वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चौथी किस्त में एविएशन समेत इन सेक्टर्स के लिए किए 8 बड़े ऐलान
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister of India Nirmala Sitharaman) ने 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की चौथी . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : May 16, 2020, 17:49 IST
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister of India Narendra Modi) ने 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की थी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister of India) ने शनिवार को उसी पैकेज की चौथी किस्त की विस्तृत जानकारी दी और एविएशन, कोल व पावर सेक्टर में बड़े सुधार का ऐलान किया. आइए जानें इसके बारे में.
(1) निजी सेक्टर ISRO की सुविधाएं ले सकेंगे- स्पेस के क्षेत्र में भारत ने बीते कई साल में अच्छा काम किया है. निजी क्षेत्र को इसमें भागीदार बनने का अवसर दिया जाएगा. निजी सेक्टर इसरो की सुविधाएं ले सकेंगे. नए ग्रहों की खोज या अंतरिक्ष यात्रा में निजी क्षेत्र बढ़कर आगे आए, यह हमारा प्रयास रहेगा.
(2) सामाजिक बुनियादी ढांचे में निवेश के लिए कुछ बदलाव किए गए हैं. 30 फीसदी केंद्र और 30 फीसदी राज्य सरकारें वायबिलिटी गैप फंडिंग में देंगी. लेकिन शेष क्षेत्र में 20-20 फीसदी ही रहेगा. इसके लिए लगभग 8100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.
(3) सिविल एविएशन को बढ़ावा देने पर सरकार का फोकस होगा. एयरलाइंस की लागत कम करने पर जोर देंगे. ज्यादा एयर स्पेस खोलने की योजना पर काम जारी है. PPP के जरिए 6 नए एयरपोर्ट की नीलामी की जाएगी. इंडियन एयर स्पेस का इस्तेमाल आसान बनाया जाएगा. एयरपोर्ट नीलामी प्रक्रिया जल्द शुरू करेंगे. इंडियन एयर स्पेस का सिर्फ 60 फीसदी इस्तेमाल जारी है. इंडियन एयर स्पेस के इस्तेमाल से रोक हटाएंगे. सरकार का भारत को एयरक्राफ्ट रिपेयर हब बनाने पर जोर होगा. हम एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस का ग्लोबल हब बन सकते हैं. विमानों की MRO सुविधा देश में ही डेवलप होगी.
(4) बताए बिना बिजली कट जाती है तो कंपनी पर जुर्माना लगेगा- पावर सेक्टर में कुछ बदलाव होंगे. उपभोक्ताओं को उनके अधिकार, पर्याप्त बिजली होगी, बिजली कंपनियों का नुकसान उपभोक्ता को नहीं झेलना पड़ेगा. बिजली उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा. पावर जेनरेशन कंपनियों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी. इनका चयन भी उसी आधार पर होगा, जिससे कि वो अच्छी सुविधाएं दे सके. यूनियर टेरेटेरी में पावर डिस्कॉम का निजीकरण पहले होगा. बताए बिना बिजली कट जाती है तो कंपनी पर जुर्माना लगेगा
(5) डिफेंस में FDI सीमा बढ़ाकर 74 फीसदी करेंगे- सरकार का डिफेंस प्रोडक्शन पर खास जोर होगा. डिफेंस सेक्टर में मेक इन इंडिया पर फोकस होगा. डिफेंस सेक्टर के हथियारों की लिस्ट तैयार होगी. डिफेंस उपकरणों का स्वदेशीकरण किया जाएगा. डिफेंस उपकरणों को देश में बनाने की पहल होगी. चुनिंदा हथियारों की खरीद सिर्फ सरकार करेगी. कुछ डिफेंस प्रोडक्ट के इंपोर्ट पर रोक लगेगी. इससे डिफेंस इंपोर्ट में कमी लाने में मदद मिलेगी. हथियारों को लेकर विदेशों पर निर्भरता घटेगी. इंपोर्ट न करने वाले हथियारों की लिस्ट बनेगी . डिफेंस में FDI सीमा 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी करेंगे. ऑटोमेटिक रूट से डिफेंस में FDI सीमा बढ़ेगी.
