बल्कि बाकी देशों की करंसी भी कमजोर हुई है. डॉलर को मजबूती मिली है अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल के बयान से. उन्होंने साफ कहा है कि केंद्रीय बैंक की सख्ती से परिवारों और कंपनियों को थोड़ी दिक्कत हो सकती है.
ऐसे में माना जा रहा है कि अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने का सिलसिला अभी जारी रहेगा. उम्मीद की जा रही है कि अगली बैठक में ब्याज दरें 0.75 फीसदी तक बढ़ाने का ऐलान किया जा सकता है. अमेरिका अभी 1980 के बाद सबसे ज्यादा महंगाई देख रहा है. इसके चलते यूएस फेड दो बार ब्याज दरें बढ़ा चुका है. अभी बेंचमार्क दर 1.5-1.75 फीसदी से बढ़कर 2.25-2.5 फीसदी की रेंज में पहुंच चुकी है.
ALSO READ
रुपया गिरने का क्या है मतलब?
विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिका मुद्रा (डॉलर) के मुकाबले रुपया गिरने का मतलब है कि भारत की करंसी कमजोर हो रही है. इसका मतलब अब आपको आयात में चुकाई जाने वाली राशि अधिक देनी होगी. ऐसा इसलिए क्योंकि ग्लोबल स्तर पर अधिकतर भुगतान डॉलर में होता है. यानी रुपया गिरता है हमे अधिक विदेशी मुद्रा खर्च करनी होती है, जिससे हमारा विदेशी मुद्रा भंडार कम होने लगता है. यही वजह है कि विदेशी मुद्रा भंडार पर संकट आते ही सबसे पहले तमाम देश आयात पर रोक लगाते हैं.
एक उदाहरण से समझते हैं. मान लीजिए आपको कुछ आयात करने में 1 लाख डॉलर देने पड़ रहे हैं. साल की शुरुआत में डॉलर की तुलना में रुपया 75 रुपये पर था. यानी तब जिस आयात के लिए 75 लाख रुपये चुकाने पड़ रहे थे, अब उसी के लिए 80 लाख रुपये चुकाने पड़ेंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि अब डॉलर के मुकाबले रुपया 80 रुपये के भी ऊपर निकल चुका है.
रुपया गिरते ही क्यों टूट जाता है शेयर बाजार?
शेयर बाजार की चाल काफी हद तक सेंटिमेंट पर निर्भर करती है. ऐसे में अगर कोई महामारी जैसे कोरोना, राजनीतिक अस्थिरता या कोई बड़ा वित्तीय फ्रॉड सामने आ जाता है, तो लोग डरकर अपना पैसा निकलने लगते हैं. ऐसे में विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया कमजोर होने लगता है और उसका सीधा असर शेयर बाजार पर देखने को मिलता है. रुपया गिरता है तो एक बात साफ हो जाती है कि अब आयात महंगा हो जाएगा. रुपया गिरने के वजह से विदेशी मुद्रा भंडार तुलनात्मक रूप से तेजी से कम होता है, ऐसे में उसका असर बाजार पर दिखता है.
क्या गिरता शेयर बाजार चुनावी नतीजों का इशारा है ?
सियासत जब एक एक वोट सहेजने के लिए जमीन आसमान एक कर रही हो उस वक्त शेयर बाजार की नब्ज की चाल भी कुछ न कुछ संकेत जरूर देती है। फिलहाल देश के शेयर बाजार में गिरावट लगातार जारी है , बीते 6 दिनों से बिकवाली तेज है और बाजार में एक अनजानी सी बेचैनी बढ़ रही है।
शेयर बाजार की इस गिरावट का असर कई बडे खिलाडियों पर देखा जा सकता है। रिलायंस, स्टेट बैंक आफ इंडिया और आईसीआईसीआई के शेयर करीब चार परसेंट तक गिर गए हैं। बाजार में आये इस बदलाव और अब तक मतदान के 5 चरण गुजरने के बीच भी एक रिश्ता है।
पहले माना जा रहा था की शेयर बाजार की इस बेचैनी के पीछे दुनिया में शुरू हुआ ट्रेड वार है लेकिन ब्रोकरेज फार्म एम्बिट के ताजा सर्वे के आने के बाद इस बेचैनी का चुनावी कनेक्शन साफ़ दिखाई देने लगता है।
बिजनेस की दुनिया हमेशा से ही चुनावी माहौल को समझने की कोशिश में लगी रहती है। कारोबारी समूह अपने अपने सर्वे के जरिये भी आंकलन करते रहते हैं। देश की जानी मानी ब्रोकरेज फर्म एम्बिट ने पहली बार एक राजनीतिक सर्वे किया है। एम्बिट का अनुमान है की इस बार के आम चुनावो में एनडीए को बहुमत नहीं मिलने जा रहा। एम्बिट का आंकलन है कि भाजपा यूपी में 30 से 35 सीटों तक सिमट जाएगी और एनडीए को पूरे देश में कुल 220 से 240 तक सीटें जीत सकती है। एम्बिट का यह सर्वे छोटे कारोबारियों, नेताओं और शिक्षाविदों से बातचीत के आधार पर हुआ है।
