थाईलैंड में एक विदेशी मुद्रा ब्रोकर चुनें

आज, वैश्विक वित्तीय बाजार अपने विशाल मौद्रिक संस्करणों के साथ अक्सर एक क्लिक दूर हैं। हर दिन 15 मिलियन से अधिक लोग इंटरनेट-असिस्टेड ट्रेडिंग में संलग्न होते अपने विदेशी मुद्रा दलाल से पैसे कैसे निकालें हैं। थाईलैंड में, विदेशी मुद्रा व्यापारियों की सेना का विस्तार हो रहा है। अधिक से अधिक लोग डिजिटल एक्सचेंज के लाभों को पहचान रहे हैं। लेकिन आप इस विशाल बाज़ार का उपयोग कैसे कर सकते हैं?

प्रवेश केवल एक दलाल के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। आभासी वित्त के ब्रह्मांड में यह आपका मध्यस्थ और मार्गदर्शक है। कंपनी आपके खाते को पंजीकृत करेगी, आपको उपकरण, शैक्षिक सामग्री और 24 घंटे का समर्थन प्रदान करेगी। हालांकि, सभी कंपनियों को थाई आबादी के लिए विज्ञापन सेवाओं पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। महंगी गलतियों से बचने में आपकी मदद करने के लिए यहां कुछ बुनियादी सुझाव दिए गए हैं।

ब्रोकर की भूमिका

एक विदेशी मुद्रा व्यापार ब्रोकर आपको अंतरराष्ट्रीय बाजार से जोड़ने के लिए अधिक से अधिक करता है। यह आपके पेशेवर मार्गदर्शन और समर्थन का स्रोत है। फॉरेक्सटाइम जैसी कंपनियां सुनिश्चित करती हैं कि उनके ग्राहकों के पास कौशल और दूरदर्शिता को सीखने के लिए बहुत सारी सामग्री और अवसर हैं। जो भी साधन आप के साथ सौदा करते हैं, अपने विदेशी मुद्रा दलाल से पैसे कैसे निकालें चाहे वह मुद्रा जोड़े, स्टॉक, या सीएफडी, सभी वित्त प्रवाह - जमा और निकासी - भी ऑपरेटर द्वारा नियंत्रित किया जाएगा।

यह एक भरोसेमंद खोजने के महत्व पर प्रकाश डालता है थाईलैंड में विदेशी मुद्रा दलाल। आपके द्वारा सामना की जाने वाली कुछ वेबसाइटें साइबर अपराधियों द्वारा स्थापित की जा सकती हैं। जबकि एक वास्तविक प्रदाता आपको व्यापार करने की कला में महारत हासिल करने में मदद करता है, एक धोखेबाज आपको केवल आपके पैसे या संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा से धोखा देगा।

के लिए देखने के लिए लाभ

आपके द्वारा देखे जाने वाले ऑफ़र की तुलना करने और अपने विश्लेषण में पूरी तरह से समय लगाने के लिए समय निकालें। सब के बाद, यह खेद की तुलना में सुरक्षित होने के लिए हमेशा बेहतर है। यहाँ छह महत्वपूर्ण पहलू हैं जो सभी विदेशी मुद्रा के लिए लागू होते हैं।

ब्रांड इतिहास और प्रतिष्ठा

कंपनी कब से चल रही है? वर्तमान में यह कितने ग्राहक है? FXTM एक प्रसिद्ध नाम है, जिसके पीछे एक दशक का सिद्ध अनुभव है। मान्यता की पुष्टि 2+ मिलियन ग्राहकों द्वारा की जाती है और 25 के बाद से 2011 से अधिक उद्योग पुरस्कार एकत्र किए गए हैं।

लाइसेंस और राज्य नियंत्रण

क्या कंपनी को थाईलैंड में संचालित करने के लिए आधिकारिक रूप से लाइसेंस प्राप्त है? इसे नियंत्रित करने के लिए कौन से सरकारी निकाय हैं? एफएक्सटीएम मॉरीशस में संघीय प्रतिभूति आयोग द्वारा पर्यवेक्षण के तहत कानूनी व्यवसाय करता है।

शर्तें और लाभ

इनमें निम्नलिखित शामिल होना चाहिए:

  • तंग फैलता है,
  • अच्छा उत्तोलन (मार्जिन पर व्यापार),
  • अनायास जमा और निकासी,
  • लगातार पुरस्कार / प्रोत्साहन आदि।

लीवरेज के साथ ट्रेडिंग का मतलब है कि आप ब्रोकर के फंड के एक हिस्से को शामिल करके अपनी ट्रेडिंग वॉल्यूम बढ़ा सकते हैं। अनुपात विभिन्न प्रकार के खातों और उपकरणों के आधार पर भिन्न होते हैं। सबसे उदार ऑफर 1: 1,000 तक पहुंच सकता है। यह आपको केवल $ 100,000 या अपने स्वयं के पैसे जमा करके $ 100 का व्यापार करने की अनुमति देगा।

उपकरणों की रेंज

एफएक्सटीएम जैसे शीर्ष दलाल विभिन्न अंतर्निहित उपकरणों पर स्टॉक और सीएफडी जोड़कर प्रसाद को व्यापक बनाते हैं। ये आपको किसी भी संबंधित भौतिक संपत्ति के मालिक के बिना मूल्य की गतिशीलता से लाभ प्राप्त करने में सक्षम बनाते हैं। मुद्रा जोड़े का चुनाव भी पर्याप्त रूप से विस्तृत होना चाहिए, उदाहरण के लिए, FXTM के पास उनके चयन में लगभग छह दर्जन हैं।

निष्पादन मॉडल

उन कंपनियों की तलाश करें जिनके ईसीएन और बाजार निर्माता दोनों खाते हैं। ईसीएन, या इलेक्ट्रॉनिक संचार नेटवर्क, सबसे अधिक पारदर्शिता प्रदान करता है क्योंकि दलालों को किसी भी व्यापार से अपना कमीशन प्राप्त होता है, इसके मौद्रिक परिणाम की परवाह किए बिना। दूसरी ओर, बाजार निर्माता, अपनी खुद की कीमतें निर्धारित करते हैं और आमतौर पर फैल से लाभान्वित होते हैं - आस्क और बोली की कीमतों के बीच का अंतर।

कॉपी ट्रेडिंग

न्यूबीज़ के लिए बेहद उपयोगी, यह विकल्प सभी व्यापारियों के साथ लोकप्रिय है। यहां तक ​​कि अनुभवी खिलाड़ी भी समय कम होने पर प्रतिनिधिमंडल का लाभ उठा सकते हैं। के माध्यम से नकल ट्रेडिंग, आप एक विशेषज्ञ को अपने धन के एक हिस्से का प्रबंधन करने देते हैं। उनके सभी बाद के कार्यों और रणनीतियों को आपके खाते में दोहराया जाता है, जो लाभ होने पर उन्हें कमीशन देता है।

Russia Ukraine War: रूस ने पैसे निकालने को लेकर अपने ही लोगों पर लगाई रोक! 6 महीने तक सेंट्रल बैंक से 10,000 डॉलर ही निकाल सकेंगे लोग

यूक्रेन (Ukraine) पर आक्रमण के बाद से कई देश रूस से खार खाए हुए हैं और तरह-तरह के प्रतिबंधों की घोषणा कर रहे हैं. रूस से नाराज अमेरिका और ब्रिटेन ने मास्को से गैस, तेल और ऊर्जा के सभी आयातों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है.

Russia Ukraine War: रूस ने पैसे निकालने को लेकर अपने ही लोगों पर लगाई रोक! 6 महीने तक सेंट्रल बैंक से 10,000 डॉलर ही निकाल सकेंगे लोग

सेंट्रल बैंक ऑफ रूस (Central Bank of Russia) ने बुधवार को कहा कि रूस ने नागरिकों द्वारा विदेशी मुद्रा खातों (Foreign Currency Accounts) से फॉरेन करेंसी निकालने पर सीमा निर्धारित करने का फैसला किया है. रूस (Russia) के सैंट्रल बैंक ने मंगलवार को घोषणा की कि विदेशी मुद्रा खातों वाले नागरिकों को 9 सितंबर तक 10 हजार डॉलर से ज्यादा निकालने की इजाजत नहीं दी जाएगी यानी लोग सेंट्रल बैंक से 6 महीनों तक केवल 10 हजार डॉलर तक ही निकाल सकेंगे. CBR ने एक बयान में कहा कि ग्राहक के बैंक अकाउंट में चाहे कोई भी विदेशी मुद्रा हो, लेकिन निकासी केवल यूएस डॉलर में ही की जाएगी.