(6) मिनरल सेक्टर में ग्रोथ, रोजगार बढ़ाने पर जोर है. इस सेक्टर में स्ट्रक्चरल रिफार्म किए जाएंगे और स्टेट ऑफ द आर्ट की तकनीक इस्तेमाल होगी. 500 माइनिंग ब्लॉक की नीलामी की जाएगी. मिनरल सेक्टर में निजी निवेश बढ़ाया जाएगा.
(7) कोल सेक्टर के लिए बड़े रिफॉर्म- सरकार की कोल सेक्टर के लिए बड़े रिफॉर्म की योजना है. कमर्शियल कोल माइनिंग को बढ़ावा देंगे. कोल सेक्टर में कमर्शियल माइनिंग का ऐलान किया जाएगा. कोल को गैस में कनवर्ट करने पर इंसेंटिव दिया जाएगा. कोल सेक्टर के लिए बड़े रिफॉर्म की योजना है. कोल पर अब सरकार की MONOPOLY नहीं रहेगी. रेवेन्यू शेयरिंग बेसिस से कोल का रिफॉर्म होगा. कोल इंफ्रा के लिए 50,000 करोड़ रुपये आवंटित किए जाएंगे. कोयला निवेश आकर्षित करने के लिए 8 विकल्प निकालने पर 50,000 करोड़ रुपये खर्च करेंगे. कोल सेक्टर में कमर्शियल माइनिंग का ऐलान किया जाएगा. 50 नए कोल ब्लॉक तत्काल उपलब्ध कराए जाएंगे. कोल के गैसिफिकेशन के लिए इंसेंटिव देंगे.
(8) विदेशी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए - फॉस्टट्रैक निवेश के लिए एम्पावर्ड गुप का गठन किया गया है. प्रत्येक मंत्रालय में सेल बनेगा, जो इनसे बातचीत करेगा और राज्यों से भी बात करेगा. राज्यों की रैंकिंग भी होगी. निवेश के लिए आकर्षित योजनाओं पर उनकी रैंकिंग तय होगी. इससे देश में विदेशी कंपनियों के निवेश को आकर्षित करना है. भारत को एक आकर्षक निवेश केंद्र बनाया जाएगा.
सरकार का फोकस रोज़गार बढ़ाने पर- हमें आत्मनिर्भर भारत के लिए तैयार होना पड़ेगा. सरकार का प्रक्रियाओं में पारदर्शिता पर फोकस होगा. हमें कंपिटीशन के लिए तैयार होना पड़ेगा. हमारा फोकस रोज़गार बढ़ाने पर है. आत्मनिर्भर भारत के लिए मेक इन इंडिया पर फोकस है. इसमें घरेलू खपत के अलावा निर्यात के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाएगा. भारत एक और आकर्षक निवेश केंद्र बनेगा.
शुक्रवार को जारी हुई तीसरी किस्त-कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का ऐलान किया गया. फूड प्रोसेसिंग सेक्टर के लिए 10,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है जबकि PM मत्स्य संपदा योजना के तहत 20,000 करोड़ रुपये दिए गए.
वहीं पशुधन के लिए 13,343 करोड़ का प्रावधान किया गया. FM ने डेयरी उद्योग के लिए 15,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया. हर्बल कल्टीवेशन के लिए 4,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया जबकि मधुमक्खी पालन के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया.
अब सभी तरह की सब्जियों के लिए 50 फीसदी सब्सिडी दी गई. जिसके लिए सब्जियों के लिए सप्लाई चेन पर 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया. एसेंशियल कमोडिटी एक्ट में बदलाव होगा. किसानों को बेहतर दाम के लिए नया कानून बनेगा. बुआई से पहले अच्छे भाव का भरोसा के लिए निवेश आकर्षित करने के लिए 8 विकल्प निवेश आकर्षित करने के लिए 8 विकल्प कानून होगा.
पहली और दूसरी किस्त- बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई बड़े ऐलान किए. इस दौरान उन्होंने MSME से लेकर, रियल एस्टेट कंपनियों और आम करदाताओं तक को राहत दी. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने छोटे किसानों, प्रवासी मजूदरों और स्ट्रीट वेंडर्स और शहरी गरीब सहित समाज के निचले तबके के लोगों के लिए हैं. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की घोषणा के तुरंत बाद प्रधानमंत्री जन कल्याण योजना के रूप में मोदी सरकार ने गरीबों की मदद करने की कोशिश की है. आज मैं फिर से कई कदमों की घोषणा कर रही हूं.