बड़े व्यापारिक घरानो को भाजपा नीत सरकार सूट करती रही है। 5 चरणों के बाद जब चुनावी तस्वीर कुछ साफ़ होने लगी है तो बाजार में एक बेचैनी सी छा रही है। बाजार के लिए मुफीद होता की भाजपा अकेले अपने दम पर सरकार बनाये , अगर साझीदार बढे तो निश्चित ही नीतियों को बनाने और लागी करने का फ्री हैण्ड भाजपा को नहीं मिलेगा और यही बाजार की असली फ़िक्र है ।
बाजार में फिलहाल बिकवाली के जरिये लोग अपना पैसा निकलने में लग गए है। उन्हें आशंका होने लगी है की नतीजे आने के बाद बाजार बहुत तेज़ गिरेगा। हालांकि आम तौर पर नतीजों के बाद बाजार बहुत तेजी से चढ़ता रहा है ,2014 में भी यही ट्रेंड देखा गया था।
ये तो साफ़ है की फिलहाल बाजार में एक अनिश्चितता का माहौल है। वह अनुमान नहीं लगा पा रहा है की आखिर सरकार का स्वरूप क्या होगा ? इसलिए लिए भविष्य में किस तरह की आर्थिक नीतियां होंगी इसका भी अनुमान नहीं लग पा रहा।
गिरते बाजार में घरेलू संस्थागत निवेशकों का रिकॉर्ड निवेश
नई दिल्ली। घरेलू शेयर बाजार (domestic stock market) में साल 2022 में आई गिरावट ने घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) को निवेश करने के लिए एक बड़ा मौका दे दिया है। इस साल घरेलू संस्थागत निवेशक (domestic institutional investors) भारतीय शेयर बाजार (Indian stock market) में 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश (Investing more than Rs 2 lakh crore) कर चुके हैं। घरेलू संस्थागत निवेशकों द्वारा भारतीय शेयर बाजार में निवेश का ये आंकड़ा एक कैलेंडर वर्ष में किए गए निवेश का अभी तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। ये स्थिति भी तब है, जबकि 2022 के गिरता शेयर बाजार खत्म होने में अभी भी छह महीने से ज्यादा समय बाकी है।
शेयर बाजार के जानकारों का मानना है कि घरेलू शेयर बाजार में मंदी का ये दौर अगर कुछ और समय तक जारी रहा, तो साल 2022 के अंत तक घरेलू संस्थागत निवेशकों द्वारा शेयर बाजार में किए गए निवेश का आंकड़ा 5 लाख करोड़ रुपये के स्तर को भी पार कर सकता है। धामी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत धामी के मुताबिक इस साल अभी तक शेयर बाजार में आई गिरावट के दौरान जहां घरेलू संस्थागत निवेशक नेट बायर (शुद्ध लिवाल) रहे हैं, तो वहीं विदेशी संस्थागत निवेशक नेट सेलर (शुद्ध बिकवाल) की भूमिका निभा रहे हैं।
धामी के मुताबिक यूएस फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज गिरता शेयर बाजार दरों में बढ़ोतरी करने और इस बढ़ोतरी को जारी रखने का संकेत देने के बाद से ही विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार समेत दुनियाभर के ज्यादातर बाजारों से अपना पैसा निकालने में लगे हुए हैं। अपना पैसा निकालने के लिए विदेशी निवेशक चौतरफा बिकवाली कर रहे हैं, जिससे शेयर बाजार में तेज गिरावट का रुख बना है। दूसरी ओर यही गिरावट घरेलू संस्थागत निवेशकों के लिए कम कीमत पर शेयर खरीदने का अवसर भी बन गया है।
पिछले करीब 8 महीने से भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का दौर लगातार जारी है। 19 अक्टूबर 2021 को बीएसई का सेंसेक्स 62,245.43 अंक के अपने सर्वोच्च स्तर पर पहुंचा था। उसी दिन एनएसई के निफ्टी ने भी 18,604.45 अंक के स्तर पर पहुंच कर ऑल टाइम हाई का रिकॉर्ड बनाया था। उसके बाद से शेयर बाजार में लगातार गिरावट का दौर जारी है। सेंसेक्स अपने ऑल टाइम हाई से करीब 10 हजार अंक नीचे लुढ़ककर कारोबार कर रहा है। वहीं निफ्टी में भी 2,800 अंक से अधिक की गिरावट आ चुकी।