सीबीआर ने बयान में कहा, ‘9 मार्च से 9 सितंबर 2022 यानी 6 महीनों तक, रूस के बैंक ने विदेशी मुद्रा जमा करने या नागरिकों द्वारा अंकाउंट से कैश निकालने को लेकर एक प्रक्रिया स्थापित की है. विदेशी मुद्रा खातों या जमाराशियों पर सभी ग्राहकों के धन को डिपोजिट करेंसी में सहेजा जाता है. ग्राहक 10,000 अमेरिकी डॉलर तक कैश निकाल सकते है. जबकि शेष धनराशि निकासी के दिन बाजार दर पर रूबल (Rubles) में निकाली जा सकेगी.

कई देशों द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने से नाराज रूस

सीबीआर ने कहा, ‘रूसी बैंकों में लगभग 90 प्रतिशत विदेशी मुद्रा खाते 10,000 अमरीकी डालर की राशि से ज्यादा नहीं होते हैं. विदेशी मुद्रा जमा या खातों के 90 प्रतिशत धारक अपने धन को पूरी तरह से कैश में प्राप्त करने में सक्षम होंगे. बयान में आगे कहा गया है कि नए नियम लागू होने के दौरान बैंक नागरिकों को विदेशी कैश नहीं बेचेंगे. सीबीआर ने कहा कि रूस में डॉलर की आमद पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के कारण यह विशेष उपाय लाए गए हैं.

जापान, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों ने भी रूस के खिलाफ वित्तीय प्रतिबंध और यात्रा प्रतिबंध लगाए हैं. रूस संपत्ति को फ्रीज करने और देश के सबसे प्रभावशाली राजनीतिक और सैन्य अधिकारियों पर लगाए गए यात्रा प्रतिबंध को लेकर नई पेनल्टी लाने पर विचार कर रहा है. बता दें कि यूक्रेन (Ukraine) पर आक्रमण के बाद से कई देश रूस से खार खाए हुए हैं और तरह-तरह के प्रतिबंधों की घोषणा कर रहे हैं. रूस से नाराज अमेरिका और ब्रिटेन ने मास्को से गैस, तेल और ऊर्जा के सभी आयातों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है.

अमेरिका और ब्रिटेन ने की बड़ी कार्रवाई

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने कहा कि अमेरिका रूस (Russia) से आयात होने वाले गैस, तेल और ऊर्जा पर बैन लगा रहा है. बाइडेन ने कहा कि अमेरिका में रूसी तेल, गैस और कोयले के आयात पर प्रतिबंध लगाने से देश में इसकी कीमत चुकानी होगी. वहीं, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने (Boris Johnson) ने भी यह घोषणा की है कि ब्रिटेन रूस से तेल के आयात पर बैन लगा देगा. उन्होंने यह भी कहा कि उनका देश रूसी आक्रमण समाप्त होने तक यूक्रेन को हथियार और हर दूसरी सहायता प्रदान करता रहेगा.

विदेशी मुद्रा दलाल

 ExpertOption समीक्षा

विविध व्यापारिक उत्पाद
निवेशकों द्वारा वर्गीकृत विविध खाते
न्यूनतम जमा कम है, जिससे छोटे, कम पूंजी जैसे निवेशक सक्षम होते हैं
उच्च लाभ मार्जिन
मंच में कुछ उत्कृष्ट विशेषताएं हैं, कई उपकरणों में उपयोग किया जा सकता है, बाजार 24/7 संचालित होता है
विभिन्न प्रकार के जमा / निकासी, इंटरनेट बैंकिंग सहायता
चैटबॉक्स और सपोर्ट स्टाफ 24/7 उपलब्ध हैं

ExpertOption

ExpertOption मोबाइल ऐप डाउनलोड करें

Download ExpertOption App Google Play Android Download ExpertOption App Store iOS