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अर्थात्ः अगली जंग के नायक
महामारी के बाद निवेश का पहिया, राजस्व की चरखी और रोजगारों की मशीन चलाने के लिए केंद्र की नई रणनीति में राज्य केंद्रीय होंगे. आर्थिक सुधारों का जो नया दौर अब शुरू होगा (कोई विकल्प नहीं है) उसका नेतृत्व हर हाल में राज्य ही करेंगे.
अंशुमान तिवारी
- नई दिल्ली,
- 04 मई 2020,
- (अपडेटेड 04 मई 2020, 12:06 AM IST)
ताली-थाली और दीया-मोमबत्ती से होते हुए कोविड लॉकडाउन का तीसरा सप्ताह आने तक केंद्र सरकार थकने-सी लगी थी. यही मौका था जब भारतीय संविधानसभा की वह जद्दोजेहद कारगर नजर आने लगी, जिसके तहत राज्यों को पर्याप्त शक्तियों से लैस किया गया था. आजादी के बाद सबसे बडे़ संकट में भारत के राज्य अमेरिका की तरह वहां के राष्ट्रपति का सिरदर्द नहीं बने थे बल्कि संघीय ढांचे की ताकत के साथ महामारी से लड़ाई में केंद्र से आगे खडे़ थे.
नतीजतन, लॉकडाउन लगाते समय राज्यों की उपेक्षा करने वाला केंद्र, इसमें ढील से पहले उनसे मशविरे पर मजबूर हुआ और अंतत: कोविड से जंग को पूरी तरह राज्यों और वहां भी सबसे निचली प्रशासनिक इकाइयों के हाथ सौंप दिया गया.
महामारी की इस अंधी सुरंग के बाद कोई सपनीला बसंत हमारा इंतजार नहीं कर रहा है, बल्कि आगे मंदी की खड़ी चढ़ाई है जो महामारी से ज्यादा दर्दनाक और लंबी होगी. उसे जीतने के लिए जीतने का मंत्र, कोविड से लड़ाई ने ही दिया है यानी कि मंदी से जंग की अगुआई राज्यों को सौंपनी होगी.
संयोग से हमारे पास कुछ ऐसे तजुर्बे हैं जो पिछले ढाई दशकों के विकास में राज्यों की मौन लेकिन निर्णायक भूमिका की गवाही देते हैं.
•1997 से 2014 तक भारत में निजी निवेश का स्वर्ण काल था. वह राजनीति का सबसे अच्छा वक्त नहीं था. केंद्र में ढीली-ढाली सरकारें थीं, राज्यों से राजनैतिक समन्वय ध्वस्त था लेकिन निवेश के लिए राज्यों की होड़ ने रिकॉर्ड बना दिए. भारत की सभी भव्य उद्येाग निवेश कथाएं उसी दौर में लिखी गईं. राज्यों की विकास दर दशकीय आधार पर डेढ़ से दोगुना बढ़ गई, जिसका असर देश के जीडीपी की चमक में नजर आया.
•तब की कमजोर केंद्र सरकारों के तहत ताकतवर राज्यों ने सुधारों का अपनी तरह से इस्तेमाल किया और उद्यमिता को ताकत दी. 2019-20 आर्थिक समीक्षा के अनुसार, 2006 से नोटबंदी के पहले तक देश में नई इकाइयों की संख्या (पंजीकरण) 45,000 से 1.25 लाख पहुंच गई. इनमें सेवा क्षेत्र में सबसे ज्यादा नई इकाइयां (करीब छह गुना बढ़त) आईं जो स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं की मांग पर केंद्रित थी.
•सशक्त राज्यों के चलते वित्त आयोगों ने केंद्र और राज्यों के वित्तीय रिश्तों का नक्शा बदला. विकास के साथ राज्यों का अपना राजस्व भी बढ़ा. केंद्रीय बजट बढ़े. नतीजतन 2011 से 2019 के बीच (इक्रा) राज्यों का विकास खर्च 1.7 लाख करोड़ रुपए बढ़कर छह लाख करोड़ रुपए हो गया. करीब 83 फीसद पूंजी खर्च की कमान अब 15 राज्यों के पास है.