अगर सिर्फ साल 2022 की ही बात की जाए, तो इस साल 18 जनवरी को सेंसेक्स 61,475.15 अंक के स्तर पर और निफ्टी 18,350 अंक के स्तर पर पहुंचा हुआ था। लेकिन उसके बाद की 5 महीने की अवधि में ही सेंसेक्स 8,675 अंक से ज्यादा और निफ्टी 2,570 अंक से अधिक लुढ़क चुका है।
मार्केट एनालिस्ट मयंक मोहन के मुताबिक भारतीय शेयर बाजार को गिराने में विदेशी निवेशकों की बिकवाली का अहम योगदान रहा है। लेकिन उनकी इसी बिकवाली ने घरेलू संस्थागत निवेशकों को घरेलू शेयर बाजार में तुलनात्मक तौर पर कम कीमत में बड़ा निवेश करने का मौका मुहैया करा दिया है। इस निवेश के जरिए घरेलू संस्थागत निवेशकों के पास कम कीमत में अच्छे स्टॉक्स का बड़ा भंडार इकट्ठा हो गया है।
मयंक मोहन का कहना है कि कुछ समय बाद जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थितियां सुधरेंगी और शेयर बाजार बाउंस बैक करेगा, तो अभी बिकवाली करने वाले विदेशी निवेशक उस समय चौतरफा लिवाली करने में जुट जाएंगे। ऐसा होने पर उस समय घरेलू संस्थागत निवेशक अभी खरीदे गए शेयरों को ऊंची कीमत पर बिक्री करके अच्छा मुनाफा कमाने की स्थिति में होंगे।
हालांकि कुछ जानकारों का ये भी कहना है कि घरेलू संस्थागत निवेशकों के लिए अभी जमकर खरीदारी करना उनके भविष्य के कारोबार के लिहाज से एक बड़ा जुआ भी साबित हो सकता है। क्योंकि अगर अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियां उनकी उम्मीद के मुताबिक जल्द ही सकारात्मक नहीं हुईं और शेयर बाजार में तेजी का रुख नहीं बना, तो घरेलू संस्थागत निवेशकों के लिए इस साल अभी तक किए गए 2 लाख करोड़ रुपये के भारी भरकम निवेश को लंबे समय तक होल्ड कर पाना आसान नहीं होगा। ऐसी स्थिति में अपना कारोबार जारी रखने के लिए उन्हें जबरदस्त नुकसान का सामना करके अभी के निवेश को बाजार में और भी कम कीमत पर निकालना भी पड़ सकता है।
स्टॉक ब्रोकर नीरव बखारिया के मुताबिक रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध अगर लंबा खिंचा, तो पूरी दुनिया को एक बार फिर 2008 जैसी मंदी का सामना करना पड़ सकता है। खासकर अमेरिका समेत दुनिया के तमाम विकसित देशों में जिस तरह महंगाई बढ़ी है, उसने मंदी का संकेत दे दिया है। अमेरिका में महंगाई फिलहाल रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है और पिछले 40 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थितियों में जल्द सुधार होने की अपेक्षा नहीं की जानी चाहिए।
हालांकि बखारिया का ये भी कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के फंडामेंटल्स इतने मजबूत हैं कि ग्लोबल मार्केट में बन रही दबाव की स्थिति का भारतीय बाजार पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ना चाहिए। भारतीय शेयर बाजार में निगेटिव ग्लोबल सेंटीमेंट्स कारण तात्कालिक असर जरूर पड़ सकता है, लेकिन लंबे समय तक ये गिरावट कायम रहने वाली नहीं है। इसलिए इस बात की संभावना कम ही है कि भारतीय शेयर बाजार लंबे समय तक गिरावट का शिकार बना रहेगा।
बखारिया का कहना है कि सेंसेक्स के लिए 52,0000 अंक के स्तर पर और निफ्टी के लिए 15,200 अंक के स्तर पर स्ट्रॉन्ग सपोर्ट बना हुआ है। सेंसेक्स के लिए 50,000 और निफ्टी के लिए 14,800 अंक के स्तर पर हेवी बैरियर भी है। अगर बिकवाली के दबाव में बाजार इस स्तर से नीचे चला जाता है, तो इसे घरेलू संस्थागत निवेशकों द्वारा पिछले पांच-छह महीने में किए गए ताबड़तोड़ निवेश के लिए खतरे गिरता शेयर बाजार की घंटी मानना चाहिए। अगर इस बैरियर के पहले ही शेयर बाजार की गिरावट रुक जाती है, तो फिर उसके बाउंस बैक करने में देर नहीं लगेगी। और जैसे ही शेयर बाजार बाउंस बैक करेगा, वैसे ही घरेलू संस्थागत निवेशकों की गिरावट वाले बाजार में निवेश करने की रणनीति पूरी तरह से सफल हो जाएगी। (एजेंसी, हि.स.)
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 414