एक भाषा चुनें

ताज़ा खबर

 ExpertOption में ट्रेडिंग खाता कैसे खोलें

ExpertOption में ट्रेडिंग खाता कैसे खोलें

नौसिखियों के लिए ExpertOption पर ट्रेड कैसे करें

नौसिखियों के लिए ExpertOption पर ट्रेड कैसे करें

2022 में ExpertOption ट्रेडिंग कैसे शुरू करें: शुरुआती लोगों के लिए चरण-दर-चरण गाइड

2022 में ExpertOption ट्रेडिंग कैसे शुरू करें: शुरुआती लोगों के लिए चरण-दर-चरण गाइड

लोकप्रिय समाचार

 ExpertOption में पैसा कैसे निकालें और जमा करें

ExpertOption में पैसा कैसे निकालें और जमा करें

नौसिखियों के लिए ExpertOption पर ट्रेड कैसे करें

नौसिखियों के लिए ExpertOption पर ट्रेड कैसे करें

 ExpertOption समीक्षा

ExpertOption समीक्षा

लोकप्रिय श्रेणी

DMCA.com Protection Status

ExpertOption 2014 में बाजार में दिखाई दिया। तब से हमने लगातार नया बनाया है और पुराने में सुधार किया है, ताकि प्लेटफॉर्म पर आपकी ट्रेडिंग निर्बाध और आकर्षक हो। और यह अभी शुरुआत है। हम व्यापारियों को न केवल कमाने का मौका देते हैं, बल्कि हम उन्हें यह भी सिखाते हैं कि कैसे। हमारी टीम में विश्व स्तरीय विश्लेषक हैं। वे मूल व्यापारिक रणनीतियां विकसित करते हैं और व्यापारियों को खुले वेबिनार में बुद्धिमानी से उनका उपयोग करना सिखाते हैं, और वे व्यापारियों के साथ आमने-सामने परामर्श करते हैं। शिक्षा उन सभी भाषाओं में संचालित की जाती है जो हमारे व्यापारी बोलते हैं।

सामान्य जोखिम अधिसूचना: ट्रेडिंग में उच्च जोखिम वाला निवेश शामिल है। उन फंडों में निवेश न करें जिन्हें आप खोने के लिए तैयार नहीं हैं। शुरू करने से पहले, हम सलाह देते हैं कि आप हमारी साइट पर उल्लिखित व्यापार के नियमों और शर्तों से परिचित हो जाएं। साइट पर कोई भी उदाहरण, सुझाव, रणनीति और निर्देश व्यापारिक सिफारिशों का गठन नहीं करते हैं और कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं हैं। व्यापारी अपने निर्णय स्वतंत्र रूप से लेते हैं और यह कंपनी उनके लिए जिम्मेदारी नहीं लेती है। सेवा अनुबंध सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस के संप्रभु राज्य के क्षेत्र में संपन्न हुआ है। कंपनी की सेवाएं सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस के संप्रभु राज्य के क्षेत्र में प्रदान की जाती हैं।

ब्लॉग: डॉलर के मुकाबले कमजोर होता रुपया पर दूसरी विदेशी मुद्राओं की तुलना में स्थिति अभी भी बेहतर

रुपया ब्रिटिश पाउंड, जापानी येन और यूरो जैसी कई विदेशी मुद्राओं की तुलना में मजबूत हुआ है. वहीं, यकीनन इस समय डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत में गिरावट को रोकने के लिए और अधिक उपायों की जरूरत है.

Rupee weakens against dollar, but the situation is still better than other foreign currencies | ब्लॉग: डॉलर के मुकाबले कमजोर होता रुपया पर दूसरी विदेशी मुद्राओं की तुलना में स्थिति अभी भी बेहतर

कमजोर होते रुपए को संभालने की चुनौती (फाइल फोटो)

इस समय डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत निम्नतम स्तर पर पहुंचकर 80 रुपए के आसपास केंद्रित होने से मुश्किलों का सामना कर रही भारतीय अर्थव्यवस्था और असहनीय महंगाई से जूझ रहे आम आदमी के लिए चिंता का बड़ा कारण बन गई है. हाल ही में प्रकाशित कंटार के ग्लोबल इश्यू बैरोमीटर के अनुसार, रुपए की कीमत में गिरावट और तेज महंगाई के कारण कोई 76 फीसदी शहरी उपभोक्ता अपने जीवन की बड़ी योजनाओं को टालने या छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं. ईंधन, खाने-पीने के सामान की बढ़ती कीमतों के साथ-साथ बढ़ते पारिवारिक खर्चों के चलते, शहरी भारतीय उपभोक्ता अपने बचत खातों में कम पैसा बचा पा रहे हैं.