महामारी के बाद निवेश का पहिया, राजस्व की चरखी और रोजगारों की मशीन चलाने के लिए केंद्र की नई रणनीति में राज्य केंद्रीय होंगे. आर्थिक सुधारों का जो नया दौर अब शुरू होगा (कोई विकल्प नहीं है) उसका नेतृत्व हर हाल में राज्य ही करेंगे.
►राज्यों को जीएसटी के अंतर्गत निवेश आकर्षित करने के लिए कर छूट देने की छूट मिलनी चाहिए ताकि राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा शुरू हो सके. यही वह प्रतिस्पर्धा है जिसकी रोशनी में मुख्यमंत्रियों का चेहरा देखकर निवेशक आए. तब उद्योग मेले कम थे लेकिन निवेश ज्यादा था क्योंकि राज्य टैक्स, जमीन, निवेश आकर्षित करने के लिए 8 विकल्प सेवा दरों में तरह-तरह की सहूलत दे सकते थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बेहतर इसे कौन जानता होगा. हालांकि उनके केंद्र में आने के बाद राज्यों की ऐसी आजादियां लगभग छिन गईं
►कोविड के कहर के बाद वित्त आयोग को केंद्र-राज्य वित्तीय रिश्तों का नया प्रारूप बनाना होगा. उसे ध्यान रखना होगा कि राज्य 8-9 फीसद ब्याज पर कर्ज उठा रहे हैं यानी रेपो रेट का दोगुना और होम-कार लोन से महंगा. राज्यों को केंद्रीय स्कीमों के मकड़जाल ने मुक्त करने, सीधे आवंटन करने और घाटे नियंत्रित करने की नई सीमाओं में बांधना होगा. राज्यों का बॉन्ड बाजार शुरू करना होगा ताकि वह पारदर्शी हो सके और अपनी साख बेहतर कर सस्ता कर्ज ले सकें
►पिछले 25 वर्षों में राज्यों में उपक्रमों और सेवाओं का निजीकरण नहीं हुआ, नियामक नहीं बने, संस्थागत सुधार नहीं हुए. केंद्र को यह क्षमताएं विकसित करने में उनकी मदद करनी होगी. उनके ट्रेजरी संचालन चुस्त और बजटों का मानकीकरण करना होगा
अचरज नहीं कि अगर भीमराव आंबेडकर न होते तो विभाजन से डरी संविधानसभा (नेहरू भी) एक बेहद ताकतवर केंद्र वाला संविधान हमें सौंप देती और तब शायद हम इस महामारी से ऐसी लड़ाई नहीं लड़ पा रहे होते. आंबेडकर ने संविधानसभा को संघीय ढांचे और राज्यों को ताकत व अधिकार देने पर राजी किया और संविधान के जन्म के तत्काल बाद अपनी देखरेख में 1951 में वित्त आयोग का गठन भी कराया जो हर पांच साल पर राज्य व केंद्र के आर्थिक रिश्तों का स्वरूप तय करता है.
संविधान निवेश आकर्षित करने के लिए 8 विकल्प ने जिस समृद्ध संघीय ढांचे की राह दिखाई थी उस पर चलने का वक्त आ गया है. केंद्र को अपनी शक्तियां सीमित करनी होंगी. नई आर्थिक स्वतंत्रता के साथ राज्य ही हमें इस गहरी मंदी निकाल पाएंगे.
संविधान ने संघीय ढांचे की ताकत के साथ हर मुसीबत और मुश्किल से लड़ने का रास्ता पहले ही बता रखा है
High Return Investment: सोना नहीं, चांदी करायेगा मोटी कमाई, 3 साल में निवेश आकर्षित करने के लिए 8 विकल्प मिलेगा 250 फीसदी तक का तगड़ा रिटर्न
कम समय में ज्यादा पैसे कमाने हैं, तो सोना या म्यूचुअल फंड नहीं, चांदी में करें निवेश. जानें क्यों सिल्वर में इन्वेस्ट करने की सलाह दे रहे हैं एक्सपर्ट.