वस्तुतः डॉलर के मुकाबले रुपए के कमजोर होने का प्रमुख कारण बाजार में रुपए की तुलना में डॉलर की मांग बहुत ज्यादा हो जाना है. वर्ष 2022 की शुरुआत से ही संस्थागत विदेशी निवेशक (एफआईआई) बड़ी संख्या में भारतीय बाजारों से पैसा निकाल रहे हैं. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के द्वारा अमेरिका में ब्याज दरें बहुत तेजी से बढ़ाई जा रही हैं. साथ ही दुनिया में आर्थिक मंदी के कदम बढ़ रहे हैं.

ऐसे में भारतीय शेयर बाजार में निवेश करने के इच्छुक निवेशक अमेरिका में अपने निवेश को ज्यादा लाभप्रद और सुरक्षित मानते हुए भारत की जगह अमेरिका में निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं. ऐसे में डॉलर के सापेक्ष रुपए की मांग में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है और डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो रहा है.

गौरतलब है कि अभी भी दुनिया में डॉलर सबसे मजबूत मुद्रा है. दुनिया का करीब 85 फीसदी व्यापार डॉलर की मदद से होता है. साथ ही दुनिया के 39 फीसदी कर्ज डॉलर में दिए जाते हैं. इसके अलावा कुल डॉलर का करीब 65 फीसदी उपयोग अमेरिका के बाहर होता है. भारत अपनी क्रूड ऑइल की करीब 80-85 फीसदी जरूरतों के लिए व्यापक रूप से आयात पर निर्भर है.

रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर कच्चे तेल और अपने विदेशी मुद्रा दलाल से पैसे कैसे निकालें अन्य कमोडिटीज की कीमतों में वृद्धि की वजह से भारत के द्वारा अधिक डॉलर खर्च करने पड़ रहे हैं. साथ ही देश में कोयला, उवर्रक, वनस्पति तेल, दवाई के कच्चे माल, केमिकल्स आदि का आयात लगातार बढ़ता जा रहा है. ऐसे में डॉलर की जरूरत और ज्यादा बढ़ गई है. स्थिति यह है कि भारत जितना निर्यात करता है, उससे अधिक वस्तुओं और सेवाओं का आयात करता है. इससे देश का व्यापार संतुलन लगातार प्रतिकूल होता जा रहा है.

नि:संदेह डॉलर की तुलना में भारतीय रुपया अत्यधिक कमजोर हुआ है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने खुद लोकसभा में यह माना है कि दिसंबर 2014 से अब तक देश की मुद्रा 25 प्रतिशत तक गिर चुकी है. इस वर्ष 2022 में पिछले सात महीनों में ही रुपए में करीब सात फीसदी से अधिक की गिरावट आ चुकी है. फिर भी अन्य कई विदेशी मुद्राओं की तुलना में रुपए की स्थिति बेहतर है.

रुपया ब्रिटिश पाउंड, जापानी येन और यूरो जैसी कई विदेशी मुद्राओं की तुलना में मजबूत हुआ है. भारतीय रुपए की संतोषप्रद स्थिति का कारण भारत में राजनीतिक स्थिरता, भारत से बढ़ते हुए निर्यात, संतोषप्रद विकास दर, भरपूर खाद्यान्न भंडार और संतोषप्रद उपभोक्ता मांग भी है.

नि:संदेह कमजोर होते रुपए की स्थिति से सरकार और रिजर्व बैंक दोनों चिंतित हैं और इस चिंता को दूर करने के लिए यथोचित कदम भी उठा रहे हैं. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 22 जुलाई को कहा कि उभरते बाजारों और विकसित अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं की तुलना में रुपया अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में है लेकिन फिर भी रिजर्व बैंक ने रुपए में तेज उतार-चढ़ाव और अस्थिरता को कम करने के लिए यथोचित कदम उठाए हैं और आरबीआई द्वारा उठाए गए ऐसे कदमों से रुपए की तेज गिरावट को थामने में मदद मिली है.

आरबीआई ने कहा है कि अब वह रुपए की विनिमय दर में तेज उतार-चढ़ाव की अनुमति नहीं देगा. आरबीआई का कहना है कि विदेशी मुद्रा भंडार का उपयुक्त उपयोग रुपए की गिरावट को थामने में किया जाएगा. 15 जुलाई को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 572.71 अरब डाॅलर रह गया है. अब आरबीआई ने विदेशों से विदेशी मुद्रा का प्रवाह देश की और बढ़ाने और रुपए में गिरावट को थामने, सरकारी बांड में विदेशी निवेश के मानदंड को उदार बनाने और कंपनियों के लिए विदेशी उधार सीमा में वृद्धि सहित कई उपायों की घोषणा की है.

यकीनन इस समय रुपए की कीमत में गिरावट को रोकने के लिए और अधिक उपायों की जरूरत है. इस समय डॉलर के खर्च में कमी और डॉलर की आवक बढ़ाने के रणनीतिक उपाय जरूरी हैं. अब रुपए में वैश्विक कारोबार बढ़ाने के मौके को मुट्ठियों में लेना होगा़.

हम उम्मीद करें कि सरकार द्वारा उठाए जा रहे नए रणनीतिक कदमों से जहां प्रवासी भारतीयों से अधिक विदेशी मुद्रा प्राप्त हो सकेंगी, वहीं उत्पाद निर्यात और सेवा निर्यात बढ़ने से भी अधिक विदेशी मुद्रा प्राप्त हो सकेगी और इन सबके कारण डॉलर की तुलना में एक बार फिर रुपया संतोषजनक स्थिति में पहुंचते हुए दिखाई दे सकेगा.

एक डॉलर की कीमत 80 रुपये पर पहुंची, जानें- क्यों कमजोर होता जा रहा है रुपया, अभी और कितनी गिरावट बाकी?

Rupee Vs Dollar: एक डॉलर की कीमत 80 रुपये पर पहुंच गई है. संसद में सवालों के जवाब में केंद्र सरकार की तरफ से जवाब दिया गया है कि 2014 के बाद से डॉलर के मुकाबले रुपये में अभी तक 25 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी है.

Updated: July 19, 2022 12:44 PM IST

Dollar Vs Rupee

Rupee Vs Dollar: मंगलवार को शुरुआती कारोबार में भारतीय रुपया मनोवैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण विनिमय दर के स्तर डॉलर के मुकाबले 80 रुपये के स्तर से नीचे चला गया. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, रुपया घटकर 80.06 प्रति डॉलर पर आ गया.

Also Read:

रुपया विनिमय दर क्या है?

अमेरिकी डॉलर की तुलना में रुपये की विनिमय दर अनिवार्य रूप से एक अमेरिकी डॉलर को खरीदने के लिए आवश्यक रुपये की अपने विदेशी मुद्रा दलाल से पैसे कैसे निकालें संख्या है. यह न केवल अमेरिकी सामान खरीदने के लिए बल्कि अन्य वस्तुओं और सेवाओं (जैसे कच्चा तेल) की पूरी मेजबानी के लिए एक महत्वपूर्ण मीट्रिक है, जिसके लिए भारतीय नागरिकों और कंपनियों को डॉलर की आवश्यकता होती है.

जब रुपये का अवमूल्यन होता है, तो भारत के बाहर से कुछ खरीदना (आयात करना) महंगा हो जाता है. इसी तर्क से, यदि कोई शेष विश्व (विशेषकर अमेरिका) को माल और सेवाओं को बेचने (निर्यात) करने की कोशिश कर रहा है, तो गिरता हुआ रुपया भारत के उत्पादों को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाता है, क्योंकि रुपये का अवमूल्य विदेशियों के लिए भारतीय उत्पादों को खरीदना सस्ता बनाता है.

डॉलर के मुकाबले रुपया क्यों कमजोर हो रहा है?

सीधे शब्दों में कहें तो डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो रहा है, क्योंकि बाजार में रुपये की तुलना में अपने विदेशी मुद्रा दलाल से पैसे कैसे निकालें डॉलर की मांग ज्यादा है. रुपये की तुलना में डॉलर की बढ़ी हुई मांग, दो कारकों के कारण बढ़ रही है.