High Return Investment: सुरक्षित और अच्छे रिटर्न के लिए लोगों के पास कई विकल्प होते हैं. शेयर बाजार में जब मंदी आती है, तो लोगों को सबसे ज्यादा सोना (Gold) ही आकर्षित करता है. सुरक्षित निवेश करने वाले म्यूचुअल फंड का विकल्प चुनते हैं. चांदी (Silver Price) में भी बड़े पैमाने पर निवेश होता है, लेकिन यह सफेद धातु लोगों को उतना आकर्षित नहीं करता, जितना सोना (Gold Price) या म्यूचुअल फंड (Mutual Fund).
तीन साल में 250 फीसदी का रिटर्न देगी चांदी
अब वक्त आ गया है कि सोना और म्यूचुअल फंड का मोह छोड़कर आप चांदी में निवेश करें. बाजार के विशेषज्ञ यही कह रहे हैं. मार्केट एक्सपर्ट कहते हैं कि सोना भले आने वाले दिनों में 52,000 रुपये के स्तर को छू ले, लेकिन चांदी (Silver Price) महज तीन साल में आपके निवेश को ढाई गुणा कर देगा. यानी चांदी (Silver Rate) में अगर अभी निवेश किया, तो तीन साल बाद आपको 250 फीसदी का बंपर रिटर्न मिलेंगे.
साल के अंत तक 80 हजार हो जायेगी चांदी की कीमत
बाजार के जानकारों का कहना है कि काफी दिनों से मंदी के दौर से गुजर रही चांदी इसी साल के अंत तक 80,000 रुपये के स्तर को छू लेगी. यानी चांदी की कीमत दिसंबर 2022 तक 80 हजार रुपये प्रति किलो हो सकती है. इस स्तर को पार करने के बाद भी चांदी की रफ्तार थमेगी नहीं. वर्ष 2024 तक चांदी की कीमत प्रति किलोग्राम 1.50 लाख रुपये तक हो जायेगी. यानी वर्तमान कीमत से ढाई गुणा ज्यादा.
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चांदी में निवेश करके हो जायेंगे मालामाल
मार्केट एक्सपर्ट कह रहे हैं कि अभी अगर चांदी में निवेश किया, तो आने वाले कुछ ही सालों में आप मालामाल हो सकते हैं. म्यूचुअल फंड और सोना के मुकाबले चांदी कई निवेश आकर्षित करने के लिए 8 विकल्प गुणा ज्यादा रिटर्न देगी. महंगाई को देखते हुए माना जा रहा है कि भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के सभी प्रमुख देशों में ब्याज दरें बढ़ सकती हैं. इसका नतीजा यह होगा कि इक्विटी मार्केट में गिरावट आयेगी. यानी निवेश पर मुनाफा कम होगा.
गोल्ड में निवेश घटेगा, सिल्वर में बढ़ेगा
कोरोना महामारी की तीसरी लहर आ चुकी है. यह दौर जब खत्म होगा, तो बाजार में अनिश्चितता कम होगी. इसके बाद गोल्ड में निवेश घटने और सिल्वर में तेजी आने की उम्मीद बाजार के जानकार जता रहे हैं. यह चांदी अगले कुछ वर्षों तक जारी रहने की उम्मीद है. अगर चांदी 1.50 लाख रुपये के स्तर तक चली जाती है, तो निवेशकों को 250 फीसदी रिटर्न मिलना तय है. चांदी की कीमत अभी 61 हजार रुपये के आसपास है.
चांदी में तेजी की वजह
बाजार के जानकार बताते हैं कि चांदी की डिमांड में जितनी तेजी है, उस हिसाब से सफेद चमकीली धातु जिस रफ्तार से बढ़ रही है, उसके खनन में अभी उतनी तेजी नहीं आयी है. वर्ष 2018 से 2020 के बीच चांदी के उत्पादन में लगातार कमी देखी गयी है. दरअसल, ऑटोमोबाइल, सोलर और इलेक्ट्रिक वाहन इंडस्ट्री में चांदी की मांग तेजी से बढ़ रही है. पर्यावरण अनुकूल प्रौद्योगिकी में चांदी का इस्तेमाल हो रहा है, जिसकी वजह से इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है.