पहला यह कि भारतीय जितना निर्यात करते हैं, उससे अधिक वस्तुओं और सेवाओं का आयात करते हैं. इसे ही करेंट अकाउंट डेफिसिट (CAD) कहा जाता है. जब किसी देश के पास यह होता है, तो इसका तात्पर्य है कि जो आ रहा है उससे अधिक विदेशी मुद्रा (विशेषकर डॉलर) भारत से बाहर निकल रही है.

2022 की शुरुआत के बाद से, जैसा कि यूक्रेन में युद्ध के मद्देनजर कच्चे तेल और अन्य कमोडिटीज की कीमतों में बढ़ोतरी होने लगी है, जिसकी वजह से भारत का सीएडी तेजी से बढ़ा है. इसने रुपये में अवमूल्यन यानी डॉलर के मुकाबले मूल्य कम करने का दबाव डाला है. देश के बाहर से सामान आयात करने के लिए भारतीय ज्यादा डॉलर की मांग कर रहे हैं.

दूसरा, भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेश में गिरावट दर्ज की गयी है. ऐतिहासिक रूप से, भारत के साथ-साथ अधिकांश विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में CAD की प्रवृत्ति होती है. लेकिन भारत के मामले में, यह घाटा देश में निवेश करने के लिए जल्दबाजी करने वाले विदेशी निवेशकों द्वारा पूरा नहीं किया गया था; इसे कैपिटल अकाउंट सरप्लस भी कहा जाता है. इस अधिशेष ने अरबों डॉलर लाए और यह सुनिश्चित किया कि रुपये (डॉलर के सापेक्ष) की मांग मजबूत बनी रहे.

लेकिन 2022 की शुरुआत के बाद से, अधिक से अधिक विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से पैसा निकाल रहे हैं. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि भारत की तुलना में अमेरिका में ब्याज दरें बहुत तेजी से बढ़ रही हैं. अमेरिका में ऐतिहासिक रूप से उच्च मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए अमेरिकी केंद्रीय बैंक आक्रामक रूप से ब्याज दरों में वृद्धि कर रहा है. निवेश में इस गिरावट ने भारतीय शेयर बाजारों में निवेश करने के इच्छुक निवेशकों के बीच भारतीय रुपये की मांग में तेजी से कमी की है.

इन दोनों प्रवृत्तियों का परिणाम यह है कि डॉलर के सापेक्ष रुपये की मांग में तेजी से गिरावट दर्ज की गयी है. यही वजह है कि डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो रहा है.

क्या डॉलर के मुकाबले केवल रुपये में ही आई है गिरावट?

यूरो और जापानी येन समेत सभी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर मजबूत हो रहा है. दरअसल, यूरो जैसी कई मुद्राओं के मुकाबले रुपये में तेजी आयी है.

क्या रुपया सुरक्षित क्षेत्र में है?

रुपये की विनिमय दर को “प्रबंधित” करने में आरबीआई की भूमिका को समझना महत्वपूर्ण है. यदि विनिमय दर पूरी तरह से बाजार द्वारा निर्धारित की जाती है, तो इसमें तेजी से उतार-चढ़ाव होता है – जब रुपया मजबूत होता है और रुपये का अवमूल्यन होता है.

लेकिन आरबीआई रुपये की विनिमय दर में तेज उतार-चढ़ाव की अनुमति नहीं देता है. यह गिरावट को कम करने या वृद्धि को सीमित करने के लिए हस्तक्षेप करता है. यह बाजार में डॉलर बेचकर गिरावट को रोकने की कोशिश करता है. यह एक ऐसा कदम है जो डॉलर की तुलना में रुपये की मांग के बीच के अंतर को कम करता है. जिससे भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आती है. जब आरबीआई रुपये को मजबूत होने से रोकना चाहता है तो वह बाजार से अतिरिक्त डॉलर निकाल लेता है, जिससे भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी होती है.

एक डॉलर की कीमत 80 रुपये से ज्यादा होने के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या रुपये में और गिरावट आनी बाकी है? जानकारों का मानना है कि 80 रुपये का स्तर एक मनोवैज्ञानिक स्तर था. अब इससे नीचे आने के बाद यह 82 डॉलर तक पहुंच सकता है.

ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. India.Com पर विस्तार से पढ़ें की और अन्य ताजा-तरीन खबरें

रेटिंग: 4.38
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 306