Posted By: Mithilesh Jha
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आपके व्यवसाय के लिए स्टार्टअप पूंजी जुटाने के शीर्ष विकल्प
हाल के एक सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 94 प्रतिशत नई फर्में अपने पहले वर्ष में विफल हो जाती हैं। सबसे आम कारणों में से एक धन की कमी है। पूंजी किसी भी कंपनी की जीवनदायिनी होती है। इसके लिए ईंधन के रूप में नकदी के उपयोग की आवश्यकता होती है। उद्यमी पूछते हैं, "मैं अपने स्टार्टअप को कैसे वित्तपोषित कर सकता हूं?" व्यावहारिक रूप से उनके हर कदम पर व्यापार. जब आपको पैसे की आवश्यकता होती है तो यह मुख्य रूप से आपकी फर्म की प्रकृति और शैली से निर्धारित होता है। हालाँकि, यदि आपने निर्णय लिया है कि आपको धन जुटाने की आवश्यकता है, तो आपके लिए कई वित्तपोषण विकल्पों में से कुछ निम्नलिखित हैं।
अपने स्टार्टअप व्यवसाय को बूटस्ट्रैप करना
किसी भी कर्षण और संभावित सफलता की योजना के बिना, पहली बार उद्यमियों को पूंजी हासिल करने में कठिनाई होती है। स्व-वित्त पोषण, जिसे अक्सर बूटस्ट्रैपिंग के रूप में जाना जाता है, स्टार्टअप के लिए धन प्राप्त करने का एक उत्कृष्ट तरीका है, खासकर यदि आप अभी शुरुआत कर रहे हैं। आप अपनी नकदी से निवेश कर सकते हैं या रिश्तेदारों और दोस्तों की मदद ले सकते हैं। कम औपचारिकताओं और अनुपालनों और कम लागत बढ़ाने के कारण इसे उठाना आसान होगा। ज्यादातर मामलों में, रिश्तेदार और दोस्त ब्याज दर पर आपके साथ काम करने को तैयार रहते हैं।
इसके फायदों के कारण सेल्फ-फंडिंग या बूटस्ट्रैपिंग को पहले फंडिंग विकल्प के रूप में माना जाना चाहिए। जब आपके पास अपना पैसा होता है, तो आप व्यवसाय से बंधे होते हैं।
क्राउडफंडिंग एक फंडिंग विकल्प है
Crowdfunding एक स्टार्टअप को वित्त पोषण करने का एक अपेक्षाकृत नया तरीका है जिसने हाल ही में बहुत अधिक कर्षण प्राप्त किया है। यह एक साथ कई लोगों से ऋण, पूर्व-आदेश, योगदान या निवेश प्राप्त करने के बराबर है।
यह क्राउडफंडिंग के साथ कैसे काम करता है - एक क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म पर, एक उद्यमी अपनी फर्म का विस्तृत विवरण पोस्ट करेगा। वह अपनी फर्म के उद्देश्य, लाभ कमाने की रणनीति, उसे कितने धन की आवश्यकता है और किन कारणों से, इत्यादि बताएगा। उपभोक्ता व्यवसाय के बारे में पढ़ सकते हैं और विचार पसंद आने पर धन दान कर सकते हैं। जो लोग पैसे दान करते हैं, वे सामान या उपहार को प्री-ऑर्डर करने के मौके के बदले में ऑनलाइन प्रतिबद्धताएं करेंगे। कोई भी व्यक्ति उस कंपनी की मदद करने के लिए पैसे दान कर सकता है जिसमें वे विश्वास करते हैं। साथ ही, ध्यान रखें कि क्राउडफंडिंग धन जुटाने के लिए एक प्रतिस्पर्धी स्थान है, इसलिए जब तक कि आपकी फर्म उत्कृष्ट न हो और केवल एक विवरण और इंटरनेट पर कुछ तस्वीरों के साथ नियमित उपभोक्ताओं को आकर्षित कर सके। , आपको क्राउडफंडिंग एक व्यवहार्य विकल्प नहीं मिल सकता है।
अपने स्टार्टअप में एंजेल निवेश प्राप्त करें
एंजेल निवेशक अतिरिक्त आय वाले व्यक्ति होते हैं और इनमें निवेश करने की तीव्र इच्छा होती है नए व्यवसायों. वित्त पोषण के अलावा, वे सलाह या सलाह प्रदान कर सकते हैं। वे निवेश करने से पहले संयुक्त रूप से प्रस्तावों को स्क्रीन करने के लिए नेटवर्क के समूहों में भी सहयोग करते हैं।
वे अधिक लाभ के लिए अपने निवेश में अधिक जोखिम स्वीकार करेंगे। कंपनी के विकास के शुरुआती चरणों में इस प्रकार का निवेश सबसे आम है, जिसमें निवेशकों को 30% तक इक्विटी की उम्मीद है। गूगल, याहू और अलीबाबा जैसी कई जानी-मानी कंपनियों की स्थापना एंजेल निवेशकों के सहयोग से की गई थी।
अपने व्यवसाय के लिए उद्यम पूंजी प्राप्त करें
यह वह जगह है जहाँ बड़े दांव लगाए जाते हैं। वेंचर कैपिटल फंड पेशेवर रूप से प्रबंधित फंड हैं जो इसमें निवेश करते हैं उच्च क्षमता वाले व्यवसाय. वे अक्सर अपने स्वयं के पैसे से कंपनियों में निवेश करते हैं और जब वे सार्वजनिक होते हैं या अधिग्रहित होते हैं तो प्रस्थान करते हैं। वीसी ज्ञान और कोचिंग देते हैं, और कंपनी की दीर्घकालिक व्यवहार्यता और मापनीयता के लिए एक लिटमस टेस्ट के रूप में कार्य करते हैं।
बैंक ऋण के माध्यम से धन जुटाएं
जब फंडिंग की बात आती है तो बैंक आमतौर पर पहला स्थान होता है, जिसके बारे में उद्यमी सोचते हैं।
उद्यमों के लिए, बैंक दो प्रकार के वित्त पोषण प्रदान करता है। पहला वर्किंग कैपिटल लोन है, जबकि दूसरा फंडिंग है। राजस्व-सृजन संचालन के एक पूर्ण चक्र को चलाने के लिए आवश्यक ऋण एक कार्यशील पूंजी ऋण है, और बंधक स्टॉक और देनदार आमतौर पर इसकी सीमा निर्धारित करते हैं। व्यवसाय योजना और मूल्यांकन विवरण साझा करने की मानक प्रक्रिया और जिस परियोजना रिपोर्ट पर ऋण स्वीकृत किया गया है, उसका पालन बैंक से धन की मांग करते समय किया जाएगा।
विभिन्न पहलों के माध्यम से भारत में लगभग हर बैंक से एसएमई वित्तपोषण उपलब्ध है। अग्रणी भारतीय बैंक, जैसे बैंक ऑफ बड़ौदा, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई और एक्सिस, 7 से 8 से अधिक विभिन्न संपार्श्विक-मुक्त व्यवसाय ऋण विकल्प प्रदान करते हैं। अधिक जानकारी के लिए विभिन्न बैंकों की वेबसाइटें देखें।
निष्कर्ष
जबकि उधार देने के विकल्पों की प्रचुरता पहले से कहीं अधिक आसान हो सकती है, अभिनव व्यापार उद्यमियों को यह विचार करना चाहिए कि उन्हें कितनी वित्तीय सहायता की आवश्यकता है। यदि आप तेजी से विस्तार करना चाहते हैं तो आपको निश्चित रूप से बाहरी फंडिंग की आवश्यकता होगी। यदि आप बूटस्ट्रैप करते हैं और एक विस्तारित अवधि के लिए बाहरी वित्त के बिना बने रहते हैं तो आप बाजार के अवसरों का लाभ उठाने में असमर्थ हो सकते हैं। अच्छे अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर में निवेश करें और इन समस्याओं से निपटने के लिए अपने फंड को बनाए रखें। शुरुआत से ही ठोस कॉर्पोरेट प्रशासन के साथ शुरुआत करना बेहतर है, क्योंकि बाद में वापस जाना और राजकोषीय अनुशासन का प्रयोग करने का प्रयास करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
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